Thursday, April 17, 2014

अजनाला कुँए का मामला:कोछड़ के अतिरिक्त नहीं पहुँची कोई और रिपोर्ट

19 अप्रैल को अजनाला पहुँचेगीं पुरातत्व विभाग व विशेषज्ञों की टीमें
अमृतसर; 17 अप्रैल 2014:  (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो//तस्वीरें-गजिंदर सिंह किंग):
मीडिया से बात  करते
 इतिहासकार श्री सुरेंद्र कोछड़
अजनाला के कुँए में 157 वर्षों से दफन राष्ट्रीय विद्रोह के सैनिकों की निकाली गईं अस्थियां तथा वहां बनाए जाने वाले स्मारक के संबंध में पंजाब सरकार द्धारा  बनाई पाँच स्दसीय सलाहकार कमेटी के सदस्यों में से नियत किए दिन तक मात्र इतिहासकार एवं शोधकर्ता श्री सुरेंद्र कोछड़ ने ही अपनी रिपोर्ट जमा कराई है। बुधवार दोपहर पंजाब सचिवालय चंडीगढ़ में प्रिंसीपल सचिव (होम) श्री एस.एस. चन्नी की अध्यक्षता में हुई सलाहकार कमेटी के सदस्यों तथा विशेषज्ञों की मीटिंग के बाद यह उक्त जानकारी दी गई। मीटिंग की कार्रवाई के संबंध में कल्चरल, पुरातत्व एवं म्यूजीयम विभाग पंजाब के डायरैक्टर स. नवजोत सिंह रंधावा ने बताया कि सलाहकार कमेटी के सदस्यों डॉ. जसपाल सिंह (उप-कुलपति पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला), इतिहासकार प्रीथपाल सिंह, प्रो. हरीश शर्मा, इतिहासकार श्री सुरेंद्र कोछड़, प्रो. मुज्जफर आलम (जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली) तथा आर्कोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया को पंजाब सरकार द्वारा 11 मार्च को पत्र न. 2139-2144 जारी करके अजनाला के कुँए के संबंध में अपनी रिपोर्ट 30 मार्च तक जमा कराने के आदेश दिए थे। श्री कोछड़ के अतिरिक्त किसी अन्य की रिपोर्ट न प्राप्त होने पर यह समय अवधि बढ़ाकर 15 अप्रैल तक कर दी गई थी। श्री रंधावा ने कहा कि उक्त कुँए की खोज करके उसमें से सन् 1857 के राष्ट्रीय विद्रोह के सैनीकों की अस्थियां निकालवाने में मुख्य भूमिका निभाने वाले इतिहासकार श्री कोछड़ ने अपनी तैयार की रिपोर्ट कमेटी के चेयरमैन तथा मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल को 26 मार्च को ही सौंप दी, जबकि शेष कोई भी सदस्य नियत दिन तक अपनी रिपोर्ट जमा नहीं करा सका। उन्होंने कहा कि शेष इतिहासकारों ने रिपोर्ट पूरी करने के लिए पंजाब सरकार से अब और अत्याधिक समय मांगा है।
19 अप्रैल को अजनाला पहुँचेगीं पुरातत्व विभाग व विशेषज्ञों की टीमें
प्रिंसीपल सचिव श्री एस.एस. चन्नी ने मीटिंग में सलाहकार कमेटी, विशेषज्ञों तथा अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में स्मारक तथा कुँए में से निकली अस्थियों के रख-रखाव व अन्य जाँच के लिए 19 अप्रैल को अजनाला में पुरातत्व विभाग के माहिरों के साथ अस्थियों की जाँच करने में माहिरों की एक टीम को भेजने का निर्णय लिया है। श्री कोछड़ ने अंर्तरार्ष्टीय स्तर तक पहुँच चुके अजनाला के शहीदी कुँए के उक्त मामले में राज्य व केंद्र सरकार की कारगुजारी के प्रति नराज़गी प्रक्ट करते हुए कहा था कि कुँए में से निकली अस्थियों तथा मिट्टी की अभी तक न तो कोई जाँच ही करवाई गई है और न ही अस्थियों को सरक्षंण देने के लिए पुरातत्व विभाग ने ही कोई पहल की है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया था कि विशेषज्ञों द्वारा अस्थियों का रख-रखाव न रखे जाने के कारण कुँए में से साबुत निकाली गई अस्थियां तथा खोपरियां भुरनी शुरू हो गई हैं और अगर भविष्य में इन अस्थियों को कोई बड़ा नुकसान पहुँचता है अथवा इनकी प्रमाणिकता को लेकर कोई विवाद खड़ा होता है, तो उसकी जवाबदेह केंद्र तथा राज्य सरकार होगी।
अलग से डिब्बी में लगाने के लिए
इंडीयन वर्कज़ ऐसोसिएशन (ग्रेट ब्रिटेन) को भी दी जानकारी
इंडीयन वर्कज़ ऐसोसिएशन, ग्रेट ब्रिटेन तथा शहीद ऊधम सिंह वेलफेयर ट्रस्ट, ब्रिमिंगम की मांग पर भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को 26 मार्च को पत्र न. डी.डी. न. 4/16012/08/2014-सी.एस.आर.-2 जारी करके सलाहकार कमेटी से अजनाला के उक्त कुँए के संबंध में जानकारी मंगवाई थी, तांकि ब्रिटिश सरकार से उक्त सैनिकों की पहचान पता करने तथा इस नरसंहार के लिए मौजूदा ब्रिटिश सरकार से माफी मंगवाई जा सके। इस संबंध में श्री कोछड़ ने उक्त कुँए की पृष्ठ-भूमि तथा सन् 1857 के उक्त हिंदूस्तानी सिपाहियों के साथ हुए अमानविय वर्ताव तथा कुँए की खुदाई के पैदा हुई मौजूदा स्थिति की सारी जानकारी तस्वीरों सहित उक्त संस्थायों सहित कल्चरल, पुरातत्व एवं म्यूजीयम विभाग पंजाब को भेज दी है। 

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