Wednesday, March 12, 2014

बिल की रकम देख कर भड़के लोगों ने किया हाइवे जाम

इलाज की गुणवता पर भी उठाये सवाल 
लुधियाना: 11 मार्च 2014: (रवि नंदा//मित्र मंडली//पंजाब स्क्रीन):
आज़ादी आने के बाद जहाँ आम गरीब लोगों की दिक्क्तें लगातार  रही हैं वहीँ अविश्वास की भावना भी ज़ोर पकड़ रही है। यह महसूस हुआ आज टिब्बा रोड पर लोगों के आक्रोश और धरने को देख कर। गौरतलब है कि गत रोज गढ़शंकर के नजदीक सड़क हादसे में घायल हुई टिब्बा रोड की 8 वर्षीय टीना ने सी.एम.सी. अस्पताल में दम तोड़ दिया था। एक तो बच्ची की जान गयी दूसरी ओर अस्पताल ने मोटा बिल भी परिजनों के हाथ थमा दिया। मौत से दुखी लोग बिल देख कर गुस्से में आ गए। जिलाधीश कार्यालय की तरफ से आदेश जारी किया गया था कि अस्पताल में भर्ती सभी घायलों के इलाज के खर्च सरकार उठाएगी। आरोप है कि इसके बावजूद अस्पताल की तरफ से लड़की की मौत हो जाने पर उसका शव देने के बदले बिल के 60 हजार रुपए भुगतान करने की मांग की गई थी। इस पर क्रोधित हुए इलाका निवासियों ने जालंधर हाईवे जाम कर दिया। लॉबोन ने जम कर नारेबाज़ी की और आवाजाई को ठप्प रखा। पूरे इलाके में इस धरने की चर्चा रही।  
भ्रष्टाचार विरोधी फ्रंट के चेयरमैन जगदीश जैन ने इस सारे मामले को उठा कर मांग की कि प्रशासन अपने वायदे के मुताबिक मृतकों को मुआवज़ा और घायलों को इलाज की सुविधा दे।
इस सारे  मामले में आखिर किसकी गलती कही जाये?गलती जिलाधीश कार्यालय की है, अस्पताल प्रबंधन की या फिर आक्रोश में आये आये प्रदर्शनकारियों की, यह तो शायद सही वक़त आने पे ही पता चल सके लेकिन इसका खमियाजा भी पूरी तरह से आम जनता को भुगतना पड़ा। कई किलोमीटर तक लम्बा जाम लग गया। इस जाम में भी कई बीमार फंसे हुए थे। 
जाम लगा कर धरने पर बैठे प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि टीना का सही ढंग से इलाज ही नहीं हुआ। इनका कहना था कि अस्पताल को फ्री में इलाज करवाने वाले मरीजों से परहेज है। अगर टीना का सही ढंग से इलाज हुआ होता तो उसकी मौत नहीं होती। इन लोगों ने यह भी बताया कि जब यह सड़क हादसा हुआ तो शहर के बड़े-बड़े अस्पतालों ने घायलों को भर्ती करने से मना कर दिया क्योंकि घायलों में ज्यादातर लोग बुरी तरह गरीब थे। इलाका पार्षद दलजीत सिंह भोला व जिलाधीश के हस्तक्षेप के बाद घायलों को भर्ती कराया गया। तब सरकार की और से जिलाधीश ने घोषणा की सभी घायलों का इलाज सरकारी खर्च पर किया जाएगा। इसके बाद जब टीना की मौत हुई तो अस्पताल वालों ने पहले बिल के 60 हजार देने को कहा। इसके बाद शव देने की बात कही। परिजन अस्पताल वालों के समक्ष गिड़गिड़ाए लेकिन उन्होंने कोई परवाह नहीं की। मजबूर होकर उन्हें हाईवे जाम करना पड़ा। उल्लेखनीय है कि अभी तक इलाज की मूलभूत सुविधा सभी को नहीं मिल पायी। 
हालात खराब होने की सूचना पाकर बस्ती जोधेवाल थाना प्रभारी पुलिस फोर्स सहित पहुंचे, लेकिन प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए। मामले की जानकारी मिलते ही जिला प्रशासन तुरंत हरकत में आ गया। स्वास्थ्य विभाग के चीफ ने तत्काल डा. गुरप्रीत सिंह की ड्यूटी लगाई और उन्हें अस्पताल भेजा। इसके बाद प्रदर्शनकारी अस्पताल पहुंच गए। इससे पहले की वहां का माहौल गर्माता शव को उसके परिजनों को हवाले कर दिया गया। जिसके बाद मामला शांत हुआ।इस तरह जाम तो हट गया और धरना भी उठ गया लेकिन इसके साथ ही इ बार फिर उठ खड़े हुए हैं वे बुनियादी सवाल कि कब मिलेगी हर किसी को सवस्थ जीवन और इलाज की सुविधा?

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