Wednesday, November 28, 2018

त्रिशूल और खण्डे को अन्याय के खिलाफ एकजुट करने का प्रयास

शिव मंदिर फिल्लौर में भी मनाया गया गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व 
28  नवंबर 2018 को प्राचीन शिव मंदिर नगर (फिलौर) से लौट कर पंजाब स्क्रीन टीम
बात केवल कोई पर्व मनाने की नहीं है। गुरुपर्व हो, रामनौमी हो, जन्माष्टमी हो, ईद हो या क्रिसमिस। इन त्योहारों को हम अपनी आस्था के मुताबिक घर में शायद ज़्यादा अच्छी तरह मना सकते हैं। शोर शराबे और भागदौड़ से कुछ समय के लिए दूर रह कर अपने गुरुओं, पीरों, पैगंबरों और अवतारों से जुड़ कर, उनके उपदेशों का मर्म समझ कर। कुछ देर के लिए ही सही उनके संघर्षों भरे जीवन का मनन करके। भगवान और उनके दूत दिखावा नहीं केवल प्रेम चाहते हैं। 
मीरा को ज़हर दिया जाना और मीरा का ज़हर पीना आज भी यही बताता है कि आस्था से प्रेम आसान नहीं होता। सिर  को हथेली पर लेकर आना पढ़ता है प्रेम की गली में। सलीब केवल ईसा को मिली ऐसा मत सोच लेना। आस्था और विश्वास पर टिकोगे तो आज भी सलीब पर चढ़ना पड़ सकता है। माता चंद कौर की दिन दिहाड़े हत्या यही दिखा रही है कि आज भी माहौल उसी तरह का बन गया है। आज भी ज़हर का प्याला,  गोली या सलीब ही है धर्म के मार्ग पर चलने का परिणाम। जो मौत  में भी  जीवन देख सके वही इस रास्ते पर आये। भयभीत और स्वार्थ या लालच से भरे लोगों का इस रह पर आना सभव ही नहीं। 
गुरुओं, पीरों, पैगंबरों और अवतारों की मानोगे तो सत्य की राह पर चलना पड़ेगा। सत्य की राह पर चलना हो तो अपने सिर को हथेली पर रखने को तैयार रहना। आसान नहीं होगा इस राह पर चलना। असत्य और अन्याय की तरफ धनवान और बाहुबली होंगें और सत्य की तरफ केवल संघर्ष और प्रेम होगा। चुनाव आप ने ही करना है लेकिन ध्यान से करना। कंस की तरफ खड़े होना है या कृष्ण की तरफ। बाबर की तरफ या नानक की तरफ। 
अपने अपने समय में सभी गुरुओं और अवतारों ने अत्याचार के खिलाफ अपनी आवाज़ बुलंद की। गलत को गलत कहा। शोषण का विरोध किया। इसके साथ ही एकता का संदेश भी दिया लेकिन सिर को हथेली पर रख कर ही दिया। इस एकता ने ही बड़े बड़े तख्तनशीनों को उखाड़ फेंका। गुंडागर्दी उस समय भी थी। बाहुबलियों का दुरपयोग उस समय भी होता था। 
इस सारी जंग में उनकी कुर्बानियों को चमत्कारों का नाम दे कर छोटा मत करो। उनको मानना है तो उनके बताये मार्ग पर चलो। आज भी खतरे उसी तरह मौजूद हैं। फैसला आपके हाथ में है। सत्य की तरफ आना है या झूठ की तरफ जाना है। कोई मजबूरी भी नहीं है। अंतरात्मा की आवाज़ सुननी है या इसको अनसुना करना है। इसका फैसला आपके हाथ में है। 
आज यहाँ प्राचीन मदिर में जो लोग एकत्र हुए हैं वे अपनी मर्ज़ी से अपने कामकाज छोड़ कर आए हैं। इनको समझ में आ चुका है कि बाहुबलियों के शोषण को समाप्त करना है तो एकता करनी होगी। एकता में प्रताप है-पंथ तोड़ना पाप है। मंदिर में गूंज रहे गुरु नानक देव जी के जैकारे और शब्द गुरुनानक देव जी के जीवन का संघर्ष याद दिला रहे हैं। 
यहां ठाकुर दलीप सिंह जी की प्रेरणा से मंदिर कमेटी ने श्री गुरुनानक देव जी का प्रकाश पर्व मनाने का आयोजन किया है। करीब एक हज़ार वर्ष पुराने इस मंदिर में भजन भी गाए जा रहे हैं और शब्द भी। मंदिर में लगा नामधारी प्रमुख ठाकुर दलीप सिंह का बैनर बता रहा है कि इस मंदिर में भी गुरु पर्व मनाने का संदेश लागू हो चुका है। मंदिर के एक सेवादार अमरजीत सिंह बताते हैं कि वैसे तो वह यहाँ हर  करने आते हैं लेकिन आज उनको यहाँ आ कर बहुत प्रसन्नता हुई है।  इसी तरह  मंदिर के पुजारी बताते हैं कि यहाँ इस तरह का आयोजन किसी चमत्कार से कम नहीं है। मंदिर की सेवा में आई मंदिर कमेटी महिलाओं में भी उत्साह है। 
यहाँ पर हिन्दुओं और सिखों का उत्साह बता रहा है कि अब वही पहले जैसी एकता फिर से हो कर रहेगी। एकता तोड़ने वाले तत्वों को फिर मुँह की खानी पड़ेगी। इस अवसर पर नामधारी संगत भी मौजूद थी और मंदिर में आने वाली हिन्दू संगत भी। सभी ने श्री गुरु नानक देव जी की तस्वीर के सामने बहुत ही श्रद्धा से माथा टेका और शब्द गायन में हिस्सा लिया। 
इस मंदिर में आई हुई संगत को देख कर लगता था जैसे मंदिरों में गुरु पर्व मनाने की बाढ़ सी आई हुई है। एकता की एक ऐसी आंधी जो फुट डालने अले तत्वों को अपने साथ ही उड़ा ले जाएगी। 

Wednesday, November 21, 2018

दुर्लभ सर्जरी से ठीक की NRI की इरेक्टिल डिसफंक्शन की समस्या

Nov 21, 2018, 3:06 PM
इस समस्या के कारण दूसरी शादी भी थी टूटने की कगार पर
लुधियाना:  21 नवंबर 2018: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
आधुनिक जीवन शैली और अन्य कारणों की वजह से इरेक्टिल डिसफंक्शन अर्थात नपु्ंसकता या शीघ्र पतन की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है। एक अनुमान के मुताबिक तकरीबन एक करोड़ से अधिक मामले तो अकेले भारत में ही सामने आ रहे हैं। नपुंसकता की यह समस्या किसी शारीरिक या मानसिक अवस्‍था का गहरा संकेत हो सकता है। इसका विश्लेषण करने से ही इस समस्या के सही कारणों का पता लगाया जा सकता है। निरंतर गंभीर हो रही इस कारण जहाँ तनाव बढ़ रहा है वहीँ रिश्तों में मनमुटाव की भी वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही आत्मविश्वास की कमी होने लगती है। कुल मिला कर यह समस्या ज़िंदगी का एक ऐसा दुखद दर्द बन जाती है जिसे सभी के साथ बांटा भी नहीं जा सकता। यह समस्या केवल पंजाब या अन्य भारतीय राज्यों में ही नहीं बल्कि विदेशों में रह रहे लोगों को भी है। लुधिया के एक प्रसिद्ध अस्पताल से जुड़े एक डाक्टर ने दावा किया है कि उन्होंने एक ऐसे ें आर आई का इलाज किया है जिसकी इस समस्या का निदान कैनेडा में भी नहीं हो सका था। 
कनाडा में रहने वाले एनआरआई सुरजीत (बदला हुआ नाम) को आ रही इरेक्टिल डिसफंक्शन (नपु्ंसकता/शीघ्र पतन) की समस्या के कारण उसकी दूसरी शादी भी टूटने के कगार पर पहुंच गई थी। क्योंकि वह सेक्सुअल तौर पर अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पा रहा था। जब किसी भी डॉक्टर का इलाज उसके काम नहीं आया तो उसने अंतिम स्पेट के तौर पर दीप हॉस्पिटल के सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. आनंद सहगल से संपर्क किया। उन्होंने पेनिल इंप्लांट सर्जरी के जरिए सिलीकॉन सिलेंडर इंप्लांट करके इस समस्या का स्थाई समाधान कर दिया।
बुधवार को आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान दीप हॉस्पिटल के यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. आनंद सहगल ने बताया कि 17 नवंबर को अस्पताल के एक्सट्रा मॉडर्न ऑपरेशन थिएटर में उसकी पेनिल इंप्लांट सर्जरी की गई। जिसके जरिए इंपोर्टेड इन्फ्लाटेबल सिलिकॉन सिलेंडर इंप्लांट किए गए। जिस कारण इरेक्टिल फंक्शन ठीक तरह से काम करने लगा। सर्जरी के दौरान इंप्लांट करते समय सावधानी बरतते हुए वैक्टीरिया फ्री माहौल की जरूरत होती है। ताकि रिजल्ट शत-प्रतिशत सही हो। इस सर्जरी में ढाई घंटे का समय लगा। इंप्लांट के लिए इस्तेमाल किया गया सामान अमेरिकन मेडिकल सिस्टम्स (एएमएस) कंपनी से मंगवाया गया था। प्रोसीजर के कुछ घंटों बाद से ही सुरजीत ने भोजन लेना शुरू कर दिया और दूसरे दिन ही उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
डॉ. सहगल ने बताया कि यह इंप्लांट सर्जरी उन लोगों के लिए वरदान है, जो इस तरह की समस्या झेल रहे हैं और दवा से उनका इलाज नहीं हो पा रहा। उन्होंने बताया कि डाइबिटीज मेलिटस, एथेरोस्क्लेरोसिस के कारण ब्लड सप्लाई में कमी और हार्मोनल असंतुलन समेत कई कारणों से यह समस्या आ सकती है। हाइपरलिपिमीडिया, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रेस, मोटापा, वजन ज्यादा होना व स्मोकिंग इस समस्या को जन्म देते हैं। एक्सरसाइज नहीं करना भी इसका कारण बनता है। लगातार एक्सरसाइज करके और शारीरिक व मानसिक तौर पर फिट रहकर इस समस्या से बचा जा सकता है।
दीप हॉस्पिटल के एमडी डॉ. बलदीप सिंह ने कहा कि उनके अस्पताल में यूरोलॉजी के फील्ड में विश्व स्तरीय रीकंस्ट्रक्टिव व आधुनिक सर्जरी की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस कारण लोगों को अब इस तरह की समस्याओं के लिए देश के दूसरे शहरों में जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
दूसरी तरफ होम्योपैथी, आयुर्वेद और योग चिकत्सा में इस समस्या के सफल इलाज का दवा किया जाता है जिसकी चर्चा हम किसी अन्य पोस्ट में करेंगे। 

Saturday, November 03, 2018

जालंधर स्कूल के छात्र वर्ग ने कुंग-फु में दिखाए जौहर

मार्शल आर्ट को हर घर तक पहुंचने का संकल्प 
जालंधर:3 नवम्बर 2018:(राजपाल कौर//पंजाब स्क्रीन)::
जालंधर विदियक सोसायटी की ओर से चल रहे जालंधर स्कूल गदाईपुर के छात्र-छात्राओं के सर्वांगीण  विकास के लिए किए जा रहे प्रयास बच्चों की सफलता में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। यह प्रयास बच्चों को ज़िंदगी की बुलंदियां छूने की ओर अग्रसर करने में भी सहायक सिद्ध हो रहे हैं। एक छोटे से गांव में रहने वाले साधारण से परिवारों के बच्चे खास कर लड़कियाँ मार्शल आर्ट के सभी खेलो को करने में सक्षम हो गई हैं। अब इन छात्र छात्रों ने स्टेट लेवल प्रतियोगिता तक पहुँच कर भी अपनी प्रतिभा दिखाई है। इन बच्चों ने  गोल्ड, सिल्वर और कांस्य पदक भी हासिल किए हैं। इनको कोचिंग देने और अभ्यास कराने में प्रवीण जी और मोहम्मद हैदर ने सक्रिय भूमिका निभाई है। इन कोच साहिबानों की मेहनत से जालंधर स्कूल गदाईपुर के दस बच्चों ने पदक और सर्टिफिकेट  हासिल किए हैं। इन परिणामों में लावण्या तीन फाइटों के मुकाबले के बाद प्रथम रही और स्वर्ण-पदक हासिल किया।  इसी तरह चुटुन ,हर्ष,नितेश ,चंदन और आदित्या ने सिल्वर पदक प्राप्त करके नाम रौशन किया। बरुन, भूमिका, आसिफ और अमन ने कांस्य पदक हासिल करके नई संभावनाओं का संकेत दिया। आज स्कूल में विजेता बच्चों को सारे स्टाफ की तरफ से बधाई दी गई और मुख्याध्यापिका राजपाल कौर ने बच्चों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ कर जीत हासिल करने की प्रेरणा दी। इस मौके पर मैडम मीनाक्षी, जसवीर कौर, संदीप कौर, सोनम, सेसा श्रेष्ठा, संगीता, मीना कुमारी, राधा, नीलम पाल और शिवानी हाजिर थी।   

Thursday, November 01, 2018

अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया! ---कार्तिका सिंह

पहली नवम्बर को पंजाब दिवस पर विशेष काव्य रचना
अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया!
साज़िशों की बाढ़ में पंजाब सारा बह गया। 
कहीं है हिमाचल, कहीं हरियाणा रह गया;
अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया। 

खेत मिट रहे हैं-खतरे में बाग़ है। 
मक्की की रोटी कहां सरसों का साग है?
भेलपूरी छा गयी है; बर्गर पीज़ा रह गया! 
अपना पंजाब अब पंजाब  कहां रह गया। 

ख़ुदकुशी की खबरें हैं, जुर्मों का राज है। 
ठेके हैं शराब के बस नशे का ही राज है!
कहीं लाल परी, कहीं चिट्टा पाउडर रह गया। 
अपना पंजाब अब पंजाब  कहां रह गया। 

कौन देखे आ के जो पंजाब बना आज है!
रोज़ आती खबरों में लापता सी लाज है!  
सत्ता का यह ताज भी मज़ाक बन के रह गया!
अपना पंजाब अब पंजाब कहां रह गया। 

लूट गया पंजाब बचा क्या जनाब रह गया?
पानी और खेतों का हिसाब कहाँ रह गया?
प्रेम की निशानी वो चनाब कहाँ रह गया!
अपना पंजाब अब पंजाब कहाँ रह गया?
                                   --कार्तिका सिंह 
(शुक्रवार 12अक्टूबर 2018 को रात्रि 11:27 बजे)