Saturday, May 28, 2016

वन बंधु कल्याण योजना/विशेष लेख/ *आकाश श्रीवास्तव


27-मई-2016 16:08 IST
आदिवासी कल्याण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल
भारत सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय का गठन अक्टूबर 1999 में भारतीय समाज के सबसे वंचित वर्ग अनुसूचित जनजाति (अजजा) के एकीकृत सामाजिक-आर्थिक विकास के समन्वित और योजनाबद्ध उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए किया गया था। जनजातीय कार्य मंत्रालय, अनुसूचित जनजाति के विकास के लिए चलाई जा रही समग्र नीति, योजना औऱ समन्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है। केंद्र सरकार ने आदिवासी परिवारों के लिए बेहतर और सतत् रोजगार, ढांचागत खामियों को खत्‍म करने, शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य की गुणवत्‍ता में सुधार और आदिवासी क्षेत्रों में जीवन में सुधार पर विशेष ध्‍यान देने का फैसला किया है।
15 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में से 75 समुदायों की आदिम जनजाति समूह के रूप में पहचान की गई है। इन समूहों में से कुछ समुदाय बहुत ही छोटे है, जो दूरदराज के स्थानों पर अपर्याप्त प्रशासन एंव पिछड़ी मूलभूत सुविधाओं के साथ विभिन्न रूपो में विकसित हुए हैं। इसलिए उन्हें संरक्षण एंव विकास हेतु प्राथमिकता दी जाने की आवश्यकता है। इन समूहों की परेशानियां एंव जरूरतें अन्य अनुसूचित जनजातियों से भिन्न होती है। आदिवासी समूहों के बीच आदिम जनजाति समूह सबसे कमजोर होने के कारण, राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों ने इन समूहों के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु केंद्रीय क्षेत्र/केन्द्र प्रायोजित एंव राज्य योजना स्कीमों से अपेक्षित धनराशि के आवंटन हेतु केंद्र सरकार से अनुरोध किया।

अनुसूची 5 क्षेत्र में करीब 350 प्रखंड ऐसे हैं जहां कुल जनसंख्‍या की तुलना में जनजातीय लोगों की जनसंख्‍या 50 प्रतिशत या अधिक है। गत दिनों में कई प्रयास किए जाने के बावजूद मानव विकास संकेतक (एचडीआई) के अनुसार इन प्रखंडों में कई प्रकार की कमियां रह गयीं। इन प्रखंडों को अगले पांच वर्ष की अवधि में सतत विकास मिशन के लिए बेहतर बुनियादी ढांचा सुविधा प्रदान कर मॉडल प्रखंड के रूप में विकसित किया जाना है। इन्हीं सबके मद्देनजर भारत सरकार के आदिवासी मामलों के मंत्रालय ने आदिवासियों के कल्याण के लिए वनबंधु कल्याण योजना (वीकेवाई) की शुरूआत 2014 में की थी।

आदिवासी समूहों और जनजातियों के सर्वांगीण विकास पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विषेश ध्यान है। उल्लेखनीय है कि यह  योजना देश में सबसे पहले गुजरात में शुरू की गयी थी जब नरेंद्र मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। यह योजना वर्ष 2014 में आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों के एक-एक विकासखंड में पायलट आधार पर शुरू की गई। योजना के तहत प्रत्येक ब्लॉक में विभिन्न सुविधाओं का विकास करने के लिए 10 करोड़ रुपये देने की घोषणा की हुई। इन ब्लॉकों का चयन संबंधित राज्यों की सिफारिशों और कम साक्षरता दर के आधार पर किया गया। वन बंधु कल्याण योजना में केन्द्रीय मंत्रालयों, विभागों की विकास की विभिन्न योजनाओं के समन्वय और राज्य सरकार की परिणाम आधारित योजनाओं पर ध्यान केंद्रित करने की परिकल्पना की गई है। प्रारंभ में ब्लॉक की कुल आबादी की तुलना में जनजातीय आबादी का कम से कम 33% को लक्षित करके योजना को मूर्तरूप दिया गया। वन बंधु कल्याण योजना का मोटे तौर पर आशय एक रणनीतिक प्रक्रिया से है जो यह सुनिश्चित करने की परिकल्पना करती है कि केंद्रीय और राज्य सरकारों के विभिन्न कार्यक्रमों/स्कीमों के तहत वस्तुओं और सेवाओं के लक्षित सभी लाभ समुचित संस्थागत तंत्र के माध्यम से संसाधनों के तालमेल द्वारा वास्तव में उन तक पहुंचे।

वित्त वर्ष 2014-15 में केंद्र सरकार ने 100 करोड़ रुपये की लागत से केंद्रीय योजना के रूप में वन बंधु कल्याण योजना (वीकेवाई) शुरू की थी। जबकि सरकार ने 2015-2016 में पंजाब और हरियाणा को छोड़कर बाकी सारे राज्यों में वन-बंधु कल्याण योजना को लागू कर दिया गया। जिसके लिए दो सौ करोड़ रूपए आवंटित किए गए। सरकार जनजातीय परिवारों के लिए उत्तम एवं निरंतर रोजगार पर विशेष ध्यान दे रही है। शिक्षा एवं स्वास्थ्य की गुणवत्ता में सुधार तथा जनजातीय क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार पर ध्यान दिया गया है।

वन बंधु कल्याण योजना के माध्यम से अगले पाँच वर्ष की अवधि के दौरान गुणवत्ता एवं दृश्य आधारभूत सुविधाओं के साथ इन ब्लॉकों को आदर्श ब्लॉक के रूप में विकसित किया जाएगा, जिससे सतत विकास के मिशन को आगे ले जाया जा सके। जनजातीय क्षेत्रों के आर्थि‍क वि‍कास को तेज करने, सभी के लि‍ए स्‍वास्‍थ्‍य, सभी के लि‍ए मकान, सभी को स्‍वच्‍छ पेयजल, क्षेत्र के उपयुक्‍त सिंचाई सुवि‍धाओं, आस-पास के कस्‍बों/शहरों को जोड़ने वाली सड़कें, बि‍जली की उपलब्‍धता, शहरी वि‍कास, वि‍कास के पहि‍ए को सतत प्रवाहमान रखने के लि‍ए सुदृढ़ संस्‍थागत तंत्र, जनजातीय सांस्‍कृति‍क वि‍रासत का संवर्द्धन एवं अनुरक्षण एवं जनजातीय क्षेत्रों में खेल का वि‍कास करना है।

पूर्व में जनजातीय लोगों के वि‍कास की गति‍ शेष सामाजि‍क समूहों की अपेक्षा धीमी और कहीं ज्‍यादा चुनौतीपूर्ण थी। सरकार द्वारा चलाए जा रहे वि‍शेष कंपोनेन्‍ट प्‍लान एवं वि‍शि‍ष्‍ट कार्यक्रमों के बावजूद जनजातीय समूहों तथा अन्‍य सामाजि‍क समूहों के बीच वि‍कास में भारी अंतर वि‍द्यमान है। जनजातीय लोगों के लि‍ए शि‍क्षा की आवश्‍यकता पर विशेष ध्यान दिया गया है। जनजातीय बच्‍चों को शि‍क्षा प्रदान करना वि‍भि‍न्‍न सामाजि‍क, सांस्‍कृति‍क, आर्थि‍क, पर्यावरणीय एवं प्रशासनि‍क कारणों से सरकार के लि‍ए एक चुनौती पूर्ण कार्य रहा है। शि‍क्षा योजनाओं की पुनर्संरचना का उद्देश्‍य आवासीय स्‍कूल, जनजातीय भाषाओं को शि‍क्षा का माध्‍यम बनाना तथा जनजातीय बच्‍चों को छात्रवृत्‍ति‍ प्रदान करना जैसे उपायों से पर्याप्‍त शि‍क्षागत आधारभूत ढांचा उपलब्‍ध कराना है, जि‍ससे कि‍ राष्‍ट्रीय साक्षरता की तुलना में जनजातीय महि‍ला साक्षरता में वृद्धि‍ हो सके।

वन बंधु कल्याण योजना का उद्देश्य   उचित संस्थागत तंत्र के माध्यम से वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए संसाधनों का अधिकतम उपयोग और   एक समग्र दृष्टिकोण के जरिये भौतिक एवं वित्तीय उपलब्धियों पर ध्यान केंद्रित करके आदिवासियों के व्यापक विकास है।   देशभर में जनजातीय आबादी को जल, कृषि एवं सिंचाई, बिजली, शिक्षा, कौशल विकास, खेल एवं उनके सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हाउसिंग, आजीविका, स्वास्थ्य, स्वच्छता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण  सेवाओं एवं वस्तुओं को मुहैया कराने के लिए यह योजना एक संस्थागत तंत्र के रूप में काम करेगी।

रणनीतिक तौर पर शुरू की गई वीकेवाई प्रक्रिया केंद्र की तरह ही राज्य सरकारों के लिए भी महत्वपूर्ण है। विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों एवं विभागों के साथ जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने इस योजना को कनवर्जेंस प्लान के रूप में शुरू किया है। वन बंधु कल्याण योजना 
आदिवासियों को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित कराने की दिशा में सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई है।

लेखक : स्‍वतंत्र पत्रकार हैं।

Friday, May 27, 2016

नेताजी से जुड़ी जानकारी मिल सकेगी अब और आसानी से

27-मई-2016 18:10 IST
25 सार्वजनिक फाइलों का चौथा बैच वेबपोर्टल पर ऑन लाइन जारी 
नई  दिल्ली: 27 मई 2016: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन):
संस्‍कृति सचिव श्री एन के सिन्‍हा ने आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी 25 सार्वजनिक फाइलों के चौथे बैच को वेबपोर्टल  www.netajipapers.gov.in पर ऑन लाइन जारी किया। 25 फाइलों के इस बैच में 1968 से 2008 की अ‍वधि की प्रधानमंत्री कार्यालय की 5 फाइलें, गृह मंत्रालय की 4 फाइलें और विदेश मंत्रालय की 16 फाइलें शामिल हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा 23 जनवरी 2016 को नेताजी की 119वीं जयंती के अवसर पर नेताजी से जुड़ी 100 फाइलों के पहले बैच को उनके संरक्षण और डिजटीकरण के बाद सार्वजनिक किया गया था। 50 फाइलों का दूसरा बैच और 25 फाइलों का तीसरा बैच क्रमश: 29 मार्च 2016 तथा 29 अप्रैल 2016 को संस्‍कृति और पर्यटन (स्‍वतंत्र प्रभार) तथा नागर विमानन राज्‍य मंत्री डॉ. महेश शर्मा द्वारा जारी किया गया था। आज 25 फाइलें जारी किए जाने से इन फाइलों को देखने की लोगों की मांग पूरी होगी और महान स्‍वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस पर विद्वानों को आगे शोध करने में मदद मिलेगी। इन फाइलों की अभिलेखागार विशेषज्ञों की बनी विशेष समिति द्वारा निम्‍नलिखित पहलुओं पर जांच की गई :
1. फाइलों की स्थिति का पता करना और संरक्षण इकाई के माध्‍यम से फाइलों को ठीक करना और संरक्षित करना।
2. डिजिटीकरण की गुणवत्‍ता की पुष्टि करना ताकि डिजिटीकृत रिपोर्ट वेबपोर्टल www.netajipapers.gov.in पर अपलोड किया जा सके।
3. इस बात की जांच करना कि शोधकर्ताओं और जनसाधारण के इस्‍तेमाल के लिए इंटरनेट पर जारी की जा रही फाइलें दोहराई तो नहीं जा रहीं।
1997 में भारत के राष्‍ट्रीय अभिलेखागार को इंडियन नेशनल आर्मी (आजाद हिंद फौज) से जुड़ी 990 सार्वजनिक फाइलें रक्षा मंत्रालय से प्राप्‍त हुई थीं। वर्ष 2012 में खोसला आयोग से संबंधित 271 फाइलें/सामग्री तथा न्‍यायमूर्ति मुखर्जी जांच आयोग से जुड़ी 759 फाइलें/सामग्री जारी की गई यानी कुल 1030 फाइलें/सामग्री गृह मंत्रालय से प्राप्‍त हुई थीं। सार्वजनिक रिकार्ड 1997 के अंतर्गत ये सभी फाइलें लोगों के लिए सार्वजनिक कर दी गई हैं। (PIB)
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Monday, May 23, 2016

जारी है मीडिया के खिलाफ दमन और गुंडागर्दी

दबंग ने किया बिहार में एक पत्रकार का अपहरण 
विश्व भर में पत्रकारों पर लगातार हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। बेहद वृद्ध-82 वर्षीय लेखक हुयांग जिरोंग करीब एक सप्ताह से लापता है।लेखन में उसका कलम का नाम ताई लियु है।  की नीतियों का अक्सर विरोध करने वाले इस लेखक कई बार प्रताड़ना का शिकार होना पीडीए है। इसी मई महीने के अंत में उनकी आयु पूरे 83 वर्ष  की हो जाएगी लेकिन इस उम्र में भी उन पर उकसाहट पूर्ण सरगर्मियों का आरोप है। 
इधर बिहार में स्थिति लगातार गंभीर होती जा रही है।  पत्रकार राजदेव रंजन की ऐन सड़क पर हत्या और नालंदा के राजेश सिंह को जान से मारने की धमकी के बाद अररिया के एक पत्रकार का अपहरण कर लिया गया है। अपहरण का मामला अब मीडिया के ज़रिये सभी के सामने आया है। मनमाफिक खबर न लिखने से भड़के एक दबंग ने एक स्‍थानीय दैनिक के लिए काम करने वाले पत्रकार हेमंत ठाकुर का घर से अपहरण कर लिया। कई घंटों की मेहनत मशक्कत के बाद पत्रकार जैसे तैसे छूटकर घर पहुंचा। मामले में आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। लेकिन इस तरह के हालात हर तरफ बने हुए हैं। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार पत्रकार हेमंत ठाकुर एक स्‍थानीय अखबार के‌ लिए रिपोर्टिंग करते हैं। आरोप है कि ठेकेदारी करने वाला दबंग हाजी लड्डन रविवार को उनके घर आया और एक खबर के बारे में बात करने के लिए उन्हें साथ ले जाने लगा। हेमंत ने मना किया तो धमकी देकर जबरन उसे अपनी बाइक पर बैठा लिया और एक सरकारी अस्पताल में ले गया।वहां ले जाकर फ़िल्मी स्टाईल से गुंडागर्दी हुयी जिससे हॉस्पिटल की सुरक्षा व्यवस्था भी शक के दायरे में आती है। 
वहां जो कुछ हुआ उसके बारे में हेमंत ने बताया कि वहां उसे एक कमरे में बंद करने के बाद लड्डन ने एक मरीज के हाथ में चाकू देते हुए कहा कि अगर यह बाहर निकलने का प्रयास करे तो इसे मार देना। इसके बाद लड्डन ने बाहर से कमरा बंद कर दिया और चला गया। उसके जाने के बाद हेमंत ने शोर मचाया तो अस्पताल के कर्मचारियों ने उसे जैसे तैसे बाहर निकाला। इसके बाद हेमंत अपने घर पहुंचा और मामले की शिकायत पुलिस में की। पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। अब देखना है कि कदम कब और कितनी जल्द उठता है?

Saturday, May 21, 2016

रेल मंत्रालय द्वारा तीन और रेलवे स्टेशनों पर वाई फाई शुरू

20-मई-2016 19:33 IST

पटना, रांची और विशाखापटनम पर मिलेगी वाई-फाई सुविधा 

The Union Minister for Railways, Shri Suresh Prabhakar Prabhu inaugurating the Fast Wi-Fi services at Patna (Bihar), Ranchi (Jharkhand) and Visakhapatnam (Andhra Pradesh) Railway Stations, through Video Conferencing from Rail Bhawan, in New Delhi on May 20, 2016. The Chairman, Railway Board, Shri A.K. Mital and other dignitaries are also seen.   (PIB)
रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु ने रेल भवन, नई दिल्ली से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से पटना (बिहार), रांची (झारखंड) और विशाखापत्तनम (आंध्र प्रदेश) रेलवे स्टेशनों पर यात्रियों के लिए हाई स्पीड वाई-फाई सेवाओं का उद्घाटन किया। रेलवे यात्रियों को अति आधुनिक विश्व स्तरीय तथा हाई स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने के लिए रेलटेल द्वारा गूगल के सहयोग से इन रेलवे स्टेशनों पर आगंतुकों और रेल उपयोगकर्ताओं के लिए वाई-फाई की सुविधा शुरू की गई है। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष श्री ए. के. मित्तल, सदस्य इंजीनियरिंग श्री वी. के. गुप्ता, रेलटेल के प्रबंध निदेशक श्री आर. के. बहुगुणा और बोर्ड के अन्य सदस्य इस अवसर पर रेल भवन में उपस्थित थे। उपरोक्त तीनों रेलवे स्टेशनों पर विभिन्न गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 
इस अवसर पर रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारत डिजिटलीकरण की दिशा में आगे बढ़ रहा है, इसलिए इंटरनेट हर व्यक्ति की मूल जरूरत बन गया है, जिसके वे हकदार भी हैं। उन्होंने कहा कि रेलवे स्टेशनों को विश्व मानक के स्तर पर लाने और नवीनतम तकनीक के साथ तालमेल रखने के लिए, हाई स्पीड वाईफ़ाई का प्रावधान इस दिशा में पहला कदम है। उन्होंने कहा कि अब तक यह सुविधा 19 रेलवे स्टेशनों पर उपलब्ध कराई जा रही है लेकिन एक साल में इसे 100 रेलवे स्टेशनों पर सुलभ कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी 400 स्टेशनों पर वाईफाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए इस परियोजना के पूरा होने के बाद यह विश्व में सबसे बड़ी वाईफ़ाई सेवा होगी। उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे उपयोगकर्ताओं को दी जाने वाली सुविधाओं में सुधार के लिए अनेक कदम उठा रहा है। आने वाले वर्षों में यात्रियों को अनेक नई सुविधाएं प्रदान की जाएंगी जिससे रेलवे यात्रियों को गर्व का अनुभव होगा। (PIB)
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Friday, May 20, 2016

सहयोगी बैंकों को बन्द कर उनके अधिग्रहण के विरोध में गुस्सा तेज़

सहयोगी बैंकों में रही एक दिवसीय अखिल भारतीय हड़्ताल
7 जून एवं 28 जुलाई 2016 को भी हड़्ताल
लुधियाना: 20 मई 2016: (रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
संघर्ष को आगे बढाते हुए, आज स्टेट सैक्टर बैंक ईम्पलाइज़ एसोसिएशन ने एक दिवसीय अखिल भारतीय हड़ताल की एवं स्टेट बैंक आफ पटियाला, आंचलिक कार्यालय, मिल्ल्रर गंज, लुधियाना के सामने 5 सहयोगी बैंकों को बन्द करके एसबीआई द्वारा उनके अधिग्रहण के विरोध में जोरदार प्रदर्शन किया । कामरेड नरेश गौड़, सचिव, स्टेट सैक्टर बैंक ईम्पलाइज़ एसोसिएशन एवं आल इण्डिया स्टेट बैंक आफ पटियाला इम्पलाईज़ फैडेरेशन ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया । कामरेड अशोक मल्हन, उप प्रधान, आल इण्डिया स्टेट बैंक आफ पटियाला ईम्पलाइज़ फैडेरेशन, कामरेड पवन ठाकुर, प्रधान, कामरेड राजेश वर्मा, उप प्रधान, कामरेड बलवंत राय, सहायक सचिव एवं कामरेड अशवनी सिंगला, संगठन सचिव, पंजाब बैंक ईम्पलाइज़ फैडेरेशन (लुधियाना) ने भी संबोधित किया। 
बैंक कर्मचारियों को संबोधित करते हुए कामरेड गौड़ ने कहा कि 5 सहयोगी बैंकों अर्थात स्टेट बैंक आफ त्रावनकोर (एसबीटी), स्टेट बैंक आफ मैसूर (एसबीएम), स्टेट बैंक आफ हैदराबाद (एसबीएच), स्टेट बैंक आफ बीकानेर एण्ड जैयपुर (एस्बीबीजे) तथा स्टेट बैंक आफ पटियाला (एसबीपी) के निदेशक मण्डल की बैठक में जो कि जल्दबाजी में मुम्बई में आयोजित की गई, जिसकी कोई पूर्व सूचना नहीं थी, अचानक एक कार्यसूची निदेशक मण्डल की बैठक में एसबीआई के हुम्कनामे पर रखी गई जिसमें सहयोगी बैंकों को बन्द करने की बात थी ताकि एसबीआई उनका अधिग्रहण कर सके । एआईबीईए के कामगर निदेशकों के विरोध और प्रतिरोध तथा कुछ अन्य स्वतंत्र निदेशकों के विरोध के बावजूद, प्रस्ताव और पद्धति को स्वीकृति दे दी गई, इस मामले में प्रस्ताव भी पारित कर दिया गया।
यह अत्यन्त शर्मनाक है कि जब सरकार कार्पोरेट प्रशासन अधिकार और अच्छे प्रशासनिक अधिकार की बात कर रही है, निदेशक मण्डल की कार्यसूची को बिवा किसी सूचना के ऐसे गम्भीर मामले पर ले आया गया और निर्णय भी ले लिया गया । यह निर्णय भी वित्त मंत्री के साथ हमारी बैठक जो 23 मार्च और 25 अप्रैल 2016 को हुई थी में वित्त मंत्री के सुझाये गये तरीके के अनुरुप नहीं था । उनकी राय थी कि सभी 5 बैंकों को एक बैंक में परिवर्तित किया जा सकता है। किन्तु एसबीआई और सहयोगी बैंक जो प्रयास कर रहे हैं वह वित्त मंत्री के सुझाव के सर्वथा विपरीत है।  

5 सहयोगी बैंकों का इतिहास एवं स्थिति मार्च 2016 तक इस प्रकार है :-
         (रु करोड़ में)

बैक का नाम    साल जमारिशियाँ अग्रिम  कुल व्यवसाय

स्टेट बैंक आफ हैदराबाद  75 139,300 114,000 253,300

स्टेट बैंक आफ पटियाला  99 105,800 85,900 191,700

स्टेट बैंक आफ बीकानेर   70 93,300 74,700 168,000

एण्ड जयपुर
स्टेट बैंक आफ त्रावनकोर  70 100,400 67,000 167,400
स्टेट बैंक आफ मैसूर   103 70,200 55,400 125,000
सहयोगी बैंकों की 67000 से अधिक शाखाएं एवं 9000 ए.टी.एम हैं। इन बैंकों का कुल व्यवसाय मार्च 2016 तक 900,000 करोड़ रु है तथा परिचालन लाभ 10,500 करोड़ रू है।      
73000 (45000 + 28000) अधिकारी एवं कर्मचारी इन बैंकों मे कार्यरत हैं । एसबीआई में इन बैंकों के विलय के फलस्वरूप बहुत सी शाखाएं बंद कर दी जायेंगी एवं बहुत से कर्मचारी अधिशेष हो जायेंगे। इस के परिणाम स्वरुप जनता एवं कर्मचारी पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। केरला, कर्नाटका, राज्सथान, तेंलेगाना एवं पंजाब की इन बैंकों से संबंधित राज्य सरकारों की आमदनी खत्म हो जायेगी क्योंकि इन बैंकों द्वारा लाभ पर अदा किये गये कर का हिस्सा इन राज्य सरकारों को नहीं मिल पायेगा।
इन सब के पीछे मूल तर्क केवल भारतीय स्टेट बैंक को एक बड़ा एवं विश्व स्तर का बैंक बनाना है । भारत को मज़बूत एवं अच्छे बैंकों की आवशयकता है, न कि बड़े बैंकों की। संयुक्त राज्य अमेरिका में हमने बड़े से बड़े बैंकों को ताश के पत्तों की तरह गिरते देखा है । बड़े बैंक आम आदमी की जरुरतों को नज़रअंदाज़ करेंगे एवं उनके प्रति असंवेदनशील होंगे। वह केवल बड़े कारबारियों की ही जरुरतें पूरी करेंगे । भारतीय स्टेट बैंक मूल प्रमुख बैंक है, यह अपनी बढोतरी एवं विस्तार के लिए सहयोगी बैंकों को नही मार सकता । भूखे माता पिता अपने बच्चों का कत्लेआम नहीं किया करते।
इसलिए हम मांग करते हैं कि सहयोगी बैंकों को भारतीय स्टेट बैंक से आजा़द किया जाये।
एसबीआई एवं सहयोगी बैंकों की इस उत्तेजक कार्रवाई के विरुद्द अपना गुस्सा एवं विरोध प्रदर्शित करने के लिए, हम सभी सहयोगी बैंकों के सामने प्रदर्शन कर रहे हैं एवं आज एक दिवसीय हड़्ताल भी की है।  


7 जून 2016 एवं 28 जुलाई 2016 को भी हड़्ताल की जायेगी।   

Thursday, May 19, 2016

श्रीमती स्मृति ईरानी दीप प्रजवलित करती हुईं

रिफॉर्मिंग एंड रेजूवनेटिंग इंडियन हायर एजूकेशन
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री, श्रीमती स्मृति ईरानी 18 मई, 2016 को नई दिल्ली में रिफॉर्मिंग एंड रेजूवनेटिंग इंडियन हायर एजूकेशन, ए स्टेकहोलडरपरस्पेक्टिव पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के अवसर पर दीप प्रजवलित करती हुईं।
The Union Minister for Human Resource Development, Smt. Smriti Irani lighting the lamp at the National Conference on Reforming & Rejuvenating Indian Higher Education A Stakeholders Perspective, in New Delhi on May 18, 2016.

धार्मिक शख्सियतों पर हमलों के बाद स्थिति शांत पर तनावपूर्ण

चिंता, शोक और निंदा का सिलसिला जारी
लुधियाना//पटियाला : 18 मई 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
*पहले श्री गुरु ग्रन्थ साहिब का बार बार अपमान
*फिर लुधियाना में गीता और रामायण के पन्ने फाड़ने की दुखद घटना 
*फिर श्री भैणी साहिब में 88 वर्षीय वृद्ध माता चन्द कौर की जघन्य हत्या 
*अब संत बाबा रणजीत सिंह ढडरियां वालों के काफिले पर हमला
*हमले में संत बाबा भूपिंदर सिंह खासी कलां की मौके पर ही मौत
*साथ ही आम जनता पर लगातार बढ़ रहा छोटे बड़े गुंडा गिरोहों का आतंक और उनके सामने       बेबस नज़र आती पुलिस 
कहना न होगा कि पंजाब के हालात लगातार नाज़ुक बन रहे हैं। दिन दिहाड़े हत्याएं हो रही हैं और सोशल मीडिया पर उनकी ज़िम्मेदारियाँ ली जा रही हैं। गौरतलब है कि इस हमले के बाद एक अजीब तरह की सनसनी सी फ़ैल गयी है। किसी अन्जाने अज्ञात घटनक्रम की दस्तक सी महसूस होने लगी है इस हमले के बाद। 
जानेमाने वरिष्ठ अकाली नेता सुखदेव सिंह भौर ने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि  सिख वेश में आये हमलावर और हमले के वक़्त गर्म विचारों  अलगाववादी नारेबाजी कोई गहरी साज़िश लगती है। उन्होंने कहा कि यह सब सिख दुश्मन शक्तियों की गहरी साज़िश का परिणाम लगता है। 
इसी बीच आम आदमी पार्टी ने भी इस सारे घटनाक्रम पर गहरी चिंता व्यक्त की है। सिख प्रचारक संत रणजीत सिंह ढडरियांवाले पर हुए जानलेवा हमले की निंदा करते हुए आप नेता संजय सिंह ने सरकार को आड़े  हाथों लिया है। आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं पंजाब मामलों के प्रभारी संजय सिंह ने कहा कि पंजाब में कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी बदतर हो गई है कि अब यहां धार्मिक हस्तियां भी सुरक्षित नहीं रहीं। उन्होंने साफ़ कहा कि इसके लिए पंजाब की बादल सरकार सीधे रूप में जिम्मेदार है। निंदा और चिंता का सिलसिला लगातार जारी है। 
संजय सिंह बुधवार को पटियाला-संगरूर मार्ग पर स्थित गुरुद्वारा परमेश्वरद्वार में संत रणजीत सिंह ढंडरियांवाला का हाल-चाल जानने पहुंचे थे। उनके साथ आप के पंजाब राज्य यूनिट के कनवीनर सुच्चा सिंह छोटेपुर भी थे। इस अवसर पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने फोन पर संत रणजीत सिंह ढंडरियांवालों का हाल जाना और बाबा भूपिंदर सिंह की हत्या पर गहरा अफसोस भी व्यक्त किया।
आम आदमी पार्टी के इस वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने याद दिलाते हुए कहा कि लुधियाना जिले में ही डेढ़ महीना पहले नामधारी समुदाय की माता चंद की भी दिनदहाड़े हत्या कर दी गई थी। उनके हत्यारों को अभी तक पकड़ा नहीं गया है। आठ महीने पहले बरगाड़ी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने वालों का भी अभी तक कोई सुराग नहीं लगा। उन्होंने इस सब पर गहरे असंतोष का इज़हार किया। 
उन्होंने यह भी कहा कि बरगाड़ी कांड को लेकर शांतिपूर्वक रोष प्रदर्शन करने वाली संगत पर गोली चलाने वाले  उस ‘अनएडेंटिफाइड पुलिसमैन’ का भी पंजाब सरकार पता नहीं लगा सकी। इस मौके पर सुच्चा सिंह छोटेपुर ने कहा कि वोट की गंदी राजनीति के लिए गहरी साजिश के तहत पंजाब को धार्मिक सांप्रदायिकता की आग में झोंका जा रहा है। कुल मिला कर जनता के मन में अज्ञात भय और आहट सी आशंकायें के साथ साथ गुस्सा भी बढ़ रहा है। 

Friday, May 06, 2016

एयरबेस सिक्योरिटी की एक बार फिर एक बड़ी कोताही

Fri, May 6, 2016 at 1:00 PM
आखिर कहाँ से पकड़ा गया यह संदिघ्ध?
गुरदासपुर: 6 मई 2016: (विजय शर्मा//पंजाब स्क्रीन):
पठानकोट आतंकी हमले को भले ही चार महीने बीत चुके हो लेकिन एयरबेस सिक्योरिटी की एक बड़ी कोताही एक बार फिर सामने आई है। एयरबेस के मुख्य गेट  के अंदर सेंटर स्कूल के सामने से एक संदिग्ध का पकड़ा जाना बहुत से सवाल खड़े करता है।  सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक़ कथित संदिघ्ध एयरबेस के अंदर बने सेंटर स्कूल के सामने से पकड़ा गया है और इसे एयरफोर्स सिक्योरिटी ने नहीं बल्कि स्कूल के एक गॉर्ड ने पकड़ा है हलाकि जो जानकारी एयरबेस अधिकारिओ ने इस संदिघ्ध को पुलिस को सौंपते वक़्त दी है उसमे इसे मुख्य  गेट से पकड़ा हुआ बताया गया है.  सुविज्ञ सूत्रों के मुताबिक़ स्कूल के बाहर व गेट पर लगे सी सी टी वी तक में इसकी तस्वीरें है और यह एयरबेस के अंदर स्कूल के सामने से पकड़ा गया है। सुबह स्कूल टाइम पर लघभग 8 से 8 : 15 के बीच जब स्कूल लगने का टाइम होता है तब स्कूली बच्चों के साथ एयरबेस में दाखिल हुआ है और इसको स्कूल के सिक्योरिटी गार्ड ने पकड़कर सिक्योरिटी के हवाले किया है जिसकी सी सी टी वी फुटेज भी है परन्तु जो जानकारी पुलिस को दी गई है उसके मुताबिक़ संदिघ्ध को एयरबेस के गेट से पकड़ा गया है और पुलिस के हवाले किया गया है पुलिस अधिकारी से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उन्होंने बताया की संदिघ्ध मानसिक रूप से बीमार लगता है और एयरफोर्स ऑथोरिटी ने उनके हवाले किया है पारंभिक जानकारी के मुताबिक़ इसका नाम मुहेुदीन है जो जिला प्रतापगढ़ के गांव दाखूया का रहने वाला बताया जा रहा है परन्तु यह अपना बार बार पता बदल रहा है जिससे तफ्तीश करने में काफी मुश्किल हो रही है परन्तु पुलिस अपनी तरफ से पूरी मुस्तैदी से इसकी जांच कर रही है हालांकि मानसिक तौर पर यह बीमार लग रहा है। इसकी 

पकड़े जाने की जगह कोई भी हो पर मूल जगह तो एयरबेस ही है। स्कूल के सामने और एयरबेस के लघभग 30 मीटर अंदर पकड़ा जाना ज़ाहिर तोर पर एयरबेस सिक्योरिटी पर बहुत बड़े सवाल खड़े करती है। इसके पकड़े जाने से सुरक्षा के मामले में अभी तक ढील साफ़ स्पष्ट नज़र आ रही है। पकड़ा गया संदिग्ध मानसिक रूप से बीमार लगता है लेकिन अपना पता बार बार बदल रहा है। जिससे जाँच में काफी मुश्किल आ रही है। 

एस एच ओ भारत भूषन इसकी गहन जांच कर रहे हैं। 

मां के अंतिम संस्कार के लिए सहारा प्रमुख को 4 सप्ताह की पैरोल

चार हफ्तों के दौरान भी जारी रहेगी सादा वर्दी में निगरानी  
बहुत पहले जानेमाने पंजाबी  सुरजीत पात्र ने लिखा था- 
जो बदेशां ''च रुलदे ने रोटी लई 
ओह जड़ों देस पर्तणगे अपने कदी! 
जां तां सेकनगे मां  दे सिवे  दी अगन,
ते जां कबरां दे रुख हेठ जा बैहनगे। 
आज इन पंक्तियों की याद आ रही है सहारा इंडिया प्रमुख सुब्रत रॉय की हालत देख कर। हो सकता है उन्होंने बहुत सा धन कमा लिया हो लेकिन अनमोल धन वह खो बैठे हैं। जब उनकी मां ने इस दुनिया से विदा ली वह उसके पास नहीं बैठे सके।  आखिरी इच्छा भी नहीं पूछ सके। उन्हें अपनी मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए चार सप्ताह की पैरोल मिली है। जेल से आरजी रिहाई। इन जेलों में ऐसे बहुत से दर्द दफन हैं।
जेल के संबंध में कभी साहिर लुधियानवी साहिब ने लिखा था--
जेलों के बिना जब दुनिया की  जाएगी 
वह सुबह कभी तो आएगी।  वो सुबह कभी तो आएगी। भी लगातार बढ़ती रही। 
लेकिन जेलों के आकार और जेलों की संख्या में वृद्धि होती चली गई। सुरक्षा बलों के साथ जुर्म की दर और मुजरिमों की  बढ़ती चली गई। सहारा इंडिया प्रमुख सुब्रत रॉय को सुप्रीम कोर्ट ने 4 सप्ताह परोल दे दी है। इससे पहले सुब्रत ने अंतरिम जमानत के लिए अदालत में अपील कर दी थी। जिस पर दो बजे सुनवाई होनी थी। गौरतलब है कि सुब्रत ने पेरोल अ पनी मां छवि राय के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मांगा है जिनका निधन शुक्रवार की सुबह लखनऊ में हो गया था। उनके दिल पर क्या गुज़र रही होगी इसका  लगाना लथिं नहीं है लेकिन एक मां की और उस  पर एक बेटे की पैरोल पर यह रिहाई एक बार फिर पूंजीवाद की बुराइयों को सामने लाते हुए बताती है कि कैसे यह सिस्टम हमें अपनी संवेदनाअों से दूर ले जाता है। हमारे हाथ में केवल पैसा रह जाता है लेकिन हम अपनों को खो बैठते हैं। पूँजीवाद पूँजी वहीं लोगों के साथ साथ उनको भी अपना  डालता है जो सारी सारी उम्र  तरीका प्रयोग करके पूँजी एकत्र करने में लगा देते हैं।  
गौरतलब है कि निवेशकों के पैसे न वापस करने की वजह से सुब्रत राय 4 मार्च 2014 से ही तिहाड़ जेल में बंद है। सुब्रत को यह पैरोल मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने दी है, जिसकी मांग सुब्रत की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने की थी। पैरोल के चार हफ्तों के दौरान सादी वर्दी में सिपाही उनकी निगरानी करेंगे। सुब्रत 2 साल बाद पहली बार जेल से बाहर आए हैं।

Thursday, May 05, 2016

चुनावी सरगर्मियां तेज़ होते ही इंटक ने बांटे ने पद

2016-05-05 17:06 GMT+05:30
डा. प्रदीप को लुधियाना शहरी, राजन को लुधियाना देहाती अध्यक्ष और हरीश को पंजाब इकाई महासचिव की कमान 
लुधियाना:5 मई 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
आल इंडिया ट्रेड युनियन कांग्रेस (इंटक) की विशेष बैठक स्थानीय सर्कट हाउस में पंजाब प्रदेश कांग्रेस सचिव संजीव भार्गव रौकी की अध्यक्षता में आयोजित की। जिसमें इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश शर्मा बतौर मुख्यतिथि और महासचिव ऋषिकेश शर्मा व पंजाब इंटक अध्यक्ष अश्वनी शर्मा विशेष तौर पर शामिल हुए। बैठक दौरान इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश शर्मा और रौकी भार्गव ने डा. प्रदीप अग्रवाल को लुधियाना शहरी , राजन गुप्ता को लुधियाना देहाती इकाई का अध्यक्ष और हरीश शर्मा को पंजाब इकाई का महासचिव पद का नियुक्ति पत्र सौंपकर निष्काम भाव से कांग्रेस पार्टी व इंटक की सेवा करने की शपथ दिलाई। इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिनेश शर्मा और रौकी भार्गव ने केंद्र में सतासीन मोदी सरकार व पंजाब में सतासीन गठबंधन सरकार की मजदूर विरोधी नितियों की आलोचना करते हुए कहा कि केंद्र व पंजाब में सतासीन सरकारें बड़े औद्योगिक घरानों को लाभ पंहुचाने के लिए मजदूर वर्ग को हितों का तिलाजंलि देकर भूखे मरने को मजबूर कर रही है। जिससे दुखी होकर सरकारी कर्मचारी व मजदूर वर्ग का झुकाव इंटक के माध्यम से कांग्रेस की तरफ हो रहा है। जिसके परिणाम पंजाब में होने वाले वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेंगे। इस अवसर पर पार्षद हेमराज अग्रवाल, पंजाब प्रदेश कांग्रेस इक्नामिक्स सैल के चेयरमैन ईश्वरजोत चीमा, पूर्व पार्षद आशा गर्ग, पूर्व महिला कांग्रेस अध्यक्ष उषा मल्हौत्रा, पंजाब प्रदेश कांग्रेस सचिव पम्मी घवद्दी और सुनील कपूर सहित उमेश शर्मा, ब्लाक कांग्रेस साहनेवाल के अध्यक्ष राम नाथ, अरुण नैय्यर, तरसेम लाल वर्मा, राजेश ठाकुर, अशोक गुप्ता, सरपंच मिंटू कालड़ा, नरिन्द्र सिंह, मनजीत सिंह ढंडे, लाली सहित अन्य भी उपस्थित थे।

Tuesday, May 03, 2016

डर का पेशेवर इस्तेमाल है आतंक

इस शोषण का प्रतिफल तुम इन्सानों को ही भुगतना पड़ता है

आतंक एक मनोदशा है,जो तुम इन्सानों पर तब से हावी है,जब तुमने सभ्यता का चोगा पहली बार पहना था। तभी से तुम आतंकित होते रहे हो या आतंकित करते रहे हो। आतंक तुम्हारे दिमाग में व्याप्त सहज डर का सुनियोजित दोहन है, डर का पेशेवर इस्तेमाल है। जब तुम सहज जीव थे यानि जब तुम खुद आदिम अवस्था में मानते थे, तब हर जीव की तरह तुम्हारे दिमाग में भी डर का एक सहज भाव मौजूद था। यह सहज डर तुम्हारे जीवन की रक्षा के लिए तुम्हारी शरीर प्रणाली को हर पल सचेत और सतर्क रखता था। इसी डर को कम करने के लिए तुमने राज्य,धर्म,समाज,सभ्यता और अर्थव्यवस्था जैसे दिमागीतन्त्रों को अस्तित्व प्रदान किया था। अब तुम्हारे सहज डर की जगह दिमागीतन्त्रों के काल्पनिक और आभासी डर ने ले ली। जैसे-जैसे दिमागीतन्त्रों का आकार बढता गया, वैसे-वैसे यह काल्पनिक डर फैलता गया और इसने आतंक का स्वरूप ले लिया। तुम पर दिमागीतन्त्रों का असर इतना गहरा हो गया कि तुम बाकी जीव-पदार्थो के साथ-साथ एक-दूसरे को भी आतंकित करके अपने वजूद की हिफाजत तय करने लगे। तुम्हें हर जीव, हर पदार्थ और हर इंसान को आतंकित रखकर अपने देश ,धर्म, समाज और सभ्यता को बचाना था। तुम आतंकी मनोदशा में इतना डूब चुके हो कि तुम अपने परिवार,अपने बच्चों,अपने आसपास के लोगों को भी आतंक के साये में रखना चाहते हो।
वरुण सरकार की पोस्ट 
पेड़-पौधों,सूक्ष्म जीवों,जानवरों,अपने से कमजोर इन्सानों का शोषण करके तुमने अपने जीवन की नहीं,बल्कि दिमागीतन्त्रों के वजूद की रक्षा की है। लेकिन दिमागीतंत्र अमूर्त हैं,इसलिए इस शोषण का प्रतिफल तुम इन्सानों को ही भुगतना पड़ता है। तुम्हारी मशीनों, बन्दूकों, बमों से कोई राष्ट्र, धर्म, समाज या सभ्यता नहीं मरती है,केवल तुम इन्सानों को ही मरना पड़ता है।  तुम भले ही शहादत के नाम पर इन मौतों को अपना महान कृत्य मान लो लेकिन मेरी सहज व्यवस्था में यह तुम्हारी गतिविधियों का स्वाभाविक नतीजा मात्र है। इस नतीजे को तुम तभी टाल सकते हो,जब तुम अपने सहज डर  और दिमागीतन्त्रों के काल्पनिक डर के बीच अंतर  कर लो वर्ना आतंक की यह मनोदशा तुम्हारी पूरी प्रजाति को ही शहादत का दर्जा दिलवा देगी लेकिन तब उस दर्जे को सलाम करने के लिए कोई भी इंसान इस धरती पर मौजूद नहीं होगा। 

- तुम्हारा ईश्वर  

बेटी के जन्म पर मिठाई बांटो तो अहसास दिलाएगा 25% की छूट

संगीत भंडारी के संचालन में विशेष अभियान सेव डॉटर-सेव वाटर 
लुधियाना: 2 मई 2016: (पंजाब स्क्रीन//दिलजोत कौर और कार्तिका): 
बहुत पहले लोकप्रिय हुए एक गीत में एक पंक्ति आती है--- 
क अहसास है जो रूह से महसूस करो,
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम न दो। 
लेकिन इस सच को बहुत ही कम लोगों ने बहुत ही कम लोगों में सच होते देखा। स्वार्थ भरे इस कारोबारी युग में इस पंक्ति का याद आना भी अब किसी चमत्कार से काम नहीं लगता। इसकी याद आई सुश्री संगीता भंडारी के नेतृत्व में चलते संगठन अहसास के नाम से। किसी को कोई समस्या हो वहां पहुँच जाना और उसका दुःख केवल बांटना ही नहीं बल्कि दूर करने का प्रयास भी करना-इसे हमारी टीम ने बार बार अपनी आँखों से देखा। कभी डीसी आफिस, कभी सिवल सर्जन और कभी पुलिस कमिश्नर आफिस--हमारी टीम ने संगीता भंडारी और उनकी टीम को किसी न किसी अन्जाने लेकिन दुःख के मारे इंसान के साथ दर्द का मानवीय रिश्ता बनाते देखा। 
अहसास चेरिटबल ओर्गनायज़ेशन अब फिर सक्रिय है। इस संगठन की एक मीटिंग मल्हार रोड पर स्थित एक रेस्टोरेंट में हुई जिसमें अहसास के सदस्यों ने अपने आगामी प्रॉजेक्ट्स पर चर्चा की। अहसास की प्रेज़िडेंट संगीता भंडारी ने इन परियोजनायों की जानकारी देते हुए कहा कि अहसास की तरफ़ से 7 मई को मदर डे मनाया जा रहा है जिसमें कुछ चुनिदा महिलायों को सम्मानित किया जा रहा है जिनकी मेहनत और प्रयास से उनके बच्चें आज अच्छे मुक़ाम पर है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अहसास की तरफ से चलाई जा रही मुहिम "बेटी बचाओ "और "सेव वोटर .सेव लाइफ़ "को भी अब और ज़ोर शोर से चला कर लोगों को जागृत किया जाएगा क्यूँकि अगर बेटी और जल दोनों को ना बचाया गया तो आने वाली पीढ़ी का भविष्य अन्धकारमय  हो जाएगा। इस अवसर पर नत्थु स्वीट्स के राकेश गर्ग जैन ने अहसास की मुहिम बेटी बचाओ, बेटी पढाऔ  की प्रशंसा करते हुए कहा कि उनकी तरफ़ से उनकी सेल का 1% हर महीने अहसास की मुहिम के लिए दिया जाएगा और जो भी बेटी के जन्म पर मिठाई बाँटेगा उसे 25% की छूट दी जाएगी। उनकी इस घोषणा पर अहसास के सदस्यों ने उन्हें फूलों का गुलदस्ता देकर सम्मानित किया। इस अवसर पर नेहा मित्तल , मीनाक्षि सूद, रेणु नारंग, सुनील कक्कड़, विनीत मोंगा, रूबी आनेजा, निष्ठा शर्मा, सूखज़िंदर कौर, सुनैना जैन, गगन कैरपाल, राजवंत कौर, नीरू मल्होत्रा हाज़िर थे।  

Monday, May 02, 2016

प्रधानमंत्री ने श्री बलराज मधोक के निधन पर दुख व्यक्त किया

कलम और सियासत का एक और गवाह चला गया 
नई दिल्ली: 2 मई 2016(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
एथलेटिक्स और हॉकी के शौक़ीन खिलाडी बलराज मधोक जब 1938 में राष्ट्रिय स्वयं सेवक संघ के सम्पर्क में आये तो हमेशां के लिए संघ के ही होकर रह गए। उन्होंने राजनैतिक बदलावों के बावजूद न अपने विचार बदले न ही संगठन। बोलते थे तो उनके शब्द सीधा दिल में उतरते थे। कठिन से कठिन समय में भी हार न मानने वाले बलराज मधोक जिन विचारों को मानते थे उन पर खुल कर दते रहते थे। उनके जाने से प्रतिनद्ध लोगों में से एक और काम हो गया है और यह कमी पूरी होने वाली नहीं। युवा शक्ति को पहचान कर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की स्थापना करने वाले बलराज मधोक दूरअंदेश भी थे और स्पष्टवादी भी। उनकी रचनायें उस नाज़ुक दौर की गवाही देती हैं। जब अपने भी बेगाने हो गये थे उस समय भी बलराज मधोक अपने विचारों पर कायम रहे। वह खुद भी प्रोफेसर थे और उनका विबाह भी एक प्रोफेसर से ही हुआ। दो बेटियों के पिता बलराज मधोक जनता और ज़मीन से जुड़े हुए नेता थे। उनके संतुलित शब्दों में बहुत घरे अर्थ छिपे होते थे। उन जाने के बाद सोग की लहर व्याप्त है। 
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने श्री बलराज मधोक के निधन पर दुख व्यक्त किया है। प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा, ‘बलराज मधोकजी की वैचारिक प्रतिबद्धता दृढ़ थी और उनमें अपार वैचारिक स्पष्टता थी। वह नि:स्वार्थ रूप से देश और समाज के प्रति समर्पित थे। मुझे बलराज मधोकजी के साथ अनेक अवसरों पर संवाद करने का सौभाग्य मिला। उनका निधन दुखद है। उनके परिवार को मेरी सांत्वना।

प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी 02 मई, 2016 को नई दिल्लीे में श्री बलराज मधोक को अंतिम श्रद्धांजलि देते हुए।
The Prime Minister, Shri Narendra Modi paying his last respects to Shri Balraj Madhok, in New Delhi on May 02, 2016.

प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी 02 मई, 2016 को नई दिल्लीे में श्री बलराज मधोक के परिवार के सदस्यों को सांत्वना देते हुए।

The Prime Minister, Shri Narendra Modi condoling the family members of Shri Balraj Madhok, in New Delhi on May 02, 2016.


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एकेजे/एनआर-2324