सभी दलों के नेताओं ने अर्पित किये श्रद्धा सुमन
लुधियाना: 24 जुलाई 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्युरो)::
आज पास्टर सुल्तान मसीह को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए रखे कार्यक्रम का शांतिपूर्ण सम्पन्न हो जाना हम सभी के लिए बहुत स्कून की बात है। हत्यारों ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी थी पंजाब के अमन को आग लगाने की। विगत 16-17 महीनों के हत्यायों का सिलसिला कुछ यही संकेत करता है। पंजाब पुलिस हत्यारों को ढून्ढ न पाए यह बात तो हज़म ही नहीं होती लेकिन लोगों के सामने हत्यारों के नाम नहीं आये इस लिए उनका अपने हिसाब से सोचना भी बनता ही है। इस दुखद और नाज़ुक हालात में याद आ रही हैं जनाब कैफ़ी आज़मी साहिब की पंक्तियाँ।
लुधियाना: 24 जुलाई 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्युरो)::
आज पास्टर सुल्तान मसीह को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के लिए रखे कार्यक्रम का शांतिपूर्ण सम्पन्न हो जाना हम सभी के लिए बहुत स्कून की बात है। हत्यारों ने तो कोई कसर नहीं छोड़ी थी पंजाब के अमन को आग लगाने की। विगत 16-17 महीनों के हत्यायों का सिलसिला कुछ यही संकेत करता है। पंजाब पुलिस हत्यारों को ढून्ढ न पाए यह बात तो हज़म ही नहीं होती लेकिन लोगों के सामने हत्यारों के नाम नहीं आये इस लिए उनका अपने हिसाब से सोचना भी बनता ही है। इस दुखद और नाज़ुक हालात में याद आ रही हैं जनाब कैफ़ी आज़मी साहिब की पंक्तियाँ।
वो तेग मिल गयी जिससे हुआ था कत्ल मेरा,
किसी के हाथ का उस पर निशां नहीं मिलता।
एक नेक इन्सान इस दुनिया से चला गया। उनसे किसी न किसी बहाने मिलने जाने वाले लोग बताते हैं कि पास्टर सुलतान मसीह कितने मेहमान नवाज़ थे। उनके प्रबंधन और कार्यप्रणाली अनुशासन था। वो बहुत से लोग- जिनकी ज़िंदगी पास्टर सुलतान मसीह की कृपा दृष्टि से चल रही थी वे आज खुद को बहुत अकेला महसूस कर रहे हैं लेकिन वे शायद इस श्र्द्धांजलि सभा तक नहीं आ पाए होंगे। सख्त पुलिस बंदोबस्त के दरम्यान हुए इस आयोजन में तकरीबन सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता और प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे। पूर्व और मौजूदा मंत्री भी आये हुए थे। माहौल सोगवार और गंभीर था। स्वर्गीय पास्टर सुलतान मसीह के नज़दीकी मित्रों में से एक अलबर्ट दुआ ने पंजाब के मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया कि उन्होंने पादरी परिवार के साथ किये वायदों को झट से पूरा भी करवाया है। उन्होंने पुलिस प्रशासन का भी धन्यवाद किया जिन्हीने इतनी बड़ी घटना के बावजूद शहर के अमन कानून को भंग नहीं होने दिया।
पास्टर के कातिलों को फांसी दो: शाही इमाम पंजाब
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एक नेक इन्सान इस दुनिया से चला गया। उनसे किसी न किसी बहाने मिलने जाने वाले लोग बताते हैं कि पास्टर सुलतान मसीह कितने मेहमान नवाज़ थे। उनके प्रबंधन और कार्यप्रणाली अनुशासन था। वो बहुत से लोग- जिनकी ज़िंदगी पास्टर सुलतान मसीह की कृपा दृष्टि से चल रही थी वे आज खुद को बहुत अकेला महसूस कर रहे हैं लेकिन वे शायद इस श्र्द्धांजलि सभा तक नहीं आ पाए होंगे। सख्त पुलिस बंदोबस्त के दरम्यान हुए इस आयोजन में तकरीबन सभी राजनीतिक पार्टियों के नेता और प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे। पूर्व और मौजूदा मंत्री भी आये हुए थे। माहौल सोगवार और गंभीर था। स्वर्गीय पास्टर सुलतान मसीह के नज़दीकी मित्रों में से एक अलबर्ट दुआ ने पंजाब के मुख्यमंत्री का धन्यवाद किया कि उन्होंने पादरी परिवार के साथ किये वायदों को झट से पूरा भी करवाया है। उन्होंने पुलिस प्रशासन का भी धन्यवाद किया जिन्हीने इतनी बड़ी घटना के बावजूद शहर के अमन कानून को भंग नहीं होने दिया।
पास्टर के कातिलों को फांसी दो: शाही इमाम पंजाब
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हालांकि आज के कार्यक्रम के मौके पर भी सियासी नेताओं ने अपनी अपनी सियासी लाईन के मुताबिक ही श्रद्धा सुमन अर्पित किये लेकिन एक बात स्पष्ट है कि अमन कानून को अपनी जेब में समझने का सिलसिला अकाली शासन में ही शुरू हो गया था लेकिन कांग्रेस की सरकार आने पर भी थम नहीं पाया।
Munish Massey ने 17 जुलाई की बाद दोपहर अकाली नेता सुखबीर बादल का एक ब्यान शेयर किया था। जिसमें लिखा था-मैं इस दुःख की घड़ी में मृतक पादरी सुलतान मसीह परिवार और ईसाई भाईचारे के साथ हूँ। लुधियाना में सुल्तान मसीह पादरी की हत्या पंजाब में अमन कानून के हालात की गवाह है। पंजाब में अब कोई भी सुरक्षित नहीं लगता।
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इस पर Bhatt Sunita ने टिप्पणी करते हुए कहा- बकवास और राजनीति से भरपूर ब्यान जिसका किसी की भावनाओं के साथ कोई सरोकार नहीं। केवल कांग्रेस पार्टी को बदनाम करने की साज़िश।
उन्होंने यह भी कहा--मुझे बहुत अफ़सोस है---और ये मेरे व्यक्तिगत विचार हैं। किसी भी पार्टी विशेष से इनका कोई लेनादेना नहीं है।
फेसबुक की तरह कुछ यही सिलसिला वास्तविक ज़िंदगी में भी जारी है। हत्या की निंदा अपने अपने हिसाब से से की जा रही है। ऐसे संवेदनहीन माहौल में याद आ रही है दो पंक्तियाँ जो किसी ने फेसबुक पर पास्टर को शहीद किये जाने के बाद पोस्ट की:
ए मसीह आज भी तेरे खून से धरती सजाई जाती है
पास्टर के कातिलों को फांसी दो: शाही इमाम पंजाब
फेसबुक की तरह कुछ यही सिलसिला वास्तविक ज़िंदगी में भी जारी है। हत्या की निंदा अपने अपने हिसाब से से की जा रही है। ऐसे संवेदनहीन माहौल में याद आ रही है दो पंक्तियाँ जो किसी ने फेसबुक पर पास्टर को शहीद किये जाने के बाद पोस्ट की:
ए मसीह आज भी तेरे खून से धरती सजाई जाती है
तेरे गुलामो पे गोली चलाई जाती है।
अब देखना यह है कि हत्यारों को कितनी जल्दी पकड़ा जाता है?
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