खेती विरासत मिश्न साकार कर रहा है अपने आँगन में अपनी खेती का सपना
लुधियाना: 25 अप्रैल 2015:(रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
एक
पुरानी कहावत है-जैसा अन्न वैसा मन लेकिन जो अन्न हमें मिल रहा है वह तन
और मन दोनों के लिए विषाक्त है। जीने के लिए मिल रहा आवश्यक अन्न भी
प्रदूषित, जल भी प्रदूषित हवा भी ज़हरीली। जीने के मौलिक अधिकारों से हम लगातार वंचित हो रहे हैं। बिमारियों लगाकर जीना हमारी नियति बना दी गयी है। विकास के दावों की हकीकत का खोखलापन आम जन साधारण के जीवन को एक एक नज़र देखते स्पष्ट जाता है। इस संकट में क्या किया जाये, कैसे
ज़िंदा रहा जाये और कैसे बचाया जाये खुद को और अपने परिवार को।
इस गंभीर
विषय पर चर्चा के लिए आज एक विशेष आयोजन हुआ खेती विरासत मिशन की ओर से।
इंजीनियर गुरवंत सिंह और केवीएम संयोजक राजीव गुप्ता की देख रेख में
आयोजित इस कार्यक्रम में खेती विरासत मिशन सुरक्षित अन्न को एक अभियान
बनाने वाले उमेन्द्र दत्त मुख्य मेहमान थे।
आज महंगाई के इस युग और कम स्थान के अल्प व आधुनिक ज़माने में अपने आंगन को एक लघु खेत बनाने का सपना कैसे साकार किया जाये इस पर विशेष चर्चा हुई। इस चर्चा में कामरेड रमेश रत्न, मेवा सिंह कुलार, जालंधर प्रसिद्ध विद्धान पत्रकार सतनाम चाना और कई अन्य प्रमुख लोग भी मौजूद थे।
आज महंगाई के इस युग और कम स्थान के अल्प व आधुनिक ज़माने में अपने आंगन को एक लघु खेत बनाने का सपना कैसे साकार किया जाये इस पर विशेष चर्चा हुई। इस चर्चा में कामरेड रमेश रत्न, मेवा सिंह कुलार, जालंधर प्रसिद्ध विद्धान पत्रकार सतनाम चाना और कई अन्य प्रमुख लोग भी मौजूद थे।
मुख्य मेहमान
उमेन्द्र दत्त ने सीडी के ज़रिये इस नई सुरक्षित खेती की तकनीक के संबंध
में विस्तार से चर्चा की। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने अपने सवाल पूछे
और उमेन्द्र दत्त और अन्य विद्धानों ने उनके बारीकी से जवाब दिए।
No comments:
Post a Comment