मिस्र में ब्लागरों पर हकूमती कहर की खबर अभी ताज़ा ही थी कि अब आज़रबायीजान में भी इस खतरनाक सिलसिले की शुरुयात हो गयी है. वहां पर निशाना बनाया गया है उन दो बलागरों को जिन पर आरोप है कि उन्हों ने कुछ ऐसी वीडियो यू-टयूब पर पोस्ट कर दी जो सरकार को रास नहीं आती. अदनान हजिज़ादे और एमिन मिल्ली की सभी अपीलों और दलीलों को सिरे से ही ख़ारिज करते हुए बाकू की अदालत ने उन्हें दो और ढाई साल
कैद की सजा सुना दी. सुनवाई और सजा का यह सारा ड्रामा दस मार्च
2010 बुधवार को हुआ. अमनैस्टी इंटरनैशनल के यूरोप और केंद्रीय एशिया
के डिप्टी प्रोग्राम डायरेक्टर ऐन्द्रिय हुबेर ने इस सारे मामले का गंभीरता से
नोटिस लेते हुए इसकी सखत निंदा की और उसी दिन एक विशेष प्रेस नोट
भी मीडिया को जारी किया. अमनैस्टी इंटरनैशनल ने ब्लागरों पर लगाये गए
आरोपों को आधारहीन और जाली बताते हुए इसे एक दमनपूर्ण कारवाई
बताया. ये दोनों ब्लागर अपने विचारों के आदान प्रदान के लिए यू-टयूब,
फेसबुक और ट्विट्टर का इस्तेमाल किया करते थे. इनकी गिरफ्तारी भी
एक बहुत ही नाटकीय ढंग तरीके से की गयी. इन दोनों ब्लागरों पर पहले
तो दो अज्ञात व्यक्तियों ने अचानक कहीं से निकल कर हमला किया और जब
पुलिस वह पहुंची तो पुलिस ने उलटे इनको ही गिरफ्तार कर लिया. यू
टयूब पर पोस्ट की गयी वीडियो और और इस नाटकीय गिरफ्तारी में केवल
एक हफ्ते का अंतर है. पोस्ट की गयी स्टोरी में चर्चा थी उस डील के
जिसके अंतर्गत वहां की सरकार हजारों लाखों डालर खर्च करके जर्मनी से
गधों का आयात कर रही है. एक गधे को पत्रकार सम्मलेन संबोधित करते
हुए दिखा कर इस वीडियो में व्यंग्य का तीखा पुट डाला गया
है. करीब सवा पांच मिनट की इस वीडियो को देखने के लिए आप
यहां क्लिक कर सकते हैं. इस मुद्दे को अंग्रेजी में पढने के लिए यहां
क्लिक करें.
--रैक्टर कथूरिया
3 comments:
ब्लाग धीरे-धीरे चौथे खम्बे का विकल्प बनता जा रहा है और स्वतंत्र अभिव्यक्ति के इस सशक्त माध्यम पर कठमुल्लाओं और तानाशाहों का कहर बरसना स्वाभाविक सी बात है।दोनो ब्लागरों के साथ जो हुआ वो बेहद निंदनीय है।
ये तो बहुत बुरा हुआ।
अफसोसजनक!!
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