Wednesday, March 29, 2017

जागृति सेना ने किया स्कूली मनमानियों पर लगाम कसने का दावा

क्या इससे साकार हो पायेगा सभी को शिक्षा का सपना 
लुधियाना: 29 मार्च 2017: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
जबसे देश में पूंजीवाद को उत्साहित करने के प्रयास बढ़े  में हर चीज़ व्यापार बनती चली गयी। मुनाफा सर्वप्रथम बना और मानवीयता के साथ साथ बाकि सब कुछ भी लुप्त होता चला गया। शिक्षा को कारोबारी बनाने बनाने वालों ने देश के भविष्य को ही दांव पर लगा दिया। शिक्षा स्कूलों की मनमानियों के खिलाफ करीब 9 वर्षों से संघर्ष का दावा करने वाले संगठन जाग्रति सेना के प्रमुख परवीन ढंग आज बहुत उत्साहित नज़र आये। उनका कहना है कि निजी स्कूलों की मनमानी अब नहीं चल सकेगी। इस सम्बन्ध में उन्हों अपनी उपलब्धियों का विवरण देते हुए बताया कि अब उन्होंने क़ानूनी संरक्षण की व्यवस्था सभी के सामने ला दी है।  
आज एक पत्रकार सम्मेलन में जागृति सेना ने पंजाब सरकार द्वारा हाईकोर्ट के आदेशों पर पंजाब रेगुलेशन ऑफ फी ऑफ अनएडेड एजुकेशनल इंस्टिट्यूशन एक्ट-2016 बनाए जाने का स्वागत किया है। इस विषय पर संगठन के प्रधान प्रवीण डंग की अध्यक्षता में गाधी नगर स्थित मुख्य कार्यालय में बहुत सा विवरण मीडिया को दिया गया। 
पत्रकारों से भेंट के दौरान प्रवीण डंग ने कहा कि पिछले लंबे समय से जागृति सेना प्राइवेट स्कूलों की ज्यादतियों के खिलाफ संघर्ष करती आ रही है। इस एक्ट में मुख्यत: रेगुलेटरी बॉडी में डिवीजन कमिश्नर के अलावा जिला स्तर पर छ: अन्य सदस्य भी होंगे। एक्ट के अनुसार कोई भी स्कूल आठ प्रतिशत से ज्यादा स्कूल की फीस नही बढ़ा सकता और स्कूल को फीस बढ़ाने का कारण भी बताना होगा।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि सभी स्कूल अभी इस दायरे में नहीं आ सके। अल्प संख्यक स्कूल अभी भी इस दायरे  से बाहर हैं। उनको इस दायरे में लाने के प्रयास जारी हैं। 
परवीन डंग ने कहा कि स्कूल द्वारा ज्यादा फीस लेने की स्थिति में अभिभावक जिला स्तर पर कमेटी में शिकायत दे सकेंगे जिसे 15 दिन में कमेटी द्वारा चेक करना जरूरी होगा व दो महीने में शिकायत निपटानी होगी। दोषी पाए जाने की सूरत में पहली बार प्राइमरी स्कूल के लिए 30,000 मिडिल लेवल स्कूलों के लिए 50,000 व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के लिए 1 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान होगा। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर जुर्माना बढ़कर 60,000 रुपये, एक लाख व दो लाख होगा। तीसरी बार दोषी पाए जाने पर उन स्कूलों की मान्यता रद भी हो सकती है। इस अवसर पर भूपिंदर बंगा, योगेश धीमान, हैप्पी कालडा, सोनू कालडा, सुमित जयसवाल, हेमन्त बत्रा,संजीव कुमार,हरजीत सिंह,विकास कुमार व दीपक कुमार उपस्थित हुए। सभी एकमत भी नज़र आये लेकिन बहुत से सवाल फिर भी अभी तक सवाल हैं। क्या इस महंगी शिक्षा के लिए केवल स्कूल संचालक ज़िम्मेदार हैं? क्या महंगी  गाइडों का प्रकाशन बिना किसी सरकारी आज्ञा के है? क्या सरकारी स्कूलों के प्रबन्धको को इस सिस्टम में कोई परेशानी नहीं होती? इन सब की चर्चा हम किसी अलग पोस्ट में करेंगे। फिलहाल कामना करते हैं कि सभी को शिक्षा दिलाने का सपना साकार करने में जाग्रति सेना के प्रयास सफल हों। 

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