Tuesday, June 14, 2016

भारत-घाना संबंधों में प्रगाढ़ता, नवीनता लाना जरूरी- राष्ट्रपति

14-जून-2016 15:50 IST
नई सकारात्मकता परिभाषित करने की भी ज़रूरत 
राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कल (13 जून, 2016) अकरा में घाना विश्‍वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों को संबोधित किया। 
राष्‍ट्रपति, श्री प्रणब मुखर्जी 13 जूून, 2016 को घाना केे अकरा में भारतीय समुदाय द्वारा आयोजित स्‍वागत समारोह में संबोधित करते हुए।          (PIB photo)
The President, Shri Pranab Mukherjee addressing at the Indian Community Reception, in Accra, Ghana on June 13, 2016.
इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि आपसी कल्‍याण के आधार पर हमारे बीच संबंध आगे बढ़ाने में आदर्श परिवर्तन लाना जरूरी है। हमें नई सकारात्मकता परिभाषित करने और भारत-घाना संबंधों में उज्जवलता, अभिनवता तथा नवीनीकरण लाने की जरूरत है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भविष्‍य के नेता यानी हमारे युवा सहयोग के इस नवीनीकृत और संशोधित मॉडल के लिए पूरी तरह से उपयुक्‍त होंगे। अपनी साझेदारी को फिर ताजा करने में उन्‍हें हितधारक बनाकर हम इसे नये स्‍तर पर ले जाएंगे।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि शिक्षा एक प्रज्‍जवलित दीए के समान है, जो मार्ग प्रशस्‍त करता है और कई लोगों के जीवन में प्रकाश लाता है। उन्‍होंने घाना के युवाओं से उनकी शिक्षा और ज्ञान को अपने राष्‍ट्र और समाज सेवा में समर्पित करने का आग्रह किया। उन्‍होंने विश्‍वास व्‍यक्‍त करते हुए कहा कि इस महान राष्‍ट्र की आगामी पीढ़ी और डॉ. क्‍वामे नूरुमाह के विरासत के वारिस अपने राष्‍ट्र को गौरवान्वित करेंगे। 

राष्‍ट्रपति ने कहा कि प्रति वर्ष घाना के 250 सरकारी और अर्द्ध सरकारी अधिकारी भारत में प्रशिक्षण लेते हैं जबकि करीब 20 छात्र पूर्णकालिक छात्रवृत्ति पर स्‍नातक, स्‍नाकोत्‍तर और पीएचडी करते हैं। उन्‍होंने घोषणा की कि घाना के मानव संसाधन की क्षमता को पहचानते हुए भारत सरकार ने घाना के लिए सीटों का आवंटन बढ़ाकर 300 आईपीईसी स्‍लॉट करने और अन्‍य भारतीय योजनाओं के तहत वार्षिक छात्रवृत्ति की संख्‍या बढ़ाकर 40 करने का निर्णय लिया है। 

राष्‍ट्रपति ने इस महान विश्‍वविद्यालय के छात्रों और शिक्षकों से पिछले वर्ष भारत- अफ्रीका मंच शिखर सम्‍मेलन में भारत द्वारा घोषित छात्रवृत्तियों और प्रशिक्षण के अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया। भारत-अफ्रीका संबंध बढ़ाने की क्षमता काफी बढ़ी है, जिसमें कृषि, जैव प्रौद्योगिकी और अपने देश से संबंधित अन्य विषयों जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुसंधान शामिल है।   (PIB)
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