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Saturday, February 05, 2011

अब शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले सावधान

जागो रे से साभार 
हालांकि आजकल अच्छी  ख़बरों के मुकाबिले घोटालों, हत्यायों और साजिशों की खबरें ज्यादा रहती हैं पर  फिर भी कभी कभी कुछ खबरें घुटन भरे माहौल में ताज़ी हवा के कुछ ऐसे झोंके लेकर आती हैं कि फिर से नयी उमीदें जाग उठती हैं. कुछ देर पहले खबर आई थी शराबी ड्राइवरों पर अंकुश लगाने में फिसड्डी है पंजाब.एक और ऐसी ही खबर थी कि शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले दोषियों में आधे अमृतसर के हैं.  एक ऐसी ही खबर अख़बारों में दिखी डेट लाईन  नयी दिल्ली से जिसे 4 फरवरी को जारी किया खबर ऐजंसी भाषा ने. यह खबर उन लोगों को राहत देने वाली है जो अक्सर उन लोगों की गाड़ियों के नीचे आ कर कुचले जाते है जो शराब के दो चार जाम लगा कर हवा की रफ्तार से बातें करने लगते हैं.  लेकिन अब शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले सावधान हो जाएं, क्योकि इसके एवज में दस हज़ार रुपए तक का जुर्माना और एक साल की सजा का ऐलान कभी भी लागू होने के नज़दीक है.
जागो रे से साभार 
मोटर वाहन अधिनियम में सुधार की सिफारिशों को यदि मान लिया जाता है, तो राजधानी में शराब पीकर गाड़ी चलाना या ड्राइविंग करते हुए मोबाइल फोन पर बात करना काफी महंगा साबित हो सकता है. अधिनियम में सुधार के सुझावों को यदि मंजूरी मिल जाती है, तो गाड़ी चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करने वालों को एक हज़ार रुपए तक का जुर्माना अदा करना होगा. इस मकसद के ल;इए बनाई गयी एक विशेषज्ञ समिति ने जो सुझाव दिए हैं उनमें कहा गया है कि यदि कोई व्यक्ति शराब पीकर गाड़ी चलाता पकड़ा जाता है, और उसके 100 एमएल रक्त में 150 एमजी तक शराब पाई जाती है, तो उसे छह माह से एक साल की सज़ा होनी चाहिए या उस पर दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाना चाहिए; या फिर दोनों सजाएं भी  हो सकती हैं. अगर गाड़ी चलाने वाले ने कुछ कम शराब भी पी है अर्थात उसके शरीर में 30 से 150 एमजी तक शराब पाई जाती है, तो उसे छह माह की सजा या पांच हजार रुपए का जुर्माना या अर्थदंड और जेल,  दोनों हो सकती हैं.पूर्व सड़क सचिव एस सुंदर की अध्यक्षता वाली दस सदस्यीय समिति द्वारा तैयार 411 पृष्ठों की रिपोर्ट में ये सुझाव दिए गए हैं. इस विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री सी पी जोशी को सौंपी है. अब देखना यह है कि आये दिन किसी न किसी की जान लेकर अच्छे भले बसते हुए घरों को उजाड़ दे ने वाले इन सड़क हादसों के लिए ज़िम्मेदार लोगों पर नकेल डालने की यह शुरूआत कितनी जल्दी एक्शन में आ कर कारगर साबित होती है. अगर आप इस विषय पर कुछ सोच रहे हैं तो झटपट उसे कागज़ पर उतारिये. आपके विचारों की इंतज़ार जारी है. --रेक्टर कथूरिया 

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