मीडिया के सामने किया नगरनिगम के कथित घोटाले का नया खुलासा
लुधियाना: 13 दिसंबर 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
मीडिया से बात करते हुए रमेश बांगड़ |
भ्रष्टाचार के मामलों को अक्सर ही बेनकाब करने वाले रमेश बांगड़ ने एक बार
फिर पोल खोली है एक नए मामले की। इस बार उन्होंने निशाना साधा है नगरनिगम
पर। उन्होंने मीडिया की टीम को अपने साथ ले जा कर चीमा चोक की तरफ बंद
किये गए पुल का मौका भी दिखाया। मामला बेहद नाज़ुक निकला। अब सवाल उठता है कि घोटालों का पता लगाने की बजाये उन पर लीपापोती का सिलसिला कब तक जारी रहेगा?
जो मौका श्री बांगड़ ने दिखाया वह चीमा चोंक की तरफ बंद किये गए पुल का था। पुल के नीचे नज़र आ रहीं थी ट्रैफिक जाम की लम्बी लम्बी कतारें। इनमें कोई स्कूल वैन भी हो सकती थी और
कोई एम्बूलेंस भी। अगर इलाज में देरी के कारण किसी मरीज़ की मौत होती है तो
हो जाये लगता है नगरनिगम को इससे कोई लेना देना नहीं है। नगरनिगम ने अपना तुगलकशाही
फरमान सुनाते हुए इस पुल को आनन फानन में बंद कर दिया। जो काम एक या दो
दिन में पूरा किया जा सकता
दुसरे शहरों से आये मुसाफिर सड़कों पर भटकते हुए |
था उसके लिए दस दिनों का समय भी घोषित कर दिया गया। इस सारे चक्र की कागज़ी करवाई पूरा करने में जो समय लगा वह है अलग। गौरतलब है कि इस पुल के 9 बीम हैं और इस काम के लिए कुछ मज़दूर एक साथ
लगाये जाते तो यह काम दो दिन से अधिक का नहीं था। पर यहाँ लगाये गए केवल
दो-चार मज़दूर।
श्री बांगड़
ने इस पुल पर चल रहे काम का जायज़ा लेते हुए इसकी झलक मीडिया को भी दिखाई।
उन्होंने पुल की दीवारों पर लगे सीमेंट का हाल दिखाते हुए यहाँ हुए भ्रष्टाचार की हकीकत भी दिखाई। उन्होंने सवाल भी किया कि अगर 50 वर्षों से
चल रहे जगराओं पुल को कभी मुरम्मत की ज़रूरत नहीं ई तो केवल दस वर्ष पूर्व
बने इस पुल के गिरने का अंदेशा कहाँ से पैदा हुआ? ज़ाहिर है कि यदि ऐसा
गंभीर खतरा पैदा हुआ है तो फिर यहाँ कोई बहुत बड़ा घपला दस वर्ष पूर्व इसके
निर्माण के समय ही हुआ होगा। श्री बांगड़ ने बहुत ही आसानी से पुल पर लगे
सीमेंट को उखाड़ कर भी दिखाया कि कैसे यह पलस्तर मिटटी की तरह उखड़ा जा रहा है।
अब देखना है कि सरकार इसका तुरंत नोटिस लेकर इस घपले की जांच करवाती है या इसको भी ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है?
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