Sunday, July 31, 2016

69 वर्षों के बाद बन रही है गाँव गालिब रणसिंह में मस्जिद

Sun, Jul 31, 2016 at 3:22 PM
1947 में भी नहीं छोड़ा था मुस्लिम परिवारों ने गाँव 
लुधियाना31 जुलाई 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): : 
जिला के गांव गालिब रणसिंह में आज सभी धर्मो के सदस्यों के साथ शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने गांव में बनाई जाने वाली मस्जिद हजरत अबूबकर का नींव पत्थर रखा। इस अवसर पर विशेष रूप से नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उसमान रहमानी लुधियानवी, गालिब रणसिंह के सरपंच जगदीप कौर पत्नी हरसिमरन सिंह, मैंबर रजिन्द्र सिंह, मैंबर रछपाल सिंह, मैंबर चैंचल सिंह, मैंबर सुखविन्द्र सिंह, मैंबर दविन्द्र सिंह, डा. इदरीस, बिलाल खान, मुहम्मद फुरकान, बबलू खान, मौलाना मुमताज व अन्य गणमान्य विशेष रूप में उपस्थित हुए। इस मौके पर संबोधित करते हुए शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कहा कि मस्जिद खुदा का घर है और इसके दरवाजे हमेशा सभी के लिए खुले है। उन्होनें कहा कि सभी धर्म एकता, प्यार और भाईचारे का संदेश देते है। शाही इमाम ने कहा कि ये प्रत्येक हिन्दूस्तानी के लिए गर्व की बात है कि भारत विश्व का सर्वधर्म देश है और यहां हर एक व्यक्ति को अपने धर्म का पालन करने की पूर्ण आजादी है। शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान ने कहा कि विदेशी और कट्टरपंथी ताकतें देश में सर्वधर्म एकता को तोडऩे की कोशिश करती रहती है, लेकिन वतन के हिन्दू, सिख, मुसलमान व अन्य वर्गो के लोग आपसी एकता के बल पर ऐसी साजिशों को नाकाम कर देते है। शाही इमाम ने कहा कि इस्लाम को आंतकवाद के साथ जोड़ कर देखना गलत है। इस्लाम अमन का संदेश देता है। समाज में ऊंच-नीच फैलाने वाली ताकतें ही इस्लाम के खिलाफ भ्रम पैदा करना चाहती है। उन्होनें कहा कि पंजाब भारत वर्ष में कौमी एकता की एक जिंदा मिसाल है। शाही इमाम ने कहा कि ग्राम पंचायत ने मस्जिद बनाने के लिए जगह देकर कौमी एकता को ओर बल दिया है। ग्राम पंचायत के सरपंच जगदीप कौर ने कहा कि उनका गांव हमेशा ही सभी धर्मो का सत्कार करता आया है। उन्होनें कहा कि हम सब गांव वाले मस्जिद के निर्माण में शाही इमाम जी का हर तरह से साथ देगें। वर्णनयोग है कि इस खुशी के मौके पर गांव गालिब रणसिंह की पंचायत की ओर से शाही इमाम जी को सम्मानित किया गया। गांव के मुस्लिम निवासी मुहम्मद रफी, लियाकत अली, अनवर अली, इस्माइल मुहम्मद, सादिक अली, इकबाल मुहम्मद, खुदा बख्श, अब्दुल मजीद, सरदार अली, रसीक मुहम्मद, असलम अली, हमजद अली, अकरम अली, शमी खान, रेशम अली, तरसेम अली, शमशेर अली, अंग्रेज अली, संजीव अली, शाहरूख खान, शहजाद अली, मुहम्मद सनवर, जाफिर अली, अमीर मुहम्मद, साहिल खान, मुहम्मद जुलफकार ने शाही इमाम साहिब द्वारा गालिब रणसिंह, गालिब कलां की पंचायत के सदस्यों को सम्मान चिन्ह भेंट किए। 

Friday, July 29, 2016

जनविरोधी बैंकिंग सुधारों का नाश हो--हड़ताली बैंक मुलाज़िमों का श्राप

भारी बारिश भी नहीं रोक पायी बैंक मुलाज़िमों का जोश 
लुधियाना; 29 जुलाई 2016:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो);
यूनाईटेड फारम आफ बैंक यूनियन्स के आहवान पर, एक मिलीयन बैंक कर्मचारी एवं अधिकारी आज जनविरोधी बैंकिंग सुधारों के विरुद्ध एक दिवसीय अखिल भारतीय हड़्ताल पर हैं । निर्णय के अनुसार, यूनाईटेड फारम आफ बैंक यूनियन्स (लुधियाना इकाई) ने केनरा बैक, भारत नगर चौंक, लुधियाना के सामने जोरदार प्रदर्शन किया । कामरेड नरेश गौड़, संचालक, यूनाईटेड फारम आफ बैंक यूनियन्स, कामरेड पवन ठाकुर, प्रधान, पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना इकाई), कामरेड संजय शर्मा, उप प्रधान, आल इण्डिया बैंक आफिसर्स कन्फैडेरेशन, लुधियाना अंचल, कामरेड जे पी कालड़ा, प्रधान, स्टेट बैंक आफ इण्डिया आफिसर्स एसोसिएशन, कामरेड इकवाल सिंह, सहायक महा सचिव, स्टेट बैंक आफ इण्डिया स्टाफ एसोसिएशन, कामरेड डी पी मौड़, महा सचिव, ज्वाईंट काउंसिल आफ ट्रेड यूनियन्स ने बैंक कर्मचारियों एवं अधिकारियों को संबोधित किया । इस अवसर पर कामरेड अशोक मल्हन, कामरेड राजेश वर्मा, उप प्रधान, पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना इकाई) एवं कामरेड प्रवीण मोदगिल, संचालक, वूमैन सैल, पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन भी उपस्थित रहे ।     

बैंक कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कामरेड नरेश गौड़ ने कहा कि हम सभी जानते हैं कि सरकार  बैंकिंग सुधार उपायों को एक प्रकार से अथवा दूसरे रुप में आगे बढाना चाहती है इसके पीछे मौलिक विचार सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकिंग को कमजो़र करना तथा छिन्न-भिन्न कर देना है और निजी क्षेत्र की बैंकिंग को बढ़ावा देना है हम निरन्तर ऐसी योजनाओं से लड़्ते रहे हैं हमने संघन अभियान, आन्दोलन, संघर्ष और हड़ताली कार्यवाहियाँ इस सभी उपायों के विरुद्ध खड़ी की है हम वास्तविक रुप से गर्व अनुभव कर सकते हैं कि इस सभी लगातार प्रयासों के कारण जिस गति से इन सुधार कार्यक्रमों का प्रस्ताव लागू करने के लिए किया गया था उस पैमाने पर नहीं लागू हो सके किन्तु हम जानते हैं कि सरकार अपने पंजों के बल अपनी कार्यसूची को किसी भी प्रकार लागू करने के लिए खड़ी है
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय के लिए भी घोषणा की है पहले ही आरबीआई ने काँर्पोरेट एवं औद्दोगिक घरानों को लाईसैंस देने की योजना की घोषणा की है आरबीआई ने इससे आगे लघु निजी बैंकों और भुगतान बैंकों की स्थापना के लिए भी दिशानिर्देश जारी कर दिये हैं अत: यह हमारे बैंकिंग क्षेत्र को अधिक से अधिक निजी हाथों में देने का एक ठोस प्रयास है  बैंकिंग उद्दोग में हमें पहले ही पता है कि सरकार अपने कथित सुधारों के निरंतर प्रयास आगे बढ़ा रही है, जिसकी कार्य सूची में प्राथमिकता के आधार पर बैंकों का निजीकरण सुदृढ़ीकरण और विलय आदि है । अधिक से अधिक निजी पूंजी और सीधे विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया  जा रहा है । क्षेत्रिय ग्रामीण बैंकों के निजीकरण का प्रयस चल रहा है और इस संदर्भ में हमारी यूनियनों के विरोध के बावजूद संसद में इस संदर्भ में विधेयक पारित कर दिया गया है । प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों में (पीएसी) समेटे जाने के खतरे में है । शहरी साहकारी बैंक लाईसेंस समाप्त किये जाने के खतरे   में हैं। निजी क्षेत्र के कार्यकारियों को सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों में थोपा जा रहा है । बिना किसी ढांचागत सुविधा और कर्मचारियों के बढाए सरकारी नीतियों को सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों पर थोपा जा रहा है । बैंक अधिकारियों को काम के नियमित घंटों से वंचित किया जा रहा है । स्थाई और नियमित कार्यों को ठेका आधार पर आउट्सोर्स किया जा रहा है और ठेका कर्मचारियों का शोषण किया जा रहा है । सरकार अपनी कार्य सूची पर आगे बढ़ रही है और श्रम संगठनों से बिना समुचित विचार विमर्श किये बिना श्रम कानूनों को संशोधित करेगी ।      

बैंकिंग क्षेत्र के सुधारों के नाम पर, बैंकों के निजीकरण के प्रयास किये जा रहे हैं जिससे कि उन्हें निजी कार्पोरेटों के हाथों सौंपा जा सके जिससे वह जनता की बहुमूल्य बचत को और लूट सकें । बैंकों के एकीकरण का प्रयास, उन्हें बड़ा बनाने और उन्हें वैश्वीकृत करने का है जबकि बैंकों का विस्तार और जन सामान्य तक उनकी पहुंच बढाना अधिक आवशयक था ।  पहले ही हमारे बैंक खराब ऋणों की खतरनाक वृद्धि के कारण लहूलुहान हैं, कार्पोरेटों तथा बड़े व्यवसायियों के जानबूझकर चूक करने के कारण ऐसा है । अपराधियों के विरुद्ध कठोर कदम उठाने और ऋणों की वसूली के स्थान पर, प्रयास किये जा रहे हैं कि उन्हीं चूककर्ताओं को बैंक सौंप दिये जायें । यह बहुत ही स्पष्ट है कि उनके बैंकिंग सुधारों की सभी बातें और विलय तथा एकीकरण के प्रस्ताव केवल एक हथकण्डा और खेल का तरीका है जिससे कि लोगों का ध्यान इस बड़े पैमाने पर बैंकों के खराब ऋणों से हटाया जा सके ।  हमारे देश की आवश्यकता एक सुदृढ़ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक हैं न कि अनावशयक रुप से बड़े बैंक जिनका वैशिवक आकार हो । हमारे देश की आवश्यकता बैंकिंग के विस्तार की है न कि बैंकों का एकीकरण और जनता के लिए बैंकिंग सेवाओं का संकोचन की । खराब ऋणों की चिन्ताजनक वृद्धि जो कि लगभग 13 लाख करोड़ तक पहुंच गये हैं पर ध्यान केन्द्रित किया जाना चाहिए । कठोर कदम उठाकर उस धन को वापस लेने के प्रयास किये जाने चाहिए न कि हड़बड़ी में प्रावधानों, बट्टे खाते डालने, सीडीआर तथा एसडीआर के माध्यम से ढकने के ।

यदि ऋण खराब रुप से मंजूर किये गये हैं, सम्बंधित कार्यकारियों पर कार्यवाही की जानी चाहिए । यदि कर्जदारों ने बैंक को छला है, तो चूककर्ता के विरुद्ध फौज़दारी मामला लागू करना चाहिए ।  खराब ऋणों के लिए प्रावधान करना, तुलन पत्र को साफ सुथरा बनाना और बैंकों को फिर घाटा देने लायक बना देना समस्या का समाधान नहीं है । यह स्पष्ट है, ये सभी बड़े खराब ऋणों के लिए जवाबदेही से बचने केलिए केवल बंटाने की रणनीति है । किंगफिशर माल्या हिम्शिला का केवल शिखर है । बैंकों में खराब ऋणों के सागर में बहुत अधिक शार्क हैं । क्यों चूककर्ताओं की सूची उनके द्वारा प्रकाशित नहीं की जा रही है? क्यों आपराधिक कार्यवाही जानबूझकर कार्पोरेट चूककर्ताओं पर नहीं की जा रही है? क्यों उन सभी के साथ मखमली व्यवहार किया जा रहा है? क्यों इन चूककर्ता कम्पनियों में इक्विटी निवेश के रुप में खराब ऋणों को बदलने के प्रयास हैं । क्या यह सरकार की कार्पोरेट शासन प्रणाली तथा सुशासन प्रणाली नीति है? आडीबीआई बैंक में, 10 वर्ष पूर्व, लगभग रुपए 9000  करोड़् के खराब ॠण उनकी किताबों से बाहर कर दिये गये । अब पुन: रुपए 19000 करोड़ के खराब ऋण हैं । इन खराब ऋणों की वसूली की कार्यवाही करने के स्थान पर, सरकार बैंक का निजीकरण कर उन्हीं निजी क्षेत्र के हाथों में बेच देना चाहती है जो कि आईडीबीआई बैंक में इन सारी तादाद चूक के लिए जिम्मेदार हैं। 

Thursday, July 28, 2016

पंजाब सरकार के आश्वासन पर राज्य स्तरीय प्रदर्शन स्थगित

Thu, Jul 28, 2016 at 5:03 PM
अल्पसंख्यकों पर जबरदस्ती सहन नहीं होगी: शाही इमाम पंजाब
लुधियाना: 28 जुलाई 2016:(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
आज यहां फील्डगंज चौंक स्थित ऐतिहासिक जामा मस्जिद में पंजाब सरकार व पुलिस प्रशासन के अधिकारियों ने मुस्लिम समाज के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर अमन-शांति और आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की गई। मीटिंग में पंजाब सरकार के वरिष्ठ सदस्य जत्थेदार हीरा सिंह गाबडिय़ा चेयरमैन योजना बोर्ड लुधियाना, डिप्टी कमिश्नर पुलिस-1 जोगिन्द्र सिंह, एसडीएस परमजीत सिंह, एसीपी सैन्ट्रल अमनदीप बराड़, एसीपी नार्थ रवनीश चौधरी, बाबा अजीत सिंह विशेष रूप से उपस्थित थे। इस मौके पर शाही इमाम पंजाब मौलाना हबीब उर रहमान सानी लुधियानवी ने कहा कि पाकिस्तान और अलगाववादियों की हम हमेशा निंदा करते रहे है लेकिन इस नाम पर पंजाब में सस्ती राजनीतिक रोटीयां सेकने के लिए अल्पसंख्यकों के साथ अगर गुंडागर्दी करने की कोशिश की गई तो उसे हरगिज बर्दाशत नहीं किया जाएगा। शाही इमाम ने कहा कि काला दिवस के ऐलान को लेकर कुछ कट्टरपंथीयों में घबराहट पाई जा रही है जबकि हमने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि अगर गुंडागर्दी न रूकी तो काला दिवस मनाएगें लेकिन इस बीच प्रशासन लगातार काम कर रहा है। शाही इमाम ने स्पष्ट कहा कि अगर किसी ने पंजाब का अमन खराब करने की कोशिश की तो हर हालत में काला दिवस मनाया जाएगा। उन्होनें कहा कि प्रदेश के हिन्दू, सिख, मुसलमान, इसाई, दलित भाईचारे के लोग आपस में प्रेम करने वाले है, जिसे सिर्फ गिनती के शरारती तत्व तोडऩा चाहते है, इस साजिश को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। शाही इमाम ने कहा कि कट्टरपंथी लुधियाना के उद्योग और व्यापार को नुकसान पहुंचा रहे है। कश्मीर समेत विश्वभर से आने वाले मुस्लिम व्यापारी भी यहां पर दिखाए जा रहे कट्टरवाद की वजह से अपने व्यापारिक सबंधों पर विचार करने लगे है। उन्होनें कहा कि कोई भी धर्म किसी एक अपराधी की सजा किसी दूसरे को देने की इजाजत नहीं देता। चेयरमैन हीरा सिंह गाबडिय़ा ने कहा कि पंजाब देश में भाईचारे की मिसाल है। पंजाब सरकार सभी धर्मो का सम्मान करती है। किसी भी कट्टरपंथी को प्रदेश में अमन खराब करने की छूट  नहीं दी जा सकती। गाबडिय़ा ने कहा कि हम मुस्लिम समाज के आभारी है जिन्होंने पंजाब सरकार के आश्वासन पर प्रदेश भर में मनाए जाने वाले काले दिवस को स्थगित कर दिया है।  इस अवसर पर लुधियाना पुलिस के डिप्टी कमिश्नर-1 श्री जोगिन्द्र सिंह ने आश्वासन दिया कि शहर में अमन-शांति भंग करने वालों के खिलाफ कड़ी कारवाई की जाएगी और जिन लोगों के खिलाफ एफआरआई दर्ज है, उन्हें जल्दी गिरफ्तार किया जाएगा। इस मौके पर शहर के सभी मुस्लिम नेताओं ने पंजाब सरकार और पुलिस के आश्वासन पर सहमति का इज्जहार करते हुए काला दिवस मनाए जाने के ऐलान को स्थगित करते हुए कहा है कि अगर गिरफ्तारी न हुई तो आने वाले दिनों में राज्य स्तरीय प्रदर्शनों की रणनीति बना कर शाही इमाम ऐलान करेगें। इस मौके पर मौलाना फारूख, नायब शाही इमाम मौलाना उसमान रहमानी लुधियानवी, डा. सिराजदीन बाली, बिलाल खान, मुहम्मद जफर,  नसीम अंसारी, हाजी नौशाद, अल्ताफ जोशन, रहीस शाह, इरशाद, मुहम्मद रफीक, मुजीबु रहमान, शहजाद आलम, सज्जाद आलम, अंजुम असगर, डा. इदरीस, सिराजदीन अंसारी, मुहम्मद यूसुफ, डा. इसलाम, शेख अशरफ, कारी अल्ताफ  उर रहमान, मुहम्मद मेहराज, नय्यर आलम, मुहम्मद फुरकान, मुहम्मद कुलबुल, नासिर बनारसी, सूरज अंसारी, जिया उल हक, मुहम्मद रियाज सलमानी, मुहम्मद खालिद, अबू बकर, एहतशाम, डा. मुशताख, मुहम्मद तनवीर,मास्टर अब्दुल रहमान, सदरे आलम, एम.डी. नौशाद, एम.एच.बगगा, अनवर हुसैन, अकरम ढंडारी व शाही इमाम पंजाब के मुख्य सचिव मुहम्मद मुसतकीम भी मौजूद थे। 
फोटो कैप्शन : शरारती तत्वों की गिरफ्तारी के लिए शाही इमाम मौलाना हबीब उर रहमान व मुस्लिम समाज के प्रतिनीधि मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल के नाम मांग पत्र एसडीएम परमजीत को सौंपते हुए। उनके साथ चेयरमैन हीरा सिंह गाबडिय़ा, एडीसीपी-1 जोगिन्द्र सिंह, एसीपी सैन्ट्रल अमनदीप बराड़, बाबा अजीत सिंह व अन्य।

उपन्यास ‘’चित्रांश" की समीक्षा हेतु विशेष आयोजन

Wed, Jul 27, 2016 at 2:08 PM
मध्यप्रदेश राज भाषा समिति की सदस्य सुश्री प्रेमलता नीलम ने भी की समीक्षा 
दमोह: (मध्यप्रदेश): 26 जुलाई 2016: (नूतन पटेरिया//पंजाब स्क्रीन)::
किताबों के बहाने होती चर्चा से समाज की गिरावट तक रुकी हुई है। गैर किताबी संचार साधनों के ज़रिये जिस आधुनिकता की अंधी ज़ोरों से चल रही है वह तबाहकुन है। किताबोंकी चर्चा के कारण बहुत सी परम्पराएं अभी जीवित हैं जिनके ज़रिये समाज में नैतिक मूल्य अभी भी बाकी बचे हुए हैं। मंगलवार 26 जुलाई को एक ऐसा ही मंगल अवसर था दमोह में जिसमें कुछ जानेमाने हस्ताक्षर एक साथ मौजूद थे। मध्यप्रदेश राष्ट्र भाषा प्रचार समिति भोपाल जिला दमोह के तत्वाधान में सरस्वती शिशु मंदिर के सभागार में विनोद कुमार श्रीवास्तव लिखित उपन्यास ‘’चित्रांश" (वेदिक्कालिन प्रयोगधर्मी उपन्यास) की समीक्षा हेतु आयोजन किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि वरिष्ट साहित्यकार श्री विमल लहरी और अध्यक्ष श्री ओजेंद्र तिवारी रहे। उपन्यास की समीक्षा मध्यप्रदेश राज भाषा समिति की सदस्य सुश्री प्रेमलता नीलम, श्री रामकुमार तिवारी सहायक प्राध्यापक, श्री श्याम सुंदर शुक्ल वरिष्ट साहित्यकार एवम नूतन पटेरिया द्वारा प्रस्तुत की गयी। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉ प्रेमलता नीलम एवम आभार डॉ रघुनंदन चिले ने किया। कार्यकर्म में श्रीमती पुष्पा चिले, हेमलता दुबे, कुसुम खरे श्री अमर सिंह, आनन्द जेन, श्री मनीष रैकवार उपसिथत रहे।

Wednesday, July 27, 2016

दुनिया भर के हर 12 लोगों में से 1 व्यक्ति को है हैपाटाइटिस का खतरा

Wed, Jul 27, 2016 at 4:32 PM
पंजाब में इसकी हालत काफी खतरनाक हो चुकी है
लुधियाना: 27 July 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
एसपीएस हॉस्पिटल के गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के मुखी व सीनियर कंसल्टेंट डॉ. निर्मलजीत सिंह मल्ही ने कहा कि हैपाटाइटिस का खतरा इतना बढ़ गया है कि दुनिया भर में हर 12 में से 1 व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में है। पंजाब में इसकी हालत काफी खतरनाक हो चुकी है। क्योंकि हैपाटाइटिस सी लिवर कैंसर का कारण भी बनने लगा है।
वल्र्ड हैपाटाइटिस डे की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉ. मल्ही ने कहा कि एसपीएस हॉस्पिटल में एक हफ्ते के लिए हैपाटाइटिस स्क्रीनिंग कैंप लगाया गया था। जिसमें करीब 600 लोगों के टेस्ट किए गए। उन्होंने बताया कि 28 जुलाई को मनाए जा रहे हेपाटाइटिस डे का थीम नो हेपाटाइटिस एक्ट नाओ रखा गया है। क्योंकि  यह बीमारी दुनिया भर के लए खतरा बनती जा रही है, इस कारण इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन सबमें खतरनाक हेपाटाइटिस सी है। क्योंकि इसके शुरूआती लक्षण जल्दी नजर नहीं आते। जबकि अगली स्टेज पर जाकर इससे लिवर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। इससे लिवर डैमेज हो जाता है। पंजाब में दूसरे राज्यों के मुकाबले एचसीवी की ज्यादा इंफेक्शन देखी गई है। ज्यादातर पंजाबी हेपाटाइटिस सी के शुरूआती लक्षण नहीं होने के कारण इसकी इंफेक्शन से अंजान हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि हेपाटाइटिस सी की कोई वैक्सीन नहीं बनी है। केवल लगातार जांच कराकर और जरूरी तरीके अपनाकर ही इससे बचा जा सकता है।
विभाग के ही कंस्लटैंट डॉ. विक्रमजीत सिंह संधू ने कहा कि नशेडिय़ों द्वारा एक ही सीरिंज का ग्रुप में इस्तेमाल करना भी एचसीवी का मुख्य कारण है। टैटूज बनवाना, एक-दूसरे का टुथ ब्रश इस्तेमाल करने, बिना जांच किए ब्लड चढ़ाना और एचआईवी इंफेक्टेड लोगों से इसकी इंफेक्शन होने का खतरा ज्यादा रहता है। डॉ. अमित सोनी ने कहा कि पंजाब में हो रहे लिवर कैंसर का एक बड़ा कारण हेपाटाइटिस सी भी है। हॉस्पिटल में लगाए गए स्क्रीनिंग कैंप के दौरान हेपाटाइटिस सी के कई पॉजिटीव मरीज मिले हैं। डॉ. मल्ही ने बताया कि इस बीमारी के इलाज को लेकर हुए अविष्कार के बाद मार्च 2015 से भारत में इसका इंजेक्शन से होने वाला इलाज फ्री उपलब्ध हो गया है। अब इसके लिए नई गोलियां भी मार्केट में आ चुकी हैं, जिनसे साइड इफेक्टेड रहित और 95 प्रतिशत तक सफल इलाज होता है। 
मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. उवेद ने कहबा कि डॉ. मल्ही की अगवाई में गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग लुधियाना और इसके आसपास के इलाकों में फ्री स्क्रीनिंग कैंप और अवेयरनेस लेक्चर का आयोजन करता आ रहा है। इससे पंजाब को हेपाटाइटिस से बचाने में मदद मिल सकेगी।


"काश ! नामधारी पंथ ने भी माता जी को गुरु मान लिया होता।"

निरंकारी समुदाय ने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया
हमारे महान देश भारत  की गौरवमयी सभ्यता के अनुसार जहाँ महान अवतारों जैसे भगवान् श्री विष्णु जी , भगवान् श्री रामचन्द्र जी , श्री सतगुरु नानक देव जी , श्री सतगुरु गोबिन्द सिंह जी आदि की आराधना की जाती है वहीँ लक्ष्मी माता , दुर्गा माता ,सीता माता जैसी देवीयों तथा देवी स्वरूप माताओं को भी पूजनीय स्थान दिया जाता है। श्री सतगुरु गोबिन्द सिंह जी ने तो माता साहिब देवां जी को समूचे खालसा पंथ की माता होने का मान बक्शा तथा गुरबाणी में भी माताओं  को बार बार धन्य कहा है। जैसे :- 
धन्नु सु वंसु  धन्नु सु पिता धन्नु सु माता जिनि जन जणे।। (११३५ )  
धनु जननी जिनि जाइिआ धन्नु पिता परधानु।।  (३२ )
धनि धनि तू माता  देवकी। जिह गृह रमईआ कवलापती।। २।। (९८८  )  
इसी तरह नामधारी पंथ के मुखी श्री सतगुरु जगजीत सिंह जी की धर्मपत्नी शांतमूरत श्री माता चंद कौर जी का नाम भी इसी श्रेणी में आता है। जिन्होंने अपना सारा जीवन पंथ की सेवा में ही बिता दिया। उन्होंने श्री सतगुरु जगजीत सिंह जी के पावन चरणों में रह कर देश की आज़ादी के बाद लोगों को इलाकों को बसाने , आबाद करने तथा उन्हें उन्नति के शिखर तक पहुँचाने में माता जी ने सतगुरु जी के साथ मुख्य भूमिका निभाई। उन्होंने श्री सतगुरु राम सिंह जी द्धारा चलाये हुए सदाव्रत लंगर की सेवा के अलावा तीखी धूप में अपने सिरों पर टोकरियां उठा कर तथा अपने हाथों से बजरी आदि कूटकर गुरु घर की इमारतों की उसारी करवाई। अनेक गरीबों तथा दुखियो की सेवा की। श्री सतगुरु जी द्वारा चलाये गए सवा लाख पाठों को सम्पूर्ण करवाया आदि। 
ऐसी महान हस्ती सर्व गुण सम्पन्न थीं माता जी।  श्री ठाकुर दलीप सिंह जी ने उनकी महानता का वर्णन अपनी अलौकिक फोटोग्राफी से माता जी की मनमोहक तस्वीरें तैयार कर के उसमें दर्शाया था तथा उन्हें सेवा के प्रत्य्क्ष स्वरुप, शांत मूरत, जगत माता आदि उपनामों से सम्बोधित कर सभी नामधारी परिवारों में सप्रेम भेंट स्वरुप दी। इसके साथ ही ऐसे पूजनीक माता जी की निन्दा करने से भी वर्जित किया था। संभव है कि उस समय भी कुछ मनमुख लोग माता जी की निंदा करते होंगे। उसके बाद दिसंबर २०१२ में नामधारी पंथ के मुखी  श्री सतगुरु जगजीत सिंह जी के ब्रह्मलीन हो जाने के बाद पंथ में कुछ दरारें आती देख पंथ को एकजुट करने के लिए श्री ठाकुर दलीप सिंह जी ने यह निर्णय लिया कि इस समय माता जी ही पंथ की सर्वोच्च हस्ती हैं हम उनको सद्गुरु रूप में स्वीकार कर पंथ को टूटने से बचा सकते हैं और केवल कहा ही नहीं बल्कि श्री सतगुरु जगजीत सिंह जी के गुरुद्धारा श्री जीवन नगर में हो रहे श्रद्धांजली समारोह के दौरान श्री माता  चंद  कौर जी की तस्वीर को सतगुरु जगजीत सिंह जी की तस्वीर के साथ सुशोभित कर सारी संगत को नमस्कार  करने तथा अरदास में उनका नाम शामिल कर के अरदास करने का हुक्म किया। ऐसे समय में श्री ठाकुर दलीप सिंह जी  ने सद्गुरु जगजीत सिंह जी की ओर से उनके सेवक डॉ. इक़बाल सिंह जी द्धारा भेजे गए गद्दी के उत्तराधिकारी होने के हक़ को त्याग कर दूरदृष्टि से ये सोचा कि इस परिस्थिति में केवल माता जी के चरणों में सीस झुका कर ही सारा पंथ इक्कठा हो सकता है। संगत के लिए ये सब कोई मुश्किल काम नहीं था क्योंकि श्री माता चंद कौर जी तो पहले से ही महान हस्ती श्री सतगुरु जगजीत सिंह जी की धर्मपत्नी होने के नाते पूजनीय थी और श्री ठाकुर दलीप सिंह जी को माता जी से पूरी आशा थी कि वे पंथ को बिखरने से टूटने से बचा लेंगी क्योंकि वे ऐसे महान प्रयास पहले भी कर चुकी थी।
पर सारी संगत ने इनके हुकम का पूरी तरह पालन नहीं किया, वे असमंजस में पड़ गए वे ठाकुर दलीप सिंह जी से वाद विवाद करने लग गए।क्योंकि कई मतलबपरस्त तथा स्वार्थी लोगों को शायद यह खतरा पैदा हो गया कि यदि माता जी गुरुगद्दी पर बिराजमान हो गये तो वे गुरुघर की सम्पति पर कब्ज़ा कैसे करेंगे।भैणी साहिब में रहने वाले ठाकुर उदय सिंह,संत जगतार सिंघ तथा हंसपाल आदि ने तो इस बात पर बहुत टीका-टिप्पणी की।वे कहने लगे कि एक स्त्री गुरु कैसे हो सकती है ? ये तो नामुमकिन है। जबकि गुरबाणी में सतगुरु के अनेक लक्षण लिखे हैं पर ऐसा कहीं नहीं लिखा कि एक स्त्री गुरु नहीं बन सकती।पर हमेशा कुछ स्वार्थी और लालची लोग अपने स्वार्थ के लिए समाज की हानि करते आये हैं और यहाँ भी यही परिणाम हुआ कि पंथ का बहुत नुकसान हुआ पंथ गुटों में बंट गया और एकता के इच्छुक माता जी को पंथ की महान सेवा करते हुए अपना बलिदान देना पड़ा। काश ! नामधारी समुदाय ने माता जी को सतगुरु रूप में स्वीकारा होता। माता जी एक सद्गुरु रूप में बिराजमान होते तो हमें ऐसी संकट की घड़ी ना देखनी पड़ती। हम उनके पावन सानिध्य का आनंद ले रहे होते और समाज व देश के लिए महान मिसालें कायम करने वाला नामधारी पंथ आज इस कगार पर असमंजस में ना खड़ा होता।
पर इसके साथ ही हम ये बात भी बड़े गर्व से बताना चाहते हैं कि सन 2012 में श्री ठाकुर दलीप सिंह जी ने नामधारी पंथ की एकता को कायम रखने के लिए श्री माता चंद कौर जी को गुरु मानने के लिए जो हुक्म नामधारी संगत को दिया था उसका अनुसरण करते हुए निरंकारी समुदाय ने अपने समुदाय के मुखी बाबा हरदेव सिंह जी के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनकी धर्मपत्नी माता  सविंदर कौर जी को गुरु रूप में स्वीकार कर एक सराहनीय कार्य कर इतिहास में एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने ऐसा ऐलान कर आज उन लोगों को भी प्रेरणा दी है, जो कहते थे कि एक स्त्री कैसे गुरु बन सकती है ? , ऐसा हो ही नहीं सकता। इसलिए  आज भी उन लोगों को नारी शक्ति के आस्तित्व को पहचानने की जरुरत है जो कभी भी किसी भी रूप में आ कर समाज में एक नया परिवर्तन ला सकती है। 
"कोमल है कमजोर नहीं तू , शक्ति का नाम नारी है,
जग को जीवन देने वाली मौत भी तुझसे  हारी है।"     
    राजपाल कौर , 
   मुख्य सचिव , जालंधर विद्याक सोसाइटी ,जालंधर। 
   Contact at: 90231-50008  Email : rajpal16773@gmail.com