30-अप्रैल-2014 19:47 IST
मणिपुर विश्वविद्यालय के समारोह में बताये छात्रोँ को जिँदगी के गुर
पूर्वोत्तर भारत में उच्च शिक्षा का प्रधान केन्द्र मणिपुर विश्वविद्यालय के इस 14वें दीक्षांत समारोह में शामिल होकर मुझे बड़ी खुशी है।
1980 में अपनी स्थापना से ही मणिपुर विश्वविद्यालय पूर्वोत्तर क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट भूमिका निभा रहा है। अपने पाठ्यक्रम के जरिए यह भारत के समेकित संस्कृति को फैला रहा है। इसके कार्यक्रम और नीतियों का उद्देश्य मानवता की भावना, सहनशीलता और जानकारी को बढ़ाना है। मैं इस विश्वविद्यालय के प्रणेताओं से अपील करता हूं कि वे पूरी लगन और शिद्दत से विश्वविद्यालय का विकास करते रहें।
प्रिय छात्रों :
मैं उन सभी छात्रों को बधाई देता हूं, जिन्हें आज डिग्री मिल रही है। मैं श्री रिशांग किशिंग और श्री एल. वीरेन्द्र कुमार सिंह को बधाई देता हूं, जिन्हें डॉक्टर ऑफ लॉ और डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
किसी भी अकादमिक संस्थान के लिए दीक्षांत समारोह अति महत्वपूर्ण होता है। छात्रों और अध्यापकों के जीवन के जीवन में यह क्षण महत्वपूर्ण होते हैं। इस दिन छात्रों को अपनी कड़ी मेहनत का फल मिलता है। आप ज्ञान और मजबूत चरित्र से लैस होकर विश्वविद्यालय की सीमा छोड़ेंगे। विश्वविद्याल से बाहर जाकर परिवर्तन करें, अपने आस-पास के लोगों के जीवन को छूएं और उसमें बदलाव लाएं और खुशहाल विश्व बनाएं।
मित्रों शिक्षा से अंधकार से प्रकाश की ओर, पिछड़ेपन को छोड़ आगे बढ़ा जाता है और बेहतर जीवन बनता है। भविष्य में तरक्की के लिए निवेश से अगर किसी को जोड़ा जाता है, तो वह है शिक्षा। शिक्षा की मजबूती से देश का निर्माण होता है और लम्बे समय ज्ञान से विकास हासिल किया गया है। ऐसे देशों ने बदलते संसाधनों को बड़ी आसानी से ग्रहण किया है। शिक्षा से ही उन्हें संसाधन की कमियों से निपटने की क्षमता हासिल हुई है और उच्च तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था तैयार की गई है। अगर भारत दुनिया की कतार में आगे रहना चाहता है, तो यह सुदृढ़ शिक्षा पद्धति के जरिए ही हासिल किया जा सकता है।
भारत में बड़ी संख्या में युवा हैं। दो तिहाई जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु के लोगों की है। वे हमारा भविष्य है, इसलिए उन्हें अच्छा नागरिक बनाने की आवश्यकता है। भारत में 20 प्रतिशत से कम लोगों का उच्चशिक्षा के क्षेत्र में नामांकन है। उच्चशिक्षा के सरंचना को बढ़ाने के लिए त्वरित प्रयास किये जा रहे है, क्योंकि यह पर्याप्त नहीं है और इससे हमारी आगे आने वाली पीढ़ी की क्षमता कम हो सकती है। पिछले दशक के दौरान मणिपुर विश्वविद्यालय सहित कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का निर्माण एक निर्णायक कदम था। मणिपुर विश्वविद्यालय को 2005 में केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाया गया था। ये विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के उच्चशिक्षा केन्द्र नालंदा और तक्षशिला जैसा सम्मान पाने में सक्षम हैं।
अगर हम हमारे देश की उच्चशिक्षा की स्थिति का ईमानदारी से आंकलन करें, तो यह कह सकते है कि विश्वस्तर की तुलना में कई उच्च अकादमिक संस्थान से बेहतर स्नातक नहीं निकल पा रहे है। विश्व की सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों की सूची में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है। इस मुद्दे पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के उप-कुलपतियों की वार्षिक बैठक में भी विचार-विमर्श किया गया था।
मुझे यह जानकर खुशी है कि हमारे संस्थानों भी रैंकिंग प्रक्रिया को अब गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष सितम्बर में आईआईएम कोलकाता को एक सम्मानीय एंजेंसी द्वारा प्रबंधन कार्यक्रम में स्नातकोत्तर की डिग्री देने वाला सबसे अच्छा बिजनेस स्कूल का दर्जा दिया गया।
मित्रों: शिक्षा के आधार शिक्षक होते है। अच्छे अध्यापक शिक्षा मानकों को दर्शाते है। शिक्षकों के विकास के लिए कई उपाय की आवश्यकता है। रिक्त पड़े अध्यापकों के पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरना होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में विविधता और नये विचार लाने के लिए विदेश से प्रतिभाशाली शिक्षकों की भर्ती की जानी चाहिए।
हमारे विश्वविद्यालय के काम-काज को जिन बीमारियों ने घेर रखा है वह अच्छे शासन व्यवहार के अभाव के कारण है। शासन के ढ़ांचे को निर्णय लेने की तेज पारदर्शी व्यवस्था विकसित करनी होगी। इस संदर्भ में संस्थान के पुराने लोगों को शासन व्यवस्था में शामिल करके ऐसी गतिशीलता दी जा सकती है जिसकी हमारी संस्थानों में कमी है। वर्तमान पाठ्यक्रमों की समीक्षा तथा नए पाठ्यक्रमों को लागू करने में भी संस्थान के पुराने लोगों के अनुभवों को लाभ उठाया जा सकता है।
उद्योग के साथ व्यापक स्तर पर साझेदारी विकसित करने के लिए ठोस प्रयास करना होगा। उद्योग और शिक्षा जगत के बीच आपसी संबंध के लिए संस्थागत प्रबंध करना आवश्यक है। इससे शोध, पीठ तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए प्रायोजक मिल सकेंगे।
टैक्नोलॉजी बेहतरीन ज्ञान वाहक और सूचना का प्रसारक होती है। ज्ञान के नेटवर्क से बौद्धिक सहयोग में मदद मिलती है। इससे शारीरिक परेशानियां भी समाप्त होती हैं। टैक्नोलॉजी आधारित मीडिया अकादमिक आपाद-प्रदान के लिए समय की आवश्यकता है।
हमारे विश्वविद्यालयों में शोध की अनदेखी की स्थिति बदलनी होगी। हमारी शिक्षा प्रणाली में हमें बहु-विषयात्मक दृष्टि अपनानी होगी क्योंकि अधिकतर शोधकार्यों में विभिन्न विषयों के लोगों की आवश्यकता होती है। हमें उन क्षेत्रीय विशेषताओं पर जोर देना होगा जहां विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। मणिपुर विश्वविद्यालय अपने शोध विशेषज्ञता को इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता दे सकता है कि मणिपुर राज्य जैवविविधता वाला राज्य है।
हमारे विश्वविद्यालयों का कर्तव्य है कि वे जिज्ञासा का वातावरण बनाएं और अपने विद्यार्थियों को वैज्ञानिक शोध प्रदान करें। विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों के विचारों तथा बुनियादी खोजों को पंख लगाना चाहिए। नए विचारों को अच्छे उत्पाद में बदला जा सकता है और इस काम में विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका अदा कर सकते हैं। अनेक केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने इनोवेशन क्लब स्थापित किए गए हैं। इसे और आगे बढ़ाने के लिए उस इलाके में स्थापित आईआईटी और एनआईटी के इंक्यूबेटर्स का सहयोग लेना चाहिए। इंक्यूबेटरों के साथ क्लबों के जुड़ाव से शोध के अग्रणी केंद्रों और आम आदमी के बीच संपर्क के लिए 'इनोवेशन वेब' बनाने में मदद मिलेगी। आशा है कि मणिपुर विश्वविद्यालय अगले कुछ वर्षों में नए खोज को बढ़ावा देगा। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि विश्वविद्यालय ने इस दिशा में कदम बढाए हैं।
मित्रों, मणिपुर एक सुंदर राज्य है और कला, संस्कृति तथा खेल-कुद के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। मणिपुर के युवाओं और महिलाओं की उपलब्धियों पर भारत को गर्व है। मणिपुर भविष्य में देश को और गौरव दिलाएगा। यह आवश्यक है कि सभी लोग विशेषकर इस राज्य के युवा यह मानते हैं कि हिंसा रहित माहौल में ही अर्थव्यवस्था तथा समाज फल-फूल सकता है। हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं होता। हिंसा दर्द को बढ़ाती है और सभी पक्षों को आहत करती है।
मैं मणिपुर के युवाओं का आह्वान करता हूं कि वे अपने देश का भविष्य संवारने में देश के बाकी हिस्सों के युवाओं के साथ मिलकर काम करें। चाहे व्यापार हो, उद्योग हो, शिक्षा हो या संस्कृति हो हमारे देश के लोग विचारों, उद्यमों तथा युवा आबादी की ऊर्जा के बल पर आगे बढ़ रहे हैं।
उभरते हुए भारत में मणिपुर के युवाओं के लिए अपार अवसर हैं। मैं मणिपुर के युवाओं से अपील करता हूं कि वे हिंसा तथा तनाव के काले दिनों को पीछे छोड दें और नया सवेरा होने दें। हमें अपने सामूहिक भविष्य में विश्वास करते हुए आगे बढ़ना होगा। मैं यह आश्वस्त करना चाहूंगा कि भारत सरकार तथा मणिपुर की सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्य से बंधे हुए हैं कि प्रत्येक मणिपुरी का जीवन सम्मानजनक हो और उन्हें समान अधिकार और अवसर मिले। इसी कारण राज्य में अनेक प्रमुख आर्थिक विकास कार्यक्रम अवसंरचना परियोजनाएं शुरू की जा रही है।
मैं सफल और शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए मणिपुर के लोगों को धन्यवाद देता हूं। हमें खुशी मनाने चाहिए कि हम विश्व के सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव जारी है और मणिपुर सहित हमारे देश के लोग बड़ी संख्या में अपना वोट डालने निकल रहे हैं और अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि 2009 में प्रतिबंधित मणिपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ अगले शैक्षिक सत्र से फिर अस्तित्व में आएगा। मुझे विश्वास है कि छात्र संघ इस विश्वविद्याल के विद्यार्थियों के कल्याण में महत्वपूर्ण और साकारात्मक भूमिका अदा करेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजधानी दिल्ली में पूर्वोत्तर के युवाओं पर हमले की दुखद घटनाएं देखने को मिली है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश का बहुलवादी चरित्र तथा भारत की एकता का तार ऐसी घटनाओं से कमजोर न हो। मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार तथा दिल्ली की सरकार ने अभियुक्तों को पकड़ने और उन्हें सज़ा दिलाने में दृढ़ कदम उठाए हैं और ऐसे उपाय सुनिश्चित किए हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
मित्रों, भारत नए अवसरों तथा उंची उपलब्धियों के चौराहे पर खड़ा है भारत द्वारा विश्व का नेतृत्व करने की बात अब कोई काल्पनिक बात नहीं है। आप देश के शिक्षित युवा उभरते हुए नए भारत का निर्माण करेंगे। अपनी शिक्षा का इस्तेमाल समाज में परिवर्तन के लिए करें। आप महात्मा गांधी की इन शब्दों से प्रेरणा लें 'शिक्षा का मूल आप के अंदर की श्रेष्ठ बातों को बाहर निकालना है' मैं भविष्य में मणिपुर विश्वविद्यालय की सफलता और आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हू्ं।
धन्यवाद जय हिन्द
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वि.के./एजी/ए.एम./वाई.बी/एसकेपी-1451
मणिपुर विश्वविद्यालय के समारोह में बताये छात्रोँ को जिँदगी के गुर
पूर्वोत्तर भारत में उच्च शिक्षा का प्रधान केन्द्र मणिपुर विश्वविद्यालय के इस 14वें दीक्षांत समारोह में शामिल होकर मुझे बड़ी खुशी है।
1980 में अपनी स्थापना से ही मणिपुर विश्वविद्यालय पूर्वोत्तर क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने में उत्कृष्ट भूमिका निभा रहा है। अपने पाठ्यक्रम के जरिए यह भारत के समेकित संस्कृति को फैला रहा है। इसके कार्यक्रम और नीतियों का उद्देश्य मानवता की भावना, सहनशीलता और जानकारी को बढ़ाना है। मैं इस विश्वविद्यालय के प्रणेताओं से अपील करता हूं कि वे पूरी लगन और शिद्दत से विश्वविद्यालय का विकास करते रहें।
प्रिय छात्रों :
मैं उन सभी छात्रों को बधाई देता हूं, जिन्हें आज डिग्री मिल रही है। मैं श्री रिशांग किशिंग और श्री एल. वीरेन्द्र कुमार सिंह को बधाई देता हूं, जिन्हें डॉक्टर ऑफ लॉ और डॉक्टर ऑफ लिटरेचर की उपाधि से सम्मानित किया गया है।
किसी भी अकादमिक संस्थान के लिए दीक्षांत समारोह अति महत्वपूर्ण होता है। छात्रों और अध्यापकों के जीवन के जीवन में यह क्षण महत्वपूर्ण होते हैं। इस दिन छात्रों को अपनी कड़ी मेहनत का फल मिलता है। आप ज्ञान और मजबूत चरित्र से लैस होकर विश्वविद्यालय की सीमा छोड़ेंगे। विश्वविद्याल से बाहर जाकर परिवर्तन करें, अपने आस-पास के लोगों के जीवन को छूएं और उसमें बदलाव लाएं और खुशहाल विश्व बनाएं।
मित्रों शिक्षा से अंधकार से प्रकाश की ओर, पिछड़ेपन को छोड़ आगे बढ़ा जाता है और बेहतर जीवन बनता है। भविष्य में तरक्की के लिए निवेश से अगर किसी को जोड़ा जाता है, तो वह है शिक्षा। शिक्षा की मजबूती से देश का निर्माण होता है और लम्बे समय ज्ञान से विकास हासिल किया गया है। ऐसे देशों ने बदलते संसाधनों को बड़ी आसानी से ग्रहण किया है। शिक्षा से ही उन्हें संसाधन की कमियों से निपटने की क्षमता हासिल हुई है और उच्च तकनीक आधारित अर्थव्यवस्था तैयार की गई है। अगर भारत दुनिया की कतार में आगे रहना चाहता है, तो यह सुदृढ़ शिक्षा पद्धति के जरिए ही हासिल किया जा सकता है।
भारत में बड़ी संख्या में युवा हैं। दो तिहाई जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु के लोगों की है। वे हमारा भविष्य है, इसलिए उन्हें अच्छा नागरिक बनाने की आवश्यकता है। भारत में 20 प्रतिशत से कम लोगों का उच्चशिक्षा के क्षेत्र में नामांकन है। उच्चशिक्षा के सरंचना को बढ़ाने के लिए त्वरित प्रयास किये जा रहे है, क्योंकि यह पर्याप्त नहीं है और इससे हमारी आगे आने वाली पीढ़ी की क्षमता कम हो सकती है। पिछले दशक के दौरान मणिपुर विश्वविद्यालय सहित कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों का निर्माण एक निर्णायक कदम था। मणिपुर विश्वविद्यालय को 2005 में केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाया गया था। ये विश्वविद्यालय प्राचीन भारत के उच्चशिक्षा केन्द्र नालंदा और तक्षशिला जैसा सम्मान पाने में सक्षम हैं।
अगर हम हमारे देश की उच्चशिक्षा की स्थिति का ईमानदारी से आंकलन करें, तो यह कह सकते है कि विश्वस्तर की तुलना में कई उच्च अकादमिक संस्थान से बेहतर स्नातक नहीं निकल पा रहे है। विश्व की सर्वोच्च 200 विश्वविद्यालयों की सूची में एक भी भारतीय विश्वविद्यालय नहीं है। इस मुद्दे पर राष्ट्रपति भवन में आयोजित केन्द्रीय विश्वविद्यालयों के उप-कुलपतियों की वार्षिक बैठक में भी विचार-विमर्श किया गया था।
मुझे यह जानकर खुशी है कि हमारे संस्थानों भी रैंकिंग प्रक्रिया को अब गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। पिछले वर्ष सितम्बर में आईआईएम कोलकाता को एक सम्मानीय एंजेंसी द्वारा प्रबंधन कार्यक्रम में स्नातकोत्तर की डिग्री देने वाला सबसे अच्छा बिजनेस स्कूल का दर्जा दिया गया।
मित्रों: शिक्षा के आधार शिक्षक होते है। अच्छे अध्यापक शिक्षा मानकों को दर्शाते है। शिक्षकों के विकास के लिए कई उपाय की आवश्यकता है। रिक्त पड़े अध्यापकों के पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरना होंगे। शिक्षा के क्षेत्र में विविधता और नये विचार लाने के लिए विदेश से प्रतिभाशाली शिक्षकों की भर्ती की जानी चाहिए।
हमारे विश्वविद्यालय के काम-काज को जिन बीमारियों ने घेर रखा है वह अच्छे शासन व्यवहार के अभाव के कारण है। शासन के ढ़ांचे को निर्णय लेने की तेज पारदर्शी व्यवस्था विकसित करनी होगी। इस संदर्भ में संस्थान के पुराने लोगों को शासन व्यवस्था में शामिल करके ऐसी गतिशीलता दी जा सकती है जिसकी हमारी संस्थानों में कमी है। वर्तमान पाठ्यक्रमों की समीक्षा तथा नए पाठ्यक्रमों को लागू करने में भी संस्थान के पुराने लोगों के अनुभवों को लाभ उठाया जा सकता है।
उद्योग के साथ व्यापक स्तर पर साझेदारी विकसित करने के लिए ठोस प्रयास करना होगा। उद्योग और शिक्षा जगत के बीच आपसी संबंध के लिए संस्थागत प्रबंध करना आवश्यक है। इससे शोध, पीठ तथा प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने के लिए प्रायोजक मिल सकेंगे।
टैक्नोलॉजी बेहतरीन ज्ञान वाहक और सूचना का प्रसारक होती है। ज्ञान के नेटवर्क से बौद्धिक सहयोग में मदद मिलती है। इससे शारीरिक परेशानियां भी समाप्त होती हैं। टैक्नोलॉजी आधारित मीडिया अकादमिक आपाद-प्रदान के लिए समय की आवश्यकता है।
हमारे विश्वविद्यालयों में शोध की अनदेखी की स्थिति बदलनी होगी। हमारी शिक्षा प्रणाली में हमें बहु-विषयात्मक दृष्टि अपनानी होगी क्योंकि अधिकतर शोधकार्यों में विभिन्न विषयों के लोगों की आवश्यकता होती है। हमें उन क्षेत्रीय विशेषताओं पर जोर देना होगा जहां विश्वविद्यालय स्थापित किए गए हैं। मणिपुर विश्वविद्यालय अपने शोध विशेषज्ञता को इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए प्राथमिकता दे सकता है कि मणिपुर राज्य जैवविविधता वाला राज्य है।
हमारे विश्वविद्यालयों का कर्तव्य है कि वे जिज्ञासा का वातावरण बनाएं और अपने विद्यार्थियों को वैज्ञानिक शोध प्रदान करें। विश्वविद्यालयों को विद्यार्थियों के विचारों तथा बुनियादी खोजों को पंख लगाना चाहिए। नए विचारों को अच्छे उत्पाद में बदला जा सकता है और इस काम में विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका अदा कर सकते हैं। अनेक केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने इनोवेशन क्लब स्थापित किए गए हैं। इसे और आगे बढ़ाने के लिए उस इलाके में स्थापित आईआईटी और एनआईटी के इंक्यूबेटर्स का सहयोग लेना चाहिए। इंक्यूबेटरों के साथ क्लबों के जुड़ाव से शोध के अग्रणी केंद्रों और आम आदमी के बीच संपर्क के लिए 'इनोवेशन वेब' बनाने में मदद मिलेगी। आशा है कि मणिपुर विश्वविद्यालय अगले कुछ वर्षों में नए खोज को बढ़ावा देगा। मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि विश्वविद्यालय ने इस दिशा में कदम बढाए हैं।
मित्रों, मणिपुर एक सुंदर राज्य है और कला, संस्कृति तथा खेल-कुद के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया है। मणिपुर के युवाओं और महिलाओं की उपलब्धियों पर भारत को गर्व है। मणिपुर भविष्य में देश को और गौरव दिलाएगा। यह आवश्यक है कि सभी लोग विशेषकर इस राज्य के युवा यह मानते हैं कि हिंसा रहित माहौल में ही अर्थव्यवस्था तथा समाज फल-फूल सकता है। हिंसा से किसी समस्या का समाधान नहीं होता। हिंसा दर्द को बढ़ाती है और सभी पक्षों को आहत करती है।
मैं मणिपुर के युवाओं का आह्वान करता हूं कि वे अपने देश का भविष्य संवारने में देश के बाकी हिस्सों के युवाओं के साथ मिलकर काम करें। चाहे व्यापार हो, उद्योग हो, शिक्षा हो या संस्कृति हो हमारे देश के लोग विचारों, उद्यमों तथा युवा आबादी की ऊर्जा के बल पर आगे बढ़ रहे हैं।
उभरते हुए भारत में मणिपुर के युवाओं के लिए अपार अवसर हैं। मैं मणिपुर के युवाओं से अपील करता हूं कि वे हिंसा तथा तनाव के काले दिनों को पीछे छोड दें और नया सवेरा होने दें। हमें अपने सामूहिक भविष्य में विश्वास करते हुए आगे बढ़ना होगा। मैं यह आश्वस्त करना चाहूंगा कि भारत सरकार तथा मणिपुर की सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्य से बंधे हुए हैं कि प्रत्येक मणिपुरी का जीवन सम्मानजनक हो और उन्हें समान अधिकार और अवसर मिले। इसी कारण राज्य में अनेक प्रमुख आर्थिक विकास कार्यक्रम अवसंरचना परियोजनाएं शुरू की जा रही है।
मैं सफल और शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव कराने के लिए मणिपुर के लोगों को धन्यवाद देता हूं। हमें खुशी मनाने चाहिए कि हम विश्व के सबसे बड़ा लोकतंत्र है। 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव जारी है और मणिपुर सहित हमारे देश के लोग बड़ी संख्या में अपना वोट डालने निकल रहे हैं और अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि 2009 में प्रतिबंधित मणिपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ अगले शैक्षिक सत्र से फिर अस्तित्व में आएगा। मुझे विश्वास है कि छात्र संघ इस विश्वविद्याल के विद्यार्थियों के कल्याण में महत्वपूर्ण और साकारात्मक भूमिका अदा करेगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राजधानी दिल्ली में पूर्वोत्तर के युवाओं पर हमले की दुखद घटनाएं देखने को मिली है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारे देश का बहुलवादी चरित्र तथा भारत की एकता का तार ऐसी घटनाओं से कमजोर न हो। मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार तथा दिल्ली की सरकार ने अभियुक्तों को पकड़ने और उन्हें सज़ा दिलाने में दृढ़ कदम उठाए हैं और ऐसे उपाय सुनिश्चित किए हैं कि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो।
मित्रों, भारत नए अवसरों तथा उंची उपलब्धियों के चौराहे पर खड़ा है भारत द्वारा विश्व का नेतृत्व करने की बात अब कोई काल्पनिक बात नहीं है। आप देश के शिक्षित युवा उभरते हुए नए भारत का निर्माण करेंगे। अपनी शिक्षा का इस्तेमाल समाज में परिवर्तन के लिए करें। आप महात्मा गांधी की इन शब्दों से प्रेरणा लें 'शिक्षा का मूल आप के अंदर की श्रेष्ठ बातों को बाहर निकालना है' मैं भविष्य में मणिपुर विश्वविद्यालय की सफलता और आपके उज्जवल भविष्य की कामना करता हू्ं।
धन्यवाद जय हिन्द
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वि.के./एजी/ए.एम./वाई.बी/एसकेपी-1451