Saturday, August 20, 2016

लिवर के लिए शराब जितना ही खतरनाक है मोटापा और शूगर

Sat, Aug 20, 2016 at 1:34 PM
पंजाब में तेज़ी से बढ़ रहा है हेपाटाइटिस सी का विकराल रूप 
लुधियाना: 20 अगस्त 2016; (पंजाब स्क्रीन टीम):
एसपीएस हॉस्पिटल की टीम ने लिवर ट्रांसप्लांट की पहली सफल सर्जरी करने का इतिहास रच दिया है। विश्व भर में लिवर ट्रांसप्लांट के लिए विख्यात दिल्ली के सीएलबीएस हॉस्पिटल लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी विभाग के मुखी डॉ. सुभाष गुप्ता के सानिध्य में हुई इस सर्जरी को करने वाली टीम की अगवाई लिवर ट्रांसपप्लांट व जीआई सर्जरी विभाग के मुखी डॉ. अरिंदम घोष और गैस्ट्रोइंट्रोलॉजी विभाग के मुखी डॉ. निर्मलजीत सिंह मल्ही ने की। इस सर्जरी के सफल होते ही अंतिम स्टेज पर मौत से लड़ रहे हेपाटाइटिस सी के मरीज को नई जिंदगी मिल गई है।
लिवर ट्रांसप्लांट के लिए विश्व भर में विख्यात और डॉ. बीसी राय अवार्ड से सम्मानित डॉ. सुभाष गुप्ता ने कहा कि हमारी कोशिश है कि बचपन से लेकर बुढ़ापे तक लिवर का बीमरियों से ख्याल रखा जाए। हम लुधियाना में बेहतर क्वालिटी का लिवर ट्रांसप्लांट प्रोग्राम स्थापित कर रहे हैं, ताकि इस क्षेत्र और आसपास के इलाकों के लोगों की सेवा कर सकें।
इस संबंध में हुई प्रेस कांफ्रेंस के दौरान डॉ. अरिंदम घोष ने कहा कि लिवर ट्रांसप्लांट सर्जरी की सफलता इस बात का सबूत है कि हमारे पास हेल्थकेयर की क्वालिटी, सेफ्टी व विश्वनीयता है और मरीज अपने बजट में इन सुविधाओं को हासिल कर सकता है। लुधियाना में शुरू हुई इस विश्वस्तरीय सुविधा का लाभ केवल पंजाबियों को ही नहीं मिलेगा, बल्कि हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कशमीर व राजस्थान इत्यादि पड़ोसी राज्यों के लोग भी इस सुविधा को ले सकेंगे।
लगातार बढ़ रही लिवर डैमेज की बीमारी पर चिंता जताते हुए डॉ. निर्मलजीत सिंह मल्ही ने कहा कि पंजाब में हैपाटाइटिस सी, शराब और मोटापा इसका मुख्य कारण है। उन्होंने कहा कि बीमारी की जल्दी पहचान और समय पर इलाज करने के लिए जागरूकता जरूरी है। क्योंकि देरी से बीमारी और बढ़ जाती है। ऐसी स्थिति में लिवर ट्रांसप्लांट में आशा की किरण नजर आती है। डॉ. घोष के मुताबिक इसकी अंतिम स्टेज पर लिवर को काफी नुकसान हो सकता है। ऐसी स्थिति में उसकी काम करने की क्षमता दिन प्रतिदिन घटती जाती है।  डॉ. घोष ने बताया कि सर्जरी की नई तकनीकों के कारण मरीज और लिवर दान करने वाले की सुरक्षा यकीनी बन गई है। इसके रिजल्ट हमेशा पॉजीटिव रहे हैं। उन्होंने कहा कि लिवर  दान करना पूरी तरह सुरक्षित है। दान किया गया लिवर कुछ हफ्तों बाद खुद ही पूरा हो जाता है। इससे दान देने वाले और लिवर ट्रांसप्लांट कराने वाला मरीज, दोनों ही सुरक्षित रह कर नॉर्मल लाइफ जी सकते हैं।
हॉस्पिटल के मेडिकल सुपरिटेडेंट डॉ. उबेद हामिद ने कहा कि हमने मरीज की हाई सेफ्टी और विश्वस्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ लिवर की सफल सर्जरी करके राज्य में इतिहास रचा है। जिस महिला मरीज का यह लिवर ट्रांसप्लांट किया गया है, वह हैपाटाइटिस सी वायरस से ग्रस्त थी। उसे विभिन्न इंफेक्शनों के साथ कई बार दाखिल होना पड़ा था। लिवर पर बढ़ी इंफेक्शन और दूसरी काम्पिलीकेशंस के कारण उसकी जिंदगी तीन महीने ही बताई जा रही थी। काउंसलिंग के बाद उसकी बेटी ने उसे अपना आधा लिवर दान करके अपनी मां की जान बचा ली। सर्जरी के बाद मां और बेटी दोनों सुरक्षित हैं। एसपीएस हॉस्पिटल ने अपना लिवर क्लीनिक शुरू कर लिया है, जहां गैस्ट्रोइंट्रोलॉजिस्ट और लिवर ट्रांसप्लांट की टीम मरीजों का चेकअप करेगी।

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