Sunday, November 02, 2014

नहीं दिखा बंद का कोई ज़्यादा असर,बाज़ारों में दिखाई दी चहल-पहल

कुछ जगहों पर करवाया गया जबरदस्ती बंद 
लुधियाना: 1 नवंबर 2014: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): 
जब 31 अक्टूबर 1984 को कुछ सिख दिल्ली और पंजाब में स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमति इंदिरा गांधी को श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे थे उस समय नवंबर-84 में हुए हत्याकांड को लेकर पंजाब बंद की तैयारी पूरी की जा रही थी। इस मकसद के लिए लुधियाना में नयी कचहरी जैसी सरकारी इमारतों पर भी पोस्टर लगाये गए जहाँ पोस्टर लगाना सख्त मना है। सुनह चार बजे से रेलों का चक्का जाम किया गया जिस से आम जनता को काफी तकलीफ हुई।  चौड़ा बाज़ार,  मार्किट, कंबल मार्किट, परताप बाज़ार, माता रानी चोंक और घंटा घर जैसे क्षेत्र  खुले रहे। दुकानें खोलने वालों में बहुत से सिख कारोबारी भी शामिल थे। लुधियाना के शहरी बाज़ारों में तो यह बंद बुरी तरह नाकाम रहा। कुछ सिख नेताओं और कार्यकर्ताओं को सुबह सुबह बस स्टैंड से ग्रिफ्तार भी किया गया। इनमें मुख्य गवाह बेबे जगदीश कौर, प्रमुख सिख नेता करनैल सिंह पीर मोहम्मद, कर्ज सिंह धर्म सिंह वाला और गुरमुख सिंह सहित करीब 150 अन्य वरके भी शामिल थे। 
गौरतलब कि कुछ सिक्ख संगठनों द्धारा पंजाब बंद की दी गई काल पर आज प्रातः करीब 5 बजे सिक्ख समुदाय के लोग स्थानीय गुरुद्वारा दुःख निवारण साहिब में एकत्र हो गए और अरदास के बाद गुरुद्वारा साहिब के नजदीक दिल्ली-अमृतसर रेल मार्ग पर रोष प्रदर्शन शुरू कर दिया। जिसके चलते गाड़ी संख्या 2460 (दिल्ली सुपर फास्ट ) तथा 15708 (अम्रपाली) के यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। पूरे पंजाब में बंद के फलस्वरूप रेल गाड़ियाँ अपने निर्धारित समय से कई- कई घंटे अपने गणतव्य पर देरी से पहुँची। 


सन 1984 के सिक्ख कत्लेआम पीड़ित वैलफेयर सोसायटी,सिक्ख स्टूडैंट फैडरेशन (मेहता) ऑल इण्डिया सिक्ख स्टूडैंट फैडरेशन(पीर मोहम्मद) के अनेकों कार्यकताओं ने शहर को बंद करवाने के लिए रोष मार्च निकाला और कई जगह पर दुकानो को बंद करवाया। कुछ समय के बाद बाजार में दुकाने फिर खुल गयी। कुछ ही देर बाद फिर सिक्ख नौजवानो ने दुकानदारों को  साथ देने का आग्रह कर दुकाने बंद करवा दी। उनके जाते ही कुछ ही देर बाद बाजार फिर सज गए। शहर के मुख्य बाज़ार चौड़ा बाजार,अकालगढ़ मार्किट,किताब बाज़ार,फीलडगंज,घुमारमंडी,मालरोड,मॉडल टाउन सहित अन्य बाज़ारों में चहल पहल रोज़ की तरह ही दिखाई पडी। किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए जिला पुलिस प्रशासन द्वारा पूर्ण मुस्तैदी दिखाई गयी तथा जगह -जगह पुलिस की टुकड़ियाँ तैनात रही। आल इण्डिया सिक्ख स्टूडैंट फैडरेशन (पीर मोहम्मद) के प्रधान करनैल सिंह,सिक्ख स्टूडैंट फैडरेशन (मेहता) के प्रधान परमजीत सिंह खालसा व सचिव मेजर सिंह खालसा, 1984 सिक्ख कत्लेआम पीड़ित वैलफेयर सोसायटी के प्रधान सुरजीत सिंह  तथा 1984 सिक्ख कत्लेआम पीड़ित वैलफेयर सोसायटी स्त्री विंग की प्रधान बीबी  गुरदीप कौर ने कहा कि 1984 के हुए सिक्ख कत्लेआम के  पीड़ित परिवार अनेकों समस्याओं से गुजर रहे हैं और इस कत्लेआम को करवाने वाले काँग्रेस के नेता सज्जन कुमार को सजा नहीं मिली। समय समय की सरकारें सिक्खों के ज़ख्मों पर मरहम लगाने का काम तो करती रही हैं परन्तु इस मरहम से पीड़ित परिवारों के ज़ख्म भरने वाले नहीं,जब तक इस कत्लेआम के दोषियों को सजा नहीं मिलती सिक्ख पीड़ितों को चैन नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि बेशक देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1984 के सिक्ख दंगा पीड़ित परिवारों को 5- 5 लाख रूपये देने की घोषणा कर उनके ज़ख्मों पर मरहम लगाने का काम किया है जो सराहनीय है परन्तु इसके साथ साथ पंजाब में रह रहे 1984 के दंगा पीड़ितों को भी इसी प्रकार मुआवजा दिया जाए व इस कत्लेआम को हवा देने वालों को अविलंब दण्डित किया जाये। 

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