Thursday, December 29, 2016

विधानसभा चुनाव में अल्पसंख्यक समुदाय निर्णायक भूमिका निभाएगें

Thu, Dec 29, 2016 at 3:36 PM
अहरार पार्टी के 87वें स्थापना दिवस पर शाही इमाम पंजाब का ऐलान
लुधियाना: 29 दिसंबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बढ़चढ़ कर कुर्बानियां देने वाली पार्टी मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के 87वें स्थापना दिवस के मौके पर आज यहां जामा मस्जिद लुधियाना में पार्टी के महासचिव मौलाना मुहम्मद उसमान रहमानी लुधियानवी ने ध्वज लहरा कर स्थापना दिवस के कार्यक्रम की शुरूवात की। इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब सानी ने कहा कि इस पार्टी की स्थापना भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सैनानी रईस उल अहरार मौलाना हबीब उर रहमान लुधियानवी, सैय्यद उल अहरार, सैय्यद अताउल्लाह शाह बुखारी, चौधरी अफजल हक ने 29 दिसंबर 1929 ई0 को लाहौर के हबीब हाल में की थी। अहरार पार्टी की स्थापना इसलिए की गई थी कि हम देश में उस समय मौजूद जालिम अंग्रेज सरकार को देश से उखाड़ फैंकें और अहरार पार्टी के कार्यकत्र्ताओं ने अपने इस फर्ज को अच्छी तरह निभाया। एक-दो नहीं बल्कि हजारों अहरारी कार्यकत्र्ताओं ने स्वतंत्रता संग्राम में जेलें काटीं हैं। शाही इमाम ने कहा कि अगर आज भी जरूरत पड़ी तो हम अपने देश की सुरक्षा के लिए खून का आखिरी कतरा भी बहा देंगे। उन्होंने कहा कि अहरार किसी इतिहासकार की मुहताज नहीं है, हम अपना इतिहास अपने खून से लिखते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी अहरारी देश की एकता और अखण्डता के लिए काम कर रहे हैं। शाही इमाम मौलाना हबीब ने कहा कि अंग्रेज तो भारत छोड़ गये, लेकिन उसके कई ‘टोढी’ आज भी देश में मौजूद हैं, जिन्हें हम बेनाब करते रहेंगे। इस अवसर पर पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्ललाहुअलैही वसल्लम की जीवनी पर रौशनी डालते हुए शाही इमाम ने कहा कि प्यारे नबी ने इंसानियत को गुलामी से आजादी दिलवा कर दुनिया भर के इंसानों को बराबरी का दर्जा दिया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि हर खास और आम तक पैगम्बरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्ललाहुअलैही वसल्लम का पैगाम पहुंचाया जाये ताकि आपस की नफरतें, मुहब्बतों में बदल जायें। पंजाब विधानसभा होने वाले चुनाव को लेकर पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए शाही इमाम ने कहा कि प्रदेश के अल्पसंख्यक समुदाय चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाएगें। उन्होनें कहा कि पंजाब में एक अच्छी सरकार चुनने के लिए मुसलमान अपना दायित्व निभाएगें। इस अवसर पर कारी मोहतरम, मुहम्मद शहनवाज, अकरम अली, मुहम्मद सरफराज, मुफ्ती जमालुद्दीन, गुलाम हैसन कैसर, शाही इमाम के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरारी आदि मौजूद थे।
फोटो कैप्शन :  स्वतंत्रता सेनानियों की अहरार पार्टी का ध्वज लहराते हुए महासचिव मुहम्मद उसमान रहमानी लुधियानवी व अन्य अहरारी कार्यकर्ता।

Wednesday, December 28, 2016

सभी बैंकों को दी गई नई करेंसी का ब्यौरा सार्वजनिक किये जाने की मांग


Wed, Dec 28, 2016 at 3:26 PM
विमुद्रीकरण योजना से हुईं समस्यायों को लेकर बैंक कर्मी हुए गंभीर  
कहा: उठें और विरोध करें-आन्दोलनात्मक कार्यक्रम लागू करें
लुधियाना: 28 दिसम्बर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):   और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 
बैंक मुलाज़िमों ने नोटबन्दी के खिलाफ अब अपना आंदोलन तेज़ कर दिया है। इस से पैदा हुई समस्यायों को छुपाने के लिए अब बैंक मुलाज़िमों और आम जनता को आपस में लड़ाने की साज़िश रची गई है। बैंक मुलाज़िमों का कहना है कि हम इस नापाक साज़िश को कामयाब नहीं होने देंगें। इन मुलाज़िम नेतायों ने ज़ोरदररोश प्रदर्शन के बाद मांग की कि निजी बैंकों और सार्वजनिक बैंकों को उपलब्ध कराई गई नई करेंसी का ब्यौरा जनता के सामने रखा जाये तांकि पूरा सच लोगों के सामने आ सके। 
मुद्दे और मांगें                      और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 
• सभी बैंकों और शाखाओं में पर्याप्त नकदी भेजा जाना सुनिशित किया जाये
• बिना किसी और देरी के सभी एटीएम को चालू किया जाये
• बैंकों को नकदी आपूर्ति में भेदभाव बन्द किया जाये
• बैंकों को नकदी की आपूर्ति में पारदर्शिता सुनिशिचत की जाये
• भारी पैमाने में नई करेंसी नोटों जो कुछ बड़े लोगों के पास प्राप्त हुए हैं पर सीबीआई की जांच की घोषणा की जाये क्योंकि शाखाओं में नकदी का अकाल है
• जनसामान्य, बैंक ग्राहकों और बैंक के उन स्टाफ को जिन्होंने हाल के विमुद्रीकरण कांड के कारण अपनी जान से हाथ गंवाया है, उनके परिवारों को क्षतिपूर्ति की जाये
विरोध कार्यक्रम                                 और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 
29 दिसंबर 2016  हमारी सभी यूनियनों द्वारा वित्त मंत्री, भारत सरकार को संबोधित पत्र
2 जनवरी 2017 बैज धारण करना
3 जनवरी 2017आरबीआई अथवा सभी प्रादेशिक राजधानियों और प्रमुख केन्द्रों में बैंक के सम्मुख धरना
आल इण्डिया बैंक इम्पलाईज़ एसोसिएशन एंव आल इण्डिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के आहवान पर पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना इकाई) ने आज स्टेट बैंक आफ पटियाला, अंचलिक कार्यालय, मिल्लर गंज, लुधियाना के सामने जोरदार प्रदर्शन किया ।  कामरेड अशोक मल्हन, उप प्रधान एंव कामरेड राजेश वर्मा, उप प्रधान,पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना) ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया । कामरेड प्रवीण मोदगिल, उप प्रधान एंव पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना) के अन्य नेता भी इस विरोध रैली में उपस्थित रहे । 
कर्मचारियों को संबोधित करते हुए फैडेरेशन के नेताओं ने कहा कि 50 दिन से ऊपर बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों को कार्य के असाधरण द्बाव और मानसिक तनाव के अन्तर्गत रहना पड़ा है जोकि विमुद्रीकरण योजना को लागू करने के दौरान उन पर लद गया । जबकि हर कोई अपेक्षा कर रहा था कि चीजें सुधर जायेंगी और तय हो जायेंगी, नई समस्यायें उठ खड़ी हुईं और कर्मचारियों और अधिकारियों को निरन्तर ग्राहकों और जनता का प्रवाह झेलना पड़ा । यद्दपि आरबीआई बार-बार बयान दे रहा है कि बैंकों को पर्याप्त नकदी आपूर्ति की जा रही है, वास्तविक रुप से हम सभी कि पता है कि आरबीआई की ओर से बैंकों को नकदी की आपूर्ति में भारी कमी है । नकदी की कम आपूर्ति के कारण, बहुत से पुर्नसंयोजित एटीएम अधिकतर समय तक नकदीरहित रहे हैं । परिणामस्वरुप ग्राहकों को शाखा परिसर में नकदी आहरण के लिए प्रेरित कर रहा है जिससे शाखाओं में द्बाव बढ़ रहा है । इन सभी से यह जाहिर हो गया है कि यह सब कुछ बिना किसी तैयारी के किया गया ।  
प्रारम्भिक दिनों में उनके द्वारा किये गये असाधारण कार्य जोकि योजना के शुरुआती किनों में था, कार्य के घण्टों से बहुत देर तक शाम और रात्रि, कई बार मध्य रात्रि तक काम किया है, उसकी उचित क्षतिपूर्ति करने में टालमटोल दुख पैदा कर रहा है क्योंकि उन्होंने अपने सामान्य कार्य के घण्टों से अधिक कार्य किया है । विभिन्न बैंकों में विभिन्न दिशानिर्देश दिये गये हैं किन्तु उन्हें वो क्षतिपूर्ति भी नहीं दी जा रही है, जोकि द्विपक्षीय समझौते में अर्न्तनिहित है । अधिकारियों के मामले में भी, क्षतिपूर्ति एकरुप और सार्वभौम नहीं है । क्यों सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और उन्हें पर्याप्त मात्रा में नकदी नहीं दी जा रही ? आरबीआई की कार्यप्रणाली पारदर्शी क्यों नहीं है ? क्यों बैंक यह सुनिशिचत करने में असमर्थ है कि सभी एटीएम कार्य करें । कितने लम्बे समय तक यह एटीएम पुर्नसंयोजित हो सकेंगें ? 
क्या यह कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए अनुचित है कि वह न्यायोचित और उचित क्षतिपूर्ति की मांग करें अपने देर तक बैठने और रात्रि तक कार्य निपटाने के लिए ? हमने पहले ही सभी मुख्य केन्द्रों पर विरोध कार्यक्रम आयोजित किये हैं एंव रिजर्व बैंक के लोकल अधिकारियों को स्मरण पत्र दिये हैं । रिजर्व बैंक द्वारा अभी भी कोई कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे हैं और जन्ता एंव बैंक के स्टाफ की निरंतर समस्यायें बढ़ रही हैं । इसीलिए हमने विरोध करने का निर्णय लिया है । 
कुछ धनवान लोंगों के पास करंसी मिलने पर शक बैंक कर्मचारियों पर किया जा रहा है । ऐसा कुछ संभव नहीं हो सकता क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में धन निकालाने के लिए क्म्पूटर भी इज़ाजत नहीं देता । इसलिए सरकार को चाहिए कि ऐसे सभी मामलों की सीबीआई द्वारा जांच करवाई जाये ।      
उप प्रधान अशोक मल्हन ने इस अवसर पर कहा कि नोटबन्दी से पैदाहुईन समस्यायों से ध्यान हटाने के लिए बैंक कर्मियों और जनता को आपस में लड़ाने की साजिश नाकाम करना अब आवश्यक हो गया है। इस लिए लोगों को जागरूक होना चाहिए। और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 
कुछ लोगों ने यह भी सवाल किया कि निजी बैंकों और सार्वजनिक बैंकों को उपलब्ध कराई गई नई करेंसी का ब्यौरा जनता के सामने रखा जाना चाहिए। और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 

Saturday, December 24, 2016

बहादुर शहनाज़ की दूसरी बरसी पर श्रद्धांजलि समागम कल


Sat, Dec 24, 2016 at 3:37 PM
गुण्डा गिरोह ने उसे ज़िंदा जला कर सच कर दिखाई थी धमकी 
लुधियाना24 दिसम्बर 2016: (*लखविन्दर//पंजाब स्क्रीन): 
दो वर्ष पहले लुधियाना के ढण्डारी इलाके में अगवा, सामूहिक बलात्कार व बेरहमी से जलाकर मारी गई शहनाज़ की मौत की दूसरी बरसी पर आज ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोध संघर्ष कमेटी द्वारा कल (25 दिसम्बर) ढण्डारी में श्रद्धांजलि समागम किया जा रहा है। महज 17वर्ष की शहानाज़ ने बहादुरी के साथ गुण्डा गिरोह का सामना किया था। वह जान से मार देने की धमकियों के आगे न झुकते हुए बलात्कारी गुण्डा गिरोह को सजा करवाने के लिए डटकर लड़ाई लड़ती रही। वह दमन-उत्पीडऩ का शिकार तमाम स्त्रियों और जनता के सामने एक बड़ी मिसाल है। गुण्डा गिरोह ने उसे 4 दिसम्बर 2014 को मिट्टी का तेल डाल कर जिन्दा जला दिया था। 8 दिसम्बर की रात उसकी मौत हो गई थी। हक, सच, इंसाफ के लिए उसकी साहसी लड़ाई और कुर्बानी को याद करते हुए श्रद्वांजलि समागम किया जा रहा है।


उन्होंने बताया कि शहनाज को स्कूल जाते वक्त अगवा करके तीन दिन तक सामूहिक बलात्कार का शिकार बनाया गया। माँ-बाप रिपोर्ट लिखवाने के लिए पुलिस चौंकियों-थानों में ठोकरें खाते रहे। रिपोर्ट दर्ज करने के लिए रिश्वत माँगी गई। मुश्किल से जो रिपोर्ट लिखवाई जा सकी उसमें पुलिस ने प्रवासी परिवार के साथ धोखाधड़ी करते हुए बलात्कार की धाराएँ नहीं लगाईं। उन्हें केस वापिस लेने के लिए गुण्डा गिरोह बार-बार जान से मारने की धमकियाँ दे रहा था। बार-बार अपील करने पर भी पुलिस द्वारा सुरक्षा मुहैया नहीं करवाई गई। आखिर गुण्डा गिरोह ने 4 दिसम्बर 2014 को शहनाज़ को घर में घुसकर मिट्टी का तेल डालकर बेरहमी से जिन्दा जला दिया। चार दिन तक जिन्दगी मौत की लड़ाई लड़ने के बाद उसकी 9 दिसम्बर को मौत ही गई थी। स्त्रियों सहित तमाम जनता को गुण्डा गिरोहों, सरकार, पुलिस-प्रशासन, राजनीतिक नेताओं के गुण्डा गठबंधन के ज़ोर-जुल्म का बड़े पैमाने पर सामना करना पड़ता है। शहनाज और उसके परिवार पर हुआ जुल्म इसकी एक बड़ी उदाहरण है।
संघर्ष समिती का कहना है कि हमारे समाज में स्त्रियों पर जुल्म बढ़ते जा रहे हैं। स्त्रियों के खिलाफ़ बलात्कार, कत्ल, छेड़छाड़, मारपीट, तेज़ाब फेंकने, अपहरण जैसे अपराध बढ़ते जा रहे हैं। स्त्री विरोधी वहशी मर्द मानसिकता हर कदम पर स्त्रियों को शिकार बना रही है। सिर्फ स्त्रियाँ ही नहीं, सारी जनता पूँजीपतियों, सरकार, पुलिस, राजनेताओं, गुण्डा गिरोहों द्वारा भयानक लूट-दमन का शिकार है। आम जनता गरीबी-बदहाली-लूट-दमन-अन्याय की चक्की में पिस रही है। जनता एकजुट होकर ही इसका मुकाबला कर सकती है। 
ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी ने सभी इंसाफपसंद लोगों से अपील की है कि बहादुर शहनाज़ की साहसिक लड़ाई और हक, सच, इंसाफ़ के लिए दी गई उसकी कुर्बानी को याद करने और उसे भावभिन्नी श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए श्रद्धांजलि समागम में ज़रूर पहुँचें।

लखविन्दर ढण्डारी बलात्कार व कत्ल काण्ड विरोधी संघर्ष कमेटी के संयोजक हैं और उनका मोबाईल नम्बर है: 9646150249

Friday, December 23, 2016

भाजपा महिला मोर्चा की पठानकोट रैली में रही चंडीगढ़ जीत की गूंज

Fri, Dec 23, 2016 at 2:53 PM
सिर्फ भाजपा में ही महिलाओ को आगे आने का मौका मिला-सांपला 
पठानकोट: 23 दिसम्बर 2016: (विजय शर्मा//पंजाब स्क्रीन)
पंजाब भाजपा की महिला मोर्चा की रैल्ली आज पठानकोट में की गई। प्रदेश स्टार की रैली में भाजपा पंजाब के प्रदेशाध्यक्ष विजय सांपला केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति और महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय रहतकार विशेष तोर पर शामिल हुए। रैली के दौरान सभी वक्ताओ की स्पीच का केंद्र चंडीगढ़ भाजपा की जीत का विषय रहा। 
विजय सांपला ने आज की चंडीगढ़ की जीत के बारे में बोलते हुए कहा की की इसमें महिलाओ का बहूत योगदान रहा है और इसका जीत का असर आने वाली पंजाब विधानसभा पर ज़रूर पड़ेगा और भाजपा सिर्फ 23 सीट पर इलेक्शन नहीं लड़ती पंजाब भाजपा व अकाली दल का गठबंधन 117 सीट पर इलेक्शन लड़ेगा और गठबंधन की जीत ज़रूर होगी। इसके इलावा भाजपा अध्यक्ष का कहना था की महिलाओ के बारे में सिर्फ उनकी ही पार्टी सोचती है बाकी किसी पार्टी ने महिला सशक्तिकरण को आधार नहीं बनाया था सिर्फ भाजपा में ही महिलाओ को आगे आने का मौका मिला है और केंद्र में महिलाओ की संख्या बाकी पार्टियों की बजाये ज्यादा है। 
भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष विजया रहतकार ने पत्रकारो से बातचीत करते हुए कहा की महिलाओ को आगे आने का मौका केवल भाजपा में मिला है और आज की चंडीगढ़ की भाजपा की जीत का असर पंजाब के इलावा यू पी इलेक्शन में भी देखने को मिलेगा नोटबंदी  की वजह से लोग परेशान ज़रूर है परंतु प्रधानमंत्री पर उनको पूरा भरोसा है की जो भी प्रधानमंत्री इस देश के लिए करेंगे वो ज़रूर देश को विकास की तरफ ले जाएगा। 
यू पी से एम् पी व् केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्यूँति का कहना है की भाजपा इस बार चग्नडीगढ़ के बाद पंजाब व् यू पी में भी जीत हासिल करेगी क्योकि भाजपा ही ऐसी पार्टी है जिसमे पुरषो के साथ साथ महिलाओ को भी बराबर का मौका दिया जाता है इसके इलावा उन्होंने कहा की भाजपा में ही पहली बार केंद्र द्वारा सुकन्या योजना , जन धन योजना व उज्वल योजना जैसी स्कीम चलाई गई है जो की सिर्फ महिलाओ के लिए है और इस बार चंडीगढ़ के बाद यू पी व् पंजाब में भी जीत होगी।  

Saturday, December 17, 2016

ठाकुर दलीप सिंह ने दी नया साल वैसाखी पर मनाने की काल

भारतीय जनमानस को एकता के सूत्र में लाने का एक और प्रयास 
लुधियाना: 17 दिसम्बर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
नामधारियों और सिक्खों के साथ साथ समुचित भारतीय जनमानस को एकजुट करके एकता के सूत्र में पिरौने में लगे नामधारी प्रमुख ठाकुर दलीप  ने अब नव वर्ष के अवसर पर कहा है कि भारतीय लोगों को वर्ष वैसाखी के दिन मनाना चाहिए। यह बात उन्होंने एक अनौपचारिक वार्ता में कही। 
नव वर्ष केवल कैलेंडर पर होने वाली समय की बदली नहीं होती। इसका सम्बन्ध मौसमों के साथ साथ पर्यावरण और मानवीय शरीर की आंतरिक सरंचना  होता है।  नारियल पानी पीने को दिल करता है और कब मूंगफली की इच्छा है-यह एक गहन विज्ञानं है। किसी समय इसकी समझ पूरे समाज को हुआ थी। धीरे धीरे जब पैसे  दुरपयोग बढ़ा तो बहुत से दिन--बहुत सी रातें शराब के जश्न में डूबने लगीं। नव वर्ष का अवसर अर्थात 31 दिसम्बर और जनवरी के दरम्यान की रात शराब और शबाब के ऐसे बेहूदा अंदाज़ का पर्याय बन गई कि इस अवसर पर पीना पिलाना  आवश्यक कृत्य गिना जाने लगा। यह अभिशाप पूरे समाज को स्वीकृत होता चला गया। आज भी नव वर्ष एक उत्सव की तरह पूरे विश्व में अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तिथियों तथा विधियों से मनाया जाता है। विभिन्न सम्प्रदायों के नव वर्ष समारोह भिन्न-भिन्न होते हैं और इसके महत्त्व की भी विभिन्न संस्कृतियों में परस्पर भिन्नता है। धर्मकर्म और संस्कृति से जुड़े कुछ लोग आज भी अपने अपने  समाज के मुताबिक समय की इस चाल को अपनाते हैं। लेकिन पूर्व की बहुसंख्य पाश्चात्य प्रभाव के रंग ढंग में डूबती चली गई। अब हालत इतनी बदतर है कि तकरीबन हर जगह पर 31 दिसम्बर की रात को पुलिस सुरक्षा का प्रबन्ध पड़ता है। 

नशे की मदहोशी और गुंडागर्दी का आभास देते हो हल्ले के आतंक में होती है नए साल की शुरुआत। इसका इतिहास देखें तो नव वर्ष उत्सव 4000 वर्ष पहले से बेबीलोन में मनाया जाता था। लेकिन उस समय नए वर्ष का ये त्यौहार 21 मार्च को मनाया जाता था जो कि वसंत के आगमन की तिथि भी मानी जाती थी। प्राचीन रोम में भी नव वर्षोत्सव के लिए चुनी गई थी। रोम के तानाशाह जूलियस सीजर ने ईसा पूर्व 45वें वर्ष में जब जूलियन कैलेंडर की स्थापना की, उस समय विश्व में पहली बार 1 जनवरी को नए वर्ष का उत्सव मनाया गया। ऐसा करने के लिए जूलियस सीजर को पिछला वर्ष, यानि, ईसापूर्व 46 इस्वी को 445 दिनों का करना पड़ा था। 
हिब्रू मान्यताओं के अनुसार भगवान द्वारा विश्व को बनाने में सात दिन लगे थे। इस सात दिन के संधान के बाद नया वर्ष मनाया जाता है। यह दिन ग्रेगरी के कैलेंडर के मुताबिक 5 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच आता है।
हिन्दुओं का नया साल चैत्र नव रात्रि के प्रथम दिन यनि गुदी पर हर साल चीनी कैलेंडर के अनुसार प्रथम मास का प्रथम चन्द्र दिवस नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। यह प्रायः 21 जनवरी से 21 फ़रवरी के बीच पड़ता है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में नव वर्ष अलग-अलग तिथियों को मनाया जाता है। प्रायः ये तिथि मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है। पंजाब में नया साल बैशाखी नाम से 13 अप्रैल को मनाई जाती है। सिख नानकशाही कैलंडर के अनुसार 14 मार्च होला मोहल्ला नया साल होता है। इसी तिथि के आसपास बंगाली तथा तमिळ नव वर्ष भी आता है। तेलगु नया साल मार्च-अप्रैल के बीच आता है। आंध्रप्रदेश में इसे उगादी (युगादि=युग+आदि का अपभ्रंश) के रूप में मनाते हैं। यह चैत्र महीने का पहला दिन होता है। तमिल नया साल विशु 13 या 14 अप्रैल को तमिलनाडु और केरल में मनाया जाता है। तमिलनाडु में पोंगल 15 जनवरी को नए साल के रूप में आधिकारिक तौर पर भी मनाया जाता है। कश्मीरी कैलेंडर नवरेह 19 मार्च को होता है। महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा के रूप में मार्च-अप्रैल के महीने में मनाया जाता है, कन्नड नया वर्ष उगाडी कर्नाटक के लोग चैत्र माह के पहले दिन को मनाते हैं, सिंधी उत्सव चेटी चंड, उगाड़ी और गुड़ी पड़वा एक ही दिन मनाया जाता है। मदुरै में चित्रैय महीने में चित्रैय तिरूविजा नए साल के रूप में मनाया जाता है। मारवाड़ी नया साल दीपावली के दिन होता है। गुजराती नया साल दीपावली के दूसरे दिन होता है जो अक्टूबर या नवंबर में आती है। बंगाली नया साल पोहेला बैसाखी 14 या 15 अप्रैल को आता हैपश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसी दिन नया साल होता है।
जीवन नगर से संचालित बहुसंख्यक नामधारी संगठन के सतिगुरु ठाकुर दलीप सिंह ने इस अंदाज़ को बदलने का आहवान किया है। उन्होंने कहा है कि भारतीय लोगों को भारतीय संस्कृति भारतीय धर्म कर्म, भारतीय परिवेश और भारतीय अंदाज़ में नया साल मनाना  वो तारीख  आती है वैसाखी के पर्व पर। इस लिए नए साल को उसी अवसर पर मनाया जाना चाहिए।  

Friday, December 16, 2016

दीनानगर:बेटी सहित ट्रेन के सामने कूद कर दे दी जान

कौन पता लगाएगा उस दुःख का जिसने ले ली जान 
गुरदासपुर: 16 दिसम्बर 2016: (विजय शर्मा//पंजाब स्क्रीन):
विकास और खुशियों के लम्बे चौड़े दावों के दरम्यान मां बेटी की आत्महत्या बता रही है हमारे समाज की आंतरिक हालत। एक औरत ज़िन्दगी देते वक़्त ज़रा भी नहीं हिचकिचाई। अपनी बेटी को साथ लेकर रेल पटरी के नज़दीक ट्रेन की इंतज़ार करती रही। उसे न खुद पर तरस आया और न ही अपनी मासूम सी तीन वर्षीय बेटी पर। केवल 23 बर्षीय महिला ने अपनी साढ़े तीन बर्ष की बच्ची के साथ जब गाड़ी के आगे छलांग लगाई तो बच्ची चिलाती रही मां रेलगाड़ी आ रही है लेकिन मां ने एक ना सूनी और कूद गई ट्रेन के नीचे। कोलियांरोड की रेलवे क्राॅसिंग पर अमृतसर से दीनानगर की तरफ जा रही रावी एक्सप्रेस के आगे कूदकर इस महिला ने अपनी तीन साल की बेटी के साथ आत्महत्या कर ली। मृतक महिला की पहचान रुचि सैनी पत्नी राज कुमार और बेटी मनप्रीत निवासी गांव जानीचक्क थाना तारागढ़ के रूप में हुई है। मृतका का पति राज कुमार सऊदी अरब में नौकरी करता है और आज ही वह अपने घर लौट रहा था। उधर, राज कुमार की फ्लाइट ने सऊदी अरब से अमृतसर के लिए उड़ान भरी, तो इधर रुचि ने ट्रेन के आगे कूद कर जान दे दी। हालांकि आत्महत्या का कारण पता नहीं चल पाया है पर एक बात साफ़ ज़ाहिर है कि समाज में फैले दुःख ने मौत को ही एक बचने का रास्ता बना दिया है। 


रुचि घर में सुबह अपनी सास को यह कहकर आई थी कि वह बैंक से पैसे निकलवाने जा रही है। लेकिन वह कोलियां रोड रेलवे क्रासिंग के पास गई। इसी रोड पर आगे पड़ते गांव न्यामता में उसके नानके हैं। रावी एक्सप्रेस सुबह करीब पौने ग्यारह बजे रेलवे क्रासिंग से गुजरती है और रुचि उससे पहले ही अपनी बेटी के साथ वहां पहुंच चुकी थी। लेकिन, ट्रेन करीब पौना घंटा लेट होने कारण वह बेटी को लेकर रेलवे क्रासिंग के पास घूमती रही। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उसने अपनी बेटी को बिस्किट भी खिलाए। उसके हावभाव से कोई अंदाजा नहीं लगा पाया कि वह ट्रेन के आगे ख़ुदकुशी करने आई है। जब ट्रेन आने के वक्त फाटक को बंद किया गया, तो वह उसकी रेलिंग के पास आकर खड़ी हो गई। जैसे ही ट्रेन पास आई वह बेटी को खींचते हुए ट्रेन के आगे जा कूदी। रेलवे पुलिस ने उसके पर्स से मिले अाधार कार्डों से मां बेटी की पहचान की और ससुराल गांव जानीचक्क और मायके गांव डीडा सैनियां परिजनों को सूचित किया। सुसराल में अकेली बूढ़ी मां ही थी, जबकि उसके पिता जो कि रंजीत सागर डैम में नौकरी करते हैं। 31 मार्च को अपनी रिटायरमेंट संबंधी कागजात तैयार करवाने पत्नी काे लेकर कार्यालय गए थे, जबकि भाई धीरज विदेश से लौट रहे जीजा को लेने अमृतसर एयरपोर्ट गया था। रोज़ी रोटी के लिए विदेश गया व्यक्ति जब लौटेगा तो सामने होगा दुःख का पहाड़। कभी न भर पाने वाला ज़ख्म। हो सकता है उसने विदेश में कमाई करके अपने कर्ज़ उतार लिए हों।  घर में खुशहाली की सी सुविधाएं जुटा ली हों लेकिन वो सब सुख सुविधाएं मिल कर भीइस दर्द को कम नहीं कर पाएंगी। 

रेलवे पुलिस के एसएचओ सतपाल सिंह ने बताया कि हादसे संबंधी धारा 174 के तहत केस कार्रवाई कर लाशों को पोस्टमार्टम के लिए सिविल अस्पताल गुरदासपुर भेजा जाएगा। अभी तक सुसाइड के कारणों का पता नहीं चल पाया है। 
 

दीनानगर के गांव डीडा  की रहने वाली रूचि सैनी  की शादी गांव जैनी चक में-हुई थी उस का पति विदेश में काम करता था जो के आज ही घर आने वाला था मौके पर खडे एक लडके ने बताया की यह औरत 2 घंटे से से अपनी बच्ची को लेकर रेलवे फाटक के आस पास घूम रही थी फिर अपनी बच्ची को इसने खाने को भी लेके दिया उसके बाद जब रेलगाड़ी आई तो जबरदस्ती अपनी बच्ची को लेकर पटडी के पास चली गई और बच्ची चिलाती रही और मां ने एक ना सुनी और अपनी 3 साल की बच्ची  मनप्रीत को ले कर ट्रेन के नीचे छलांग लगा दी। मौत इतनी भयानक थी देख कर सभी की रूह कॉप रही थी। 


मौके पर मिली जानकारी के अनुसार लड़की का नाम रुचि जो जिला पठानकोट के गाँव जनीचक की रहने वाली है जिसकी पांच बर्ष पहले  राज कुमार के साथ  शादी हुई थी जो विदेश में काम करता था पुलिस की तरफ फ़िलहाल 174 की करवाई लाश को पोस्टमार्टम क्र वारिसों के हवाले कर दिया है  इस मोके पर एसएच ओ सतपाल ने बताया की रवि गाडी जो अमृतसर से पठानकोट जा रही थी उसने रेलगाड़ी के नीचे आ कर आत्महत्या कर ली है पुलिस द्वारा मृतिका लड़की के वारिसों के व्यानो के आधार पर बनती करवाई की जायगी। फ़िलहाल 174 की करवाई कर के लाश को पोस्टर्माटम के लिए भेज दिया गया है  .
एसएचओ इंसपेक्टर सतपाल ने बताया कि अगर वारिस कोई ब्यान देंगें तो रुचि और बेटी मनप्रीत की की आत्महत्या के मामले में कार्रवाई की जाएगी। 

Wednesday, December 14, 2016

नोटबन्दी से पैदा हुई स्थिति भयानक और चिंतनीय- डा. भारत

विदेशी शक्तियां इस स्थिति का फायदा उठा कर करवा सकती हैं दंगे
लुधियानाः 11 दिसम्बर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो);
जब जुर्म मुक्त नए भारत की बात चलती है तो डॉक्टर भारत का ज़िक्र भी ज़रूरी हो जाता है। विवादों और आरोपों से दूर डॉक्टर भारत  चाल में चलते हुए किसी न किसी इन्वेस्टिगेशन में लगे  रहते हैं। आरोपों की चर्चा करो तो जनाब क़तील साहिब के शब्दों में कुछ यूं कहेंगे- 
इक इक पत्थर जोड़ के मैंने जो दीवार बनाई है,
झाँकू उस के पीछे तो रुसवाई ही रुसवाई है। 
सफलता की बात करो तो इसी  शेयर सुनाएंगे-क्योंकि उनकी दी गयी जानकारी को बहुत बार नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है। तब वह बेबसी सी महसूस करते हैं। 

यों लगता है सोते जागते औरों का मोहताज हूँ मैं
आँखें मेरी अपनी हैं पर उनमें नींद पराई है
देश की सुरक्षा और बढ़ रही आतंकी घटनायों को लेकर उनका दर्द कई बार शब्दों में भी छलक  आता है। वह कहते हैं कोई न जाने दर्द मेरा। 
देख रहे हैं सब हैरत से नीले-नीले पानी को
पूछे कौन समन्दर से तुझमें कितनी गहराई है
कभी कभी उनको लगता है कि सारी उम्र यूं ही गंवा दी। न अपना कुछ बनाया न परिवार का। तब यह कहते लगते हैं-
आज हुआ मालूम मुझे इस शहर के चन्द सयानों से
अपनी राह बदलते रहना सबसे बड़ी दानाई है। 

फिर जल्द ही सम्भल कर कहेंगे तकलीफें तो बहुत आयीं पर मैंने राह नहीं बदली-इसका सकूं भी है। अब वह नोटबन्दी से पैदा हुए हालात को लेकर बेहद चिंतित हैं। राष्ट्रीय अपराध विरोधी गुप्तचर मीडिया फोर्स (क्राईम फ्री इण्डिया ब्यूरो पंजाब) के अध्यक्ष डॉ. भारत नें एक अनौपचारिक भेंट में कहा है कि नई एंव पुरानी करेंसी के चलन और बन्दी के विषय में प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी द्वारा भ्रष्टाचार, कालाधन के संदर्भ में उठाये गए कदम से देश समाज का कितना भला- फायदा होनें वाला है (अच्छे बुरे या भयानक परिणाम ) यह तो आनें वाला समय-भविष्य ही बताएगा। परन्तु जहां मौजूदा समय में पूरे देश का काम धंधा, रोजी रोजगार, कल कारखानों, सभी कार्य प्रगति रुकनें से आम नागरिकों को अनेकानेक विकराल परेशानियों कठिनाइयों के साथ मूलभूत सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है वह भारत देश के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है। वहीं दूसरी तरफ ज्यादा नहीं तो कुछ अच्छे परिणाम काले धन की बरामदगी जो करोड़ रुपए और सोना चॉदी की बरामदगी भी से है जो ऊॅट के मुह में जीरा के बराबर ही है। इन लाखों करोड़ों रुपए की नई नोटों की बरामदगी नें यह साबित कर दिया है कि भ्रष्टाचार  खबल्कि त्म तो क्या होना था और बढ़ गया है, सरकार और सम्बंधित विभाग को उन कर्मचारियों-अधिकारियों पर भी सख्त कारवाई करनी चाहिए जिनके मिली भगत से इतनी नई नोटों का ऐसे जमाखोरों के पास नई करेंसी दी गई। एक तरफ तो दो चार हजार अपनें रुपयें पानें के लिए लोग दो दो दिन तक भूखे लाइन में लगकर पैसा पानें का इंतजार करते रहे और कहां ऐसे काले धंधे और जमाखोरों के पास सरकारी कर्मियों से मिलीभगत से लाखों करोड़ों रुपए की नई करेंसियों का भंडार। सरकार ऐसे गद्दारों पर क्या कारवाई करती है? उनको आशंका है कि विदेशी शक्तियां इस स्थिति का फायदा उठा कर दंगे करवा सकती हैं इस लिए इस में तुरन्त  बेहद आवश्यक है। 
 डॉ. भारत के साथ सम्पर्क करने के लिए मोबाईल नम्बर है; 93169 42755

Monday, December 12, 2016

सम्प्रदायक ताकतों की ओर से इस्लाम धर्म को आतंकवाद से जोडऩा गलत

इस्लाम धर्म आपसी भाईचारे और शांति का संदेश देता है
पैगम्बरे इसलाम हजरत मुहम्मद ने भेद-भाव खत्म कर इंसानियत को बराबरी का दर्जा दिया
सच्चा मुसलमान वही, जो हजरत मुहम्मद (स.) साहिब के बताए रास्ते पर चले: शाही इमाम
लुधियाना: 12 दिसंबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
दिलों से नफरतें निकाल कर आपसी भाईचारे को मजबूत कीजिए, सच्चा मुसलमान वही है, जो हजरत मुहम्मद (स.) साहिब के बताए हुए रास्ते पर चले। यह विचार आज यहां जामा मस्जिद में 12 वफात के इतिहासिक दिन के मौके पर मुसलमानों को संबोधित करते हुए पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब-उर-रहमान सानी लुधियानवी ने प्रगट किये। उन्होंने कहा कि हजरत मुहम्मद सल्ललाहु अलैहीवसल्लम 12 रबी-उल-अव्वल के दिन ही 63 साल तक संसार में इंसानियत को प्यार-मुहब्बत, आपसी भाईचारे का पाठ पढ़ा कर अल्लाह तआला के पास वापिस चले गये। इसीलिए आज के दिन को 12 वफात कहा जाता है। शाही इमाम ने कहा कि आज के दिन मुसलमान अपने प्यारे नबी हजरत मुहम्मद (स.) साहिब को याद करते हुए उनकी दी हुई शिक्षाओं के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करने का संकल्प दोहराते हैं। शाही इमाम ने कहा कि 14 सौ वर्ष बीत जाने के बाद भी आपकी शिक्षाएं किसी परिवर्तन के बिना मूल्य रूप में मौजूद हैं और मानव जाति के मार्ग दर्शन के लिए आशा की किरण हैं। उन्होंने कहा कि अल्लाह तआला ने कुरान शरीफ में यह बात स्पष्ट कर दी कि हजरत मुहम्मद (स.) साहिब आखरी नबी हैं, अब कोई और व्यक्ति कयामत तक नबी बनकर नहीं आ सकता। शाही इमाम ने कहा कि हजरत मुहम्मद (स.) साहिब के दुनिया में आने से पहले लोग बेटियों को जिंदा जमीन में दफन कर दिया करते थे। आप (स.) ने दुनिया में आकर इस जुल्म को रोका और बेटी को अल्लाह की रहमत बताया। शाही इमाम ने कहा कि इस्लाम धर्म आपसी भाईचारे और शांति का संदेश देता है, सम्प्रदायक ताकतों की ओर से इस्लाम धर्म को आतंकवाद से जोडऩा गलत है, बल्कि निंदनीय है। इस मौके पर नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी, मौलाना कासिम, कारी मोहतरम, मौलाना महबूब आलम गोरखपुरी, अंजूम असगर, शाहनवाज अहमद, गुलाम हसन कैसर,  मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम विशेष रूप से उपस्थित थे।

Sunday, December 11, 2016

12 रबी-उल-अव्वल सोमवार को: शाही इमाम पंजाब

Sun, Dec 11, 2016 at 12:54 PM
इस अवसर पर मुसलमान मस्जिदों में जाकर विशेष दुआ करते हैं
लुधियाना: 11 दिसम्बर 2016: ( पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
आज यहां पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब-उर-रहमान सानी लुधियानवी ने ऐलान किया कि 12 रबी-उल-अव्वल (12 वफात) का पवित्र दिन आज 12 दिसम्बर को पंजाब भर में मनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि 12 रबी-उल-अव्वल का दिन दुनिया के इतिहास में इसलिए विशेष है कि इस दिन अल्लाह पाक के आखरी नबी हजरत मुहम्मद (स.) साहिब का जन्म मक्का शरीफ में हुआ और अल्लाह पाक ने हजरत मुहम्मद (स.) साहिब को पूरी दुनिया के लिए रहमत बनाकर भेजा। उन्होंने बताया कि हजरत मुहम्मद (स.) साहिब ने इस्लाम धर्म के रूप में दुनिया भर के इंसानों को आपसी भाईचारे और शांति का संदेश दिया, शाही इमाम मौलाना हबीब ने बताया कि आज के दिन मुसलमान मस्जिदों में जाकर विशेष दुआ करते हैं और गरीबों तथा यतीमों को अच्छा खाना खिलाते हैं। उन्होंने बताया कि आज के दिन को 12 वफात इसलिए कहा जाता है क्योंकि 63 साल बाद आज ही के दिन हजरत मुहम्मद (स.) साहिब  इस दुनिया से वापिस तशरीफ ले गये थे। शाही इमाम ने सभी मुसलमानों को अपने संदेश में कहा है कि आज के दिन ज्यादा से ज्यादा दरूद शरीफ पढ़ें और अपने अंदर की बुराईयों को त्याग कर अच्छे काम करने का संकल्प करें। 

Friday, December 09, 2016

नशे के खिलाफ जंग में बेलन ब्रिगेड फिर सरगर्म

Fri, Dec 9, 2016 at 1:50 PM
आगामी विधानसभा चुनावों में नशों के खिलाफ ज़ोरदार अभियान  
लुधियाना: :9 दिसम्बर 2016: :(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
चुनाव सिर पर हैं। कभी भी हो सकती है औपचारिक घोषणा। इसी बीच नोटबन्दी के बाद पैदा हुए हालात भी नाज़ुक हैं। ऐसी हालत में करेंसी नोटों की बजाये दारु की बोतलों, अफीम की डिब्बियों और भुक्की के वितरण का सिलसिला तेज़ हो सकता है। इस सब की देखते हुए बेलन ब्रिगेड फिर मैदान में है। गौरतलब है कि जब बेलन ब्रिगेड नशे के खिलाफ चलाये गए तूफानी अभियान में से उभर कर सब के सामने आया था तो उस समय भी चुनावी दौर ही चल रहा था। अब फिर चुनावी माहौल है। इस हालात में हालात में बेलन ब्रिगेड की तरफ से जवाहर नगर कैम्प में नशों के खिलाफ एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें इलाके की महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। इस बार नोटबन्दी के खिलाफ  आक्रोश और गुस्सा भी शामिल हो सकता है। 
इस अवसर पर बेलन ब्रिगेड की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनीता शर्मा ने दोहराया कि आज पंजाब नशे की दल दल में धंस चुका है। नौजवान नशे का शिकार होकर बर्बाद हो रहे हैं। उनके घर परिवार नशे की बदौलत उजड़ रहे है। अनीता शर्मा ने कहा कि बेलन ब्रिगेड आगामी पंजाब में विधान सभा चुनावों में नशे के खिलाफ जोर शोर से अभियान चलाएगी और चुनावों में नशा बाँटने वाले नेताओं का विरोध किया जाएगा।
बैठक में बिमला, ज्योति, सकीना, रमेश, राज, रीता, भोली, दीपा, सिमरन, नीतू, बेबी, पूजा, कमला व सुनीता ने भाग लिया और अपने विचार रखे।  समाज को बुरी तरह खोखला कर रहे इस अभियान के साथ जुड़ने के इच्छुक मैडम अनीता शर्मा के साथ इस मोबाईल नम्बर पर सम्पर्क कर सकते हैं ;9417423238

Tuesday, December 06, 2016

सांबर घुसा रिहायशी इलाके में और तमाशबीन लोगो ने ली उसकी जान

Tue, Dec 6, 2016 at 3:21 PM
वन विभाग के अधिकारियों ने किया बचने के कई प्रयासों का दावा 
गुरदासपुर: 6 दिसम्बर 2016: (विजय शर्मा//पंजाब स्क्रीन):
जानवरों के साथ मानव की अमानवीयता को लेकर कई फिल्में बनी, कई गीत लिखे गए, बहुत से संगठन भी बने लेकिन इस में कमी नहीं आई। जान लेना, तड़पाना और फिर तमाशा देखना मानव की आदत बनती चली गयी। कई तरह के बुत और पुतले जलाते जलाते यह लोग ज़िंदा इंसानों को भी जलाने लगे। इनके अंदर की दबी छुपी हिंसा ज़रा ज़रा सी बात पर बाहर आने लगी। अब इस तरह की बर्बरता का नया मामला सामने आया है गुरदासपुर में। 

गुरदासपुर के बाहरी इलाके में एक भटका हुआ सांबर रिहाईशी इलाके में आ घुसा जहां पर लोगों को देखकर सांबर अचानक घबराकर इधर उधर भागने लगा और लोगो की भीड़ भी सांबर को भगा भगा कर तमाशा देखने लगी और आखिर थक हार कर सांबर गिर गया। गिरने के बाद लोगो ने सांबर को घेरकर पकड़ लिया और फारेस्ट के अधिकारियो को मौके पर बुलाया गया परंतु अधिकारी भी सांबर को बचा ना सके आखिरकार सांबर घबराहट से भागते भागते मौत की आगोश में चला गया और लोगो की भीड़ सांबर को घेरकर तमाशा देखती रही।  
इक जानवर की जान आज इंसानो ने ली है--गीत के बोल आज फिर महसूस किये गए। यह वाक्य आज सामने आया गुरदासपुर के बबरी इलाके में जहां पर भटके हुए सांबर को लोगो ने इतना भगाया की तमाशबीन  लोगो की वजह से सांबर की किसी चीज से टकराने से गिर कर मौत हो गई हालांकि फारेस्ट की टीम मोके पर पहुँच चुकी थी  परंतु फिर भी घायल सांबर को बचा ना सकी, भीड़ से घबराकर भागता हुआ सांबर इतना घबराया हुआ था की भीड़  से बचने के लिए भागते हुए किसी चीज से टकरा गया जिससे मौके पर उसकी मौत हो गई वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक़ उन्होंने घायल सांबर को बचाने की बहुत कोशिश की परंतु बचा ना सके सांबर की मौत की असली वजह तो  पोस्टमॉर्टम के बाद ही पता चलेगी परंतु इस वाक़्य से तो ज़रूर साबित हो गया की मेनिका गांधी द्वारा चलाया गया अभियान और सरकार द्वारा बनाये गए वन संरक्षण मंत्रालय अभी तक लोगो को यह बताने में नाकाम रहे हैं कि ऐसी स्थिति में आखिरकार लोगो को करना क्या चाहिए लोग आज भी ऐसे मौके पर तमाशबीनों की भूमिका निभाते है और एक जानवर को अपनी जान गवानी पड़ती है। अगर यही सिलसिला जारी रहा तो  अमानवीयता और तमाशबीनी का शिकार इंसान भी बन सकते हैं। यह एक खतरनाक इशारा है खतरनाक भविष्य की तरफ।