Pages

Monday, November 13, 2023

इस बार भी पीजीआई ने कई लोगों की आंखों की रोशनी बचाई

 13th November 2023 at 18:07 WhatsApp

कई मरीज पटाखों से घायल होने के कारण पीजीआई पहुंचे 


चंडीगढ़: 13 नवंबर 2023: (कार्तिका कल्याणी सिंह//पंजाब स्क्रीन)::

पटाखों ने इस बार भी कई घरों में अंधेरा कर दिया। जगह-जगह आग लगने की घटनाएं भी हुईं और कई लोगों की आंखें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। ऐसी घटनाओं के शिकार कई लोग नजदीकी अस्पतालों में पहुंचे, लेकिन कई मरीज चिकित्सा सहायता से वंचित भी रह गए। 

हर बार की तरह इस बार भी पीजीआई में इस तरह की आशंकाओं के चलते इनसे निपटने के लिए व्यापक इंतजाम किए गए थे। एडवांस्ड आई सेंटर पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ इस दिवाली के दौरान भी सक्रिय और सतर्क रहा। 

पी.जी.आई कर्मचारियों ने तत्काल चिकित्सा सहायता और आवश्यक सेवाएं प्रदान करके कई घायल व्यक्तियों को बचाया। दिवाली के त्योहार और पटाखों से होने वाली चोटों के कारण कई आपात स्थितियों की संभावना को देखते हुए, एडवांस्ड आई सेंटर, पीजीआईएमईआर ने लोगों से मिलने और तत्काल उपचार प्रदान करने के लिए एक विशेष और विस्तृत व्यवस्था की थी। 

पटाखों से नुकसान की घटनाओं के बाद आसपास के इलाकों से मरीज पीजीआईएमईआर पहुंच ते रहे। इस विभाग के पास 11 नवंबर 2023 की सुबह से 14 नवंबर 2023 की सुबह 8 बजे तक बहुत ही अच्छी व्यवस्था की गई थी। 

एडवांस्ड आई सेंटर पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़ में डॉक्टर और अन्य सबंधित कर्मचारी 24 घंटे विशेष आपातकालीन ड्यूटी पर रहे। इस बार भी बड़ी संख्या में ोताखों से पीड़ित मरीज पहुंचते रहे। इस बार भी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएँ बहुत बड़ी संख्या में हुईं। 

गौरतलब है कि 11 नवंबर 2023 को सुबह 8 बजे से 13 नवंबर 2023 को सुबह 8 बजे तक पिछले 48 घंटों में, पटाखों से घायल हुए कुल 23 मरीज एडवांस्ड आई सेंटर पहुंचे, जिन्हें तत्काल चिकित्सा सहायता से बचा लिया गया। इन मरीजों में 18 पुरुष और 5 महिलाएं थीं, जिनमें से 10 की उम्र सिर्फ 14 साल थी। सबसे छोटा बच्चा सिर्फ 6 साल का था. इसी तरह ट्राईसिटी से 14 मरीज पहुंचे। 10 मरीज चंडीगढ़ से, एक मरीज मोहाली से और 2 मरीज पंचकुला से पहुंचे। दूसरे पड़ोसी राज्यों से भी मरीज यहां लाए जाते थे। पंजाब से तीन, हरियाणा से छह, हिमाचल प्रदेश से दो मरीज इलाज के लिए लाए गए थे।

''इस बार पटाखे चलने वालों को ही नहीं बल्कि इन्हें चलता देख रहे लोगों को भी चोट आई।'' 13 मरीज ऐसे थे जो पटाखे नहीं चला रहे थे बल्कि राहगीरों के सामने खड़े थे जबकि बाकी 10 खुद पटाखे चला रहे थे। इन 23 रोगियों में से 7 को खुली दुनिया में चोटें थीं और उन्हें आपातकालीन सर्जरी की आवश्यकता थी। जबकि 16 बंद ग्लोब घायल हुए और उनमें से 13 को पटाखों के कारण गंभीर चोटें आईं। 

शेष 23 में से 3 को या तो मामूली चोटें आईं या त्वचा पर चोटें आईं। उनके साथ रूढ़िवादी व्यवहार किया जाता था। हमारे पास पिछले 3 वर्षों का तुलनात्मक डेटा है और हमें लगता है कि इस बार दिवाली 2023 में तुलनात्मक रूप से कम मामले थे। यदि फिजूलखर्ची की इस खतरनाक प्रथा को रोक दिया जाए तो इन दुर्घटनाओं को पूरी तरह से रोका जा सकता है।

 दिवाली की खुशियों को इन हादसों से बचाने की जरूरत अभी भी लगातार बनी हुई है। आईए जागरूकता फैलाएं कि रौशनी के त्यौहार को खुशियों की यादों से संजोएं। इस अवसर पर अपनी ज़िन्दगी अँधेरी न बनाएं। 

No comments:

Post a Comment