16 मार्च 2015 से: अनिशिचतकालीन हड़ताल
* आईबीए अपने आश्वासन से पीछे हटी
* यूएफबीयू ने अपनी हड़ताली कार्यवाही
को पुर्नजीवित करने का निर्णय लिया
लुधियाना: 20 फ़रवरी 2015: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
बरसात के बावजूद पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार एकत्र हुए बैंक मुलाज़िमों ने अपने संघर्ष के संकल्प के दोहराया और ज़ोरदार नारेबाजी की। यूएफबीयू के निर्णय के मुताबिक, सभी
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के आफिसर्स एवं कर्मचारी 4 दिवसीय हड़ताल पर रहेंगे ।
निर्णय के मुताबिक, यूएफबीयू लुधियाना इकाई ने आज भारतीय
स्टेट बैंक, सिविल लाईंन्स, नजदीक फुहारा चौंक, लुधियाना के सामने जबरद्स्त प्रदर्शन
किया । कामरेड नरेश गौड़, संयोजक, युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स, कामरेड गुल्शन चौहान,
कामरेड जे.पी.कालड़ा (ए.आई.बी.ओ.सी), कामरेड डी.सी.लांडरा (एन.सी.बी.ई), कामरेड पवन ठाकुर, प्रधान, पंजाब बैंक इम्पलाईज़ फैडेरेशन (लुधियाना इकाई),
कामरेड राकेश खन्ना, एसोसिएट बैंक्स
आफिसर्स एसोसिएशन (यूनिट : स्टेट बैंक आँफ पटियाला) ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया।
बैंक कर्मचारियों को संबोधित करते हुए फोरम
के नेताओं ने कहा कि आईबीए द्वारा त्वरित वेतन समझौते और सकारात्मक प्रगति की
पॄष्ठभूमि में यूएफबीयू ने अपनी 4 दिवसीय हड़ताल जो 21 जनवरी 2015 से होनी थी, को स्थगित
कर दिया था । 3 फरवरी 2015 को हुई समझौता वार्ता में आईबीए ने अपने
प्रस्ताव को 12.5% से 13% तक सुधारने का प्रस्ताव किया और यूएफबीयू से अपेक्षा की
कि वह अपनी माँग को थोड़ा कम करें । यूएफबीयू के गम्भीर और समझाने के प्रयास जिससे
कि एक तार्किक और पारस्परिक सहमत वेतन समझौता हो सके, को आईबीए
द्वारा गलत समझा गया और सरकार द्वारा कमज़ोरी समझा गया । अत्यन्त धैर्य के साथ, विगत दो
वर्षों से, यूएफबीयू अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास माँगों को सम्मानजनक
रुप से तय करने में लगाये हुये हैं । हर समयान्तराल पर, हमने अपना
लचीला रुख दिखाया है । किन्तु दुर्भाग्यवश आईबीए द्वारा इसका प्रत्युत्तर नहीं
दिया जा रहा है ।
नेताओं ने आगे कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में कर्मचारियों एंव अधिकारियों के वेतन संबंधी
मुद्दे इंडियन बैंक्स एसोसिएशन एवं बैंक कर्मचारियों तथा अधिकारियों की ट्रेड
यूनियनों की आपसी बातचीत के द्वारा तय किये जाते हैं । नौवां द्विपक्षीय समझौता 31.10.2012 को समाप्त हो गया है ।
इसलिए 1.11.2012 से नया समझौता लागु होना था । इस परिपेक्ष्य में युनाईटेड फोरम आफ बैंक
युनियन्स ने कर्मचारियों तथा अधिकारियों की मांगों से संबंधित पत्र इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को 30.10.2012 को दे दिया था । युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स ने इंडियन
बैंक्स एसोसिएशन को निवेदन किया था कि मांगों और समझौतों के बारे में शीघ्र से
शीघ्र फैसला लिया जाये । बेशक फरवरी 2013 में औपचारिक बातचीत शुरु हो गयी थी और अभी तक कई चरणों में चर्चा हो चुकी है । तेजी से और निरंकुश बढ़्ती
कीमतों ने कर्मचारियों के वेतन पर विपरीत असर डाला है, इसलिए वेतन संशोधन और भी
जरुरी हो गया है । उपभोक्ता मुल्य सूचकांक में नबंवर 2007 के बाद 2400 अंकों की बढ़ोतरी हुई है । इसलिए बढ़ती मुद्रास्फीति और बढ़ती कीमतों के कारण वेतन संशोधन
तत्काल आवश्यक हो गया है । बैंक की शाखाओं में स्टाफ की कमी के चलते तथा बैंकों के
व्यापार में लगातार बढ़ोतरी के कारण काम का बोझ काफी बढ़ गया है । कर्मचारी एवं
अधिकारी इस कारण बहुत तनाव और दबाव में काम कर रहे हैं । स्टाफ के कार्य क्षेत्र
में हाल ही में विभिन्न प्रकार के बदलाव आने के कारण उनके वेतन में समुचित बढोतरी
की जरुरत है । लेकिन यह
दुर्भाग्यपूर्ण है कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन द्वारा पिछले एक साल में समझौते के
प्रयासों में लगातार देरी की जा रही है ।
यथार्थ कुछ और है सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का मुनाफा (करोड़ रु)
वर्ष
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कुल मुनाफा
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खराब ऋणों के लिए प्रावधान
|
शुद्ध मुनाफा
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31.03.2012
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1,16,000
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66000
|
50000
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31.03.2013
|
1,21,000
|
71000
|
50000
|
31.03.2014
|
1,27,000
|
90000
|
37000
|
अत: कुल मुनाफा बढ़ रहा है किन्तु स्पष्ट है कि शुद्ध मुनाफा
खराब ऋणों पर प्रावधान करने के कारण कम है । यह भार सामान्य कर्मचारियों के कंधों
पर नहीं डाला जा सकता । वास्तव में यूनियनों ने आश्वस्त किया है कि हम खराब ऋणों
की वसूली कठोर उपायों से करने के मार्ग एवं उपाय ढूंढ सकते हैं जिससे कि बेहतर
उत्पादकता से मुनाफा बढ़ सके आदि आदि किन्तु यह अनुचित है कि उन्हें न्यायोचित वेतन
वृद्दि न दी जाये ।
जबकि बैंकिग उद्दोग का सारा कार्यबल सरकार
के विभिन्न प्रयासों को लागू करने के लिए जिससे कि हालिया जन धन योजना शामिल है हर
सम्भव प्रयास कर रहा है, जबकि कर्मचारी और अधिकारी अत्यन्त दबाव में और अधिकतम
कठिनाई के साथ कार्य कर रहे हैं क्योंकि मानवीय बल का अभाव है और कार्यभार बढ़ रहा
है, यह खेदजनक
है कि सरकार एक परोक्ष दर्शक बनी हुई है और बैंक कर्मचारियों की एक वास्तविक
अपेक्षा जो बेहतर और तर्कसंगत वेतन पुनरीक्षण के लिए है एक सम्मानजनक समझौता करने
के लिए किसी भी कदम की पहल नहीं कर रही है । यूएफबीयू एक बार पुन: संघर्ष के
मर्ग पर धकेल दी गई है ।
चूंकि आईबीए द्वारा दिया गया 0.5% वृद्धि का
प्रस्ताव अत्यन्त तुच्छ, अपर्याप्त और संतोषजनक नहीं था, यूएफबीयू ने
निर्णय लिया है कि अपनी हड़ताली कार्यवाही को निम्न प्रकार पुर्नजीवित किया जाय:-
20 फरवरी 2015
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बैज धारण करना एवं प्रदर्शन
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23 फरवरी 2015
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सभी प्रादेशिक राजधानियों पर प्रैस वार्ता
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24 फरवरी 2015
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सभी केन्द्रों पर केन्द्रीयकृत प्रदर्शन
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25 फरवरी से 28 फरवरी 2015
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4 दिवसीय अखिल भारतीय बैंक हड़ताल
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16 मार्च 2015
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अनिशिचतकालीन हड़ताल
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साथियों-एकजुटता
और एकता के साथ आगे बढें - आईये स्पष्ट रुप से प्रदर्शित करें कि हमारा
एक्यबद्ध आन्दोलन सफलता और केवल सफलता लाता है...वक्ताओं दोहराया कि:-----
"हम
संघर्ष करेंगे - हम संघर्ष करेंगे - जब
तक हम सफल हों - हम संघर्ष करेंगे"
Fri, Feb 20, 2015 at 4:26 PM |
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