Saturday, February 29, 2020

लुधियाना शाहीन बाग में उमड़ा जनसमूह

29th February 2020 at 4:56 PM
CAA के विरुद्ध इस्तीफा देने वाले IPS के पहुंचने पर उत्साह की लहर
लुधियाना शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए आई.पी.एस. अब्दुर रहमान साथ में नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी, जफर आलम
लुधियाना: 29 फरवरी 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
आज यहां शाहीन बाग प्रदर्शन के 18वें दिन महाराष्ट्र बैच के आई.पी.एस. अधिकारी अब्दुर रहमान जो सी.ए.ए का विरोध करते हुए अपनी नौकरी से इस्तीफा दे चुके हैं के पहुंचने पर बड़ा जनसमूह उमड़ के उन्हें सुनने के लिए आया। राहों रोड चुंगी से प्रधान मुहम्मद जमील अहमद, हाफिज़़ हाशिम अंसारी, मुहम्मद सिकंदर, मुहम्मद इंतजार शाकिर, मुहम्मद साबिर, मुहम्मद इकबाल,आतिफ, मुहम्मद शहीद, मुहम्मद मंज़ूर की अध्यक्षता में महिलाओं के काफिले भी साइन बाग पहुंचे। मंच का संचालन करते हुए नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने कहा कि पंजाब की धरती से शाहीन बाग प्रदर्शन कौमी एकता की मिसाल बनकर उभरा है यहां से सभी धर्मों के लोग केंद्र सरकार को धर्म की राजनीति के खिलाफ एक जुटता का संदेश दे रहे हैं। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए इस्तीफा देने वाले आईपीएस अधिकारी अब्दुर रहमान ने कहा कि सी.ए.ए., एन.आर.सी. और एन.पी.आर. केंद्र सरकार द्वारा अपनी ही जनता के खिलाफ बनाई गई एक साजिश का नाम है। उन्होंने कहा कि हजारों सालों से इस धरती पर रहते आ रहे नागरिकों को उनकी नागरिकता का प्रमाण पूछना ही राष्ट्र के लिए शर्म की बात है। अब्दुर रहमान ने कहा कि बाहर के देशों से आने वाले शरणार्थियों के लिए हमेशा ही भारत ने बड़ा दिल दिखाया है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार धर्म के नाम पर शरणार्थियों को बांट कर राजनीतिक फायदा उठाना चाहती है। अब्दुर रहमान ने कहा कि भारत की जनता में कट्टरवाद नहीं है बल्कि कई राजनेता धर्म के नाम पर सियासी रोटियां सेंकते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार में बैठे हुए राजनेता सत्ता के नशे में चूर होकर अपनी जनता के साथ टकराव का रास्ता अपना रहे हैं और देशभर में शांतिपूर्वक चल रहे शाहीन बाग प्रदर्शनों की विरोधता करना लोकतंत्र का गला दबाने के बराबर है। 
आज शाहीन बाग प्रदर्शन में जफर आलम, सज्जाद आलम, इरशाद अंसारी, साबिर अली, मुस्तकीम करीमी, मुहम्मद रफीक, सनाउल्लाह अंसारी, अल्ताफ जोशन, हकीम इसराफिल, मास्टर फिरोज, रूस्तम खान, आबिद अंसारी ने भी संबोधित के किया।
महिलाओं ने भी किया दिल्ली पुलिस के खिलाफ रोष प्रदर्शन
लुधियाना: 29 फरवरी 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
शाहीन बाग प्रदर्शन में आज एक बार फिर सैंकड़ों महिलाओं ने एकत्रित होकर दिल्ली पुलिस द्वारा दंगाइयों का साथ देने पर जबरदस्त रोष प्रदर्शन किया। महिलाओं की अध्यक्षता करते हुए खतीजा खातून ने कहा कि दिल्ली की पुलिस ने भारत की जनता का पुलिस पर विश्वास कमज़ोर कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब समय की जरूरत है कि दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ केंद्र सरकार तुरंत बड़ी कारवाई करें। 
गौरतलब  है कि बीते दिनों दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं में ऐसी बहुत सारी वीडियो वायरल हुई है जिसमें दिल्ली पुलिस के अधिकारी और जवान दंगाइयों के साथ जनता पर पत्थरबाजी करते हुए दिखाई देते लुधियाना शहर में लगातार एन.आर.सी. के विरोध के साथ-साथ दिल्ली और यू.पी. पुलिस के अत्याचारों का विरोध भी हो रहा है। आज शहर भर से बहुत बड़ी संख्या में औरतों ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ शाहीन बाग में जबरदस्त रोष प्रदर्शन किया।

Friday, February 28, 2020

हम माता चंद कौर के हत्यारों की ग्रिफ्तारी तक संघर्ष जारी रखेंगे

जांच को ठंडे बस्ते में डालने की साज़िश को कामयाब नहीं होने देंगें  
लुधियाना: 28 फरवरी 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
चार अप्रैल का दिन निकट आ रहा है। बस एक महीना और कुछ दिन ही बाकी हैं। इस एक महीने में नामधारी सम्प्रदाय हत्यारों की गरिफ्तारी को लेकर को बहुत बड़ा आंदोलन शुरू करने की तैयारी में है। यह आंदोलन क्या रूप लेगा यह तो समय ही बताएगा लेकिन एक बात साफ़ है कि  इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उठाने के प्रयास तेज़ हो रहे हैं। ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व वाला नामधारी सम्प्रदाय शांतिपूर्ण रहते हुए भी इस आंदोलन को पूरी तरह गरमाने की कोशिश में है। इसी मुद्दे को लेकर अलग अलग ज़िला मुख्यालयों पर बारी बारी से धरने प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। डिप्टी कमिश्नरों को इसी आश्य के ज्ञापन भी दिए जाते हैं लेकिन इस सब के बावजूद हत्यारों की गरिफ्तारी को लेकर कोई ठोस कदम उठता नज़र नहीं आ रहा। श्री भैणी साहिब की ऐतिहासिक गद्दी पर मौजूद ठाकुर उदय सिंह की अगुवाई वाला गट भी हत्यारों की गरिफ्तारी की मांग  है। उन्होंने भी अतीत में इस मांग को लेकर काफी बड़े प्रदर्शन किये हैं। लेकिन दोनों गुटों के प्रदर्शन एक दुसरे के खिलीफ़ शक्तिप्रदर्शन बन कर रह गए। हत्यारों की गरिफ्तारी अभी तक नहीं हो सकी। इस मुद्दे  गुटों की आपसी दूरियां भी बढ़ा दीं। इस समय अगर ठाकुर उदय सिंह की अगुवाई वाला गुट अगर कांग्रेस अगर  हरविंदर सिंह हंसपाल के ज़रिये कांग्रेस के नज़दीक समझा जाता है तो ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व वाला गुट सीधे सीधे भारतीय जनता पार्टी के नज़दीक है। उनकी बात प्रधानमंत्री और गृह मंत्री तक है। इसके बावजूद माता चाँद कौर के हत्यारों को पकड़े जाने का मामला अभी तक खटाई में पड़ा हुआ है। इसे ले कर आम नामधारी संगत के मन में रोष है। वही आम नामधारी संगत जो श्री भैणी साहिब के साथ भावनात्मक तौर पर जुडी हुई है। आजकल ठाकुर दलीप सिंह के नेतृत्व वाले नामधारी सम्प्रदाय की जो संगत इस मुद्दे को लेकर रोष व्यक्त कर रही है उसने अलग अलग ज़िलों में रोष व्यक्त कर के प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजे हैं। रोष प्रदर्शनों का यह सिलसिला आने वाले दिनों में और तेज़ होने की संभावना है। 
गौरतलब है कि माता चाँद कौर की हत्या चार अप्रैल 2016 को हुई थी। उस दिन सोमवार का दिन था। हत्या के समय माता चंद कौर नामधारी मुख्यालय के पीछे बनी सतगुरु प्रताप सिंह अकादमी में बच्चों के नए सत्र की शुरुआत पर आयोजित पूजा में हिस्सा लेने अपनी बैरी ऑपरेटेड क्लब कार में गई थी। पूजा करने के बाद वह गोशाला की तरफ जाने के लिए अकादमी के गेट से बाहर निकली। बाहर काले रंग को बाइक पर खड़े दो केशधारी युवकों ने पहले उनको माथा टेका, फिर रिवाल्वर निकाल कर उन पर गोलियां दाग दीं। समझा कटा है वृद्ध शरीर होने के कारण उनकी मौके पर ही मौत हो गई थी लेकिन इसकी घोषणा बाद में अस्पताल की पुष्टि के बाद ही की गई। अकादमी में मौजूद लोग माता चंद कौर को सतगुरु प्रताप सिंह अस्पताल लेकर गए। डॉक्टरों ने उनको बचाने का प्रयास किया, लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई।
इलाज और मेडिकल जांच का सारा काम लुधियाना के शेरपुर चौंक में स्थित सतगुरु प्रताप सिंह अस्पताल अस्पताल में हुआ। उस दिन नामधारी संगत निरंतर इसी अस्पताल में बानी रही और देहांत पुष्टि का एलान होते ही सभी बिलखने लगे। 
माता चंद कौर के सिर और दिल के नीचे दो गोलियां लगी, जबकि तीसरी उनके पास से निकल गई। इसी दौरान शोर मच गया और हत्यारे मौके से फरार हो गए। 
पुलिस कमिश्नर जतिंदर सिंह औलख ने मीडिया को बताया कि अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया गया है। जांच के लिए कई टीमों का गठन भी किया गया। पुलिस ने इस मामले में कई बिंदुओं पर काम शुरू किया। सबूत इकट्ठा करने का काम भी हुआ। किसी भी तरह की रंजिश से भी सीपी ने इंकार नहीं किया था। लगता था माता चाँद कौर के अंतिम संस्कार से पहले ही हत्यारे पकड़ में आ जायेंगे लेकिन यह हत्या अभी तक रहस्य ही बनी हुई है। 
हरयारों की गरिफ्तारी को लेकर शुरू रोष प्रदर्शनों के इस सिलसिले की जानकारी देते हुए एक्शन कमेटी के प्रवक्ता गुरमेल सिंह बराड़ और अरविंदर सिंह लाडी ने कहा की यह बहुत ही सुनियोजित हत्या है इसलिए इसका सच सामने लाने की प्रक्रिया को तेज़ कराने के लिए हम  संघर्ष करेंगे। यह हत्या श्री भैणी साहिब के परिसर में हुई है। इसलिए श्री भैणी साहिब में मौजूद लोग इसके लिए जवाबदेह तो हैं ही। इस हत्या की जांच अब तक पंजाब पुलिस, पंजाब सरकार, विशेष जाँच दल और सीबीआई को सौंपी जा चुकी है। इसके बावजूद कोई नतीजा सामने नहीं आया। इन सभी एजंसियों को अभी तक सफलता क्यों नहीं मिली? उन्होंने इस मामले को लेकर कई गंभीर आरोप भी लगाए।  साथियों ने भी कहा कि अगर श्री भैणी साहिब में हुए इस नृशंस हत्याकांड से जुड़े लोगों से पुलसिया धनगतरीक़ों से ही पूछताछ की जाती तो बहुत पहले ही इस सरे मामले का सच सामने आ गया होता। मौजूदा तौरट्रीक इस  ठंडे बस्ते में डालने की ही साज़िश है। इस हत्याकांड की हकीकत को छुपाने में लगे लोगों का सोचना है की शायद इस तरह से धीरे धीरे नामधारी संगत का जोश भी ठंडा पड़ जायेगा लेकिन हम यह सब नहीं होने देंगें। हम न तो इस हत्या को खुद भूलेंगे और न ही किसी को भूलने देंगें। जब तक साडी सच्चाई सामने नहीं आती और असली हत्यारे सलाखों के पीछे नहीं पहुंचते तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा।  चलाने के लिए यूं तो हर ज़िले में अलग अलग कमेटियां बनाई गयी हैं जिनके सदस्यों  लम्बी है लेकिन  जिन लोगों की हमें पुष्टि हो पाई उनमें से कुछ हैं-हरदीप सिंह (सरपंच), जगदेव सिंह (पंच), प्रेम सिंह (पंच), मलकीत सिंह, गुरनाम सिंह, राजिंदर सिंह ठेकेदार, जसविंदर सिंह, महिंद्र सिंह, अवतार सिंह, सिंह, गुरदेव सिंह, सुरिंदर सिंह, फौजी हरजीत सिंह, जसवीर सिंह (पायल), राजिंदर सिंह और सिंह इत्यादि। इन लोगों में गुप्त सहयोग करने वाले बहुत से लोग ऐसे भी हैं जो अंतर्मन से तो ठाकुर दलीप सिंह से जुड़े हुए हैं लेकिन श्री भैणी साहिब के दर्शनों को नियमित तौर पर करने के लिए ठाकुर उदय सिंह के नेतृत्व वाले नामधारी सम्प्रदाय में भी सक्रिय रहते हैं। 
अब देखना है कि नामधारी सियासत और माता चंद कौर के कत्ल की जांच क्या रुख लेते हैं। 

Tuesday, February 25, 2020

केंद्र सरकार साम्राजी शासकों जैसा व्यवहार ना करे-प्रो. जगमोहन सिंह

25th February 2020 at 4:54 PM
लुधियाना शाहीन बाग प्रदर्शन में शहीद भगत सिंह के भांजे की नसीहत
लुधियाना शाहीन बाग में शहीद भगत सिंह के भान्जे प्रोफेसर जगमोहन सिंह के साथ प्रदर्शन करते हुए लोग
लुधियाना: 25 फरवरी 2020:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
शहर में लगातार 14वें दिन जारी शाहीन बाग प्रदर्शन में गिल रोड, कोट मंगल सिंह, प्रीत नगर से डा. सिराजदीन बाली, प्रधान हाजी नूरदीन, मौलाना आसिम असगर, ईनायत खान, शमशाद, प्रधान अलताफ जोशन, मुहम्मद सलीम, मुहम्मद यासीन,हाफिज लुतफुर रहमान, मुहम्मद अनवर की अध्यक्षता में सैकड़ों महिलाऐं शामिल हुई। शाहीन बाग में आज भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सैनानी शहीद-ए-आजम स. भगत सिंह की बहन के सुपुत्र प्रो. जगमोहन सिंह खास तौर पर शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए प्रो. जगमोहन सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार को चाहिए कि वह अपने ही देश की जनता के साथ साम्राजी शासकों की तरह व्यवहार ना करें। उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र देश है यहां किसी भी विशेष धर्म के नाम पर कोई कानून नहीं बनाया जा सकता। उन्होंने कहा कि सरकार को सी.ए.ए. वापस लेना होगा, क्योंकि यह देश की सभ्यता एकता और अखंडता को तोडऩे वाला कानून है। प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने कहा कि लुधियाना की एतिहासिक धरती से प्रसिद्ध स्वतंत्रता सैनानी मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी ने हिंदू पानी मुसलमान पानी खत्म करके जो एकता का संदेश दिया था वह आज भी वैसे ही कायम है इस को कोई भी ताकत तोड़ नहीं सकती। दिल्ली में हुई घटना की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वह देश के संविधान के अनुसार काम करें ना कि अपने सियासी आकाओं को खुश करने के लिए कानून को तोड़े। 
नायब शाही इमाम मौलाना उस्मान रहमानी लुधियानवी ने बीती रात दिल्ली में हुई हिंसा की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा की दिल्ली पुलिस का दंगाइयों को पत्थर मारने की खुली छुट देना बहुत ही शर्म की बात है। उन्होंने कहा कि जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो शांति कौन बहाल करेगा। आज शाहीन बाग में पंजाबी लोक गायक सुखवंत सूखा ने देश प्रेम के गीत सुनाए। शाहीन बाग में पहुंचे श्री गुरू रविदास मन्दिर बस्ती जोधेवाल के प्रधान जिन्द्रपाल दड़ौच, चेयरमैन मेजर सिंह शीहमार, महासचिव नरिन्द्र राए बिट्टू, सीनी. वाईस प्रधान डा. राम जीत सूद, प्रचार सचिव राजिन्द्र मूलनिवासी, मैंबर दर्शन गंगड़, जसबीर लधड़, रमेश रसीला, जय सिंह बामसेफ, नसीम अंसारी, मेजर आलम, जकीया खातून, साबिर खातून, आइशा सिद्दकी ने भी संबोधन किया। 




Wednesday, February 19, 2020

ज़िंदगी के बदलाव की झलक रही सीटी यूनिवर्सिटी के किसान मेले में

उन बहादर लोगों का मेला था जिन्होंने सपने देखने की हिम्मत की 
लुधियाना: 19 फरवरी  2020: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन)::
जनजीवन तेज़ी से बदल रहा है। यह अलग बात है कि  लोग अभी इसे देख नहीं पा रहे या फिर देखने का मन नहीं बना पा रहे है। बदलाव को देखने के लिए भी एक हिम्मत की ज़रूरत होती है। इस हिम्मत को जुटाना हर किसी के बस में नहीं होता। हर एक नव निर्माण आमतौर पर पुराने का विध्वंस होने के बाद ही होता है। इस विध्वंस की सच्चाई को देखना, सहन करना और स्वीकार करना बेहद मुश्किल काम होता है। जब हम ब्रह्मा, विष्णु महेश का नाम लेते हुए सृष्टि के जन्म, पालन पोषण और फिर नाश की बातों को प्रतीकों के ज़रिये करते हैं तो वास्तव में वह यही सच्चाई होती है। हर पल सृजन भी चल रहा है--पालन-पोषण भी और विध्वंस भी। तीनों देवों  प्रयासों से ही चल रहा है यह संसार। इसके बावजूद हम न तो पुराने को भूल पाते हैं और न ही नए को स्वीकार कर पते हैं। निरंतर जारी इस बदलाव की झलक दिखाई दी सीटी यूनिवर्सिटी के एक दिवसीय किसान मेले में। यहां उन बदलावों की झलक थी जो घट तो तेज़ी से रहे हैं लेकिन फिर भी हमें पूरी तरह से दिख नहीं रहे। विध्वंस हमें अच्छा नहीं लगता न! इस लिए हम  घटित हो रहे सृजन को भी नहीं देख पाते। 
खुदकुशियां बढ़ रही हैं। तेज़ी से बढ़ रही हैं। जनजीवन का एक निराशाजनक दौर जारी है लेकिन इसके बावजूद  न तो लोगों ने सपने देखने छोड़े और न ही  इन सपनों को साकार करने के प्रयास बंद किये। इन्हीं उम्मीदों, इन्हीं सपनों और इन्हीं कोशिशों की झलक दिखा रहा था यूनिवर्सिटी का किसान मेला जो वास्तव में बदलाव की झलक दिखने वाला मेला रहा। यह किसान मेला उन उद्यमियों का मेला था जिन्होंने अपने सपने टूटते हुए देखे हैं। विपत्तिओं के पहाड़ों को खुद पर टूटते हुए देखा है। जीवन में विध्वंस के तांडव को बेहद नज़दीक से महसूस किया है। इस सब के बावजूद फिर से हिम्मत की, फिर से कोशिशें शुरू कीं और फिर खड़े हो गए सूर्य से आंख मिलाने। इन्होंने मौत के मुंह से जीवन छीन कर नयी बुलंदियां छूने का चमत्कार दिखाया है। इसका अहसास इस मेले में जगह जगह होता था।
कृषि खत्म होने की कगार पर है। यह तो अब स्पष्ट होने ही लगा है। इसके बावजूद जो लोग अभी भी डटे हुए हैं उनके लिए नए नए बीजों की शानदार किस्में लेकर आये स्टाल भी मेले में थे। इन बीजों की खासियतें उन्होंने पंजाब स्क्रीन की टीम को भी बतायीं। यह बात अलग है कि मेले में सिर्फ बीजों की बिक्री नहीं थी-बहुत कुछ और भी था।
यहां जानेमाने ट्रेक्टर भी थे बिलकुल नए मॉडलों में भी। साथ ही टायर कंपनियां भी मौजूद रहीं। कृषि से सबंधित हर तकनीक यहां उपलब्ध थी। जिन लोगों ने हालात को देखते हुए अभी से कृषि छोड़ दी है उन्होंने अपने सहायक धंधों का भी शानदार प्रदर्शन किया था। यहां गुड़ और पंजीरी के स्टाल भी थे। गुड़ भी कई किस्म का था। तिलों से मिला गुड़ और उसका तांबे जैसा रंग। स्वाद गज़ब का। शायद मैंने ऐसा गुड़ पहली बार खाया। इसी तरह पंजीरी भी थी। चार सो रूपये किलो। ड्राई फ्रूट से भरी हुई और देसी घी से बनी। इसका स्वाद भी कमाल का था। । इसी तरह शहद भी कई तरह का था खूबसूरत पैकिंग में। दावा था कि प्रोसेसिंग के दौरान इसमें चीनी नहीं मिलाई गई। टेस्ट इसका भी यादगारी रहा।
गेंहूं का जूस तो आजकल सभी लोग आवश्यक महसूस करने लगे हैं लेकिन घरों में यह समय न होने के कारण बनाना मुश्किल लगता है और बाजार में यह हर जगह नज़दीक नहीं मिलता। इसलिए भी बहुत से लोग चाह कर भी इसका सेवन हर रोज़ नहीं कर पाते। उनके लिए इस मेले में था इसका पाऊडर बेचने वाला स्टाल। कीमत थी 350/-रूपये की। वज़न था 250 ग्राम। एक पैकेट से निकलता महीना और पूरा कोर्स है कम से कम तीन महीने का। आप इसे बाद में भी जारी रख सकते हैं।
इसी तरह यूनिवर्सिटी के छात्रों ने भी अपने स्टाल लगा रखे थे। इन युवाओं ने भी तकनीकी विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया। छोटे छोटे रोबोटस, बैटरी से चलने वाली सस्ती सी कारें , खेतों में पंक्षियों को डराने के लिए आधुनिक किस्म के डिजिटल "डराने" भी थे जो कई तरह की आवाज़ों से पंक्षियों को डरा कर भगा देते हैं।
इस मेले में स्वास्थ्य को कायम रखने और बढ़ाने वाले प्रोडक्ट बेचने वाले बहुत से अन्य स्टाल भी मौजूद थे। बहुत कुछ और भी था जिसकी चर्चा अलग से की जा रही है। --रेक्टर कथूरिया

Friday, February 07, 2020

श्रीलंका के प्रधानमंत्री, महिंदा राजपक्षे नई दिल्ली पहुंचे

प्रविष्टि तिथि: 07 FEB 2020 8:07PM by PIB Delhi
वाराणसी, सारनाथ, बोधगया और तिरुपति भी जायेंगे
लुधियाना: 7 फरवरी 2020: (पंजाब स्क्रीन//पीआईबी):: 
पड़ोसी देशों के साथ सम्बन्धों को विकसित करने का सिलसिला लगातार जारी है। इसी भावना के अंतर्गत  श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को भी विशेष निमंत्रण दिया गया है। 
इसी निमंत्रण पर श्रीलंका के प्रधानमंत्री, महिंदा राजपक्षे आज शाम नई दिल्ली पहुंचे हैं। वे देश के प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर 8-11 फरवरी, 2020 तक भारत की राजकीय यात्रा पर हैं। श्रीलंका के प्रधानमंत्री के साथ एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल आया है। 8 फरवरी मुख्य कार्य दिवस है जहां पर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता करेंगे। वे देश के राष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे और सुबह भारत के विदेश मंत्री श्रीलंका के प्रधानमंत्री से मुलाकात करेंगे।
दिल्ली में अपनी आधिकारिक कार्यों को करने के बाद श्रीलंका के प्रधानमंत्री वाराणसी, सारनाथ, बोधगया और तिरुपति की यात्रा करेंगे फिर कोलंबो लौट जाएंगे। दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय यात्राओं की एक लंबी श्रृंखला रही है। राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे ने भारत की यात्रा को अपने पहले गंतव्य के रूप में चुना, जब उनके द्वारा चुनावी जीत के तुरंत बाद राष्ट्रपति का पद ग्रहण किया गया। कुल मिलाकर दोनों देशों के संबंध और भी प्रगाढ़ होंगें। इस का फायदा दोनों देशों के लोगों को भी होगा। 
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Wednesday, February 05, 2020

परम निमाणा जगा रहे हैं पुस्तक संस्कृति का जादु

खालसा कॉलेज फॉर वीमेन ने शुरू किया पुस्तक सांस्कृति अभियान 
लुधियाना: 5 फरवरी 2020: (कार्तिका सिंह की कवरेज पंजाब स्क्रीन टीम के साथ)::
पंजाब में जगह जगह नज़र आते हैं शराब के ठेके। बड़े बड़े सजावटी शोरूमों जैसे। बहुत ही सजावटी अंदाज़ में खुले हुए यह ठेके जैसे दूर से ही मदिरापान का निमंत्रण दे रहे हों। सरकारों की आमदनी बढ़ती है और कारोबारियों का कारोबार। अगर इस माहौल में कोई डूब रहा है तो वह है पंजाब। पंजाब के लोग। नशे के दरिया में डूबता हुआ पंजाब। कहीं शराब में। कहीं चिट्टे में। फिर भी मन नहीं भरता तो मौत को गले लगा कर खुदकुशियाँ करता पंजाब। अब लोग डॉक्टर या इंजीनियर बनने की बात भूल चुके। अब तो बस उनका निशाना है IELTS करके विदेश पहुंचना। पंजाब युवाओं से खाली हो रहा है। दुकानों पे कर्ज़, मकानों पे कर्ज़। बस कर्ज़ ही कर्ज़। पंजाब की मौजूदा तस्वीर बहुत ही भयानक है। इस भयावह स्थिति को महसूस किया है सिविल लाईनज़ लुधियाना में स्थित खालसा कालेज फार विमेन ने। 
इस के बावजूद कालेज ने न तो किसी सरकार की आलोचना की और न ही किसी और को गालियां निकालीं। बस बहुत ही खामोशी से पुस्तक संस्कृति का एक मूक अभियान शुरू कर दिया। अब उम्मीद भी तो केवल पुस्तकों से ही बची है। इस कालेज की पंजाबी साहित्य सभा ने प्रस्ताव रखा और प्रिंसिपल डा. मुक्ति गिल ने स्वीकृति भी दे दी। साथ ही सहयोग का वायदा भी किया। पंजाबी विभाग की प्रमुख प्रोफेसर परमजीत कौर पासी ने भी नाम सुझाया और प्रोफेसर रुपिंदरजीत कौर ने भी सक्रिय हो कर इस सारे अभियान समर्थन किया। परिणाम यादगारी एवं सुखद रहा। युवा पंजाबी शायर परम निमाणा पांच फरवरी 2020 को कालेज में थे। मकसद था पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देना। शायद पुस्तकों के शब्द दिल और दिमाग को सही रास्ते पर ला सकें।  
कुछ मिनटों के लिए परम् निमाणा ने मीडिया से भेंट की। पत्रकारों के सवालों का जवाब दिया और फिर सीधा मंच पर आ गए जहां उनके साथ रूबरू का कार्यक्रम रखा गया था। हाल में थीं प्रिंसीपल मैम डा. मुक्ति गिल और उनका स्टाफ जिन्होंने औपचारिक जान पहचान करवाई। इसके तुरंत कार्यक्रम का बाकायदा शुभारम्भ हुआ।
युवा गीतकार परम निमाणा कभी अपनी ज़िंदगी की बातें कहानी की तरह बताते हैं और कभी गीत की तरह। कभी तरन्नुम में तो कभी यूं ही सादा किस्म की बातों के अंदाज़ में। वह बताते हैं स्ट्रगल के दौरान बहुत से अपमान भी झेले। एक बार कुछ आयोजकों ने पूरा दिन मंच के पीछे खड़ा करवाए रखा इस वायदे से कि अभी बुलवाते हैं आपको लेकिन कार्यक्रम समाप्त हो गया और उनकी बारी नहीं आई। निराशा शिखर पर थी। लेकिन  परम निमाणा ने सब्र का घूँट भर लिया। इसके कुछ ही दिनों बाद आया सुनहरी अवसर जब उन्हें बहुत बड़ा सम्मान मिला। तब उन्हें समझ आया कि प्रकृति ने उन्हें छोटे कार्यक्रम में अपमानित कराया और वहां उनकी बारी नहीं आई क्यूंकि  यहाँ मेरा नाम किसी बड़े आयोजन के लिए आरक्षित सा था। प्रकृति ने मेरे लिए कुछ बेहतर ही सोच। वह बताते हैं जिसको चाहा वह नहीं मिला तो अनुमान लगाओ मन कितने कठिन दौर से गुज़र रहा होगा। इस दौर को याद करते हुए उन्होंने सतिंदर सरताज साहिब की लोकप्रिय रचना इबादत को बार बार गुनगुनाया:
इबादत कर, इबादत करन ते ही गल्ल बणदी ए!
किसे दी अज्ज  बणदी ए किसे दी कल  बणदी ए!
अब इसे अंक ज्योतिष का कोई हिस्सा समझो या कुछ और लेकिन परम निमाणा की ज़िंदगी में अंक पांच का बहुत दखल है। ज़िंदगी की बहुत सी महत्वपूर्ण घटनाएं किसी न किसी पांच तारीख को ही घटित हुईं। इस लिए अब वह हर महीने कम से कम पांच गीत अवश्य तैयार करते हैं। 
परम कहीं से भी बात शुरू करें और कहीं पर भी समाप्त करें लेकिन हर बात में वह पुस्तकों की बात अवश्य  करते हैं। वह बार बार ज़ोर देते हैं-पुस्तकों से प्रेम करो। पुस्तकें ज़रूर पढ़ो। कालेज की छात्राओं को भी उन्होंने बार बार सलाह दी कि शादी पर दहेज को इन्कार न करना बस इतनी सी शर्त रखना हमें पुस्तकों से भरी अलमारियां साथ दे दो। इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं घरों में पुस्तकों की अलमारियां ही अच्छी लगती हैं न की शराब की बोतलों से भरी अलमारियां। 
आज के गायकों और गीतकारों की बात करने पर वह कहते हैं मुझे किसी को कुछ नहीं कहना। सभी मुझसे बड़े हैं।  बहुत ज़ोर देने पर वह नए गायकों और गीतकारों को इतना ही कहते हैं यार मत करो नशे की बातें, मत करो हथियारों की बातें। पंजाब को बचा लो हम सभी का है यह पंजाब। गीत के मैयार पर चर्चा करते हुए परम निमाणा कहते हैं बस अपने लिखे या गाये गीत को सबसे पहले अपने परिवार में सभी के सामने गा के देख लो। सबने पसंद कर लिया तो बाकी समाज भी आपकी दाद देगा। बार बार उनका संदेश यही रहा-चढ़दी कला में रहो। सकारमात्मक सोचो। ऐसा  ही होगा।  कोई दुःख, कोई संकट आए तो समझो भगवान बहुत जल्द कुछ अच्छा देने वाले हैं। ज़िंदगी में कभी घबराना मत।  होता महसूस होता है तो उस समय प्रकृति ने कुछ और ही सोच रखा होता है कुछ बहुत अच्छा जो हमें तुरंत समझ नहीं आ पता। बस समय का कुछ अंतराल दे दो। अच्छे परिणाम बहुत जल्द सामने आएंगे। 
इस कार्यक्रम में छात्राओं ने सांस रोक कर परम निमाणा को सुना। बिलकुल आमने सामने।  बहुत से सवाल भी किये। कुल मिला कर यह एक यादगारी आयोजन रहा। जल्द मिलेंगे किसी ऐसी ही नई रिपोर्ट के साथ। इस आयोजन की तस्वीरें आप यहाँ क्लिक करके भी देख सकते हैं