दशहरा के बाद दीपावली सर पर--लेकिन अभी तक नहीं हो सुरक्षा के मुक़्क़मल इंतज़ाम
लुधियाना:9
अक्टूबर 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
लुधियाना की पटाखा मार्कीट में अभी तक तेज़ी नहीं आ पायी।
इस मार्किट के बहुत से व्यापारी लोग अभी तक आवश्यक प्रबंधों में जुटे हैं।
साफ़ दिखाई देता है कि टैक्सों, खर्चों और शर्तों के जंजाल में बंधे ये
लोग दिल के उत्साह से काम नहीं कर पा रहे। कहीं पर सुरक्षा के लिए रखी
बाल्टियां खाली थीं और कहीं पर रेत नहीं थी। हमने इन सभी मुद्दों को लेकर
बाज़ार के कुछ पुराने और प्रमुख व्यापारियों से बात भी की।
जानेमाने
पुराने व्यापारी
अशोक थापर ने बताया कि टैक्स हर बार बढ़ जाते हैं लेकिन आमदनी हर बार
कम होती जा रही है। बताया इस बार मार्कीट 50 फ़ीसदी डाऊन है। इस बार 76
दुकानें अलाट हुई हैं। टैक्स इस बार भी बढ़ गया है क्यूंकि कुछ प्रमुख
कंपनियां हर वर्ष दस प्रतिशत टैक्स बढ़ाती हैं। इंक्रोचमेंट के संबंध में
पूछने पर उन्होंने कहा कि सब कुछ नियमों के अंतर्गत ही हो रहा है। सो फुट
का फासला रखना नियम है वह हम रख ही रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो टैक्स
हम सिवाकासी में माल की खरीद के समय ही अदा कर देते हैं वही टैक्स हमसे फिर
यहाँ आकर लिया है। उन्होंने मांग की कि यहाँ के नियमित व्यापारियों को
स्थाई दुकानें ही दे दी जानी चाहिएं। इसी तरह एक अन्य व्यापारी
संजय सिंगला
ने कहा कि यहाँ चाईना का कोई पटाखा बिक रहा। कहीं और बिकता हो तो मालूम
नहीं। उन्होंने कहा कि चाईना का पटाखा सस्ता भले हो है पर प्रदूषण
हुआ। स्वास्थ्य लिए बेहद खतरनाक। यह पूछे जाने पर कि जाने पर जनता को
कितना नुकसान होगा--वह बोले कोई नुक्सान नहीं होगा बल्कि फायदा ही
होगा--डेंगू बिलकुल समाप्त हो जायेगा। एक और सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि असल में मंदी का
प्रभाव चाईना के कारण नहीं लगातार बढ़ रही महंगाई कारण है।
इस बार मार्किट में अभी तक किसी भी नेता या अभिनेता की तस्वीर का कोई पटाखा नहीं आया। इसी तरह कोई नयी किस्म की आइटम भी बाज़ार में नहीं दिखी। कोक, जम्बो और सुप्रीम जैसी पुरानी कम्पनियों का माल ही ज़्यादा दिखा।
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