श्री दण्डी स्वामी मंदिर के मेडिकल कैम्प में हुई 600 मरीज़ों की जांच
विकास के दावे सियासत वालों की या उनके समर्थकों की तो मजबूरी हो सकती है पर हमारी नहीं। ज़मीनी हकीकत देखना और दिखाना हमारा कर्तव्य भी है और मकसद भी। दावे कितने सच्चे हैं यह हकीकत हम आपके सामने लाते रहते हैं। इस बार इस हकीकत कोदेखने का बहाना बना है एक मेडिकल कैम्प। जब कहीं मेडिकल कैम्प लगता है तो वहां बहुत से ऐसे लोग भी आते हैं जो कभी कभी उच्च मध्यम वर्गीय परिवारों से भी सबंधित होते हैं। कैम्प में आये हुए इन लोगों के दिल को टटोलने और उनकी आंखों में ध्यान से देखने पर पता चलता है कि कितनी देर हो चुकी है उन्हें यह सोचते हुए कि अपना इलाज लेकिन लेकिन वे चाह कर भी अपना इलाज नहीं करवा पाए। दिन-ब-दिन महंगे हो रहे इलाज के कारण अस्पतालों में जाने से पहले बार बार सोचना पड़ता है। ऐसे बेबस और मजबूर लोगों के लिए मेडिकल कैम्प आवश्यक इलाज की सुविधा और अवसर का वरदान ले कर आते हैं।
आज लुधियाना के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल श्री सिद्ध पीठ श्री दंडी स्वामी मंदिर में एक ऐसा ही कैम्प था। बहुत से लोग मिले जो बहुत देर से अपनी शूगर तक चैक नहीं करवा सके थे। बहुत से लोग ऐसे भी थे जिनके लिए बीपी चैक करवाना भी सम्भव न हो सका। बहुत से लोग ऐसे थे जिनको अपनी बीमारी की समझ नहीं आ रही थी। बहुत से लोग आंखों का आपरेशन करवा पाने की स्थिति में भी नहीं थे। हमारी टीम को इस कैम्प में जाने का अवसर मिला गांव मंसूरां वाले डाक्टर रमेश की तरफ से आये निमंत्रण के बहाने से। कैम्प में पहुँच कर मिली बहुत से लोगों की बहुत सी कहानियां जिनको आम तौर पर न तो मीडिया में जगह मिलती है न ही सियासतदानों के दरबार में। यूं भी दुःख सभी को बता पाना आसान कहाँ होता है। हम भी उनके दिलों में छुपा उतना ही दुःख पाए जितना बातों बातों में उनकी आँखों तक झलक आया। हमें लगा अगर इनकी बेबसी और मूलभूत आवश्यकता को नज़र अंदाज़ करके समाज का विकास देखा गया तो विकास के वे आंकड़े सच्चे नहीं होंगें। More Pics on facebook
शहर के सिविल लाइंस इलाके में स्थित श्री सिद्ध पीठ श्री दंडी स्वामी मंदिर में फ्री मेडिकल कैंप का आयोजन पं. राज कुमार शर्मा की अगुवाई में किया गया था। सफेद वस्त्रों में पंडित राजकुमार जी हर टेबल पर जा कर काम तो बार बार चैक करते हैं पर जल्दी किये मीडिया के सामने नहीं आते। पूछ भी लो तो कहेंगे आप मरीज़ों से बात करो--डाक्टरों के विचार सुनो। मैं तो सेवादार हूँ। इस कैंप में विशेष रूप से आंखों के माहिर डॉ. रमेश मंसूरा, डॉ. वरुण मेहता, डॉ. अमित कांसल, डॉ. संदीप शर्मा, डॉ. सुरिंदर गुप्ता और अन्य डॉ. विशेष रूप से मरीज़ों का इलाज़ करने को सहयोग दिया। कैंप में आंखों के 600 मरीज़ों का चेकअप किया गया। इस मौके पर चौधरी मदनलाल बग्गा, अनिल शर्मा, चंदर मोहन, राजेश गाबा, रवि मल्होत्रा, गुलशन नागपाल, पं. गोपाल शर्मा, राजिंदर नागपाल, धर्मवीर, दीपक शर्मा भी मौजूद थे। तकरीबन हर टेबल पर भीड़ थी। दुःख और मसीबत के मरे लोगों की आँखों में एक चमक भी थी। यह चमक उम्मीद की किरण से आ रही थी। खुद को फिर स्वस्थ महसूस करने की उम्मीद। More Pics on facebook
शूगर की जाँच टेबल पर जा कर पूछा तो पता चला कि ज़्यादातर लोग 30 वर्ष से अधिक उम्र के ही आए थे पर शूगर सभी को थी। किसी को कम किसी को ज़्यादा। इसी तरह ब्लड प्रेशर की जाँच कर रही मैडम आशा ने बताया कि ब्लड प्रेशर भी यहाँ जाँच के लिए आये तकरीबन सभी लोगों को था। हाँ हाई बीपी के मरीज़ लो बीपी से कुछ ज़्यादा थे। इसी तरह गैस्ट्रो के मरीज़ भी बहुत ज़्यादा थे। डाक्टर वरुण मेहता बहुत ध्यान से सभी को देख रहे थे। कुछ मरीज़ों ने बताया कि उनके इलाके में पानी शुद्ध नहीं आ रहा। बहुत बार कहा लेकिन पानी शुद्ध नहीं हुआ। आँखों के मरीज़ों की संख्या शायद सभी से अधिक थी। बाद दोपहर तक लम्बी लम्बी लाइनें. नज़र आयी। सफेद मोतिया, कला मोतिया और बहुत सी अन्य समस्याएं। डाक्टर रमेश से मिल कर इन मरीज़ों को एक नयी ख़ुशी मिली। दुनिया को फिर से ठीक रूप में देख पाने की उम्मीद जगी। इनकी अँधेरी ज़िंदगी में रौशनी का संदेश लाये डाक्टर रमेश। ये वे लोग थे जो दोबारा देख पाने की संभावना का सपना भी नहीं लेते थे। More Pics on facebook
इसी तरह ई एन टी के जांच टेबल पर कम सुनने वाले मरीज़ों की संख्या ज़्यादा थी। डाक्टर संदीप शर्मा बहुत बारीकी से सभी की जाँच कर रह थे। इन मरीज़ों में भी छोटी बड़ी उम्र के मिले जुले मरीज़ ज़्यादा थे। फैक्ट्रियों में चलती बड़ी बड़ी मशीनों के आवाज़ों से पैदा होते शोर के प्रदूषण ने इनके कानों पर बहुत बुरा असर डाला। इन मरीज़ों को भी इसी कैम्प में आ क्र राहत मिली।
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