Wednesday, November 02, 2016

एक ख़ास डॉक्टर ने दोहराया समाज सुधार का संकल्प

नाटकों के ज़रिये समाज का अँधेरा दूर करने का हिम्मतवर प्रयोग 
लुधियाना: 2 नवम्बर 2016: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
समाज और समाज की सोच को बदलने की भावना हर किसी के मन में पैदा ही नहीं होती।  इसके लिए भी प्रकृति चुनाव करती है किसी ख़ास व्यक्ति का जिसका आत्मबल बलवान हो और जीवनशैली जन भलाई से भरी हुई। इस बार प्रकृति ने चुनाव किया है हर व्यक्ति को आंखों के दीपक देने में जुटे डॉक्टर रमेश मेहता का। डॉक्टर रमेश का मानना है कि समाज का एक बड़ा हिस्सा भी मानसिक तौर पर अँधा हो चुका है। बेटियों का अपमान, भ्रूण हत्या, नशाखोरी और रेप जैसे कुकृत्य कोई समझदार व्यक्ति कर ही नहीं सकता। राह जाती लड़कियों पर तेज़ाब फेंकना, उन्हें ज़िंदा जलाना, बहु को दहेज के लिए तंग करना किसी ऐसे अंधे व्यक्ति का ही काम हो सकता है जिसे अपने स्वार्थ के सिवा कुछ और नहीं दिखता।  जो पूरी तरह सम्वेदनहीन हो चुका है जैसे कि  कोई पत्थर हो। 
इस अंधे समाज को भी आंखें देने का संकल्प डॉक्टर रमेश ने किया हाल ही में। इस मकसद के लिए वह अपने चिकित्सा औज़ारों के साथ साथ अब कलम को भी हथियार बना रहे हैं। उन्होंने मीडिया से भी इस मकसद के लिए सहयोग माँगा है। उन्होंने एक ड्रामा लिखा "पुनरजोत का विवाह" जो कि बेहद लोकप्रिय हो रहा है। अब रविवार 6 नवम्बर 2016 को इसका मंचन होगा गाँव बद्दोवाल में जहाँ बाबा जसपाल सिंह की देखरेख में भाई घनईया चैरिटेबल अस्पताल की तरफ से बहुत सी ज़रूरतमन्द लड़कियों के सामूहिक विबाह एक साथ किये जाएंगे जिनकी संख्या 100 से ऊपर भी हो सकती है।   
यह जानकारी डॉक्टर रमेश ने आज पंजाबी भवन में आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन में दी। इस अवसर पर इस नाटक की सह निर्देशिका सपनदीप कौर  भी अपनी टीम के साथ मौजूद थीं। सपनदीप कौर ने कहा कि जनता को जगाना अधिक महत्वपूर्ण और आवश्यक कर्तव्य है। सपनदीप कौर ने पाश की एक प्रसिद्ध कविता के कुछ अंश भी पढ़े। भाई घनईया चैरिटेबल अस्पताल की तरफ से गुरप्रीत सिंह भी विशेष तौर पर पहुंचे। 
गौरतलब है कि डॉक्टर ऐस एन सेवक की सरपरस्ती में हो रहे इस नाटक के मंचन की मांग लगातार बढ़ रही है। नवांशहर से आने वाली जागो भी इस आयोजन का विशेष आकर्षण होगी। यह जागो भ्रूण हत्या की बुराई को कम करने के लिए निकाली जा रही है। 

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