Friday, February 20, 2015

जहां पीने का पानी भी बिकता अब वह देश है मेरा

आओ हालात  को बदलने के लिए एक अभियान चलायें
लुधियाना: 20 फ़रवरी 2015 : (शीबा सिंह// पंजाब स्क्रीन): 
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कभी एक गीत बहुत ही लोकप्रिय हुआ था---हम उस देश के वासी हैं जिस देश में गंगा बहती है। गंगे के देश में गंगा ही गयी। यमुना भी प्रदूषित हो गयी। पांच दरियाओं की धरती पंजाब में भी  दुर्लभः हो गया। सुबह को नहाने के लिए पानी मिलेगा या  नहीं कुछ कहा नहीं जा सकता। यात्रा में भी पीने के  लिए पानी खरीदना पड़ता है। दूध और पानी महंगे हो रहे हैं लेकिन दारू आम मिलने लगी है। इस शर्मनाक दौर में हमें एक तस्वीर मिली है सेन  फ्रांसिस्को के हालत की जिसे भेजा ज्योत्स्ना ढींगरा ने। यह तस्वीर कुछ उम्मीद बंधाती है।  एक नयी आशा जगाती है। इसे देख कर लगता है की अगर वहां ऐसा करिश्मा हो सकता है तो हम यहाँ ऐसा क्यों नहीं  कर सकते? यह तस्वीर कुछ अन्य मित्रों, पाठकों और शुभ चिंतकों ने भी पोस्ट की है। जल के बज़ारीकरण को रोकने के लिए वहां क्या कदम उठाया गया आप खुद ही पढ़िए और फिर सवाल कीजिये हमारे सिस्टम से कि आखिर हम ऐसा क्यों नहीं कर सकते? आईये कुछ करना ही होगा वरना धर्म-कर्म   भावनाओं की सभी बातें खोखली साबित होंगीं। हम चांद को भी धरती का टुकड़ा या पत्थर नहीं कहते बल्कि चंदा मां कहते हैं। भावना की इस पराकाष्ठा का कुछ तो लिहाज़ रखें।  सवाल करें की पीरों पैगंबरों की इस धरती पर जन्म लेकर भी हम  शुद्ध कारोबारी कैसे बन गए? यहाँ पीने  भी बिके यह हम सब के लिए एक शर्म की बात है।

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