Sunday, December 24, 2017

लगातार बुलंद हो रही है शहनाज़ के लिए इन्साफ की मांग

Sun, Dec 24, 2017 at 4:57 PM
श्रद्धांजली आयोजन ने समाज से पूछा-आखिर कब जागोगे आप लोग?
लुधियाना24 दिसम्बर 2017: (पंजाब स्क्रीन टीम)::
नवरात्र का उपवास रखने वाले देश में ही हुई थी शहनाज़ की हत्या। अनगिनत धार्मिक स्थलों से भरे देश में ही हुआ था उसके साथ दुष्कर्म। जब उसने आवाज़ उठाई तो किसी ने नहीं दिया उसे इन्साफ। दरिंदों की दरिंदगी इतनी बढ़ी कि न्याय की जंग लड़ने निकली शहनाज़ को जिंदा जला दिया गया। अफ़सोस कि न तो धरती डगमगाई न ही आसमान टूटा और न ही लोग जागे। बहुत से लोगों ने इसे भी भगवान की मर्जी कह कर आँखें बंद कर लीं और अपने काम धंधों में मस्त हो गए। वास्तव में इस तरह के लोग भी ज़िम्मेदार हैं समाजविरोधी गुण्डातत्वों की मनमानियां बढ़ाने में। इन पर लगाम कसना सभी का फ़र्ज़ होना चाहिए न कि सिर्फ किसी शहनाज़ के परिवार का। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शहनाज़ का दर्द किसी ने न सुना। More Pics on Facebook
इस दर्द की आवाज़ को सुना तो उन लाल झंडे वाले लोगों ने जिन्हें लोग नास्तिक कह कर मूंह फेर लेते हैं। यह लोग 2014 से लगातार शहनाज़ के लिए इन्साफ मांग रहे हैं। लोगों को इस मकसद के लिए जागरूक कर रहे हैं। आज भी ढंडारी के इलाके में इसी तरह का कार्यक्रम था। दिल को हिलाता हुआ। दिमाग में सवाल पैदा करता हुआ। सरे समाज से पूछता रहा था यह आयोजन कि आखिर कब जागोगे ? किस की इंतज़ार कर रहे हो? जब हर घर की कोई न कोई शहनाज़ इन दरिंदों का निशाना बनेगी? आयोजन में चेताया गया कि अगर अब आप आगे नहीं आये तो उस समय कोई आपकी मदद के लिए आने वाला नहीं बचेगा। इस चेतना को जगाने के लिए इंक़लाबी गीत संगीत का कार्यक्रम भी हुआ। दर्द के साथ संघर्ष और हौंसले की ताल मिलाई गयी।  बुलंद आवाज़ में कहा गया कि हम इन गुंडों से नहीं डरेंगे। नारे लगाए गए-गुंडागर्दी चक्क दियांगे-धौण ते गोदा रख दियांगे। इस आयोजन ने सहमे और डरे हुए लोगों में एक नयी जान फूंकी।
ढण्डारी अपहरण, बलात्कार व कत्ल काण्ड की पीडि़ता शहनाज़ की तीसरी बरसी पर आज ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी द्धारा ढण्डारी, लुधियाना में श्रद्धांजलि समागम किया गया। श्रद्धांजलि समागम में शामिल लोगों ने शहनाज़ को इंसाफ़ दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प लिया। वक्ताओं ने कहा कि बलात्कारी गुण्डा गिरोह के खिलाफ शहनाज़ के न्यायपूर्ण संघर्ष को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। श्रद्धांजलि समागम को विभिन्न जनसंगठनों के प्रतिनिधियों व शहनाज़ के माता-पिता ने सम्बोधित किया। क्रान्तिकारी सांस्कृतिक मंच ‘दस्तक’ की ओर से जुझारू गीत पेश किए गए। यह वो गीत थे जिनमें शोषण का शिकार हुयी जनता का दर्द था। इस दर्द को दूर करने वाली मरहम की बात थी। आम जनता के हक पर चील बन कर मंडरा रहे शोषकों की चुनौती स्वीकार करने का ऐलान था।  
कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब; टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब; स्त्री मज़दूर संगठन, पंजाब स्टूडेंटस यूनियन (ललकार); नौजवान भारत सभा व बिगुल मज़दूर दस्ता संगठनों द्धारा गठित ‘ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी’ की तरफ से आयोजित श्रद्धांजलि समागम में विभिन्न संगठनों के वक्ताओं ने कहा कि शहनाज़ दमन-उत्पीडन का शिकार सभी स्त्रियों और साधारण जनता के सामने संघर्ष का एक प्रतीक है। बलात्कार, अपहरण, छेड़छाड़ जैसे जुल्मों का शिकार अधिकतर महिलाएं व उनके परिवार इन घटनाओं को सामाजिक बदनामी, मारपीट, जान गंवाने, न्याय की नाउम्मीदी आदि कारणों के चलते छिपा जाते हैं। लेकिन बहादुर शहनाज़ और उसके परिवार ने ऐसा नहीं किया। 
शहनाज़ ने लड़ाई लड़ी और वह लड़ते-लड़ते मौत को गले लगा गई। वह जुल्म के सामने घुटने न टेकने की मिसाल कायम करके गई है। उसे हमेशा याद रखना होगा। वक्ताओं ने कहा कि स्त्रियों को भयानक जुल्मों का सामना करना पड़ रहा है। स्त्रियों को इसके खिलाफ़ एकजुट होना होगा। हर इंसाफपसंद व्यक्ति को इस संघर्ष में शामिल होना होगा। उन्होंने कहा कि लोगों को स्त्रियों सहित सभी आम लोगों की सुरक्षा, दमन-जुल्म से छुटकारे के लिए सरकारी व्यवस्था से कोई उम्मीद न करके एकजुट होना होगा। उन्होंने कहा कि लोगों को गुण्डा-पुलिस-राजनीतिक नापाक गठजोड़ के खिलाफ जुझारू जनान्दोलन सगंठित करना होगा।
संघर्ष कमेटी के संयोजक लखविन्दर ने बताया कि शहनाज़ को 4 दिसम्बर 2014 को एक गुण्डा गिरोह ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाकर जला डाला था। इससे पहले शहनाज़ को 25 अक्टूबर 2014 को अगवा करके दो दिन तक सामूहिक बलात्कार किया गया था। राजनीतिक सरपरस्ती में पलने वाले इस गुण्डा गिरोह के खिलाफ़ कार्रवाई करने में पुलिस ने बेहद ढिलाई बरती, पीडि़तों की ढंग से सुनवाई नहीं की गई, रिपोर्ट लिखने और मेडिकल करवाने में देरी की गई। बलात्कार व अगवा करने के दोषी 18 दिन बाद जमानत करवाने में कामयाब हो गए। गुण्डा गिरोह ने शहनाज़ और उसके परिवार को केस वापिस लेने के लिए डराया, जान से मारने की धमकियाँ दीं। 4 दिसम्बर को दिन-दिहाड़े सात गुण्डों ने उसे मिट्टी का तेल डाल कर जला दिया। 9 दिसम्बर को उसकी मौत हो गई। गुण्डा गिरोह के इस अपराध व गुण्डा-सियासी-पुलिस-प्रशासनिक नापाक गठजोड़ के खिलाफ़ हज़ारों लोगों द्वारा ‘संघर्ष कमेटी’ के नेतृत्व में विशाल जुझारू संघर्ष लड़ा गया था। जनदबाव के चलते दोषियों को सजा की उम्मीद बँधी हुई है। कत्ल काण्ड के सात दोषी जेल में बन्द हैं। अदालत में केस चल रहा है। पुलिस द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज करने में की गई गड़बड़ों के चले अगवा व बलात्कार का एक दोषी जमानत पर आज़ाद घूम रहा है। लखविन्दर ने कहा कि इन बलात्कारियों व कातिलों के फाँसी की सजा के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
श्रद्धांजलि समागम को ‘संघर्ष कमेटी’ के संयोजक व कारखाना मज़दूर यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष लखविन्दर; टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब के अध्यक्ष राजविन्दर; स्त्री मज़दूर संगठन की बलजीत; मोल्डर एण्ड स्टील वर्कर्ज यूनियन के अध्यक्ष हरजिन्दर सिंह, नौजवान भारत सभा के सतपाल व कर्मजीत कोटकपुरा, मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान के नेता सुरिन्दर सिंह, डेमोक्रटिक लॉयर्ज ऐसोसिएशन के नेता एडवोकेट हरप्रीत जीरख, शहनाज़ के पिता मुहम्मद इलियास, पीप्लज मीडिया लिंक के रेक्टर कथूरिया आदि ने सम्बोधित किया। 
इस अवसर पर जनचेतना द्वारा पुस्तक प्रदर्शनी भी लगाई गई। 
इस अभियान से जुड़ने के लिए आप सम्पर्क कर सकते हैं लखविन्दर से जो ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी के संयोजक   हैं। उनका मोबाईल फोन नंबर है:9646150249

Wednesday, December 13, 2017

कांग्रेसी ट्रेड यूनियन इंटक ने बुलंद की मज़दूर हित की आवाज़

Wed, Dec 13, 2017 at 3:05 PM
अनीता शर्मा ने पूछा-सरकारी अफसर क्यों नहीं करते चैकिंग?
लुधियाना: 13 दिसंबर 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
राष्ट्रीय मजदूर ट्रेड युनियन (इंटक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश शर्मा सुंदरियाल ने लुधियाना पहुंचते ही मानवाधिकार दिवस पर इंटक के सभी सदस्यों को श्रमिकों के अधिकारों के लिए कार्य करने का दिशा निर्देश जारी किया।  चूंकि पंजाब में कांग्रेस की सरकार है इसलिए कांग्रेसी ट्रेड यूनियन इंटक का इस तरह खुल कर मज़दूर हितों के लिए आगे आना बहुत गहरे संकेत दे रहा है। गौरतलब यह भी है कि इंटक के महिला विभाग की राज्य अध्यक्ष अनीता शर्मा सच बोलने के लिए पहले भी काफी जानी जाती हैं। सियासी क्षेत्रों में चर्चा है कि इंटक को मज़दूर संगठनों में नंबर वन बनाने के लिए इंटक प्रमुख दिनेश सुंदरियाल और पंजाब प्रमुख अनीता शर्मा को कांग्रेस की राष्ट्रिय है कमान का आशीर्वाद प्राप्त है। 
शराब के कारोबार को ले कर तकरीबन सभी दलों से टक्कर ले चुके संगठन बेलन ब्रिगेड की राष्ट्रीय अध्यक्ष व पंजाब महिला इंटक प्रधान अनीता शर्मा ने कहा कि आज सरकार मजदूरों के अधिकारों को नज़रअंदाज कर रही है जिस कारण हजारों मज़दूर सरकारी नियम कानून और इंस्पेक्टरी राज खामियों के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। मज़दूरों के जान माल की सुरक्षा करने में अफसरशाही पूरी तरह नाकाम हो चुकी है। होटलों, अस्पतालों,  फैक्ट्रियों की सरकारी अफसर कोई चेकिंग नहीं करते कि यहां पर फायर सिस्टम, सीवरेज सिस्टम, बिल्डिंग प्लानिंग व हाइजीनिक व्यवस्था का ठीक इंतजाम है या नही? सरकारी अफसर या तो इसकी चेकिंग ही नहीं करते या फिर रिश्वत लेकर चुप हो जाते है। चाहिए तो यह कि अगर किसी जगह सही व्यवस्था नहीं है तो सरकारी अफसर प्राइवेट अदारों को नोटिस भेजे और उसकी चेकिंग करे यदि नियम या कानून के मुताबिक काम नहीं हो रहा तो उन पर भारी जुर्माना लगाए।   
सरकारी अफसर मज़दूरों के कल्याण के लिए व उनकी जान माल की सुरक्षा के लिए कोई भी  कार्य ढंग से नहीं कर रहे है जिस कारण फैक्ट्रियों में हादसा  होने के बाद मजदूर तो अपनी जान गँवा देता है उसके साथ साथ फैक्ट्रियों के मालिक भी हादसे के दोषी बन जाते है। उन्हें मृतकों को हर्जाना भरना पड़ता है और फैक्ट्री में आग आदि लगने से लाखों का नुक्सान अलग से हो जाता है। इसलिए सभी सरकारी विभागों के अफसर फैक्ट्रियों, होटलों, अस्पतालों, स्कूलों, कॉलेजों व मॉल आदि की समय समय पर जांच करें ताकि कोई अनहोनी घटना न घटे और मजदूर व मालिकों की जान माल की सुरक्षा हो सके। 
इंटक पंजाब लोकल बॉडीज के प्रधान नरेंदर सिंह ने कहा कि सीवरेज गैस चढ़ने के कारण कई लोग हर वर्ष मर जाते है। सरकारी कर्मचारी तो  सरकार से मुआवजा ले लेते है लेकिन यदि सीवरेज साफ़ करते वक्त यह हादसा किसी प्राइवेट  बिल्डिंग में हो जाए और किसी मजदूर की जान चली जाए तो आम आदमी लाखों रुपया हर्जाना मृतक के परिवार वालों को नहीं दे सकता। इसलिए सरकार को चाहिए की सीवरेज का काम करने वाले मजदूर को ट्रेनिंग दे कि वे कैसे सीवरेज मेनहोल में कार्य करें और उन्हें क्या सेफ्टी इंतजाम बरतने चाहिए पैसे की लालच में वे जोखिम भरा काम न करे ताकि किसी मजदूर की जान न जाए। प्राइवेट सीवरेज का काम कराने वाले मालिकों को भी किसी मजदूर की जान जाने पर मजबूरन हर्जाना न भरना पड़े।
इस अवसर पर राष्ट्रीय मजदूर ट्रेड युनियन (इंटक) के राष्ट्रीय सचिव ऋषि वर्मा, पंजाब इंटक के प्रधान हरकिशन सिंह विक्की व पंजाब  इंटक लोकल बॉडी के उपप्रधान  चन्द्र शेखर सहोता ने भी अपने अपने विचार रखे।

Tuesday, December 12, 2017

नारी शक्ति पे आधारित है ये फिल्म: “हार्ड कौर”

"नारीवाद महिलाओं को मज़बूत बनाना नहीं है...नारी तो पहले से ही मज़बूत है...बात सिर्फ नज़रिये की है के दुनिया किस नज़रिये से ये मज़बूती देखती है”...निर्देशक, अजित आर राजपाल 
लुधियाना:12 दिसंबर 2017:(पंजाब स्क्रीन टीम)::
आजकल हर जगह नारी शक्ति की बहुत चर्चा होती है कि किस तरह आजकल महिलायें हर क्षेत्र में आगे बड़ रही हैं।  वो चाहें अपने घरों में रह रही हों या बाहर काम कर रही हों, वे एक स्वतंत्र दृष्टिकोण का दावा करती हैं। वे अपने जीवन पर नियंत्रण प्राप्त कर रही हैं और अपने शिक्षा, कैरियर, पेशे और जीवनशैली के संबंध में अपना निर्णय खुद ले रही हैं। पंजाब सबसे बड़ा राज्य है, जिसने सबसे अधिक महिला योद्धाओं को जन्म दिया है, परन्तु आज हम अपनी मजबूत पकड़ को अपने साहसी दायरे से लुप्त होते देख रहे है। निर्देशक अजित आर राजपाल ने बताया के हमारी महिलाओं का जीवन बेहतर बनाने व उन के साहस को रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में इस्तेमाल करने की हमारी ये छोटी सी कोशिश है। इस पंजाबी फिल्म में पंजाब के पांच अलग-अलग शहरों की सिख लड़कियों हैं, जो पीड़ा से गुज़रती हैं, लेकिन सब एक जुट हो कर हर कठिनाई का डट के मुकाबला करती हैं। विजय उनके कदम चूमती है। 
निर्देशक अजित आर राजपाल के निर्देशन में बनी इस फिल्म में हम दृष्टि ग्रेवाल, डियाना उप्पल, निर्मल ऋषि, नीत कौर, स्वाति बक्शी, चैतैन्य कन्हाई, तनविसर सिंह व शशि किरण को हम अहम किरदारों में देखेंगे।दिल्लीवुड स्टुडिओज़ प्राइवेट लिमिटेड के बैनर में बनी इस फिल्म के निर्माता हैं राकेश चौधरी, सुरेश चौधरी व् वसीम पाशा. अजित आर राजपाल ने लिखी है इस की कहानी और सोहेब सिद्दीक़ी हैं इस के छायाचित्र निर्देशक. फिल्म को वाइट हिल स्टूडियोज द्वारा डिस्ट्रीब्यूट किया जा रहा है। ये फिल्म 15 दिसम्बर 2017 को रिलीज़ हो रही है। 
मीडिया से बातचीत के दौरान निर्देशक अजित आर राजपाल ने बताया, "हार्ड कौर, पंजाबी सिनेमा का सबसे बेहतरीन उदाहरण है, जो महिलाओं के सशक्तिकरण को अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में पेश करेगी।" उन्होंने आगे फिल्म के सार के बारे में बताया, "ये कहानी एक कौर की है जो एक स्कूल टीचर है और जो रोज़ एक लोकल बस द्धारा पटियाला से दोंक्ला से राजपुरा बाईपास तक सफर करती है और इस दौरान उस की मुलाक़ात एक बहुत ही अमीर लड़के से होती है जो कि हरियाणा से है। यहीं पर किस तरह से उस की ज़िन्दगी एक मोड़ लेती है जब चलती बस में एक खून हो जाता है और किस तरह ये मासूम लड़की उस खून के मामले में फस जाती है। कहानी नाज़ुक मोड़ लेती है।  किस तरह बाकी की चार कौर एकजुट हो कर इस लड़की को न्याय दिलाती हैं।" महिका एकता और सशक्तिकरण की एक दिलचस्प कहानी है हार्ड कौर। 
निर्माता  राकेश चौधरी, सुरेश चौधरी व वसीम पाशा ने बताया, "डेलीवुड स्टुडिओज़ प्राइवेट लिमिटेड के लिए, एक शानदार फिल्म "हार्ड कौर" जैसी फिल्म का निर्माण करना एक गर्व की बात है। हम क्षेत्रीय सिनेमा को एक  उच्च स्तर देने में बहुत गर्व महसूस करते हैं".
लीड एक्टर, चैतन्य कन्हई, ने भी बताया, "मैं इस तरह के कांसेप्ट व कंटेंट वाली फिल्म कर बहुत ही खुश हूँ और मुझे पूरी उम्मीद है के दर्शक इस फिल्म को ज़रूर पसंद करेंगे।"
इस फिल्म मे चार गाने है जिन्हें गाया है नछत्तर गिल, प्रभ गिल, नूरां सिस्टर्ज व अमन त्रिखा ने। इन  गीतों को लिखा है अनिल जींजर, राजवीर सिंह प्रजापति, सोनू ललका, कुंवर वड़ैच, ऐ एम तुराज व रवि बसनेट ने।  संगीत दिया है प्रतीक, अम्बिका, शिवा रामगड़िआ, एनकी व बबली हक़ ने। 

Saturday, December 02, 2017

नशे के चक्रव्यूह में फंसी अनीता शर्मा की जंग

सियासत और पूंजीवाद का मायाजाल-हर कदम पे धोखा 
लुधियाना: 30 नवम्बर 2017: (पंजाब स्क्रीन फीचर डेस्क)::
नशे की जंग चरमसीमा पर है। या तो नशा हार जायेगा या फिर यह दुनिया अपना भविष्य किसी अंधेरी सुरंग में ले जाएगी जिसका शायद अंत न हो।  जंग का ऐलान हो चुका है।  आरपार की रेखा खिंच चुकी है। इस तरफ कौन है और उस तरफ कौन यह भी अब सामने आने लगा है। सत्ता और सियासत कहां तक जा सकती है इसका पता अब आम इन्सान को भी लगने लगा है। धर्म के नाम पर क्या क्या हो सकता है यह भी अब खुल कर सामने आने लगा है। पूंजीवाद का करूप और घिनौना चेहरा एक बार फिर सामने आ रहा है। 
पूंजीवाद के इस दौर में फिर साफ़ हुआ है कि--बाप बड़ा न भैया--सबसे बढ़ा रुपैया 
हर हाल में पैसा चाहिए। खुद को भी और अपने ख़ास लोगों को साथ बनाये रखने के लिए भी। पैसे के लिए कुर्सी चाहिए और कुर्सी बचाने के लिए फिर और पैसा और इस पैसे के लिए नशे का कारोबार। दूसरा करेगा तो तस्करी और हम करेंगे तो आमदनी का स्रोत। नशे का कारोबार बचाना है और फैलाना भी है। इसके लिए गुंडे जरूरी हों या बदमाश सब करना होगा। नशे की यह लहर भी ज़ोरों पर है और इसके खिलाफ जंग भी ज़ोरों पर जारी है। 
नशे के खिलाफ जंग का जब भी ज़िक्र छिड़ेगा तो बहुत से नाम आएंगे जिन्होंने युवा वर्ग को नशे का गुलाम बनाने में कोई कसर न छोड़ी। 
जब इस हकीकत को पढ़ कर आने वाली पीढी को शर्म भी आयेगी और बेहद निराशा भी होगी तो एक नाम सकुन देगा--बेलन ब्रिगेड प्रमुख अनीता शर्मा का नाम। 
जन्मभूमि होशियारपुर और कर्मभूमि लुधियाना की एक सुविख्यात आर्किटेक्ट। आज सारा पंजाब और देश उस के लिए युद्धभूमि बन चूका है। देश को बचाना है-नशे को मार भगाना है-बस यही है जनून। लेकिन वायदे करने वाले लोग ज़्यादा और साथ देने वाले लोग कम। 
अनीता शर्मा चाहती तो हर रोज़ नक्शे बनाने की सलाह दे कर मोटी कमाई कर लेती लेकिन रास्ता चुना अंतर आत्मा की आवाज़ सुन कर। 
वह आवाज़ एक पुकार थी। उन परिवारों की पुकार जो नशे की लत ने उजाड़ दिए। नशे ने बहुत से घरों के चिराग बुझा दिए। बहुत सी माताओं से उनके लाल छीन लिए। बहुत सी बहनों के भाई खा लिए। बहुत से पिता बुढ़ापे में बेसहारा बना दिए। उनका दर्द पुकार रहा था कि कोई तो आये। कोई तो उनका दुःख सुने। कोई तो उठे। कोई तो इस नशे कारोबार को रोके। रास्ता मुश्किल था लेकिन पुकार लगातार आती रही। घर उजड़ते रहे। कारोबारी पैसा कमाते रहे। गांव गाँव से रुदन उठता रहा। रुदन  तेज़ होती रही। पर कौन सुनता! निमंत्रण तह था लेकिन अंगारों पर चलने वाली बात थी। 
--यह पुकार कहती रही---- 
इन्हीं पत्थरों पे चल कर गर हो सके तो आना,
मेरे घर के रास्ते में कोई कहकशां नहीं है....
...और अनीता  शर्मा चल पड़ी इस आवाज़ के पीछे--
बहुत से धोखे मिले। बहुत सी धमकियां मिलीं। बहुत से लालच और बहुत से दबाव। पति श्रीपाल ने लगातार साथ निभाया। सडक हादसे में बुरी तरह घायल हो कर भी अनीता शर्मा के मार्ग की चिंता की। 
मकसद नेक था लेकिन आसान नहीं थी। अनीता शर्मा भूल गई कि सियासत की दुनिया फरेब की दुनिया होती है। इस दुनिया में कोई किसी का नहीं होता। इस सियासत के माया जाल में जो होता है वो दिखता नहीं और जो दिखता है वो होता नहीं। समाज ने अनीता का कितना साथ दिया यह भी एक दिलचस्प कहानी लेकिन सियासत ने क्या क्या किया यह भी दर्दभरी रहसयमय दास्तान। 
अनीता शर्मा के साथ भी वही हुआ जो इस राह पर  चलने वालों के साथ अक्सर होता है।  विश्वासघात और धोखों की एक और दर्दनाक दास्तान जो आपके दिल को हिला कर रख देगी। 
अनीता शर्मा की जंग एक सम्वेदनशील मोड़ पर है। उस मोड़ पर जहां कुछ भी हो सकता है। हालात नाज़ूक हैं। क्या अनीता शर्मा जीत पायेगी यह जंग...? क्या आप उसे हारने देंगें? अगर वह हार गयी तो हार आपकी होगी ! क्या आप नशे के सौदागरों को जीतने देंगें?
फैसला आपके हाथ---नशे से बेहोश समाज या  नशा मुक्त दुनिया-----????