Friday, February 27, 2015

हर आंख से आंसू पोंछना:

27-फरवरी-2015 12:27 IST
जन धन योजना, आधार और मोबाईल नंबर हल प्रदान करेंगे
केंद्रीय सरकार और राज्य सरकारें दोनों, अनेक उत्पादों की कीमत में सब्सिडी देती है जिनका सुविवेचित आशय गरीब के लिए उन्हें वहनीय कीमतों पर सामाग्री उपलब्ध कराना होता है। चावल, गेहूं, दाल चीनी, कैरोसिन, एलपीजी, नाफ्था, पानी, बिजली, डीजल, उर्वर, लौह अयस्क, रेलवे-जिंसों और सेवाओं, जिनके लिए सरकार सब्सिडी देती है, उनका केवल एक उपभाग है।हमेशा यह सवाल रहा है कि इनमें से कितनी सुविधाओं का लाभ गरीबों तक पहुंच रहा है-मूल्य सब्सिडियां प्राय: पश्चगामी हैं जिसका मतलब है कि इन सुविधाओं के फायदे गरीब व्यक्ति के मुकाबले धनी व्यक्ति को अधिक मिलते हैं।

Ø      बिजली में दी जाने वाली मुल्य सब्सिडी के बारे में बात करें तो इस अनुदानों से केवल 67.2 प्रतिशत परिवारों जिन्हें पहुंचायी गयी, को ही फायदा मिल सकता है।

Ø      सबसे गरीब परिवारों में से 50 प्रतिशत परिवार एलपीजी का 25 प्रतिशत उपभोग करते हैं।

Ø      मूल्य सब्सिडीकृत केरोसीन के अपेक्षाकृत अधिक भाग (41 प्रतिशत) का उपभोग ऐसे परिवारों द्वारा किया जाता है जो गरीब नहीं हैं और वास्तव में इसके 15 प्रतिशत का उपभोग अपेक्षाकृत संपन्न परिवारों (सबसे धनी 40 प्रतिशत) द्वारा किया जाता है।

Ø      जल यूटिलिटी के लिए आबंटित मूल्य सब्सिडी का बड़ा हिस्सा एक अनुमान से 85 प्रतिशत तक सब्सिडाइजिंग प्राइवेट नलों पर खर्च किया जाता है, जबकि गरीब परिवारों के 60 प्रतिशत परिवार सरकारी नलों से पानी लेते हैं।

Ø      अधीन रेल कीमतों का अधिकतर फायदा गरीब परिवारों की अपेक्षा अमीर परिवारों को ज्यादा मिलता है।

मूल्य सब्सिडी बाजारों में इस तरह की गड़बड़ी कर सकती है कि उनसे अंतत: गरीब आदमी आहत हो।

·     सब्सिडी परिवारों एवं फर्मों के प्रोत्साहनों में ग़़ड़बडी कर सकती है, इससे उत्पादकता कम हो जाती है और अक्सर गरीब एवं कमजोर वर्ग ही सबसे ज्यादा आहत होता है।

·     उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्यों और पानी के लिए मूल्य सब्सिडी दोनों के कारण ऐसी फसलें उगाई जाने लगती हैं जिनके लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है। इसकी वजह से भू-जल स्तर गिर जाता है जिसके कारण किसान, विशेषकर बिना सिंचाई वाले किसानों को नुकसान होता है।

·     चूंकि कम यात्री भाडे को क्रास सब्सिडाईज्ड किया जाता है, इसलिए भाड़ा टैरिफ विश्व में सर्वाधिक है। इससे भारतीय विनिर्माण की प्रतिस्पर्धा क्षमता कम हो जाती है एवं विनिर्मित वस्तुओं की लागत बढ़ जाती है जिनका गरीब परिवारों सहित सभी परिवार उपयोग करते हैं।

·     उर्वरकों के मूल्य में सब्सिडी देने का अंतत उद्देश्य किसान के लिए सस्ते उर्वरक उपलब्ध कराना है।

हेरा-फेरी (लीकेज) से उत्पाद सब्सिडी की करागरता पर गंभीर दुष्प्रभाव

पीडीएस लीकेज के विषय पर हालिया शैक्षणिक अनुसंधान ( कैरोसीन, चावल, गेहूं आदि) से पता चला है कि लीकेजेज कम तो हो रहे हैं लेकिन यह स्वीकार्यता की सीमा से बाहर हैं।
पीडीएस लीकेजेज
सामाग्री     
कीमत (करोड़ों में)
कैरोसीन
10000
चावल
5800
गेहूं
12600
नकद अंतरण से सुलभ होने वाली संभावनाएंहाल के ही प्रौद्योगिक साक्ष्य यह दस्तावेज प्रस्तुत करते हैं कि बिना शर्त के नकद अंतरण का अगर लक्ष्य सही होता है तो यह घरेलू उपभोग और परिसंपति स्वामित्व को बढ़ावा दे सकता है और अल्ट्रा निर्धनों की खाद्य  सुरक्षा की समस्याओं का कम कर सकता है।

जेएम नम्बर त्रिसूत्री समाधान    जैम नंबर त्रिसूत्री समाधान जन धन योजना, आधार, और मोबाईल नंबर से सरकार एक लक्षित रूप में और कम विकृत रूप से गरीब परिवारों को यह सहायता दे सकती है।

·        दिसंबर 2014 की स्थिति के अनुसार 720 मिलियन से अधिक नागरिकों को आधार कार्ड आवंटित किये गये हैं। दिसबंर 2015 तक देश में कुल आधार कार्ड धारकों की संख्या 1 बिलियन हो जायेगी। आधार संख्या को एक सक्रिय बैंक खाते से जोड़ना, आय अंतरण को लागू करने में महत्वपूर्ण है।



·        जन धन योजना के शुरू होने से बैंक खातों की संख्या में और वृद्धि होने की संभावना है तथा यह गरीबों के लिए वित्तीय संसाधनों के लक्ष्य बनाने और उन्हें अंतरण करने के अत्यधिक अवसर दे रही है।

दो वैकल्पिक वित्तीय सुपर्दगी तंत्र इस प्रकार हैं-मोबाईल मनी

·        इस समय 900 मिलियन से अधिक सैल फोन प्रयोगकर्ता तथा 600 मिलियन यूनीक प्रयोगकर्ता हैं, मोबाईल मनी से जनसंख्या के एक बड़े हिस्से को सीधे लाभ की सुपर्दगी करने का अनुपूरक तंत्र प्रस्तुत करता है। और यह संख्या 2.82 मिलियन नये प्रयोगकर्ताओं की दर से प्रति माह बढ रही है।

·        आधार के पंजीकरण में उपभोक्ता का मोबाईल नंबर भी शामिल है मोबाईल नंबर को यूनिक आइडैन्टीफिकेशन नंबर के कोड से जोड़ने के लिए जूरूरी प्रचलानात्मक अड़चने भी कम हैं।

डाकघरभारत में विश्व का सबसे बडा डाक नेटवर्क है जिसमें 1,55,015 डाकघर है तथा इनमें (89.76 प्रतिशत) ग्रामीण क्षेत्रों में हैं।

·        मोबाईल मनी की तरह डाकघर भी आधार से जुडे लाभ अंतरण ढांचे में आईएफएससी कोड का आवेदन करके बडी सरलता से इसमें फिट हो सकते हैं तथा डाकघर से जुडे अपने खातों को अपने साथ सीडिंग करना शुरू कर सकते हैं।

सभी प्रकार की सब्सिडी को सीधे खातों तक पहुंचाना ही सरकार का सबसे बडा लक्ष्य है। हांलाकि इस संबंध में उपादान बाजारों में दूसरी और तीसरी पीढ़ी के सुधारों पर बल दिया जा रहा है, इस प्रकार भारत बुनियादी पहली पीढी के आर्थिक सुधारों को पूरा कर पाने में सफल होगा।

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विजयलक्ष्मी कासोटिया/ अर्चना/ इंद्रपाल/ मनीषा/ रीता/ राजीव/ बीकेझा/ किशोर/ अवनीश/ विजय/ धर्मेंद्र/ शदीद/ यशोदा/ महेश/ गीता/ सुनील/ जगदीश- 10  

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