Friday, June 27, 2014

बड़े नशा तस्कर अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर--अनीता शर्मा

Thu, Jun 26, 2014 at 3:34 PM
बेलन ब्रिगेड ने की बड़े नशा तस्करों पर शिकंजा कसने की मांग
लुधियाना: 26 जून 2014:  (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
अंतर्राष्ट्रीय  नशा विरोधी दिवस पर बेलन ब्रिगेड ने एक  विशाल आंदोलन  पर  और साथ ही स्पष्ट  कि बड़े नशा तस्करों पर  यह  वाली नहीं। संगठन की ओर से स्थानीय सर्कट हाउस में नशीली दवाओं के सेवन तथा अवैध तस्करी के खिलाफ एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान आर्चिटैक्ट व ब्रिगेड की अध्यक्षा अनीता शर्मा ने कहा की नशा हमारे देश के नौजवानो को नशा  दीमक की तरह खोखला कर रहा है। नशे का कुप्रभाव शरीर,दिमाग व देश की उन्नति में सबसे बड़ी बाधा बनकर उभर रहा है जिसके फलस्वरूप अपराध, सडक़ दुर्घटनाएँ व आत्म हत्या जैसी घटनाओं में भी वृद्धि हो रही है। श्रीमति शर्मा ने कहा कि नशा विरोधी दिवस के माध्यम से समाज  के नौजवानो को संदेश दिया जा रहा है कि नशा मानव जीवन के लिए घातक है जिस घर में नशा करने वाले हो उस घर में सुख शांति व समृद्धि नहीं आती। नशों  के कारण ही अनेकों घर तबाह हो चुके हैं। नशों का सेवन करने वाला व्यक्ति एक रोगी है जिसका उपचार होना अति आवश्यक है ,और ऐसे व्यक्ति को प्यार से समझा  बुझा कर नशे की दल- दल से बाहर निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि नशा करने वाले को प्यार से नशों के विरुद्ध समझाया जाए कि नशा कुछ पल का मजा है और जि़ंदगी भर की सजा है। यदि इस की लत लग जाए तो अपने जीवन के साथ- साथ पूरे परिवार का जीवन नर्क बन जाता है। उन्होंने अपील करते हुए कहा कि नशा करने वालों का सही मार्गदर्शन करने व उन्हें नशे के कीचड से निकालने के लिए हर व्यक्ति को अपना योगदान डालना चाहिए। इसके अतिरिक्त स्कूलों,कालेजो सहित धार्मिक व सामाजिक समारोहों में नशे के खिलाफ जागरूक करना चाहिए। श्रीमति शर्मा ने कहा कि नशे के सौदागरों के खिलाफ जन आंदोलन  चलाया जाए तथा सरकार व प्रशासन भी नशों के सौदागरों से नर्मी न बरतें और उन्हें सख्त सजा दे व उनका सामाजिक बहिष्कार करें। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनो में अनेकों नशे का सेवन करने वाले व नशा तस्करों को गिरफ्तार किया गया जबकि बड़े नशा तस्कर अभी भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है जिन पर शिकंजा कसा जाना अति आवशयक है। इस अवसर पर जैसिका,गुरप्रीत कौर,यश पाल कौर भिंडर,धर्मेन्द्र कुमार,रणदीप कुमार,एडवोकेट संजीव मल्होत्रा आदि उपस्थित थे।

Sunday, June 22, 2014

गड़वासू के छात्र संघर्ष को मिली और शक्ति

Updated on Tuesday 24 June 2014 at 10:26 PM
बेलन ब्रिगेड व यंग लॉयर ब्रिगेड ने भी किया खुल कर  समर्थन 
लुधियाना: 22 जून 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): 
ज्ञान प्राप्ति, समाज सेवा या  निर्माण जैसी बातें किसी ज़माने में शिक्षा प्राप्त करने का निशाना रहीं होंगीं लेकिन अब समय बदल चूका है। अब लोगों को वो पुरानी कहावत समझ आने लगी है---
खेलोगे कूदोगे बनोगे खराब--
-पढोगे लिखोगे बनोगे नवाब !

ऊंची शिक्षा पाने के बाद, पढ़ने के बाद किसी न किसी सरकारी नौकरी का मिल जाना किसी नवाबी से कम भी नहीं होता। आंधी आये या तूफ़ान---हर महीने काम से काम वेतन तो मिलता है।  अब यह बात अलग है कि जो लोग पढ़ने लिखने के मामले में किसी न किसी कारणवश चूक जाते हैं वे किस्मत या तिकड़म के बल पर इस देश में मंत्री भी बन जाते हैं और जो दिन रात मेहनत करके डिग्रियां पाते हैं वे बदनसीबी या फिर तिकड़म के मामले में अनाड़ी साबित होकर बूट केवल पोलिश करने  या कारें साफ़ करने पे मजबूर हो कर रह जाते हैं। गाडवासू के संघर्षशील छात्र छात्राएं उस दौर में और उस शहर में शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे हैं जहाँ कभी सराभा नगर में गोली चल जाती है और कभी भाई बाला चौंक में। गुंडागर्दी//छीनाझपटी जहाँ आम बात है। शिक्षा पाकर किसी अच्छी ज़िंदगी के सपने संजो कर बैठी ये छात्राएं उस माहौल में रात रात भर हड़ताल के तम्बू में अकेली बैठती हैं जिस माहौल में छेड़खानी और बलात्कार एक आम सी बात होकर रह गयी है। वे पशुपालन मंत्री गुलज़ार सिंह रनीके से मिलती हैं तो वहां  उन्हें साफ़ साफ़ कह दिया जाता है कि सरकार के पास फंडज़ नहीं हैं। उन्हें समझाया जाता है कि छोडो नौकरी में क्या रखा है---तुम लोग अपना काम-धंधा शुरू करो। डेयरी फार्मिंग करो---फिश फार्मिंग करो----कुछ भी करो---पर हमसे नौकरी न मांगो---शायद इसमें कुछ गलत भी नहीं पर सरकारें यह सब शिक्षा शुरू करने से पहले क्यों नहीं कहती? क्या उस समय सच्चाई जानबूझ कर छुपा ली जाती है? क्या उस वक़्त यह सोचा जाता है कि कहीं नौकरी न मिलने का सच सुन कर ये छात्र छात्राएं कहीं एडमिशन लेने का ख्याल ही न छोड़ दें? क्या उस समय कालेजों और विश्वविद्दालयों को एक दुकान समझ कर उनमें शिक्षा को एक सौदे की तरह बेचा जाता है? अगर उसी समय शिक्षा का मर्म और मकसद साफ़ कर दिया जाये तो शायद शिक्षा एक पूजा बन जाये।  क्यों किया जाता है इस युवा वर्ग का शोषण? कहाँ जाता है फीस के रूप में इन्हीं से मिलने वाला मिलने वाला फंड? उन फीसों का सदुपयोग क्यों इनका भविष्य संवारने के लिए नहीं किया जाता?
जब वे इन कालेजों में दाखिला लेने आती हैं तो क्यों कोई नहीं कहता कि इस पढ़ाई को करो या न करो हम तुम्हें कोई नौकरी नहीं देंगें।  कालेजों के प्रॉस्पेक्ट्स भी मौल लेकर बेचे जाते हैं। एक छात्र ने बताया कि प्रॉस्पेक्ट्स 2500/- रुपयों में दिया जाता है और कुल खर्च आ जाता है इस पढ़ाई पर करीब छह-सात लाख रूपये। उनसे हॉस्टल में रहने के पैसे भी लिए जाते हैं। उनको दी जाने वाली शिक्षा और हर सुविधा की एक ख़ास कीमत ली जाती है। किसी अच्छी ज़िंदगी के सपने दिखा कर  उनसे पैसे ऐंठ लिए जाते हैं चाहे वे पैसे क़र्ज़ से आये हों और चाहे मकान, दुकान या खेत बेच कर। उस पैसे  से सरकारों के खर्च चलते हैं।  मंत्रियों के शाही अंदाज़ पलते हैं। जब इस पैसे को नौकरी के रूप में लौटाने की बारी आती है तो जवाब मिलता है हड़ताल करो या भूख हड़ताल करो कोई नौकरी वौकरी नहीं मिलेगी क्यूंकि फंड ही नहीं है। बड़े बड़े अर्थशास्त्र विशेषज्ञों के शब्दजाल में उलझा यह समाज जब घर का पैसा और जवानी में कुछ कर दिखाने का वक़्त गंवा बैठता है तो उस वक़्त उन्हें समझ आता है उन्हें दिखाए गए सपनों का सच। उस दिन उन्हें समझ आता है हाथ में पकड़ी डिग्रियों का खोखलापन। तब उनके मुँह से चाह कर भी नहीं निकलता--मेरा देश महान। उस समय एक पुराना गीत अपने बोल याद दिलाता है--
सब कुछ लूटा के होश में आये तो क्या किया?
उस वक़्त मजबूर बेबस और लाचार से खड़े ये लड़के लड़कियां क़र्ज़ में डूबे परिवार का सामना करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते। उन्हें लगता है-
कारवां गुज़र गया-गुबार देखते रहे। 
इस कड़वे हालात में गडवासू के बीएचएफसी फाइनल ईयर के स्टूडेंट्स की हड़ताल 20 वें दिन भी जारी रही। उनके पास सांसद रवनीत बिटू, सांसद भगवंत मान, पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सतपाल गोसाईं और अब बेलन ब्रिगेड की प्रमुख अनीता शर्मा भी पहुँच चुकी हैं। लुधियाना की बेलन ब्रिगेड की अधयक्ष अनीता शर्मा, मैडम भिंडर  व यंग लॉयर ब्रिगेड के वकील संजीव मल्होत्रा यूनिवर्सिटी के गेट के सामने बैठे  स्टूडेंट्स को मनाने पहुंचे, लेकिन दोनों की कोशिशें असफल रही। स्टूडेंट्स ने पंजाब सरकार को अल्टीमेटम दिया कि अगर  उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वह चक्का जाम करेंगे।    बेलन ब्रिगेड  स्टूडेंट के पास पहुंची  और उनकी बातों को सुना।  उन्होंने स्टूडेंट्स को कहा कि वह जो भी फैसला करेंगे वह उनके साथ खड़े रहेंगे।  अनीता शर्मा ने  कहा कि वह स्टूडेंट की लड़ाई को उनके हक़ की लड़ाई समझती है और इनको न्याय  मिलना चाहिए। स्टूडेंट ने बताया की  यूनिवर्सिटी में दाखिला देते वक्त उनहे कहा गया  था की  मछली विभाग का डिग्री करो इसमें स्कोप बहुत  अच्छा है। लेकिन आज चार साल की मेहनत के बाद हासिल की गई डिगरी लेने के बाद उन्हें कोई सरकारी विभाग पूछता नहीं।  
यंग लॉयर ब्रिगेड के प्रधान संजीव  मल्होत्रा ने कहा की स्टूडेंट की मांगो को सरकार तुरंत  हल करे और  स्टूडेंट बहनें सड़क पर रात दिन गुजार रही है, पंजाब सरकार को उनकी कोई चिंता नहीं।
बेलन ब्रिगेड की इंचार्ज अनीता शर्मा ने कहा की यही स्टूडेंट्स  नोकरी न मिलने से परेशान होकर  डिप्रेशन में जा कर नशा करना चालू  कर देते है।  सरकार को स्टूडेंंट की मांगो को शीघ्र मान लेना चाहिए।
याद रखना होगा कि एक दिन यह देश और इसकी जनता लोगों के पैसे पर पलने वाले लीडरों के लश्करों से एक एक पैसे का हिसाब मांगेगी।

ABVP ने फिर की गड़वासु के हड़ताली छात्रों से मुलाक़ात 

Protest march in the Support of GADVASU striking students

Thursday, June 19, 2014

मुख्‍यमंत्री श्री बादल ने की वेंकैया नायडू से मुलाकात

19-जून-2014 19:50 IST
स्‍मार्ट सिटी योजना में अमृतसर को भी शामिल किए जाने का आग्रह
पंजाब के मुख्यमंत्री श्री प्रकाश सिंह बादल 19 जून, 2014 को नई‍ दिल्ली में केन्द्रीय शहरी विकास, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन तथा संसदीय कार्य मंत्री श्री एम वेंकैया नायडू से मुलाकात करते हुए।
The Chief Minister of Punjab, Shri Parkash Singh Badal calling on the Union Minister for Urban Development, Housing and Urban Poverty Alleviation and Parliamentary Affairs, Shri M. Venkaiah Naidu, in New Delhi on June 19, 2014. (PIB photo)
पंजाब के मुख्‍यमंत्री श्री प्रकाशसिंह बादल ने आज नई दिल्‍ली में केन्द्री य शहरी विकासमंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू से मुलाकात की। उनके बीच जेएनएनयूआरएम के तहत पंजाब को दी गई विभिन्‍न परियोजनाओं पर चर्चा हुई। 

बातचीत के दौरान, श्री बादल ने शहरी विकास मंत्री का ध्‍यान केन्‍द्र सरकार से मिलने वाली धनराशि की ओर दिलाया। शहरी विकास मंत्री ने वित्‍त मंत्रालय फंड मिलते ही जल्‍दी से जल्‍दी देय धनराशि पंजाब को देने का भरोसा दिलाया। 

मुख्‍यमंत्री ने पंजाब को भारत सरकार की आगामी स्‍मार्ट सिटी योजना में अमृतसर को भी शामिल किए जाने का आग्रह किया। श्री नायडू ने उनके इस आग्रह पर अनुकूल विचार किए जाने का आश्‍वासन दिया। 

छत्‍तीसगढ़ के सार्वजनिक निर्माण विभाग मंत्री श्री राजेश मुनत ने भी केन्‍द्रीय शहरी विकास मंत्री से मुलाकात कर कहा कि उनका मंत्रालय रोजगार, मनोरंजन और शिक्षा के लिए एक स्‍मार्ट सिटी योजना तैयार कर रहा है। श्री नायडू ने श्री मुनत को आश्‍वासन दिया कि नया राजधानी शहर होने के नाते नए रायपुर के बारे में इस योजना के अधीन विचार किया जाएगा। 

कर्नाटक के शहरी विकास मंत्री श्री विनय कुमार सौरक के नेतृत्‍व में एक शिष्‍टमंडल ने भी केन्‍द्रीय शहरी विकास मंत्री से मिलकर राज्‍य के लिए जेएनएनयूआरएम के तहत अतिरिक्‍त धनराशि की मांग की। उन्‍होंने शहरी परिवहन व्‍यवस्‍था आधुनिकीकरण के लिए भी अतिरिक्‍त धनराशि की व्‍यवस्‍था करने का आग्रह किया। श्री नायडू ने उन्‍हें इस मामले पर उचित विचार किए जाने का आश्‍वासन दिया। (PIB)

वि.कासोटिया/एनटी/यूएन-2033

प्रजातंत्र से प्रशस्त होता विकास का मार्ग

Thu, Jun 19, 2014 at 4:32 PM
बिजली की दरों को प्रभावित करती गैस की कीमत
हमारी बातचीत का विषय प्रजातंत्र है. प्रजातंत्र आज की डेमोक्रेसी नहीं है; यह उससे अलग है. पांच वर्ष में एक बार वोट देकर हम शासकों को चुनते हैं, जो संविधान द्वारा प्रतिपादित एक तंत्र अथवा शासनतंत्र के तहत काम करते हैं. प्रजातंत्र शासनतंत्र से अलग है. देखा जाय तो आज प्रजा में कोई तंत्र या व्यवस्था है ही नहीं। आज प्रजा और भीड़ में कोई अंतर नहीं है। सदियों पूर्व भारतीय ऋषियों ने इसकी जरूरत को समझा और शासनतंत्र के साथ-साथ वर्णाश्रम के रूप में प्रजा का भी एक तंत्र बनाया। ऐसे राष्ट्र को जिसमें शासनतंत्र एवं प्रजातंत्र दोनों हों, उसे विराट कहा. यह विराट क्या है ? विराट एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है "एक ऐसा विशाल जिसमें सब चमकते हैं '। सीधी भाषा में कहें तो ऐसा देश जिसमें कोई गरीब नहीं है। 
एक ऐसा राष्ट्र  जिसमें शासनतंत्र एवं प्रजातंत्र दोनों हैं वह पूर्ण भी है। पूर्ण की यह भारतीय कल्पना भी बहुत क्रांतिकारी है। आप सबने ईशोपनिषद का यह श्लोक तो सुना ही होगा: 
ॐ पूर्णमदः पूर्णमिदम पूर्णात पूर्णमुदच्यते ! 
पूर्णस्य पूर्णमादाय पूर्णमेवावशिश्य्ते !! 
श्लोक का भावार्थ इस प्रकार है-पूर्ण से पैदा हुआ है इसलिए पूर्ण है। पूर्ण से पूर्ण निकालने से जो शेष बचेगा वह भी पूर्ण होगा। पूर्ण न घटता है न बढ़ता, एक रस रहता है। इस पूर्ण की कल्पना को पत्नि एवं पति से बने परिवार से समझा जा सकता है, क्योंकि वह भी पूर्ण है। एक परिवार अनेकों परिवारों को जन्म देकर भी पूर्ण ही रहता है। परिवारों की यह कड़ी पुरुष एवं स्त्री के संयोग से ही निरंतर चलती रहती है। परिवार में पुरुष कठोर है जबकि स्त्री सौम्य है। अग्नि स्वरुप पुरुष जीवनदाता है लेकिन उस जीवन को पालना-पोसना स्त्री का काम है। 

आज शासनतंत्र देश की जीडीपी बढाने में तो सक्षम हो जाता है पर गरीबी मिटाना एक मुश्किल काम होता है। भीड़ से किसी उपयोगी कार्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती। गरीबी मिटाने के लिए प्रजा का एक तंत्र होना जरूरी है। जैसे कि मैं पहले कह चुका हूँ वर्णाश्रम प्रजा का एक प्राचीन तंत्र है, जो इस देश में महाराजा मनु के समय से आजतक जाति-व्यवस्था के रूप में प्रचलित रहा है। हमें इसके मूलभूत सिद्धांतों को समझ आधुनिक परिवेश में एक नए रूप में प्रस्तुत करना होगा। 

वर्णाश्रम दो शब्दों वर्ण एवं आश्रम से मिलकर बना है। ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र चार वर्ण हैं, तथा ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ एवं संन्यास चार आश्रम हैं। आश्रम शब्द में श्रम अथवा पुरुषार्थ निहित है, और धर्म अर्थ, काम, एवं मोक्ष के रूप में ये भी चार हैं। वर्णाश्रम चुंकि एक शब्द है इसलिए वर्ण, आश्रम एवं पुरुषार्थ का आपस में सम्बन्ध होना चाहिए. जन्म के समय शिशु ज्ञान-शून्य है इसलिए उसे शूद्र या कुछ और भी कह सकते हैं। आज भूमंडलीकरण के युग में युवाओं को पूरे विश्व का ज्ञान लेना चाहिए।    कौन जाने किसे राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर पहुँच राज-धर्म निभाना पड़े ? वर्णाश्रम के अनुसार युवाओं का वर्ण शूद्र, आश्रम ब्रह्मचर्य तथा पुरुषार्थ धर्म था। 
प्रजातंत्र से प्रशस्त होता विकास का मार्ग

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय: सुझाव/टिप्‍पणियां आमंत्रित

19-जून-2014 13:27 IST
मंत्रालय ने किशोर न्‍याय अधिनियम 2014 के लिए मांगे सुझाव 
स्केच साभार:महिला एवं बल विकास 
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने वर्तमान जे जे अधिनियम, 2000 को निरस्‍त तथा फिर से तैयार करने का फैसला लिया है। प्रस्‍तावित बाल अपराध न्‍याय (बच्‍चों की देखभाल एवं सुरक्षा) अधिनियम 2014 की रूप-रेखा तैयार कर ली गई है जिसमें पहले की परामर्श प्रक्रिया के दौरान दिये गये सुझाव शामिल किये गये हैं। मंत्रालय ने अपनी वेबसाइट www.wcd.nic.in पर अधिनियम की रूप-रेखा की प्रति अपलोड कर दी है ताकि नागरिक समाज के लोग, गैर-सरकारी संस्‍थान एवं अन्‍य व्‍यक्ति अपने सुझाव/टि‍‍प्‍पणियां दे सके।
पिछले कुछ वर्षों के दौरान बच्‍चों की सुरक्षा के लिए कानून निर्माण और उनके कार्यान्‍वयन से संबंधित मुद्दे उठते रहे हैं। वर्तमान अधिनियम में नये प्रावधानों को शामिल करके और पहले के प्रावधानों को मजबूत करके इन मुद्दों को संबोधित किये जाने की आवश्‍यकता है। इसे सुनिश्चित करने के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने सभी राज्‍यों/संघशासित प्रदेशों और नागरिक समाज संगठनों के साथ निम्‍नलिखित बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया:1. संस्‍थानों, परिवारों और समुदायों में बच्‍चों के शोषण की बढ़ती घटनाएं।

2. आश्रय स्‍थलों में अपर्याप्‍त सुविधाएं, देखभाल और पुनर्वास की गिरती गुणवत्‍ता।

3. अधिनियम के तहत विभिन्‍न प्रक्रियाओं में देरी। उदाहरण के लिए बाल कल्‍याण समिति तथा बाल अपराध बोर्ड के तहत मामलों की अत्‍यधिक भीड़ के चलते फैसले में होने वाली देरी।

4. गोद लेने की प्रक्रिया में देरी।

5. बच्‍चों के विरूद्ध अपराधों से निपटने के लिए अपर्याप्‍त कानूनी प्रावधान।

6. 16 से 18 वर्ष आयु वर्ग में किशोरों से संबंधित प्रावधानों का कानून के साथ टकराव।


संगठनों और व्‍यक्तियों को प्रस्‍तावित अधिनियम की समीक्षा करने और सुझाव देने के लिए प्रोत्‍साहित किया जाता है। अपने सुझाव 15 दिन के भीतर 03.07.2014 को सायं 6.00 बजे तक vivek.joshi@nic.in तथा ashi.kapoor@nic.in, jyotimathur@yahoo.co.in पर भेजें।(PIB)
वि.कासोटिया/एएम/आर/एसएस-2017

Sunday, June 15, 2014

अजनाला के कुँए का मामला अब और गंभीर

 Fri, Jun 13, 2014 at 12:02 PM
1 अगस्त को किया जाएगा सन् 1857 के हिंदूस्तानी सैनिकों का संस्कार
अस्थियों के संस्कार से पहले शहीद सैनिकों के नामों की जानकारी मंगवाए सरकार-कोछड़
पंजाब सरकार युद्ध-स्तर पर पुनः शुरू करेगी कार्रवाई-रंधावा
पंजाब सरकार को भेजे मांग-पत्र के संबंध में जानकारी देते हुए इतिहास श्री सुरेंद्र कोछड़
अमृतसर, 13 जून 2014: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
अमृतसर की तहसिल अजनाला के कुएं में से निकाली गई सन् 1857 के राष्ट्रीय विद्रोह के 282 हिंदूस्तानी सैनिकों की अस्थियों का अंतिम संस्कार अजनाला में 1 अगस्त 2014 को किया जाएगा। यह जानकारी पंजाब सरकार द्वारा उक्त शहीदी कुँआ स्मारक तथा अस्थियों के रख-रखाव को लेकर बनाई गई सलाहकार कमेटी के सदस्य इतिहासकार एवं शोधकर्ता श्री सुरेंद्र कोछड़ ने कल्चरल, पुरातत्व तथा म्यूजि़यम विभाग पंजाब के डायरेक्टर स. नवजोत पी. सिंह रंधावा को मेमोरंडम के रूप में दी। मांग पत्र में श्री कोछड़ ने बताया कि उन्होंने उक्त कुँए में से अपनी शोध के आधार पर गुरूद्वारा शहीदगंज कमेटी के सहयोग से जो शहीद हिंदूस्तानी सैनिकों की अस्थियां निकलवाईं थी; को जाँच के लिए चंडीगढ़ लिजाने से पहले उनमें से बहुत सी अस्थियों को फोरेंसिक साईंस तथा डी.एन.ए. माहिरों ने नकारा घोषित कर दिया था। उन्होंने बताया कि उक्त नकारा घोषित की गई अस्थियां जो मुरम्मत करके अजायब-घर में नहीं रखी जा सकती, का अजनाला में एक अगस्त को अंतिम संस्कार किया जाएगा। श्री कोछड़ के अनुसार उक्त हिन्दूस्तानी सैनिकों के अंतिम संस्कार समारोह में शामिल होने के लिए देश-विदेश की समाजिक, धार्मिक,  शिक्षा संस्थायों, भारतीय सेना तथा देश के प्रमुख राजनीतिज्ञों सहित देश के प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति को पत्र भेजे जा रहे हैं।
अजनाला के उक्त कुँए की खोज करके उसमें से सन् 1857 के राष्ट्रीय विद्रोह के सैनिकों की अस्थियां निकलवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले इतिहासकार श्री कोछड़ ने मांग-पत्र में इस बात पर भी जोर दिया है कि पंजाब सरकार भारतीय गृह मंत्रालय की मार्फत ब्रिटेन सरकार से उक्त शहीदों ने नामों सहित शेष जानकारी दो सप्ताह के भीतर मंगवाए और सैनिकों की अस्थियों का संस्कार सम्मान-पूर्वक ढंग से करने के लिए अजनाला में तुरंत उचित जगह उपलब्ध कराई जाए। श्री कोछड़ के अनुसार शहीद हिंदूस्तानी सैनिकों की पहचान के संबंध में जानकारी तथा संस्कार के लिए उचित जगह मिलने के बाद ही उनका पूर्ण धार्मिक विधि से संस्कार किया जाना संभव है। उन्होंने कहा कि कुँए में से निकली अस्थियों की जांच करने वाले माहिरों को भी आदेश जारी किए जाएं कि अस्थियों की जांच रिपोर्ट जल्दी उन्हें सौंपी जाए, चूंकि सन् 1857 के अजनाला नरसंहार के संबंध में शोध का अधूरा कार्य पूरा किया जा सके।
उधर श्री कोछड़ द्वारा दिए मांग-पत्र को गंभीरता से लेते हुए डायरेक्टर श्री रंधावा ने डिफैंस विभाग तथा अस्थियों की जांच करने वाले माहिरों को जल्दी जांच रिपोर्ट पेश करने के आदेश जारी कर दिए हैं। इस के साथ ही उन्होंने यह भी विश्वास दिलाया है कि संबंधित विभागों के प्रमुख अधिकारी दो-चार दिन के भीतर अजनाला पहुँचकर हिंदूस्तानी सैनिकों के संस्कार तथा स्मारक के निर्माण के संबंध में युद्ध स्तर पर कार्रवाई शुरू करेंगे।
सैनिकों की स्मृति में स्मारक निर्माण का निर्णय सरकारों का
सैनिकों की स्मृति में स्मारक निर्माण के संबंध में पूछने पर श्री कोछड़ ने कहा कि अजनाला में उक्त हिन्दूस्तानी सैनिकों की याद में स्मारक निर्माण का फैसला पंजाब व केंद्र सरकार की स्वे-इच्छा तथा देशवासियों की मांग पर निर्भर करता है। उन्होंने बताया कि सेना के अधिकारी स्थानीय सर्किट हाऊस में चीफ सैकेट्ररी पंजाब, डिप्टी कमिश्नर अमृतसर, एस.जी.पी.सी., प्रमुख पुलिस अधिकारियों तथा उनके समक्ष स्पष्ट तौर पर पहले ही यह दावा रख चुके हैं कि कुँए में से निकाले गए कंकाल उन जांबाज हिन्दूस्तानी फौजियों के हैं, जिन्होंने ब्रिटिश के विरूद्ध बगावत की थी और इसी कारण अजनाला में बंदी बनाकर उन्हें बेरहमी से कत्ल किया गया। इस लिए भारतीय सेना उक्त शहीदों को सम्मान देने के लिए इतिहासकार श्री कोछड़ से बातचीत करके वहां वार-मेमोरियल अवश्य बनाऐगी।
अलग से डिब्बी में लगाने के लिए
खुदाई से पहले कुँए पर किया जा रहा था गुरू ग्रंथ साहिब का प्रकाश
अजनाला के उक्त कुँए के संबंध में यह बताना भी अनिवार्य है कि खुदाई से पहले जानकारी के अभाव के कारण विगत् 42 वर्षों से मानव कंकालों से भरे उक्त कुँए के बिल्कुल ऊपर श्री गुरू ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया जा रहा था तथा इतिहासकार श्री सुरेंद्र कोछड़ से पहले किसी भी इतिहासकार, शोधकर्ता विद्धान या जत्थेबंदी ने कुँए की तालाश करके उसमें से अस्थियां निकलवाने की पहल नहीं की। श्री कोछड़ ने उक्त कुँए को ज़ाहिर करके उसमें दफन मानव शवों के ढेर के ऊपर से श्री गुरू ग्रंथ साहिब का प्रकाश नए उचित स्थान पर तबदील करवाकर सिख रहित मर्यादा तथा सिखों की धार्मिक भावनायों के हनन होने की कार्रवाई को रोका है।