Thursday, December 31, 2020

मेरा धर्म मुझे चुनने दो//राम पुनियानी

 26th December 2020 at 7:32 PM

     स्वतंत्रता पर चोट हैं धर्म स्वातंत्र्य कानून       

        भारत का संविधान हम सब को अपने धर्म में आस्था रखने, उसका आचरण करने और उसका प्रचार करने का हक़ देता है. यदि कोई नागरिक किसी भी धर्म का पालन करना नहीं चाहता तो इसका अधिकार भी उसे है। 

यह तस्वीर काउंटर करंट  साभार 

इन दिनों देश एक कठिन दौर से गुज़र रहा है. कोरोना महामरी का तांडव जारी है, देश की माली हालत ख़राब है।  सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगातार गिरावट आ रही है, महंगाई बढ़ रही है, बेरोजगारों की फौज बड़ी होती जा रही है और किसानों का देशव्याप्ति आन्दोलन चल रहा है. इन विषम परिस्थितियों में भी कुछ राज्य सरकारों की चिंता का सबसे बड़ा विषय है अंतर्धार्मिक विवाह और धर्मपरिवर्तन! ये सरकारें इन विषयों पर कानून बनाने में जुटी हुईं हैं। 

धर्मपरिवर्तन लम्बे समय से हमारे देश में विवाद और बहस का मुद्दा रहा है। अब उसे अंतर्धार्मिक विवाहों से जोड़ दिया गया है। यह आरोप लगाया जा रहा है कि ऐसे विवाहों का एकमात्र लक्ष्य धर्मपरिवर्तन होता है। भाजपा-शासित प्रदेश, विशेषकर उत्तर प्रदेश, धर्मपरिवर्तन करने या करवाने वालों को सजा देने के लिए कानून बना रहे हैं। हिन्दू धर्म के स्व-नियुक्त ठेकेदारों को ‘धर्म रक्षा’ के लिए ऐसे दम्पत्तियों को परेशान करने का लाइसेंस मिल गया है जिन्होंने धर्म की दीवारों को पार कर विवाह किये हैं। 

धर्मपरिवर्तन-मुख्यतः हिन्दू धर्म को छोड़कर किसी और धर्म जो अपनाने-पर बवाल खड़ा किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार ने धर्मपरिवर्तन करवाने वाली संस्थाओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया है जिसके अंतर्गत ऐसी संस्थाओं का पंजीयन रद्द हो जायेगा और उन्हें अन्य गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे। अध्यादेश के अनुसार, धर्मपरिवर्तन करने या करवाने वालों को स्थानीय प्रशासन को दो महीने पहले नोटिस देना होगा। प्रशासन को यह तय करने का अधिकार होगा कि धर्मपरिवर्तन कानूनी है या गैर-कानूनी। कहने की ज़रुरत नहीं कि यह साबित करने की ज़िम्मेदारी धर्मपरिवर्तन करने और करवाने वालों की होगी कि वे कानून के विरुद्ध कोई काम नहीं कर रहे हैं। इस अध्यादेश में एससी/एसटी व महिलाओं का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है. कई अन्य राज्य भी ‘लव जिहाद’ और धर्मपरिवर्तन के खिलाफ कानून बनाने की तैयारी में लगे हुए हैं. ऐसे अनेक मामले सामने आए हैं जिनमें विवाहित दम्पत्तियों और उनके रिशेदारों को धर्मपरिवर्तन और ‘लव जिहाद’ के नाम पर प्रताड़ित किया जा रहा है. जो कानून बनाए जा रहे हैं, उनमें से अधिकांश भारतीय संविधान के मूल प्रावधानों और उसकी आत्मा के खिलाफ हैं।    

स्वाधीनता आन्दोलन के दौरान आर्य समाज ने ‘शुद्धि आन्दोलन’ चलाया था जिसका उद्देश्य था अन्य धर्मों को अपना चुके हिन्दुओं को उनके पुराने धर्म में वापस लाना। इसी तरह, तबलीगी जमात उस समय तंजीम अभियान चला रही थी जिसका उद्देश्य लोगों को मुसलमान बनने के लिए प्रेरित करना था। 

बीसवीं सदी का सबसे बड़ा सामूहिक धर्मपरिवर्तन भीमराव अम्बेडकर के नेतृत्व में हुआ था। यह घटना हमें धर्मपरिवर्तन के असली कारणों से परिचित करवाती है। अम्बेडकर दलित थे। वे विदेश से अनेक डिग्रीयां लेकर भारत लौटे थे परन्तु फिर भी उन्हें अपमान और तिरस्कार का सामना करना पड़ा। वे अछूत ही बने रहे। उन्होंने सामाजिक न्याय और दलितों को गरिमापूर्ण जीवन का हक़ दिलवाने के लिए लम्बी लड़ाई लड़ी। अंततः वे इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि जातिगत ऊंचनीच के चलते हिन्दू कभी एक राष्ट्र नहीं बन सकते। उन्हें यह समझ में आ गया कि हिन्दू धर्म, ब्राह्मणवादी मूल्यों से संचालित और नियंत्रित है। यही कारण है कि उन्होंने कहा, “मैंने एक हिन्दू के रूप में जन्म लिया है परन्तु मैं एक हिन्दू के रूप में मरूंगा नहीं।”

उनके विशद अध्ययन ने उन्हें बौद्ध धर्म की ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने तीन लाख अनुयायियों के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया।  विधि प्राध्यापक समीना दलवाई ने अपने एक हालिया लेख में इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित किया है कि आज जो कानून बन चुके हैं उनके अंतर्गत अम्बेडकर को धर्मपरिवर्तन करवाने के लिए गिरफ्तार कर लिया जाता। हमारे संविधान के निर्माता व्यक्तिगत स्वतंत्रता के पैरोकार थे और इसमें अपनी पसंद के किसी भी धर्म का पालन के अलावा ईश्वर के अस्तित्व में विश्वास न करने की स्वतंत्रता भी शामिल है। 

यद्यपि अधिकांश लोग जिस धर्म में जन्म लेते हैं उसी में जीवन भर बने रहते हैं परन्तु अतीत में बड़ी संख्या में लोगों ने अपने धर्म बदले हैं। हमारे देश में इस्लाम, ईसाई धर्म, सिक्ख धर्म और बौद्ध धर्म का प्रसार धर्मपरिवर्तन से ही तो हुआ है. बौद्ध धर्म को तो हिन्दू धर्म के असहिष्णु तबके के हमले का शिकार भी होना पड़ा। यह तबका समानता के उस मूल्य के विरुद्ध था जिसे बौद्ध धर्म प्रतिपादित करता है। जन्म-आधारित असमानता, हिन्दू धर्म के कुछ पंथों का अविभाज्य हिस्सा है और इसे धर्मग्रंथों की स्वीकृति प्राप्त है. इस तरह का उंच-नीच कुछ अन्य धर्मों में भी कुछ हद तक है। 

आज धर्मपरिवर्तन की राह में अनेक रोड़े खड़े किये जा रहे हैं. परन्तु इतिहास गवाह है कि भारत में बड़े पैमाने पर आमजनों ने इस्लाम और ईसाई धर्म अंगीकार किया। भारत में मुख्यतः दो कारणों से धर्मपरिवर्तन हुए। पहला था, जाति-आधारित दमन। स्वामी विवेकानंद लिखते हैं, “भारत पर मुसलमानों की विजय, गरीबों और पददलितों के लिए मुक्ति बन कर आई।  यही कारण है कि हमारे देश के एक बटा पांच लोग मुसलमान बन गए। यह सब तलवार के बल पर नहीं हुआ। यह सोचना मूर्खता की पराकाष्ठा होगी कि यह सब तलवार की नोंक पर हुआ। यह...ज़मींदारों और पुरोहितों की चंगुल से मुक्ति के लिए हुआ। इसी का नतीजा यह है कि बंगाल के किसानों में हिन्दुओं से अधिक मुसलमान हैं क्योंकि यहाँ बहुत से ज़मींदार थे।” ('सिलेक्टेड वर्क्स ऑफ़ स्वामी विवेकानंद', खंड 3, 1979.

प्रोलिटेरियट! विन इक्वल राइट्स’ अद्वैत आश्रम, कलकत्ता, 1984 पृष्ठ 16 से उद्दृत).

कई मामलों में सामाजिक मेलजोल और आध्यात्मिक सत्य की खोज के चलते भी धर्मपरिवर्तन हुए। कुछ मामलों में विजेता राजाओं ने विजितों पर धर्मपरिवर्तन करने की शर्त भी लाद दी। भारत में बड़ी संख्या में लोगों ने सूफी संतों से प्रभावित होकर इस्लाम अपनाया। इसका दिलचस्प उदाहरण है एक सूफी संत से प्रभावित होकर दिलीप कुमार का ए.आर. रहमान बन जाना। 

एक अन्य कारक थीं ईसाई मिशनरियां। उन्होंने दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए काम किया। सन 1999 में पास्टर स्टेंस की धर्मपरिवर्तन करवाने के झूठे आरोप में हत्या कर दी गयी और 2008 में देश में कई स्थानों पर, जिनमें ओडिशा का कंधमाल शामिल है, ईसाई विरोधी हिंसा भड़काई गयी। परन्तु हमें यह भी समझना चाहिए कि सदियों बाद भी भारत में ईसाई कुल आबादी का 2.3 प्रतिशत ही हैं (जनगणना 2011). ज्ञातव्य है कि भारत में पहले चर्च की स्थापना सेंट थॉमस ने 52 ईस्वी में की थी। 

राजनैतिक उद्देश्यों से अन्य धर्मावलम्बियों के हिन्दू धर्म में ‘पुनर्परिवर्तन’ के अभियान भी चलते रहे हैं। आगरा में फुटपाथ पर रहने वालों को बीपीएल और राशन कार्ड का लालच देकर कहा गया था कि वे एक पूजा में आएं और घोषणा करें कि वे अब हिन्दू हैं।  गर्म पानी के झरनों में आदिवासियों के नहला कर उनकी ‘घर वापसी’ के प्रयास भी होते रहे हैं। यह इन लोगों को एक बार जातिगत पदक्रम का भाग बनाने की राजनैतिक चाल है। (अंग्रेजी से हिन्दी रूपांतरण अमरीश हरदेनिया) (लेखक आई.आई.टी. मुंबई में पढ़ाते थे और सन् 2007 के नेशनल कम्यूनल हार्मोनी एवार्ड से सम्मानित हैं.)  (लिखा गया 23 दिसंबर 2020 को)

Tuesday, December 29, 2020

संत लोंगोवाल के जन्मदिन को भाजपा करेगी विशाल रैली

   29th December 2020 at 7:44 PM   

  पंजाब और सिख सियासत में पकड़ बढ़ाने की कवायद तेज़  


लुधियाना: 29 दिसम्बर 2020: (पंजाब स्क्रीन डेस्क)::

सत्ता में आने के बाद भी भारतीय जनता पार्टी के अधिकतर  नेता और कार्यकर्ता  प्रमाद और आलस्य में नहीं पड़े। पार्टी के एजंडे और मकसद को आत्मसात करने कराने की लम्बी और अनुशासित परीक्षण भरी साधना बहुत गंभीरता से चलती रही जिसकी चर्चा मीडिया में करने से गुरेज़ किया जाता रहा। दूसरी तरफ बहुत से अन्य दलों के लोग एजंडे की तरफ न तो गंभीर हुए और न ही मीडिया में अपनी चमक दिखने का लोभ संवरण कर सके। परिणाम यह  हुआ कि भाजपा  के नेता परेड के पीछे रेक कर एजंडे को पूरा करने मं दिन रात एक करने वाले योद्धा बन गए।  भाजपा से सबंधित परिवार का बच्चा बच्चा पार्टी नीतियों पर विरोधभरी तीखी बहस करने के भी काबिल हुआ।  यह बात अलग कि यह बहस तर्क और तथ्यों से हटती हटती अक्सर आक्रामक भी हो जाती। दुसरे को हर हाल में अपनी बात ही मनवाना सबसे ज़रुरी लगने लगा। 

इस सारी तैयारी के बाद पार्टी अपने एजंडे को लेकर पहले से भी ज़्यादा मुखर भी हुई और सक्रिय भी। यही कारण है कि किसानों  को लेकर तकरीबन सारा देश एक तरफ और भाजपा एक तरफ। एनडीए में आ रही दरारें भी इस हठधर्मी को नहीं रोक सकीं। अकालीदल का गठबंधन से अलग होना भी बीजेपी के एजंडे को नहीं रोक पाया। बीजेपी का एक के बाद एक घोषित एजंडा भी पूरा होता चला गया गया और अन्य अघोषित एजंडों पर भी काम जारी रहा। 

कश्मीर में धारा 370 हटाना और राम मंदिर इनमें बीजेपी की मुख्य उपलब्धियां रहे लेकिन किसानों के मुद्दे पर अकालीदल और कांग्रेस पर लगे दोगलेपन के आरोपों के बावजूद बीजेपी की सियासत पूरी दबाव वाली नीति बना कर चलती चली जा रही है। दिल्ली में किसान और सरकार  क्या फैसला करते हैं इस तरफ भी पार्टी पूरी तरह से सतर्क है। प्रचार अभियान में किसानों की आलोचना से कभी नहीं चुके भाजपा नेता चाहे वे पार्टी के राष्ट्रिय नेता हों या फिर पंजाब या हरियाणा के नेता रहे हों। हड्डीओं को कंपा देने वाली शीत लहर में  बाहर सड़कों पर बैठे किसानों पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता तीक्ष्ण सूद ने यहां तक कह दिया कि ये किसान नहीं पिकनिक मनाते लोग हैं। इस तरह के कड़वे और झूठे भाषणों से भाजपा नेताओं की जो दूरी पंजाब  के किसानों और आम जनता के साथ लगातार बढ़ रही है वह शायद किसान धरने का  बाद भी दूर नहीं होने वाली। नेताओं को शायद बुरा कहा सुना  भूलने की आदतें रहीं हों लेकिन किसान और जाट इन्हें याद रखेंगे। 

खेती कानूनों को पारित किये जाने के बाद के बाद पैदा हुए तनाव भरे इस दौर में भी भारतीय जनता पार्टी ने किसानों के तीखे विरोध और विपक्ष के उस तरफ झुकाव के बावजूद अपने  कड़े  रुख को कभी भी नरम करने का संकेत नहीं दिया। ऐसे हालात में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से लुधियाना में एक विशाल रैली  के आयोजन  का ऐलान बहुत ही महत्वपूर्ण है। 

यह रैली दो जनवरी को की जानी है। गौरतलब है कि जून-84 के हालात की आहट अब भी जब कभी कभार सुनाई देने लगती है तो तो रौंगटे खड़े होने लगते हैं। उस बेहद संवेनदशील कार्यकाल के वक़्त चला सिख आंदोलन दो संत शख्सियतों पर केंद्रित था। इनमें से एक थे संत हरचंद सिंह लोंगोवाल जिन्हें खालिस्तान समर्थक लोग पंथ का गद्दार कहते भी हैं और मानते भी हैं।  संत  लोंगोवाल की हत्या  करने वाले हत्यारे समर्थक  इस हत्या का ज़िक्र करते वक़्त हमेशां इसे खुल कर और बहुत ही उपलब्धि के स्वर में  इसकी चर्चा करते। पंजाब समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ हस्ताक्षर करने के एक महीने के अंदर अंदर ही संत लोंगोवाल हत्या कर दी गई थी। समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे 24 जुलाई 1985 और संत लोंगोवाल की हत्या की गई थी 20 अगस्त 1985 को। 

दूसरी तरफ बहुसंख्यिक लोग संत लोंगोवाल को राष्ट्रिय शहीद कहते हैं।  पंथ दो प्रमुख खेमों में विभाजित सा  हो कर दिया गया।  एक देश भक्त गिना जाने लगा और इस तरह के दावे भी करने लगा दूसरा खुद को असली और संत समर्थकों को गद्दार कहने लगा।  यह सोच अभी तक भी जारी है। उनके संगठन, उनके अन्य मंच,  उनके चैनल सब अलग अलग हैं। 

उल्लेखनीय है कि संत लोंगोवाल की हत्या उसी दिन की गई थी जिस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीवगांधी का जन्मदिन आता है अर्थात 20 अगस्त का दिन। अब यह हत्या इत्तफ़ाक़न उसी दिन की गयी या कोई विशेष योजना या कोई ऐसी सोच थी इस पर कुछ कहना अभी उचित न होगा। संत लोंगोवाल की हत्या के बाद अकालीदल मज़बूती से राष्ट्रिय छवि बनाकर उभरा। अकालीदल की सरकार भी बनी।  संत लोंगोवाल की बरसी पर आने वालों में रामकृष्ण हेगड़े, चंद्रबाबू नायडू और  मेनका गांधी सरीखे वरिष्ठ नेता भी शामिल रहते। यह सब एक राष्ट्रिय आयोजन बन कर स्थापित हुआ। इन पंक्तियों के लेखक ने बहुत बार इस आयोजन को मीडिया कवरेज के मकसद से बेहद नज़दीक हो कर देखा सुना। 

यह सब याद आया बीजेपी का एक  प्रेस ब्यान देख कर।  भारतीय जनता पार्टी जिला लुधियाना के जिला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल की अध्यक्षता में एक बैठक सर्किट हाउस लुधियाना मै सम्पन्न हुई। भाजपा जिला अध्यक्ष  पुष्पेन्द्र सिंगल ने बैठक को संबोधित करते हुए बताया कि पंजाब भाजपा के अध्यक्ष अश्वनी शर्मा के दिशा निर्देशों के मुताबिक 2 जनवरी 2021 दिन शनिवार को भाजपा एक रैली करने जा रही है जो लुधियाना में होगी। उस दिन की तारीख  ऐलान बहुत अर्थ रखता है। 

उसी दिन अर्थात संत लोंगोवाल के जन्मदिन की तारीख लुधियाना में भाजपा रैली करने की घोषणा अभी हाल ही में सामने आई है। भाजपा जिला अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंगल ने कहा कि कांग्रेस के लुधियाना से सांसद रवनीत बिट्टू द्वारा की गई गलत बयानबाजी की लाशों के डेर लग जाएंगे के विरोध में भाजपा ने मांग की है कि सांसद रवनीत बिट्टू के खिलाफ FIR दर्ज की जाए ताकि पंजाब का माहौल खराब न हो। किसान आंदोलन के चलते हालात तो पहले से ही बेहद संवेदनशील बने हुए हैं।  ऐसे में इस रैली का आयोजन हालात को और गरमा देगा। 

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी भाजपा नेताओं नेअपनी आलोचना का निशाना बनाया। भाजपा जिला अध्यक्ष पुष्पेन्द्र सिंगल ने कहा कि कुछ रोज़ पहले  बठिंडा में भाजपा कार्यकर्ताओ पर कैप्टन सरकार की शह पर जबरन कार्यक्रम में घुसकर तोड़ फोड़ व पथराव कर भाजपा कार्यकर्ताओ पर जानलेवा हमला किया जाना ओर पुलिस को हमलावरों क साथ देते हुए देखा जाना यह साफ जाहिर करता है कि यह सब कैप्टन सरकार द्वारा प्रायोजित किया गया है। दो जनवरी को रैली का आयोजन भाजपा की तरफ से सियासी तौर पर मुनाफे का सौदा रहता लगता है। 

इस मौके पर भाजपा के ज़िला महामंत्री राम गुप्ता, कांतेंदु शर्मा, जिला उपाध्यक्ष सुनील मोदगिल, योगेंदर मकोल,अश्वनी बहल, महेश शर्मा, आर डी शर्मा, यशपाल जमोत्रा, हर्ष शर्मा, जिला सचिव नवल जैन, कैलाश चौधरी,अमित डोगरा, भूषण गोयल, मनमीत सिंह चावला, संजय गोसाई, पंकज जैन, सुमन वर्मा, तरनजीत सिंह ,  सह कशियर सुमित टंडन, प्रवक्ता नीरज वर्मा, धर्मेंद्र शर्मा, अंकित बतरा, डिंपी मक्कड़, महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष मनिंदर कौर घुम्मन, एस सी मोर्चा के जिला प्रधान कुलविंदर सिंह, ज़िला प्रैस सचिव-डॉ सतीश कुमार,  युवा मोर्चा के प्रधान कुशाग्र कश्यप, मंडल प्रधानों में जसदेव तिवारी, प्रिंस भंडारी, रोमी मल्होत्रा, तीर्थ तनेजा ,भूपिंदर राय, गुरदीप सिंह सोढ़ी,पंकज शर्मा, सुरेश अग्रवाल, केवल गर्ग क्रांति डोगरा, शिव राम गुप्ता, गुरप्रीत सिंह राजू , राजीव शर्मा, हरविंदर जॉली, हरीश शर्मा, हरीश सग्गड़, विनय मित्तल, गौरव अरोड़ा, दमन कपूर, यशपाल वर्मा, संदीप वधव, राकेश जग्गी, संजीव सचदेवा आदि प्रमुख कार्यकर्त्ता मौजूद थे।
 

Monday, December 28, 2020

कई लोग कांग्रेस पार्टी को छोड़ कर भाजपा में आने का दावा

28th December 2020 at 6:47 PM

 पवन सुरी ,गौरव भारद्वाज,गौरव वर्मा साथियों सहित BJP में शामिल 

कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में आए लोगों का स्वागत 

लुधियाना
: 28 दिसम्बर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
किसान मोर्चा से पैदा हुई दिन प्रतिदन बढ़ती जा रही है लेकिन इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी का संगठन लगातार सक्रिय है और अन्य दलों के कार्यकर्ताओं को निरंतर आकर्षित  है। नई खबर के मुताबिक   कर अब भाजपा में शामिल हुए हैं। यह दवा बीजेपी ने बाकायदा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके किया। 
भारतीय जनता पार्टी जिला क़े पूर्व जिला प्रधान डा.सुभाष वर्मा व जिला भाजपा के  सचिव कैलाश चौधरी के प्रयासों से  पवन सुरी,गौरव भारद्वाज,गौरव वर्मा कांग्रेस को अलविदा कह कर अपने साथियों सहित भाजपा में शामिल करवाया । भाजपा के जिला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल, जिला उपाध्यक्ष हर्ष शर्मा,महेश दत्त शर्मा ने सर्किट हाउस में पवन सुरी,गौरव भारद्वाज,गौरव वर्मा को  डालकर पार्टी में शामिल किया उन्होंने कहा कि आने वाले 2022 के विधासनसभा चुनावों में वह भाजपा के साथ डट कर खड़े रहेंगे। और जो जिम्मेदारी भाजपा की लीडरशिप देगी उसे पूरी तनदेही से निभाउंगा। पवन सुरी ने बताया कि वो पहले कांग्रेस के पूर्वी विधान सभा युवा कांग्रेस के उपप्रधान थे।
             भाजपा जिला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल ने स्वागत करते हुए कहा कि हम साफ सुथरी एवं ईमानदार राजनीति में विश्वास रखते हैं उन्होंने  कहा कि भाजपा देश की एकमात्र ऐसी पार्टी हैं जिसने सत्ता पाने के लिए अपनी प्रखर राष्ट्रवाद की नीति से कभी समझौता नहीं किया। इस मौके पर लुधियाना भाजपा क़े ताजपुर रोड मंडल के प्रधान गुरदीप सिंह सोढी,महामंत्री हरभनस सिंह सलूजा,भाजपा युवा मोर्चा के प्रधान कुशाग्र कश्यप, एस सी मोर्चा के प्रधान कुलविंदर सिंह और प्रैस सचिव डा. सतीश कुमार मौजूद थे।

Friday, December 25, 2020

श्री बाजपेयी की न ही तस्वीर बड़ी लगी न ही शायरी की चर्चा हुई

25th  December 2020 at 7:01 PM

 भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी के जन्मदिन पर हुए कई आयोजन 

                     भारतीय जनता युवा मोर्चा ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया                              

यह चित्र जनहित में जानकारी से साभार

लुधियाना: 25 दिसम्बर 2020: (पंजाब स्क्रीन डेस्क)::
अपने कार्यकाल में कई बार हार  कर भी बुलंदी पर रहे अटल बिहारी वाजपेयी सचमुच अटल रहे।  अटल थे और आज भी अटल हैं। उनके प्रतिद्धंदी उन्हें कभी भी आम जन के दिल और दिमाग से हटा नहीं पाएंगे। उनकी  पारदर्शिता और स्पष्टवादिता हमेशां सबसे आगे रखेगी। उनकी सत्यनिष्ठा सदैव प्रशंसित रहेगी। उनके भाषणों और उनके अंदाज़ की गरिमा कभी धुंधली न हो पायेगी। उनकी शायरी उन्हें सबसे अलग रखेगी ही। 
शायरी भी स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी की शख्सियत का एक पहलु  था। अपने स्वभाव और विनम्रता भरे जादूई अंदाज़ से विरोधियों को भी अपना बना लेने वाले वाजपेयी सचमुच विलक्षण थे।  
मौत के जिन क्षणों की कल्पना करके भी कोई डर जाए उनसे मैत्री और मधुरता का सम्बोधन हर कोई कैसे कर सकता है-- इस मधुरता निडरता  वाजपेयी साहिब का अंदाज़ देखिए ज़रा:
ठन गई
मौत से ठन गई

जूझने का मेरा इरादा न था
मोड़ पर मिलेंगे इसका वादा न था

रास्ता रोक कर वह खड़ी हो गई
यों लगा ज़िन्दगी से बड़ी हो गई

मौत की उमर क्या है? दो पल भी नहीं
ज़िन्दगी सिलसिला, आज कल की नहीं

मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ
लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ? 

तू दबे पाँव, चोरी-छिपे से न आ
सामने वार कर फिर मुझे आज़मा
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मन में संशय भी आते उन्होंने कभी इन्हें छुपाया भी नहीं। बहुत ही मधुरताऔर सलीके से इनकी बात भी की। अपनी एक और काव्य रचना "गीत नहीं गाता हूँ" में उन्होने  कहा:
गीत नहीं गाता हूँ

बेनक़ाब चेहरे हैं,
दाग़ बड़े गहरे हैं 
टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
लगी कुछ ऐसी नज़र
बिखरा शीशे सा शहर

अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ

पीठ मे छुरी सा चांद
राहू गया रेखा फांद
मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूँ
गीत नहीं गाता हूँ
इतने बड़े शायर  उसीकी पार्टी के सदस्य मनाएं और शायरी  तक न हो यह बेहद दुखद है। भारतीय जनता  पार्टी ने बेशक बहुत बड़ा आईटी सेल खड़ा कर लिया होगा लेकिन शायरी सांस्कृतिक क्षेत्र और साहित्य के मामले में लगातार कमज़ोरी जारी है।  

अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मदिन के मौके पर भारतीय जनता युवा मोर्चा ने शायरी को भूलते हुए स्वच्छ भारत अभियान चलाया। इस अभियान को केसर गंज मंडी के महाराजा अग्रसेन पार्क में चलाया गया। इस अभियान की अध्यक्षता भाजयुमो लुधियाना के  प्रधान कुशाग्र कश्यप ने की। इस मौके पर जिला भाजपा लुधियाना प्रधान पुष्पिंद्र सिंगल ने जहां अटल जी को याद किया वहीं इस मौके पर पंजाब प्रधान भानु प्रताप ने विशेष रूप से स्वच्छता में अपना योगदान दिया। कार्यकर्ताओं ने अटल जी को श्रद्धांजलि दी व उनकी कविताओं को भी सुनाया। स्वछता के संदेश को घर घर पहुंचाने के लिए युवा मोर्चा के सभी कार्यकर्ताओं का उतसाह देखने लायक था। इस मौके पर जिला भाजपा महासचिव कंतेंदु शर्मा, उप प्रधान महेश शर्मा, उप प्रधान हर्ष शर्मा, राजू बेरी, युवा मोर्चा पंजाब से नीरज जिंदल, अरुण गोयल, रवि बत्रा, हिमांशु जिंदल, अंकित सैनी युवा मोर्चा लुधियाना से ललित चौहान, दीपक जोहर, रोबिन चुघ, रोहित बत्रा, साहिल दुग्गल, नमन बंसल, अभिषेक सिंघल, करण जोशी, लव कक्कर, कन्हैया, सूरज रुद्र, दीपक गुप्ता, अमित सचदेवा, नवीन सैनी, आशीष सपरा अपने साथियों सहित स्वछता में अपना अपना योगदान देते नज़र आये। उम्मीद है भाजपा के प्रबंधक जल्द ही श्री वाजपेयी के इस  स्वरूप की भी करेंगे। भविष्य में इसी चेहरे 

अड़ियलपन में वाजपेयी के जन्मदिन का सुअवसर भी गंवाया

25th December 2020 at 4:41 PM

जन्मदिन भारत रत्न श्री वाजपेयी का-गुणगान मोदी साहिब का 

              भाजपा के सभी 25 मंडलों में हुए विशेष आयोजन:पुष्पेंद्र सिंगल              

लुधियाना: 25 दिसम्बर 2020: (पंजाब स्क्रीन डेस्क):: 


एनडीए गठबंधन के चलते पंजाब में संकट का एक ऐसा समय भी आया जब पंजाब भाजपा के कई वरिष्ठ नेता अपनी किसी विशेष मांग पर दबाव डालने के लिए अपना अपना इस्तीफा अकालीदल के वयोवृद्ध नेता मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के पास पहुँच गए। माहौल ऐसा बन गया महसूस होता था जैसे कि  कम से कम पंजाब में तो आज जह गठबंधन टूट ही जायेगा और इसका असर भी देश भर में बहुत जल्नद नज़र आने लगेगा। लेकिन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल तीखे आक्रामक रुख में आए उन भाजपा नेताओं से बहुत ही भरे मन से बोले लो मेरा इस्तीफ़ा ले जाओ और श्री वाजपेयी जी को दे दो। वह जो कहेंगे मैं मान लूंगा।  सब आक्रोश ठंडा हो गया बात आई गई हो गई। बहुत बड़ा दिख रहा संकट पलों क्षणों में ही दूर हो गया।  आज की तरह अकाली दल के अलग होने की नौबत उस आक्रामक माहौल में भी नहीं आई।  अब तो अकालीदल हर रोज़ किसान मुद्दे पर मोदी सरकार और भाजपा को खरी खोटी सुना रहा है।

यह तस्वीर हिस्ट्री इन  कलर्ज़  से साभार 
आज किसान आंदोलन के चलते जो दरारें बढ़ती जा रही हैं उन्हें रोकने के लिए स्वर्गीय प्रधानमंत्रीअटल बिहारी वाजपेयी जैसा कोई करिश्मा भी नज़र नहीं आ रहा और वयोवृद्ध अकाली नेता प्रकाश सिंह बादल भी केंद्र सरकार के राज हठ के सामने बेबस से नज़र आ रहे हैं।  किसान आंदोलन लगातार गंभीर होता जा रहा है लेकिन सत्ता उदासीन सी लगती है। क्या अम्बानी अडाणी के पैसे का जादू करोड़ों लोगों के दिमाग को बदलेगा?

इस नाज़ुक स्थिति में स्वर्गीय प्रधानमंत्री अटलबिहारीबादल को उनके जन्मदिन पर हुए अकालीदल के तेज़तर्रार नेता सुखबीर बादल ने भी पते की बात कही है। उन्होंने दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को उनकी जयंती पर याद करते हुए कहा कि मौजूदा एनडीए सरकार को श्री वाजपेयी के निर्धारित समावेशी शासन के उदाहरण सीखने की ज़रूरत इस नाज़ुक दौर में बेहद ज़्यादा है। सभी को अपने साथ लेकर चलने की जरूरत इस मौजूदा हालात में पहल्रे से कहीं ज़्यादा है। केंद्र सरकार को अपने दरवाजे पर असहनीय परिस्थिति में डेरा डाले हजारों पुरूषों, महिलाओं तथा बच्चों की पीड़ा को समाप्त करने के लिए संवेदना से काम लेते हुए कोई ठोस कार्य करना चाहिए और इसमें झूठी प्रतिष्ठा तथा अंहकार पर नहीं अड़ना चाहिए।

 आज वाजपेयी जी की छवि ज़रूरी हो गई है भाजपा को बचाने के लिए। मौजूदा दौर बेहद गंभीर है। इसे भाजपा नेता भी अंदर ही अंदर समझते हैं लेकिन खुल कर कोई बोल नहीं पा रहा है। जन्मदिन मनाया शायरी और संवेदना के महांरथी वाजपेयी  का लेकिन उस सुअवसर को भी केवल मोदी मोदी के गुणगान में बलि चढ़ा दिया। चाहिए था वाजपेयी की शायरी की चर्चा  होती। हर विचारधारा के शायर बुलाए जाते और शायरी को सहारा बना कर आम जनता और किसानों के साथ भाईचारा मज़बूत किया जाता लेकिन वह सब हर मंडल में एल ई डी की बड़ी बड़ी स्क्रीनें लगा कर दिखाई गई सियासी भाषणबाज़ी के शोर में निरथर्क कर दिया गया। न जाने भाजपा का थिंक थैंक क्या कर रहा या वह भी इतना बेबस हो गया है?

  यह तस्वीर इंडियन हिस्ट्री पिक्स से साभार
भारतीय जनता पार्टी जिला लुधियाना के जिला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल के दिशा निर्देशा अनुसार 25 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न श्री अटल बिहारी बाजपेयी का जन्मदिन लुधियाना भाजपा के सभी 25 मंडलों में मनाया गया व भाजपा के सभी 25 मंडलों में भाजपा लुधियाना के सीनियर नेताओं ने हर मंडल में श्री अटल बिहारी बाजपेयी के जीवन के बारे में प्रकाश डाला।  सभी ने श्री अटल बिहारी बाजपेयी जी के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पण कर उन्हें अपने अपने श्रद्धा सुमन भेट किये। इन मंडलों में भाजपा के सीनियर नेताओ जिनमे भाजपा पंजाब के महामंत्री जीवन गुप्ता, टिब्बा रोड मंडल में जिसके प्रधान जसदेव तिवारी, प्रभारी अमित डोगरा, भाजपा ज़िला सचिव नवल जैन, श्याम लाल फौजी, अमित रॉय कृष्ण कुमार तिवारी आदि उपस्थित रहे।

ऋषि नगर मंडल में जिला प्रधान पुष्पेंद्र सिंगल, मंडल के प्रधान प्रिंस भंडारी, प्रभारी अश्वनी बहल, जिला उपाध्यक्ष सुनील मौदगिल, किसान मोर्चा के पंजाब उपाध्यक्ष दविंदर सिंह घुम्मन, महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष मनिंदर कौर घुम्मन, एस सी मोर्चा के ज़िला प्रधान कुलविंदर सिंह, एस सी मोर्चा पंजाब के उपाध्यक्ष रवि बाली, कैलाश नगर में योगेंद्र मकोल जिसके प्रधान रोमी मल्होत्रा, ज़िला प्रेस सचिव डा.सतीश कुमार, फोकल पॉइंट मंडल में कुशाग्र कश्यप जिसके प्रधान तीर्थ तनेजा, प्रभारी नवल जैन, जमाल पुर मंडल में पवन शर्मा जिसके प्रधान भूपिंदर राय, कैलाश चौधरी मंडल प्रभारी, ताजपुरमंडल में बलबीर कमांडों जिसके प्रधान गुरदीप सिंह सोढ़ी, प्रभारी सुमित टंडन, ढाबा लोहारा मंडल में सुश्री रेनू थापर जिसके प्रधान पंकज शर्मा, प्रभारी तरनजीत सिंह, गयासपुर मंडल में नीरज वर्मा जिसके प्रधान सुरेश अग्रवाल, ढोलेवाल मंडल में सुनील मेहरा जिसके प्रधान केवल गर्ग प्रभारी आर डी शर्मा, जनता नगर मंडल में कांतेदु शर्मा जिसके मंडल प्रधान क्रांति डोगरा, प्रभारी किरण शर्मा,आतम नगर मंडल में रवि बाली जिसके प्रधान बलबीर सिंह बंटी, प्रभारी राजेश्वरी गोसाई, दुगरी नगर मंडल में अरुणेश मिश्रा जिसके प्रधान शिव राम गुप्ता, प्रभारी संदीप पूरी, किदवई नगर में यशपाल चौधरी जिसके प्रधान गुरप्रीत सिंह राजू, प्रभारी धर्मेंदर शर्मा, शिवजी नगर मंडल में सुभाष भाटिया जिसके प्रधान राजीव शर्मा, प्रभारी सुमन वर्मा, सुभानी बिल्डिंग मंडल में भाजपा पंजाब के खजांची गुरदेव शर्मा देबी जिसके प्रधान हरविंदर जॉली प्रभारी अंकित बत्रा, माधो पूरी मंडल में दिनेश सरपाल जिसके प्रधान हरीश शर्मा, प्रभारी मनमीत चावला, गुरुनानक पूरा मंडल में डिम्पी मक्कड़ जिसके प्रधान हरीश सग्गड़ प्रभारी पंकज जैन, दरेसी  मंडल में अशोक जुनेजा जिसके प्रधान विनय मित्तल प्रभारी यशपाल जनोत्रा,हैबोवाल मंडल में भूषण गयल जिसके प्रधान गौरव अरोड़ा, सलेम टाबरी मंडल में परवीन बंसल जिसके प्रधान दमन कपूर, प्रभारी महेश शर्मा, शिव पुरी मंडल में इन्दर अग्रवाल प्रधान यशपाल वर्मा, प्रभारी लकी शर्मा, एस बी एस नगर में अशोक लूम्बा जिसके प्रधान संजीव पूरी प्रभारी दीपक गोयल, घुमार मंडी में कमल चेतली जिसके प्रधान संदीप वधवा, प्रभारी हर्ष शर्मा,भारत नगर मंडल में एडवोकेट बिक्रम सिंह सिद्धू जिसके मंडल प्रधान राकेश जग्गी प्रभारी सुनील मौदगिल,अगर नगर मंडल में मदन मोहन व्यास जिसके प्रधान संजीव सचदेवा प्रभारी संजय गोसाई इसके इलावा हर मंडलों में प्रमुख कार्यकर्ताओं ने अपने अपने मंडलों में जाकर भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेंदर मोदी जी के विचारों को सुना।

                         सभी मंडलों के समस्त कार्यकर्ताओं ने उनको अपने भाव प्रेषित किए और उसके उपरांत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्र को संबोधित करते हुए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता किसानों के प्रति दोहराई और  क्रमवार एक एक शंका निवारण किया। वह "राजनीतिक विरोधियों" द्वारा किए जा रहे "दुष्प्रचार" की पोल भी खोली और हर मंडलों में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने प्रधानमंत्री जी का संबोधन LED टी वी व् बड़ी स्क्रीनों पर सुना और "किसानों के हित के लिए काम करने वाले प्रधानमंत्री" का कोटी कोटी धन्यवाद भी किया। भाजपा जिला अध्यक्ष पुष्पेंद्र सिंगल ने कहा कि आज का दिन  25 दिसम्बर सुशासन दिवस के रूप में मनाया गया।  उन्होंने कहा की पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। वे तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने। वे साल 1996 में पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने। वाजपेयी उन चुनिंदा नेताओं में से एक थे, जो बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, साथ ही उनकी दोस्ती पक्ष हो या विपक्ष हर किसी से हुई। उन्हें कभी भी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने भारतीय राजनीति में स्थायी गठबंधन की राजनीति की शुरुआत करने के लिए भी जाना जाता है! अफ़सोस कि राजहठ, अहंकार और अड़ियलपन में भाजपा ने वाजपेयी के जन्मदिन का सुअवसर भी गंवा दिया। 

Saturday, December 19, 2020

अब शिक्षा क्षेत्र भी किसान आंदोलन की तरफ

  लायलपुर खालसा कॉलेज जालंधर ने दिए किसान आंदोलन को 2. 51 लाख रूपये  


जालंधर: 19 दिसंबर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

शिक्षा क्षेत्र का बहुत बड़ा हिस्सा अब किसान आंदोलन का साथ दे रहा है। बहुत से प्रोफेसर, बहुत से छात्र और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े हुए बहुत से रिटायर्ड अधिकारी भी किसानों का समर्थन करने दिल्ली पहुंच रहे हैं। युवाओं के साथ साथ बड़ी उम्र के लोग भी भी इस राह पर सक्रिय हैं। 

जालंधर के बहुत ही पुराने और लोकप्रिय शिक्षा संस्थान लायलपुर खालसा कॉलेज ने तो दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन के लिए 2.51 लाख रुपये की सहायता भी दी है। 

इस फंड को बाकायदा एक शुभकार्य की भावना से एकत्र किया गया। शनिवार को कॉलेज के समूह टीचिंग एवं नॉन टीचिंग स्टाफ, विद्यार्थियों और पीसीसीटीयू ने साझे तौर पर 2.51 लाख रुपये की सहायता खालसा एड को सौंपी है। प्रिंसिपल डॉ. गुरपिंदर सिंह समरा ने कहा कि कॉलेज हमेशा ही समाज और देश की सेवा के लिए तैयार रहता है। विद्यार्थियों ने केंद्र सरकार से अपील की है कि अन्नदाता की आवाज सुनते हुए कृषि कानूनों को रद्द कर देना चाहिए। इस मौके पर पीसीसीटीयू के प्रधान डॉ. एसएस बैंस, सचिव डॉ. बलदेव सिंह, प्रो. गगनदीप सिंह, डॉ. सुरिंद्रपाल मंड, डॉ. पलविंदर सिंह, राणा रलहन, पीए सुरिंदर कुमार चलोत्रा मौजूद थे। इस कार्य की प्रशन्सा भी तेज़ी से हो रही है। 

Tuesday, December 15, 2020

पंजाब किसान के लिए पांच दिन का अभियान

Tuesday:15th December 2020 at 06:55 AM

पंजाबी/ सिख समुदाय 5 दिन का विरोध प्रदर्शन भी करेगा


वेन्कूवर
//सोशल मीडिया15 दिसंबर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

किसान ठिठुरती रातों में दिल्ली की सड़कों पर है। मकसद अधिकारों की रक्षा करना। मलक भागो को प्रफुल्लित करने वाली सोच का विरोध करना। सिर्फ विरोध ही नहीं जान की बाज़ी तक लगा देना। कहते हैं:

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है!

पर नहीं, ताक-ते-परवाज़ मगर रखती है!

दिल से निकली हक की इस आवाज़ ने अपना रंग दिखाया है। देश विदेश से लोग इस काफिले के साथ जुड़ते जा रहे हैं। जो खुद नहीं आ पा रहे वे अपनी अपनी जगहों किसानों का समर्थन कर रहे हैं। इस बार आई है नई काल। इस आह्वान में कहा गया है कि पांच दिन पंजाब और किसानों के नाम।

5 दिन पंजाब किसान के लिए: सेवा (निस्वार्थ सेवा) सिखी की क्रांतिकारी भावना से लेते हुए वैंकूवर पंजाबी/ सिख समुदाय 5 दिन का विरोध प्रदर्शन करेंगे। प्रत्येक विरोध पंजाब की 5 नदियों और प्रकृति के 5 तत्वों से जुड़ने के लिए सिखी के 5 में से एक थीम के आसपास केंद्र होगा जिन्हें हमारी देखभाल और ध्यान की आवश्यकता है ।

यदि आप इसके लिए स्वयंसेवक बनना चाहते हैं:

कंबल ड्राइव संपर्क करें @insaanyat (सीमित स्थान)

https://www.instagram.com/insaanyat/ 

लंगर सेवा से संपर्क करें

सामुदायिक स्वच्छ-अप संपर्क वन वॉयस कनाडा @onevoicecanada (असीमित स्थान)

Tuesday, December 08, 2020

मोहाली प्रेस क्लब ने भी किया किसानों के हक में रोष प्रदर्शन

 चंडीगढ़ के सेक्टर 17 तक किया जोशीला रोष प्रदर्शन 


मोहाली: 8 दिसंबर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 

Photo by Josh Hild of  Unsplash 
हड्डियों को कंपकंपा देने वाली शीत लहर की रातों में भी अपने अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली की सीमा पर बैठे किसानों का दर्द और उनके जज़्बात देख कर पत्रकार भी द्रवित हो उठे हैं। जिन कानूनों के कारण देश का अन्नदाता आज सड़कों पर आ गया है उनके खिलाफ रोष दिन-ब-दिन तीखा होता जा रहा है रहा है। किसानों के समर्थन में लेखक भी उठ खड़े हुए हैं, कलाकर भी, बुद्धिजीवी भी और पत्रकार भी। बहुत से पत्रकार तो दिल्ली की सीमा पर जा कर किसानों के इस ऐतिहासिक धरने का लाईव प्रसारण भी कर रहे हैं।  देश की वास्तविक राष्ट्रीयता, मानवता और अधिकारों से जुड़े इस मुद्दे पर पत्रकारों की एकजुटता आज चंडीगढ़ में भी देखने को मिली। भारत बंद के देश व्यापी आह्वान पर आज मोहाली प्रेस क्लब के सदस्यों ने आज के रोष प्रदर्शन  कर भाग लिया।   छात्र शामिल हुए, मुलाज़िम शामिल हुए, किसान संगठन शामिल हुए वहीं इसमें पत्रकार भी शामिल हुए। मोहाली प्रेस  क्लब के बैनर की अगुवाई में यह पत्रकार सेक्टर 17 तक जोशीला रोष मार्च करते भी देखे गए। 

मोहाली प्रेस क्लब के प्रधान गुरजीत सिंह बिल्ला के नेतृत्व में आयोजित इस रोष मार्च शामिल पत्रकारों ने केंद्र सर्कार के खिलाफ और किसानों के  हक में लिखे नारों की तख्तियां भी पकड़ीं थी।  मोहाली अपने कार्यालय से चल कर सेक्टर 17 चंडीगढ़ की तरफ रवाना हुआ। 

इस मार्च से पहले हुई छोटी सी रैली को सम्बोधित करते हुए क्लब के प्रधान गुरजीत सिंह बिल्ला और  महासचिव हरबंस सिंह बागड़ी ने केंद्र सरकार की तानाशाही की सख्त शब्दों में निंदा की। उन्होंने मांग भी की कि देश भर में व्याप्त जनाक्रोश को देखते हुए इन कानूनों को तुरंत निरस्त किया जाए। उन्होंने कहा की स्वतंत्र भारत में यह पहली बार है कि किसानों के समर्थन में इतना बड़ा हजूम चल पड़ा है। इसके साथ ही उन्होइने चेतावनी भी दी की यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्रमोदी अपनी ज़िद पर पर अड़े हुए हैं तो अब अन्नदाता किसान भी पीछे मुड़ने वाला नहीं है। 

इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष-गुरमीत सिंह शाही, सुखदेव सिंह पटवारी, उपाध्यक्ष-कुलदीप सिंह कुराली, कोषाधिकारी-सुखविंदर सिंह शान, राज कुमार अरोड़ा, जसविंदर रुपाल, नाहर सिंह धालीवाल, विशाल भूषण, सागर पाहवा, मंगत सैदपुरी, कृपाल सिंह, माया राम, विजय कुमार, गुरमीत सिंह रंधावा, जगविंदर सिंह, संदीप शर्मा, नीलम ठाकुर इत्यादि भी मौजूद रहे। 

Monday, December 07, 2020

सेना में भर्ती रैली का आयोजन खन्ना में शुरू

 22 दिसंबर 2020 को सम्पन्न होगी भर्ती   


लुधियाना
:07 दिसंबर 2020: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन):: 

क्षेत्रिय भर्ती मुख्यालय (पंजाब और जम्मू-कश्मीर),  जालंधर की देख रेख एंव मार्गदर्शन में सेना भर्ती कार्यालय लुधियाना द्वारा  ए एस कालेज कलाल माजरा खन्ना में सैन्य भर्ती रैली के आरम्भ  का आयोजन किया गया। इस भर्ती रैली की शुरूआत आज दिनांक 07 दिसम्बर 2020 से शुरू हो चुकी है जो 22 दिसम्बर 2020 को सम्पन्न होगी। इस भर्ती रैली में लुधियाना, मोगा, रूपनगर व एस ए एस नगर (मोहाली) जनपदों के युवक हिस्सा ले रहे है।

कोविड-19 अर्थात कोरोना महामारी के चलते कुछ समय के लिए भर्ती प्रकिया रोक दी गई थी, जो अब पूरे ऐहतियात के साथ शुरू हो रही है।  कोरोना महामारी और सर्दी के मौसम को देखते हुये भर्ती की अवधि बढ़ायी गई है तथा प्रत्येक दिन सीमित संख्या में ही प्रतिभागियों को आमंत्रित किया गया है। सावधानी के तौर पर भीड से बचने के लिए भर्ती गेट दिन के 10 बजे तक खुले रहेंगे, जिससे कैंडिडेट आसानी से भर्ती स्थल पर पहुंच जाये। भर्ती स्थल में प्रवेश से पहले सभी प्रतियोगिओं  की  थर्मल स्क्रीनिंग की जायेगी। सभी प्रार्थी अपनी तथा सहप्रतियोगिओं की सुरक्षा के लिए फेस मास्क,  हैंड  वाश तथा सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करेंगे। अभिभावकों से निवेदन है कि भर्ती रैली को सफल बनाने में सहयोग करें तथा अनावश्यक रूप से बच्चों के साथ आकर भीड़ न करें व खुद का भी COVID से बचाव करें।

भारतीय सेना आपकी प्रतिभा का सम्मान करती है। अतः अपने आप व अपनी मेहनत पर विश्वास रखें । अफवाहों व बिचौलियों से सावधान रहें । सैन्य भर्ती प्रकिया पारदर्शी व निष्पक्ष है कोई भी बिचौलिया किसी भी युवक को भर्ती नही करवा सकता, ऐसा झांसा देने वाले की जानकारी तुरंत पुलिस को दें।

इस भर्ती  रैली को क्रियान्वित करने में लुधियाना के डिप्टी कमिश्नर वीरेंद्र शर्मा व उनके सहयोगियों का तथा खन्ना के एस डी एम व उनकी टीम का बहुत बडा योगदान रहा है और प्रशासन के सहयोग की वजह से ही यह सैन्य भर्ती रैली शुरू हो पायी है।

हम विशेष तौर से आभारी है लुधियाना छावनी से आये सभी सहकर्मियो के जिनके सहयोग से हम लाभान्वित हुए है। सभी अभ्यर्थियों से निवेदन है कि वे अनुशासन बनाये रखें तथा इस अवसर का लाभ उठाते हुये भर्ती रैली में बढचढ कर हिस्सा ले और सेना में शामिल होकर देश की सुरक्षा में भागीदार बनें।

Wednesday, December 02, 2020

मिलावटी शहद के सेवन का है स्वास्थ्य पर जानलेवा प्रभाव

 खाद्य धोखाधड़ी (फूड फ्रॉड) पर CSE की ख़ास पड़ताल 


नई दिल्ली: 2 दिसंबर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::

यह तहकीकात शहद को0 शुद्धता परीक्षणों से बचाने वाले मिलावटी व्यापार का खुलासा करती है। कोविड-19 के संकट के वक्त इस मिलावटी शहद का सेवन हमारे स्वास्थ्य पर जानलेवा प्रभाव डाल रहा है।

भारत और जर्मनी की प्रयोगशाला अध्ययनों पर आधारित सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट द्वारा की गई यह गहरी पड़ताल बताती है कि भारत के सभी प्रमुख ब्रांड के शहद में जबरदस्त मिलावट की जा रही है। 77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप की मिलावट पाई गई है। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्य न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस स्पेक्ट्रोस्कोपी (एनएमआर) परीक्षण में 13 ब्रांड में सिर्फ 3 ब्रांड ही पास हुए।  

शहद के शुद्धता की जांच के लिए तय भारतीय मानकों के जरिए मिलावट को नहीं पकड़ा जा सकता, क्योंकि चीन की कंपनियां ऐसे शुगर सिरप तैयार कर रही हैं जो भारतीय जांच मानकों को आसानी से खरे उतरते हैं।  

कोविड-19 संकट के वक्त यह खाद्य धोखाधड़ी (फूड फ्रॉड) जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ है। भारतीय इस वक्त ज्यादा शहद का सेवन कर रहे हैं, क्योंकि उनका विश्वास है कि विषाणु से लड़ने के लिए यह अच्छाइयों की खान है, मसलन एंटीमाइक्रोबियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों के साथ इसमें प्रतिरक्षा (इम्यूनिटी) को बनाने की क्षमता है।  

लेकिन यदि यह शहद मिलावटी है तो असल में हम चीनी खा रहे हैं, जो मोटापा और अत्यधिक वजन की चुनौती को बढ़ाता है और जो अंततः हमें गंभीर कोविड-19 संक्रमण के जोखिम की ओर ले जाता है।  देखिये विस्तृत रिपोर्ट के कुछ अंश:

“यह खाद्य धोखाधड़ी (फूड फ्रॉड) 2003 और 2006 में हमारे द्वारा सॉफ्ट ड्रिंक में की गई मिलावट की खोजबीन से ज्यादा कुटिल और ज्यादा जटिल है। हम इस समय जानलेवा कोविड-19 के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं और इससे बचने का कोई रास्ता नहीं है, ऐसे कठिन समय में हमारे आहार में चीनी का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल (ओवरयूज) हालात को और भयावह बना देगा।“ शहद में मिलावट के भंडाफोड़ और अध्ययन को लेकर सेंटर फार साइंस एंड एनवॉयरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने यह बातें कहीं। इस अध्ययन में पाया गया है कि भारतीय बाजारों में बिक्री किए जा रहे करीब सभी शहद के ब्रांड जबरदस्त तरीके से शुगर सिरप की मिलावट वाले हैं। 

पर्यावरणविद सुनीता नारायण ने कहा कि यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि कोविड-19 के बुरे दौर में यह लोगों की सेहत से समझौता करने वाला है। हम जानते हैं कि शहद में जीवाणुरोधी (एंटीमाइक्रोबियल) और सूजन को कम करने वाले (एंटी इंफलेमेट्री) गुण होते हैं, इसलिए प्रत्येक घर वाले शहद को अच्छाइयों की खान मानकर उसका ज्यादा सेवन कर रहे हैं। हमारे शोध ने पाया है कि बाजार में बिकने वाले ज्यादातर शहद मिलावटी हैं, उनमें शुगर सिरप मिलाया गया है। इसलिए लोग शहद के बजाए अनजाने में अत्यधिक चीनी का सेवन कर रहे हैं। यह कोविड-19 के जोखिम को तो बढ़ाता ही है लेकिन शुगर का सेवन प्रत्यक्ष तौर पर मोटापे और मोटे लोगों से जुड़ा है जो उनमें जानलेवा संक्रमणों को बढ़ा देता है। 

तहकीकात में क्या पाया गया?

सीएसई के खाद्य शोधार्थियों ने भारतीय बाजार में बिकने वाले 13 शीर्ष और छोटे ब्रांड वाले प्रसंस्कृत (प्रोसेस्ड) शहद को चुना। इन ब्रांड के नमूनों को सबसे पहले गुजरात के राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) में स्थित सेंटर फॉर एनालिसिस एंड लर्निंग इन लाइवस्टॉक एंड फूड (सीएएलएफ) में जांचा गया। लगभग सभी शीर्ष ब्रांड (एपिस हिमालय छोड़कर) शुद्धता के परीक्षण में पास हो गए, जबकि कुछ छोटे ब्रांड इस परीक्षण में फेल हुए, उनमें सी3 और सी4 शुगर पाया गया, यह शुगर चावल और गन्ने के हैं। 

लेकिन जब इन्हीं ब्रांड्स को न्यूक्लियर मैग्नेटिक रेजोनेंस (एनएमआर) परीक्षण पर परखा गया तो लगभग सभी ब्रांड के नमूने फेल पाए गए। एनएमआर परीक्षण वैश्विक स्तर पर मोडिफाई शुगर सिरप को जांचने के लिए प्रयोग किया जाता है। 13 ब्रांड परीक्षणों में सिर्फ 3 ही एनएमआर परीक्षण में पास हो पाए। इन्हें जर्मनी की विशेष प्रयोगशाला में जांचा गया था। 

सीएसई के फूड सेफ्टी एंड टॉक्सिन टीम के कार्यक्रम निदेशक अमित खुराना ने कहा कि हमने जो भी पाया वह चौंकाने वाला था। यह दर्शाता है कि मिलावट का व्यापार कितना विकसित है जो खाद्य मिलावट को भारत में होने वाले परीक्षणों से आसानी से बचा लेता है। हमारी चिंता सिर्फ इतनी भर नहीं है कि जो शहद हम खाते हैं वह मिलावटी है लेकिन यह चिंता इस बात को लेकर है कि इस मिलावट को पकड़ पाना बेहद जटिल और कठिनाई भरा है। हमने पाया कि शुगर सिरप इस तरह से डिजाइन किए जा रहे कि उनके तत्वों को पहचाना ही न जा सके। 

खोज में यह तथ्य मिले

77 फीसदी नमूनों में शुगर सिरप के साथ अन्य मिलावट पाए गए

कुल जांचे गए 22 नमूनों में केवल पांच ही सभी परीक्षण में पास हुए

शहद के प्रमुख ब्रांड्स जैसे डाबर, पतंजलि, बैद्यनाथ, झंडु, हितकारी और एपिस हिमालय, सभी एनएमआर टेस्ट में फेल पाए गए

13 ब्रांड्स में से सिर्फ 3 – सफोला, मार्कफेड सोहना और नेचर्स नेक्टर, सभी परीक्षणों में पास पाए गए 

भारत से निर्यात किए जाने शहद का एनएमआर परीक्षण 1 अगस्त, 2020 से अनिवार्य कर दिया गया है, जो यह बताता है कि भारत सरकार इस मिलावटी व्यापार के बारे में जानती थी, इसलिए उसे अधिक आधुनिक परीक्षणों की आवश्यकता पड़ी। 

चीन से जुड़े तार और कैसे हमने इस “शहद घोटाले (हनीगेट)” को पकड़ा 

बीते वर्ष भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने आयातकों और राज्य के खाद्य आयुक्तों को बताया था कि देश में आयात किया जा रहे गोल्डन सिरप, इनवर्ट शुगर सिरप और राइस सिरप का इस्तेमाल शहद में मिलावट के लिए किया जा रहा है। 

अमित खुराना ने कहा कि यह अब भी अस्पष्ट है कि खाद्य नियामक वास्तविकता में इस काले कारोबार के बारे में कितना जानता है। वह कहते हैं कि एफएसएसएआई के निर्देश में जिन सिरप के बारे में कहा गया है, वे उन नामों से आयात नहीं किए जाते हैं या इनसे मिलावट की बात साबित नहीं होती। इसकी बजाए चीन की कंपनियां फ्रुक्टोज के रूप में इस सिरप को भारत में भेजती हैं। एफएसएसएआई ने यह निर्देश क्यों दिया? हमें यह निश्चित तौर पर नहीं मालूम? 

सीएसई ने अलीबाबा जैसे चीन के व्यापारिक पोर्टल्स की छानबीन की जो अपने विज्ञापनों में दावा करते हैं कि उनका फ्रुक्टोज सिरप भारतीय परीक्षणों को बाईपास कर सकता है। यह भी पाया गया कि वही चीन की कंपनी जो फ्रुक्टोज सिरप का प्रचार कर रही थी, वह यह भी बता रही थी कि यह सिरप सी3 और सी4 परीक्षणों को बाईपास कर सकते हैं और इनका निर्यात भारत को किया जाता है। सीएसई ने इस मामले में और जानकारी हासिल करने के लिए एक अंडरकवर ऑपरेशन चलाया।  

खुराना ने बताया कि चीन की कंपनियों को ईमेल भेजे गए और उनसे अनुरोध किया गया कि वे ऐसे सिरप भेजें, जो भारत में परीक्षणों में पास हो जाएं। उनकी ओर से भेजे गए जवाब में हमें बताया गया कि सिरप उपलब्ध हैं और उन्हें भारत भेजा जा सकता है। चीन की कंपनियों ने सीएसई को सूचित किया कि यदि शहद में इस सिरप की 50 से 80 फीसदी तक मिलावट की जाएगी तो भी वे परीक्षणों में पास हो जाएंगी। परीक्षण को बाईपास करने वाले सिरप के नमूने को चीनी कंपनी ने पेंट पिगमेंट के तौर पर कस्टम्स के जरिए भेजा। 

सीएसई ने उत्तराखंड के जसपुर में उस फैक्ट्री को भी खोजा जो मिलावट के लिए सिरप बनाती है, वे  सिरप के लिए “ऑल पास” कोडवर्ड का इस्तेमाल करते हैं। सीएसई के शोधार्थियों ने उनसे संपर्क किया और सैंपल खरीदा। यह समझने के लिए कि क्या यह शुगर सिरप प्रयोगशाला परीक्षण से पास हो सकते हैं, सीएसई ने शुद्ध शहद में इन्हें मिलाया। परीक्षणों में पता चला कि 25 फीसदी और 50 फीसदी शुगर सिरप वाले मिलावटी नमूने पास हो गए। इस तरह हमने यह सुनिश्चित किया कि शुगर सिरप एफएसएसएआई के शहद मानकों को बाईपास कर सकते हैं। 

सीएसई क्या कहता है ?

सुनीता नारायण ने कहा कि इस समय हमने मिलावट के कारोबार का खुलासा कर दिया है। हम सरकार, उद्योग और उपभोक्ताओं से ये चाहते हैं: 

चीन से सिरप और शहद का आयात बंद किया जाए

भारत में सार्वजनिक परीक्षण का सुदृढ़ीकरण किया जाए, ताकि कंपनियों को जिम्मेदार ठहराया जा सके। सरकार को एनएमआर जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करके नमूनों का परीक्षण करना चाहिए और यह जानकारी सार्वजनिक करना चाहिए, ताकि उपभोक्ता जागरूक हों और हमारे स्वास्थ्य से समझौता न हो। यह कंपनियों को भी जिम्मेदार ठहराएगा।

शहद मधुमक्खी पालकों या छत्तों से लिया गया है, सभी शहद बेचने वाली कंपनियों को इसका खुलासा करना चाहिए 

सुनीता नारायण ने कहा कि हमें बतौर उपभोक्ता शहद के बारे में और अधिक जागरूक होना चाहिए जो हम इसकी अच्छाई के लिए खाते हैं। उदाहरण के लिए, हम अक्सर मानते हैं कि यदि शहद क्रिस्टलीकृत होता है तो यह शहद नहीं है। यह सही नहीं है। हमें शहद के स्वाद, गंध और रंग को सीखना शुरू करना चाहिए जो कि प्राकृतिक है। 

नारायण ने कहा कि हम अधिक शहद का उपभोग कर रहे हैं ताकि महामारी से लड़ सकें। लेकिन शुगर की मिलावट वाला शहद हमें बेहतर नहीं बना रहा है। असल में यह हमें और खतरे में डाल रहा है। वहीं दूसरी तरफ हमें और अधिक चिंतित होना चाहिए क्योंकि मधुमक्खियों को खोकर हम अपनी खाद्य प्रणाली को खत्म कर देंगे। यह मधुमक्खियां परागण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, यदि शहद में मिलावट होगी तो हम सिर्फ अपनी सेहत नहीं खोएंगे, बल्कि हमारी कृषि की उत्पादकता भी खो देंगे। 


Tuesday, November 24, 2020

रेलों की बहाली एक बहुत बड़ा शुभ शगुन-उद्योगपति

 24th November 2020 at 7:22 PM

 पंजाब के उत्पादन और आर्थिकता को फिर मिलेगा तेज़ी से बढ़ावा 


लुधियाना: 24 नवंबर 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 

60 दिन अर्थात दो महीनों के लम्बे अंतराल के बाद रेलों के फिर शुरू होने पर पंजाब में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है।  यूं लगने लगा है जैसे ज़िंदगी फिर से पटरी पर आ गई हो। थमी थमी सी ज़िंदगी फिर लौट आई लगती है। आज़ाद भारत में लोगों ने रेल पटरियों पर से रेलों की इतनी लम्बी गैर मौजूदगी किसी आंदोलन के चलते कभी नहीं देखी थी। 

पंजाब राज्य में लगभग दो महीने बाद यात्री और माल ढुलाई वाली रेल गाडिय़ाँ चलने की शुरुआत होने के उपरांत जिले के प्रसिद्ध उद्योगपतियों द्वारा आज रेल गाडिय़ों की शुरुआत की सराहना करते हुये कहा कि यह पंजाब के उत्पादन को बढ़ाने और आर्थिकता को बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध होंगी।
उत्तरी भारत इंडकशन फरनेस एसोसिएशन के प्रधान श्री के.के. गर्ग ने प्रैस कान्फ्ऱेंस के द्वारा मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह का निजी तौर पर केंद्र सरकार के पास मुद्दा उठाने के लिए धन्यवाद किया। इस मौके पर उनके साथ उद्योगपति श्री हरीश दूआ, श्री हरीश सिंगला, श्री देव गुप्ता और स. कुलवंत सिंह भी उपस्थित थे।
उद्योगपतियों ने कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से पंजाब की बेहतरी के लिए की गई अपील को स्वीकृत करने के लिए केंद्र और किसानों का भी धन्यवाद किया।
श्री गर्ग ने कहा कि कोरोना महामारी के कारणकारोबार बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और अब वह खुश हैं कि रेल सेवाएं फिर शुरू होने से उनको कच्चा माल मिलेगा और उत्पादन को भी बढ़ावा मिलेगा।
उन्होंने कहा कि रेल गाडिय़ाँ अभी शुरू ही हुई हैं और स्टील, स्क्रैप और अन्य कच्चे माल की कीमतें पहले ही घटनी शुरू हो गई हैं, जो उद्योगों के लिए बड़ी राहत है।
उद्योगपतियों ने कहा कि रेलवे यातायात फिर शुरू होने से छठ पूजा के लिए अपने घरों के लिए गई लेबर वापिस आ सकती है, जिससे उद्योगपतियों को लेबर की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा। उल्लेखनीय कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों आंदोलन सक्रिय साथ दिया वहीं केंद्र सरकार के साथ भी रेलों को चलने के लिए दबाव बनाने के मकसद को सामने रखते हुए दबाव बनाए रखा। उन्हीं  प्रयासों का परिणाम है कि रेलें फिर बहाल हो सकीं हैं। इसका फायदा किसानों को भी होगा। 
कृपया रेल स्क्रीन में भी देखिये। 

Friday, November 20, 2020

महामारी लम्बी खिंचने से एक पूरी पीढ़ी के भविष्य पर जोखिम

 19 नवंबर 2020//स्वास्थ्य

UNICEF//तुर्की की राजधानी इस्ताम्बूल में कोविड-19 महामारी के दौरान एक 7 वर्षीय बच्चा खिड़की से बाहर देखते हुए. स्कूल बन्द होने, स्वास्थ्य व पोषण सेवाओं में व्यवधान होने के कारण दुनिया भर में करोड़ों बच्चे प्रभावित हुए हैं.

यूनीसेफ़ ने 20 नवम्बर को मनाए जाने वाले विश्व बाल दिवस के अवसर पर गुरूवार को जारी एक रिपोर्ट में दर्शाया है कि कोरोनावायरस महामारी के बच्चों पर कितने घातक व बढ़ते प्रभाव हो रहे हैं जबकि महामारी दूसरे वर्ष में भी दाख़िल होने के कगार पर है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष यूनीसेफ़ ने कहा है कि कोविड-19 महामारी से संक्रमित होने वाले बच्चों में लक्षण तो मामूली ही नज़र आ रहे हैं, लेकिन संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं, साथ ही उनकी शिक्षा और पोषण पर भी दीर्घकालीन प्रभाव बढ़ रहा है, और युवाओं की एक पूरी पीढ़ी का स्वास्थ्य व रहन-सहन उनके पूरे जीवन को ही बदल देने वाला होने की आशंका है. 

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हेनरिएटा फ़ोर ने कहा है, “कोविड-19 के दौरान पूरे समय ये ग़लत सोच बनी रही कि बच्चे इस महामारी से बहुत कम प्रभावित होंगे. ये सोच या ख़याल, कोरा झूठ होने के सिवाय कुछ नहीं हो सकता.”

“बच्चे भी बीमार हो सकते हैं, और उनसे भी बीमारी फैल सकती है, ये महामारी के विशालकाय आकार का केवल एक पक्ष है.

बुनियादी सेवाओं में व्यवधान और बढ़ती ग़रीबी के कारण बच्चों के लिये सबसे ज़्यादा जोखिम पैदा हो रहा है. जितने लम्बे समय तक ये महामारी रहेगी, उतना ही ज़्यादा असर बच्चों कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और उनके रहन सहन पर पड़ेगा. एक पूरी पीढ़ी के भविष्य पर ख़तरा मंडरा रहा है.”

पीढ़ी को बचाना होगा  

यूनीसेफ़ ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है कि 3 नवम्बर तक उपलब्ध आँकड़ों के अनुसार 87 देशों में, 20 वर्ष से कम उम्र के युवाओं व किशोरों में हर 9 में से 1 को कोविड का संक्रमण था. या यूँ कहें कि उन देशों में ये संक्रमण 11 प्रतिशत था. 

यूनीसेफ़ का कहना है कि वैसे तो कोरोनावायरस बच्चों से एक दूसरे में और ज़्यादा उम्र वाले लोगों में भी फैल सकता है, लेकिन ऐसे मज़बूत सबूत भी हैं कि अगर पुख़्ता सुरक्षा और ऐहतियाती उपायों के साथ स्कूल खुले रखे जाएँ तो बन्द रखने के मुक़ाबले ज़्यादा लाभ हैं.

संगठन ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि सामुदायिक संक्रमण के फैलाव के मुख्य कारण स्कूल नहीं है, और बच्चों में संक्रमण स्कूलों से बाहर के स्थानों से वायरस फैलने की ज़्यादा सम्भावना है.

चिन्ताजनक तथ्य

साथ ही, 140 देशों में किये गए सर्वेक्षण से मिले आँकड़ों का इस्तेमाल करके रिपोर्ट में दर्शाया गया है कि बच्चों के लिये ज़रूरी स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक सेवाओं में आए व्यवधान के कारण बच्चों के लिये सर्वाधिक गम्भीर जोखिम पैदा हो गया है.

कम से कम एक तिहाई देशों में स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता व दायरे में 10 प्रतिशत तक की गिरावट आई है, इनमें टीकाकरण और मरीज़ों को दैनिक स्तर पर मिलने वाली बाहरकी स्वास्थ्य सेवाएँ भी शामिल हैं.

महिलाओं व बच्चों के लिये पोषण सेवाओं का दायरा भी कम हुआ है, जिनमें स्कूलों में मिलने वाला भोजन व विटामिन और अन्य पोषक पदार्थ भी शामिल हैं क्योंकि सामाजिक सेवाएँ मुहैया कराने वाले अधिकारियों की बच्चों के घरों के दौरे कम हुए हैं.

© UNICEF/Everett//केनया के नैरोबी शहर में 11 साल का बच्चा अपनी कक्षा 6 की पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन करते हुए, घर पर पढ़ाई कर रहा है. वह ऑनलाइन शिक्षा नहीं ले सकता क्योंकि उसके परिवार के पास कोई मोबाइल फोन नहीं है

वैश्विक स्तर पर, लगभग 57 करोड़ बच्चे, यानि दुनिया भर में स्कूली शिक्षा के लिये पंजीकृत बच्चें की लगभग 33 प्रतिशत संख्या, 30 देशों में स्कूल बन्द होने से प्रभावित हुए हैं.

ये आँकड़े नवम्बर 2020 के हैं. बहुपक्षीय ग़रीबी में रहने वाले बच्चों की संख्या अनुमानतः 15 प्रतिशत बढ़ गई है.

बच्चों की ज़रूरतों को प्राथमिकता

रिपोर्ट में चिन्ताजनक जानकारी सामने आने के सन्दर्भ में यूनीसेफ़ ने तमाम देशों की सरकारों और साझीदारों का आहवान किया है कि वो कोविड-19 संकट का सामना करने के लिये ठोस कार्रवाई करें.

यूएन एजेंसी ने ऐसे हालात सुनिश्चित किये जाने का आहवान किया है जिसमें सभी बच्चों की शिक्षा जारी रह सके, और डिजिटल खाई भी पाटने का आहवान किया गया है. संगठन ने देशों से बच्चों व परिवारों को पोषण, पीने का साफ़ व सुरक्षित पानी के साथ-साथ, स्वास्थ, स्वच्छता और साफ़-सफ़ाई सेवाएँ भी सुनिश्चित करने की पुकार लगाई है. टीकाकरण भी हर बच्चे को किफ़ायती बनाने के साथ-साथ आसानी से उपलब्ध कराने का भी आहवान किया गया है.

इन सबके साथ, सभी बच्चों व किशोरों को मानसिक स्वास्थ्य सुविधा, और हिंसा व नज़रअन्दाज़ किये जाने के माहौल से बचाने की भी माँग की गई है. संघर्षों, आपदाओं व विस्थापन के हालात में जीने वाले परिवारों और बच्चों को भी सहायता में बढ़ोत्तरी किये जाने का आहवान किया गया है.

यूनीसेफ़ ने बच्चों में ग़रीबी को पलटने की ज़रूरत पर ध्यान दिलाते हुए, महामारी से उबरने में सभी को साथ लेकर चलने का आहवान किया गया है.

यूनीसेफ़ की कार्यकारी निदेशक हैनरिएटा फ़ोर ने कहा है, “इस वर्ष विश्व बाल दिवस पर, हमने देशों की सरकारों और साझीदारों के साथ-साथ निजी सैक्टर से बच्चों और उनकी ज़रूरतों को प्राथमिकताओं पर रखने को कहा है.”

“ऐसे में जबकि हम सभी अपने भविष्य के बारे में फिर से सोच-विचार कर रहे हैं और महामारी से मुक्त विश्व की तरफ़ देख रहे हैं, बच्चे सर्वोच्च प्राथमिकता पर होने चाहिये.




Sunday, November 15, 2020

बाबा विश्वकर्मा जी सृष्टि के श्रेष्ठ निर्माता-सुंदर शाम अरोड़ा

 15th November 2020 at 6:44 PM

समाज के हरेक वर्ग को बाबा विश्वकर्मा की सोच पर चलने का न्योता


लुधियाना
: 15 नवंबर 2020: (कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन)::

पंजाब के उद्योग एवं वाणिज्य मंत्री श्री सुन्दर शाम अरोड़ा ने कहा कि ‘श्रम के देवता’ के तौर पर जाने जाते बाबा विश्वकर्मा जी पूरे ब्रह्मांड (सृष्टि) के श्रेष्ठ निर्माता हैं, जिनको उद्योग में कामगारों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली मशीनरी और यंत्रों का मालिक माना जाता है।

यह बात उन्होंने आज विश्वकर्मा दिवस के मौके पर स्थानीय मिलर गंज के विश्वकर्मा भवन में करवाए गए राज्य स्तरीय समागम के दौरान जलसे को संबोधन करते हुए कही। इस मौके पर उन्होंने विश्वकर्मा मंदिर की इमारत के निर्माण के लिए 11 लाख रुपए का अनुदान देने का ऐलान भी किया।

उन्होंने कहा कि किसी भी राज्य या क्षेत्र का औद्योगिक विकास तभी संभव है, यदि वहां उद्योग को विकसित करने के लिए बाबा विश्वकर्मा जी की सोच को लागू किया जाए और उद्योग में काम करने वाले कामगारों को बनता सत्कार और मेहनत का मूल्य मिले। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार जहाँ उद्योग के विकास के लिए प्रयास कर रही है, वहीं मज़दूर और हरेक वर्ग के लोगों के कल्याण के लिए काम कर रही है।

श्री सुन्दर शाम अरोड़ा ने अपील करते हुए कहा कि बाबा विश्वकर्मा जी द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए राज्य भर में कौशल प्रशिक्षण को प्रोत्साहित करना बाबा विश्वकर्मा जी को सच्ची श्रद्धाँजलि होगी, जोकि हमेशा कारीगरों, मज़दूरों और मज़दूर जमात को पूरी लगन और वचनबद्धता के साथ सख़्त मेहनत करने के लिए प्रेरित करते हैं।

इस मौके पर पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए श्री अरोड़ा ने केंद्र सरकार को रेल सेवा शुरू करने की अपील करते हुए कहा कि मालगाड़ीयाँ न चलने के कारण पंजाब के उद्योग को भारी नुकसान बर्दाश्त करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि मालगाड़ीयों के न चलने के कारण अकेले लुधियाना और जालंधर के उद्योगों को 22,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि ढंडारी ड्राई पोर्ट पर भी 13,500 से अधिक कंटेनर पड़े हैं जिनको देश के अन्य हिस्सों में भेजा नहीं जा सका।

विधायक श्री राकेश पांडे और श्री सुरिन्दर डावर ने लोगों को, खासकर पंजाबी नौजवानों से अपील की कि वह भगवान विश्वकर्मा जी के संदेश के अनुसार अपने पेशे से संबंधित कौशल को बेहतर बनाने के लिए आधुनिक तकनीक और राज्य सरकार की कोशिशों के साथ पैदा की नई नौकरियों के मौकों का लाभ उठाएं।

पंजाब राज्य मध्यम उद्योग विकास निगम के चेयरमैन श्री अमरजीत सिंह टिक्का ने राज्य सरकार को विश्वकर्मा भवन के निर्माण के लिए प्रबंधक कमेटी की सहायता करने की अपील की। उन्होंने विश्वकर्मा दिवस के राज्य स्तरीय समागम के लिए इस ऐतिहासिक विश्वकर्मा मंदिर की चयन करने के लिए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह का धन्यवाद भी किया।

इस मौके पर विश्वकर्मा भवन कमेटी द्वारा प्रसिद्ध उद्योगपति श्री बलजिन्दर सिंह कलसी, श्री सुरिन्दर सिंह रियात, श्री रघबीर सिंह सोहल, डा. अवतार सिंह खहरे, श्री हरविन्दर सिंह चग्गड़, श्री जगदीश सिंह कुलार, श्री जसमेर सिंह, निर्मलजीत सिंह, श्री दर्शन सिंह लोटे, कश्मीर सिंह, श्री दिनेश सिंह भोगल, श्री अमृतपाल सिंह क्रिस्टल, सुरजीत सिंह चग्गर को विश्वकर्मा अवॉर्ड से सम्मानित किया और इसके अलावा जरूरतमंद औरतों को सिलाई मशीनें भी बाँटी गई। इस मौके पर उपस्थित प्रमुख शख्सियतों में पी.एस.आई.डी.सी. के चेयरमैन श्री केके बावा, पी.एस.आई.ई.सी. के चेयरमैन श्री गुरप्रीत सिंह बस्सी, पी.एल.आई.डी.बी. के सीनियर वाइस चेयरमैन श्री रमेश जोशी, मेयर श्री बलकार सिंह संधू, डिप्टी मेयर श्री शाम सुंदर मल्होत्रा, बैंकफिंको के उप-चेयरमैन मुहम्मद गुलाब, डी.सी.सी. लुधियाना, शहरी प्रधान श्री अश्वनी शर्मा, मंदिर समिति के प्रधान श्री रणजीत कुमार सलह और अन्य शामिल थे।