जमीनी संघर्ष थमने का नाम नहीं ले रहा. सिंगूर और नंदीग्राम की याद आती है तो मन सिहर उठता है.जाने अब पंजाब में क्या होगा. समझ नहीं आता की देश का अन्नदाता ही हर बार निशाना क्यूं बनता है? मीडिया में खबर आई है कि अब महिलाएं भी खुल कर आन्दोलन में कूद पड़ी हैं. इस सम्बन्ध में दैनिक ट्रिब्यून की रिपोर्ट हम यहाँ हूँ-ब-हूँ प्रकाशित कर रहे हैं. अगर आपको भी इस विषय पर कुछ कहना है तो अवश्य भेजें. इंतज़ार रहेगी.
दीपक सिंगलागांव गोबिंदपुरा में पुलिस का टैंट उखाड़ती किसान महिलाएं। |
शनिवार को गोबिंदपुरा में संघर्ष कर रहे किसानों का एक समूह गांव के एक घर में एकत्र हुआ, जिसको भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां के जिलाध्यक्ष राम सिंह भैणीवाघा ने संबोधित किया। इस दौरान किसान नेताओं ने १६६ एकड़ जमीन बचाने के लिए संघर्ष की रूपरेखा तैयार की। मौजूद किसान नेता व महिलाओं ने ऐलान किया कि अपनी जमीन किसी भी कीमत पर थर्मल प्लांट के लिए नहीं देंगे। बेशक कितनी भी कुर्बानी क्यों ना देनी पड़े, संघर्ष से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने पंजाब सरकार के इन दावों का जोरदार खंडन किया कि जमीन न देने के लिए राजनीतिक पार्टियां उकसा रही हैं। जमीन मालिकों ने डिप्टी कमिश्नर मानसा, एसएसपी व आईजी को मिलकर यह स्पष्ट कर दिया है कि अगर पंजाब सरकार किसानों की जमीन जबरी लेना चाहती है तो हम अपने परिवारों समेत गांव के बाहर एक जगह पर एकत्र होकर लाइन में खड़े हो जाते हैं और सरकार अपनी फोर्स को हुकम देकर हमें जलियांवाला बाग कांड की तरह गोलियां मारकर सरकार कब्जा ले सकती है। बैठक के उपरांत गांव की महिलाओं ने एकत्र होकर १६६ एकड़ जमीन की ओर कूच किया और रास्ते में पुलिस का टेट उखाड़ा। इसी दौरान पुलिस के साथ महिलाओं की झड़प हो गई। महिलाओं ने पिल्लरों को उखाड़ फेंका। बाद में बड़ी संख्या में पुलिस बल ने महिलाओं को रोककर उन्हें वापस भेज दिया।
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