Sunday, March 29, 2020

कोरोना संकट में भी सामने आई ठाकुर दलीप सिंह की संगत

29th March 2020 at 5:08 PM
हर राज्य में पहुंचाए जा रहे हैं राशन और अन्य आवश्क्य चीज़ों के पैकेट  
लुधियाना: 29 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
इसमें कोई शक नहीं कि कोरोना वायरस ने सारी दुनिया को हिला कर रख दिया है लेकिन हकीकत यह भी है कि इसने सभी को एक भाईचारे का अहसास भी करवा दिया है। जहां पर्यावरण का मौसम शुद्ध हो गया है वहीँ लोगों के दिल और दिमाग का प्रदूषण भी अब तेज़ी से कम होता जा रहा है। लोग घर में बैठ कर चिंतन मनन करने लगे हैं। खुद से मुलाकात भी करने लगे हैं। लेकिन पैसे का संकट भी गहराया है। 
इस नाज़ुक हालात में जब आम लोग भूखमरी की कगार पर भी  पहुंच गए हैं। इस समय स्थिति बेहद नाज़ुक रूप ले रही है। लोगों के पास न तो नगद पैसा बचा है और न ही खाने का भोजन। ऐसे में जो लोग लंगर और राशन की सेवा ले कर आगे आये हैं उनमें से अधिकतर लोग या तो फोटो खिंचवा खिंचवा कर इन गरीबों के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाते हैं या फिर इनके आधार कार्ड मांग कर इनको इनकी गरीबी और मजबूरी का अहसास कराते हैं। उनके अंदाज़ में कहीं भी दया भावना या दिव्यता नहीं होती। मध्य वर्गों से जुड़े बहुत से लोग ऐसी हालत में भूखे मरना तो मंज़ूर कर लेते हैं लेकिन लीडरी की ललक रखने वाले ऐसे लोगों की लिस्टों में अपना नाम कभी नहीं लिखाते। ऐसे लोगों की सहायता को पहुंचे हैं नामधारी समुदाय के संत स्वभाव लोग। किसी के भी आत्म सम्मान को ठेस पहुंचाए बिना उसको मदद देते हैं। बिना कोई शर्त रखे बिना कोई सबूत मांगे। हालांकि गलत लोग इस का फायदा भी उठाने का प्रेस करते हैं लेकिन इनकी अंतर्दृष्टि सब पहचान लेती है और उन बेईमानों को भी इमां के रास्ते पर ले आती है।  शब्दों की मिठास उसे इस संकट में जो राहत देती है उसका उल्लेख शब्दों में किया ही नहीं जा सकता।  
इन मजबूर लोगों की मजबूरी और आत्म सम्मान को समझते हुए नामधारी संगत इनको बिना किसी भेदभाव के राहत पहुंचा रही है। राहत में सूखा राशन भी है और नगदी भी। नामधारी संगत यह सारा काम अपने सद्गुरु ठाकुर दलीप सिंह के आदेशों पर कर रही है। राहत के इस काम को पंजाब के साथ साथ दिल्ली, यूपी, हरियाणा, हिमाचल  प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और अन्य राज्यों तक भी लेजाया जा रहा है। अमृतसर, गुरदासपुर, चुन्नी, मोहाली, जालंधर और पटियाला की संगत इस काम के लिए बढ़चढ़ कर आगे आई है। नामधारी हरविंदर सिंह, नामधारी तेजिंदर सिंह, सेवक देव सिंह ने कहा कि जैसी जैसी ड्यूटी लगाई गयी है उसी के मुताबिक संगत अपना काम कर रही है। 
नामधारी नवतेज सिंह ने कहा कोरोना के इस गंभीर संकट को देखते हुए जिस तरह बहुत से समाज सेवी संगठन आगे बढ़ कर आये है उसे देखते हुए यह विश्वास और पक्का होता है कि हम प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कोरोना को जल्द ही हरा देंगें। ऐसे में बेरोज़गारी और राशन की कमी का जो संकट खड़ा हुआ है उसे भी हमें सभी लोगों को एकजुट हो कर ही हराना होगा। हंस सभी एक रहेंगे तो इस पर भी काबू पाया जा सकेगा। 
इस लिए जितने भी संगठन इस मकसद के लिए कार्य कर रहे हैं वे सभी हार्दिक बधायी के पात्र हैं। हम उन्हें सलाम करते हैं।  
उनके साथ ही सुश्री भूपिंदर कौर (अमृतसर) ने कहा कि ठाकुर दलीप सिंह जी उन लोगों को ज़बरदस्त सड़कों पर लंगर खिलाने के हक में नहीं जो पहले ही पेट भर कर खाये होते हैं। हमें यह सारा लंगर ज़रूरतमंद लोगों तक पहुंचना होगा। इस मकसद के लिए अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करना होगा। 
संकट का सामना करने के इस दिव्य अवसर पर सुश्री कुलदीप कौर (पटियाला), साहिब सिंह (अमृतसर), रत्न सिंह, हज़रा सिंह (चंडीगढ़), हरदीप सिंह (हिमाचल प्रदेश), जसपाल सिंह, मनमोहन सिंह (कानपुर), जसवीर सिंह (सिरसा), मोहन सिंह झब्बर (करीवाला), सरबजीत कौर दिल्ली और गुरमीत सिंह सग्गू भी मौजूद रहे।
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Saturday, March 28, 2020

कोरोना से पहले लोग भूख और गरीबी से मर जायेंगे

 28th March 2020 at 4:59 PM
9 जन संगठनों ने लिखा मुख्यमंत्री को पत्र 
इस तस्वीर को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है गब्बर सिंह ने 
लुधियाना: 28 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
एक तो कोरोना का कहर ऊपर से भूख और बेरोज़गारी की मुसीबत। आम लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। पंजाब के 9 जन संगठनों ने मौजूदा स्थिति को लेकर मुख्य मंत्री को पत्र भी लिखा है। इन्होने इस बात की कड़े शब्दों में निंदा की है कि आम गरीब वर्ग की ज़िंदगी के प्रबंधों को किये बिना कर्फ्यू का ऐलान ही क्यों किया गया? कर्फ्यू से फौरी पहले ज़रूरी प्रबंध क्यों नहीं किये गए। इन संगठनों ने इस बात पर भी गहरी चिंता व्यक्त की कि सरकारी दावों के बावजूद कोरोना पर नियंत्रण होता नज़र नहीं आ रहा। मुख्य मंत्री को लिखे अपने पत्र का विवरण देते हुए इन संगठनों ने एक प्रेस वक्तव्य में कहा कि सरकारी बयानों से गरीबों का पेट नहीं भरने वाला। इन बयानों को लागू भी किया जाना चाहिए। कोरोना का कहर बढ़ता ही जा रहा है और इससे संक्रमित लोगों की संख्या भी बढ़ रही है। संगठनों ने लोगों पर टूटे पुलिस के कहर की भी सख्त निंदा की। जब लोगों ने  इस सख्ती का विरोध किया तभी पुलिस कमिश्नर ने पुलिस के इस डंडे को रोकने की बात कही। 
इन संगठनों ने आरोप लगाया कि लोगों को राहत देने के नाम पर जो मोबाईल नंबर जारी किये गए हैं उनको कोई उठाता ही नहीं। गली मोहल्लों में जिन फेरी वालों को सामान पहुंचाने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई है वे हर चीज़ के भाव दो तीन गुना ज़्यादा वसूल कर रहे हैं। दूध में भी मिलावट निकल रही है। ऐसे में बेचारे लोग कहाँ जाएं।  क्या भूखे पेट रामायण देखी जाती है?
जो लोग हर रोज़ दिहाड़ी कर के पेट भरते थे उनकी मुसीबत सबसे ज़्यादा है? ऐसे में अगर सप्लाई की हालत सुधर भी जाये तो भी वे लोग ज़रूरत की ज़रूरी चीज़ें कहाँ से खरीदेंगे? उनको खाली जेब कौन देगा सामान?
बेशक रजिस्टर्ड मज़दूरों के लिए तीन तीन हज़ार रुपया देने की घोषणा तो की गयी है लेकिन यह भी अभी तक एलानों तक ही सीमित है। किसी के हाथ में अभी तक पैसा नहीं आया? इन गरीब लोगों को अगर तुरंत राहत न मिली तो वे लोग कोरोना से पहले भूख के कारण मर जायेंगे। ऐसी मौतें हुईं तो इसके लिए प्रधानमंत्री और मुख्य मंत्री ज़िम्मेदार होंगें। लोग जिस तरह दिल्ली से 400-700 किलोमीटर पैदल अपने गाँवों की तरफ पैदल ही निकल पड़े हैं उसे देख कर अनुमान लगाना कठिन नहीं कि सरकारों ने उनके लिए क्या किया है। मुंबई, पटियाला, दिल्ली हर तरफ बुरी हालत है। ऐसे में सरकारें सिर्फ ब्यान दे रही हैं। टीवी पर रामायण दिखाने की घोषणा कर रही हैं। 
जम्होरी अधिकार सभा पंजाब की तरफ से प्रोफेसर ए के मलेरी-प्रोफेसर जगमोहन सिंह, इंकलाबी केंद्र पंजाब और तर्कशील सोसायटी की तरफ से जसवंत जीरख-सचदेवा,  जमहूरी किसान सभा की तरफ से रघबीर सिंह बैनीपाल और प्रोफेसर जैपाल सिंह, इंकलाबी मज़दूर यूनियन की  सुरिंदर सिंह, मोलडर एंड स्टील वर्कर्ज़ यूनियन की तरफ से हरजिंदर सिंह, महा सभा लुधियाना की तरफ से रिटायर्ड कर्नल-जे एस बराड़, नौजवान सभा ककी तरफ से राकेश आज़ाद,  संगठन की तरफ से गलर चौहान ने मांग की है कि हर वर्ग के मज़दूरों को आने वाले तीन तीन महीनों के लिए नगदी, राशन और अन्य आवश्यक सुविधाओं का प्रबंध किया जाये। इस मकसद का पत्र डिप्टी कमिश्नर लुधियाना की तरफ से मुख्य मंत्री को भेजा गया है। समाज के समृद्ध लोगों को भी आर्थिक तौर पर पिछड़े वर्गों की सहायता के लिए आगे आने को कहा गया है।
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राशन वितरण को लेकर जामा मस्जिद का ऐतिहासिक फैसला

28th March 2020 at 3:34 PM
सामग्री बांटते समय किसी जरूरतमंद की फोटो नहीं लेंगे:शाही इमाम 
लुधियाना जामा मस्जिद में गरीब परिवारों को राशन बांटने के दूसरे चरण की तैयारी करते हुए कार्यकर्ता
लुधियाना: 28 मार्च 2020:(कार्तिका सिंह//पंजाब स्क्रीन):: 
शहर की दाना मंडी में केंद्र सरकार के खिलाफ 39 दिन तक शाहीन बाग आंदोलन चलाने वाले जामा मस्जिद के कार्यकर्ता अब सभी वैचारिक मतभेद भुला कर शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी की अध्यक्षता में कोरोना वायरस संकट में इंसानियत को बचाने के लिए किए जा रहे संघर्ष में भी मोर्चा संभाल चुके हैं। 
नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने बताया कि बीते एक सप्ताह से जरुरतमंद परिवारों में राशन बांटने के बाद अब जामा मस्जिद से राशन बांटने का दूसरा चरण शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि जामा मस्जिद का पहले चरण में 213 परिवारों तक एक महीने का राशन पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि हमारी यह कोशिश है कि रोज खाना बनाने के लिए इस्तेमाल में आने वाली सभी चीजें मजदूरों, रिक्शा चलाने वाले और बहुत ज्यादा मजबूर परिवारों को उपलब्ध करवाई जाऐ। नायब शाही इमाम ने बताया कि जामा मस्जिद के कार्यकर्ता अब दूसरे चरण में जहां सामान पैक कर रहे हैं वहीं पर संपर्क साधने वाले लोगों का पता लगाकर वहां पहुंचने की तैयारी भी कर रहे हैं। 
शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने ऐलान किया कि सामग्री बांटते समय किसी भी जरुरतमंद की फोटो नहीं ली जाएगी ताकि किसी के भी आत्म सम्मान को ठेस ना लगे। शाही इमाम ने कहा कि सर्वधर्मों के लोग मिलकर ही कोरोना वायरस संकट का मुकाबला कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह समय है कि पूरे भारत वंश के लोग अपने राजनीतिक और वैचारिक मतभेदों को भुलाकर इंसानियत को बचाने के लिए एकजुट हो जाएं। 
शाही इमाम ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार व पंजाब की कैप्टन सरकार इस संकट के समय में जो भी काम कर रही है वो जनता के हित में है। उन्होंने कहा कि आज देश भर के धार्मिक स्थानों से गरीबों का पेट भरने के लिए जो प्रयास किए जा रहे है इसे भी इतिहास में याद रखा जाएगा। शाही इमाम ने पंजाब के सभी बड़े उद्योगपति घरानों से अपील की है कि वह अपने अपने संस्थानों द्वारा गरीबों के लिए दो वक्त की रोटी का लगातार प्रबंध करें। उन्होंने कहा की विश्व भर में आए हुए इस कोरोना संकट से सबसे पहले भारतीय मुक्त हो ऐसी हमारी दुआ है। शाही इमाम ने कहा कि इंसान लाचार है सबसे बड़ी ताकत खुदा की है इसलिए हम सब सभी प्रयासों के साथ-साथ यह ना भूले की इस विश्वव्यापी संकट से खुदा की मदद के बगैर नहीं निकला जा सकता। इस लिए हमें अपने गुनाहों की माफी मांगते हुए भलाई के काम जारी रखने हैं। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी ने समाज सेवी संस्थाओं से यह भी अपील की कि गरीब और जरूरतमंद परिवारों के अलावा समाज में ऐसे परिवार भी होते हैं जो कि अपने आत्म सम्मान की वजह से किसी के सामने अपनी जरूरत का इजहार नहीं करते इस लिए सभी सामाजिक संस्थाऐ विशेष रूप से इस बात की तरफ ध्यान दें कि जो लोग अपनी प्रतिष्ठा की वजह से लाइन में लगकर या फोटो खिंचवा कर राशन लेने से कतरा रहे हैं उन्हें छुपकर खामोशी से राशन पहुंचाने का काम किया जाए।
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Friday, March 27, 2020

पुलिस डण्डे खड़काने छोड़कर विदेशो से आये लोगो को ढूंढे-अनीता शर्मा

27th March 2020 at 2:10 PM
विदेशी नागरिकों को ढूंढ कर अलग करने का काम तुरंत हो-बेलन ब्रिगेड 
लुधियाना: 27 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
हालांकि पुलिस ने ऊपर से आये आदेशों के बाद डंडे इस्तेमाल बहुत ही कम कर दिया है फिर भी बेकन ब्रिगेड को लगता है कि पुलिस सड़कों पर नाहक ही डंडे खड़का रही है। इसी बीच कोरोना को अभी तक मज़ाक समझने वाले लोगों ने सड़कों पर निकलने और सट कर खड़े होने की आदतें नहीं बदली। ऐसे लोगों का इलाज डंडे से ही सम्भव था लेकिन डंडे के प्रयोग से पुलिस की सख्त आलोचना भी हुई। 
बेलन ब्रिगेड की प्रमुख अनीता शर्मा ने कहा है कि कोरोना वायरस एक छूत की बिमारी है यह चाइना से सारी दुनिया में फैली है और जो लोग विदेशों से भारत आ रहे है वे लोग ही इस बिमारी को फैला रहे है।  पंजाब में हज़ारों लोग मार्च के महीने विदेशो से आये है और कितने लोगो को कोरोना है इसकी किसी को खबर नहीं है। इस समय यही जांच सर्वप्रथम होनी चाहिए। 
बेलन ब्रिगेड की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीता शर्मा ने कहा कि कोरोना वायरस कोई डेंगू नहीं है क्यूंकि  डेंगू तो  हमारे गली मुहल्लों में मच्छरों से खुद हमारे शरीर में पैदा होकर हमे रोगी बना देता है लेकिन कोरोना बिमारी विदेशों  से आ रही है। पिछले एक दो महीने में जितने भी विदेशी लोग भारत में आये है उन लोगो पर विशेष निगरानी रखी जानी चाहिए ताकि इस महामारी को रोका जा सके। 
इस गंभीर हालत में भी पंजाब में इसके विपरीत हो रहा है।  कर्फ्यू की आलोचना करते हुए बेलन ब्रिगेड प्रमुख ने कहा कि सरकार ने कर्फ्यू लगा कर जनता को घरो में लॉक कर  दिया।  इसके साथ ही उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस सड़कों चौराहो पर नाके लगा कर आम जनता को  डण्डे व वर्दी का रौब दिखाकर उनके मौलिक अधिकारों का बिना सोच समझ के हनन कर रही है। 
अनीता  शर्मा ने आगे कहा कि सरकार को चाहिए कि सारे सरकारी मुलाज़िमों व पुलिस जो सड़कों पर डण्डे खडका रही है इन सब को 48 घण्टे का समय दिया जाए कि वे हर गली मोहल्ले गाँव में  जा कर एक एक घर को चैक करे और जहां कही भी कोई विदेश से आया नागरिक उन्हें मिलता है तो उसकी सूचना तुरंत पुलिस को दें।स्क्रीनिंग में आने वाले हर नागरिक का तुरन्त मेडिकल कराकर उसे अकेला रखा जाए। 
कोरोना वायरस पर काबू पाने का यही सबसे बड़ा हथियार होगा। इस काम में देरी होने से यह खतरा कई गुना बढ़ जायेगा।
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Corona:ओपीडी सेवाएं तुरंत बहाल की जाएं-डा. अरुण मित्रा

27th March 2020 at 11:32 AM 
मनमर्ज़ी की दवाओं और घरेलू टोटकों से हो सकता है नुकसान 
लुधियाना: 27 मार्च 2020: (एम एस भाटिया//कार्तिका सिंह)::
कोरोना संकट के चलते हालात बहुत नाज़ुक और विकराल बन गए हैं। लोग स्वास्थ्य  समस्यायों को ले कर बहुत अजीब सी उलझनों में हैं। ज़रा से छींक आ जाये या ज़रा सी खांसी तो उन्हें लगता है कि कहीं उन्हें कोरोना तो नहीं हो गया? इसी तरह  दर्द हो तो आशंका लगती है कि कहीं कोरोना का फ़्लू तो नहीं हुआ? ऐसे में बहुत से लोग डर के मारे डाक्टरों के पास भी नहीं जाते कि वहां से कहीं वहां से उन्हें आईसोलेशन हाऊस में भेज दिया जाये। आशंकाओं से घिरे हुए लोग या तो घरेलू टोटकों का सहारा लेते हैं या फिर मन मर्ज़ी की दवाओं का इस्तेमाल शुरू कर देते हैं। इससे उनकी स्वास्थ्य मुश्किलें और बढ़ जाती हैं। ऐसी स्थिति में डाक्टर अरुण मित्रा ने बहुत पते की बात कही है। उन्होंने कहा है छोटे अस्पतालों और क्लीनिकों की ओपीडी सेवाएं तुरंत चालू करके ही लोगों को स्वास्थ्य संबंधी मामलों में राहत दी जा सकती है। गौरतलब है कि यह मांग उठाने वाले डा. अरुण मित्रा आईपीडी के वाईस प्रेजिडेंट भी हैं। आईपीडी अर्थात इंडियन डाकटरज़ फॉर पीस एंड डिवेलपमेंट लम्बे समय से  भेदभाव के मानवता के भले के लिए सक्रिय है। 
डा. अरुण मित्रा ने कहा कि कोरोना संकट के चलते आम लोग बहुत ही मुश्किलों में हैं। सरकारी और गैर सरकारी कोशिशों के बावजूद आम लोगों तक वह राहत नहीं पहुंच रही जैसा कि ज़रूरत है।  राशन के साथ साथ मुख्ख समस्या स्वास्थ्य सबंधी दिक्क्तों की भी हैं। कोरोना से डरे हुए लोग बेहद डर और दुविधा में हैं। गली मोहल्लों में उनके आसपास न कोई अस्पताल खुला है और न ही कोई क्लिनिक। ऐसे में लोग जो भी दवा अपने या पड़ोसी के घर में पड़ी मिलती है उसे ही लेने लगते हैं। कोई डाक्टर की पर्ची मिल भी जाये तो भी उन्हें बहुत दूर जाना पड़ता है। ऐसी हालत में यही उचित होगा कि गल्ली मोहल्लों के क्लिनिक भी तुरंत खोले जाएं और वहां ओपीडी जैसी  तुरंत शुरू की जाएं।    
डाक्टर मित्रा ने इस संबंध में एक प्रेस बयान जारी करते हुए सरकार से भी मांग की कि ओपीडी सेवाएं तुरंत शुरू करने की आज्ञा सभी सबंधित क्लीनिकों को दी जाये। छोटे अस्पतालों और क्लीनिकों में ओपीडी सेवाएं शुरू करके लोगों को बहुत बड़ी राहत दी जा सकेगी।
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Monday, March 23, 2020

कर्फ्यू के दौरान छूट अब बुधवार 25 मार्च को ही मिलेगी

Monday: 23rd March 2020 at 9:38 PM 
मंगलवार 24 मार्च को रहेगा मुकम्मल कर्फ्यू 
लुधियाना: 23 मार्च 2020: (*पंजाब स्क्रीन टीम)::
नोवेल कोरोना वायरस अर्थात कोविड-19 का खतरा लगातार गंभीर बना हुआ है लेकिन हमारे लोग अभी तक भी इसे  रहे। मौत पूरी दुनिया के सिर पर मंडरा रही है।  राज्य सरकारों के साथ साथ केंद्र सरकारें भी गहरी चिंता में हैं। लोगों को बचने के लिए तरह तरह के प्रयास भी किये जा रहे हैं लेकिन लोग इस बेहद नाज़ुक मौके को भी पिकनिक की तरह ले रहे हैं। गलियों और सड़कों पर ही ही हू हू  करते हुए बाईक पर चक्कर लगा रहे हैं। अपने अपने दरवाज़े पर खड़े ऊंची ऊंची आवाज़ों में बातें कर रहे हैं। कई लोग तो ताश भी खेल रहे हैं। अब सरकार अकेली क्या करे? बहुत मुश्किल है इस देश को विकास के मार्ग पर ले जाना। कर्फ्यू की उलंघना करने  वाले ऐसे लोगों  के साथ अब पुलिस ने मजबूर हो कर  सख्ती भी शुरू। पहले प्यार से भी समझाया लेकिन आम जनता समझने का नाम हिनहिं ले रही।  सख्ती दिखते हुए इन्हें कान पकड़ाने भी शुरू किये और इनके गले में तख्तियां भी लटकायीं जिन पर लिखा था,"मैं समाज का दुश्मन हूं।  मैं घर पर नहीं रह सकता"। इस तरह की कुछ तस्वीरों को जानेमाने समाजसेवी और शायर गुरचरण नारंग साहिब ने वाटसआप पर भी शेयर किया है। 
इसी बीच कर्फ्यू के दौरान मंगलवार की ढील को संशोधित किया गया है। अब बुधवार 25 मार्च 2020   मिलेगी। ढील का समय सुबह 6 बजे से सुबह 9 बजे अर्थात तीन घंटे तक का होगा। यह फैसला चंडीगढ़ में भी कर्फ्यू लगाए जाने के कारण लिया गया है।  विश्व भर में फैली कोरोना वायरस को रोकने के लिए सरकार के आदेशों-निर्देशों पर ही काम किया जा रहा है। जिला मिजस्ट्रेट-कम-डिप्टी कमिश्नर प्रदीप कुमार अग्रवाल ने 23 मार्च 2020 कर्फ्यू लगा दिया था। इस कर्फ्यू में आम लोगों को ज़रूरत की चीज़ें खरीदने के लिए सुबह 6 बजे से सुबह 9 बजे तक  गयी थी लेकिन अब संशोधित फैसले के मुताबिक यह ढील बुधवार 25 मार्च की सुबह को ही मिल सकेगी। मंगलवार को मुकम्मल कर्फ्यू रहेगा। उलंघन करने वालों के साथ पूरी सख्ती होगी।  
इसकी जानकारी देते हुए श्री अग्रवाल ने कहा कि अब 24  मार्च की बजाये 25 मार्च की सुबह को ही ढील होगी।  इस दौरान लोगों के रवैये को बहुत बारीकी से नोट किया जायेगा।  मंगलवार 24  मार्च को पूरी सख्ती होगी। कोई भी अपने घर से बाहर न निकले। इस दौरान सभी को प्रशासन के आदेशों निर्देशों का पालन करने को कहा गया है। उलंघन के मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। 
मुसीबत के इस समय में यह भी देखा गया कि लोगों का आपसी भाईचारा भी बढ़ा है। लोग अब मोबाइल पर एक दुसरे का हाल पूछने में लगे हैं। गली मोहल्ले में भी बहुत ही स्नेह और सम्मान से एक दुसरे से दुआ सलाम कर रहे हैं। लगता है स्वार्थी और निष्ठुर हो चुके समाज में कोरोना ने बहुत ही साकारत्मक तब्दीली भी दिखाई है।
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Curfew Relaxation Starts From 25th March Wednesday

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ਕਰਫਿਊ ਦੌਰਾਨ ਖੁੱਲ੍ਹ 25 ਮਾਰਚ (ਬੁੱਧਵਾਰ) ਤੋਂ ਹੀ ਮਿਲੇਗੀ

Sunday, March 22, 2020

दिल्ली में भी सरकार ने दिया 31 मार्च तक लॉकडाउन का आदेश

दिल्ली के सभी बाजार 31 मार्च तक बंद रहेंगे
नई दिल्ली: 22 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 

कोरोना का कहर और आतंक दोनों बढ़ते जा रहे हैं। मज़ाक में लेने वाले आम लोग भी अब गंभीर होते नज़र आ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तर से दिए गए जनता कर्फ्यू को लोगों ने जितनी गर्मजोशी से समर्थन दिया है उससे एक नया इतिहास भी रचा गया है। इसी बीच पंजाब सरकार ने भी लॉक डाउन का आदेश जारी किया है, उत्तराखंड ने भी और दिल्ली सरकार ने भी।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने दिल्ली सरकार द्वारा आज दिल्ली में लॉक डाउन करने की घोषणा का समर्थन किया है। कैट के राष्ट्रीय महामंत्री श्री प्रवीन खंडेलवाल ने दिल्ली के व्यापारियों की ओर से   लॉक डाउन का समर्थन करते हुए कहा की दिल्ली सरकार का यह कदम दिल्ली में कोरोना वायरस के सामुदायिक संक्रमण को रोकने में बहुत मदद करेगा। उल्लेखनीय है कि कैट ने कल एक ट्वीट के जरिये दिल्ली के उपराज्यपाल श्री अनिल बैजल और दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल से  दिल्ली में तालाबंदी किया था।
दिल्ली में घोषित लॉकडाउन के पालन में कैट ने दिल्ली के सभी ट्रेड एसोसिएशंस को एक एडवाइजरी जारी की है कि प्रत्येक व्यापारी को कल से 31 मार्च, 2020 तक अपनी दुकान बंद रखनी होगी। श्री खंडेलवाल ने कहा कि दिल्ली में तालाबंदी की घोषणा के साथ दिल्ली के सभी वाणिज्यिक बाजार 31 मार्च तक बंद रहेंगे और दिल्ली में अगले 9 दिनों तक कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं होगी। दिल्ली के 15 लाख छोटे और बड़े व्यापारी ही नहीं, बल्कि उनके 30 लाख से अधिक कर्मचारी भी  घर पर ही रहेंगे। कैट ने दिल्ली के व्यापारियों को किसी भी कर्मचारी की मजदूरी में कटौती नहीं करने की सलाह दी है। श्री खंडेलवाल ने आगे कहा कि दिल्ली का कारोबारी समुदाय COVID-19 का मुकाबला करने के लिए सरकार के साथ एकजुटता के साथ खड़ा है।
मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल की प्रेस कांफ्रेंस
दिल्ली में 31 मार्च तक लॉकडाउन का ऐलान मेट्रो सेवाएं भी बंद-25 फीसदी बसें चलेंगी
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए तमाम राज्य लॉकडाउन की ओर बढ़ रहा है। जनता कर्फ्यू के दौरान दिल्ली मेट्रो सेवा 31 मार्च तक बंद करने का फैसला किया गया। वहीं, अब दिल्ली को लॉकडाउन करने का फैसला किया गया है। कल से दिल्ली लॉकडाउन रहेगा। राजधानी दिल्ली में कोरोना के चलते धारा 144 भी लागू है।
सीएम अरविंद केजरीवाल ने ऐलान किया कि कल यानी 23 मार्च से 31 मार्च तक दिल्ली में लॉकडाउन रहेगा।  पब्लिक ट्रांसपोर्ट बंद रहेंगे। डीटीसी की भी केवल 25 फीसदी बसें ही चलेंगी।
सीएम ने कहा, दिल्ली की दुकानें, बाजार सब बंद रहेंगे। दिल्ली के बॉर्डर सील रहेंगे, हालांकि दूसरे राज्यों से खाने-पीने के सामान और सब्जी लाने वाले वाहनों को अनुमति होगी। इसके अलावा सभी फ्लाइट्स और धार्मिक स्थल बंद रहेंगे। वहीं, अस्पताल और बिजली के दफ्तर खुले रहेंगे।
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ज़िंदगी के बदलाव की झलक रही सीटी यूनिवर्सिटी के किसान मेले में 
हम माता चंद कौर के हत्यारों की ग्रिफ्तारी तक संघर्ष जारी रखेंगे 
फिर उठी माता चंद कौर के हत्यारों को गिरफ्तार करने की मांग
गुमराहकुन अफवाहें बनाने और फ़ैलाने वालों पर दर्ज होंगें पर्चे
पंजाब:पूरे राज्य में 31 मार्च तक लॉकडाउन लागू करने का फैसला

पंजाब:पूरे राज्य में 31 मार्च तक लॉकडाउन लागू करने का फैसला

कोरोना के खिलाफ जंग में PM मोदी को जनता का अभूतपूर्व समर्थन 
अन्य स्थानों की तरह लुधियाना का दामोरिया पुल चौंक भी जनता कर्फ्यु के दौरान सुनसान रहा (पंजाब स्क्रीन फोटो)
चंडीगढ़//खरड़//लुधियाना: 22 मार्च 2020: (पुष्पिंदर कौर//पंजाब स्क्रीन टीम)::
पंजाब सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर रविवार को पूरे राज्य में 31 मार्च तक बंद (लॉकडाउन) लागू करने का फैसला किया। यह बात आज मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने अपने एक टवीट में स्पष्ट की। इसके साथ ही मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि बंद के दौरान सभी जरूरी और सरकारी सेवाएं चालू रहेंगी।
आज जनता कर्फ्यू के दौरान हर और सन्नाटा छाया रहा। आम जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काल को अभूतपूर्व समर्थन दिया और राज्य इस जनता कर्फ्यू में बढ़ चढ़ कर शामिल हुए। कर्फ्यू की इस अभूतपूर्व सफलता को दर्शाती इसी तरह की तस्वीरें दिल्ली, मोहाली, खरड़, जालंधर और अन्य स्थानों से भी मिली हैं। 
 इसी बीच मुख्य मंत्री अमरिंदर सिंह ने अपने टवीट में कोविड-19 की रोकथाम के लिए 31 मार्च तक पूरे राज्य में बंद करने का आदेश दिया।  लोगों ने इस आदेश को भी सुस्वागतम कहा और उम्मीद व्यक्त की कि कोरोना  के कहर से जल्द ही मुक्ति मिल जाएगी।  
कैप्टेन सिंह सिंह ने अपने टवीट में स्पष्ट किया कि सभी जरूरी सरकारी सेवाएं जारी रहेंगी और दूध, खाद्य सामान, दवाइयां आदि जैसी जरूरी चीजें बेचने वाली दुकानें भी खुलेगी रहेंगी। इसके साथ ही सभी उपायुक्तों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को पाबंदियां तुरंत लागू करने का निर्देश दिया गया है।
गौरतलब है कि पंजाब में अब तक कोरोना वायरस के 14 मामले सामने आए हैं। उल्लेखनीय है कि पंजाब में शनिवार को 11 और व्यक्ति कोरोनो वायरस से संक्रमित पाए गए थे, जिससे राज्य में संक्रमण के पुष्ट मामलों की कुल संख्या 14 हो गई। इस संख्या से इससे आम लोगों की चिंता बढ़ गई है। दो दिन पहले तक कोरोना को मज़ाक में लेने वाले लोग अब सचमुच गंभीर नज़र आने लगे हैं। घर हो या बाहर अब केवल कोरोना की चर्चा ही नज़र आई। 
*आज कोरोना से सबंधित मामलों की कवरेज पर रही पंजाब स्क्रीन टीम में अन्य लोग भी कवरेज पर रहे)
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Saturday, March 21, 2020

गुमराहकुन अफवाहें बनाने और फ़ैलाने वालों पर दर्ज होंगें पर्चे

21st March 2020 at 5:40 PM
डिज़ास्टर मैनेजमेंट एक्ट की धारा 54 के अंतर्गत कैद और जुर्माना 
CDC से साभार चित्र 
लुधियाना:: 21 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
DC  प्रदीप कुमार अग्रवाल 
विश्व भर में फैली बीमारी नोवेल कोरोना वायरस (कोविड-19) के चलते कुछ शरारती तत्वों की ओर से सोशल मीडिया पर गुमराहकुन अफवाहें फैलाई जा रही हैं। यह अफवाहें इतनी खतरनाक और गंभीर हैं की इनसे आम लोगों के मन में तुरंत ही घबराहट पैदा होती है। किसी के दुष्प्रचार से ऐसी खतरनाक स्थिति  असहनीय है। ऐसी अफवाहों को फ़ैलाने वाले शरारती तत्वों के खिलाफ प्रशासन ने अब सख्ती करना  लिया है और इसकी घोषणा भी कर।  प्रशासन ऐसे  खिलाफ अब पर्चे दर्ज करेगा। इन तत्वों को नियंत्रित करने के लिए ऐसा करना आवश्यक भी है। 

इस संबंध में जिला लोक सम्पर्क अधिकारी को लिखे एक पत्र में डिप्टी कमिश्नर प्रदीप अग्रवाल ने कहा है कि मुख्य धारा  के मीडिया को इस मकसद के लिए जिला प्रशासन को सहयोग करना चाहिए।  उन्होंने मीडिया से अपील की कि किसी भी खबर  को अख़बार/चैनल/सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर चलाने से पहले उसके तथ्यों की पूरी तरह से जांच पड़ताल करके उनकी पुष्टि कर लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मीडिया भी गुमराहकुन प्रचार करने वालों की सूचना जिला प्रशासन को दे तांकि सके। 
उन्होंने यह भी कहा कि डिज़ाज़टर मैनेजमेंट ऐक्ट की धारा 54 के अंतर्गत यह प्रावधान है कि कि जो भी व्यक्ति कोई झूठी चेतावनी बनाता है या फैलाता है, जिससे लोगों में घबराहट होती हो तो उसे एक वर्ष की कैद या जुर्माना हो सकता है। गौरतलब है की सोशल मीडिया पर ऐसा बहुत कुछ लम्बे समय से प्रसारित होता आ  जिसके मूल स्रोत तक का भी उल्लेख नहीं किया जाता। 

Friday, March 20, 2020

निर्भया को इंसाफ मिला--और बहुत बाकी हैं अभी

Friday: 20th March 2020 at 6:45 AM 
उन्नाव जैसे मामलों में भी इंसाफ की आशा जगी 
नयी दिल्ली: 20 मार्च 2020: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::   
दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 रात को याद करते ही आज भी सिहरन सी दौड़ जाती है। दरिंदगी की इंतहा थी। एक लड़की के साथ उस दिन जो हुआ उसे देख कर शक होने लगा था कि क्या सचमुच यह देश धर्मकर्म का ही देश है? सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई उस लड़की की वास्तविक शनाख्त को छुपाते हुए उसे निर्भया का नाम दिया गया था। 
निर्भया फिजियोथैरेपी की छात्रा थी और उसकी उम्र केवल 23 वर्ष थी। निर्भया के साथ हुए सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के मामले के चारों दोषियों को शुक्रवार की सुबह साढ़े पांच बजे फांसी दे दी गई। इसके साथ ही देश को झकझोर देने वाले, यौन उत्पीड़न के इस भयानक अध्याय का अंत हो गया। इस फांसी के साथ ही उम्मीद जगी है की सत्ता और सियासत के बल पर मनमानियां करने वालों का भी यही अंजाम होगा। उन्नाव मामले में भी जल्द इंसाफ हो इसकी आशा अब और बढ़ गयी है। 
आज सुबह सुबह 5:30 बजे 32 वर्षीय मुकेश सिंह, 25 वर्षों की उम्र के पवन गुप्ता, 26 बरस के विनय शर्मा और 31 वर्षीय अक्षय कुमार सिंह को फांसी के फंदे पर लटकाया गया। फांसी से पहले वे बहुत राई, गिड़गिड़ाए लेकिन इंसाफ हो कर रहा। तिहाड़ जेल के महानिदेशक संदीप गोयल ने बताया कि डॉक्टरों ने शवों की जांच की और चारों को मृत घोषित कर दिया। खबर की पुष्टि होते ही तिहाड़ जेल के बाहर खड़े लोगों ने मिठाईयां बांटीं।  
जेल अधिकारियों ने बताया कि चारों दोषियों के शव करीब आधे घंटे तक फंदे पर झूलते रहे जो जेल नियमावली के अनुसार फांसी के बाद की अनिवार्य प्रक्रिया है।
गौरतलब है कि दक्षिण एशिया के सबसे बड़े जेल परिसर तिहाड़ जेल में पहली बार चार दोषियों को एक साथ फांसी दी गई। इस जेल में 16,000 से अधिक कैदी हैं। चार दोषियों को एक साथ फांसी दिए जाने से इस जेल के साथ एक नया रेकार्ड जुड़ा है।  
चारों दोषियों ने फांसी से बचने के लिए अपने सभी कानूनी विकल्पों का पूरा इस्तेमाल किया और बृहस्पतिवार की पूरी रात तक इस मामले की सुनवाई चली। इस बार उनकी कोई भी तिकड़म काम नहीं आई। 
उल्लेखनीय है कि सामूहिक बलात्कार एवं हत्या के इस मामले के इन दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद तीन बार सजा की तामील के लिए तारीखें तय हुईं लेकिन हर बार फांसी टलती गई। यहां तक कि बात मज़ाक बन गयी। न्याय में देरी को लेकर बहुत से जन संगठन भी बहुत कुछ बोलने लगे। अंतत: आज सुबह चारों दोषियों को फांसी दे दी गई। सात वर्ष से भी अधिक समय के बाद मिला निर्भया को इंसाफ। 
आखिरी पैंतरा चलते हुए एक दोषी ने दिल्ली उच्च न्यायालय और फांसी से कुछ घंटे पहले उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। वहां भी उसे नाकामी ही मिली। इसी तरह फांसी से कुछ घंटों पहले पवन कुमार गुप्ता ने राष्ट्रपति द्वारा दूसरी दया याचिका खारिज किए जाने को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का रुख किया। उसकी भी दाल नहीं गली। दोषियों को भी न्याय का पूरा मौका देते हुए अभूतपूर्व रूप से देर रात ढाई बजे सुनवाई शुरू हुई और एक घंटे तक चली। इस सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने उसकी याचिका खारिज करते हुए फांसी का रास्ता साफ कर दिया। हर तिकड़म नाकाम रही। 
न्यायालय ने गुप्ता और अक्षय सिंह को फांसी से पहले अपने परिवार के सदस्यों से मुलाकात करने की अनुमति देने पर भी कोई आदेश देने से इनकार कर दिया।सात साल लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अपनी बेटी को आखिरकार न्याय मिलने से राहत महसूस कर रहे निर्भया के माता-पिता ने कहा कि वे भारत की बेटियों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। उलेखनीय है की अब इस दिशा में बेटियों को न्याय दिलाना उनकी ज़िंदगी का मिशन बन चुका है। इस तरह के मामलों में सहायक बन पाना ही उनका मकसद होता है। इस फांसी से उनको और भी भावुक और नैतिक बल मिला है। 
निर्भया की मां आशा देवी ने फांसी के बाद पत्रकारों से कहा कि हमें आखिरकार न्याय मिला। हम भारत की बेटियों के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे। न्याय में देरी हुई लेकिन न्याय मिला। अब अन्य बेटियों को समय पर न्याय मिले इसका प्रयास जारी रखा जायेगा। सर्कार ने भी इस संबंध में आवश्यक कदम उठाने की आश्वासन दिया है। 
हालांकि आशा देवी ने कहा कि दोषियों की फांसी के बाद अब महिलाएं निश्चित तौर पर सुरक्षित महसूस करेंगी और पूरा देश इस खबर के लिए जाग भी रहा था और न्याय का इंतजार कर रहा था। आशा देवी की इस आशा और भावना के बावजूद वास्तविकता अभी भी पूरी नहीं बदली। हर महिला और हर लड़की को हर पल सुनिश्चित सुरक्षा का अहसास अभी भी दूर की बात ही लगती है। कठुआ और उन्नाव जैसे मामले अभी भी बाकी हैं। बहुत से मामलों में इंसाफ अभी बाकी है। 
आज सुबह सुबह तिहाड़ जेल के बाहर का नज़ारा देखने वाला था। तिहाड़ जेल के बाहर शुक्रवार सुबह सुबह तड़के तड़के ही सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए। उनके हाथों में राष्ट्रध्वज था और वे ‘अमर रहो निर्भया ’ और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे। जैसे ही फांसी हुई तो उनमें खुशी की लहर दौड़ पड़ी। उनमें से कुछ ने फांसी के बाद मिठाइयां बांटी। उनके चेहरों पर उम्मीदों की एक नै चमक थी। कानून और जुडिशरी को सलाम की मुद्रा में उठे से लगते थे यह लोग। 
एक और खास बात यह कि जेल के बाहर एकत्रित लोगों में सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना भी थीं। उन्होंने एक पोस्टर ले रखा था जिस पर लिखा था निर्भया को न्याय मिला। अन्य बेटियों को अब भी इंतजार है। यह बहुत गहरी बात थी जो दूर के अर्थ भी बता रही थी। उन्होंने कहा कि आखिरकार न्याय मिला। यह कानून व्यवस्था की जीत है। 
इसी तरह जानेमाने इलाके द्वारका में महिलाओं के कल्याण के लिए सतचित फाउंडेशन नामक एक एनजीओ चलाने वाली अर्चना कुमारी ने कहा  कि  मैंने निर्भया के अभिभावकों का दर्द देखा है। उम्मीद है कि दोषियों को फांसी से बलात्कार और यौन उत्पीड़न की घटनाओं पर लगाम लगेगी। इससे  करने वाले लोगों के मन में भय की भावना पैदा होगी। इसी भावना को पैदा करना भी एक मकसद था फांसी की सज़ा का।  
हर क्षेत्र के लोगों ने इस मामले में अपनी रुचि दिखाई। पश्चिमी दिल्ली की निवासी सना ने कहा कि हमारे समाज में इस फांसी के बाद कुछ नहीं बदलेगा लेकिन हम खुश हैं कि चारों दोषियों को फांसी दी गई और निर्भया को न्याय मिला। निश्चय ही ऐसी सोच वाले लोगों की तसल्ली के लिए अभी कानून को और त्वरित, निष्पक्ष और सख्त होना होगा। 
ज़रा याद कीजिये उस रात को। चलती बस में निर्भया के साथ छह व्यक्तियों ने सामूहिक बलात्कार करने के बाद उसे बुरी तरह पीटा, घायल कर दिया और सर्दी की रात में चलती बस से नीचे सड़क पर फेंक दिया था। दरिंदगी और अमानवता की हद थी यह। भूलने के इस युग में भी बहुत से लोग नहीं भूलेंगे कि 16 दिसंबर 2012 को हुई इस घटना ने पूरे देश की आत्मा को झकझोर दिया था और निर्भया के लिए न्याय की मांग करते हुए लोग सड़कों पर उतर आए थे। जगह जगह मोमबत्तियां और रोष प्रदर्शन हुए थे। 
इसी बीच करीब एक पखवाड़े तक जिंदगी के लिए जूझने के बाद अंतत: सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया ने दम तोड़ दिया था। उसे नहीं बचाया जा सका। ज़िंदगी और मौत की जंग में उसकी सांसों की माला टूट गयी। उसकी मौत से यह गम और गुस्सा एक बार फिर भड़क उठा। तब से ही दोषियों को सज़ा ी मांग ज़ोर पकड़ गई थी। इस मामले में मुकेश सिंह, पवन गुप्ता, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह सहित छह व्यक्ति आरोपी बनाए गए। इनमें से एक नाबालिग था। इसी मामले के एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के बाद तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी। नाबालिग को सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और उसे सुधार गृह भेज दिया गया। तीन साल तक सुधाार गृह में रहने के बाद उसे 2015 में रिहा कर दिया गया। वह अब सुधरी हुई ज़िंदगी जी रहा है। उसका ठिकाना दक्षिण भारत में कहीं है। उसकी पहचान को कई कारणों से गुप्त रखा गया है। उसे छोड़ना कानून की दया के पहलू को भी दर्शाता है। 
बाकी बचे दोषियों को सज़ा देने के लिए इस मामले में लंबी कानूनी लड़ाई चली और यह निचली अदालतों से होकर उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय तथा राष्ट्रपति के पास पहुंचा। एक के बाद एक तिकड़म चली गई। कानून के पेचों का फायदा उठाया गया। अदालत ने इस आधार पर तीन बार मौत का वारंट रोका कि दोषियों ने अपने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल नहीं किया था और एक के बाद एक ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भेजी। लेकिन एक दिन सभी तिकड़में खत्म हो गईं। हर चाल नाकाम हुई। इन्साफ जीत गया। 
पांच मार्च को एक निचली अदालत ने मौत का नया वारंट जारी किया जिसमें फांसी की अंतिम तारीख 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे तय की गई। उसी के चलते आज सुबह सुबह इन चरों को फांसी पर लटका दिया गया। 

Thursday, March 19, 2020

22 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक होगा जनता कर्फ्यू

प्रविष्टि तिथि: 19 MAR 2020 8:57 PM by PIB Delhi
कोरोना के कहर का सामना करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का मंत्र  
नई दिल्ली: 19 मार्च 2020: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन)::

मेरे प्रिय देशवासियों,

पूरा विश्व इस समय संकट के बहुत बड़े गंभीर दौर से गुजर रहा है।
आम तौर पर कभी जब कोई प्राकृतिक संकट आता है तो वो कुछ देशों या राज्यों तक ही सीमित रहता है।
लेकिन इस बार ये संकट ऐसा है, जिसने विश्व भर में पूरी मानवजाति को संकट में डाल दिया है।
जब प्रथम विश्व युद्ध हुआ था, जब द्वितीय विश्व युद्ध हुआ था, तब भी इतने देश युद्ध से प्रभावित नहीं हुए थे,
जितने आज कोरोना से हैं।
पिछले दो महीने से हम निरंतर दुनिया भर से आ रहीं कोरोना वायरस से जुड़ी चिंताजनक खबरें देख रहे हैं,
सुन रहे हैं।
इन दो महीनों में भारत के 130 करोड़ नागरिकों ने कोरोना वैश्विक महामारी का डटकर मुकाबला किया है, आवश्यक सावधानियां बरती हैं।
लेकिन,
बीते कुछ दिनों से ऐसा भी लग रहा है जैसे हम संकट से बचे हुए हैं,
सब कुछ ठीक है।
वैश्विक महामारी कोरोना से निश्चिंत हो जाने की ये सोच सही नहीं है।
इसलिए,
प्रत्येक भारतवासी का सजग रहना,
सतर्क रहना बहुत आवश्यक है।
साथियों,
आपसे मैंने जब भी,
जो भी मांगा है,
मुझे कभी देशवासियों ने निराश नहीं किया है।
ये आपके आशीर्वाद की ताकत है कि हमारे प्रयास सफल होते हैं।।
आज,
मैं आप सभी देशवासियों से, आपसे,
कुछ मांगने आया हूं।
मुझे आपके आने वाले कुछ सप्ताह चाहिए,
आपका आने वाला कुछ समय चाहिए।
साथियों,
अभी तक विज्ञान,
कोरोना महामारी से बचने के लिए,
कोई निश्चित उपाय नहीं सुझा सका है और न ही इसकी कोई वैक्सीन बन पाई है।
ऐसी स्थिति में चिंता बढ़नी बहुत स्वाभाविक है।
दुनिया के जिन देशों में कोरोना वायरस का प्रभाव ज्यादा देखा जा रहा है,
वहां अध्ययन में एक और बात सामने आई है।
इन देशों में शुरुआती कुछ दिनों के बाद अचानक बीमारी का जैसे विस्फोट हुआ है।
इन देशों में कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है।
भारत सरकार इस स्थिति पर, कोरोना के फैलाव के इस ट्रैक रिकॉर्ड पर पूरी तरह नजर रखे हुए है।
हालांकि कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने तेजी से फैसले लेकर,
अपने यहां के लोगों को ज्यादा से ज्यादा Isolate करके स्थिति को सँभाला है।
भारत जैसे
130 करोड़ की आबादी वाले देश के सामने, विकास के लिए प्रयत्नशील देश के सामने,
कोरोना का ये बढ़ता संकट सामान्य बात नहीं है।
आज जब
बड़े-बड़े और विकसित देशों में हम कोरोना महामारी का व्यापक प्रभाव देख रहे हैं,
तो भारत पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा,
ये मानना गलत है।
इसलिए, 
इस वैश्विक महामारी का मुकाबला करने के लिए दो प्रमुख बातों की आवश्यकता है।
पहला- संकल्प
और
दूसरा- संयम।
आज 130 करोड़ देशवासियों को अपना संकल्प और दृढ़ करना होगा कि हम इस वैश्विक महामारी को रोकने के लिए एक नागरिक के नाते,
अपने कर्तव्य का पालन करेंगे,
केंद्र सरकार,
राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों का पालन करेंगे।
आज हमें ये संकल्प लेना होगा कि हम स्वयं संक्रमित होने से बचेंगे और दूसरों को भी संक्रमित होने से बचाएंगे।
साथियों,
इस तरह की वैश्विक महामारी में, एक ही मंत्र काम करता है- “हम स्वस्थ तो जग स्वस्थ”।
ऐसी स्थिति में,
जब इस बीमारी की कोई दवा नहीं है,
तो हमारा खुद का स्वस्थ बने रहना बहुत आवश्यक है।
इस बीमारी से बचने और खुद के स्वस्थ बने रहने के लिए अनिवार्य है संयम।
और संयम का तरीका क्या है- भीड़ से बचना,
घर से बाहर निकलने से बचना।
आजकल जिसे Social Distancing कहा जा रहा है, कोरोना वैश्विक महामारी के इस दौर में,
ये बहुत ज्यादा आवश्यक है।
हमारा संकल्प और संयम, इस वैश्विक महामारी के प्रभावों को कम करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाने वाला है।
और इसलिए,
अगर आपको लगता है कि आप ठीक हैं,
आपको कुछ नहीं होगा,
आप ऐसे ही मार्केट में घूमते रहेंगे,
सड़कों पर जाते रहेंगे,
और कोरोना से बचे रहेंगे,
तो ये सोच सही नहीं है।
ऐसा करके आप अपने साथ और अपने परिवार के साथ अन्याय करेंगे।
इसलिए मेरा सभी देशवासियों से ये आग्रह है कि आने वाले कुछ सप्ताह तक, 
जब बहुत जरूरी हो तभी अपने घर से बाहर निकलें।
जितना संभव हो सके,
आप अपना काम,
चाहे बिजनेस से जुड़ा हो,
ऑफिस से जुड़ा हो,
अपने घर से ही करें।
जो सरकारी सेवाओं में हैं, अस्पताल से जुड़े हैं,
जन-प्रतिनिधि हैं, जो मीडिया कर्मी हैं,
इनकी सक्रियता तो आवश्यक है लेकिन समाज के बाकी सभी लोगों को,
खुद को बाकी समाज से Isolate कर लेना चाहिए।
मेरा एक और आग्रह है कि हमारे परिवार में जो भी सीनियर सिटिजन्स हों,
65 वर्ष की आयु के ऊपर के व्यक्ति हों,
वो आने वाले कुछ सप्ताह तक घर से बाहर न निकलें।
आज की पीढ़ी इससे बहुत परिचित नहीं होगी,
लेकिन पुराने समय में जब युद्ध की स्थिति होती थी,
तो गाँव गाँव में
BlackOut किया जाता था। घरों के शीशों पर कागज़ लगाया जाता था, लाईट बंद कर दी जाती थी, लोग चौकी बनाकर पहरा देते थे |
ये कभी-कभी काफी लंबे समय तक चलता था। युद्ध ना भी हो तो भी बहुत सी जागरूक नगरपालिकाएं BlackOut की ड्रिल भी कराती थी।
साथियों,
मैं आज प्रत्येक देशवासी से एक और समर्थन मांग रहा हूं।
ये है जनता-कर्फ्यू।
जनता कर्फ्यू यानि जनता के लिए,
जनता द्वारा खुद पर लगाया गया कर्फ्यू।
इस रविवार,
यानि
22 मार्च को,
सुबह 7 बजे से रात
9 बजे तक, सभी देशवासियों को,
जनता-कर्फ्यू का पालन करना है।
इस दौरान हम न घरों से बाहर निकलेंगे, न सड़क पर जाएंगे, न मोहल्ले में कहीं जाएंगे।
सिर्फ आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोग ही 22 मार्च को अपने घरों से बाहर निकलेंगे।
साथियों,
22 मार्च को हमारा ये प्रयास, हमारे आत्म-संयम,
देशहित में कर्तव्य पालन के संकल्प का एक प्रतीक होगा।
22 मार्च को जनता-कर्फ्यू की सफलता, इसके अनुभव, हमें आने वाली चुनौतियों के लिए भी तैयार करेंगे।
मैं देश की सभी राज्य सरकारों से भी आग्रह करूंगा कि वो
जनता-कर्फ्यू
का पालन कराने का नेतृत्व करें।
NCC,
NSS,
से जुड़े युवाओं,
देश के हर युवा,
सिविल सोसायटी,
हर प्रकार के संगठन,
इन सभी से भी अनुरोध करूंगा कि अभी से लेकर अगले दो दिन तक सभी को
जनता-कर्फ्यू
के बारे में जागरूक करें।
संभव हो तो हर व्यक्ति प्रतिदिन कम से कम
10 लोगों को फोन करके कोरोना वायरस से बचाव के उपायों के साथ ही जनता-कर्फ्यू के बारे में भी बताए।
साथियों,
ये जनता कर्फ्यू एक प्रकार से हमारे लिए,
भारत के लिए एक कसौटी की तरह होगा।
ये कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई के लिए भारत कितना तैयार है, ये देखने और परखने का भी समय है।
आपके इन प्रयासों के बीच, जनता-कर्फ्यू के दिन,
22 मार्च को मैं आपसे एक और सहयोग चाहता हूं।
साथियों,
पिछले
2 महीनों से लाखों लोग, अस्पतालों में,
एयरपोर्ट्स पर,
दिन रात काम में जुटे हुए हैं।
चाहे
डॉक्टर हों,
नर्स हों,
हॉस्पिटल का स्टाफ हो,
सफाई करने वाले भाई-बहन हों,
एयरलाइंस के कर्मचारी हों, सरकारी कर्मचारी हों, पुलिसकर्मी हों,
मीडिया कर्मी हों,
रेलवे-बस-ऑटो रिक्शा की सुविधा से जुड़े लोग हों,
होम डिलिवरी करने वाले लोग हों,
ये लोग,
अपनी परवाह न करते हुए,
दूसरों की सेवा में लगे हुए हैं।
आज की परिस्थितियां देखें,
तो ये सेवाएं सामान्य नहीं कही जा सकती।
आज खुद इनके भी संक्रमित होने का पूरा खतरा है।
बावजूद इसके ये अपना कर्तव्य निभा रहे हैं,
दूसरों की सेवा कर रहे हैं।
ये राष्ट्र-रक्षक की तरह कोरोना महामारी और हमारे बीच में खड़े हैं।
देश इनका कृतज्ञ है।
मैं चाहता हूं कि
22 मार्च, रविवार के दिन हम ऐसे सभी लोगों को धन्यवाद अर्पित करें।
रविवार को ठीक
5 बजे,
हम अपने घर के दरवाजे पर खड़े होकर,
बाल्कनी में,
खिड़कियों के
सामने खड़े होकर
5 मिनट तक ऐसे लोगों का आभार व्यक्त करें।
ताली बजाकर,
थाली बजाकर या फिर घंटी बजाकर,
हम इनका हौसला बढ़ाएं, सैल्यूट करें।
पूरे देश के स्थानीय प्रशासन से भी मेरा आग्रह है कि
22 मार्च को
5 बजे,
सायरन की आवाज से इसकी सूचना लोगों तक पहुंचाएं।
सेवा परमो धर्म के हमारे संस्कारों को मानने वाले ऐसे देशवासियों के लिए हमें पूरी श्रद्धा के साथ अपने भाव व्यक्त करने होंगे।
साथियों,
संकट के इस समय में,
आपको ये भी ध्यान रखना है कि हमारी आवश्यक सेवाओं पर,
हमारे हॉस्पिटलों पर दबाव भी निरंतर बढ़ रहा है।
इसलिए मेरा आपसे आग्रह ये भी है कि रूटीन चेक-अप के लिए अस्पताल जाने से जितना बच सकते हैं,
उतना बचें।
आपको बहुत जरूरी लग रहा हो तो अपनी जान-पहचान वाले डॉक्टर,
आपके फैमिली डॉक्टर या अपनी रिश्तेदारी में जो डॉक्टर हों, उनसे फोन पर ही आवश्यक सलाह ले लें।
अगर आपने इलेक्टिव सर्जरी, जो बहुत आवश्यक न हो, ऐसी सर्जरी, 
उसकी कोई डेट ले रखी है, तो मेरा आग्रह है कि इसे भी आगे बढ़वा दें,
एक महीना बाद की तारीख ले लें।
साथियों,
इस वैश्विक महामारी का अर्थव्यवस्था पर भी व्यापक प्रभाव पड़ रहा है।
कोरोना महामारी से उत्पन्न हो रही आर्थिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, वित्त मंत्री के नेतृत्व में सरकार ने एक
कोविड-19-Economic Response Task Force
के गठन का फैसला लिया है।
ये टास्क फोर्स सारे स्टेकहोल्डर्स से नियमित संपर्क में रहते हुए,
फीडबैक लेते हुए,
हर स्थिति का आकलन करते हुए निकट भविष्य में फैसले लेगी।
ये टास्क फोर्स,
ये भी सुनिश्चित करेगी कि, आर्थिक मुश्किलों को कम करने के लिए जितने भी कदम उठाए जाएं,
उन पर प्रभावी रूप से अमल हो।
निश्चित तौर पर ये महामारी ने देश के मध्यम वर्ग,
निम्न मध्यम वर्ग और गरीब के आर्थिक हितों को भी गहरी क्षति पहुंचा रही है।
संकट के इस समय में मेरा देश के व्यापारी जगत,
उच्च आय वर्ग से भी आग्रह है कि अगर संभव है तो आप
जिन-जिन लोगों से सेवाएं लेते हैं, उनके आर्थिक हितों का ध्यान रखें।
हो सकता है आने वाले कुछ दिनों में, ये लोग दफ्तर न आ पाएं, आपके घर न आ पाएं।
ऐसे में उनका वेतन न काटें, पूरी मानवीयता के साथ, संवेदनशीलता के साथ फैसला लें।
हमेशा याद रखिएगा,
उन्हें भी अपना परिवार चलाना है,
अपने परिवार को बीमारी से बचाना है।
मैं देशवासियों को इस बात के लिए भी आश्वस्त करता हूं कि देश में दूध,
खाने-पीने का सामान, दवाइयां,
जीवन के लिए ज़रूरी ऐसी आवश्यक चीज़ों की कमी ना हो इसके लिए तमाम कदम उठाए जा रहे हैं।
इसलिए मेरा सभी देशवासियों से ये आग्रह है कि ज़रूरी सामान संग्रह करने की होड़ न लगाएं।
आप सामान्य रूप से ही खरीदारी करें।
Panic Buying न करें।
साथियों,
पिछले दो महीनों में,
130 करोड़ भारतीयों ने,
देश के हर नागरिक ने,
देश के सामने आए इस संकट को अपना संकट माना है,
भारत के लिए,
समाज के लिए उससे जो बन पड़ा है,
उसने किया है।
मुझे भरोसा है कि आने वाले समय में भी आप अपने कर्तव्यों का,
अपने दायित्वों का इसी तरह निर्वहन करते रहेंगे।
हां, मैं मानता हूं कि ऐसे समय में कुछ कठिनाइयां भी आती हैं, आशंकाओं और अफवाहों का वातावरण भी पैदा होता है।
कई बार एक नागरिक के तौर पर हमारी अपेक्षाएं भी नहीं पूरी हो पातीं।
फिर भी, ये संकट इतना बड़ा है कि सारे देशवासियों को इन दिक्कतों के बीच,
दृढ़ संकल्प के साथ इन कठिनाइयों का मुकाबला करना ही होगा।
साथियों,
हमें अभी अपना सारा सामर्थ्य कोरोना से बचने में लगाना है।
आज देश में केंद्र सरकार हो, राज्य सरकारें हों,
स्थानीय निकाय हों, 
पंचायतें हों,   
जन-प्रतिनिधि हों या फिर सिविल सोसायटी,
हर कोई अपने-अपने तरीके से इस वैश्विक महामारी से बचने में अपना योगदान दे रहा है।
आपको भी अपना पूरा योगदान देना है।
ये आवश्यक है कि वैश्विक महामारी के इस वातावरण में मानव जाति विजयी हो, भारत विजयी हो।
कुछ दिन में नवरात्रि का पर्व आ रहा है।
ये शक्ति उपासना का पर्व है।
भारत पूरी शक्ति के साथ आगे बढ़े, यही शुभकामना है।
बहुत-बहुत धन्यवाद !!!
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VRRK/AK  (रिलीज़ आईडी: 1607251)