Monday, December 30, 2019

पंजाब में CAA और NRC लागू न करने के एलान का स्वागत

Monday: 30th December 2019 at 4:51 PM
नायब शाही इमाम ने यूपी सरकार के खिलाफ कैप्टन को सौंपा ज्ञापन
महाराजा कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री पंजाब को ज्ञापन देते हुए नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी व अन्य
लुधियाना: 30 दिसम्बर 2019: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
पंजाब का मुस्लिम समाज सिटिज़न एमेंडमेंट एक्ट (CAA) और नैशनल रजिस्टर आफ सिटिज़न्ज़ (NRC) खिलाफ सरगर्मियां दिखा रहा है। शहर में CAA और NRC के खिलाफ रेकार्ड तोड़ प्रदर्शन, मार्च और बैठकों के बाद अब 3 जनवरी को पंजाब बंद का एलान  अब केंद्र सरकार के इस कानून  खिलाफ विरोध का बहुत बड़ा रूप  बन कर उभरने वाला है। इस बंद के लिए सियासी दलों और गैरमुस्लिम संगठनों सहयोग लेने के प्रयास ज़ोरों हैं। उम्मीद है CAA और NRC के सभी विरोधी इस बंद में शामल होंगें।  
आज यहां लुधियाना में मुख्यमंत्री पंजाब के आने पर मुसलमानों ने पंजाब के दीनी मरकज जामा मस्जिद लुधियाना की तरफ से नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान लुधियानवी ने मुख्यमंत्री पंजाब श्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को ज्ञापन सौंपा। नायब शाही इमाम ने बताया कि प्रदेश के सभी अल्पसंख्यकों की ओर से महाराजा साहिब का सी.ए.ए और एन.आर.सी. पंजाब में लागू ना करने के ऐलान पर आभार जताया और भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी के नाम एक ज्ञापन देते हुए मांग की कि पंजाब के अल्पसंक्यकों की इन बातों को राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रपति जी को अवगत करवाया जाए। नायब शाही इमाम  मौलाना उस्मान लुधियानवी ने महाराजा अमरिंदर सिंह को उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा किए गए अत्याचारों को बताते हुए कहा कि भाजपा सरकार द्वारा की जा रही लोकतंत्र की हत्या के खिलाफ आवाज उठाई जाए। मौलाना उस्मान ने कहा कि पंजाब से इस काले कानून के खिलाफ मुख्यमंत्री साहिब और सभी लोगों ने जो सच्चाई की आवाज उठाई है उसे सारे देश को लगाना होगा। उन्होंने कहा कि देश के सभी नागरिक हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई जाग चुके हैं क्योंकि यह बात सब को समझ आ गई है कि केंद्र सरकार एन.आर. सी. के नाम पर हर एक भारत के नागरिक को लाईन में लगाना चाहती है। एक सवाल का उत्तर देते हुए नायब शाही इमाम ने बताया कि मुख्मंत्री पंजाब श्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने आश्वासन दिया है कि पंजाब सहित देश भर में ना सिर्फ अल्पसंख्यकों बल्कि हर एक भारतीय के आत्म सम्मान की रक्षा की जाएगी। 

Sunday, December 29, 2019

पंजाब भर में 3 जनवरी को होगा काला दिवस:शाही इमाम

Dec 29, 2019, 5:19 PM  
CAA और U.P. पुलिस की गुंडागर्डी हरगिज बर्दाश्त नहीं की जाएगी
पंजाब भर से आए मुस्लिम प्रतिनिधियों के साथ प्रैस वार्ता करते शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान
लुधियाना: 29 दिसम्बर 2019: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
आज यहां ऐतिहासिक जामा मस्जिद लुधियाना में शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी की अध्यक्षता में राज्य के सभी शहरों की मस्जिदों के इमाम साहिबान, मुफ्ती साहिबान ,मुस्लिम संस्थाओं के सदस्यों, मुस्लिम बुद्धिजीवी , मुस्लिम सामाजिक व सियासी नेताओं की महत्वपूर्ण मीटिंग हुई। इस अवसर पर केंद्र सरकार की तरफ से नागरिकता कानून में किए गए संशोधन की निंदा करते हुए जहां इस काले कानून को रद्द करने कि मांग की गई, वहीं उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक पुलिस की तरफ से शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर किए गए अत्याचार की कड़े शब्दों में निंदा की गई। बैठक में सर्वसहमती से यह प्रस्ताव पारित किया गया कि केंद्र की भाजपा सरकार की धर्म के आधार पर बांटने कि नीति और उत्तर प्रदेश पुलिस की बर्बरता के खिलाफ 3 जनवरी को पंजाब भर में काला दिवस मनाया जाएगा। इस दिन सभी लोग कली पट्टी बांध कर जुम्मा की नमाज अदा करेंगे और फिर रोष प्रदर्शन में काले झंडे लिए अपने अपने जिला अधिकारी को माननीय भारत के राष्ट्रपति महोदय के नाम ज्ञापन देंगे। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कहा कि काले कानून का देशव्यापी विरोध जारी रहेगा, क्योंकि भारत का संविधान धर्म निरपेक्ष है और हम किसी कीमत पर अपने देश के दस्तूर को बदलने नहीं देंगे। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि भाजपा शासित राज्यों और खास कर उत्तर प्रदेश में राज्य पुलिस ने जो गुंडागर्दी का नंगा नाच किया है उस से इंसानियत का सिर शर्म से झुक गया है व जनरल डायर जैसे ज़ालिम की रूह भी शर्मा गई होगी। योगी की पुलिस ने ना सिर्फ शांति पूर्वक प्रदर्शन कर रहे लोगों पर लाठीचार्ज किया बल्कि अंधा धुंध गोलियां चलाईं और मुसलमानों को पाकिस्तान जाने की खुले आम धमकियां भी दी। शाही इमाम ने कहा कि हैरत कि बात है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र भाई मोदी जी और मुख्यमंत्री योगी को पुलिस का अत्याचार नजर नहीं आया उल्टा राजनेता प्रदर्शनकारियों को उपद्रवी बता कर जुल्म करने वालों को हरी झंडी दे रहे हैं। शाही इमाम ने कहा कि नेशनल इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जमीनी हकीकत नहीं दिखा पा रहा है सरकार बार-बार प्रेस को दिशानिर्देश देकर प्रेस की आजादी पर पहरा बिठा रही है जो कि निंदनीय है। उन्होंने कहा कि कितनी शर्म की बात है कि सत्ता में बैठे लोगों को अपना बनाया गलत कानून सही सिद्ध करने के लिए रैलियां करनी पड़ती है। शाही इमाम ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं की उत्तर प्रदेश समेत उन सभी राज्य के पुलिस अफसरान के खिलाफ कानून तोडऩे और हत्या करने का मुकद्दमा दर्ज होगा, जिन्होंने बेकसूर लोगों को मारा है। वर्णयोग है कि आज जामा मस्जिद लुधियाना में हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में पंजाब भर से सैंकड़ो इमाम साहिबान के साथ-साथ पंजाब के सभी धार्मिक व सियासी संस्थाओं के नेता विशेष रूप से उपस्थित हुए।

मन की बात//प्रधानमंत्री कार्यालय

29 DEC 2019 11:33AM by PIB Delhi
मन की बात 2.0’ की सातवीं कड़ी में प्रधानमंत्री के सम्बोधन का मूल पाठ (29.12.2019)
मेरे प्यारे देशवासियो, नमस्कार।
2019 की विदाई का पल हमारे सामने है। 3 दिन के भीतर-भीतर 2019 विदाई ले लेगा और हम, ना सिर्फ 2020 में प्रवेश करेंगे, नए साल में प्रवेश करेंगे, नये दशक में प्रवेश करेंगे,21वीं सदी के तीसरे दशक में प्रवेश करेंगे।मैं, सभी देशवासियों को 2020 के लिए हार्दिक शुभकामनायें देता हूँ। इस दशक के बारे में एक बात तो निश्चित है, इसमें, देश के विकास को गति देने में वो लोग सक्रिय भूमिका निभायेंगे जिनका जन्म 21वीं सदी में हुआ है -जो इस सदी के महत्वपूर्ण मुद्दों को समझते हुये बड़े हो रहे हैं।ऐसे युवाओं के लिए, आज, बहुत सारे शब्दों से पहचाना जाता है।कोई उन्हें Millennials के रूप में जानता है,तो कुछ उन्हें, Generation Z या तो Gen Z ये भी कहते हैं। और व्यापक रूप से एक बात तो लोगों के दिमाग में फिट हो गई है कि ये Social Media Generation है। हम सब अनुभव करते हैं कि हमारी ये पीढ़ी बहुत ही प्रतिभाशाली है। कुछ नया करने का, अलग करने का, उसका ख्वाब रहता है। उसके अपने opinion भी होते हैं और सबसे बड़ी खुशी की बात ये है, और विशेषकरके, मैं, भारत के बारे में कहना चाहूँगा, कि, इन दिनों युवाओं को हम देखते हैं, तो वो, व्यवस्था को पसंद करते हैं, system को पसंद करते हैं। इतना ही नहीं, वे system को, follow भी करना पसंद करते हैं। और कभी, कहीं system,properly respond ना करें तो वे बैचेन भी हो जाते हैं और हिम्मत के साथ,system को, सवाल भी करते हैं।मैं इसे अच्छा मानता हूँ। एक बात तो पक्की है कि हमारे देश के युवाओं को, हम ये भी कह सकते हैं, अराजकता के प्रति नफ़रत है।अव्यवस्था, अस्थिरता, इसके प्रति, उनको, बड़ी चिढ़ है।वे परिवारवाद, जातिवाद, अपना-पराया, स्त्री-पुरुष, इन भेद-भावों को पसंद नहीं करते हैं। कभी-कभी हम देखते हैं कि हवाई अड्डे पर, या तो सिनेमा के theatre में भी, अगर, कोई कतार में खड़ा है और बीच में कोई घुस जाता है तो सबसे पहले आवाज उठाने वाले, युवा ही होते हैं।और हमने तो देखा है,कि, ऐसी कोई घटना होती है, तो, दूसरे नौजवान तुरंत अपना mobile phone निकाल करके उसकी video बना देते हैं और देखते-ही-देखते वो video,viral भी हो जाता है।और जो गलती करता है वो महसूस करता है कि क्या हो गया! तो, एक नए प्रकार की व्यवस्था, नए प्रकार का युग, नए प्रकार की सोच, इसको, हमारी युवा-पीढ़ी परिलक्षित करती है।आज, भारत को इस पीढ़ी से बहुत उम्मीदे हैं।इन्हीं युवाओं को, देश को, नई ऊँचाई पर ले जाना है। स्वामी विवेकानंद जी ने कहा था –“My Faith is in the Younger Generation, the Modern Generation, out of them, will come my workers”। उन्होंने कहा था –‘मेरा विश्वास युवा पीढ़ी में है, इस आधुनिक generation में है, modern generation में है, और, उन्होंने विश्वास व्यक्त किया था, इन्हीं में से, मेरे कार्यकर्ता निकलेंगे। युवाओं के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा – “युवावस्था की कीमत को ना तो आँका जा सकता है और ना ही इसका वर्णन किया जा सकता है”।यह जीवन का सबसे मूल्यवान कालखंड होता है। आपका भविष्य और आपका जीवन, इस पर निर्भर करता है कि आप अपनी युवावस्था का उपयोग किस प्रकार करते हैं।विवेकानंद जी के अनुसार, युवा वह है जो energy और dynamism से भरा है और बदलाव की ताकत रखता है। मुझे पूरा विश्वास है कि भारत में, यह दशक, ये decade,न केवल युवाओं के विकास का होगा, बल्कि, युवाओं के सामर्थ्य से, देश का विकास करने वाला भी साबित होगा और भारत आधुनिक बनाने में इस पीढ़ी की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है,ये मैं साफ अनुभव करता हूँ। आने वाली 12 जनवरी को विवेकानंद जयंती पर, जब देश, युवा-दिवस मना रहा होगा, तब प्रत्येक युवा, इस दशक में, अपने इस दायित्व पर जरुर चिंतन भी करे और इस दशक के लिए अवश्य कोई संकल्प भी ले।

मेरे प्यारे देशवासियो, आप में से कई लोगों को कन्याकुमारी में जिस rock पर स्वामी विवेकानंद जी ने अंतर्ध्यान किया था, वहां परजो विवेकानंद rock memorial  बना है, उसके पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। पिछले पांच दशकों में, यह स्थान भारत का गौरव रहा है। कन्याकुमारी, देश और दुनिया के लिए एक आकर्षण का केंद्र बना है। राष्ट्रभक्ति से भरे हुए आध्यात्मिक चेतना को अनुभव करना चाहने वाले, हर किसी के लिए, ये एक तीर्थ-क्षेत्र बना हुआ है, श्रद्धा-केंद्र बना हुआ है। स्वामीजी के स्मारक ने, हर पन्थ, हर आयु के, वर्ग के लोगों को, राष्ट्रभक्ति के लिए प्रेरित किया है।‘दरिद्र नारायण की सेवा’, इस मन्त्र को जीने का रास्ता दिखाया है। जो भी वहां गया, उसके अन्दर शक्ति का संचार हो, सकरात्मकता का भाव जगे, देश के लिए कुछ करने का जज्बा पैदा हो - ये बहुत स्वाभाविक है।

हमारे माननीय राष्ट्रपति महोदय जी भी पिछले दिनों इस पचास वर्ष निर्मित rock memorial का दौरा करके आए हैं और मुझे खुशी है कि हमारे उप-राष्ट्रपति जी भी गुजरात के, कच्छ के रण में, जहाँ एक बहुत ही उत्तमरणोत्सवहोता है, उसके उद्घाटन के लिए गए थे। जब हमारे राष्ट्रपति जी, उप-राष्ट्रपति जी भी, भारत में ही ऐसे महत्वपूर्ण tourist destination पर जा रहे हैं, देशवासियों को, उससे जरुर प्रेरणा मिलती है - आप भी जरुर जाइये।

मेरे प्यारे देशवासियो, हम अलग-अलग colleges में, universities में, schools में पढ़ते तो हैं, लेकिन, पढाई पूरी होने के बाद alumni meet एक बहुत ही सुहाना अवसर होता है और alumni meet,ये सब नौजवान मिलकर के पुरानी यादों में खो जाते हैं,जिनकी, 10 साल, 20 साल, 25 साल पीछे चली जाती हैं।लेकिन, कभी-कभी ऐसी alumni meet, विशेष आकर्षण का कारण बन जाती है, उस पर ध्यान जाता है और देशवासियों का भी ध्यान उस तरफ जाना बहुत जरुरी होता है। Alumni meet, दरअसल, पुराने दोस्तों के साथ मिलना, यादों को ताज़ा करना, इसका अपना एक अलग ही आनंद है और जब इसके साथ shared purpose हो, कोई संकल्प हो, कोई भावात्मक लगाव जुड़ जाए, फिर तो, उसमें कई रंग भर जाते हैं।आपने देखा होगा कि alumni group कभी-कभी अपने स्कूलों के लिए कुछ-न-कुछ योगदान देते हैं।कोई computerized करने के लिए व्यवस्थायें खड़ी कर देते हैं,कोई अच्छी library बना देते हैं, कोई अच्छी पानी की सुविधायें खड़ी कर देते हैं,कुछ लोग नए कमरे बनाने के लिए करते हैं,कुछ लोग sports complex के लिए करते हैं।कुछ-न-कुछ कर लेते हैं।उनको आनंद आता है कि जिस जगह पर अपनी ज़िन्दगी बनी उसके लिए जीवन में कुछ करना, ये, हर किसी के मन में रहता है और रहना भी चाहिएऔर इसके लिए लोग आगे भी आते हैं।लेकिन, मैं आज किसी एक विशेष अवसर को आपके सामने प्रस्तुत करना चाहता हूँ I अभी पिछले दिनों, मीडिया में, बिहार के पश्चिम चम्पारण जिले के भैरवगंज हेल्थ सेंटर की कहानी जब मैंने सुनी, मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं आप लोगों को बताये बिना रह नहीं सकता हूँ I इस भैरवगंज Healthcentre के, यानि, स्वास्थ्य केंद्र में, मुफ्त में, health check up करवाने के लिए आसपास के गांवों के हजारों लोगों की भीड़ जुट गई I अब, ये कोई बात सुन करके, आपको, आश्चर्य नहीं होगा। आपको लगता है, इसमें क्या नई बात है?आये होंगे लोग ! जी नहीं! बहुत कुछ नया है।ये कार्यक्रम सरकार का नहीं था, न ही सरकार का initiative था।ये वहां के K.R High School, उसके जो पूर्व-छात्र थे,  उनकी जो Alumni Meet थी, उसके तहत उठाया गया कदम था, और, इसका नाम दिया था ‘संकल्प Ninety Five’।  ‘संकल्प Ninety Five’ का अर्थ है- उस High School के 1995 (Nineteen Ninety Five) Batch के विद्यार्थियों का संकल्प I दरअसल, इस Batch के विद्यार्थियों ने एक Alumni Meet रखी और कुछ अलग करने के लिए सोचा Iइसमें पूर्व-छात्रों ने, समाज के लिए, कुछ करने की ठानी और उन्होंने जिम्मा उठाया Public Health Awareness  का I‘संकल्प Ninety Five’ की इस मुहिम में बेतिया के सरकारी Medical College और कई अस्पताल भी जुड़ गये।उसके बाद तो, जैसे, जन-स्वास्थ्य को लेकर एक पूरा अभियान ही चल पड़ा।निशुल्क जाँच हो, मुफ्त में दवायें देना हो, या फिर, जागरूकता फ़ैलाने का, ‘संकल्प Ninety Five’ हर किसी के लिए एक मिसाल बनकर सामने आया है I हम अक्सर ये बात कहते हैं कि जब देश का हर नागरिक एक कदम आगे बढ़ता है, तो ये देश, 130 करोड़ कदम आगे बढ़ जाता है I ऐसी बातें जब समाज में प्रत्यक्ष रूप में देखने को मिलती हैं तो हर किसी को आनंद आता है, संतोष मिलता है और जीवन में कुछ करने की प्ररेणा भी मिलती है I एक तरफ, जहाँ बिहार के बेतिया में,पूर्व-छात्रों के समूह नेस्वास्थ्य-सेवा का बीड़ा उठाया, वहीं उत्तर प्रदेश के फूलपुर की कुछ महिलाओं ने अपनी जीवटता से, पूरे इलाके को प्रेरणा दी है। इन महिलाओं ने साबित किया है कि अगर एकजुटता के साथ कोई संकल्प ले तो फिर परिस्थितियों को बदलने से कोई रोक नहीं सकता। कुछ समय पहले तक, फूलपुर की ये महिलाएँ आर्थिक तंगी और  गरीबी से परेशान थीं, लेकिन, इनमें अपने परिवार और समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा था I इन महिलाओं ने, कादीपुर के स्वंय सहायता समूह,Women Self Help Group उसके साथ जुड़कर चप्पल बनाने का हुनर सीखा, इससे इन्होंने, न सिर्फ अपने पैरों में चुभे मजबूरी के कांटे को निकाल फेंका, बल्कि, आत्मनिर्भर बनकर अपने परिवार का सम्बल भी बन गईं I ग्रामीण आजीविका मिशन की मदद से अब तो यहाँ चप्पल बनाने काplant भीस्थापित हो गया है, जहाँ, आधुनिक मशीनों से चप्पलें बनाई जा रही हैं। मैं विशेष रूप से स्थानीय पुलिस और उनके परिवारों को भी बधाई देता हूँ, उन्होंने, अपने लिए और अपने परिजनों के लिए, इन महिलाओं द्वारा बनाई गई चप्पलों को खरीदकर, इनको प्रोत्साहित किया है।आज, इन महिलाओं के संकल्प से न केवल उनके परिवार के आर्थिक हालत मजबूत हुए हैं, बल्कि, जीवन स्तर भी ऊँचा उठा है I जब फूलपुर के पुलिस के जवानों की या उनके परिवारजनों की बातें सुनता हूँ तो आपको याद होगा कि मैंने लाल किले से 15 अगस्त को देशवासियों को एक बात के लिए आग्रह किया था और मैंने कहा था कि हम देशवासी local खरीदने का आग्रह रखें।आज फिर से एक बार मेरा सुझाव है, क्या हम स्थानीय स्तर पर बने उत्पादों को प्रोत्साहन दे सकते हैं? क्या अपनी खरीदारी में उन्हें प्राथमिकता दे सकतें हैं? क्या हम Local Products को अपनी प्रतिष्ठा और शान से जोड़ सकते हैं? क्या हम इस भावना के साथ अपने साथी देशवासियों के लिए समृद्धि लाने का माध्यम बन सकते हैं? साथियो, महात्मा गाँधी ने, स्वदेशी की इस भावना को, एक ऐसे दीपक के रूप में देखा, जो, लाखों लोगों के जीवन को रोशन करता हो।  ग़रीब-से-ग़रीब के जीवन में समृद्धि लाता हो। सौ-साल पहले गाँधी जी ने एक बड़ा जन-आन्दोलन शुरू किया था। इसका एक लक्ष्य था, भारतीय उत्पादों को प्रोत्साहित करना। आत्मनिर्भर बनने का यही रास्ता गाँधी जी ने दिखाया था। दो हज़ार बाईस (2022) में, हम हमारी आज़ादी के 75 साल पूरे करेंगे।जिस आज़ाद भारत में हम सांस ले रहे हैं, उस भारत को आज़ाद कराने के लिए लक्ष्यावधि सपूतोंने, बेटे-बेटियों ने, अनेक यातनाएं सही हैं, अनेकों ने प्राण की आहुति दी है।लक्ष्यावधि लोगों के त्याग, तपस्या, बलिदान के कारण, जहाँ आज़ादी मिली, जिस आज़ादी का हम भरपूर लाभ उठा रहे हैं, आज़ाद ज़िन्दगी हम जी रहे हैं और देश के लिए मर-मिटने वाले, देश के लिए जीवन खपाने वाले, नामी-अनामी, अनगिनत लोग, शायद, मुश्किल से हम, बहुत कम ही लोगों के नाम जानते होंगे, लेकिन, उन्होंने बलिदान दिया - उस सपनों को ले करके, आज़ाद भारत के सपनों को ले करके - समृद्ध, सुखी, सम्पन्न, आज़ाद भारत के लिए !

मेरे प्यारे देशवासियो, क्या हम संकल्प कर सकते हैं, कि 2022, आज़ादी के 75  वर्ष हो रहे हैं, कम-से-कम, ये दो-तीन साल, हम स्थानीय उत्पाद खरीदने के आग्रही बनें? भारत में बना, हमारे देशवासियों के हाथों से बना, हमारे देशवासियों के पसीने की जिसमें महक हो, ऐसी चीजों को, हम, खरीद करने का आग्रह कर सकते हैं क्या ? मैं लम्बे समय के लिए नहीं कहता हूँ, सिर्फ 2022 तक, आज़ादी के 75 साल हो तब तक। और ये काम, सरकारी नहीं होना चाहिए, स्थान-स्थान पर नौजवान आगे आएं, छोटे-छोटे संगठन बनायें, लोगों को प्रेरित करें, समझाएं और तय करें - आओ, हम लोकल खरीदेंगे, स्थानीय उत्पादों पर बल देंगे, देशवासियों के पसीने की जिसमें महक हो - वही, मेरे आज़ाद भारत का सुहाना पल हो, इन सपनों को लेकर के हम चलें।

मेरे प्यारे देशवासियों, यह, हम सब के लिए, बहुत ही महत्वपूर्ण है, कि देश के नागरिक, आत्मनिर्भर बनें और सम्मान के साथ अपना जीवन यापन करें। मैं एक ऐसे पहल की चर्चा करना चाहूँगा जिसने मेरा ध्यान खींचा और वो पहल है, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख का हिमायत प्रोग्राम।हिमायत दरअसल Skill Development और रोज़गार से जुड़ा है।इसमें, 15 से 35 वर्ष तक के किशोर और युवा शामिल होते हैं। ये, जम्मू-कश्मीर के वे लोग हैं, जिनकी पढाई, किसी कारण, पूरी नहीं हो पाई, जिन्हें, बीच में ही स्कूल-कॉलेज छोड़ना पड़ा।

मेरे प्यारे देशवासियो, आपको जानकर के बहुत अच्छा लगेगा, कि इस कार्यक्रम के अंतर्गत, पिछले दो सालों में, अठारह हज़ार युवाओं को,77 (seventy seven), अलग-अलग ट्रेड में प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें से, क़रीब पाँच हज़ार लोग तो, कहीं-न-कहीं job कर रहे हैं, और बहुत सारे, स्व-रोजगार की ओर आगे बढे हैं।हिमायत प्रोग्राम से अपना जीवन बदलने वाले इन लोगों की जो कहानियां सुनने को मिली हैं, वे सचमुच ह्रदय को छू लेती हैं !

परवीन फ़ातिमा, तमिलनाडु के त्रिपुर की एक Garment Unit में promotion के बाद Supervisor-cum-Coordinator बनी हैं।एक साल पहले तक, वो, करगिल के एक छोटे से गाँव में रह रही थी।आज उसके जीवन में एक बड़ा बदलाव आया, आत्मविश्वास आया - वह आत्मनिर्भर हुई है और अपने पूरे परिवार के लिए भी आर्थिक तरक्की का अवसर लेकर आई है।परवीन फ़ातिमा की तरह ही, हिमायत प्रोग्राम ने, लेह-लद्दाख क्षेत्र के निवासी, अन्य बेटियों का भी भाग्य बदला है और ये सभी आज तमिलनाडु की उसी फार्म में काम कर रहे हैं। इसी तरह हिमायत डोडा के फियाज़ अहमद के लिए वरदान बन के आया।फियाज़ ने 2012 में, 12वीं की परीक्षा पास की, लेकिन बीमारी के कारण,वो अपनी पढाई जारी नहीं रख सके।फियाज़,दो साल तक हृदय की बीमारी से जूझते रहे।इस बीच, उनके एक भाई और एक बहन की मृत्यु भी हो गई।एक तरह से उनके परिवार पर परेशानियों का पहाड़ टूट गया। आखिरकार, उन्हें हिमायत से मदद मिली।हिमायत के ज़रिये ITES यानी Information Technologyenabled services’में training  मिली और वे आज पंजाब में नौकरी कर रहे हैं।

फियाज़ अहमद की graduation की पढाई, जो उन्होंने साथ-साथ जारी रखी वह भी अब पूरी होने वाली है। हाल ही में, हिमायत के एक कार्यक्रम में उन्हें अपना अनुभव साझा करने के लिए बुलाया गया। अपनी कहानी सुनाते समय उनकी आँखों में से आंसू छलक आये।इसी तरह, अनंतनाग के रकीब-उल-रहमान, आर्थिक तंगी के चलते अपनी पढाई पूरी नहीं कर पाये।एक दिन,रकीब को अपने ब्लॉक में जो एक कैंप लगा था mobilisation camp, उसके जरिये हिमायत कार्यक्रम का पता चला।रकीब ने तुरंत retail team leader course में दाखिला ले लिया। यहाँ ट्रेनिग पूरी करने बाद आज, वो एक कॉर्पोरेट हाउस में नौकरी कर रहे हैं।‘हिमायत मिशन’ से लाभान्वित, प्रतिभाशाली युवाओं के ऐसे कई उदाहरण हैं जो जम्मू-कश्मीर में परिवर्तन के प्रतीक बने हैं। हिमायत कार्यक्रम, सरकार, ट्रैनिंग पार्टनर , नौकरी देने वाली कम्पनियाँ और जम्मू-कश्मीर के लोगों के बीच एक बेहतरीन तालमेल का आदर्श उदाहरण है|

 इस कार्यक्रम ने जम्मू-कश्मीर में युवाओं के अन्दर एक नया आत्मविश्वास जगाया है और आगे बढ़ने का मार्ग भी प्रशस्त किया।

मेरे प्यारे देशवासियों, 26 तारीख को हमने इस दशक का आख़िरी सूर्य-ग्रहण देखा।शायद सूर्य-ग्रहण की इस घटना के कारण ही MY GOV पर रिपुन ने बहुत ही Interesting comment लिखा है।वे  लिखते हैं ...’नमस्कार सर, मेरा नाम रिपुन है ..मैं north-east का रहने वाला हूँ लेकिन इन दिनों south में काम करता हूँ। एक बात मैं आप से share करना चाहता हूँ।मुझे याद है हमारे क्षेत्र में आसमान साफ़ होने की वजह से हम घंटों, आसमान में तारों पर टकटकी लगाये रखते थे। star gazing, मुझे बहुत अच्छा लगता था। अब मैं एक professional हूँ और अपनी दिनचर्या के कारण, मैं इन चीज़ों के लिए समय नहीं दे पा रहा हूँ... क्या आप इस विषय पर कुछ बात कर सकते हैं क्या ? विशेष रूप से Astronomy को युवाओं के बीच में कैसे popular किया जा सकता है ?’

मेरे प्यारे देशवासियों , मुझे सुझाव बहुत आते हैं लेकिन मैं कह सकता हूँ कि इस प्रकार का सुझाव शायद पहली बार मेरे पास आया है।वैसे विज्ञान पर, कई पहलुओं पर बातचीत करने का मौका मिला है।खासकर के युवा पीढ़ी के आग्रह पर मुझे बातचीत करने का अवसर मिला है। लेकिन ये विषय तो अछूता ही रहा था और अभी 26 तारीख को ही सूर्य-ग्रहण हुआ है तो लगता है कि शायद इस विषय में आपको भी कुछ न कुछ रूचि रहेगी।तमाम देशवासियों , विशेष तौर पर मेरे युवा-साथियों की तरह मैं भी,जिस दिन, 26 तारीख को, सूर्य-ग्रहण था, तो देशवासियों की तरह मुझे भी और जैसे मेरी युवा-पीढ़ी के मन में जो उत्साह था वैसे मेरे मन में भी था, और मैं भी, सूर्य-ग्रहण देखना चाहता था, लेकिन, अफसोस की बात ये रही कि उस दिन, दिल्ली में आसमान में बादल छाए हुए थे और मैं वो आनन्द तो नहीं ले पाया, हालाँकि, टी.वी पर कोझीकोड और भारत के दूसरे हिस्सों में दिख रहे सूर्य-ग्रहण की सुन्दर तस्वीरें देखने को मिली। सूर्य चमकती हुई ring के आकार का नज़र आ रहा था।और उस दिन मुझे कुछ इस विषय के जो experts हैं उनसे संवाद करने का अवसर भी मिला और वो बता रहे थे कि ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि चंद्रमा, पृथ्वी से काफी दूर होता है और इसलिए, इसका आकार, पूरी तरह से सूर्य को ढक नहीं पाता है।इस तरह से, एक ring का आकार बन जाता है।यह सूर्य ग्रहण, एक annular solar eclipse जिसे वलय-ग्रहण या कुंडल-ग्रहण भी कहते हैं।ग्रहण हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि हम पृथ्वी पर रहकर अंतरिक्ष में घूम रहे हैं । अंतरिक्ष में सूर्य, चंद्रमा एवं अन्य ग्रहों जैसे और खगोलीय पिंड घूमते रहते हैं । चंद्रमा की छाया से ही हमें, ग्रहण के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं । साथियो, भारत में Astronomy  यानि खगोल-विज्ञान का बहुत ही प्राचीन और गौरवशाली इतिहास रहा है । आकाश में टिमटिमाते तारों के साथ हमारा संबंध, उतना ही पुराना है जितनी पुरानी हमारी सभ्यता है । आप में से बहुत लोगों को पता होगा कि भारत के अलग-अलग स्थानों में बहुत ही भव्य जंतर-मंतर हैं , देखने योग्य हैं । और, इस जंतर-मंतर का Astronomy से गहरा संबंध है । महान आर्यभट की विलक्षण प्रतिभा के बारे में कौननहीं जानता ! अपनी काल -क्रिया में उन्होंने सूर्य-ग्रहण के साथ-साथ, चन्द्र-ग्रहण की भी विस्तार से व्याख्या की है । वो भी philosophical और mathematical, दोनों ही angle से की है । उन्होंने mathematically बताया कि पृथ्वी की छाया या shadow की size  का calculation कैसे कर सकते हैं।उन्होंने ग्रहण के duration और extent को calculate करने की भी सटीक जानकारियाँ दी। भास्कर जैसे उनके शिष्यों ने इस spirit को और इस knowledge को आगे बढ़ाने के लिएभरसक प्रयास किये।बाद में, चौदहवीं–पंद्रहवीं सदी में, केरल में, संगम ग्राम के माधव, इन्होंने ब्रहमाण्ड में मौजूद ग्रहों की स्थिति की गणना करने के लिए calculus का उपयोग किया।रात में दिखने वाला आसमान, सिर्फ, जिज्ञासा का ही विषय नहीं था बल्कि गणित की दृष्टि से सोचने वालों और वैज्ञानिकों के लिए एक महवपूर्ण sourceथा।कुछ वर्ष पहले मैंने ‘Pre-Modern Kutchi (कच्छी) Navigation Techniques and Voyages’, इस पुस्तक का अनावरण किया था । ये पुस्तक एक प्रकार से तो ‘मालम (maalam) की डायरी’ है । मालम, एक नाविक के रूप में जो अनुभव करते थे, उन्होंने, अपने तरीक़े से उसको डायरी में लिखा था । आधुनिक युग में उसी मालम  की पोथी को और वो भी गुजराती पांडुलिपियों का संग्रह, जिसमें, प्राचीन navigation technology का वर्णन करती है और उसमें बार-बार ‘मालम नी पोथी’ में आसमान का, तारों का, तारों की गति का, वर्णन किया है, और ये, साफ बताया है कि समन्दर में यात्रा करते समय, तारों के सहारे, दिशा तय की जाती है। Destination पर पहुँचने का रास्ता, तारे दिखाते हैं ।

मेरे प्यारे देशवासियो, Astronomy  के क्षेत्र में भारत काफी आगे है और हमारे initiatives , path breaking भी हैं। हमारे पास, पुणे के निकट विशालकाय Meter Wave Telescope है। इतना ही नहीं, Kodaikanal , Udaghmandalam ,Guru shikhar और Hanle Ladakh में भी powerful telescope हैं । 2016 में, बेल्जियम के तत्कालीन प्रधानमंत्री, और मैंने, नैनीताल में3.6 मीटर देवस्थल optical telescope का उद्घाटन किया था।इसे एशिया का सबसे बड़ा telescope कहा जाता है।ISRO के पास ASTROSAT नाम का एक Astronomical satellite है। सूर्य के बारे में research करने के लिये ISRO, ‘आदित्य’ के नाम से एक दूसरा satellite भी launch करने वाला है। खगोल-विज्ञान को लेकर, चाहे, हमारा प्राचीन ज्ञान हो, या आधुनिक उपलब्धियां, हमें इन्हें अवश्य समझना चाहिए, और उनपर गर्व करना चाहिए। आज हमारे युवा वैज्ञानिकों में’ न केवल अपने वैज्ञानिक इतिहास को जानने की ललक दिखाई पड़ती है बल्कि वे,Astronomy के भविष्य को लेकर भी एक दृढ़ इच्छाशक्ति रखते हैं।

    हमारे देश के Planetarium, Night Sky को समझने के साथ Star Gazing को शौक के रूप में विकसित करने के लिए भी motivate करते हैं।कई लोग Amateur telescopes को छतों या Balconies में लगाते हैं। Star Gazing से Rural Camps और Rural Picnic को भी बढ़ावा मिल सकता है। और कई ऐसे school-colleges हैंजो Astronomy के club भी गठन करते हैं और इस प्रयोग को आगे भी बढ़ाना चाहिए।

मेरे प्यारे देशवासियो, हमारी संसद को, लोकतंत्र के मंदिर के रूप में हम जानते हैं।एक बात का मैं आज बड़े गर्व से उल्लेख करना चाहता हूँ कि आपने जिन प्रतिनिधियों को चुन करके संसद में भेजा है उन्होंने पिछले 60 साल के सारे विक्रम तोड़ दिये हैं। पिछले छः मास में, 17वीं लोकसभा के दोनों सदनों, बहुत ही productive रहे हैं। लोकसभा ने तो 114% काम किया, तो, राज्य सभा ने  Ninty four प्रतिशत काम किया। और इससे पहले, बजट-सत्र में, करीब 135 फ़ीसदी काम किया था।देर-देर रात तक संसद चली। ये बात मैं इसलिये कह रहा हूँ कि सभी सांसद इसके लिये बधाई के पात्र हैं, अभिनन्दन के अधिकारी हैं। आपने जिन जन-प्रतिनिधियों को भेजा है, उन्होंने, साठ साल के सारे record तोड़ दिये हैं। इतना काम होना, अपने आप में, भारत के लोकतंत्र की ताकत का भी, और लोकतंत्र के प्रति आस्था का भी, परिचायक है। मैं दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों, सभी राजनैतिक दलों को, सभी सांसदों को, उनके इस सक्रिय भूमिका के लिये बहुत-बहुत बधाई देना चाहता हूँ।

    मेरे प्यारे देशवासियो, सूर्य, पृथ्वी, चंद्रमा की गति केवल ग्रहण तय नहीं करती है, बल्कि, कई सारी चीजें भी इससे जुड़ी हुई हैं। हम सब जानते हैं कि सूर्य की गति के आधार पर, जनवरी के मध्य में, पूरे भारत में विभिन्न प्रकार के त्यौहार मनाये जाएंगे। पंजाब से लेकर तमिलनाडु तक और गुजरात से लेकर असम तक, लोग, अनेक त्योहारों का जश्न मनायेंगे। जनवरी में बड़े ही धूम-धाम से मकर- संक्रांति और उत्तरायण मनाया जाता है। इनको ऊर्जा का प्रतीक भी माना जाता है। इसी दौरान पंजाब में लोहड़ी, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ-बिहु भी मनाये जाएंगे। ये त्यौहार, किसानों की समृद्धि और फसलों से बहुत निकटता से जुड़े हुए हैं।ये त्यौहार, हमें, भारत की एकता और भारत की विविधता के बारे में याद दिलाते हैं। पोंगल के आख़िरी दिन, महान तिरुवल्लुवर की जयन्ती मनाने का सौभाग्य, हम देशवासियों को मिलता है। यह दिन, महान लेखक-विचारक संत तिरुवल्लुवर जी को, उनके जीवन को, समर्पित होता है।

    मेरे प्यारे देशवासियो, 2019 की ये आख़िरी ‘मन की बात’ है। 2020 में हम फिर मिलेंगे। नया वर्ष, नया दशक, नये संकल्प, नयी ऊर्जा, नया उमंग, नया उत्साह – आइये चल पड़ें। संकल्प की पूर्ति के लिए सामर्थ्य जुटाते चलें।दूर तक चलना है, बहुत कुछ करना है,देश को नई ऊंचाइयों पर पहुँचना है। 130 करोड़ देशवासियों के पुरुषार्थ पर, उनके सामर्थ्य पर, उनके संकल्प पर, अपार श्रद्धा रखते हुए, आओ, हम चल पड़ें। बहुत-बहुत धन्यवाद, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
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VRRK/KP/VK

Saturday, December 28, 2019

वर्ष 2019 के अंत में, आधार की संख्‍या 125 करोड़ से अधिक हो गई है

27th December 2019 3:45 PM by PIB Delhi
प्रतिदिन लगभग 3 करोड़ प्रमाणीकरण अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं
नई दिल्ली: 27 दिसंबर 201प्रतिदिन लगभग 3 करोड़ प्रमाणीकरण अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं9: (पीआईबी)::
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने यह घोषणा की है कि आधार परियोजना ने 125 करोड़ के अंक को पार करके नई उपलब्धि हासिल की है। इसका मतलब यह है कि भारत के 125 करोड़ से अधिक निवासियों के पास 12 अंकों की विशिष्ट पहचान उपलब्‍ध है।

      यह उपलब्धि आधार धारकों द्वारा आधार के प्राथमिक पहचान दस्तावेज के रूप में तेजी से बढ़ते उपयोग के कारण हासिल हुई है। यह इस तथ्य से यह स्पष्ट है कि आधार-आधारित प्रमाणीकरण सेवाओं का शुरूआत से अब तक लगभग 37,000 करोड़ बार उपयोग हो चुका है। वर्तमान में यूआईडीएआई को प्रतिदिन लगभग 3 करोड़ प्रमाणीकरण अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं।

      इसके अलावा आज नागरिक आधार में अपने विवरण को अद्यतन रखने के अधिक इच्छुक हैं। यूआईडीएआई ने अब तक लगभग 331 करोड़ सफल आधार अपडेट (बायोमेट्रिक और जनसांख्यिकीय) दर्ज किए हैं। वर्तमान में यूआईडीएआई को रोजाना लगभग 3-4 लाख आधार अपडेट अनुरोध प्राप्त हो रहे हैं।
(आरकेमीणा/आरएनएम/एएम/आईपीएस/एसके–4981
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Friday, December 27, 2019

शहरी गरीबों के लिए एक करोड़ घरों की मंजूरी

 राज्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी मीडिया को संबोधित करते हुए
नई दिल्ली: 27 दिसंबर 2019: (पीआईबी)::
आवासन एवं शहरी कार्य, नागर विमानन (स्वतंत्र प्रभार) और वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी 27 दिसंबर 2019 को नई दिल्ली में पीएमएवाई(शहरी) के अंतर्गत शहरी गरीबों के लिए एक करोड़ घरों की मंजूरी पर मीडिया को संबोधित करते हुए। इस अवसर पर आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्रा भी उपस्थित।

लुधियाना में विभिन्न स्थानों पर सी.ए.ए के खिलाफ रोष प्रदर्शन

Friday: 27th December 2019 at 5:33 PM
काले कानून को रद्द करने की मांग, देश का संविधान धर्म निर्पेक्ष रहेगा
कुंदनपुरी , जमालपुर, ताजपुर रोड पर मुस्लिम समुदाय के लोग रोष प्रदर्शन करते हुए
लुधियाना: 27 दिसम्बर 2019: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
पंजाबी बाग टिब्बा रोड, रामनगर मुंडिया, जमालपुर चौंक, एल बलॉक रणधीर सिंह नगर, हरगोबिंद नगर, कुंदनपुरी, भामिया कालोनी ताजपुर रोड, पुनीत नगर में जुमा की नमाज के बाद अलग-अलग संस्थाओं की ओर से केंद्र सरकार के द्वारा बनाए गए नागरिकता कानून की विरोधता करते हुए जबरदस्त रोष प्रदर्शन किए गए। वर्णन योग है कि मुंडिया मस्जिद से रोष प्रदर्शन की अगुवाई सूरज अंसारी, शाही इमाम के सचिव मुस्तकीम अहरार, पंजाबी बाग मस्जिद से मुफ्ती आरिफ कासमी, कुंदनपुरी मस्जिद से प्रधान नूर उल हक, मस्जिद पीएयू से मुफ्ती खालिद, एल ब्लॉक मस्जिद से डाक्टर मुहम्मद इद्रीस, भामिया ताजपुर रोड से मुहम्मद खालिद की अगुवाई में रोष प्रदर्शन किए गए। प्रदर्शनकारियों ने हाथों में काला कानून मुर्दाबाद, हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई, आपस में भाई-भाई, संविधान बचाओ देश बचाओ, फिर्कापरस्ती मुर्दाबाद के प्ले कार्ड उठाएं हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से धर्म के नाम पर शुरू की गई राजनीति अफसोसनाक है। उन्होंने कहा कि हमारा देश धर्म निरपेक्ष देश है हम अपने वतन के संविधान की हर कीमत पर रक्षा करेंगे, उन्होंने कहा कि दुख कि बात है कि काला कानून बनाने के बाद से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर यूपी पुलिस ने जो अत्याचार किया है उससे देश का सिर शर्म से झुक गया है। पुलिस जो कि हमेशा सब को बराबर की नजर से देखती है ने यूपी में अपना विश्वास खो दिया है। प्रदर्शनकरियों ने भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद जी से मांग की है कि पुलिस की तरफ से की गई हत्याओं पर कारवाई करते हुए यूपी पुलिस में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए, खास बात यह है कि प्रदर्शनकारी जुमा की नमाज के बाद शांतिपूर्वक रोष प्रदर्शन करते हुए वापिस अपने घरों को लौटे। एक सवाल के जवाब में शाही इमाम के सचिव मुहम्मद मुस्तकीम ने कहा कि हम भारत के वासी है रोष प्रदर्शन में भी मर्यादा का ध्यान रखते हैं, किसी को गद्दार कह कर नहीं बोलते।

Tuesday, December 24, 2019

वाम के तो अब बस अवशेष बाकी हैं-ABVP

लुधियाना में ABVP का 51वां राज्य अधिवेशन शुरू 
लुधियाना: 24 दिसंबर 2019: (पंजाब स्क्रीन टीम)
पंजाब में अपना आधार और मज़बूत करने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने अपनी सरगर्मिया बढ़ा दी हैं। शीट लहर के प्रकोप से जब लोग रजाईयों और कंबलों में दबके पड़े हैं उस समय इस छात्र संगठन के सदस्य और नेता मैदान में आ गए हैं।  लगता है छुट्टियों का सीज़न भी रणनीती के तौर पर ही चुना गया है तांकि छात्र शक्ति स्कूलों कालेजों से ग़ैरहाज़र हुए बिना अपना पूरा समय और ध्यान संगठन की तरफ दे सके। इसके सक्रिय नेता चिरांशु रत्न ने  से बात करते हुए बहुत से मुद्दों पर बात की। वाम की चुनौती को लेकर किये गए सवाल का जवाब देते हुए उन्हीने कहा कि अब हम वाम को चुनौती ही नहीं मानते।  वे रहे ही कहां हैं? बस अब तो उनके अवशेष बाकी हैं। वे अवशेष भी अपने ही भार से खुद बी खुद समाप्त होने वाले हैं।  राष्ट्रीयता की लहर के सामने विदेश तत्व अब बेहद निर्बल और असहाय हो चुके हैं। शहीद भगत सिंह और शहीद ऊधम सिंह को अभी तक कौमी शहीद न माने जाने पर किये गए सवालों पर उन्होंने कहा कि हम कई दशकों से शहीदों के इस सम्मान के लिए प्रयासशील हैं। कुछ समय तक किसी ने नहीं सोचा था की कभी धारा 370 भी हटेगी लेकिन वह अब हट चुकी है। बाकि काम भी जल्द होंगें। शहीदों को उन सम्मान मिले यह बात मोदी जी की सरकार के प्राथमिक मुद्दों में है। उनको कौमी शहीद का दर्जा भी जल्द मिलेगा। इस तरह के नए इरादों और नई चुनौतियों के साथ ही शुरू हुआ है अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का 51वां राज्य अधिवेशन। 
बाद दोपहर  ढाई बज चुके थे लेकिन धुंद और सर्दी की वजह से सुबह सुबह का समय ही लग रहा था। स्थान था  लुधियाना के जानेमाने दरेसी ग्राउंड के गहन आंतरिक इलाके में स्थित एस. ए. एन. जैन सीनियर सेकेंडरी स्कूल। निमंत्रण भेजने वाले व्यवस्था अधिकारी सतीश सैनी जी को हमारी मीडिया टीम में से कोई भी जानता पहचानता नहीं था। नेटवर्किंग समस्या के चलते उनका मोबाईल भी नहीं मिल रहा था। ऐसे में सक्रिय सहयोग दिया एबीवीपी के प्रबंधन कार्यकर्ता अर्जुन त्रेहन ने जो यहां अमृतसर से आए हुए थे। इसी सहयोग के चलते अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 51 वें अधिवेशन का आयोजन बहुत ही अपना अपना सा लगा। मन में आया काश हम भी छात्र होते  और इसमें शामिल हो पाते। हमारी टीम के सक्रिय सदस्य प्रदीप शर्मा जी तो इतने उत्साह में आये कि सेल्फी स्टैंड में आ कर उन्होंने बाकायदा अपना फोटो भी खिंचवाया। आप इन सभी तस्वीरों को फेसबुक पर भी देख सकते हैं। 
आंगन में ध्वजों के बड़े से गोल दायरे और जगह जगह लगे हुए छोटे छोटे माटो राष्ट्रीयता का संदेश दे रहे थे। बोले सो निहाल और वाहिगुरु जी का खालसा के जैकारे उन आरोपों की हंसी उड़ा रहे थे जिनमें कहा जाता है कि एबीवीपी केवल हिंदुत्व की ही प्रतिनिधि है। गौरतलब है वाम  जहाँ लेनिन, कार्ल मार्क्स, माओ-त्से-तुंग और चीगुवेरा जैसे सभी विदेशी है वहीँ एबीवीपी ने गुरुनानक और विवेकानंद को अपने नायकों में शामिल किया है। लगता है पंजाब में इस छात्र संगठन का भविष्य रौशन है। गुरुमुखी में लिखे नारों में  पर पूछे जाने पर इस संगठन के एक कार्यकर्ता ने कहा कि इस तर भी प्रयास जारी हैं।  इसके साथ ही नारे लग रहे थे भगत सिंह तेरी सोच ते पहरा दिआंगे ठोक के। ऊधम सिंह तेरी सोच ते पहरा दिआंगे ठोक के। मंच पर लगे बड़े बैनर पर जहां एक तरफ श्री गुरु नानक देव जी का बड़ा सा स्कैच बना था वहीँ दूसरी तरफ एक गोलक सी बना कर पानी की बचत का संदेश भी दिया गया था। 
गौरतलब है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद पंजाब प्रांत का अधिवेशन आज यहां 24 दिसंबर को शुरू हो  गया और 26 दिसंबर तक चलेगा। इस आयोजन के चलते एस. ए. एन सीनियर सेकेंडरी स्कूल लुधियाना  पूरा माहौल ही धर्म और राष्ट्रीयता  रंगा हुआ था।  मुख्य अतिथि के रुप में माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री सोम प्रकाश थे जबकि मुख्य वक्ता अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुनील अंबेडकर और विशेष मेहमान लेखक एवं मशहूर गायक  किन्द्र देओल रहे। 
सबसे पहले सत्र में प्रदेश मंत्री चिरांशु रतन द्वारा उनके पूरे साल भर का किए गए कार्यों का बेरवा दिया जाएगा एवं उसके बाद ही चुनाव अधिकारियों द्वारा 2019-20 के पंजाब प्रांत के अध्यक्ष एवं मंत्री के लिए चुनाव किया गया। इसके साथ ही दोपहर के भोजन और शाम की चाय का ब्रेक भी हुआ। भोजन का प्रबंध देर शाम तक जारी रहा। दूर दूर से आने वाले डेलीगेटों और सदस्यों के लिए सबसे पहले भोजन का प्रबंध होता। उनका आग्रह इतना स्नेह भरा था कि  हमारी टीम ने भी उस सात्विक से बने भोजन का आनंद लिया। दिलचस्प बात है कि भोजन किसी बाज़ार से नहीं आया बल्कि खुद स्कूल के परिसर में ही तैयार किया गया था। 
अगले दिन 25 दिसंबर को भाषा सत्र कार्य पद्धति के विषय पर पूर्व राष्ट्रीय संगठन मंत्री  सुनील अंबेडकर  द्वारा लिया जाएगा और साय 6:15 बजे  एन.आ.रसी एवम सी.ए.ए के विषय पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री  प्रफुल्ल आकात  द्वारा सतर लिया जाएंगा और दिन में 2:30 बजे भारी शोभायात्रा पूरे शहर में निकाली जाएगी जिसके बाद 3:30 बजे चौड़ा बाजार मे खुला अधिवेशन किया जाएगा और 26 दिसंबर को समापन से पहले भाषण सत्र पंजाब में वैचारिक चुनौतियां विषय पर प्रोफेसर एस.डी कॉलेज लुधियाना से डॉक्टर अश्वनी भल्ला जी द्वारा लिया जाएगा अंत अधिवेशन में पूरे पंजाब प्रांत से लगभग 600 विद्यार्थी एवं अध्यापक मौजूद रहेंगे। अब देखना है कि कल क्रिसमिस के अवसर पर इस संगठन की शोभा यात्रा शहर में क्या प्रभाव डालती है?
(इस कवरेज के लिए पंजाब स्क्रीन की टीम में थे रेक्टर कथूरिया//प्रदीप शर्मा और कुछ अन्य सहयोगी)

Monday, December 16, 2019

निर्दोष छात्रों पर दिल्ली व अलीगढ़ पुलिस का अत्याचार लोकतंत्र की हत्या

Monday: Dec 16, 2019, 3:31 PM
पूरा देश जामिया के बच्चों के साथ:शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान
 देश में हर इंसान को अपनी बात कहने का हक है
 छात्रों पर दिल्ली व अलीगढ़ पुलिस द्वारा की गई अमानवीय कारवाई का विरोध करते हुए लुधियाना में अहरार कार्यकर्ता
लुधियाना:16 दिसम्बर 2019: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
नागरिकता कानून में किए गए संशोधन के बाद देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच दिल्ली व अलीगढ़ पुलिस की तरफ से जे.एम.यू और ऐ.एम.यू के विद्यार्थियों पर किए गए लाठीचार्ज से देश के लोकतंत्र हक को दबाने की कोशिश की जा रही है , यह बात आज यहां फील्डगंज चौक में 
केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ मजलिस अहरार इस्लाम की ओर से किए गए रोष प्रदर्शन में शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कही। शाही इमाम ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने जिस बर्बरता से बच्चों को पीट-पीट कर घायल किया है उससे इंसानियत शर्मिंदा हो गई है। उन्होंने कहा कि यह वही दिल्ली पुलिस है जो अभी कुछ दिन पहले वकीलों के साथ हुए झगड़े के बाद रो-रो कर अपना दुखड़ा सुना रही थी। शाही इमाम ने कहा कि पूरा देश जामिया के बच्चों के साथ है यह किसी एक धर्म के विद्यार्थी नहीं, देश के बच्चे है जो लोग नागरिकता बिल के विरोध को धार्मिक रंग देकर बदनाम करना चाहते हैं वह यह बात समझ लें कि भारत में जीत लोकतंत्र की होगी। शाही इमाम ने भारत के राष्ट्रपति जी श्री राम नाथ कोविंद साहिब से अपील की है कि दिल्ली पुलिस के उन अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए जिन्होंने विद्यार्थियों के शांतिपूर्वक प्रदर्शन को जान बूझ कर हिंसक बना कर अत्याचार किया है। शाही इमाम ने कहा कि आज़ाद भारत में हर इंसान को हक है कि वह चुनी हुई सरकार की नीतियों की विरोधता कर सकता है, इसलिए ही भारत विश्व का सबसे बड़ा प्रजातंत्र है । इस अवसर पर फील्ड गंज चौक में केंद्र सरकार का पुतला फूंक प्रदर्शन किया गया। 
फोटो कैप्शन:

Saturday, December 14, 2019

नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ रोष की लहर और तेज़

Saturday:Dec 14, 2019, 2:17 PM
लुधियाना में लाखों मुसलमानों ने निकाला रोष मार्च
अपने वतन में किसी काले कानून को थोपने नहीं देंगे:शाही इमाम पंजाब
लुधियाना: 14 दिसम्बर 2019: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता कानून में किए गए बदलाव के बाद देश भर के अल्पसंख्यकों की तरफ से विरोध प्रदर्शन जारी है, आज यहां लुधियाना की ऐतिहासिक जामा मस्जिद से डिप्टी कमिश्नर दफ्तर तक शहर की सभी मस्जिदों के सदस्यों ने शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी की अगुवाई में जोरदार रोष प्रदर्शन किया।
आज सुबह से शहर की विभिन्न मस्जिदों से बड़ी संख्या में मुसलमान फील्ड गंज जामा मस्जिद पहुंचना शुरू हो गए, प्रदर्शनकारियों ने हाथों में कैब नामंजूर है, कौमी ऐकता जिंदाबाद, एनआरसी मुर्दाबाद, हिन्दू-मुस्लिम -सिख-ईसाई आपस में हैं भाई-भाई, काला कानून वापिस लो, लिखी तख्तियां उठाई हुई थी। 
इस मौके पर मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कहा कि धर्म के नाम पर बनाया गया नागरिकता संशोधन बिल देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है इससे भारत के धर्म निरपेक्ष ढांचे को नुकसान होगा। यह बिल देश के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि इतिहास गवाह है कि भारत में कभी भी नफरत की राजनीति कामयाब नहीं हुई। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर कोई ऐतराज़ नहीं है कि विभिन्न धर्मों को मानने वालों को नागरिकता संशोधन बिल में राहत दी गई है बल्कि ऐतराज़ यह है कि मुसलमानों को ही क्यों निशाना बना के बाहर रखा गया है। शाही इमाम ने कहा कि हमने अपने वतन भारत की आज़ादी, एकता और अखंडता के लिए बेमिसाल कुर्बानियां दी हैं, हम अपने ही वतन में अपने ऊपर किसी काले कानून को थोपने नहीं देंगे। शाही इमाम ने कहा कि यह देश सब का बराबर है और कोई भी ताकत मुसलमानों को दूसरे दर्जे का शहरी नहीं बना सकती। उन्होंने कहा कि भारत देश धर्म निर्पेक्षता का रखवाला है। इस देश में किसी की मनमर्जी नहीं चल सकती। उन्होंने कहा कि सम्प्रदायिक ताकते देश में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई और दलित भाईचारे को तोडऩा चाहती हैं। शाही इमाम ने कहा कि नागरिकता बिल में संशोधन करने वाली सरकार क्या आने वाले समय में मुसलमानों के बाद ऐसा ही संशोधन किसी और धर्म के लिए नहीं करेगी? नागरिकता संशोधन बिल में आने वाले लोगों को भी ज्यादा खुश होने की जरुरत नहीं आजकल राजनीति में कोई धर्म नहीं रहा सिर्फ सत्ता का लालच है तभी तो आए दिन देश में गठजोड़ की सरकारें बन रही हैं और यह सरकारे क्या पता कब क्या संशोधन कर कब किस कौम को बाहर निकाल दें? शाही इमाम ने कहा कि नागरिकता बिल में संशोधन संवेदनशील मामला है इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, इस मामले को लेकर जल्दी ही पंजाब भर की मस्जिदों के इमामों और प्रबंधकों की लुधियाना में मीटिंग बुलाई जाएगी, जिसमें राज्यस्तरीय रोष प्रदर्शन की रणनीति तय की जाएगी। वर्णनयोग है कि आज प्रदर्शन के बाद डी सी लुधियाना को भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री राम नाथ कोविंद जी के नाम ज्ञापन दिया गया। इस रोष मार्च में हिन्दू- सिख और दलित भाइयों ने भी हिस्सा लेकर देश की धर्मनिरपेक्षता को बरकरार रखने की अपील की है।
फोटो में लुधियाना के लाखों मुसलमान शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी की अगुवाई में नागरिकता बिल में संशोधन के खिलाफ मार्च करते हुए। 

Friday, December 06, 2019

धर्म के आधार पर भारतीय नागरिकता बिल का तीखा विरोध

Friday:Dec 6, 2019, 3:10 PM
शाही इमाम पंजाब ने इसे संविधान और मूल सिद्धांतों के खिलाफ कहा
पाकिस्तान द्धारा शरणार्थियों के भेस में आतंकवाद फैलाने की आशंका
जामा मस्जिद में पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी व अन्य

लुधियाना: 6 दिसम्बर 2019:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
केंद्र की भाजपा सरकार की ओर से कैबिनेट में पारित करने के बाद अब संसद में पेश किए जाने वाले नागरिकता बिल का स्वतंत्रता सैनानियों की जमात मजलिस अहरार की ओर से विरोध करते हुए शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने आज पत्रकार सम्मेलन में कहा कि धर्म के आधार पर किसी को भारतीय नागरिकता देना किसी भी तरह से उचित नहीं है, यह सरासर देश के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि भारत के संविधान में ये बात स्पष्ट रूप से कही गई है कि देश की सरकार किसी धर्म विशेष की नहीं बल्कि धर्म निरपेक्ष है और यही भारत का सिद्धांत रहा है। शाही इमाम पंजाब ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार का यह कहना कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में वहां के अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं इसलिए गैर मुस्लिमों को भारतीय नागरिकता दी जानी चाहिएं, तो क्या चाइना, म्यांमार, नेपाल और श्रीलंका में अगर किसी मुसलमान पर अत्याचार हो उसे भारत की नागरिकता का अधिकार नहीं होगा? क्या यह गैर मुस्लिम देश भारत के पड़ोसी नहीं है? क्या इन देशों में मानवता पर अत्याचार नहीं हो रहे हैं? शाही इमाम ने कहा कि म्यांमार में वहां के अल्पसंख्यकों पर बहुत अत्याचार हुए हैं उसे कौन नहीं जानता, लेकिन फिर भी धर्म के आधार पर राजनीति की जा रही है। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी ने कहा कि दुनिया इस वक्त आतंकवाद से जूझ रही है। आतंक का कोई धर्म नहीं होता, वोट की राजनीति में कहीं हम इन पड़ोसी देशों से आए पाकिस्तानी घुसपैठियों के लिए दरवाजा तो नहीं खोलने जा रहे, क्योंकि अब तक जो भी जासूस और आतंकी भारत में पकड़े गए हैं उन सब का किसी एक धर्म से संबंध नहीं है। शाही इमाम ने कहा कि सरकार देश में बढ़ रही महंगाई और बेरोजगारी पर ध्यान केंद्रित करने की बजाए धर्म के नाम पर सियासत कर रही हैं। एक सवाल के जवाब में शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी ने कहा कि 6 दिसम्बर के दिन बाबरी मस्जिद को कानून की परवाह ना करते हुए शहीद कर दिया गया था जिसे आज भी सुप्रीम कोर्ट ने गलत कहा है इस लिए बाबरी मस्जिद की शहादत को भुलाया नहीं जा सकता। 


Thursday, November 28, 2019

जैन स्कूल में 'प्लास्टिक मुक्त भारत' दिवस मनाया गया

छात्रायों ने किया 'प्लास्टिक हटायो' नुक्कड़ नाटक का मंचन
लुधियाना: 28 अक्टूबर, 2019: (कार्तिका सिंह// पंजाब स्क्रीन):: 
मुक्त भारत-एक ऐसा लक्ष्य जो न सिर्फ भारत के लिए कई बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए ही एक चुनोती है। लेकिन इस चुनोती को पार करना इतना भी आसान नहीं। कई दुविधायो का सामना करना पड़ेगा। स्वच्छता का पैगाम हर घर तक पहुँचाने के बाद केन्द्र सरकार एक बार फिर सक्रिय है। प्लास्टिक मुक्त भारत के अभियान के साथ।  एकल उपयोग वाले  प्लास्टिक के पर्योग को हतौत्साहित करने के केन्द्र सरकार ने देश में एक योजना तैयार की है।  इस योजना के तहत 2 अक्टूबर 2019 से लेकर 2022 तक प्लास्टिक मुक्त भारत और एकल उपयोग प्लास्टिक को समाप्त करने के उदेश्य से यह कदम उठाया गया है।  इसी कदम के मद्देनज़र जैन गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, रूपा मिस्त्री स्ट्रीट, लुधियाना में भी 'से नो तो प्लास्टिक बैग्स ' नामक दिवस मनाया गया।  स्कूल की +1 A की छात्रायों द्वारा 'प्लास्टिक हटायो' नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया।  उन्होंने समूह-गान,भाषण तथा कवितायों द्वारा प्लास्टिक के दुष्पर्भाव को पर्दर्शित किया।  
स्कूल की प्रिंसिपल श्रीमती मीना गुप्ता जी ने छात्रायों के इस पर्दर्शन की सराहना करते हुए उन्हें अपनी ज़िन्दगी में भी प्लास्टिक बैन को असल मायने में अपनाना चाहिए तभी स्वच्छता तथा निरोगता को प्राप्त हुआ जा सकता है।  
इस अवसर पर स्कूल की मैनेजिंग कमेटी के चेयरमैन श्री सुखदेव राज जी जैन, परधन श्री ननद कुमार जी जैन, सेक्रेटरी श्री राजीव जैन और मैनेजर श्री अर्विंग कुमार जैन उपस्तिथ थे।  यदि आप ने भी स्वस्थ समाज के निर्माण को लेकर कुछ किया है तो इसकी जानकारी हमें सबंधित तस्वीरों सहित मेल करें। 

Friday, November 22, 2019

जल संकट किसी एक देश का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का मुद्दा है

प्रविष्टि तिथि: 22 NOV 2019 5:31PM by PIB Delhi
जल संकट पर गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कही बहुत ही महत्वपूर्ण बातें 
जलदूत संवर्ग विचाराधीन:श्री रत्तन लाल कटारिया
The Union Minister for Jal Shakti, Shri Gajendra Singh Shekhawat presenting a memento to the Education Minister of Australia, Mr. Dan Tehan, during the signing of an MoU between Central Ground Water Board and MARVI Partners of Australia, in New Delhi on November 22, 2019. The Minister of State for Jal Shakti and Social Justice & Empowerment, Shri Rattan Lal Kataria, the Australian High Commissioner to India, Ms. Iven Mackay and the Secretary, Department of Water Resources, River Development and Ganga Rejuvenation, Shri U.P. Singh are also seen.
भारत और ऑस्ट्रेलिया में भूजल की भरपाई में प्रशिक्षण, शिक्षा और अनुसंधान के लिए समझौता 

नई दिल्ली: 22 नवंबर 2019: (पीआईबी)::
 इस अवसर पर सम्बोधित करते हुए
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेंद्र सिंह शेखावत  
केंद्रीय भूजल बोर्ड ने आज नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में ऑस्ट्रेलिया के ‘मारवी’ (मैनेजिंग एक्वीफर रीचार्ज एंड सस्टेनिंग ग्राउंडवॉटर यूज थ्रू विलेज-लेवल इंटरवेंशन) के साथ एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, जल शक्ति तथा सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री रत्तन लाल कटारिया, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण विभाग के सचिव श्री यू. पी. सिंह, ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री श्री डैन टेहन और भारत में ऑस्ट्रेलिया की उच्चायुक्त सुश्री इवेन मैके उपस्थित थीं।

श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि जल संकट किसी एक देश का नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘हमारी 65 प्रतिशत निर्भरता भूजल पर है और इसमें बढ़ोतरी होती जा रही है।’ उन्होंने कहा कि क्योंकि भावी पीढ़ियां इससे प्रभावित होंगी, इसलिए यह मुद्दा बहुत महत्वपूर्ण है।

अपने संबोधन में श्री कटारिया ने कहा कि सरकार ‘जलदूत’ संवर्ग बनाने के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, ‘भूजल का दोहन सबसे अधिक होता है, क्योंकि वह सस्ता और सुगम्य है।’
इस अवसर पर श्री यू. पी. सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जल संकट पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘उन्होंने मन की बात में इस मुद्दे को उठाया था और अपने स्वतंत्रता दिवस संबोधन में भी इस मुद्दे को रेखांकित किया था।(PIB)
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आरकेमीणा/आरएनएम/एकेपी/सीएस-4351     (रिलीज़ आईडी: 1593185)

Wednesday, November 20, 2019

हम्बड़ां कत्ल व दमन कांड के खिलाफ़ रोष प्रदर्शन कल

नाबालिग लवकुश के हत्यारे की दफा 302 के तहत हो गिरफतारी
संघर्षशील संगठनों के नेताओं पर झूठे केस रद्द करके उन्हें रिहा करो 

लुधियाना20 नवंबर 2019: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
हम्बड़ां कत्ल व दमन काण्ड व लुधियाना पुलिस के खिलाफ़ लुधियाना के दर्जन से अधिक जनवादी जनसंगठनों द्वारा गठित संघर्ष कमेटी ने जोरदार संघर्ष छेड़ दिया है। संघर्ष कमेटी ने 21 नवम्बर को हम्बड़ां में जोरदार प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। संघर्ष कमेटी का यह भी ऐलान है कि अगर इंसाफ न मिला तो संघर्ष और तीखा किया जाएगा। संघर्ष कमेटी की माँग है कि संघर्ष समिति की माँग है कि हम्बड़ां की मैंसर पलाईवुड फैक्ट्री में काम करने वाले 15 वर्षीय मज़दूर लवकुश की वहशी मारपीट करके कत्ल करन वाले ठेकेदार के विरुद्ध धारा 302 के अंतर्गत पर्चा दर्ज किया जाये, उसको तुरंत गिरफ़्तार किया जाये, पीडित परिवार को इंसाफ़ दिलाने के लिए संघर्ष कर रहे जनवादी जनसंगठनों के नेताओं पर दर्ज किया झूठा पर्चा रद्द किया जाये और उन्हें जेल से रिहा किया जाये। संघर्ष समिति की माँग है कि हम्बड़ां कत्ल कांड के दोषी के साथ मिलीभुगत करने वाले पुलिस अफसरों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्यवाही की जाये और लोगों का एकजुट रोष व्यक्त करने का हक बहाल किया जाये।

कुल 10 जन-नेताओं और कार्यकर्ताओं को झूठा पर्चा दर्ज करके जेल भेजा गया है। इन में पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल) के नेता /कार्यकर्ता सुखदेव भून्दड़ी, मेजर भैनी, चिमल सिंह, भाकियू (एकता-डकोंदा) व पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल) के नेता के सुखविन्दर हम्बड़ां, टेक्स्टाईल हौज़री कामगार यूनियन के नेता /कार्यकर्ता राजविन्दर, गुरदीप, जगदीश, नौजवान भारत सभा के नेता /कार्यकर्ता गुरविन्दर, शलेंदर, कारख़ाना मज़दूर यूनियन के नेता जसमीत शामिल हैं।
गौरतलब है कि मैंसर पलाईवुड फैक्ट्री हम्बड़ां में झारखंड से आए लवकुश नाम के 15 साला बच्चे से ठेकेदार रघबीर उपरोक्त फैक्ट्री अंदर लेबर का काम कराता था। तारीख़ 7नवंबर को फैक्ट्री अंदर काम दौरान रघबीर ने बच्चे लवकुश की बुरी तरह मारपीट की और उसके सिर में डंडे मारे। उसकी पी.जी.आई. में मौत हो गई। इसके बावजूद भी पुलिस दोषी ठेकेदार के ख़िलाफ़ पर्चा दर्ज नहीं कर रही थी। पुलिस ने बाद में लोगों के दवाब के चलते पर्चा दर्ज भी किया परन्तु धारा 302 की जगह धारा 304 ही लगाई। दोषी की तुरंत गिरफ्तारी, धारा 302 के अंतर्गत पर्चा दर्ज करने और मुआवज़े की माँग को लेकर पीडित परिवार, ग्रामीण मज़दूर यूनियन (मशाल), टेक्स्टाईल हौज़री कामगार यूनियन और ओर संगठनों ने 18 नवंबर को हम्बड़ां में रोष-प्रदर्शन किया। पुलिस ने इन्साफ के लिए कार्यवाही करने की जगह दमन का रास्ता चुना और संगठनों के नेताओं को गिरफतार कर धारा 186, 353, 341, 283, 149 के अंतर्गत पर्चा दर्ज करके आज जेल भेज दिया है। दूसरे तरफ़ पीडित परिवार और लवकुश की लाश का कुछ भी अता पता नहीं है।
हम्बड़ां कत्ल कांड दमन विरोधी संघर्ष समिति में टेक्स्टाईल हौज़री कामगार यूनियन, ग्रामीण मज़दूर यूनियन (मशाल), भारतीय किसान यूनियन (डकौंदा), एटक, जमहूरी किसान सभा, सीटू, मोलडर एंड स्टील वर्करज़ यूनियन, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, कारख़ाना मज़दूर यूनियन, नौजवान भारत सभा, किरती किसान यूनियन, पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल), लाल झंडा भट्टा मज़दूर यूनियन, इंकलाबी केंद्र पंजाब, डी.टी.एफ., डी.एम.एफ., मोलडर एंड स्टील वर्कर्ज यूनियन, भारत निर्माण मज़दूर यूनियन आदि संगठन शामिल हैं।

Saturday, November 16, 2019

सराभा के शहीदी दिवस पर सीपीआई ने कराया विशेष आयोजन

आयोजन में व्यक्त की देश में बढ़ रही साप्रदायिक ज़हर पर गहरी चिंता
लुधियाना: 16  नवंबर 2019: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
करतार सिंह सराभा। आज़ादी के लिए शहादतों का मर्ग दिखने वाला महान योद्धा। छोटी सी उम्र लेकिन कामों का रेकार्ड बहुत बड़ा। रंगीन सपने देखने की उम्र थी। घर परिवार और बजुर्ग माता पिता को संभालने की उम्र थी। इन ज़मीनी हकीकतों के बावजूद करतार सिंह ने सपना भी देखा तो एक अलौकिक सा सपना। हर किसी के बस में नहीं होता घर के सुख आराम को त्याग कर कर देश और देश की जनता के सुख का सपना  देखना। लेकिन सराभा ने सपना देखा-देश को आज़ाद कराने का सपना। सिर्फ सपना ही नहीं देखा बल्कि इसे साकार करने के लिए देश भक्ति की इसी शमा पर हंसते हंसते अपनी जान न्योछावर कर दी। अपने अपने नाम के आगे गांव सराभा का नाम लगाने वाले सभी लोग काश इस भावना और त्याग को भी अपनी ज़िंदगी में उतार सकें। काश कोई तो हो जो उस रास्ते पर फिर चलने का साहस सके और बता सके कि अभी उन शहीदों के सपने अधूरे हैं। अभी बहुत काम बाकी हैं। अभी रात बाकी है। 
यूं तो आज भी सिंह सराभा का शहीदी दिन बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। बहुत ज़ोर शोर से आयोजन होते हैं। ये आयोजन सरकारी भी होते हैं और गैर सरकारी भी। इन सभी आयोजनों में देश के ठेकेदार बन बैठे सियासतदानों से कोई नहीं पूछता कि आख़िर आप देश पर कुर्बान होने वाले शहीदों को शहीद का दर्जा क्यूं नहीं देते? क्यों बेचते हो उनका नाम और उनकी शहादत? क्यों करते हो उनके नाम पर आडम्बर? अफ़सोस कि वाम दलों ने शहीदों को शहीद का दर्जा दिलवाने के लिए उन दिनों में भी कुछ नहीं किया जब दिल्ली में वाम की तूती बोलती थी और कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत किंग मेकर गिने जाते थे। परिणाम यह हुआ कि शहीदों का नाम एक आडंबर बन कर रह गया। वे लावारिस से हो गए। कोई भी उनके नाम पर कुछ भी करने को स्वतंत्र  महसूस करने लगा। काश शहीदों के नाम का दुरपयोग रोकने के उनके वारिस आगे आएं। दुःख की बता है की ऐसा दुरपयोग हर बार देखने को मिलता है। 
बड़ी हैबोवाल लुधियाना के एक सरकारी स्कूल में तो हद ही हो गयी जब सराभा के नाम पर स्कूलों बच्चों से हुस्न इश्क के गीत संगीत प्रस्तुत कराए गए जिनका देश भक्ति से कोई लेना देना ही नहीं था।  व्यापारी और साम्प्रदायिक सियासतदान इन आयोजनों के मुख्य मेहमान बने होते हैं। इसका मुद्दा कामरेड एम एस भाटिया ने सीपीआई के उस सेमिनार में भी उठाया जो सराभा की याद में आयोजित हुआ।
सीपीआई के पार्टी कार्यालय में हुए इस कार्यक्रम जहां करतार सिंह सराभा को याद किया गया वहीं देश में तेज़ी से बढ़ रहे साप्रदायिक ज़हर वाले माहौल पर भी गहरी चिंता व्यक्त की गई।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की जिला इकाई ने आज पार्टी आफिस में शहीद करतार सिंह सराभा का शहीदी दिवस मनाया। इस मौके पर जहां गदर लहर और अन्य शहीदों की चर्चा की गई वहीं अंग्रेज़ सरकार से कई कई बार क्षमा याचना करके रिहा होने वाले लोगों की भी चर्चा हुई। इस मौके पर वीर सावरकर और संघ परिवार को विशेष तौर पर निशाना बनाया गया। इस श्रद्धांजलि सभा में जिला सचिव डी पी मौड़ के साथ साथ डॉक्टर अरुण मित्रा, रणजीत सिंह, केवल सिंह बनवैत, गुरनाम सिंह सिद्धू, गुलज़ार गोरिया और कई अन्य स्थानीय नेता भी शामिल हुए।
                       --(पंजाब स्क्रीन टीम में  इस कवरेज पर थे-कार्तिका सिंह//एम एस भाटिया//रेक्टर कथूरिया)

Thursday, November 14, 2019

नोटबंदी,कश्मीर और गौरी लंकेश पर भी हुए कविता में इशारे

कविता पहुंची कालेजों तक:GCG  में हुआ विशेष आयोजन
लुधियाना: 14 नवंबर 2019: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
युग बदले तो वक़्त के साथ साथ बहुत कुछ बदल गया। रीति रिवाज तक बदलते देखे गए। लोगों ने अपने धर्म बदल लिए, मज़हब बदल लिए, ईमान बदल लिए। इस सब कुछ के बावजूद एक शायर ही बाकी बचा था वह भी बदल गया लेकिन फिर भी कुछ कलमकार थे जो नहीं बदले। उनकी कविता न खरीदी जा सकी और न ही किसी अंकुश से दबायी जा सकी।   
ऐसे में एक साज़िश हुई और ऐसी कविता को बंधक बना लिया गया। उनकी कविता को वर्ग विशेष से सबंधित लोगों ने अपने अपने गट से सबंधित विशेष हाल कमरों तक महदूद कर लिया। बस उनकी कविता वहीँ तक गूंजती। उसका लोगों से मिलना जुलना बंद हो गया। बंधक वर्ग से जाने अनजाने में जुड़े लोग आते, अपनी रचना सुनाते और जब दुसरे की बारी आती तो बाहर चले जाते या सो जाते। 
कविता दम तोड़ने लगी थी। किसी नई कविता का जन्म भी होता तो आम लोगों को इसका पता ही न चलता। ऐसे में आगे आए कुछ शिक्षण संस्थान।  सहयोग दिया पंजाब कला परिषद जैसे संस्थानों ने। कविता उन वर्ग विशेष के बड़े बड़े हाल कमरों से निकल कर कालेजों में आने लगी जहाँ उसे नयी पीढ़ी के लोग मिले। शायरी में ये लोग कच्चे हो सकते हैं लेकिन तिकड़मों से कोसों दूर थे। इन्होने ने भी जानेमाने शायरों को नज़दीक से देखा। नज़दीक से उनका कलाम सुना। उनके साथ चाय पी खाना खाया और उन्हें अपने नज़दीक महसूस किया।  
यह सब हमारी टीम ने देखा लुधियाना में लड़कियों के सरकारी कालेज में जिसे ज़्यादातर लोग जीसीजी के नाम से जानते हैं। इसी तरह के आयोजन सतीश चंद्र धवन राजकीय कालेज लुधियाना और जीजीएन खालसा कालेज लुधियाना जैसे संस्थानों में भी देखने को मिले। 
दिन था 14 नवंबर 2019 का। समय रहा होगा कोई सुबह 11 बजे। पंजाब कला परिषद के महासचिव डाक्टर लखविंदर जौहल किसी वजह से नहीं आ पाए। उनकी गैरमौजूदगी खटकती भी रही। हाल में औपचारिक सम्मान के बाद मंच पर सुशोभित हो चुके थे शिमला से आये जनाब कुमार कृष्ण जो हिंदी के बहुत अच्छे शायर हैं, लुधियाना से पंजाबी में बहुत गहरी बात करने वाले जनाब जसवंत सिंह ज़फ़र, चित्रों और शब्दों का जादू भरा सुमेल करने की  वाले जनाव स्वर्णजीत सवी, जनता और जनचेतना से जुड़े हुए हिंदी के शायर डा. राकेश कुमार और पंजाबी की शायरा मोहतरमा जसलीन कौर। 
कुमार कृष्ण साहिब ने जहाँ अपनी गुल्ल्क की लूट पर कविता पढ़ते हुए नोटबंदी पर अपना निशाना साधा वहीँ चींटियों और उनके सतत संघर्ष की चर्चा भी बहुत गहरे अर्थों में की। डाक्टर राकेश ने कश्मीर में फौजी वर्दी और बूटों के आतंक की चर्चा बहुत सादगी और खूबसूरती से की। जनाब जसवंत ज़फ़र साहिब ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में कहा कि जो मां की गालियां देता है, जो बहन की गालियां देता है उसे कोख में होती हत्यायों पर कविता लिखने का कोई अधिकार नहीं। मंच संचालन कार्तिका सिंह ने बहुत खूबसूरती से निभाया। इसके साथ ही उसकी गौरी लंकेश पर पढ़ी कविता भी छायी रही। 
--(पंजाब स्क्रीन टीम में इस कवरेज पर थे-एम एस भाटिया//प्रदीप शर्मा //रेक्टर कथूरिया)

Sunday, October 27, 2019

ISIS प्रमुख अबू बक्र अल बगदादी शनिवार को मारा गया

दीपावली के मौके पर आई खबर:ट्रम्प ने किया ऐलान
वाशिंगटन: 27 अक्टूबर 2019: (पंजाब स्क्रीन//इंटरनेट):: 
फोटो:इंटरनेट से साभार 
उम्मीद थी कि वह लड़ता हुआ मौत को गले लगाएगा लेकिन उस ने आत्महत्या का रास्ता चुना। खुद को घिरा देख कर उसने खुद को उड़ा लिया।
इस्लामिक स्टेट का सरगना अबू बक्र अल बगदादी शनिवार को उत्तर-पश्चिमी सीरिया में अमेरिका के विशेष बलों के हमले में मारा गया। यह ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को किया। 

ट्रंप ने कहा कि "क्रूर" संगठन इस्लामिक स्टेट का सरगना और दुनिया का नंबर एक आतंकवादी बगदादी "कुत्ते और कायर की" मौत मारा गया। गौरतलब है कि जघन्य हत्यायों के मामले में इस क्रूर संगठन ने नए रेकार्ड बनाये थे। लड़कियों को बंदी बना कर उनकी योनि और गुदा में में गोलियां मारना जैसे हत्याकांडों की बाकायदा वीडियो भी जारी करता रहा यह संगठन। अनगिनत लोगों की बददुआएँ इस संगठन इस प्रमुख का पीछा कर रही थी। छोटे छोटे नाबालिग बच्चों के सर कलम कर देना, विरोधियों को बंदी बना कर उन्हें मुर्गे की तरह आग पर भूनना इस संगठन के लिए आम सी बात थी। बंदी को पिंजरे में दाल कर बाहर से आग लगाना भी ऊके हत्या के तरीकों में से एक था।  की खुद की मौत आई तो उसका हाल देखने लायक था। 

अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में संवाददाता सम्मेलन के दौरान बगदादी की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि आईएस का सरगना अपने जीवन के अंतिम क्षणों में रोया, चीखा-चिल्लाया और फिर अपने तीन बच्चों की हत्या कर खुद को बम से उड़ा लिया।
ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के विशेष अभियान बलों ने रात के समय "साहसिक और जोखिम भरे अभियान’’ को शानदार ढंग से अंजाम दिया। यह एक ऐसा अंजाम था जिसकी इंतज़ार दुनिया में बहुत से लोगों को बहुत लम्बे अर्से से थी। 
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा कि अमेरिका ने दुनिया के नंबर एक आतंकी सरगना को मार गिराया है। अबू बक्र अल बगदादी अब सचमुच  मर चुका है। उल्लेखनीय है कि उसकी मौत की खबरें पहले भी आती रही हैं। इस बार उसकी मौत की खबर आने पर बाकायदा डीएनए जांच हुई है। इसके बाद ही इसका ऐलान किया गया।  
बगदादी की मौत का हाल बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह आईएसआईएस का संस्थापक और वहशी नेता था जो दुनिया का सबसे क्रूर और हिंसक आतंकी संगठन है। अमेरिका कई वर्षों से बगदादी की तलाश कर रहा था। बगदादी को पकड़ना या मारना मेरे प्रशासन की राष्ट्रीय सुरक्षा की सर्वोच्च प्राथमिकता रही। दुनिया ने इसे दीवाली की सौगात की तरह लिया क्यूंकि जब ोग दीवाली मना रहे थे तभी बगदादी के मरने की खबर आई। 
ट्रंप ने कहा वह बुरी तरह से गया था। इस साडी स्थिति के बावजूद वह एक तरफ से बंद सुरंग में भागते हुए गया। इस दौरान वह पूरे समय रोता और चिल्लाता रहा। जिस ठग ने दूसरों के मन में डर पैदा किया, उसके जीवन के अंतिम क्षण अमेरिकी सेना के खौफ में बीते। जिस ने न जाने कितने लोगों को ख़ौफ़ज़दा मौत दी थी जब खुद उसका वक़्त आया तो वह बुरी तरह से सहम गया। 
उन्होंने कहा कि अभियान में एक भी अमेरिकी सैनिक हताहत नहीं हुआ, लेकिन बगदादी के कई समर्थक मारे गए। उन्होंने कहा कि उसके पास से बेहद संवेदनशील सामग्री और जानकारी मिली है। वह सामग्री क्या है इसका खुलासा तो अमेरिकी सरकार वक़्त आने पर ही करेगी लेकिन यह अमेरिका की बहुत बड़ी कामयाबी है। 
ट्रंप ने कई बार दोहराया कि बगदादी कुत्ते की मौत मरा। वह कायर की मौत मारा गया। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने उपराष्ट्रपति माइक पेंस और शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ व्हाइट हाउस से अभियान का सीधा प्रसारण देखा। इस सीधे प्रसारण के दौरान एक एक पल सनसनी से भरा हुआ था। लगता था किसी भी समय कुछ भी हो सकता है।   
यह सारा हाल बताते हुए उन्होंने कहा कि अमेरिकी कमांडों ने परिसर की दीवार को धमाका कर उड़ा दिया। विस्फोट ने बगदादी के शरीर को विकृत कर दिया, लेकिन डीएनए जांच में उसकी पहचान की पुष्टि हो गई। इस जाँच के बाद ही उसकी मौत का ऐलान किया गया। गौरतलब है कि आईएस ने लोगों पर बहुत अत्याचार किये, जिसके चलते हजारों लोगों को जान गंवानी पड़ी। जो जो वीडीओ यह संगठन जारी करता रहा उन्हें देख कर रौंगटे खड़े हो जाते थे। पिछले पांच वर्षों में, बगदादी के ठिकाने के बारे में बहुत कम जानकारी मिल पाई थीं। इस दौरान कई बार उसके मारे जाने की खबरें भी आईँ। बगदादी की मौत को राष्ट्रपति ट्रंप के लिये बड़ी राजनीतिक जीत माना जा रहा है, जो विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से महाभियोग की प्रक्रिया का सामना कर रहे हैं।
ट्रंप ने अभियान में सहयोग देने के लिये रूस, तुर्की, सीरिया, और इराक को धन्यवाद दिया। उन्होंने अभियान में मददगार जानकारी उपलब्ध कराने के लिये सीरियाई कुर्दों को भी धन्यवाद कहा। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि कुर्दों ने इस मामले में सैन्य भूमिका नहीं निभाई लेकिन उन्होंने हमें जानकारी ज़रूर उपलब्ध कराई। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि अमेरिकी विशेष बलों ने तुर्की के किसी क्षेत्र से उड़ान भरी थी।
उन्होंने कहा कि हमने रूस से बात कर उसे बताया कि हम वहां आ रहे हैं...उन्होंने बहुत अच्छी प्रतिक्रिया दी। हमने रूस को यह नहीं बताया कि हमारा मिशन क्या है। 
ट्रंप ने कहा कि यह एक खुफिया अभियान था। वहां घुसते ही हल्की गोलीबारी हुई, जिसका तुरंत जवाब दिया गया। अभियान की प्रक्रिया शाम पांच बजे शुरू की गई।
उन्होंने कहा कि अभियान से पहले 11 बच्चों समेत कई लोगों को बचाया गया। डीएनए जांच में साबित हो गया है कि वह बगदादी था। हमले में उसकी दो पत्नियां भी मारी गईं।
दुनिया की सबसे अच्छी खुफिया एजेंसियों द्वारा खोजे जाने और अमेरिकी अधिकारियों द्वारा उसके बारे में सूचना देने के लिये ढाई करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम रखने के बावजूद बगदादी हाथ नहीं आया।
बगदादी इराक में अल-कायदा में शामिल हो गया, जिसका बाद में इराक के इस्लामिक स्टेट और अन्य इस्लामी समूहों के साथ विलय हो गया। वह अमेरिकी सेना द्वारा अपने पूर्ववर्ती के मारे जाने के बाद 2010 में समूह का नेता बन गया। इसके बाद उसने 2013 में समूह का नाम बदलकर आईएसआईएल या आईएसआईएस किया और 2014 में खुद को उसका खलीफा घोषित कर लिया। फिर भी यह सवाल अभी कायम है कि आईएसआईएस की गतिविधियां अब बंद होंगीं या मंद पड़ेंगी? क्या इस जघन्य संगठन की जंग अब नियंत्रण में की जा सकेगी? दुनिया भर में फैलिन इनकी शाखाओं पर अब बगदादी की मौत का क्या असर पड़ेगा?  

Monday, October 21, 2019

सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. शकुंतला यादव का देहावसान

Monday:Oct 21, 2019, 9:38 PM
बाईपास सर्जरी के बाद अस्वस्थ थीं-साहित्य जगत में शोक की लहर 
लुधियाना: 21 अक्टूबर 2019: (*डा. राजेंद्र साहिल)::
एससीडी गवर्नमेंट कॉलेज , लुधियाना में लंबे समय तक हिंदी साहित्य का अध्यापन करने वाली और हिंदी की समर्थ एवं सुप्रसिद्ध कवयित्री डॉ. शकुंतला यादव आज अपनी जीवन-यात्रा संपूर्ण कर परम पिता परमात्मा के चरणों में जा बिराजीं। वे 73 वर्ष की थीं। उनका अंतिम संस्कार केवीएम के निकट वाले श्मशान घाट में किया गया। इसी महीने अर्थात 1 अक्तूबर 1946 को जन्मीं डॉ. शकुंतला यादव ने लगभग तीस वर्ष तक लुधियाना के सरकारी कॉलेज में अध्यापन किया और हिंदी के अनेक विद्यार्थियों के जीवन का निर्माण किया। डॉ. शकुंतला यादव ने हिंदी साहित्य को 'सूरज की तलाश', 'शब्दों के नील पंछी' और 'गुब्बारा: रौशनी और छिपकली' जैसे काव्य-संग्रहों समेत कुल छह पुस्तकें प्रदान कीं। वर्ष 2004 में सेवा-मुक्त होने के बाद से ही वह पुष्प विहार कॉलोनी, बाड़ेवाल कैनाल रोड, लुधियाना में निवास कर रहीं थीं और पिछले कुछ वर्षों से हृदय की बाईपास सर्जरी के कारण अस्वस्थ रहतीं थीं। डॉ. यादव अपने पीछे एक पुत्र-पुत्रवधू, दो पौत्र और अनेक शिष्य रूपी संतानें छोड़ गईं हैं। 
*-डा. राजेंद्र साहिल स्वर्गीय डा. शकुंतला यादव के बहुत ही नज़दीकी जानकारों/मित्रों में रहे। 

Sunday, September 15, 2019

मेला छपार: यहां कोई गद्दी नशीन नहीं-कहा धर्मेंद्र शर्मा ने

"हम सभी यहां पर सेवादार हैं"
छपार (लुधियाना): 13 सितम्बर 2019: (पंजाब स्क्रीन टीम):: 
आस्था-प्रेम और दोस्ती की कहानी को हर साल याद दिलाने वाला मेला छपार इस बार भी धूमधाम और उत्साह से मनाया गया। इस बार भी बहुत से लोग आये लेकिन पहले जैसी बात नज़र नहीं आ रही थी। मेले में आने वाले लोगों की कमी का ज़िक्र करते हुए सक्रिय सेवादार धर्मेंद्र शर्मा कहते हैं कि वास्तव में पिछली बार बारिशों ने रेकार्ड तोड़ दिया था। राजनैतिक दलों ने भी अपने पंडाल छोड़ कर अपने सम्मेलन कैंसल कर दिए थे जबकि इस बार गर्मी ने बस करा रखी है।  
इसके साथ ही धर्मेंद्र शर्मा कहते हैं कि सब बाबा के रंग हैं। बाबा जब चाहेंगे मेला इतना भरेगा कि सब पिछले रेकार्ड भी तोड़ देगा। इस तरह के उतराव चढ़ाव तो कई बार आये हैं। उन्होंने बहुत ही विश्वास से कहा कि यहाँ जल्द ही वे दिन फिर से आएंगे जब लाखों लाखों लोग यहाँ आएंगे मेला छपार में अपनी आस्था व्यक्त करने। उन्होंने एक सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट कहा कि यह गद्दी पीर बाबा सुलक्खन गुग्गा पीर जी की ही है कोई उनकी जगह नहीं ले सकता। कोई उनकी जगह गद्दी नशीन नहीं हो सकता। हम सभी यहाँ सेवादार हैं। यहाँ के पुजारी कह लो लेकिन यहाँ भगवान तो वही हैं। उनमें आस्था होने के कारण लाखों लोग हर बरस यहाँ माथा टेकने आते हैं वे हमारी वजह से नहीं आते। जो लोग खुद की गद्दी नशीन समझते हैं बाबा ही उन्हें सद्धबुद्धि देंगें।  उन्होंने कहा कि गद्दी नशीनी की यहाँ कोई परम्परा ही नहीं है। यहाँ केवल सेवा की परम्परा है। सेवा का फल बाबा सभी को बिना मांगे दे देते हैं। 

दरअसल मेला छपार की कहानी है आस्था की कहानी। सांप और इन्सान की दोस्ती की कहानी। एक ऐसी मोहब्बत की कहानी जिस पर जल्दी किये विशवास नहीं होता। एक वायदे की कहानी--जो आज तक निभाया जा रहा है। मन्दिर के प्रबन्धक कहते हैं यह कहानी 150 वर्ष से मित्रता का संदेश दे रही है। धर्मेंद्र  यह संख्या 300 वर्ष बताई। लोग अपने अपने हिसाब और यादाशत के  मुताबिक इस के इतिहास की चर्चा करते हैं। 

बात कर रहे थे हम आस्था, दोस्ती और मोहब्बत की। वायदों कीयह कहानी अविश्वनीय लग सकती है लेकिन इसका संदेश आज के युग में भी बहुत बड़ी हकीकत है। आज जब मानव ही मानव का दुश्मन हो गया है। भाई ही भाई की हत्या कर रहा है उस समय सांप और मानव की दोस्ती बहुत बड़ी उम्मीदें जगाती है कि देखो कभी ऐसा स्वर्णिम युग भी था। 

बताया जाता है कि एक किसानी परिवार में एक सांप और एक  लडके का जन्म एक साथ हुआ।  दोनों का प्रेम भी बहुत था। एक दिन जब लडके की मां उसे बीमारी की हालत में लिटा कर कहीं बाहर गयी तो उसके चेहरे पर धुप पड़ने लगी। उसके दोस्त सांप ने उसे धुप से बचाने के लिए ज्यों ही अपना फन फैलाया तो किसी राहगीर ने समझा की सांप उस लड़के को काटने लगा है। उसने तुरंत उस सांप को मार दिया। सांप के मरते ही वो लड़का भी मर गया। परिवार के साथ पूरे गाँव में मातम छा गया। वह सांप ही यहाँ गुग्गा पीर कहलाता है। 
बजुर्गों की सलाह पर इन दोनों के स्मृति स्थल के लिए एक जगह तलाश की गयी। आज इसे गुग्गा माड़ी या मैडी के नाम से जाना जाता है। हर वर्ष मेला लगता है और खूब भरता है। लाखों लोग आते हैं यहाँ मन्नतें मानने। और फिर उस मन्नत के पूरा होने पर शुकराना करने भी आते हैं। गौर हो कि यह मेला गुग्गा जाहिर पीर गुग्गा माड़ी मंदिर गांव छपार में लग रहा है। मालवे के इस प्रसिद्ध मेले में कई बड़ी सर्किस, दर्जन से अधिक झूले, जादूगर शो आदि यहां जाने वाले श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। मालवा क्षेत्र के इस प्रसिद्ध छपार मेले में दस से 12 लाख लोग पंजाब, हिमाचल, हरियाणा व चंडीगढ़ आदि क्षेत्रों से आते हैं और हिंदू, सिख, मुस्लिम सभी वर्ग के लोग एकत्रित होकर गुग्गा माड़ी मंदिर में अपनी मुराद मांगते हैं।
छपार मेले की प्रचलित कथा के अनुसार गुग्गा अपनी मां से क्रोधित होकर बांगड़ा अपने दोस्त खुल्लरियन के पास गांव छपार आ गया। यहां आकर उन्होंने अपने दोस्त से आलोप होने और प्रकट होने की सिद्धि प्राप्त की और दोनों दोस्तों ने यहीं समाधि ली। जब श्रद्धालू यहाँ मिटटी निकालते हैं तो उनके चेहरों पर उम्मीद की चमक देखने वाली होती है। मिटटी निकालते वक्त उनके हाथ कितना अदब से उठते हैं यह खुद वहां जा कर ही देखा जा सकता है।    
उसी समय से इस स्थान की मान्यता है। गुग्गा सर्पो का राजा माना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि सर्पदंश का इलाज यहां अपने आप हो जाता है, ऐसी मान्यता है। मान्यता के अनुसार गुग्गा माड़ी मंदिर में माथा टेकने व मिंट्टी निकालने से सांप पूरे वर्ष नजर नहीं आएगा। धर्मेंद्र शर्मा बताते हैं कि वास्तविक शब्द माड़ी नहीं मैड़ी है। 
छपार जैसे मेले से ही निकले हैं आज के पूंजीपतियों और कारपोरेट घरानों के बड़े बड़े फेस्टिवल और मेले जो दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में लगते हैं। उन मेलों में बड़ी बड़ी मशीनों के सौदे होते हैं और यहाँ छपार में अब भी ज़िंदगी चलाने के साधन मिलते हैं। यहाँ आने वाले सभी लोग यहाँ से कुछ न कुछ ले कर ही जाते हैं। किसी को साल भर की रोशन का अनाज मिल जाता है तो किसी को साल भर के खर्चे जितना कैश धन। ढोल बजाने वाले से ले कर खजला बेचने वाले तक हर कोई इस मेले से कमाई करता है। अनगिनत लोगों का रोज़गार है यह मेला। ज़रा ध्यान से देखो तो आपको नज़र आएंगे छोटे छोटे परिवार, साधारण से गरीब लोग, कोई नगार बजा रहा है, कोई मोर के पंख ले कर बैठा है, कोई नाच रहा है तो कोई कुल्फी बेच कोई रहा है, कोई गा रहा है, कोई ज़मीन पर सांप की तरह लेटा लेटा घूम रहा है।  

झूले वाले, बीन वाले, मिठाई वाले, ढोल वाले इत्यादि बहुत से लोग हैं जिन्हें यहाँ आ कर रोज़गार मिलता है। करीब कई महीनों की रोटी इन लोगों को यह मेला दे जाता है। इस मकसद के लिए यहाँ बहुत से लोग पंजाब ही नहीं अन्य राज्यों से भी आते हैं। 
मेला कमेटी यहाँ आने वालों के लिए पूरी आवभगत और मूलभूत सुविधाओं का प्रबंध  की तरह करती है। लंगर के साथ साथ कई तरह के पकवान परोसे जाते हैं। पुलिस भी इस अवसर पर लोगों की सुरक्षा के लिए मुकम्मल बन्दोबस्त करती है। तकरीबन हर धर्म के लोग यहाँ आते हैं। हर उम्र के लोग यहाँ आते हैं। ये लोग कितनी आस्था से सात बार मिटटी निकालते हैं इस आस्था को उनके चेहरे और भावों से महसूस किया जा सकता है।