11-अक्टूबर-2014 10:43 IST
प्रधानमंत्री ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी
नई दिल्ली: 11 अक्टूबर 2014: (पीआईबी//पंजाब स्क्रीन ब्यूरो):
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज लोकनायक जयप्रकाश नारायण तथा समाज सुधारक नानाजी देशमुख की जयंती पर उन्हें सम्मान पूर्वक याद किया और अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये। उन्होंने इस शुभ अवसर पर ''सांसद आदर्श ग्राम योजना'' का शुभारम्भ भी किया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा ‘’लोकनायक जयप्रकाश नारायण एक ऐसे सच्चे राष्ट्रवादी थे जिन्होंने अपना जीवन सेवा और राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित कर दिया। जेपी ने ‘सम्पूर्ण क्रांति के लिए आह्वान किया जिसने पूरे राष्ट्र में उत्साह भर दिया और भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को बनाए रखने में एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई। स्मरण रहे कि जयप्रकाश नारायण का जन्म 11अक्टूबर 1902 को बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गांव में हुआ था। जेपी के नाम से सुविख्यात हुए जयप्रकाश नारायण उस समय पूरे देश में क्रांति का रूप बन कर उभरे थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की प्रशासनिक नीतियों के विरुद्ध उन्होंने एक जनमत खड़ा किया। गिरते स्वास्थ्य के बावजूद उन्होंने बिहार में सरकारी भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन किया। उनके नेतृत्व में पीपुल्स फ्रंट ने गुजरात राज्य का चुनाव जीता। सं 1975 में इंदिरा गांधी ने आपात्काल की घोषणा की जिसके अंतर्गत जेपी सहित कम से कम 600 से भी अधिक विरोधी नेताओं को बंदी बनाया गया और प्रेस पर सेंसरशिप लगा दी गई। माहौल में उन्हें जनता की ओर से लोकनायक का सम्मान मिला। वह लोकनायक के नाम से जाने जाने लगे। उन्हीं दिनों जेपी लुधियाना भी आये थे जहाँ उन्होंने एक विशाल सम्बोधित किया। जेल मे जेपी की तबीयत और भी खराब हुई। 7 महीने बाद उनको मुक्त कर दिया गया। जब 1977 में चुनाव वह एक तरह से जेपी लहर की जीत थे।जेपी के प्रयासों से एकजुट विरोध पक्ष ने इंदिरा गांधी को चुनाव में हरा दिया। एक वृद्ध दिया था कि इरादे मज़बूत हों तो कमज़ोर तन से भी लड़ाई जीती जा सकती है।
जयप्रकाश नारायण का निधन उनके निवास स्थान पटना में 8 अक्टूबर 1979 को हृदय की बीमारी और मधुमेह के कारण हुआ। उनके सम्मान में तत्कालीन प्रधानमंत्री चरण सिंह ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की थी, उनके सम्मान में कई हजार लोग उनकी शोक यात्रा में शामिल हुए। जिन्होंने उन्हें देखा है वे उन्हें आज तक भुला नहीं पाये।
प्रधानमंत्री ने नानाजी देशमुख की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अपने विचारों से पूरी तरह समर्पित रहने वाले नानाजी देशमुख को उनकी भी उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। उनका पूरा नाम था चंडिकादास अमृतराव देशमुख। नानाजी का जन्म महाराष्ट्र के हिंगोली जिले के कडोली नामक छोटे से कस्बे में ब्राह्मण परिवार में 11 अक्टूबर 1976 को हुआ था। नानाजी का लंबा और घटनापूर्ण जीवन बहुत से अभावों और संघर्षों में ही गुज़रा पर इन अभावों से उन्होंने शक्ति ली। उन्होंने छोटी उम्र में ही अपने माता-पिता को खो दिया। यह उन पर पहाड़ टूटने जैसा ही था। मामा ने उनका लालन-पालन किया। अभावों का हाल यह था कि उनके पास शुल्क देने और पुस्तकें खरीदने तक के लिये पैसे नहीं थे किन्तु दूसरी तरफ उनके अन्दर शिक्षा और ज्ञान-प्राप्ति की तीव्र अभिलाषा थी। इसी इच्छा को एक जनूँ बनाकर वह आगे बढ़े। अत: इस कार्य के लिये उन्होने सब्जी बेचकर पैसे जुटाये। वे मन्दिरों में रहे और पिलानी के बिरला इंस्टीट्यूट से उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। बाद में उन्नीस सौ तीस के दशक में वे आरएसएस में शामिल हो गये। भले ही उनका जन्म महाराष्ट्र में हुआ, लेकिन उनका कार्यक्षेत्र राजस्थान और उत्तरप्रदेश ही रहा। उनकी श्रद्धा देखकर आर.एस.एस. सरसंघचालक श्री गुरू जी ने उन्हें प्रचारक के रूप में गोरखपुर भेजा। इस क्षेत्र में भी उन्होंने नाम कमाया। सिद्धांत के मामले में कभी समझौता नहीं किया। सन 1977 में जब जनता पार्टी की सरकार बनी, तो उन्हें मोरारजी-मन्त्रिमण्डल में शामिल किया गया परन्तु उन्होंने यह कहकर कि 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग सरकार से बाहर रहकर समाज सेवा का कार्य करें, मन्त्री-पद ठुकरा दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा ‘’नानाजी देशमुख को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। अपने कौशल और प्रयासों से समाज की सेवा करने वाला उनका संगठन हमारे लिए प्रेरणा का एक स्रोत है।
***विजयलक्ष्मी कासोटिया/एएम/डीएस/आरके-4170
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