Thursday, April 22, 2010

बंदूक, बच्चे और सैनिक

बंदूक और बच्चे...बात में कोई तालमेल नहीं लगता. पर होता है बहुत गहरा संबंध. जब सैनिक जंग के मैदान में अपनी जान की बाज़ी लगा रहा होता है तो उसे अपने माता पिता भी याद आते हैं, भाई बहन भी, पत्नी भी और बच्चे भी. ऐसा हर जंग के मैदान में होता है. उन पलों में जब सैनिक को बच्चों की याद आती है तो ज़रा सोचिये कि कितना मुश्किल होता होगा बंदूक उठाना. पर सैनिकों की जिंदगी में यह सब होता है. कई कई बार होता है. दिल में प्यार का उमड़ता हुआ सागर. फिर भी हाथ में भरी हुई बंदूक. किसी की जान लेने के लिए हर पल तैयार बार तैयार. इस तस्वीर में भी संयुक्त सेनायों के एक सैनिक ने अपने एक हाथ से थाम रखी है बंदूक और अपने दूसरे हाथ से वह दुलार रहा है एक नन्हे मुन्ने बच्चे को. इस तस्वीर को कैमरे में कैद किया अमरीकी सेना के जन संचार विशेषज्ञ Matthew D. Leistikow  ने 14 अप्रैल 2010 को ईराक में. गाँवों में चल रही कई तरह की जन कल्याण परियोजनायों की प्रगति का जायजा लेने के लिए आये सैनिक जब जाने लगे तो उन्होंने बहुत ही भावुक हो कर इन बच्चों से भी विदाई ली. --रैक्टर कथूरिया 

1 comment:

दिलीप said...

chitra bahut hi shandar hai...sainik ke bhavuk pehluon ko darshata...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/