Monday, July 31, 2017

निजी स्कूलों के खिलाफ जन आक्रोश और तेज़

बात नहीं बनी तो गुप्ता मॉडल स्कूल के खिलाफ भी संघर्ष होगा और तेज़
लुधियाना: 31 जुलाई 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
निजी स्कूलों की कथित मनमानियों के खिलाफ जन संघर्ष और विशाल होता रहा है। कहीं करेक्टर सर्टिफिकेट के 1100-1100 रूपये मांगे जा रहे हैं तो कहीं स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट के चार पांच हज़ार रूपये। कई इलाकों के कई स्कूल आरोपों के घेरों में हैं। टाफियों से लेकर किताबें और वर्दियां तक स्कूल से बेचना इस दुकानदारी का हिस्सा बन चूका है। क्लब रोड पर स्थित गुप्ता मॉडल स्कूल के अभिभावकों के संघर्ष को लुधियाना के समाजसेवी अश्विनी सग्गी और कलाकार गौरव सग्गी ने सक्रिय सहयोग दिया। परिणाम स्वरूप इन अभिभावकों को अब छह महीने की फीस की बजाये केवल एक महीने की फीस दे कर स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट मिल सकेगा। अभिभावकों का असमर्थन करने के आरोप में स्कूल ने अश्विनी सग्गी अश्विनी सग्गी के खिलाफ बदलाखोरी की भावना से करवाई भी की। 
गौरतलब है कि लुधियाना में भी निजी स्कूलों के खिलाफ जन आक्रोश लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आज मामला सामने आया क्लब रोड पर स्थित गुप्ता मॉडल हाई स्कूल का। यह बहुत पुराना स्कूल है और डाक्टर इक़बाल नर्सिंग होम  है। झगड़ा बढ़ने पर वहां मीडिया भी पहुंचा। यहाँ पढ़ते बच्चों के अभिभावकों ने मीडिया को बताया कि उन्हें स्कूल छोड़ने के बावजूद स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट नहीं दिया जा रहा। कई महीनो से कई कई चक्कर लगाने के बाद भी सर्टिफिकेट के बदले उनसे छह छह महीनों की फीस मांगी जा रही है। एक अभिभावक महिला ने बताया कि एक बच्चे की महीने की फीस 675/- रूपये बनती है। छह महीनों की इतनी बड़ी रकम 4,050/- वे नहीं दे सकते। किताबें भी स्कूल के अंदर से ही खरीदनी पड़ती हैं और वे भी बाजार से कहीं महंगी।  जब भी बात करो तो स्कूल के संचालक इशारों से ही सामने वाले को चकरा देते हैं और क्यूंकि मूक बधिर होने के कारण ये लोग बोल कर नहीं सकते और सामने वाला इनकी भाषा समझ नहीं सकता।  इस मकसद के लिए किसी रिसेप्शनिस्ट या पीआरओ को भी नियुक्त नहीं किया गया। आखिर जब दोनों पार्टियां पुलिस के पास पहुंची तो पुलिस ने स्कूल में आ कर समझौता करवाया। अब अभिभावकों को अगले दिन आने को कहा गया है वो भी केवल एक महीने की फीस के साथ। अब देखना यह है कि  इस पर सचमुच अम्ल होता है या बात को लटकाने के लिए इसे केवल बहाना बनाया जाता है। गौरतलब है कि कभी इस स्कूल का बहुत नाम हुआ करता था लेकिन स्कूल संस्थापक सुरेंद्र गुप्ता का देहांत होने के बाद इस स्कूल का प्रभाव लगातार कम होता गया।  जब स्कूल का पक्ष जानने की कोशिश की गयी तो स्कूल प्रबंधन ने मीडिया के साथ भी बदसलूकी की और काम में रुकावटें डाली। इसी बीच कुछ अभिभावकों और स्कूल में काम करते स्टाफ ने मांग की कि स्कूल के अतीत का रेकार्ड भी खंगाला जाये और पता किया जाये कि अब तक किस किस गलत तरीके से पैसा एकत्र किया जाये। 

Thursday, July 27, 2017

"जब हैरी मेट सेजल" के अगले गाने "हवाइयां" का अनावरण

Thu, Jul 27, 2017 at 18:51
4 अगस्त, 2017 को देशभर में रिलीज होगी "जब हैरी मेट सेजल"
सुर्यास्त के बीच अपनी खूबसूरत डेट के दौरान शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा ने "जब हैरी मेट सेजल" के अगले गाने "हवाइयां" का आगमन किया। Click Here To See More Pics on FB
मुंबई के उपनगरीय में एक समुद्र के किनारे सूर्यास्त के बीच बड़ी ही धूमधाम और जोश के साथ 'जब हैरी मेट सेजल' का नया गीत 'हवाइयां' का अनावरण किया गया।

26 जुलाई 2017 की शाम ढलते हुए सूरज और ताज़ा खुली हवा के बीच गीत "हवाइयां" को रिलीज किया गया।

इस खूबसूरत समा में शाहरुख खान का सर्वश्रेष्ठ रोमांटिक अवतार देखने मिला, जहाँ शाहरुख पूरी तरह से अपने किरादर हैरी के ढल गए थे और अपनी खूबसूरत सेजल को आकर्षित करने में हैरी ने कोई कसर नहीं छोड़ी।
गीत के लॉन्च के दौरान प्रीतम ने फ़िल्म के गीत "सफर" पर भावपूर्ण धुनों के साथ प्रदर्शन कर इस माहौल में चार चाँद लगा दिए। 
निर्देशक इम्तियाज अली ने ट्रैक के बारे में ढ़ेर सारी बाते की और फिल्म से जुड़े कुछ पर्दे के पीछे वाले दृश्यों को भी साझा किया।
"जब हैरी मेट सेजल" के इस नए गीत में हैरी और सेजल द्वारा साझा किए रोमांटिक पलों को उजागर किया गया है, जिसने हमें दोनों मुख्य पात्रों के जीवन के ओर करीब खींच लिया है।
इम्तियाज अली द्वारा निर्देशित, जब हैरी मेट सेजल में शाहरुख खान उर्फ हैरी एक पर्यटक गाईड के रूप में नज़र आएंगे, और अनुष्का शर्मा उर्फ सेजल एक वकील है और वो यूरोप की सैर पर निकली है।
रेड चिलीज एंटरटेनमेंट द्वारा निर्मित और इम्तियाज अली द्वारा निर्देशित  फिल्म "जब हैरी मेट सेजल" 4 अगस्त, 2017 को देशभर में रिलीज होगी।

नायब शाही इमाम मौलाना उस्मान ने ठुकराया बिग बॉस का निमंत्रण


Thu, Jul 27, 2017 at 4:32 PM
भीड़ और ट्रेंड से हट कर किया फैसला 
लुधियाना: 27 जुलाई 2017 (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
देश का बहुचर्चित टीवी शो बिग बास अक्तूबर में शुरु होने जा रहा है। टीवी शो बिग बास में शामिल होने के लिए युवा मुस्लिम विद्वान व पंजाब के नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उसमान रहमानी लुधियानवी को निमंत्रण दिया गया, जिसे कि नायब शाही इमाम उसमान रहमानी ने स्वीकार नहीं किया। प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत में जीईसी चैनलज को प्रोग्राम देने वाली कंपनी ऐंडेमोल शाइन की तरफ से इमेल तथा फोन के जरिए मौलाना उसमान रहमानी से संपर्क किया गया और बिग बास हाऊस में शामिल होने के लिए आडीशन में भाग लेने के लिए निमंत्रित किया गया। गौरतलब है कि जहां आजकल बिग बास के शो में भाग लेना बहुत बड़ी बात समझी जाती है वहीं पंजाब के नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी ने इसे ठुकरा कर सभी लोगों को सादगी का पैगाम दिया है। जो कि अपने आप में एक मिसाल है।

मजदूरों की हर समस्या को हल करना ही इंटक का निशाना- अनीता शर्मा

Thu, Jul 27, 2017 at 3:05 PM
पूरे पंजाब में इंटक के सक्रिय होने का दावा 
लुधियाना: 27 जुलाई2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
कांग्रेस पार्टी से सबंधी ट्रेड यूनियन संगठन "इंटक" के दिनेश सुंदरियाल गुट ने पंजाब में अपनी पकड़ मज़बूत शुरू कर दी है। इस मकसद के लिए बाकायदा लुधियाना और चंडीगढ़ के अलग अलग विभागों में  मज़दूरों के पेंडिंग पड़े मामलों खंगाला जा रहा है। अलग अलग विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों और सबंधित विभागों के मंत्रियों तक सीधी पहुंच बनाई जा रही है। इसके साथ ही अन्य मज़दूर संगठनों की तरफ से उठाये गए मुद्दों को भी संयुक्त प्रयासों के अंतर्गत हल किया कराया जा रहा है। इस का संक्षिप्त विवरण स्थानीय जमालपुर में इंटक की बैठक में दिया गया। 
इस मीटिंग में मजदूरों की हित में कार्य करने और उनको पूरा मजदूरी और वेतन मिले इस विषय पर विस्तृत चर्चा भी की गई और मौजूदा प्रस्थितियों को ध्यान में नई रणनीति भी बनाई गयी।
इस बैठक में साँझा बयान जारी करते होये अनीता शर्मा पंजाब इंटक महिला की अध्यक्ष व् डॉ प्रदीप अग्रवाल प्रदेश् प्रवक्ता/जिला प्रधान ने कहा कि इंटक सारे देश में राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश शर्मा सुंदरियाल के नेतृत्व में कार्य कर रही है और यह मजदूरों के कल्याण के लिए और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए वचनबद्ध है और मजदूरों की हर समस्या को हल करना ही इंटक का नारा है।  
दावा किया गया कि इंटक सारे पंजाब में जोर  शोर से  कार्य कर रही है और मजदूरों के अधिकारों के लिए इंटक हमेशा उनके साथ खड़ी है और सारे पंजाब में जिला स्तर व ब्लॉक स्तर पर कार्य कर रही है उन्होंने कहा कि इंटक राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश शर्मा सुंदरियाल पंजाब में इंटक को मजबूत करने के लिए पूरा सहयोग दे रहे हैं।


Monday, July 24, 2017

शांति से सम्पन्न हुआ पास्टर सुल्तान मसीह का श्रद्धांजलि कार्यक्रम

सभी दलों के नेताओं ने अर्पित किये श्रद्धा सुमन 
लुधियाना: 24 जुलाई 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्युरो)::
आज पास्टर सुल्तान मसीह को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए रखे कार्यक्रम का शांतिपूर्ण सम्पन्न हो जाना हम सभी के लिए बहुत स्कून की बात है। हत्यारों ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी थी पंजाब के अमन को आग लगाने की। विगत 16-17 महीनों के  हत्यायों का सिलसिला कुछ यही संकेत करता है। पंजाब पुलिस हत्यारों को ढून्ढ न पाए यह बात तो हज़म ही नहीं होती लेकिन लोगों के सामने हत्यारों के नाम नहीं आये इस लिए उनका अपने हिसाब से सोचना भी बनता ही है। इस दुखद और नाज़ुक हालात में याद आ रही हैं जनाब कैफ़ी आज़मी साहिब की पंक्तियाँ। 
वो तेग मिल गयी जिससे हुआ था कत्ल मेरा,
किसी के हाथ का उस पर निशां नहीं मिलता। 
एक नेक इन्सान इस दुनिया से चला गया। उनसे किसी न किसी बहाने मिलने जाने वाले लोग बताते हैं कि पास्टर सुलतान मसीह कितने मेहमान नवाज़ थे। उनके प्रबंधन और कार्यप्रणाली  अनुशासन था। वो बहुत से लोग- जिनकी ज़िंदगी पास्टर सुलतान मसीह की कृपा दृष्टि से चल रही थी वे आज खुद को बहुत अकेला महसूस कर रहे हैं लेकिन वे शायद इस श्र्द्धांजलि सभा तक नहीं आ पाए होंगे।  सख्त पुलिस बंदोबस्त के दरम्यान हुए इस आयोजन में तकरीबन सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता और प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे। पूर्व और मौजूदा मंत्री भी आये हुए थे। माहौल सोगवार और गंभीर था। स्वर्गीय पास्टर सुलतान मसीह के नज़दीकी मित्रों में से एक अलबर्ट दुआ ने पंजाब के मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया कि उन्होंने पादरी परिवार के साथ किये वायदों को झट से पूरा भी करवाया है। उन्होंने पुलिस प्रशासन का भी धन्यवाद किया जिन्हीने इतनी बड़ी घटना के बावजूद शहर के अमन  कानून को भंग नहीं होने दिया।
पास्टर के कातिलों को फांसी दो: शाही इमाम पंजाब
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हालांकि आज के कार्यक्रम के मौके पर भी सियासी नेताओं ने अपनी अपनी सियासी लाईन  के मुताबिक ही श्रद्धा सुमन अर्पित किये लेकिन एक बात स्पष्ट है कि अमन कानून को अपनी जेब में समझने का सिलसिला अकाली शासन में ही शुरू हो गया था लेकिन कांग्रेस की सरकार आने पर भी थम नहीं पाया। 
Munish Massey ने 17 जुलाई की बाद दोपहर अकाली नेता सुखबीर बादल का एक ब्यान शेयर किया था। जिसमें लिखा था-मैं इस दुःख की घड़ी में मृतक पादरी सुलतान मसीह परिवार और ईसाई भाईचारे के साथ हूँ। लुधियाना में सुल्तान मसीह पादरी की हत्या पंजाब में अमन कानून के हालात की गवाह है। पंजाब में अब कोई भी सुरक्षित नहीं लगता। 
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इस पर Bhatt Sunita  ने टिप्पणी करते हुए कहा- बकवास और राजनीति से भरपूर ब्यान जिसका किसी की भावनाओं के साथ कोई सरोकार नहीं। केवल कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने की साज़िश। 
उन्होंने यह भी कहा--मुझे बहुत अफ़सोस है---और ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। किसी भी पार्टी विशेष से इनका कोई लेनादेना नहीं है। 
फेसबुक की तरह कुछ यही सिलसिला वास्तविक ज़िंदगी में भी जारी है। हत्या की निंदा अपने अपने हिसाब से से की जा रही है। ऐसे संवेदनहीन माहौल में याद आ रही है दो पंक्तियाँ जो किसी ने फेसबुक पर पास्टर को शहीद किये जाने के बाद पोस्ट की:
ए मसीह आज भी तेरे खून से धरती सजाई जाती है
तेरे गुलामो पे गोली चलाई जाती है। 
अब देखना यह है कि हत्यारों को कितनी जल्दी पकड़ा जाता है?
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पास्टर के कातिलों को फांसी दो: शाही इमाम पंजाब

Wednesday, July 19, 2017

'किसान मुक्ति यात्रा'-देश भर में चार और यात्राएँ

Wed, Jul 19, 2017 at 6:55 PM
AIKSCC के संयोजक वी एम सिंह ने की यात्रा के अगले चरण की घोषणा
नई दिल्ली: 19 जुलाई 2017:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
राजधानी दिल्ली के जंतर मंतर पर किसान मुक्ति संसद आज दूसरे दिन भी जारी रहा। आत्महत्या कर चुके महाराष्ट्र के किसानों के बच्चों ने अपनी पीड़ा को एक नाटक के ज़रिए सबके सामने रखा। इस नाटक में उन लोगों ने दिखाया कि एक किसान की आत्महत्या के बाद उसके परिवार पर क्या गुज़रती है। बच्चों के इस प्रदर्शन ने दिल्ली के लोगों को झकझोर कर रख दिया।

उत्तरप्रदेश के आलू किसानों ने भी आलू के गिरते दाम के ख़िलाफ़ किसान मुक्ति संसद में अपना विरोध प्रदर्शन किया। उत्तर प्रदेश से आलू किसानों के नेता आमिर ने कहा - "सरकार चाहती है कि हम अपनी फ़सल कोल्ड स्टॉरिज में रखें। लेकिन सच्चाई ये है कि हमारी फसल का जो दाम हमें मिल रहा है वो कोल्ड स्टॉरिज में रखने के ख़र्च से भी काफ़ी कम है। 

तमिलनाडु से आयी एक किसान की पत्नी रानी, जिसके पति को बैंक अधिकारियों ने इतना अपमानित किया कि उसने आत्महत्या कर ली, ने बताया - "बैंक के अधिकारियों ने मेरे पति से पूछा कि तुम बैंक का लोन नहीं चुका पा रहे हो तो अपनी पत्नी के कपड़े कैसे ख़रीद रहे हो। क्यूँ हमेशा ग़रीब को ही अपमानित होना पड़ता है? और, उन अमीर लोगों का क्या जो करोड़ों रुपये लेकर देश से भाग जाते हैं?"

किसान मुक्ति संसद को सम्बोधित करते हुए तमिलनाडु के किसानों के नेता ऐय्यकन्नु ने कहा - "तमिलनाडु के किसान सूखा जैसी स्थिति होने के कारण मर रहे हैं और हमारे विधायक किसानों के मुद्दों पर काम करने की बजाए अपनी सैलरी बढ़ाने की माँग लिए बैठे हैं।"

आज उन किसानों के बच्चे भी जंतर मंतर पर जमा हुए जिन्होंने आत्महत्या कर ली थी, उन बच्चों ने अपनी वेदना एक लघु नाटक के माद्ध्यम से बयान की। एक बच्चा अशोक पाटिल ने अपनी व्यथा प्रकट करते हुए कहा कि बहुत सारे नेता हमारे घर हमसे मिलने आये और हमसे बहुत सारे वादे करके गए, लेकिन हमें मिला क्या? सिर्फ अगले दिन के अखबार में नेताओं के साथ छपा एक फोटो। वो हमें मदद करने आये थे या सेल्फी लेने आये थे?"

मध्य प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी किसान मुक्ति संसद में आये। वो भी किसानों की इन दो माँगों से सहमत थे कि किसानो को ऋणमुक्त किया जाए तथा उनकी आय को बढ़ाया जाए। उन्होंने कहा कि यह समय अपनी पार्टी तथा राजनीति से ऊपर उठकर हमें किसानों के साथ न्याय के इस संघर्ष में साथ होना चाहिए।

महाराष्ट्र से आये विधायक हर्ष वर्धन सहाय ने भी किसानों के इस संघर्ष में साथ होने का दम भरा।
किसान नेता एवं सांसद राजू शेट्टी ने आज लोकसभा में किसानों के मुद्दे को उठाया तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सवाल किया कि आपका स्वामीनाथन कमीशन के सुझाओं को लागू करने का वादा झूठा था क्या ? लोकसभा अध्यक्ष ने इनके माइक को बंद करवा दिया जिसके विरोध में राजू शेट्टी ने संसद से वाक आउट किया। राजू शेट्टी ने कहा - "मैं उस हाउस में मूक दर्शक बनकर नहीं रह सकता जहाँ किसानों की आवाज को दबाया जा रहा हो।"

AIKSCC के संयोजक V M सिंह ने किसान मुक्ति यात्रा के अगले चरण की घोषणा करते हुए कहा - "हमलोग यहीं नहीं रुकने वाले हैं, हमलोग पूरे देश के किसानो को संगठित करेंगे। हमलोग चार और यात्रा निकालेंगे जो कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड तथा बिहार में होगी। यह यात्रा 2 अक्टूबर को फिर दिल्ली पहुंचेगी और सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हमलोग पूरे देश में अनिश्चितकालीन अनशन करेंगे।"

स्वराज इंडिया के अध्यक्ष श्री योगेन्द्र यादव ने कहा - "यह आन्दोलन किसान आंदोलनों के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। इस आँदोलन ने अलग अलग दल और विचारधारा के देश भर के किसान संगठनों के नेताओं को एक किया है। साथ ही, आज किसानों की युवा पीढ़ी भले ही किसानी छोड़ने पर मजबूर हो रही है, लेकिन वो किसानों की वेदना को भूली नहीं है। अब किसान निर्णायक संघर्ष करेगा।"

Sunday, July 16, 2017

पास्टर के कातिलों को फांसी दो: शाही इमाम पंजाब

Sun, Jul 16, 2017 at 3:56 PM
पंजाब में साम्प्रदायिक आतंक को सहन नहीं करेंगे अल्पसंख्यक

लुधियाना: 16 जुलाई 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
बीती शाम सलेम टाबरी चर्च के पास्टर सुल्तान मसीह की सरेआम गोलियां मार कर की गई हत्या पर पंजाब के दीनी मरकज जामा मस्जिद लुधियाना की ओर से गहरा दुख प्रगट करते हुए शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने मांग की है कि हत्यारों को गिरफ्तार करके फांसी की सजा दी जाए। शाही इमाम ने कहा कि पास्टर सुल्तान की हत्या इस बात का संकेत है कि राज्य में साम्प्रदायिकता के नाम पर कुछ शरारती तत्व आतंक फैलाना चाहते है। उन्होंने कहा कि पंजाब में हिंदू, सिख, मुस्लिम, ईसाई भाईचारा बड़े ही प्यार से रह रहा है लेकिन कुछ साम्प्रदायिक ताकते इसे तोडऩा चाहती है, इस साजिश को किसी कीमत पर कामयाब नही होने दिया जाएगा। शाही इमाम ने कहा कि फिरकापरस्त शरारती तत्व अपने दिमाग से यह खामख्याली निकाल दें कि अल्पसंख्यक समुदाय उनकी गोलियों से डर जाएगा। शाही इमाम ने कहा कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से यह मांग करेंगे कि ईसाई समुदाय की सुरक्षा को यकीनी बनाया जाए और पास्टर सुल्तान मसीह के हत्या के पीछे साजिश करने वालो को भी बेनकाब किया जाए। शाही इमाम ने कहा कि पंजाब ने दस सालों तक आतंकवाद का काला दौर देखा है अब जबकि पंजाब तरक्की की ओर जा रहा है तो फिरकापरस्त ताकतें अपना आतंक फैलाना चाहती है। शाही इमाम ने कहा कि पास्टर पर हमला और कातिलों का फरार पुलिस व प्रशासन की कार्यप्रणाली पर प्रशनचिन्ह है। इस मौके पर शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने पंजाब भर के समूह धर्मो के लोगों से अपील की कि इस दु:ख की घड़ी में सभी लोग अमन, शांति व कानून व्यवस्था को बनाए रखें। इस मौके पर गुलाम हसन कैसर, नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी लुधियानवी, कारी इब्राहिम, बिलाल खान, अंजुम असगर, हिफजुर रहमान, शाकिर आलम, परवेज आलम, शाह नवाज अहमद, अकरम अली, बाबुल खान, आजाद अली, मोहम्मद जावेद, अशरफ अली, मुहम्मद रियाज, मुहम्मद असलम, व शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुस्तकीम अहरारी व अन्य भी मौजूद थे।

Friday, July 14, 2017

श्री हिन्दू तख्त विशेष टास्क फोर्स का गठन करेगा

अलगावादी ताकतों के खिलाफ कठोर रुख अपनायो: वरुण मेहता
लुधियाना: 14 जुलाई 2017:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो)::
अमरनाथ यात्रियों पर सोमवार को हुए आंतकी हमले के विरोध में पंजाब के हिन्दू संगठनों द्वारा संयुक्त तौर पर दी गईं बंद की कॉल के दौरान श्री हिन्दू तख्त द्वारा प्रमुख प्रदेश प्रचारक वरुण मेहता के नेतृत्व में सदभावना मार्च का आयोजन किया गया जिसमें श्री हिन्दू तख्त व शिवसेना शेरे हिन्द के कार्यकर्ता स्थानीय घंटाघर से भोलेनाथ के जयकारे तथा पाकिस्तान व आंतकवाद मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए शांतमय तरीके से प्राचीन संगळा शिवाला की तरफ चल पड़े। इस दौरान घंटाघर चौड़ा बाजार व अकालगढ़ मार्किट के दुकानदारों द्वारा पूर्ण तौर सहयोग करते हुए अपने संस्थान बंद रखे। इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात था शिव भक्तों का जत्था मार्च करते हुए आगे बढ़ा तो थाना कोतवाली के बाहर एसीपी श्री धर्मपाल के नेतृत्व में पुलिस बल ने उन्हें रोकने का प्रयास किया लेकिन वरुण मेहता द्वारा शांतमय तरीके से मार्च करने की बात करने पर पुलिस बल उनके साथ साथ चल पड़ा। अकालगढ़ मार्किट के दुकानदारों द्वारा समाज सेवक मनप्रीत बंटी के नेतृत्व में बंद के लिए सहयोग देने पर वरुण मेहता द्वारा उनका आभार व्यक्त किया गया सद्भावना मार्च के गिरजाघर चौक पहुचते ही पुलिस के अन्य उच्चाधिकारीयो ने तुरंत मार्च खत्म करने का दबाव बनाया लेकिन तख्त के प्रचारको द्वारा न मानने पर पुलिस अधिकारियों ने श्री हिन्दू तख्त के प्रमुख प्रदेश प्रचारक वरुण मेहता व प्रचारक बलजीत ढिल्लों को हिरासत में ले लिए और उन्हें थाना कोतवाली ले गए।
इस अवसर पर संबोधित करते हुए वरुण मेहता ने कहा कि हमने हमेशा आंतकवाद व कटरपंथी संगठनो का विरोध किया है। हम किसी भी धर्म मज़हब के खिलाफ नही क्योकि किसी भी आंतकी का कोई धर्म नही होता। बेगुनाहो के खून से होली खेलने का संदेश कोई भी धर्म नही देता। लेकिन धर्म व मज़हब के नाम पर दुष्प्रचार कर साजिशन हिन्दू समाज को गोली का निशाना बनाये जाने का हम डट कर विरोध करते हैं। उंन्होंने कहा कि पंजाब के लोगो ने लंबे समय तक आंतकवाद का संताप झेला है। इस काले दौर के दौरान पंजाब को आर्थिक व मानवीय आधार पर भारी नुकसान झेलना पड़ा। इस के बावजूद पंजाब वासियो  ने हमेशा ही देश के किसी भी हिस्से के लोगो के सुख दुख में भागीदारी की है। इसी बीच श्रीनगर में अमरनाथ यात्रा करने गए शिव भक्तों पर हुए इस कातिलाना हमले ने पूरे विश्व को हिला कर रख दिया है। इस आंतकी हमले के विरोध में आज पंजाब के सभी धर्मों के लोगो ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। मेहता ने कहा कि कश्मीरी पत्थरबाज़ों को सबक सिखाने के लिए श्री हिन्दू तख्त विशेष टास्क फोर्स का गठन करेगा। शिवसेना के प्रधान बलजीत ढिल्लों ने कहा कि कश्मीरी आंतकवाद के विरुद्ध श्री हिन्दू तख्त ठोस आवाज़ बुलंद करेगा व आज के बंद में हमने सभी दुकानदारों व व्यापारिक संस्थायों से पूर्ण सहयोग करने का आग्रह किया व सभी ने डट कर साथ दिया। आज के सदभावना मार्च तख्त के प्रदेश उप प्रचारक हरकीरत खुराना,  जिला प्रचारक रोहित शर्मा भुट्टो, हैल्पिंग हैंड NGO  से रमन गोयल, अवनीश मित्तल, राकेश गुप्ता, ऑल इंडिया ब्राह्मण सभा से जिला प्रधान नरिंदर दत्ता, चौड़ा बाजार शॉपकीपर से सोमनाथ ग्रोवर,   हरपाल सिंह पूर्व सरपंच, हरिंदर ढिल्लों, हैरी, अमन, दिनेश दिवाकर, राकेश सिंगला, संदीप गौतम, डॉ बलकार मसीह,  महाशिवरात्रि से नीरज वर्मा व अन्य भारी संख्या में उपस्थित थे। 

आतंकी हमले के बाद देश को मजबूती चाहिए ना कि संप्रदायिक दंगे

Fri, Jul 14, 2017 at 2:39 PM
आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देगा भारत: शाही इमाम पंजाब  
लुधियाना जामा मस्जिद के बाहर संप्रादयिक दंगे करवाने की कोशिश के खिलाफ भी प्रदर्शन
लुधियाना: 14 जुलाई 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
कश्मीर में श्री अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हुए आतंकी हमले के बाद जहां देशभर में सभी धर्मो और सियासी पार्टियों की ओर से निंदा का दौर जारी है वहीं देशवासियों में गम और गुस्से की लहर है। इसी बीच आज यहां पंजाब के मुसलमानों के दीनी मरकज जामा मस्जिद लुधियाना के बाहर भारी संख्या में इक्ट्ठे होकर आंतकवाद का पुतला फूंकते हुए अमरनाथ तीर्थ यात्रा में शामिल तीर्थयात्रियों पर हुए आंतकी हमले में मारे गए श्रद्धालुओं को श्रद्वाजंलि अर्पित की। जामा मस्जिद के बाहर हुए इस रोष प्रदर्शन में जहां कश्मीर के आतंकवादियों का पुतला जलाया गया वहीं हरियाणा के हिसार में एक मस्जिद के इमाम के साथ की गई बदसलूकी की कड़े शब्दो में निंदा भी की गई। इस मौके पर शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कहा कि अमरनाथ तीर्थ यात्रियों पर हमला पूरी इंसानियत पर हमला है। ऐसी नापाक हरकतों को सहन नहीं किया जा सकता। उन्होनें कहा कि आतंकवादी अपने दिमाग से यह गलतफहमी निकाल दें। भारत आतंकवाद का मुंह तोड़ जवाब देगा। शाही इमाम मौलाना हबीब ने हरियाणा के हिसार में एक मस्जिद के इमाम के साथ प्रदर्शनकारियों की ओर से की गई बदसलूकी की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि देश में आतंकी हमले के बाद रोष प्रदर्शन के नाम पर कुछ शरारती तत्व धार्मिक नफरत फैलाने की कोशिश करते है, जो कि निंदनीय है। उन्होनें कहा कि भारत में जो भी लोग अपनी सियासत चमकाने के लिए धर्म के नाम पर दंगे करवाते है, उनको समझ लेना चाहिए कि गुंडागर्दी किसी भी कीमत पर बर्दाशत नहीं की जाएगी। शाही इमाम ने कहा कि आतंकवादी हमले के बाद देश को मजबूती की जरूरत है ना कि संप्रदायिक दंगों की। उन्होनें कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि वह खामोश तमाशाई ना बने जिस तरह आंतकवादियों के विरुद्व कारवाई की जा रही है उसी तरह देश में घरेलू हिंसा भडक़ाने वालों के खिलाफ भी सख्त कारवाई की जाए। एक प्रश्न के उत्तर में शाही इमाम मौलाना हबीब ने कहा कि देश में हिन्दू, मुस्लिम, सिख-ईसाई भाईचारा कायम है, भारत समूह धर्मो का गुलदस्ता है, जिसे बिखरने नहीं दिया जाएगा। इस मौके पर गुलाम हसन कैसर, कारी इब्राहिम, अंजुम असगर, हिफजुर रहमान, शाकिर आलम, परवेज आलम, शाह नवाज अहमद, अकरम अली, बाबुल खान, आजाद अली, मोहम्मद जावेद, अशरफ अली, मोहम्मद रब्बानी, साबिर जमालपुरी, तनवीर आलम, बिलाल खान, मुहम्मद रियाज, मुहम्मद असलम, मुहम्मद इकबाल, मुहम्मद शरीफ व शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुस्तकीम अहरारी सहित सैंकड़ों मुसलमान उपस्थित थे। 
फोटो कैप्शन : जामा मस्जिद के बाहर आतंकवाद का पुतला जलाते हुए सैंकड़ों मुसलमान।

Thursday, July 13, 2017

पंजाब बंद:अलगावादी ताकतों को सबक सिखाना जरूरी


Thu, Jul 13, 2017 at 7:51 PM
बंद की कॉल को सभी मिलकर सफल बनायें-महंत नारायण दास पुरी
लुधियाना: 13 जुलाई 2017:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
अमरनाथ यात्रियों पर हुए आंतकी हमले के विरोध में सभी धर्मों व समुदायों को मिलकर 14 जुलाई के बंद को सफल बनाना चाहिए उपरोक्त आह्वन स्थानीय प्राचीन संगळा शिवाला में प्रमुख संगठनों की आयोजित एक विशेष बैठक में महंत नारायण दास पूरी जी ने सभी हिन्दू नेतायों की मौजूदगी में  संयुक्त तौर पर किया । महंत पूरी जी ने केंद्र व जम्मू कश्मीर सरकार से अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा को और पुख्ता करने की मांग करते हुए भविष्य में पुनः ऐसी घटना को होने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की उंन्होंने कहा कि 14 जुलाई को सभी लोगो को मिलजुल कर मानवता की मिसाल कायम करते हुए बंद को सफल बनाना चाहिए।
इस बैठक में प्रमुख तौर पर श्री वरुण मेहता (हिन्दू तख्त के प्रमुख प्रदेश प्रचारक), श्री नीरज वर्मा (प्रमुख महाशिवरात्रि महोत्सव कमेटी), हरकीरत खुराना, बलजीत ढिल्लों (शिवसेना शेरे हिन्द) रमन गोयल (हैल्पिंग हेण्ड) दिनेश दिवाकर ( भारतीय युवा समाज संगठन), श्याम चोपड़ा (चौड़ा बाजार असोसिएशन), विजय कपूर (प्रमुख समाज सेवक), नरिंदर काकू  (सिद्धि विनायक क्लब) व अन्य ने भाग लिया।  एक रोष मार्च कर के अलगावादी नेतायों के विरुद्ध नारेबाजी भी की गई।
इस अवसर पर वरुण मेहता व नीरज वर्मा ने संयुक्त तौर पर कहा कि अमरनाथ यात्रियों पर हुए इस आतंकी हमले ने पूरे देश को हिला दिया है व सभी धर्मों व समुदायों में इस घटना को लेकर बेहद रोष है। उक्त नेतायों ने कहा कि पंजाब के लोगो ने हमेशा ही देश के किसी भी राज्य के सुख दुख को में साथ दिया व आंतकवाद के संताप को भी सहन किया है और कश्मीर के आंतकी माहौल से हो रहे मानवीय व आर्थिक नुकसान को भी हम समझते है लेकिन आंतकवाद का खात्मा तभी सम्भव है अगर पंजाब की भांति आर्मी व सुरक्षा एजेंसियों को आंतकियो को मारने की खुली छूट दी जाये। उन्होंने पंजाब के सभी व्यापारिक व अन्य संस्थाओं से 14 जुलाई को बुलाई बंद की कॉल के लिए सहयोग करने का आग्रह करते हुए कहा कि ज्यादातर मार्किट एसोसिएशनों ने हमे आंतकी हमले के रोष स्वरूप मानवता के नाते अपने व्यापारिक संस्थान बंद रखने का यकीन दिलाया है। मेहता व नीरज ने कहा कि सुबह 10 बजे घंटाघर चौक से एक सदभावना मार्च निकालकर शहीदो को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी व  सभी प्रदेश वासियो से शहीदो की याद में प्राथना सभा आयोजित करने का आग्रह किया।इस अवसर पर रोहित शर्मा भुटटो जिला प्रचारक श्री हिन्दू तख्त, राजेश सिंगल, संदीप गौतम, अवनीश मित्तल, गगन अरोड़ा, राजेंदर चौधरी, वरुण जैन, काला बंसल मजिशन मँगैम्बो, महा शिवरात्रि से अजय गुप्ता, राकेश चौधरी,लवली थापर, शिव शक्ति सेना से राजेंदर सैनी, शमपी धीमान,चौड़ा बाजार असोसिएशन शाम चोपड़ा,राजेश अग्रवाल,संजय अग्रवाल,शिवाला रोड से दिनेश कुमार शाम सुंदर गोयल व अन्य भारी संख्या में उपस्थित थे।

Tuesday, July 11, 2017

2050 तक भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ देगा


11-जुलाई-2017 18:34 IST
विश्व जनसंख्या दिवस पर विशेष 
*सविता वर्मा
दुनियाभर में करीब 7.5 बिलियन लोग रहते हैं। वर्ष 2050 तक यह संख्या बढ़कर करीब 9 बिलियन होने का अनुमान है। जनसंख्या के लिहाज से दुनिया के दूसरे सबसे बड़े देश भारत की आबादी करीब 1.3 बिलियन है, और अनुमान है कि वर्ष 2050 तक भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़कर शीर्ष पर पहुंच जाएगा। बढ़ती आबादी के मद्देनज़र, लोगों का पेट भरने और संसाधनों को बनाए रखने संबंधी चिंताएं सरकारों, विशेषज्ञों और योजनाकारों के लिए सर्वोपरि और प्राथमिक सूची में हैं।
जनसंख्या संबंधी इन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से निपटने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस मनाया जाता है। विश्व जनसंख्या दिवस पहली बार 1989 में तब मनाया गया था, जब विश्व की आबादी 5 बिलियन पहुंच गई थी। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की शासकीय परिषद् ने जनसंख्या संबंधी मुद्दों की आवश्यकता एवं महत्व पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाने की अनुशंसा की थी। तभी से, जनसंख्या रुझान और बढ़ती जनसंख्या के कारण पैदा हुई प्रजननीय स्वास्थ्य, गर्भ निरोधक और अन्य चुनौतियों के बारे में विश्व जनसंख्या दिवस पर प्रत्येक वर्ष विचार-विमर्श किया जाता है।
2017 विश्व जनसंख्या दिवस का मुख्य विषय ‘‘परिवार नियोजनः सशक्त लोग, विकसित राष्ट्र’’ है। इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर यह संयोग है कि परिवार नियोजन 2020 (एफपी 2020) पहल के तहत दूसरा परिवार नियोजन सम्मेलन भी आयोजित किया जा रहा है। इस परिवार नियोजन 2020 का उद्देश्य वर्ष 2020 तक 120 मिलियन अतिरिक्त महिलाओं तक स्वैच्छिक परिवार नियोजन को पहुंचाना और उसे सुगम बनाना है।
आंकड़े बताते हैं कि विकासशील देशों में करीब 214 मिलियन महिलाएं जोकि गर्भधारण नहीं करना चाहती हैं, वे परिवार नियोजन की सुरक्षित एवं प्रभावशाली विधियों को नहीं अपना रही हैं। ऐसे में इस वर्ष विश्व जनसंख्या दिवस का विषय विशेष रूप से प्रासंगिक है। गर्भनिरोधक की मांग करने वाली ज़्यादातर महिलाएं सबसे गरीब 69 देशों से आती हैं। पर्याप्त स्वास्थ्य नियोजन सेवाओं का अभाव महिलाओं के स्वास्थ्य को खतरे में डालता है। समाज और परिवार से प्राप्त होने वाली सूचनाएं अथवा सेवाएं अथवा समर्थन तक पहुंच के अभाव की वजह से महिलाएं इन सेवाओं का फायदा लेने में सक्षम नहीं हैं।
आबादी को स्थिर करने में इसके महत्व को देखते हुए, सुरक्षित एवं स्वैच्छिक परिवार नियोजन विधियों तक पहुंच को मानव अधिकार और लिंग समानता और महिला सशक्तिकरण के लिए केंद्रीय माना जाता है। इसे गरीबी कम करने के प्रमुख कारक के रूप में भी देखा जाता है। परिवार नियोजन उपलब्ध कराने की दिशा में निवेश आर्थिक वृद्धि को बल देने के साथ विकास को भी बढ़ावा देता है।
विशाल आबादी वाले भारत में भी परिवार नियोजन संबंधी तमाम ऐसी आवश्यक ज़रूरतें हैं, जिन्हें अभी तक पूरा नहीं किया है, मगर सरकार इससे निपटने की दिशा में कार्य कर रही है।
वर्ष 2001 से 2011 के मध्य भारत ने दुनिया की कुल जनसंख्या में 181 मिलियन का योगदान दिया है, जोकि ब्राज़ील देश की कुल आबादी से थोड़ा ही कम है। भारत में अधिकांश आबादी गरीब सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि रखने वाले लोगों के बीच बढ़ी है। भारत की विशाल जनसंख्या के बारे में एक तथ्य यह है कि सरकार के अनुमान के अनुसार वर्ष 2035 तक भारत की आबादी बढ़कर 1.55 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है, जोकि देश के लिए एक चुनौती एवं अवसर दोनों है। चूंकि इस जनसंख्या में से 60 फीसदी से भी अधिक लोग 40 वर्ष या उससे कम आयु के युवाओं की श्रेणी में होंगे, ऐसे में यदि इन युवाओं को कौशल विकास के क्षेत्र में शिक्षित एवं प्रशिक्षित किया जाता है तो यह देश के आर्थिक विकास में अहम योगदान देंगे। मगर इस विशाल जनसंख्या को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना, ताकि वे स्वस्थ रहकर देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे सकें, यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। इसके अतिरिक्त वर्ष 2035 तक करीब 223 मिलियन तक पहुंचने वाली वृद्ध आबादी की देखभाल करना भी सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी, जिसके लिए निवारक, उपचारात्मक और वृद्धावस्था देखभाल की आवश्यकता होगी।
भारत के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपनी जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम उठाए। ईस्ट एशिया फोरम में आईएमटी नागपुर के रंजीत गोस्वामी द्वारा प्रस्तुत किए गए एक लेख के अनुसार, वर्ष 2050 में जल की मांग वर्ष 2000 की तुलना में करीब 50 गुना अधिक होने का अनुमान है, वहीं दूसरी और खाद्य पदार्थों की मांग भी दोगुना होने का अनुमान है। औसतन, एक टन अनाज का उत्पादन करने के लिए करीब एक हजार टन जल की ज़रूरत होती है। यही वजह है कि भारत के विभिन्न राज्यों में जल विवाद से मुद्दों को तेज़ी से दोहराया जा रहा है, जहां सर्वोच्च न्यायालय को अक्सर इस तरह के विवादों में हस्तक्षेप करने की ज़रूरत पड़ रही है।
अनुमानों को एक तरफ रखते हुए, सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत की कुल प्रजनन दर वर्ष 2008 में 2.6 से घटकर 2.3 पर पहुंच गई है। भारत 2.1 के प्रतिस्थापन स्तर तक पहुंचने से सिर्फ 0.2 अंक दूर है। वास्तव में, 24 राज्यों ने पहले ही प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता को हासिल कर लिया है और करीब 60 फीसदी आबादी पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, गुजरात और पंजाब सहित प्रजनन क्षमता हासिल करने वाले या निकट भविष्य में हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहे राज्यों में रहती हैं।
सरकार अब परिवार नियोजन उपायों को तेज़ कर रही है। सरकार ने 146 ऐसे ज़िलों को चिन्हित किया है, जहां कुल प्रजनन दर प्रति महिला तीन बच्चों से अधिक है, ताकि इन जगहों पर विशेष ध्यान दिया जा सके। ये जिले उत्तर-प्रदेश, बिहार, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड और असम राज्यों में हैं और भारत की कुल आबादी में इनका करीब 28 फीसदी का योगदान है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय परिवार नियोजन सेवाओं की सुगमता, जागरूकता सृजन और परिवार नियोजन विकल्प की उपलब्धता को बेहतर बनाने के लिए इन ज़िलों में “मिशन परिवार विकास” नामक कार्यक्रम की शुरुआत करने जा रही है।
इसके अलावा, सरकार पहले से ही लड़कियों के विवाह की उम्र को बढ़ाने और पहले बच्चे को पैदा करने में देरी करने और दूसरे बच्चे के बीच बड़ा अंतर रखने को बढ़ावा देने के लिए विशेष रणनीति पर कार्य कर रही है। इस रणनीति को अपनाने वाले जोड़ों को सुविधानुसार पुरस्कृत किया जाता है। संतुष्टि स्ट्रेटजी, जनसंख्या स्थिरता कोष नामक अन्य कार्यक्रमों के अंतर्गत सरकारी निजी भागीदारी के तहत नसबंदी करने के लिए निजी क्षेत्र के स्त्री रोग विशेषज्ञों एवं शल्य चिकित्सकों को आमंत्रित किया गया है। निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने वाले निजी अस्पतालों/नर्सिंग होम रणनीति अनुसार समय-समय पर पुरस्कृत भी किया जाता है।

*लेखिका 18 वर्ष से अधिक का अनुभव रखने वाली वरिष्ठ विज्ञान एवं स्वास्थ्य पत्रकार हैं। वर्तमान में वह एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। इससे पहले वह पीटीआई के अलावा कई अन्य प्रमुख समाचारपत्रों में सेवारत रही हैं। इस लेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के स्वयं के हैं।
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Monday, July 10, 2017

मीडिया में अब की स्थिति इमरजेंसी से ज़्यादा खतरनाक?

आपातकाल, मीडिया और मौजूदा स्थिति के विषय पर हुयी विचार चर्चा 
लुधियाना: 10 जुलाई 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: More Pics on Facebook
आपातकाल का वो दौर बहुत से लोगों को आज भी याद है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरागांधी के विरोधी आज भी उस दौर को काले दिनों का दौर कह कर याद करते हैं। मीडिया पर लगाई गई सेंसरशिप को लेकर आज भी बहुत कुछ कहा सुना जाता है। लेकिन अब तो कोई इमरजेंसी नहीं हैं। अब कोई सेंसरशिप भी नहीं है। इस खुले माहौल के बावजूद भी लोग बहुत सी खबरें अपने अपने इलाकों में घटित होती तो देखते हैं लेकिन वे कभी मीडिया में नहीं पहुंचती। जब सोशल मीडिया इस फैलता है तो इसे अफवाह बताने के प्रयास किये जाते हैं। कारपोरेट मीडिया के युग में यह कैसा श्राप है। क्या इमरजेंसी ज़्यादा खतरनाक थी या यह दौर? आखिर इस दौर को क्या नाम दिया जाये? 
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कारपोरेट युग के इस दौर में पैदा हुए हालात के दौरान जो स्थिति बनी है वह वास्तव में इमरजेंसी के दौर से भी ज़्यादा खतरनाक है। यह विचार "जन मीडिया मंच" (पीपुल्ज़ मीडिया लिंक) की तरह से आयोजित एक विचारगोष्ठी में खुल कर सामने आया। यह आयोजन मीडिया और आम लोगों के हालात से सबंधित शुरू किये गए सिलसिले के अंतर्गत कियागया था। इस अवसर पर शहीद भगत सिंह के भान्जे प्रोफेसर जगमोहन सिंह, प्रसिद्ध स्तम्भकार और ई एन टी स्पेशलिस्ट डाक्टर अरुण मित्रा, वाम नेता कमरेड रमेश रतन बेलन ब्रिगेड सुप्रीमो अनीता शर्मा प्रधानगी मंडल में सुसज्जित थे। 
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पत्रकार गुरप्रीत महदूदां (जी जी न्यूज़), अरुण कौशल (पब्लिक व्यूज़), एडवोकेट श्रीपाल शर्मा, सतीश सचदेवा व  गुरमल मैंडले (नवां ज़माना), इंद्रजीत सिंह (सत समुन्द्रों पार), कैनेडा से आये जानेमाने तर्कशील कार्यकर्ता-गुरमेल सिंह गिल और पंजाब में सक्रिय जसवंत जीरख, ओंकार सिंह पुरी (दिल्ली टाईम्ज़ न्यूज़), डाक्टर भारत (ऐफ आई बी मीडिया), रेक्टर कथूरिया (पंजाब स्क्रीन) ने अपने अपने अनुभवों के आधार पर बताया कि  आज की स्थिति कितनी भयानक है। मीडिया के लिए ईमानदारी से काम करने वाले बहुत से पत्रकार आज भी ज़िंदगी की मूलभूत आवश्यकताओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनकी मेहनत से तैयार की गयीं खबरों को कारपोरेट मीडिया में जगह नहीं मिलती। बहुत सी सच्ची खबरें न तो अब अख़बारों में आती हैं और न ही टीवी चैनलों में। आखिर उनको कौन सी अदृश्य शक्ति रोक देती है। इस विषय पर विस्तृत बहस की भी आवश्यकता है और इस रोहजान को रोकने के लिए समांनांतर जन मीडिया को मजबुत बनाना भी आवश्यक है। इस अवसर पर कई जन समर्थक मीडिया संगठनों की प्रशंसा भी की गयी।
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डाक्टर अरुण मित्रा ने कहा कि  मौजूदा स्थिति बहुत ही खतनाक है और इसके खिलाफ आवाज़ उठाना हमारा सभी का कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि  आज हाँ संख्या में कम हैं लेकिन इस तरह के कम लोगों से ज़्यादा बड़े काफिले बनते हैं। आपातकाल की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अगर इंदिरा गाँधी ने इमरजेंसी लगाई तो उसने इसका ख़मयाज़ा भी भुगता और वह बुरी तरह से हार भी गयी लेकिन जो अघोषित आपातकाल आज चल रहा है वह ज़ुडा भयानक है। इसे भी लोग ज़्यादा देर तक चलने नहीं देंगें। इसके संचालकों भी इसका खामियाज़ा भुगतना ही पड़ेगा।  हां यह बात अलग है इस मकसद के लिए मीडिया साथ सिवल सोसायटी और सियासतदानों  मेहनत करनी पड़ेगी। मीडिया  अपनी कारगुज़ारी और बेहतर बनाने पर ज़ोर देते हुए उन्होंने कहा कि जैसे नहं डाक्टरों को हर पांच वर्ष बाद अपनी डिग्री रिन्यू करानी पड़ती है इसके लिए बाकायदा सी एम ई अटेंड करनी पड़ती हैं। इसी तरह पत्रकारों को भी अपनी कला और कलम की धार तेज़ रखने के लिए खुद फील्ड में जाने के प्रयास करते रहना चाहियें। इससे उनमें और  निखार आएगा। 
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प्रोफेसर जगमोहन सिंह ने इस अवसर पर मीडिया से बात करते हुए कहा कि लोगों की तकलीफों की बात प्रशासन तक नहीं पहुंच रही इस लिए पीपुल्ज़ मीडिया लिंक बनाया गया है तांकि जन समर्थक लेखकों का एक सक्रिय ग्रुप बनाया जा सके। श्रोताओं को सम्बोधित हुए उन्होंने कहा कि इमरजेंसी में लोगों की ज़ुबानबन्दी के साथ साथ सोच भी बंद कर दी गयी थी लेकिन अब की स्थिति ज़्यादा भयानक है। उन्होंने शहीद भगत सिंह के समय की पत्रकारिता कर कुर्बानियों की भी याद दिलाई।
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मैडम अनीता शर्मा ने जन समर्थक पत्रकारों की वित्तीय स्थिति और आत्महत्यायों का ज़िक्र करते हुए कि हमें ऐसे कीमती पत्रकारों को बचने के लिए को भलाई संगठन बनाना चाहिए जो इस तरफ निरतंर उचित ध्यान दे सके दे।    More Pics on Facebook 
कामरेड रमेश रतन ने कहा कि स्थापित संस्थागत मीडिया से टक्क्र लेना कोई व्यक्तिगत तौर पर न तो सम्भव है और न ही आसान। उन्होंने इस विषय पर और भी बहुत कुछ विस्तार से कहा। 
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मंच संचालन करते हुए प्रदीप शर्मा इप्टा ने ऐसी बहुत सी घटनाएं बतायीं जो आज के बेबस हालात पर रौशनी डालती थीं। अंत में इस बात पर ज़ोर दिया गया कि हमें जन समर्थक मीडिया को मज़बूत बनाने के साथ साथ सोशल मीडिया के ज़रिये भी प्रामाणिक सच बाहर लाते रहना है तांकि वास्तविक और मत्वपूर्ण खबरें छुपाने या बिगाड़ने वाले पूंजीवादी मीडिया की साज़िशों का मुकाबिला किया जा सके। 
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Saturday, July 01, 2017

GST की शुरुआत राष्‍ट्र के लिए एक महत्‍वपूर्ण घटना है-राष्ट्रपति

01-जुलाई-2017 00:35 IST
GST वस्तु और सेवा कर का शुभारंभ संसद का केंद्रीय कक्ष 30 जून
राष्‍ट्रप‍ति श्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 30 जून - 1 जुलाई, 2017 की मध्‍यरात्रि को नई दिल्ली में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के शुभारंभ के अवसर पर संसद के केन्द्रीय कक्ष में बजर को दबाकर समारोह का उद्घाटन करते हुए।
संसद भवन: नई दिल्ली: 30 जून और 1 जुलाई की मध्य रात्रि: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन)::
1.    हम अब से कुछ मिनटों में देश में एक एकीकृत कर प्रणाली लांच होते हुए देखेंगे। यह ऐतिहासिक क्षण दिसंबर 2002 में प्रारंभ हुई चौदह वर्ष पुरानी यात्रा का परिणाम है जब अप्रत्यक्ष करों के बारे में गठित केलकर कार्य बल ने मूल्यवर्धित कर सिद्धांत पर आधारित विस्तृत वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) लागू करने का  सुझाव दिया था। जीएसटी का प्रस्ताव सबसे पहले वित्त वर्ष 2006-07 के बजट भाषण में आया था। प्रस्ताव में न केवल केंद्र द्वारा लगाए जाने वाले अप्रत्यक्ष कर में सुधार बल्कि राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले करों में सुधार भी शामिल था। इसकी डिजायन और इसे लागू करने के लिए कार्य योजना तैयार करने की जिम्मेदारी राज्यों के वित्त मंत्रियों की अधिकार प्राप्त समिति को दी गई जिसे पहले  मूल्यवर्धित कर(वैट)  लागू करने का दायित्व दिया गया था। अधिकार प्राप्त समिति ने नवंबर, 2009 में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) पर पहला विर्मश पत्र जारी किया।
2.      जीएसटी की शुरुआत राष्‍ट्र के लिए एक महत्‍वपूर्ण घटना है। यह मेरे लिए भी संतोषजनक लम्‍हा है, क्‍योंकि बतौर वित्‍तमंत्री मैंने ही 22 मार्च 2011 को संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। मैं इसकी  रूपरेखा और कार्यान्‍वयन में बहुत गहराई से जुड़ा रहा और मुझे राज्‍य वित्‍तमंत्रियों की अधिकार प्राप्‍त समिति के साथ औपचारिक और अनौपचारिक दोनों ही तरह की करीब 16 बार मुलाकात करने का अवसर भी मिला। मैंने गुजरात, बिहार, आंध्रप्रदेश और महाराष्‍ट्र के मुख्‍य‍मंत्रियों से भी कई बार मुलाकात की। उन मुलाकातों और उस दौरान उठाए गए मामलों की यादें आज भी मेरे ज़ेहन में हैं। इस कार्य की महत्‍ता को देखते हुए, जिसका दायरा संवैधानिक, कानूनी, आर्थिक और प्रशासनिक क्षेत्रों तक फैला हुआ था, इसमें विवादित मसले होना कोई हैरत की बात नहीं थी। तो भी, मुझे उन बैठकों में वे दोनों ही तरह के भाव मिले। राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों, वित्‍तमंत्रियों और अधिकारियों के साथ अनेक बार विचार-विमर्श के दौरान मैंने पाया कि उनमें से अधिकांश का दृष्टिकोण रचनात्‍मक था और उनमें जीएसटी लाने के प्रति प्रतिबद्धता अंतर्निहित थी। इसलिए मैं इस बात को लेकर पूरी तरह आश्‍वस्‍त हो गया कि अब कुछ समय की ही बात है और जीएसटी आखिरकार लागू होकर रहेगा। मेरा विश्‍वास उस समय सही साबित हुआ, जब 8 सितंबर 2016 को, संसद के दोनों सदनों    तथा पचास प्रतिशत से अधिक राज्‍य विधानसभाओं द्वारा इस विधेयक को पारित कर दिया गया। मुझे संविधान (एक सौ एकवां संशोधन) अधिनियम को मंजूरी देने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ।
3.     मित्रों,
संविधान में संशोधन के बाद, संविधान के अनुच्छेद 279 क के प्रावधानों के अनुसार जीएसटी परिषद का गठन किया गया। जीएसटी के संबंध में संघ और राज्यों को सभी तरह की सिफारिशें जैसे आदर्श कानून, दरों, छूट के लिए उत्तरदायी है परिषद हमारे संविधान में अनूठी हैं। यह केन्द्र और राज्यों का संयुक्त मंच है जहां केन्द्र और राज्य दोनों ही एक दूसरे के समर्थन के बिना कोई निर्णय नहीं ले सकते, वैसे तो संविधान में परिषद के निर्णय लेने की प्रकिया में विस्तृत मतदान की व्यवस्था है, लेकिन उल्लेखनीय बात यह है कि परिषद की अब तक की 19 बैठकों में सभी निर्णय सर्वसम्मति से लिए गए हैं। इस बात को लेकर आशंका थी कि राज्यों के बीच व्यापक विविधताओं को देखते हुए हजारों वस्तुओं की दरें निर्धारित करने का कार्य क्या जीएसटी परिषद द्वारा पूरा किया जा सकेगा या नहीं। परिषद ने इस कार्य को समय पर पूरा करके सभी को सुखद आश्चर्य की अनुभूति कराई है।
4.    मित्रो,
कर व्यवस्था के एक नए युग, जिसका सूत्रपात हम चंद ही मिनटों में करने जा रहे हैं, वह केन्द्र और राज्यों के बीच बनी व्यापक सहमति का परिणाम है। इस सहमति को बनने में केवल समय ही नहीं लगा बल्कि इसके लिए अथक प्रयास भी करने पड़े। ये प्रयास राजनीतिक दलों की ओर से किए गए जिन्होंने संकीर्ण पक्षपातपूर्ण सोच को दरकिनार कर राष्ट्र हित को तरजीह दी। यह भारतीय लोकतंत्र की परिपक्वता और विवेक का प्रमाण है।
5.    मित्रो,
यहां तक कि कराधान और वित्त संबंधी मामलों से काफी हद तक जुड़े रहे मेरे जैसे व्यक्ति के लिए भी हमारे द्वारा किया जा रहा यह बदलाव वास्तव में चुनौतीपूर्ण है। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क का एक लम्बा इतिहास रहा है। वित्त मंत्री के रूप में मेरे विभिन्न कार्यकालों के दौरान केन्द्रीय कोष में यह सबसे अधिक योगदान करने वालों में से एक रहा है। सेवा शुल्क एक नया क्षेत्र है, लेकिन राजस्व के संदर्भ में इसमें तेजी से बढोतरी हुई है। वस्तु और सेवा कर के दायरे से बाहर कुछ वस्तुओं को छोड़कर अतिरिक्त सीमा शुल्क, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क और विभिन्न उपकरों और अधिभारों के साथ अब ये दोनों समाप्त हो जाएंगे। वस्तु और सेवा के दायरे में आने वाली वस्तुओं के लिए अंतर राज्यीय बिक्री पर लगने वाला केन्द्रीय बिक्री कर खत्म हो जाएगा। राज्य स्तर पर बदलाव की संभावना कम नहीं है। सम्मिलित किये जा रहे मुख्य करों में मूल्यवर्धित,  कर या बिक्री कर, प्रवेश शुल्क, राज्य स्तरीय मनोरंजन कर और विभिन्न उप करों और अधिभारों के साथ विज्ञापनों पर कर और विलासिता कर शामिल हैं। 
6 . मित्रों,
जीएसटी हमारे निर्यात को और अधिक स्‍पर्धी बनाएगा तथा आयात से स्‍पर्धा में घरेलू उद्योग को एक समान अवसर उपलब्‍ध कराएगा। अभी हमारे निर्यात में कुछ अंतर-निहित कर जुड़े हुए हैं। इसलिए निर्यात कम स्‍पर्धी है। घरेलू उद्योग पर कुल कर भार पारदर्शी नहीं है। जीएसटी के अंतर्गत कर भार पारदर्शी होगा और इससे निर्यात पर कर बोझ पूरी तरह खत्‍म करने और आयात पर घरेलू कर भार समाप्‍त करने में सहायता मिलेगी।
7. मित्रों
मुझे बताया गया है कि जीएसटी एक आधुनिक विश्‍व स्‍तरीय सूचना प्रौद्योगिकी प्रणाली के जरिए लागू किया जाएगा। मुझे याद है कि मैंने जुलाई,2010 में श्री नंदन नीलेकणी की अध्‍यक्षता में जीएसटी व्‍यवस्‍था के लिए आवश्‍यक आईटी प्रणाली विकसित करने के लिए अधिकार प्राप्‍त दल बनाया था। बाद में अप्रैल, 2012 में सरकार द्वारा जीएसटी लागू करने के लिए एक स्‍पेशल पर्पस व्हिकल- जीएसटीएन (जीएसटी नेटवर्क-) को स्‍वीकृति दी गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि हम समय व्‍यर्थ न करें और विधायी रूपरेखा तैयार होने के साथ-साथ तकनीकी अवसंरचना तैयार रहे और जीएसटी को आगे बढ़ाया जा सके। मुझे बताया गया कि इस प्रणाली की प्रमुख विशेषता यह है कि इनपुट पर दिए गए कर के लिए खरीदार को क्रेडिट तभी मिलेगा, जब विक्रेता द्वारा वास्‍तविक रूप से सरकार को कर भुगतान कर दिया गया हो। इससे तेजी से बकाया भुगतान करने वाले ईमानदार और व्‍यवस्‍था परिपालन करने वाले विक्रेताओं से व्‍यवहार करने में खरीदारों को प्रोत्‍साहन मिलेगा।
8. एक एकीकृत समान राष्‍ट्रीय बाजार बनाकर जीएसटी आर्थिक सक्षमता, कर परिपालन तथा घरेलू और विदेशी निवेश को प्रोत्‍साहन देने का काम करेगा।
मित्रो:
9. जीएसटी कठिन बदलाव है। यह वैट लागू होने से मिलता-जुलता है, जब शुरुआत में उसका भी विरोध हुआ था। जब इतने बड़े पैमाने पर बदलाव लाया जाने वाला हो, चाहे वह कितना ही सकारात्‍मक क्‍यों न हो, शुरुआती अवस्‍था में थोड़ी-बहुत कठिनाइयां और परेशानियां तो होती ही हैं। हमें इन सबको समझदारी के साथ और तेजी से सुलझाना होगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसका प्रभाव अर्थव्‍यवस्‍था की वृद्धि की रफ्तार पर नहीं पड़ेगा। ऐसे बड़े बदलावों की सफलता हमेशा उनके प्रभावी कार्यान्‍वयन पर निर्भर करती है। आने वाले महीनों में, इसके वास्‍तविक कार्यान्‍वयन के अनुभवों के आधार पर जीएसटी परिषद तथा केंद्र और राज्‍य सरकारें अब तक प्रदर्शित की जा रही रचनात्‍मक भावना के साथ लगातार इसकी रूपरेखा की समीक्षा करती रहें और इसमें सुधार लाती रहें।
10. अब जबकि हम एक राष्‍ट्र, एक कर, एक बाजार की रचना का प्रारंभ करने जा रहे हैं, ऐसे में, मैं प्रत्‍येक भारतवासी से इस नई व्‍यवस्‍था के सफल कार्यान्‍वयन में सहयोग देने के आह्वान के साथ अपनी बात समाप्‍त करता हूं। (PIB)
वीएलके/एके/एकेजी/आरके/जी/जेके/एसएस/वाईबी/एसके/एसएस/1924