Wednesday, July 30, 2014

संगीता भंडारी ने उठाया 40 घंटे तक धरने पर बैठी हरजिंदर को

DC और DCP ने दिया हरजिंदर को हर सम्भव सहयोग का आश्वासन
लुधियाना: 30 जुलाई 2014: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): 

ससुराल पर अन्याय का आरोप लगाकर इन्साफ पाने के लिए लगातार 40 घंटे तक धरने पर बैठने वाली हरजिंदर को  धरने से उठने के लिए मनाने में सफलता मिली भारतीय जनता पार्टी  की जिला सचिव संगीता भंडारी को। इस से पूर्व बेलन ब्रिगेड की अनीता शर्मा, इंकलाबी केंद्र के जसवंत जीरख, आम आदमी पार्टी की  तरफ से के एल शर्मा और जानी मानी लेखिका गुरचरण कौर कौचर ने भी इस मकसद के लिए अनथक प्रयास किये। बुधवार 30 जुलाई की सुबह जब संगीता भंडारी ने धरने पर बैठी हरजिंदर कौर का हाथ थामा तो हरजिंदर कौर भावुक हो गई। वह इस धरने पर बैठने के बाद किसी भी हमदर्दी या असहयोग की उम्मीद ही छोड़ चुकी थी। उसे लगता उसे देखने वाले लोग उसकी हंसी उड़ा रहे हैं।गुस्से के मारे उसका चेहरा भी तमतमा रहा था और आँखों में रुक रुक कर आंसू भी आ रहे थे जिन्हे रोकने का वह नाकाम प्रयास भी कर रही थी। किसी ने कहा  पेशेंस (सब्र)  है। उसने सवाल किया क्या 90 दिन से उसके सब्र का इम्तिहान लिया जा रहा है। किसी ने कहा अब तो तुम्हारी फोटो भी अख़बार में आ गयी--अब तो उठ जाओ। हरजिंदर कौर ने फिर पूछा क्या मैं यहाँ अपनी फोटो खिंचवाने के लिए बरसात  में बैठी हूँ।  सुश्री संगीता भंडारी ने डिप्टी कमिश्नर रजत से विशेष समय लिया और  हरजिंदर को उसने जा कर ले भी मिलवाया। डीसी साहिब ने इस बात का गंभीरता से नोटिस लिया कि उन्हें इसने की समय रहते सूचना क्यों नहीं दी गई। गौरतलब है कि ईद की छुट्टी आ जाने से कहीं न कहीं कम्युनिकेशन गैप रहने से ही सारी गलतफहमी पैदा हुई। डिप्टी कमिश्नर ने सारी बात बहुत ही ध्यान से सुनी और हरजिंदर के भावुक मन पे आये ज़ख्मों पर हमदर्दी की मरहम लगाते हुए उसे हर सम्भव सहयोग का आश्वासन भी दिया। सबर और दृढ़ता के साथ 40 घंटे तक धरने पर बैठी हरजिंदर आखिरी सांस तक इस जंग के लिए तैयार लगती है। 

ससुराल पक्ष की प्रेस कांफ्रेंस 
गौरतलब है कि उसने ससुराल पक्ष पर कई आरोप लगाये। विवाह के बाद मारपीट और दहेज की मांग जैसे मामले सामने आने पर  हरजिंदर करीब तीन माह से इन्साफ के लिए भटक रही है। सोमवार 28 जुलाई को किसी गलतफहमी के चलते उसका प्रशासन से गतिरोध पैदा हो गया और वह रात को भी डीसी आफिस के सामने बैठी रही। पांच मिनट में मिलने की बात ४० घंटे तक लटक गई। अगले दिन ईद की छुट्टी थी इसलिए 29 जुलाई को भी उसकी मुलाक़ात डीसी साहिब से नहीं हो सकी। इसी बीच बेलन ब्रिगेड की अनीता शर्मा सहित कई लोगों  ने धरने से उठकर उसे अपने घर चलने को भी कहा लेकिन वह उसी जगह पर अड़ी रही। उसका कहना था मैं मर जाऊँगी पर धरने से  उठूंगी। आखिर यह बात भाजपा की सचिव संगीता भण्डारी तक भी पहुंची और इसका पता चलते ही उन्होंने सारे मामले का पता लगाया। मोदी सरकार के होते हुए किसी महिला को 40-40 घंटों तक धरना देना पड़े यह बात उन्हें बहुत बुरी लगी।  वह तुरंत डीसी आफिस पहुंची और हरजिंदर के गुस्से को शांत किया। यही नहीं डीसी साहिब से तुरंत वक़्त लेकर हरजिंदर को उनसे मिलवाया। इधर भाजपा की सचिव थी जो सारे मामले को सुलझाने में लगी थी ताकि महिला सम्मान के सरकारी दावों की लाज रखी जा सके।  वह हरजिंदर को हौंसला देने में लगी थी। 
दूसरी तरफ अकाली नेता गुरिंद्रपाल सिंह पप्पू हरजिंदर के ससुराल पक्ष की प्रेस कांफ्रेंस में मौजूद थे और उनका पक्ष ले रहे थे। वही ससुराल पक्ष जो धरने पर बैठी इस नव विवाहिता के इस कदम को ड्रामा बता रहा था।  वही ससुराल पक्ष जिसने ऍफ़ ऐ आर रद्द होते ही फिर से अपना असली रंग  कर दिया था।  गौरतलब है कि ससुराल पक्ष की इस प्रेस कांफ्रेंस में केवल मनपसंद पत्रकारों को बुलाया गया था। सूचना समय पर न मिलने या किसी न किसी अन्य कारणवश गैरहाज़िर रह गए पत्रकारों को प्रेस नोट तक भेजने में भी टालमटोल की गयी। कभी कहा जाता हम फगवाड़ा में हैं और कभी दूसरी तरफ से आवाज़ आती यह फोन मौजूद्द नहीं है।  अपनी इस प्रेस मीट में  ससुराल पक्ष ने खुद को सही ठहराते हुए कहा कि उनकी बहु उन्हें  बदनाम कर रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि हरजिंदर का विवाह करवाने का मकसद वास्तव में आस्ट्रेलिया की पीआर हासिल करना था। सही कौन है यह तो वक़्त ही बताएगा और फैसला भी कानून ने ही करना है पर एक बात फिर सामने आई कि  अकाली नेता महिला सम्मान जैसे नाज़ुक जन-मुद्दों पर भी भाजपा नेताओं के आमने सामने होने से हिचकचाते नहीं बल्कि फखर से एक दुसरे का विरोध करते हैं। यह कैसा गठबंधन धर्म है?
गत दिनों गड़वासू छात्रों की स्ट्राइक में भी अखिल भारतीय विद्धार्थी परिषद ने भी छात्र-छात्राओं का समर्थन कर दिया जबकि अकाली नेता यही कहते रहे--हड़तालों/धरनों/रैलियों का सरकार पर कोई असर नहीं होता। 

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