Monday, October 31, 2016

जब भी निर्णय का दोराहा होगा प्रियदर्शनी इंदिरा बहुत याद आएंगी

याद और सम्मान समय और सियासत के मोहरे नही होते
                                                                                                --दमोह से नूतन पटेरिया 

आज का दिन भारत के लोकतन्त्र के इतिहास में दुख बेदना और शर्मिंदगी का दिन है ।इस दिन हमारे देश की प्रधानमन्त्री ही नही हमारे गौरव विश्वास और धर्मनिपेक्षता की भी हत्या हुई थी। राष्ट्र् हमेशा त्याग और बलिदान की नीव पर अवलम्बित होता है इस नीव में दफन है तीन गांधियो का बलिदान। इसी बलिदान परम्परा की कड़ी है इंदिरा जी। एक ही मेहनत, कड़ी मेहनत, दूर दृष्टि पक्का इरादा, अनुशासन को जीवन का मूल मन्त्र बनाने वाली इंदिरा जी की पारिवारिक पृष्ठभूमि से सब परिचित है। इस साहसी  और दबंग व्यक्तित्व में भी भारी उतार चढ़ाव और दुःख की वेदना देखी पर राष्ट्र हित के आगे इंदिरा जी इन बाधाओ को भी नकार कर सदैव दृढ़ता का परिचय दिया। दुनिया के ग्लोब पर नए राष्ट्र की रचना करने वाली इंदिरा जी राष्ट की अखण्डता की रक्षा करते हुये बलिदान हो गई। अपनी म्रत्यु का पूर्वाभास करने वाली इस महान नारी ने अपने अंतिम भाषण में मौत को भी स्वागत भाषण बना दिया। 
आज राष्ट्र् सियासती दाव पेचो में उलझा है उस महान नारी के बलिदान को यथोचित सम्मान हासिल नही है अन्यथा आज सोशल मीडिया पर इंदिरा गांधी के सिवाय अन्य विषय न होता। लेकिन याद और सम्मान समय और सियासत के मोहरे नही होते इंदिरा भारत के दिलो में रहती है वो आज भी याद आती है जब निर्णय का दोराहा होता है। हम नत मस्तक है उस महान विभूति को जिसमे नारी जीवन की हर पीड़ा सही थी। असमय माँ की बीमारी और मौत, पति से विछोह, असमय बेटे की मौत और अंत में मौत भी उन हाथो से जिन्होंने सुरक्षा का बीड़ा उठाया जिन्हें अंग रक्षक कहा वही जीवन छीनने वाले बने पर उन्हें कभी अबला के रूप में याद नही किया जायेगा। हमारे पूर्व प्रधानमन्त्री ने तो उन्हें दुर्गा तक की उपाधि दे दी थी। 
ऊपर की तस्वीरों में एक तस्वीर है जिसमें इंदिरा गाँधी 1962 में भारत-चीन जंग के दौरान अपने सभी ज़ेवर राष्ट्रीय सुरक्षा कोष में दान करती हुईं दिखाई दे रही हैं। उसके साथ की एक तस्वीर 1974 में इंदिरा गाँधी और शेख मुजीब-उर-रहमान के दरम्यान हुए उस ऐतिहासिक समझौते की है जो आज भी महत्वपूर्ण है। राष्ट्र राष्ट्र का शोर मचाना एक अलग बात है लेकिन उसके लिए सच में कुछ कर के दिखाना एक अलग बात है। इंदिरा जी की धारण थी कि राष्ट्र को स्वयं हर तरह से मज़बूत होना चाहिए। किसी पर निर्भर हो कर काम नहीं चलता।  यह केवल किताबी बात नहीं थी बल्कि उन्होंने अपने पिता के साथ रह कर हालात में जो उतार चढाव देखे उन्होंने इंदिरा गाँधी को यही सिखाया था।  

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने दी श्रीमती इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि

बहुत सी जगह पर हुआ श्रद्धांजलि कार्यक्रमों का आयोजन  
मतभेद किसी के किसी से भी हो सकते हैं लेकिन इसके बावजूद मान्यता मिलना यह सभी के नसीब  में नहीं होता। इंदिरा गाँधी जी के साथ भी बहुत से लोगों को बहुत से मतभेद थे लेकिन उनका व्यक्तित्व हमेशां असरदायिक रहा। एक चुम्बक की तरह सभी को अपनी तरफ आकर्षित करता हुआ। मुस्कराता हुआ चेहरा और उस मुस्कान के पीछे एक दृढ़ संकल्प शक्ति। कहना कम और करके ज़्यादा। देश और कांग्रेस के पास अब नहीं है कोई वैसा व्यक्तित्व। आज 31 अक्टूबर है। 
प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को उनकी पुण्‍यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की 
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को उनकी पुण्‍यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित की है। प्रधानमंत्री ने कहा, "श्रीमती इंदिरा गांधी को उनकी पुण्‍यतिथि पर श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।"
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये। उन्होंने ट्विटर पर बहुत संक्षिप्त शब्दों में लिखा Today we remember the Supreme Sacrifice of Smt Indira Gandhi and her Strong Leadership to India.
देश भर से छोटे बड़े शहरों से उनकी याद में आयोजित स्मृति कार्यक्रमों की जानकारी आ रही है।

PM मोदी के अंदाज़ से दिवाली पर देखा गया नया जोश

देशभर में रहा आतिशबाज़ी और पटाखों का ज़ोर 
नयी दिल्ली: 30 अक्तूबर 2016:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
दीपावली का उत्साह ज़ोरों पर रहा। हर जगह इसका इज़हार भी देखा गया। हर बाजार में चहल पहल देखी गयी।  बजट सजे हुए थे और कीमतें आम रेट से तीन चार गुना ज़्यादा थीं। इस बार मध्यवर्गीय इलाकों के बाज़ारों में सामान किलो की बजाये दो सो ढाई सो ग्राम के लिफाफों में पैक करके बेचा जा रहा था। 
प्रदूषण विरोधी संगठनों, आँख और ह्रदय डॉक्टरों के संगठनों और अन्य लोगों की अपीलों को ताक पर रखते हुएपटाखा प्रेमियों ने दिवाली पर जोर शोर से पटाखे चलाये। आँख का ऑपरेशन कराये लोगों और दिल के मरीजों को पूरी तरह नज़र अंदाज़ करते हुए बड़े बड़े बम फोड़े गए। युवा वर्ग से सबंधित लोग बाईक पर गलियों के चक्कर लगाते हुए हुल्लड़बाजी करते रहे। पीसीआर के दो चार चक्करों का उन पर कोई असर नहीं हुआ। रौशनी और खुशियों का त्यौहार बहुत से लोगों के लिए सज़ा साबित हुआ। 
रिपोर्टों के मुताबिक देश भर में आज प्रकाश का पर्व पूरे हर्षोउल्लास और परंपरा के साथ मनाया गया। मकान और इमारतें रोशनी में नहा उठी और आसमान में आतिशबाजी की गूंज बार बार सुनाई देती रही। लोगों ने मिठाइयों और दूसरे उपहारों के साथ एक दूसरे को शुभकमानाएं दीं। चीन की लड़ियों के खिलाफ चले अभियान का फायदा ज़रूर कुछ गरीब लोगों को हुआ क्योंकि उनके माटी के दिए इसी बहाने से बिक गए। कुछ लोगों ने इस अभियान के बावजूद चीन की लड़ियों से ही रौशनी की। 
दिवाली के मौके पर लोगों ने पारम्परिक चलन के मुताबिक जोरशोर से पटाखे चलाये और इसको लेकर बच्चों और युवाओं में खासा उत्साह देखा गया। लोग अपने रिश्तेदारों और दोस्तों के घर जाकर दिवाली की बधाई दी तथा बहुत सारे लोगों ने व्हाटसएप्प और ट्विटर सहित सोशल मीडिया के मंचों का उपयोग करके दिवाली की शुभकामनाएं दीं। बहुत से लोगों ने गिफ्ट का खर्च बचाते हुए मिठाईयां और अन्य गिफ्टस भी सोशल मीडिया पर खुले दिल से प्रेषित किये। 
रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम के वनवास से अयोध्या लौटने के उपलक्ष्य में दिवाली मनाई जाती है। इस मुद्दे पर बहुजन समाज ने रावण का गुणगान करते हुए भगवान राम और सीता माता के सम्बन्ध में सोशल मीडिया पर बहुत सी बातें भी कही। साथ ही इस बात पर दुःख भी व्यक्त किया कि विचारधारा को जल कर राख करते हुए बहुजन समाज के लोगों ने भी जम क्र दिवाली मनाई। 
इसी बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देशवासियों को दिवाली की शुभकमाना दी और आशा जताई कि यह प्रकाश का यह पर्व ‘उपेक्षा के अंधेरे को दूर करेगा तथा लोगों के जीवन में उम्मीद और समृद्धि लाएगा।’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के लोगों को दिवाली की बधाई दी। उन्होंने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा, ‘‘दीपावली के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। हैप्पी दिवाली ।’’ 
दिवाली के मौके पर मोदी ने कहा कि एक रैंक एक पेंशन :ओआरओपी: के क्रियान्वयन के लिए 5,500 करोड़ रूपये का भुगतान किया गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने पूर्व सैन्यकर्मियों से किये गये उस वादे को पूरा कर दिया है जो बीते 40 बरसों से लटका पड़ा था। उन्होंने पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच जवानों के साहस और बलिदान की प्रशंसा भी की।
प्रधानमंत्री के तौर पर मोदी ने 2014 में अपनी पहली दिवाली सियाचिन में थलसेना के जवानों के साथ मनाई थी । उन्होंने पिछले साल की दिवाली पंजाब में पाकिस्तान सीमा से सटे इलाके में जवानों के साथ मनाई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में थलसेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस :आईटीबीपी: के जवानों के साथ दिवाली मनाई। प्रधानमंत्री मोदी के इस अंदाज़ से देश के आम लोगों में एक नया जोश मिला। मन की बात में भी श्री मोदी ने कई मुद्दे उठाये। 

Sunday, October 30, 2016

संकटों के बीच में भी, एकता के मंत्र को ले करके आगे बढ़ना है-PM मोदी


30-अक्टूबर-2016 12:09 IST
हमारा हर पर्व शिक्षादायक होता है
30 अक्तूबर 2016 को आकाशवाणी पर प्रधानमंत्री के 'मन की बात' संबोधन का मूल पाठ
मेरे प्यारे देशवासियो, आप सबको दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें। भारत के हर कोने में उत्साह और उमंग के साथ दीपावली का पर्व मनाया जाता है। भारत एक ऐसा देश है कि 365 दिन, देश के किसी-न-किसी कोने में, कोई-न-कोई उत्सव नज़र आता है। दूर से देखने वाले को तो कभी यही लगेगा कि जैसे भारतीय जन-जीवन, ये उत्सव का दूसरा नाम है, और ये स्वाभाविक भी है। वेद-काल से आज तक भारत में जो उत्सवों की परम्परा रही है, वे समयानुकूल परिवर्तन वाले उत्सव रहे हैं, कालबाह्य उत्सवों की परम्परा को समाप्त करने की हिम्मत हमने देखी है और समय और समाज की माँग के अनुसार उत्सवों में बदलाव भी सहज रूप से स्वीकार किया गया है। लेकिन इन सबमें एक बात हम भली-भाँति देख सकते हैं कि भारत के उत्सवों की ये पूरी यात्रा, उसका व्याप, उसकी गहराई, जन-जन में उसकी पैठ, एक मूल-मन्त्र से जुड़ी हुई है – स्व को समष्टि की ओर ले जाना। व्यक्ति और व्यक्तित्व का विस्तार हो, अपने सीमित सोच के दायरे को, समाज से ब्रह्माण्ड तक विस्तृत करने का प्रयास हो और ये उत्सवों के माध्यम से करना। भारत के उत्सव कभी खान-पान की महफ़िल जैसे दिखते हैं। लेकिन उसमें भी, मौसम कैसा है, किस मौसम में क्या खाना चाहिये। किसानों की कौन सी पैदावार है, उस पैदावार को उत्सव में कैसे पलटना। आरोग्य की दृष्टि से क्या संस्कार हों। ये सारी बातें, हमारे पूर्वजों ने बड़े वैज्ञानिक तरीक़े से, उत्सव में समेट ली हैं। आज पूरा विश्व environment की चर्चा करता है। प्रकृति-विनाश चिंता का विषय बना है। भारत की उत्सव परम्परा, प्रकृति-प्रेम को बलवान बनाने वाली, बालक से लेकर के हर व्यक्ति को संस्कारित करने वाली रही है। पेड़ हो, पौधे हों, नदी हो, पशु हो, पर्वत हो, पक्षी हो, हर एक के प्रति दायित्व भाव जगाने वाले उत्सव रहे हैं। आजकल तो हम लोग Sunday को छुट्टी मनाते हैं, लेकिन जो पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, मज़दूरी करने वाला वर्ग हो, मछुआरे हों, आपने देखा होगा सदियों से हमारे यहाँ परम्परा थी – पूर्णिमा और अमावस्या को छुट्टी मनाने की। और विज्ञान ने इस बात को सिद्ध किया है कि पूर्णिमा और अमावस को, समुद्र के जल में किस प्रकार से परिवर्तन आता है, प्रकृति पर किन-किन चीज़ों का प्रभाव होता है। और वो मानव-मन पर भी प्रभाव होता है। यानि यहाँ तक हमारे यहाँ छुट्टी भी ब्रह्माण्ड और विज्ञान के साथ जोड़ करके मनाने की परम्परा विकसित हुई थी। आज जब हम दीपावली का पर्व मनाते हैं तब, जैसा मैंने कहा, हमारा हर पर्व एक शिक्षादायक होता है, शिक्षा का बोध लेकर के आता है। ये दीपावली का पर्व ‘तमसो मा ज्योतिर्गमय’ - अन्धकार से प्रकाश की ओर जाने का एक सन्देश देता है। और अन्धकार, वो प्रकाश के अभाव का ही अन्धकार वाला अन्धकार नहीं है, अंध-श्रद्धा का भी अन्धकार है, अशिक्षा का भी अन्धकार है, ग़रीबी का भी अन्धकार है, सामाजिक बुराइयों का भी अन्धकार है। दीपावली का दिया जला कर के, समाज दोष-रूपी जो अन्धकार छाया हुआ है, व्यक्ति दोष-रूपी जो अन्धकार छाया हुआ है, उससे भी मुक्ति और वही तो दिवाली का दिया जला कर के, प्रकाश पहुँचाने का पर्व बनता है। 

एक बात हम सब भली-भांति जानते हैं, हिन्दुस्तान के किसी भी कोने में चले जाइए, अमीर-से-अमीर के घर में चले जाइए, ग़रीब-से-ग़रीब की झोपड़ी में चले जाइए, दिवाली के त्योहार में, हर परिवार में स्वच्छता का अभियान चलता दिखता है। घर के हर कोने की सफ़ाई होती है। ग़रीब अपने मिट्टी के बर्तन होंगे, तो मिट्टी के बर्तन भी ऐसे साफ़ करते हैं, जैसे बस ये दिवाली आयी है। दिवाली एक स्वच्छता का अभियान भी है। लेकिन, समय की माँग है कि सिर्फ़ घर में सफ़ाई नहीं, पूरे परिसर की सफ़ाई, पूरे मोहल्ले की सफ़ाई, पूरे गाँव की सफ़ाई, हमने हमारे इस स्वभाव और परम्परा को विस्तृत करना है, विस्तार देना है। दीपावली का पर्व अब भारत की सीमाओं तक सीमित नहीं रहा है। विश्व के सभी देशों में किसी-न-किसी रूप में दीपावली के पर्व को याद किया जाता है, मनाया जाता है। दुनिया की कई सरकारें भी, वहाँ की संसद भी, वहाँ के शासक भी, दीपावली के पर्व के हिस्से बनते जा रहे हैं। चाहे देश पूर्व के हों या पश्चिम के, चाहे विकसित देश हों या विकासमान देश हों, चाहे Africa हो, चाहे Ireland हो, सब दूर दिवाली की धूम-धाम नज़र आती है। आप लोगों को पता होगा, America की US Postal Service, उन्होंने इस बार दीपावली का postage stamp जारी किया है। Canada के प्रधानमंत्री जी ने दीपावली के अवसर पर दिया जलाते हुए अपनी तस्वीर Twitter पर share की है।
 
Britain की प्रधानमंत्री ने London में दीपावली के निमित्त, सभी समाजों को जोड़ता हुआ एक Reception का कार्यक्रम आयोजित किया, स्वयं ने हिस्सा लिया और शायद U.K. में तो कोई ऐसा शहर नहीं होगा, कि जहाँ पर बड़े ताम-झाम के साथ दिवाली न मनाई जाती होI Singapore के प्रधानमंत्री जी ने Instagram पर तस्वीर रखी है और उस तस्वीर को उन्होंने दुनिया के साथ share किया है और बड़े गौरव के साथ किया है। और तस्वीर क्या है। Singapore Parliament की 16 महिला MPs भारतीय साड़ी पहन करके Parliament के बाहर खड़ी हैं और ये photo viral हुई है। और ये सब दिवाली के निमित्त किया गया हैI Singapore के तो हर गली-मोहल्ले में इन दिनों दिवाली का जश्न मनाया जा रहा हैI Australia के प्रधानमंत्री ने भारतीय समुदाय को दीपावाली की शुभकामनायें और Australia के विभिन्न शहरों में दीपावली के पर्व में हर समाज को जुड़ने के लिए आह्वान किया है। अभी New Zealand के प्रधानमंत्री आए थे, उन्होंने मुझे कहा कि मुझे जल्दी इसलिए वापस जाना है कि मुझे वहाँ दिवाली के समारोह में शामिल होना है। कहने का मेरा तात्पर्य यह है कि दीपावली, ये प्रकाश का पर्व, विश्व समुदाय को भी अंधकार से प्रकाश की ओर लाए जाने का एक प्रेरणा उत्सव बन रहा है। 

दीपावली के पर्व पर अच्छे कपड़े, अच्छे खान-पान के साथ-साथ पटाखों की भी बड़ी धूम मची रहती है। और बालकों को, युवकों को बड़ा आनंद आता है । लेकिन कभी-कभी बच्चे दुस्साहस भी कर देते हैं। कई पटाखों को इकठ्ठा कर-कर के बड़ी आवाज़ करने की कोशिश में एक बहुत बड़े अकस्मात को निमंत्रण दे देते हैं। कभी ये भी ध्यान नहीं रहता है कि आसपास में क्या चीजें हैं, कहीं आग तो नहीं लग जाएगी। दीपावली के दिनों में अकस्मात की ख़बरें, आग की ख़बरें, अपमृत्यु की ख़बरें, बड़ी चिंता कराती हैं। और एक मुसीबत ये भी हो जाती है कि दिवाली के दिनों में डॉक्टर भी बड़ी संख्या में अपने परिवार के साथ दिवाली मनाने चले गए होते हैं, तो संकट में और एक संकट जुड़ जाता है। मेरा खास कर के माता-पिताओं को, parents को, guardians को खास आग्रह है कि बच्चे जब पटाखे चलाते हों, बड़ों को साथ खड़े रहना चाहिए, कोई ग़लती न हो जाए, उसकी चिंता करनी चाहिए और दुर्घटना से बचना चाहिए । हमारे देश में दीपावली का पर्व बहुत लम्बा चलता है। वो सिर्फ एक दिन का नहीं होता है। वो गोवर्धन पूजा कहो, भाई दूज कहो, लाभ पंचमी कहो, और कार्तिक पूर्णिमा के प्रकाश-पर्व तक ले जाइए, तो एक प्रकार से एक लंबे कालखंड चलता है। इसके साथ-साथ हम दीपावली का त्योहार भी मनाते हैं और छठ-पूजा की तैयारी भी करते हैं। भारत के पूर्वी इलाके में छठ-पूजा का त्योहार, एक बहुत बड़ा त्योहार होता है। एक प्रकार से महापर्व होता है, चार दिन तक चलता है, लेकिन इसकी एक विशेषता है-समाज को एक बड़ा गहरा संदेश देता है। भगवान सूर्य हमें जो देते हैं, उससे हमें सब कुछ प्राप्त होता है। प्रत्यक्ष और परोक्ष, भगवान सूर्य देवता से जो मिलता है, उसका हिसाब अभी लगाना ये हमारे लिये कठिन है, इतना कुछ मिलता है और छठ-पूजा, सूर्य की उपासना का भी पर्व है । लेकिन कहावत तो ये हो जाती है कि भई, दुनिया में लोग उगते सूरज की पूजा करते हैं। छठ-पूजा एक ऐसा उत्सव है, जिसमें ढलते सूरज की भी पूजा होती है। एक बहुत बड़ा सामाजिक संदेश है उसमें । 

मैं दीपावली के पर्व की बात कहूँ, छठ-पूजा की बात कहूँ-ये समय है आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनायें देने का, लेकिन साथ-साथ मेरे लिये समय और भी है, ख़ासकर के देशवासियों का धन्यवाद करना है, आभार व्यक्त करना है। पिछले कुछ महीनों से, जो घटनायें आकार ले रही हैं, हमारे सुख-चैन के लिये हमारे सेना के जवान अपना सब कुछ लुटा रहे हैं। मेरे भाव-विश्व पर सेना के जवानों की, सुरक्षा बलों के जवानों की, ये त्याग, तपस्या, परिश्रम, मेरे दिल-दिमाग पर छाया हुआ रहता है। और उसी में से एक बात मन में कर गई थी कि यह दिवाली सुरक्षा बलों के नाम पर समर्पित हो। मैंने देशवासियों को ‘Sandesh to Soldiers’ एक अभियान के लिए निमंत्रित किया। लेकिन मैं आज सिर झुका कर के कहना चाहता हूँ, हिंदुस्तान का कोई ऐसा इन्सान नहीं होगा, जिसके दिल में देश के जवानों के प्रति जो अप्रतिम प्यार है, सेना के प्रति गौरव है, सुरक्षा-बलों के प्रति गौरव है। जिस प्रकार से उसकी अभिव्यक्ति हुई है, ये हर देशवासी को ताक़त देने वाली है। सुरक्षा-बल के जवानों को तो हम कल्पना नहीं कर सकते, इतना हौसला बुलंद करने वाला, आपका एक संदेश ताक़त के रूप में प्रकट हुआ है। स्कूल हो, कॉलेज हो, छात्र हो, गाँव हो, ग़रीब हो, व्यापारी हो, दुकानदार हो, राजनेता हो, खिलाड़ी हो, सिने-जगत हो - शायद ही कोई बचा होगा, जिसने देश के जवानों के लिए दिया न जलाया हो, देश के जवानों के लिए संदेश न दिया हो। मीडिया ने भी इस दीपोत्सव को सेना के प्रति आभार व्यक्त करने के अवसर में पलट दिया और क्यों न करें, चाहे BSF हो, CRPF हो, Indo-Tibetan Police हो, Assam Rifles हो, जल-सेना हो, थल-सेना हो, नभ-सेना हो, Coast Guard हो, मैं सब के नाम बोल नहीं पाता हूँ, अनगिनत। ये हमारे जवान किस-किस प्रकार से कष्ट झेलते हैं - हम जब दिवाली मना रहे हैं, कोई रेगिस्तान में खड़ा है, कोई हिमालय की चोटियों पर, कोई उद्योग की रक्षा कर रहा है, तो कोई airport की रक्षा कर रहा है। कितनी-कितनी जिम्मेवारियाँ निभा रहे हैं। हम जब उत्सव के मूड में हों, उसी समय उसको याद करें, तो उस याद में भी एक नई ताक़त आ जाती है। एक संदेश में सामर्थ्य बढ़ जाता है और देश ने कर के दिखाया। मैं सचमुच में देशवासियों का आभार प्रकट करता हूँ। कइयों ने, जिसके पास कला थी, कला के माध्यम से किया। कुछ लोगों ने चित्र बनाए, रंगोली बनाई, cartoon बनाए, जो सरस्वती की जिन पर कृपा थी, उन्होंने कवितायें बनाईं। कइयों ने अच्छे नारे प्रकट किये। ऐसा मुझे लग रहा है, कि जैसे मेरा Narendra Modi App या मेरा My Gov, जैसे उसमें भावनाओं का सागर उमड़ पड़ा है - शब्द के रूप में, पिंछी के रूप में, कलम के रूप में, रंग के रूप में, अनगिनत प्रकार की भावनायें, मैं कल्पना कर सकता हूँ, मेरे देश के जवानों के लिये कितना गर्व का एक पल है। ‘Sandesh to Soldiers’ इस Hashtag पर इतनी सारी चीज़ें-इतनी सारी चीज़ें आई हैं, प्रतीकात्मक रूप में। 

मैं श्रीमान अश्विनी कुमार चौहान ने एक कविता भेजी है, उसे पढ़ना पसंद करूँगाI 

अश्विनी जी ने लिखा है - 
“मैं त्योहार मनाता हूँ, ख़ुश होता हूँ, मुस्कुराता हूँ, 
मैं त्योहार मनाता हूँ, ख़ुश होता हूँ, मुस्कुराता हूँ, 
ये सब है, क्योंकि, तुम हो, ये तुमको आज बताता हूँ, 
मेरी आज़ादी का कारण तुम, ख़ुशियों की सौगात हो, 
मैं चैन से सोता हूँ, क्योंकि, 
मैं चैन से सोता हूँ, क्योंकि तुम सरहद पर तैनात हो, 
शीश झुकाएँ पर्वत अम्बर और भारत का चमन तुम्हें, शीश झुकाएँ पर्वत अम्बर और भारत का चमन तुम्हें, 
उसी तरह सेनानी मेरा भी है शत-शत नमन तुम्हें, उसी तरह सेनानी मेरा भी है शत-शत नमन तुम्हें ।। ” 

मेरे प्यारे देशवासियो, जिसका मायका भी सेना के जवानों से भरा हुआ है और जिसका ससुराल भी सेना के जवानों से भरा हुआ है, ऐसी एक बहन शिवानी ने मुझे एक टेलीफोन message दिया। आइए, हम सुनते हैं, फ़ौजी परिवार क्या कहता है: - 

“नमस्कार प्रधानमंत्री जी, मैं शिवानी मोहन बोल रही हूँ। इस दीपावली पर जो ‘Sandesh to Soldiers’ अभियान शुरू किया गया है, उससे हमारे फ़ौजी भाइयों को बहुत ही प्रोत्साहन मिल रहा है। मैं एक Army Family से हूँ। मेरे पति भी Army ऑफिसर हैं। मेरे Father और Father-in-law, दोनों Army Officers रह चुके हैं। तो हमारी तो पूरी family soldiers से भरी हुई है और सीमा पर हमारे कई ऐसे Officers हैं, जिनको इतने अच्छे संदेश मिल रहे हैं और बहुत प्रोत्साहन मिल रहा है Army Circle में सभी को। और मैं कहना चाहूँगी कि Army Officers और Soldiers के साथ उनके परिवार, उनकी पत्नियाँ भी काफ़ी sacrifices करती हैं। तो एक तरह से पूरी Army Community को बहुत अच्छा संदेश मिल रहा है और मैं आपको भी Happy Diwali कहना चाहूँगी। Thank You .” 

मेरे प्यारे देशवासियो, ये बात सही है कि सेना के जवान सिर्फ़ सीमा पर नहीं, जीवन के हर मोर्चे पर खड़े हुए पाए जाते हैं। प्राकृतिक आपदा हो, कभी क़ानूनी व्यवस्था के संकट हों, कभी दुश्मनों से भिड़ना हो, कभी ग़लत राह पर चल पड़े नौजवानों को वापिस लाने के लिये साहस दिखाना हो-हमारे जवान ज़िंदगी के हर मोड़ पर राष्ट्र भावना से प्रेरित हो करके काम करते रहते हैं। 

एक घटना मेरे ध्यान में लाई गई - मैं भी आपको बताना चाहता हूँ। अब मैं इसलिए बताना चाहता हूँ कि सफलता के मूल में कैसी-कैसी बातें एक बहुत बड़ी ताक़त बन जाती हैं। आप ने सुना होगा, हिमाचल प्रदेश खुले में शौच से मुक्त हुआ, Open Defecation Free हुआ। पहले सिक्किम प्रान्त हुआ था, अब हिमाचल भी हुआ, 1 नवम्बर को केरल भी होने जा रहा है। लेकिन ये सफलता क्यों होती है ? कारण मैं बताता हूँ, देखिए, सुरक्षाबलों में हमारा एक ITBP का जवान, श्री विकास ठाकुर - वो मूलतः हिमाचल के सिरमौर ज़िले के एक छोटे से गाँव से हैं। उनके गाँव का नाम है बधाना। ये हिमाचल के सिरमौर ज़िले से हैं। अब ये हमारे ITBP के जवान अपनी ड्यूटी पर से छुट्टियों में गाँव गए थे। तो गाँव में वो उस समय शायद कहीं ग्राम-सभा होने वाली थी, तो वहाँ पहुँच गए और गाँव की सभा में चर्चा हो रही थी, शौचालय बनाने की और पाया गया कि कुछ परिवार पैसों के अभाव में शौचालय नहीं बना पा रहे हैं। ये विकास ठाकुर देशभक्ति से भरा हुआ एक हमारा ITBP का जवान, उसको लगा-नहीं-नहीं, ये कलंक मिटाना चाहिये। और उसकी देशभक्ति देखिए, सिर्फ़ दुश्मनों पर गोलियाँ चलाने के लिये वो देश की सेवा करता है, ऐसा नहीं है। उसने फटाक से अपनी Cheque Book से सत्तावन हज़ार रुपया निकाला और उसने गाँव के पंचायत प्रधान को दे दिया कि जिन 57 घरों में शौचालय नहीं बना है, मेरी तरफ से हर परिवार को एक-एक हज़ार रूपया दे दीजिए, 57 शौचालय बना दीजिए और अपने बधाना गाँव को Open Defecation Free बना दीजिए। विकास ठाकुर ने करके दिखाया। 57 परिवारों को एक-एक हज़ार रूपया अपनी जेब से दे करके स्वच्छता के अभियान को एक ताक़त दी। और तभी तो हिमाचल प्रदेश Open Defecation Free करने की ताक़त आई। वैसा ही केरल में, मैं सचमुच में, नौजवानों का आभार व्यक्त करना चाहता हूँ। मेरे ध्यान में आया, केरल के दूर-सुदूर जंगलों में, जहाँ कोई रास्ता भी नहीं है, पूरे दिन भर पैदल चलने के बाद मुश्किल से उस गाँव पहुँचा जा सकता है, ऐसी एक जनजातीय पंचायत इडमालाकुडी, पहुँचना भी बड़ा मुश्किल है। लोग कभी जाते नहीं। उसके नज़दीक में, शहरी इलाके में, Engineering के छात्रों के ध्यान में आया कि इस गाँव में शौचालय बनाने हैं। NCC के cadet, NSS के लोग, Engineering के छात्र, सबने मिलकर के तय किया कि हम शौचालय बनाएँगे। शौचालय बनाने के लिए जो सामान ले जाना था, ईंटें हो, सीमेंट हो, सारे सामान इन नौजवानों ने अपने कंधे पर उठा करके, पूरा दिन भर पैदल चल के उन जंगलों में गए। खुद ने परिश्रम करके उस गाँव में शौचालय बनाए और इन नौजवानों ने दूर-सुदूर जंगलों में एक छोटे से गाँव को Open Defecation Free किया। उसी का तो कारण है कि केरल Open Defecation Free हो रहा है। गुजरात ने भी, सभी नगरपालिका-महानगरपालिकायें, शायद 150 से ज़्यादा में, Open Defecation Free घोषित किया है। 10 ज़िले भी Open Defecation Free किए गए हैं। हरियाणा से भी ख़ुशख़बरी आई है, हरियाणा भी 1 नवम्बर को उनकी अपनी Golden Jubilee मनाने जा रहा है और उनका फ़ैसला है कि वो कुछ ही महीनों में पूरे राज्य को Open Defecation Free कर देंगे। अभी उन्होंने सात ज़िले पूरे कर दिए हैं। सभी राज्यों में बहुत तेज़ गति से काम चल रहा है। मैंने कुछ का उल्लेख किया है। मैं इन सभी राज्यों के नागरिकों को इस महान कार्य के अन्दर जुड़ने के लिये देश से गन्दगी रूपी अन्धकार मिटाने के काम में योगदान देने के लिये ह्रदय से बहुत-बहुत अभिनन्दन देता हूँ। 

मेरे प्यारे देशवासियो, सरकार में योजनायें तो बहुत होती हैं। और पहली योजना के बाद, उसी के अनुरूप दूसरी अच्छी योजना आए, तो पहली योजना छोड़नी होती है। लेकिन आम तौर पर इन चीज़ों पर कोई ध्यान नहीं देता है। पुरानी वाली योजना भी चलती रहती है, नयी वाली भी योजना चलती रहती है और आने वाली योजना का इंतज़ार भी होता रहता है, ये चलता रहता है। हमारे देश में जिन घरों में गैस का चूल्हा हो, जिन घरों में बिजली हो, ऐसे घरों को Kerosene की ज़रुरत नहीं है। लेकिन सरकार में कौन पूछता है, Kerosene भी जा रहा है, गैस भी जा रहा है, बिजली भी जा रही है और फिर बिचौलियों को तो मलाई खाने का मौका मिल जाता है। मैं हरियाणा प्रदेश का अभिनन्दन करना चाहता हूँ कि उन्होंने एक बीड़ा उठाया है। हरियाणा प्रदेश को Kerosene मुक्त करने का। जिन-जिन परिवारों में गैस का चूल्हा है, जिन-जिन परिवारों में बिजली है, ‘आधार’ नंबर से उन्होंने verify किया और अब तक मैंने सुना है कि सात या आठ ज़िले Kerosene free कर दिए, Kerosene मुक्त कर दिए। जिस प्रकार से उन्होंने इस काम को हाथ में लिया है, पूरा राज्य, मुझे विश्वास है कि बहुत ही जल्द Kerosene free हो जायेगा। कितना बड़ा बदलाव आयेगा, चोरी भी रुकेगी, पर्यावरण का भी लाभ होगा, हमारी foreign exchange की भी बचत होगी और लोगों की सुविधा भी बढ़ेगी। हाँ, तकलीफ़ होगी, तो बिचौलियों को होगी, बेईमानों को होगी। 

मेरे प्यारे देशवासियो, महात्मा गाँधी हम सब के लिए हमेशा-हमेशा मार्गदर्शक हैं। उनकी हर बात आज भी देश कहाँ जाना चाहिए, कैसे जाना चाहिए, इसके लिये मानक तय करती है। गाँधी जी कहते थे, आप जब भी कोई योजना बनाएँ, तो आप सबसे पहले उस ग़रीब और कमज़ोर का चेहरा याद कीजिए और फिर तय कीजिए कि आप जो करने जा रहे हैं, उससे उस ग़रीब को कोई लाभ होगा कि नहीं होगा। कहीं उसका नुकसान तो नहीं हो जाएगा। इस मानक के आधार पर आप फ़ैसले कीजिए। समय की माँग है कि हमें अब, देश के ग़रीबों का जो aspirations जगा है, उसको address करना ही पड़ेगा। मुसीबतों से मुक्ति मिले, उसके लिए हमें एक-के-बाद एक कदम उठाने ही पड़ेंगे। हमारी पुरानी सोच कुछ भी क्यों न हो, लेकिन समाज को बेटे-बेटी के भेद से मुक्त करना ही होगा। अब स्कूलों में बच्चियों के लिये भी toilet हैं, बच्चों के लिये भी toilet हैं। हमारी बेटियों के लिये भेदभाव-मुक्त भारत की अनुभूति का ये अवसर है। 

सरकार की तरफ़ से टीकाकरण तो होता ही है, लेकिन फिर भी लाखों बच्चे टीकाकरण से छूट जाते हैं। बीमारी के शिकार हो जाते हैं। ‘मिशन इन्द्रधनुष’ टीकाकरण का एक ऐसा अभियान, जो छूट गए हुए बच्चों को भी समेटने के लिए लगा है, जो बच्चों को गंभीर रोगों से मुक्ति के लिए ताक़त देता है। 21वीं सदी हो और गाँव में अँधेरा हो, अब नहीं चल सकता और इसलिये गाँवों को अंधकार से मुक्त करने के लिये, गाँव बिजली पहुँचाने का बड़ा अभियान सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है। समय सीमा में आगे बढ़ रहा है। आज़ादी के इतने सालों के बाद, गरीब माँ, लकड़ी के चूल्हे पर खाना पका करके दिन में 400 सिगरेट का धुआं अपने शरीर में ले जाए, उसके स्वास्थ्य का क्या होगा। कोशिश है 5 करोड़ परिवारों को धुयें से मुक्त ज़िंदगी देने के लिये। सफलता की ओर आगे बढ़ रहे हैं। 

छोटा व्यापारी, छोटा कारोबारी, सब्जी बेचनेवाला, दूध बेचनेवाला, नाई की दुकान चलानेवाला, साहूकारों के ब्याज के चक्कर में ऐसा फँसा रहता था - ऐसा फँसा रहता था। मुद्रा योजना, stand up योजना, जन-धन account, ये ब्याजखोरों से मुक्ति का एक सफल अभियान है। ‘आधार’ के द्वारा बैंकों में सीधे पैसे जमा कराना। हक़दार को, लाभार्थी को सीधे पैसे मिलें। सामान्य मानव के ज़िंदगी में ये बिचौलियों से मुक्ति का अवसर है। एक ऐसा अभियान चलाना है, जिसमें सिर्फ़ सुधार और परिवर्तन नहीं, समस्या से मुक्ति तक का मार्ग पक्का करना है और हो रहा है। 

मेरे प्यारे देशवासियो, कल 31 अक्टूबर, इस देश के महापुरुष - भारत की एकता को ही जिन्होंने अपने जीवन का मंत्र बनाया, जी के दिखाया - ऐसे सरदार वल्लभ भाई पटेल का जन्म-जयंती का पर्व है। 31 अक्टूबर, एक तरफ़ सरदार साहब की जयंती का पर्व है, देश की एकता का जीता-जागता महापुरुष, तो दूसरी तरफ़, श्रीमती गाँधी की पुण्यतिथि भी है। महापुरुषों को पुण्य स्मरण तो हम करते ही हैं, करना भी चाहिए। लेकिन पंजाब के एक सज्जन का फ़ोन, उनकी पीड़ा, मुझे भी छू गई: - 

“प्रधानमंत्री जी, नमस्कार, सर, मैं जसदीप बोल रहा हूँ पंजाब से। सर, जैसा कि आप जानते हैं कि 31 तारीख़ को सरदार पटेल जी का जनमदिन है। सरदार पटेल ओ शख्सियत हैं, जिनाने अपनी सारी ज़िंदगी देश नु जोड़न दी बिता दित्ती and ओ उस मुहिम विच, I think, सफ़ल भी होये, he brought everybody together. और we call it irony or we call it, एक बुरी किस्मत कहें देश की कि उसी दिन इंदिरा गाँधी जी की हत्या भी हो गई। and जैसा हम सबको पता है कि उनकी हत्या के बाद देश में कैसे events हुए। सर, मैं ये कहना चाहता था कि हम ऐसे दुर्भाग्यपूर्ण जो events होते हैं, जो घटनायें होती हैं, इनको कैसे रोक सकते हैं। ” 

मेरे प्यारे देशवासियो, ये पीड़ा एक व्यक्ति की नहीं है। एक सरदार, सरदार वल्लभ भाई पटेल, इतिहास इस बात का गवाह है कि चाणक्य के बाद, देश को एक करने का भगीरथ काम, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया। आज़ाद हिंदुस्तान को, एक झंडे के नीचे लाने का सफल प्रयास, इतना बड़ा भगीरथ काम जिस महापुरुष ने किया, उस महापुरुष को शत-शत नमन। लेकिन यह भी तो पीड़ा है कि सरदार साहब एकता के लिए जिए, एकता के लिए जूझते रहे; एकता की उनकी प्राथमिकता के कारण, कइयों की नाराज़गी के शिकार भी रहे, लेकिन एकता के मार्ग को कभी छोड़ा नहीं; लेकिन, उसी सरदार की जन्म-जयंती पर हज़ारों सरदारों को, हज़ारो सरदारों के परिवारों को श्रीमती गाँधी की हत्या के बाद मौत के घाट उतार दिया गया । एकता के लिये जीवन-भर जीने वाले उस महापुरुष के जन्मदिन पर ही और सरदार के ही जन्मदिन पर सरदारों के साथ ज़ुल्म, इतिहास का एक पन्ना, हम सब को पीड़ा देता है । 

लेकिन, इन संकटों के बीच में भी, एकता के मंत्र को ले करके आगे बढ़ना है। विविधता में एकता यही देश की ताक़त है। भाषायें अनेक हों, जातियाँ अनेक हों, पहनावे अनेक हों, खान-पान अनेक हों, लेकिन अनेकता में एकता, ये भारत की ताक़त है, भारत की विशेषता है। हर पीढ़ी का एक दायित्व है। हर सरकारों की ज़िम्मेवारी है कि हम देश के हर कोने में एकता के अवसर खोजें, एकता के तत्व को उभारें। बिखराव वाली सोच, बिखराव वाली प्रवृत्ति से हम भी बचें, देश को भी बचाएँ। सरदार साहब ने हमें एक भारत दिया, हम सब का दायित्व है श्रेष्ठ भारत बनाना। एकता का मूल-मंत्र ही श्रेष्ठ भारत की मज़बूत नींव बनाता है। 

सरदार साहब की जीवन यात्रा का प्रारम्भ किसानों के संघर्ष से हुआ था। किसान के बेटे थे। आज़ादी के आंदोलन को किसानों तक पहुँचाने में सरदार साहब की बहुत बड़ी अहम भूमिका रही। आज़ादी के आंदोलन को गाँव में ताक़त का रूप बनाना सरदार साहब का सफल प्रयास था। उनके संगठन शक्ति और कौशल्य का परिणाम था। लेकिन सरदार साहब सिर्फ संघर्ष के व्यक्ति थे, ऐसा नहीं, वह संरचना के भी व्यक्ति थे। आज कभी-कभी हम बहुत लोग ‘अमूल’ का नाम सुनते हैं। ‘अमूल’ के हर product से आज हिंदुस्तान और हिंदुस्तान के बाहर भी लोग परिचित हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम होगा कि सरदार साहब की दिव्यदृष्टि थी कि उन्होंने co-operative milk producers के union की कल्पना की थी। और खेड़ा district, उस समय केरा district बोला जाता था, और 1942 में इस विचार को उन्होंने बल दिया था, वो साकार रूप, आज का ‘अमूल’ किसानों के सुख-समृद्धि की संरचना सरदार साहब ने कैसे की थी, उसका एक जीता-जागता उदाहरण हमारे सामने है। मैं सरदार साहब को आदरपूर्वक अंजलि देता हूँ और इस एकता दिवस पर 31 अक्टूबर को हम जहाँ हों, सरदार साहब को स्मरण करें, एकता का संकल्प करें। 

मेरे प्यारे देशवासियो, इन दीवाली की श्रृंखला में कार्तिक पूर्णिमा-ये प्रकाश उत्सव का भी पर्व है। गुरु नानक देव, उनकी शिक्षा-दीक्षा पूरी मानव-जाति के लिये, न सिर्फ़ हिंदुस्तान के लिये, पूरी मानव-जाति के लिए, आज भी दिशादर्शक है। सेवा, सच्चाई और ‘सरबत दा भला’, यही तो गुरु नानक देव का संदेश था। शांति, एकता और सद्भावना यही तो मूल-मंत्र था। भेदभाव हो, अंधविश्वास हो, कुरीतियाँ हों, उससे समाज को मुक्ति दिलाने का वो अभियान ही तो था गुरु नानक देव की हर बात में। जब हमारे यहाँ स्पृश्य-अस्पृश्य, जाति-प्रथा, ऊँच-नीच, इसकी विकृति की चरम सीमा पर थी, तब गुरु नानक देव ने भाई लालो को अपना सहयोगी चुना। आइए, हम भी, गुरु नानक देव ने जो हमें ज्ञान का प्रकाश दिया है, जो हमें भेदभाव छोड़ने के लिए प्रेरणा देता है, भेदभाव के ख़िलाफ़ कुछ करने के लिए आदेश करता है, ‘सबका साथ सबका विकास’ इसी मंत्र को ले करके अगर आगे चलना है, तो गुरु नानक देव से बढ़िया हमारा मार्गदर्शक कौन हो सकता है। मैं गुरु नानक देव को भी, इस ‘प्रकाश-उत्सव’ आ रहा है, तब अन्तर्मन से प्रणाम करता हूँ। 

मेरे प्यारे देशवासियो, फिर एक बार, देश के जवानों के नाम ये दिवाली, इस दिवाली पर आपको भी बहुत-बहुत शुभकामनायें। आपके सपने, आपके संकल्प हर प्रकार से सफल हों। आपका जीवन सुख-चैन की ज़िंदगी वाला बने, यही आप सबको शुभकामनायें देता हूँ। बहुत-बहुत धन्यवाद। 
***

अतुल कुमार तिवारी/ अमित कुमार/ हिमांशु सिंह

Friday, October 28, 2016

दीपावली पर भारी पड़ सकता है चॉकलेट गिफ्ट

Fri, Oct 28, 2016 at 9:12 AM
इन्हें खाने से हो सकते हैं पिंपल्स
लुधियाना: 28 अक्टूबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
मिलावटी मिठाइयों के डर की वजह से दीपावली के मौके पर गिफ्ट के तौर पर चॉकलेट देने का क्रेज बढ़ता जा रहा है। टीन एजर्स में यह ज्यादा पापुलर हो रहा है। लेकिन हाल ही में स्किन प्रॉबल्म के फील्ड में हुई स्टडी में यह बात सामने आई है कि चॉकलेट और दूध से बने प्रोडक्ट खाने से पिंपल्स होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।
एसपीएस हॉस्पिटल की एसोसिएट कंसल्टेंट डर्मोटोलॉजिस्ट डॉ. अल्पना ठाकुर के मुताबिक 80 प्रतिशत टीन एजर्स में पिंपल्स की समस्या देखी गई है। एडल्ट भी इस समस्या को झेलते हैं। हर किसी के जीवन में एक बार यह समस्या जरूर आती है और किशोर अवस्था में बने पिंपल्स कई बार दाग के रूप में स्किन पर रह जाते हैं। सभी जानते हैं कि हार्मोन्स बढऩे या उनमें बदलाव आने के कारण किशोर-किशोरियों पिंपल्स (मुंहांसे) की शिकायत करती हैं। लेकिन आजकल जितने भी मरीज आ रहे हैं, उनसे पता चलता है कि जो लोग मिल्क या मिल्क प्रोडक्ट्स का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनमें पिंपल्स की समस्या ज्यादा देखी गई है। इसी कारण इन मरीजों को दूध का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है। क्योंकि इससे तेल की ग्रंथियां ज्यादा एक्टिव हो जाती हैं।
उन्होंने बताया कि हाल ही में हुई स्टडी में यह बात सामने आई है कि जो किशोर-किशोरियां चॉकलेट, ड्राई फ्रूट्स, कार्बोनेटेड ड्रिंक और मिल्क प्रोडक्ट का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, उनमें पिंपल्स की समस्या दूसरों से ज्यादा होती है। क्योंकि चॉकलेट में दूध होता है और दूध में हार्मोन्स काफी मात्रा में होते हैं। हार्मोन्स बढऩे से ही पिंपल की समस्या जन्म लेती है। इसी तरह आयोडीन वाले नमक और आयोडीन युक्त दवाइयों के कारण भी हार्मोन्स में बदलाव होते हैं। पिंपल की समस्या से बचने के लिए बिस्कुट, मैदे से बनी चीजें और कोल्ड ड्रिंक व मीठा लिक्विड पीने से बचना चाहिए। इनकी बजाय सीजनल व ताजे फल, सब्जियों खाने के साथ-साथ पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए। टेंशन फ्री और पॉजीटिव सोच के साथ जीवन जीकर भी पिंपल से बचा जा सकता है। एक-दूसरे की मेकअप किट का इस्तेमाल करने से भी यह समस्या बढ़ती है।

Thursday, October 27, 2016

लेखकों ने सर्वसम्मति से चुनाव करके पेश की मिसाल


ताजपोशी होगी 6 नवम्बर को पंजाबी भवन में 
लुधियाना: 26 अक्टूबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
अब जबकि कुर्सी का किस्सा आम होता जा रहा है और इस कुर्सी के लिए गुरुद्धारों मन्दिरों में की कमेटियों में तनातनी की हालत बन जाती है उस नाज़ुक दौर में एक शानदार मिसाल कायम की है लेखकों ने। आदर्श लिखने और प्रचारने के सर्च सर्च लेखकों ने खुद भी आदर्श बन कर दिखाया। केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा की 6 नवम्बर को होने वाले चुनाव के लिए अधिकतर पदों का फैसला चुनाव से पूर्व ही सर्वसम्मति से हो गया है। 
संगठन की तरफ से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक केंद्रीय पंजाबी लेखक सभा के 6 नवंबर को होने वाले चुनाव के संबंध में नामांकन वापस लेने के बाद कई पदों पर सर्वसम्मति से चुनाव संपन्न हो गए। इसके बाद डॉ. सरबजीत सिंह को प्रधान, सुशील दुसांझ को जनरल सेक्रेटरी और डॉ. जोगा सिंह को सीनियर मीत प्रधान घोषित कर दिया गया। 
प्रधानगी पद से अतरजीत, प्रो. सुरजीत जज, सुशील दुसांझ, डॉ. कर्मजीत सिंह दर्शन बुट्टर ने अपने नामांकन वापस ले लिए। इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के डॉ. सरबजीत सिंह को सर्वसम्मति से प्रधान घोषित कर दिया गया। जनरल सेक्रेटरी के पद से डॉ. सरबजीत सिंह, डॉ. कर्मजीत सिंह मक्खन कोहाड़ ने अपने कागज वापस ले लिए। जिसके चलते सुशील दुसांझ को जनरल सेक्रेटरी की जिम्मेदारी सौंप दी गई। सीनियर मीत प्रधान के लिए सुलक्खन सरहद्दी, डॉ. गुरमेल सिंह मक्खन कोहाड़ भी मैदान में थे। लेकिन इन तीनों ने अपने नामांकन वापस ले लिए। जिसके चलते पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के डॉ. जोगा सिंह को सीनियर मीत प्रधान के तौर पर घोषित कर दिया गया। इसी तरह सूबा सुरिंदर कौर खरल, सुरिंदरप्रीत घणियां, जसपाल मानखेड़ा, जसबीर झज दीप दपिंदर सिंह को मीत प्रधान बना दिया गयाअब केवल सेक्रेटरी के 3 पदों के लिए 6 नवंबर को शाम 3 से 6 बजे तक चुनाव होगा। कर्म सिंह वकील, डॉ. हरविंदर सिंह सिरसा, वरगिस सलामत दीप जगदीप इस पदों के उम्मीदवार हैं। अकेली महिला लेखक होने के कारण अरतिंदर कौर संधू को सेक्रेटरी के तौर पर चुन लिया गया। मीत प्रधान के तौर पर अमरजीत कौर हिरदे, डॉ. सुरजीत बराड़, सुखविंदर आही, प्रो. हरजिंदर सिंह अटवाल, जसपाल मानखेड़ा, तरसेम, तरलोचन झांडे, मनजीत कौर मीत डॉ. राम मूर्ति ने अपने नामांकन वापस ले लिए। सेक्रेटरी पद से अश्वनी बागडिय़ां, सुरिंदर कौर, सूबा सुरिंदर कौर खरल, सरदारा सिंह चीमा, डॉ. हरविंदर सिंह, तरलोचन झांडे, दीप देविंदर सिंह मनजीत कौर ने अपनी नामजदगी वापस ले ली है। चुनाव अधिकारी डॉ. गुलजार सिंह पंधेर ने बताया कि तीनों बड़े पदों पर सर्वसम्मति से चुनाव होने की तरह तरफ प्रशंसा हो रही है 

Wednesday, October 26, 2016

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय 100 केवीके पर समेकित खेती आरंभ करेगा


25-अक्टूबर-2016 20:25 IST
देश भर में स्‍थापित केवीके कर रहे हैं ऐतिहासिक काम 


किसानों की आय को बढ़ाने तथा कृषि को बढ़ावा देने में बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका
श्री राधा मोहन सिंह ने की वीडियो कांफ्रेंसिंग से सीधी बात 
केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि देश भर में स्‍थापित केवीके (कृषि विज्ञान केन्‍द्रों) की किसानों की आय को बढ़ाने तथा कृषि को बढ़ावा देने में बहुत महत्‍वपूर्ण भूमिका है। केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री ने केवीके तथा राज्‍य स्‍तरीय कृषि अधिकारियों से अपील कि की उन्‍हें किसानों के साथ बेहद आत्‍मीयतापूर्ण तरीके से काम करना चाहिए। केवीके तथा राज्‍य स्‍तरीय कृषि अधिकारियों से किसानों की आय बढ़ाने में सहयोग देने की अपील की गई। श्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय बहुत जल्‍द 100 केवीके पर समेकित खेती आरंभ करेगा।

केन्‍द्रीय कृषि मंत्री ने आज वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्‍यम से 12 कृषि विज्ञान केन्‍द्रों के वैज्ञानिकों, राज्‍य स्‍तरीय कृषि अधिकारियों, पशुधन, मात्स्यिकी एवं बागवानी अधिकारियों तथा लाभार्थी किसानों को संबोधित किया। ऐसा पहली बार हुआ कि केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्‍यम से केवीके अधिकारियों तथा लाभार्थी किसानों के साथ सीधी बातचीत की।

मंत्री महोदय ने आंध्र प्रदेश, दादर एवं नागर हवेली, दमन एवं दियू, गोवा, कर्नाटक, केरल, लक्ष्‍यद्वीप, महाराष्‍ट्र, ओडिशा, पुद्दुचेरी, तमिलनाडु एवं तेलंगाना में स्थित किसान विज्ञान केन्‍द्र के विशेषज्ञों एवं राज्‍य तथा जिला स्‍तरीय कृषि विकास अधिकारियों और प्रगतिशील किसानों को संबोधित किया।

श्री राधा मोहन सिंह ने केवीके अधिकारियों को कहा कि किसानों को उनकी फसलों की उत्‍पादकता को बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण बीजों, पौध रोपण सामग्रियों एवं उर्वरकों की आवश्‍यकता होती है। इसलिए अधिकारियों को उन्‍हें हर हाल में आवश्‍यक मदद करनी चाहिए। कृषि मंत्री ने इस अवसर पर पशुओं की बीमारियों एवं उनके टीकाकरण का भी जिक्र किया। श्री सिंह ने कहा कि अधिकारियों को अनिवार्य रूप से पशुओं की बीमारियों की जांच करनी चाहिए। उन्‍होंने यह भी कहा कि पशुओं की बीमारियों पर नियंत्रण से किसानों की आय बढ़ेगी। केन्‍द्रीय कृषि मंत्री ने किसानों को कृषि परियोजनाओं एवं कृषि कार्य नीतियों के बारे में जानकारी दी।

इस अवसर पर केन्‍द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री ने किसानों से मछली पालन अपनाने की भी अपील की जिससे की उनकी आय दोगुनी हो सके। श्री राधा मोहन सिंह ने किसानों को बताया कि उनके कल्‍याण के लिए देश भर में 645 कृषि विज्ञान केन्द्रों का गठन किया गया है।

वीडियो कांफ्रेंसिंग का आयोजन तीन चरणों में किया जाना है जिसमें से पहले चरण की वीडियो कांफ्रेंसिंग 19 अक्‍टूबर, 2016 को संपन्‍न हुई। कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री ने उत्तर भारत के 12 राज्‍यों के कृषि विज्ञान केन्‍द्रों के अधिकारियों एवं किसानों को संबोधित किया। वीडियो कांफ्रेंसिंग का तीसरा और अंतिम चरण 28 अक्‍टूबर को आयोजित किया जायेगा। जिसमें पहाडी राज्‍यों के केवीके अधिकारी एवं किसानों की केन्‍द्रीय कृषि मंत्री के साथ परस्‍पर बातचीत होगी।   (PIB)***

Monday, October 24, 2016

हजरत मुहम्मद साहिब की जीवनी पूरी दुनियां के लिए एक सबक:मौलाना उसमान

Mon, Oct 24, 2016 at 4:27 PM
अजीमुशान जलसा सीरतउन नबी सल्लललाहु अलैहीवसलम का आयोजन
खादी बोर्ड के डायरेक्टर हरप्रीत बेदी को सम्मानित करते हुए नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी, हाजी डा. मुहम्मद इदरीस व समूह प्रबंधक कमेटी मस्जिद अबूबकर
लुधियाना: 24 अक्तूबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
मस्जिद हजऱत अबु बकर एल ब्लाक भाई रणधीर सिंह नगर फिरोजपुर रोड़ की ओर से बीती रात एक अजीमुशान जलसा सीरतउन नबी सल्लललाहु अलैहीवसलम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता अमरोहा से मुफ्ती अफ्फान साहिब मंसूरपुरी ने की और मुख्य मेहमान के रुप में नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी लुधियनवी व खादी बोर्ड के डायरेक्टर हरप्रीत सिंह बेदी उपस्थित हुए। इस मौके पर कुरान पाक की तिलावत कारी मुहम्मद मुख्तार ने की और समागम का संचालन मौलाना अय्यूब ने किया। समारोह को सम्बोधित करते हुए मौलाना उसमान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि प्यारे नबी हजरत मुहम्मद सल्लललाहु अलैहीवसलम की जीवनी पूरी दुनियां के इन्सानों के लिए एक सबक है। उन्होंने कहा कि हजरत मुहम्मद सल्लललाहु अलैहीवसलम ने एक ऐसा निजाम दुनियां को दिया है कि आज भी यह निजाम बहुत तेजी के साथ दुनियां की अलग कौमों में प्रसिद्व होता जा रहा है। उन्होनें कहा कि इस्लाम पर इस समय अलग अलग ताकतें हमला कर रही है, लेकिन यह दीन किसी की साजि़श से रुकने वाला नही है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों याद रखो, हमारा मकसद सिर्फ दीन पर अमल करना ही नही है बल्कि इस निजाम से दुनियां को वाकिफ करवाना भी है ताकि सिसक रही इन्सानियत सकून हासिल कर सके। नायब शाही इमाम ने कहा कि आज के दिन हमें हजरत इमाम हुसैन (रजि.) की उस अजीम कुर्बानी को भी याद रखना है जो कि आपने सारी इन्सानियत को ताकयामत सुरक्षित रखने के लिए दी थी। उन्होनें कहा कि याद रखो जो कौमें अपने शहीदों को भूल जाती है उनका वजूद खत्म हो जाया करता है। हमें इन कुर्बानियों को ना सिर्फ याद रखना है बल्कि समय आने पर कुर्बानी भी देनी है। इस मौके पर आये हुए मेहमानों का स्वागत डा. मुहम्मद इदरीस, हाजी मुहम्मद फुरकान, हाजी मुहम्मद कासिम, आफताब आलम, मुहम्मद मोहसीन, मुहम्मद ताहिर ठेकेदार मुहम्मद यूनस ठेकेदार व मुहम्मद शहजाद ने किया।

Sunday, October 23, 2016

कन्हैया ने दी जाह्नवी को शुभकामनाएं और विरोध करने वालों को धन्यवाद

पंजाब का वाम छात्र आंदोलन अब फिर छू  सकता है नई शिखरें 
लुधियाना: 23 अक्टूबर 2016: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
कन्हैया कुमार को खुली बहस की चुनौती देने वाली जाह्नवी को कन्हैया कुमार ने शुभ कामनाएं दी हैं। इसके साथ ही उन्होंने विरोध करने वाले वकीलों को भी धन्यवाद किया और कहा कि यह सांस्कृतिक लोग हैं और कानून के दायरे में रहते हुए अपने अधिकार का प्रयोग क्र रहे हैं। यहाँ मीडिया से एक भेंट वार्ता के दौरान उस छात्रा  के सलाह भी दी कि अगर उसे डिबेट करनी है तो इस देश के नेतायों से डिबेट करनी चाहिए, इस देश के राष्ट्र अध्यक्षों से डिबेट करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि डिबेट के लिए डिबेट अच्छी बात है लेकिन अगर यह राजनीतिक स्टंटबाजी हो तो गलत है। गौरतलब है कि यह छात्रा कई  बार कन्हैया को खुली बहस की चुनौती दे चुकी है। 
अब जबकि देश पर बहुत सी स्वदेशी और विदेशी ईस्ट इंडिया कम्पनियां जोर पकड़ रही है उस समय कन्हैया कुमार का यह कहना कि  ले के रहेंगे आज़ादी एक ऐसा नारा बन के उभरा है जिसके साथ हाल के अधिकतर युवा साथ साथ गाने लगे थे ले के रहेंगे आज़ादी। जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्य्क्ष कन्हैया कुमार ने यहां एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार देश में शिक्षा का निजीकरण करने पर तुली हुई है। इसी कारण वह सरकारी शिक्षण संस्थानों को नुकसान पहुंचा रही है। इससे पहले कन्हैया के यहां पहुंचने पर उनका विरोध किया गया। वकीलों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया अौर उन्हें कार्यक्रम में शामिल होने से रोकने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने उनको हटा दिया। कन्हैया की एक झलक पाने को लोग यहाँ बेकरार थे। कन्हैया एक क्रांति का प्रतीक बन कर यहाँ पहुंचे। 
यहां पंजाब साहित्य अकादमी परिसर में 'शिक्षा और रोजगार' विषय पर आयोजित सेमीनार में कन्हैया कुमार ने मोदी सरकार की शिक्षा नीति पर तीखे सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि देश के सरकारी व पब्लिक सेक्टर के शिक्षण संस्थानों का निजीकरण करने की साजिश की जा रही है। यह देश के लिए खतरनाक है और शिक्षा का व्यावसायिक करण का प्रयास है। उन्होंने विमान से 2500  सेरुपयों में सफर की बात उठाते हुए भी कहा कि जो गरीब लोग 25 रुपयों में रेल से सफर करते हैं उनके लिए मोदी जी के पास क्या योजना है? अच्छे दिनों की चर्चा करते हुए कन्हैया ने कहा कि मोदी जी का मित्र 30 रूपये किलो दाल खरीद कर महंगे भाव बेच दे क्या यही हैं अच्छे दिन?
छात्र-छात्राओं के बीच आये कन्हैया कुमार की मौजूदगी एक जादू की तरह असर कर रही थी। उनके साथ सेल्फी लेने वालों की एक होड़ लगी थी। पंजाब में आतंकवाद से संघर्ष के दौरान दम तोड़ चुकी वाम छात्र लहर में एक नया जोश नज़र आया। मुद्दत के बाद भाकपा समर्थक छात्र संगठन आल इंडिया स्टूडेंटस फेडरेशन (ए आई एस एफ) के झंडे पंजाब में नज़र आए। कन्हैया के लुधियाना आने से इस ऐतिहासिक संगठन की मौजूदगी का अहसास तीव्रता से सामने आया है जो इस चुनावी मौसम में वाम विरोधियों के लिए खतरे की घण्टी है। करीब एक वर्ष के अंदर अंदर तैयार किया गया यह छात्र केडर पूरी तरह से अनुशासित और सक्रिय। इसकी सक्रियता उन लोगों को कड़ा जवाब है जो मीडिया के सामने भी यह कहते नहीं थकते कि कमरेडटॉ अब खत्म हो चुके हैं।
सेमिनार में लोगों की संख्या किसी रैली की तरह थी। मौजूदगी रजिस्टर पर हस्ताक्षर कराये जा रहे थे। एक नज़र देखा तो संख्या 700 के करीब थी। हाल के अंदर भी भीड़ थी और बाहर भी। शायद पहली बार इस हाल को कार्यक्रम शुरू होने से पहले ही पूरा भरा देखा।  
सेमिनार में कन्हैया कुमार ने कहा कि मोदी सरकार युवाओं को रोज़गार देने में अक्षम रही है। नरेंद्र मोदी ने इस बारे मे बढ़चढ़ कर बातें की थीं और दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन 1.35 लाख लोगों को ही रोजगार मिले हैं। सरकार युवाआें और जनता को भ्रमित करने में ही लगी रहती है।
कन्हैया ने कहा कि मोदी सरकार का मुख्य उद्देश्य शिक्षा से पैसा कमाना है, न कि लोगों को शिक्षित करना। यह हालत घातक है और गरीब युवाओं के साथ अन्याया है। कन्हैया ने कहा कि देश में भगत सिंह को पिस्तौल और बम चलाने वाले के रूप में प्रदर्शित किया गया है, जबकि वह एक विचारक थे। लेकिन उनके इस पहलू को नहीं उभारा गया। कन्हैया कुमार ने सामंतवाद और पूंजीवाद से आज़ादी पर जोर दिया। उन्होेंने इसके लिए लाेगों खासकर युवाओं और बुद्धिजीवियों से आगे आने की अपील की।
सेमीनार का आयोजन पंजाबी साहित्य अकादमी में सोशल थिंकर फोरम के सहयोग से किया गया। इससे पहले वकीलों ने कन्हैया का पुतला फूंका ओर उनको कार्यक्रम में शामिल नहीं होने देने का एलान किया। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे वकीलों को गिरफ्तार कर लिया।
इसी बीच पंजाबी साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉक्टर सुखदे सिंह सिरसा, महासचिव सुरजीत सिंह और मुख्य वक्ता प्रिंसिपल तरसेम बाहिया ने कहा कि साहित्य अकादमी कीतरफ से इस आयोजन का प्रयास बहुत आवश्यक था क्योंकि पंजाब के शैक्षणिक, बौद्धिक और नैतिक क्षेत्रों में गरावट आ रही थी। उन्होंने स्पष्ट किया की पंजाबी भवन में पहले भी इस तरह के आवश्यक जन मुद्दों पर आयोजन होते रहे हैं। 

Saturday, October 22, 2016

तीन कोनी रोड़ पर ट्रक ने कुचला--एक नौजवान की मौत

Sat, Oct 22, 2016 at 7:08 PM
ट्रक चालक फरार, कंडकटर को लोगों ने पकडक़र किया पुलिस के हवाले
भदौड़: 22 अक्टूबर 2016:  (विजय जिंदल//पंजाब स्क्रीन):
स्थानीय बस स्टैंंड व तीनकोनी रोड़ पर एक मोटरसाईकल स्वार को ट्रक ने कुचल कर मार दिए जाने का दुखद समाचार है।   
प्राप्त जानकारी अनुसार 35 वर्षीय बलदेव सिंह पुत्र मेजर सिंह नैणेवाल रोड़ निवासी भदौड़ अपनी मोटरसाईकल पीबी10 सीएल 3262 पर बस स्टैंड की ओर से तीनकोनी की ओर जा रहा था कि जैसे ही वे मालवा ग्रामीण बैंक के पास पहुंचा तो अचानिक ही पीछे से आ रहे एक तेज़ रफ्तार ट्रक की चपेट में आ गया और उकत नौजवान के सिर व जांगों पर से ट्रक चढ़ गया और बलदेव सिंह को बुरी तरह से कुचल दिया जिस कारण उक्त नौजवान की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई उपरोकत घटना के बाद ट्रक ड्राईवर ने ट्रक भगाने की कोशिश की परतु तीनकोनी के पास खड़े लोगों नें ट्रक को घेर लिया और हड़बड़ाहट में एक व्यक्ति ट्रक से उतर कर भागने के इरादे से बाजाखाना रोड़ पर दौडऩे लगा जिसे सामने से आ रहे नौजवानों नें पकड़ लिया। पकड़े जाने पर उसने लोगों को बताया कि  वह तो क्लीनर है।  घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस थाना भदौड़ से मुख्य. मुंशी रणजीत सिंह, निर्मल सिंह व सुखविंद्र सिंह आदि ने वहां पहुंचकर उपरोकत लाडी सिंह पुत्र जै सिंह निवासी भदौड़ को अपने कबजे में ले लिया उपरोकत लाडी सिंह ने बताया कि ट्रक को जसमेल सिंह बरनाला नामक ड्राईवर चला रहा था जो घटना के बाद ट्रक छोडक़र फरार हो गया। भदौड़ पुलिस के रणजीत सिंह ने लाडी सिंह व तीनकोनी पर खड़े ट्रक को हिरासत में ले लिया और मृत्क शव को पोस्ट मारटम के लिए भेज दिया। और ट्रैफिक जाम को खुलवाया। इस मौत फिर सवाल खड़ा किया कि कब तक जाती रहेगी सड़क हादसों में जान? क्या यातायात प्रबन्धन इन मौतों को मूक दर्शक बनादेखता रहेगा?

Tuesday, October 18, 2016

गुरु शंकर चटर्जी-आप हमेशां दमोह के कला जगत में बने रहेंगे

18 अक्टूबर 2016को 18:45 बजे 
आपकी मौजूदगी का अहसास हम सभी को होता रहेगा
दमोह: 18 अक्टूबर 2016: (नूतन पटेरिया): 
दमोह कला जगत का ध्रुव तारा आकाशगामी हो गया। वर्षो  वर्षो पहले बांग्लादेश से आये परिवार में जन्मे नृत्य गुरु शंकर चटर्जी किसी परिचय के मोहताज नही है। दमोह शहर ही नही सम्पूर्ण बुंदेल खण्ड में शायद ही ऐसा कोई कला मंच हो जो जिस में शंकर चटर्जी दीक्षित किये शिष्य और शिष्या न हो।
कला की हर विद्या को अपने स्पर्श से उन्होंने झंकृत और अलंकृत किया। बंगाली परिवार में जन्मे शंकर चटर्जी यह सिध्द कर दिया कि कला और मानव का धर्म और जाती नही होती कला तो मार्ग होती है मानवता की परम सत्ता की प्राप्ति का। 

जब सारा माहौल फ़िल्म और पाश्चात्य संगीत और नृत्य में खो गया हो ऐसे में इस माँ सरस्वती के वरद पुत्र ने शास्त्रीय नृत्य और संगीत की मशाल को जलाये रखा और दमोह के लगभग हर परिवार में एक सदस्य के पास यह ज्ञान की ज्योति वह सौप कर गए। जैसे ही उनकी मौत का समाचार आया कला जगत ही नही एक आम व्यक्ति भी सुबक पड़ा। कई अनेको शोक सभाए हुईं। रोते बिलखते उनके कला को समर्पित शिष्य उनके जाने का कड़वा सच सहन करने की हिम्मत जुटाते रहे। कला को सीखते नोनिहाल भी इस अनहोनी के असत्य होने की नाकाम कामना करते रहे। यह हैरानकुन था और उनके जीवन की सच्ची कला साधना का परिचायक भी की  संस्मरण सुन कर छोटे छोटे बच्चे श्रद्धांजलि सभा में ही रो पड़े।  की सम्वेदना को अपनी हेयर मौजूदगी में  पाना किसी सच्चे साधक के कारण ही सम्भव होता है। सरस्वती कला निकेतन के संस्थापक गुरू शंकर चटर्जी को संस्था की ओर से श्रद्धांजलि दी गई। बहुत से संगठनों ने उनको अपने श्रद्धा  किये। शिष्य परंपरा को निभाते हुए युक्ति उज्जैनकर, सुचिता जैन, सान्वी शिवहरे, अनुुपमा, कल्याणी, रैनी मिश्रा ने अपने गुरू को श्रद्धा सुमन समर्पित किए। इस शोक सभा में शरद मिश्रा, नारायण सिंह ठाकुर, श्याम सुंदर शुक्ला, रवि वर्मन, डॉ केदार शिवहरे, डॉ. आलोक सोनवलकर, दिलीप नामदेव, संतोश अठ्या, संजू पेंटर, आदि ने शंकर गुरू को सहज विनीत एवं शिष्यों के लिए समर्पित व्यक्तित्व बताया। बहुत से अन्य संगठनों और संस्थानों ने भी अपनी श्रद्धा और सम्मान व्यक्त किया। शायद सही संख्या का नुमान भी न लग सके। 
यह सब हुआ पर कभी कोई भी लहर नही आ सकती जो उनके ज्ञान रूपी सागर की भरपाई कर सके। हम नमन करते है उस सहज हंसी का जिसे हम बसन्त पंचमी में होने वाली सरस्वती पूजन में न पायेगे पर आप सदैव रहेंगे अपने शिष्य शिष्याओं में। आप हमेशां दमोह के कला जगत में बने रहेंगे।  मंचो पर जब जब प्रस्तुति देगे आप से कला सीखे आपके अपने अंश कहे जाने वाले कला प्रेमी तब तब आपकी मौजूदगी का अहसास होता रहेगा। हम आपको नही भूलेंगे और न ही वो कला निकेतन भूलेगा जिस साधारण भवन को जिले के कला और संस्कृति का केंद्र बना दिया था आपने। किसी शायर ने कहा है न जिस्म की मौत कोई मौत नहीं होती है----!

आप अब भी हैं हमारे आसपास कला की महक का अहसास दिलाते हुए बस आप नज़र आना बन्द हो गए।
                                                                                  --दमोह से नूतन पटेरिया  

PAU Ludhiana: पीएम मोदी ने महिलायों को बांटा चरखा

लुप्त हो रही संस्कृति और उद्योग को बचाने की पहल 
लुधियाना: 18 अक्टूबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लुधियान दौरे के दौरान पंजाब की लुप्त हो रही संस्कृति को भी देखा। शायद इस वीआईपी दर्शन से इस सांस्कृति में फिर से जान पड़ जाये। पीएम मोदी ने चरखा चलती महिलायों को पास से देखा। कभी यह चरखा हर घर  करता था। फिर इसे केवल महात्मा गाँधी से जोड़ दिया गया। उन  चरखा बहुत लोकप्रिय हुआ था लेकिन धीरे धीरे सभी तरह  लुप्त होता चला गया। अज्ज पीएम मोदी जब लुधियाना आये तो चरखा भी बाहर आया और इसे चलाने वाले हाथ भी नज़र आये। इन महिलाओं को बांटा गया चरखा लूट हो रहे मूल्यों को फिर से सम्भालने का एक संकेत भी था।  यह आयोजन उद्द्योगपतियों को सम्मानित करने के आयोजन से पहले किया गया। शायद इस चरखे को उद्योग का जन्मदाता मन कर अहमियत दी गयी। पीएम मोदी ने अपने भाषण के दौरान भी उस नए तकनीकी विकास का ज़िक्र किया जिसकी  वजह से एक स्थान से दुसरे स्थान तक आने जाने और अन्य मुश्किलें भी आसान हो रही हैं।  आयुर्वेद का भी ज़िक्र किया। चरखा बांटने से महिला सशक्तिकरण के अभियान को भी मज़बूती मिलेगी। चरखा चला कर यह महिलाएं कम से कम हर रोज़ 200/- रूपये कमा सकेंगे। भाषण के अंत में पीएम मोदी ने वायदा किया कि  वह जल्द ही दोबारा पंजाब दोबारा आएंगे और बठिण्डा अवश्य पहुंचेगे। 

PM Modi in Himachal:पंजाब पहुंचने से पहले हिमाचल में चली विकास की आंधी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया तीन बड़े प्रोजेक्‍टों का उद्घाटन
The Prime Minister, Shri Narendra Modi being welcomed by the Governor of Himachal Pradesh, Shri Acharya Devvrat and the Chief Minister of Himachal Pradesh, Shri Virbhadra Singh, at a function, in Mandi, Himachal Pradesh October 18, 2016.  मंडी: (हिमाचल प्रदेश): 18 अक्टूबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):बेशक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पीएम बनने के बाद पहली बार हिमाचल पहुंचे लेकिन लोगों के  अपना प्रभाव छोड़ने में कामयाब रहे।विरोध में चल रही प्रचार लहर का जवाब देते हुए उन्होंने मंडी में हो रही परिवर्तन रैली से पहले तीन बड़े प्रोजेक्‍टों का उद्घाटन किया। इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा, मैं काशी से लोकसभा का प्रतिनिधित्व करता हूं और आज मिनी काशी में आप लोगों को संबोधित कर रहा हूं।' बस इसी वाक्य से लोग उन्हें और अधिक ध्यान से सुनने लगे। 
पीएम मोदी ने कहा कि 40 साल से अटकी थी वन रैंक वन पेंशन योजना मैंने इसकी पहली किश्त साढ़े पाच हजार करोड़ रुपए दी। बाकी तीन किश्त भी जल्द ही दिए जाएंगे।
सेना के साथ भावकुता का रिश्ता जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि मुझे फौजी और उनके परिवार आशीर्वाद देते हैं। दुनिया में हमारी सेना के पराक्रम की चर्चा है। सेना की ताकत पर हमें गर्व है। उन्होंने कहा कि दुनिया में पहले इजरायल की चर्चा होती थी अब भारत का नाम भी शामिल है।भाजपा के सेवा कार्यों की भी उन्होंने चर्चा की। उन्होंने कहा कि बीजेपी के लोगों ने खुद को पानी और लोगों की सेवा में खपा दिया। ऐसा कह कर उन्होंने अन्य दलों के लिए एक उदाहरण भी प्रस्तुत किया। 
देश को हिमाचल प्रदेश उर्जा देता है। पुरानी फाइलों को ढूंढ कर परियोजनाओं पर फिर से काम किया जा रहा है। शौचालय से लेकर पनबिजली तक पर काम हो रहा है। नांगल बांध कलवारा परियोजना की फाइल 35 साल से ढूल फांक रही है। एलईडी के बल्द से हिमाचल में रोज एक करोड़ रुपए की बचत हो रही है। आज दिल्ली में ऐसी सरकार बैठी है जो जीवन के हर क्षेत्र में काम कर रही है। उन्होंने बहुत ही तरतीब से अपनी सरकार की उपलब्धयां गिनायीं और इन कामों को जनता से जोड़ क्र भी दिखाया। 

पीएम मोदी ने पहले काम किया बाद में चर्चा की। हिमाचल पहुंचने पर पीएम ने सबसे पहले मंडी के ऐतिहासिक पड्डल मैदान से एनएचपीसी के 520 मेगावाट पार्वती पावर स्टेशन और एसजेवीएनएल के 412 मेगावाट की रामपुर जल विद्युत स्टेशन और एनटीपीसी की आठ सौ मेगावाट की कोल डैम जलविद्युत परियोजना का उद्घाटन किया।
इस तरह लगता था जैसे विकास की आंधी चल पड़ी हो। मंडी और बिलासपुर जिला की सीमा पर सतलुज नदी पर बने आठ सौ मेगावाट क्षमता की कोल डैम परियोजना एनटीपीसी का पहला हाइड्रो प्रोजेक्ट है। यह प्रोजेक्ट उत्तरी ग्रिड को बिजली आपूर्ति करता है। दिसंबर 2003 में तकनीकी आर्थिक स्वीकृति और मुख्य डैम पैकेज का कार्य मिलने के बाद सतलुज नदी पर परियोजना का काम शुरू किया। इन कामों से आम जनता बेहद उत्साहित नज़र आ रही थी। 
उन्होंने इस काम में आई तकलीफों के साथ साथ इसके फायदे भी गिनवाए। इस प्रोजेक्ट में उत्पादित होने वाली बिजली में 12 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश को निशुल्क मिलेगी। परियोजना से प्रभावितों को प्रति माह 100 यूनिट बिजली निशुल्क दी जाएगी। इसके अलावा दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू व कश्मीर, चंडीगढ़ को बिजली आपूर्ति की जाएगी। उम्मीद करनी चाहिए कि उत्तर भारत में बिजली का संकट और कम होगा।       (Photos: PIB)

Monday, October 17, 2016

इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने आवेदन की तिथि बढ़ाकर की 18 अक्तूबर


2016-10-17 15:14 GMT+05:30
संगत दर्शन माध्यम से पुराने मामलों के निपटारे के लिए बढ़ाई तारीख 
बकाया जमा करवाने वालों को मिलेगी मुफ्त सीवरेज व पानी की सुविधा
लुधियाना: 17 अक्टूबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने 125 गज तक प्लाटों को मुफ्त पानी व सीवरेज उपलब्ध करवाने की तर्ज पर ट्रस्ट की तरफ से अलाट किए गए ईड्ब्लयूएस और एलआईजी फ्लैटों को भी मुफ्त पानी व सीवरेज की सहूलियत देने की घोषणा की है। मुफ्त सीवरेज व पानी की सहूलियत उन्हीं फ्लैट धारकों को मिलेगी जिसकी तरफ से ट्रस्ट की तरफ से 20-20 साल पुरानी रुकी किश्तों सहित अन्य बकाया राशि जमा करवाने का प्रमाण पत्र होगा। उपरोक्त जानकारी इम्प्रूमैंट ट्रस्ट के चेयरमैन  डा.सुभाष वर्मा ने प्रैस को लिखित बयान के माध्यम से दी। ट्रस्ट के अनुसार इस स्कीम का लाभ 2 लाख उपभोक्ताओं को सीधे तौर पर मिलेगा। वर्मा ने बताया कि ट्रस्ट ने सरकारी छुट्टियों के चलते संगत दर्शन के माध्यम पुराने व लंबित मामलों के निपटारे के लिए आवेदन जमा करवाने की अंतिम तिथि 17 अक्तूबर से बढ़ाकर 18 अक्तूबर मंगलवार तक बढ़ाकर आवेदनकर्ताओ को राहत प्रदान की है।

Sunday, October 16, 2016

देश में छुपे गद्दारों को बेनकाब किया जाना चाहिए : उसमान रहमानी

Sun, Oct 16, 2016 at 7:15 PM
अब्दुल नूर मजलिस अहरार इस्लाम के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त
मृतसर में लुधियाना से पहुंचे नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी अब्दुल नूर को नियुक्ति पत्र सौंपते हुए
अमृतसर:16 अक्तूबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):: 
आज यहां लुधियाना से आए पंजाब के नायब शाही इमाम व मजलिस अहरार इस्लाम हिन्द के महासचिव मौलाना मुहम्मद उसमान रहमानी लुधियानवी ने हाल बाजार स्थित मस्जिद सिकंदर खान में प्रैस कांफ्रेस के दौरान अमृतसर के युवा मुस्लिम नेता अब्दुल नूर को मजलिस अहरार इस्लाम पंजाब का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने का ऐलान किया। इससे पहले अब्दुल नूर अहरार पार्टी के अमृतसर के अध्यक्ष के रूप में सेवाएं दे रहे थे। वर्णनयोग है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुख्य भूमिका निभाने वाले अहरार पार्टी तत्कालीन पंजाब में मुसलमानों की एक मात्र मुख्य सियासी जमात है। इस अवसर पर संबोधित करते हुए नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी लुधियानवी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मुसलमानों का अहम योगदान रहा है और मुसलमानों ने हमेशा ही आपसी भाईचारे को बनाए रखने के लिए कुर्बानियां दी हैं। उन्होंने कहा कि इस्लाम धर्म को आतंकवाद से जोडऩा निंदनीय है, आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता। नायब शाही इमाम मौलाना उसमान ने कहा कि विदेशी आतंकियों को रोकने के लिए जरूरी है कि देश में छुपे हुए उन गद्दारों को बेनकाब किया जाए जो कि चांदी के चंद सिक्कों की खातिर अपना इमान बेचते हैं और देश से गद्दारी करते हैं। उन्होंने कहा कि ये गद्दार अंग्रेज के समय से ही दुश्मनों के टोडी बने हुए है। इस अवसर पर अहरार पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने पर अब्दुल नूर ने हाई कमान का धन्यवाद करते हुए कहा कि वह उन पर डाली इस बड़ी जिम्मेदारी को तन-मन-धन से निभाने की कोशिश करेगें। अब्दुल नूर ने कहा कि ये मेरे लिए गर्व व सम्मान की बात है कि स्वतंत्रता सेनानियों की पार्टी मजलिस अहरार में सेवा निभाने का अवसर मिल रहा है।इस अवसर पर डा. मोती उर रहमान, मुहम्मद अजमल, शौकत अली, कासिम अली, अब्दुल मलिक, नईम अहमद व लुधियाना से शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुहम्मद मुस्तकीम अहरारी विशेष रूप में उपस्थित थे।

Thursday, October 13, 2016

देश भर में ज़ोरदार रहा इप्टा पर हमले का विरोध

अभिव्यक्ति की आज़ादी के लिए इप्टा के  आए बहुत से संगठन 
दिल्ली//लुधियाना//इंदौर: 13 अक्टूबर 2016: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):  
हमला करने वालों ने सोचा होगा बस थोड़ी सी गुंडागर्दी और इप्टा खत्म। जो लोग बचेंगे उन के दिलों में भी हमारी दहशत। फिर डरे हुए कलाकार करेंगे हमारे फाशी  इरादों की प्रशंसा। पर हमला उल्टा पड़ा। इप्टा के साथ जुड़े हुए लोग भी एक बार फिर एकजुट हो गए और जो नहीं जुड़े थे वे भी इप्टा के समर्थन में आ गए। जम्मु, रांची, भिलाई, आगरा, दिल्ली, इंदौर और आंध्रप्रदेश में कलाकारों ने अपनी  कवितायों और गीतों से बुलन्द की फाशीवाद की गुंडागर्दी के खिलाफ आवाज़। 
दिल्ली में कर्यक्रम हुआ शाम चार बजे। जन समर्थक कला संगठन अभिव्यक्ति  के हक में खुल कर आए। इनमें इप्टा दिल्ली के साथ साथ जन नाटय मंच, जनवादी लेखक संघ, जुम्बिश आर्टस, निशांत नाटय मंच, मजमा, खिलौना, प्रोग्रेसिव राईटर्स एसोसिएशन  सहित बहुत से संगठन और मंच इस मकसद के लिए एकजुट हुए। 
इसी तरह आगरा में भी इप्टा के हक में कलाकार खुलकर आगे आए। आगरा और आसपास के  क्षेत्रों से जुड़े लोग अपने सभी काम छोड़ कर इस विरोध दिवस में शामिल हुए। अभिव्यक्ति की आज़ादी पर मंडराते खतरे के खिलाफ हर सच्चे कलाकार ने आवाज़ बुलन्द की। यहाँ भी भाषण थे, कविता थी, संगीत था और संकल्प का सागर। गुंडागर्दी के खिलाफ कलम ने मोर्चा सम्भाला। 
इंदौर वह जगह है जहाँ इस खतरे ने खुलकर अपना चेहरा दिखाया। इंदौर में भी कला और संस्कृति के क्षेत्रों सक्रिय लोग बढ़ चढ़ कर आगे आए। कलाकारों ने हमले के उस काले दिन चर्चा की। इसके जवाब में लगे इंक़लाब ज़िंदाबाद के नारे की चर्चा की और  जता दिया कि हम इस तरह के हमलों से डरने वाले नहीं।  साबित किया कि आम साधारण लोगों से जुड़े संगठन इस तरह डरा नहीं करते।  वे इस  तरह  कायरतापूर्ण हमलों से और मज़बूत होकर निकलते हैं। 
जम्मू में भी गूंजी इप्टा की आवाज़: युद्ध और अशांति जैसा माहौल होने के बावजूद यहाँ भी इप्टा के हक में ज़ोरदार आवाज़ गूंजी। कलाकार खुल कर सामने आए और इप्टा पर  हुए हमले का खुलकर विरोध किया। इस विरोध के बहाने दूर दूर रहने वाले कलाकार भी एक दुसरे के नज़दीक आए। देश विदेश का हर कलाकार सिद्धांत सूत्र में बंधा महसूस हुआ। इस विरोध दिवस से अहसास हुआ कि  कितनी प्यारी है हर कलाकार को अभिव्यक्ति की आज़ादी।  

Wednesday, October 12, 2016

यौमे आशूरा का दिन बड़ी ही बरकतों और रहमतों वाला है

Wed, Oct 12, 2016 at 3:52 PM

जो कौमे अपने शहीदों को भूल जाती हैं, उनका बजूद खत्म हो जाता है 
शाही इमाम पंजाब ने की आयोजन की अध्यक्षता 

लुधियाना: 12 अक्तूबर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):


आज यहां पंजाब की इतिहासिक जामा मस्जिद लुधियाना में  10 मुर्हरम यौमे आशूरा के मौके पर एक धार्मिक समारोह का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब-उर-रहमान सानी लुधियानवी ने की। समारोह की शुरूआत करते हुए कारी मोहतरम साहिब ने पवित्र कुरान शरीफ की तिलावत की और गुलाम हसन कैसर, हस्सान नसीरावादी ने अपना नातिया कलाम पेश किया। 

इस मौके पर पंजाब के शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने मुसलमानों के भारी जनसमूह को संबेाधित करते हुए कहा कि करबला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन शहीद (रजि.) ने इनसानियत को जालिमों के खिलाफ हक की आवाज बुलंद करने का वो सबक दिया है जिसे रहती दुनिया तक याद किया जाता रहेगा। 
शाही इमाम ने कहा कि आज आशूरा का दिन बड़ी ही बरकतों और रहमतों वाला दिन है। उन्होंने कहा कि आज के दिन रोजा रखना अल्लाह के रसूल हजरत मुहम्मद साहिब (स.) की सुन्नत है। उन्होंने कहा कि आज का दिन हमें ज्यादा से ज्यादा इबादत में लगाना चाहिए। शाही इमाम ने कहा कि जो लोग यह समझते हैं कि सिर्फ दान देकर वह रब को राजी करना चाहते हैं तो वह गलत सोचते हैं। दान देने से पहले अपने कर्म अल्लाह के हुकम अनुसार करने होंगे। 
शाही इमाम पंजाब ने कहा कि यौमे आशूरा के दिन ही अल्लाह पाक ने जमीन, आसमान, हवा, पानी, इंसान और हर चीज को बनाया और 10 मुहर्रम यौमे आशूरा के दिन ही कयामत आयेगी। शाही इमाम ने कहा कि आज के दिन हमें अपने घरवालों पर दिल खोलकर खर्च करना चाहिए और इस दिन गरीबों की मदद भी करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जो भी मुसलमान किसी यतीम को अच्छा खाना खिलाता है, अच्छे कपड़े पहनाता है और बाद में उसी यतीम के सिर पर प्यार से हाथ फेरता है तो जितने भी बाल उस हाथ के नीचे से निकलेंगे अल्लाह पाक उसको हर बाल के बदले में नेकियां देते हैं। 
उन्होंने कहा कि करबला के मैदान में जो कुछ भी हुआ, उससे नौजवान नस्ल को सबक लेना चाहिए। शाही इमाम ने कहा कि हमारे बच्चों को यह जानकारी होनी चाहिए कि इस्लाम धर्म के लिए हजरत इमाम हुसैन (रजि.) ने कैसी-कैसी कुर्बानियां दी हैं। उन्होंने कहा कि जो कौमे अपने शहीदों को भूल जाया करती हैं, उनका बजूद खत्म हो जाया करता है। शाही इमाम ने कहा कि मुसलमान इस बात को अच्छी तरह समझ लें कि करबला के शहीदों की कुर्बानियों को कभी भी भूलाया नहीं जा सकता।
उन्होंने कहा कि हजरत इमाम हुसैन (रजि.) का दर्जा बहुत बड़ा है इमाम हुसैन (रजि.) हजरत मुहम्मद साहिब (स.) के नवासे हैं और हजरत मुहम्मद साहिब (स.) को इनसे बहुत प्यार था। उन्होंने कहा कि शहीद सब के होते, वो कौम का सरमाया होते हैं, उन्हें बांटा नहीं जा सकता। शाही इमाम मौलाना हबीब-उर-रहमान ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन (रजि.) ने करबला के मैदान से जो शिक्षा हमें दी है, उस पर अमल करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हक की आवाज बुलंद करने वाले, जालिमों के खिलाफ आवाज उठाने वाले ही इमाम हुसैन (रजि.) के सच्चे आशिक हैं। 
शाही इमाम ने कहा कि आज यौमे आशूरा का दिन जहां हमें हजरत इमाम हुसैन (रजि.) की कर्बुानियों से सबक देता है, वहीं अपने देश के प्रति भी कुर्बानी देने की प्रेरणा देता है। इस मौके पर शाही इमाम पंजाब ने देश में आपसी भाईचारे और अमन शांति के लिए दुआ भी करवाई।
इस मौके कारी अलताफ-उर-रहमान लुधियानवी, कारी मुहम्मद मौहतरम सहारनपुरी, मौलाना अतीक-उर-रहमान फैजाबादी, नायब शाही इमाम पंजाब मौलाना उसमान रहमानी, मुफ्ती मुहम्मद जमालुद्दीन, मौलाना कारी मुहम्मद इब्राहिम, अंजुम असगर, तनवीर खान, शाकिर आलम, मुहम्मद खालिद, परवेज आलम व शाही इमाम के सचिव मुहम्मद मुस्तकीम आदि विशेष रूप से उपस्थित थे।