Wednesday, December 28, 2016

सभी बैंकों को दी गई नई करेंसी का ब्यौरा सार्वजनिक किये जाने की मांग


Wed, Dec 28, 2016 at 3:26 PM
विमुद्रीकरण योजना से हुईं समस्यायों को लेकर बैंक कर्मी हुए गंभीर  
कहा: उठें और विरोध करें-आन्दोलनात्मक कार्यक्रम लागू करें
लुधियाना: 28 दिसम्बर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):   और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 
बैंक मुलाज़िमों ने नोटबन्दी के खिलाफ अब अपना आंदोलन तेज़ कर दिया है। इस से पैदा हुई समस्यायों को छुपाने के लिए अब बैंक मुलाज़िमों और आम जनता को आपस में लड़ाने की साज़िश रची गई है। बैंक मुलाज़िमों का कहना है कि हम इस नापाक साज़िश को कामयाब नहीं होने देंगें। इन मुलाज़िम नेतायों ने ज़ोरदररोश प्रदर्शन के बाद मांग की कि निजी बैंकों और सार्वजनिक बैंकों को उपलब्ध कराई गई नई करेंसी का ब्यौरा जनता के सामने रखा जाये तांकि पूरा सच लोगों के सामने आ सके। 
मुद्दे और मांगें                      और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 
• सभी बैंकों और शाखाओं में पर्याप्त नकदी भेजा जाना सुनिशित किया जाये
• बिना किसी और देरी के सभी एटीएम को चालू किया जाये
• बैंकों को नकदी आपूर्ति में भेदभाव बन्द किया जाये
• बैंकों को नकदी की आपूर्ति में पारदर्शिता सुनिशिचत की जाये
• भारी पैमाने में नई करेंसी नोटों जो कुछ बड़े लोगों के पास प्राप्त हुए हैं पर सीबीआई की जांच की घोषणा की जाये क्योंकि शाखाओं में नकदी का अकाल है
• जनसामान्य, बैंक ग्राहकों और बैंक के उन स्टाफ को जिन्होंने हाल के विमुद्रीकरण कांड के कारण अपनी जान से हाथ गंवाया है, उनके परिवारों को क्षतिपूर्ति की जाये
विरोध कार्यक्रम                                 और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 
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आल इण्डिया बैंक इम्पलाईज़ एसोसिएशन एंव आल इण्डिया बैंक आफिसर्स एसोसिएशन के आहवान पर पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना इकाई) ने आज स्टेट बैंक आफ पटियाला, अंचलिक कार्यालय, मिल्लर गंज, लुधियाना के सामने जोरदार प्रदर्शन किया ।  कामरेड अशोक मल्हन, उप प्रधान एंव कामरेड राजेश वर्मा, उप प्रधान,पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना) ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया । कामरेड प्रवीण मोदगिल, उप प्रधान एंव पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना) के अन्य नेता भी इस विरोध रैली में उपस्थित रहे । 
कर्मचारियों को संबोधित करते हुए फैडेरेशन के नेताओं ने कहा कि 50 दिन से ऊपर बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों को कार्य के असाधरण द्बाव और मानसिक तनाव के अन्तर्गत रहना पड़ा है जोकि विमुद्रीकरण योजना को लागू करने के दौरान उन पर लद गया । जबकि हर कोई अपेक्षा कर रहा था कि चीजें सुधर जायेंगी और तय हो जायेंगी, नई समस्यायें उठ खड़ी हुईं और कर्मचारियों और अधिकारियों को निरन्तर ग्राहकों और जनता का प्रवाह झेलना पड़ा । यद्दपि आरबीआई बार-बार बयान दे रहा है कि बैंकों को पर्याप्त नकदी आपूर्ति की जा रही है, वास्तविक रुप से हम सभी कि पता है कि आरबीआई की ओर से बैंकों को नकदी की आपूर्ति में भारी कमी है । नकदी की कम आपूर्ति के कारण, बहुत से पुर्नसंयोजित एटीएम अधिकतर समय तक नकदीरहित रहे हैं । परिणामस्वरुप ग्राहकों को शाखा परिसर में नकदी आहरण के लिए प्रेरित कर रहा है जिससे शाखाओं में द्बाव बढ़ रहा है । इन सभी से यह जाहिर हो गया है कि यह सब कुछ बिना किसी तैयारी के किया गया ।  
प्रारम्भिक दिनों में उनके द्वारा किये गये असाधारण कार्य जोकि योजना के शुरुआती किनों में था, कार्य के घण्टों से बहुत देर तक शाम और रात्रि, कई बार मध्य रात्रि तक काम किया है, उसकी उचित क्षतिपूर्ति करने में टालमटोल दुख पैदा कर रहा है क्योंकि उन्होंने अपने सामान्य कार्य के घण्टों से अधिक कार्य किया है । विभिन्न बैंकों में विभिन्न दिशानिर्देश दिये गये हैं किन्तु उन्हें वो क्षतिपूर्ति भी नहीं दी जा रही है, जोकि द्विपक्षीय समझौते में अर्न्तनिहित है । अधिकारियों के मामले में भी, क्षतिपूर्ति एकरुप और सार्वभौम नहीं है । क्यों सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ भेदभाव किया जा रहा है और उन्हें पर्याप्त मात्रा में नकदी नहीं दी जा रही ? आरबीआई की कार्यप्रणाली पारदर्शी क्यों नहीं है ? क्यों बैंक यह सुनिशिचत करने में असमर्थ है कि सभी एटीएम कार्य करें । कितने लम्बे समय तक यह एटीएम पुर्नसंयोजित हो सकेंगें ? 
क्या यह कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए अनुचित है कि वह न्यायोचित और उचित क्षतिपूर्ति की मांग करें अपने देर तक बैठने और रात्रि तक कार्य निपटाने के लिए ? हमने पहले ही सभी मुख्य केन्द्रों पर विरोध कार्यक्रम आयोजित किये हैं एंव रिजर्व बैंक के लोकल अधिकारियों को स्मरण पत्र दिये हैं । रिजर्व बैंक द्वारा अभी भी कोई कारगर कदम नहीं उठाये जा रहे हैं और जन्ता एंव बैंक के स्टाफ की निरंतर समस्यायें बढ़ रही हैं । इसीलिए हमने विरोध करने का निर्णय लिया है । 
कुछ धनवान लोंगों के पास करंसी मिलने पर शक बैंक कर्मचारियों पर किया जा रहा है । ऐसा कुछ संभव नहीं हो सकता क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में धन निकालाने के लिए क्म्पूटर भी इज़ाजत नहीं देता । इसलिए सरकार को चाहिए कि ऐसे सभी मामलों की सीबीआई द्वारा जांच करवाई जाये ।      
उप प्रधान अशोक मल्हन ने इस अवसर पर कहा कि नोटबन्दी से पैदाहुईन समस्यायों से ध्यान हटाने के लिए बैंक कर्मियों और जनता को आपस में लड़ाने की साजिश नाकाम करना अब आवश्यक हो गया है। इस लिए लोगों को जागरूक होना चाहिए। और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 
कुछ लोगों ने यह भी सवाल किया कि निजी बैंकों और सार्वजनिक बैंकों को उपलब्ध कराई गई नई करेंसी का ब्यौरा जनता के सामने रखा जाना चाहिए। और तस्वीरें देखने के लिए यहां क्लिक करें 

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