Thursday, November 14, 2019

नोटबंदी,कश्मीर और गौरी लंकेश पर भी हुए कविता में इशारे

कविता पहुंची कालेजों तक:GCG  में हुआ विशेष आयोजन
लुधियाना: 14 नवंबर 2019: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
युग बदले तो वक़्त के साथ साथ बहुत कुछ बदल गया। रीति रिवाज तक बदलते देखे गए। लोगों ने अपने धर्म बदल लिए, मज़हब बदल लिए, ईमान बदल लिए। इस सब कुछ के बावजूद एक शायर ही बाकी बचा था वह भी बदल गया लेकिन फिर भी कुछ कलमकार थे जो नहीं बदले। उनकी कविता न खरीदी जा सकी और न ही किसी अंकुश से दबायी जा सकी।   
ऐसे में एक साज़िश हुई और ऐसी कविता को बंधक बना लिया गया। उनकी कविता को वर्ग विशेष से सबंधित लोगों ने अपने अपने गट से सबंधित विशेष हाल कमरों तक महदूद कर लिया। बस उनकी कविता वहीँ तक गूंजती। उसका लोगों से मिलना जुलना बंद हो गया। बंधक वर्ग से जाने अनजाने में जुड़े लोग आते, अपनी रचना सुनाते और जब दुसरे की बारी आती तो बाहर चले जाते या सो जाते। 
कविता दम तोड़ने लगी थी। किसी नई कविता का जन्म भी होता तो आम लोगों को इसका पता ही न चलता। ऐसे में आगे आए कुछ शिक्षण संस्थान।  सहयोग दिया पंजाब कला परिषद जैसे संस्थानों ने। कविता उन वर्ग विशेष के बड़े बड़े हाल कमरों से निकल कर कालेजों में आने लगी जहाँ उसे नयी पीढ़ी के लोग मिले। शायरी में ये लोग कच्चे हो सकते हैं लेकिन तिकड़मों से कोसों दूर थे। इन्होने ने भी जानेमाने शायरों को नज़दीक से देखा। नज़दीक से उनका कलाम सुना। उनके साथ चाय पी खाना खाया और उन्हें अपने नज़दीक महसूस किया।  
यह सब हमारी टीम ने देखा लुधियाना में लड़कियों के सरकारी कालेज में जिसे ज़्यादातर लोग जीसीजी के नाम से जानते हैं। इसी तरह के आयोजन सतीश चंद्र धवन राजकीय कालेज लुधियाना और जीजीएन खालसा कालेज लुधियाना जैसे संस्थानों में भी देखने को मिले। 
दिन था 14 नवंबर 2019 का। समय रहा होगा कोई सुबह 11 बजे। पंजाब कला परिषद के महासचिव डाक्टर लखविंदर जौहल किसी वजह से नहीं आ पाए। उनकी गैरमौजूदगी खटकती भी रही। हाल में औपचारिक सम्मान के बाद मंच पर सुशोभित हो चुके थे शिमला से आये जनाब कुमार कृष्ण जो हिंदी के बहुत अच्छे शायर हैं, लुधियाना से पंजाबी में बहुत गहरी बात करने वाले जनाब जसवंत सिंह ज़फ़र, चित्रों और शब्दों का जादू भरा सुमेल करने की  वाले जनाव स्वर्णजीत सवी, जनता और जनचेतना से जुड़े हुए हिंदी के शायर डा. राकेश कुमार और पंजाबी की शायरा मोहतरमा जसलीन कौर। 
कुमार कृष्ण साहिब ने जहाँ अपनी गुल्ल्क की लूट पर कविता पढ़ते हुए नोटबंदी पर अपना निशाना साधा वहीँ चींटियों और उनके सतत संघर्ष की चर्चा भी बहुत गहरे अर्थों में की। डाक्टर राकेश ने कश्मीर में फौजी वर्दी और बूटों के आतंक की चर्चा बहुत सादगी और खूबसूरती से की। जनाब जसवंत ज़फ़र साहिब ने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में कहा कि जो मां की गालियां देता है, जो बहन की गालियां देता है उसे कोख में होती हत्यायों पर कविता लिखने का कोई अधिकार नहीं। मंच संचालन कार्तिका सिंह ने बहुत खूबसूरती से निभाया। इसके साथ ही उसकी गौरी लंकेश पर पढ़ी कविता भी छायी रही। 
--(पंजाब स्क्रीन टीम में इस कवरेज पर थे-एम एस भाटिया//प्रदीप शर्मा //रेक्टर कथूरिया)

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