Tuesday, July 29, 2014

करीब तीन महीनों से इन्साफ मांग रही है हरजिंदर कौर

रात को परिवार सहित डेरा डाला डीसी आफिस के प्रांगण में 
लुधियाना: 28 जुलाई 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):
बहुत से महिला सुरक्षा कानून बन जाने की हकीकत के बावजूद दिल्ली की हरजिंदर कौर करीब तीन माह सड़कों पे रुल रही है।  कभी इस दफ्तर और कभी उस दफ्तर के चक्कर  लगा रही है। वह अपना हक मांग रही है. इन्साफ मांग रही है लेकिन उसे अभी तक अदालत की तारीखों और अधिकारीयों के वायदों के सिवा कुछ नहीं मिला।  विवाह के बाद घरेलू हिंसा की शिकार हुई हरजिंदर बुरी तरह आहत है। उसके साथ ही भटक रहे हैं उसके वृद्ध माता पिता। इन्साफ की इस मांग को लेकर वह 28 जुलाई को सुबह दस बजे डीसी आफिस में पहुंची थी। उसे पांच मिनट में मिल कर पूरी बात सुनने का आश्वासन भी दिया गया लेकिन वह पांच मिनट शाम के पांच बजने के बाद भी पूरे नहीं हुए। रात का अंधेर छाया तो इस परिवार ने वहीँ डीसी आफिस के आंगन को ही अपना रैन बसेरा बना लिया।  रात को एक फोन वार्ता में हरजिंदर कौर ने बताया कि वह मर जाएगी पर इन्साफ लिए बिना यहाँ से नहीं हिलेगी।
गौरतलब है कि दिल्ली के पश्चिम विहार की रहने वाली हरजिंदर कौर का विवाह लुधियाना के एक लड़के से हुआ था। उसने अपने वैवाहिक जीवन के बहुत से रंगीन सपने संजोये थे। विवाह के जल्द बाद ही उसके वे सपने ही नहीं टूटे उस पर दुखों का पहाड़ भी टूट पड़ा। उसके साथ मारपीट और दहेज की मांग लगातार बढ़ती चली गयी। लड़की पढ़ी लिखी होने के कारण सब समझती थी पर घर को बनाये रखने के लिए चुप थी। एक दिन जब पानी सर से गुज़रता नज़र आया तो उसने दिल्ली के पशिचम विहार थाने में एक ऍफ़ आई आर दर्ज कराई। पुलिस का सख्त रुख और क़ानून के लम्बे हाथों को देख कर एक बार तो उसे तंग करने वाले ससुराल पक्ष के लोग सहम गए। जल्दी ही उन्होंने उसके साथ समझौता भी कर लिया। उससे क्षमा भी मांगी गयी और भविष्य में उसके साथ किसी भी तरह का दुर्व्यवहार न करने का वायदा भी किया गया।
अाखिकार हरजिंदर भी मान गयी। इन मीठे ढंग तरीकों के पीछे कोई साज़िश भी हो सकती है इसे वह समझ न सकी।  एक दिन ससुराल वालों के बार बार कहने समझाने पर उसने दिल्ली आ कर पुलिस को अपने समझौते की बात बताई। उसके बयान और समझौते को आधार बना कर दिल्ली हाईकोर्ट ने FIR को रद्द कर दिया। बस इसके रद्द होते ही ससुराल पक्ष के लोग फिर अपने पुराने रंग में आ गए। उसी दिन से उसे तंग करने का सिलसिला दोबारा बड़े पैमाने पर शुरू हो गया। वह भी अपने पति के पीछे पीछे लुधियाना पहुँच गयी। यहीं से दुबारा शुरू हुई उसके अधिकारों और सम्मान की जंग। ससुराल पक्ष ने उसके आने पर घर के दरवाज़े बंद कर लिए। आज सुबह वह इसी जंग को लड़ती लड़ती डीसी आफिस आई थी। दिन निकल गया, शाम हो गयी और आखिर रात काअन्धेरा छा गया। राज नहीं सेवा का दावा करने वाली सरकार का कोई प्रतिनिधि उसका दुःख सुनने नहीं आया। ज़िंदगी के हर कदम पर एक नयी जंग लड़ने के लिए तैयार बैठी हरजिंदर कौर ने अपने माता पिता सहित डीसी आफिस का प्रांगण में ही डेरे डाल दिए।
उनकी यह रात कैसी रही यह हम आपको सुबह बताएंगे और साथ ही आपके सामने रखेंगे प्रशासन और ससुराल का पक्ष।
इसी बीच देर शाम को इंक़लाबी केंद्र के जसवंत जीरख ने विशेष तौर पर वहां पहुँच कर उनसे सारी बात पूछी और आवश्यक दस्तावेज़ हासिल किये। इसके साथ ही उन्होंने इस परिवार को पूर्ण सहयोग का आश्वासन भी दिया।
 करीब तीन महीनों से इन्साफ मांग रही है हरजिंदर कौर

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