Thu, Feb 27, 2014 at 7:35 PM
सम्पन्न हुआ 108
कुण्डी महारूद्र यज्ञ व 108 पार्थिव शिवलिंग पूजन
अहमदाबाद: 27 फरवरी 2014: मोटेरा स्थित संत श्री आसारामजी आश्रम में महाशिवरात्रि के निमित्त विशेष
कार्यक्रम आयोजित किये गये थे । प्रातः साढ़े 6 बजे से ही सामूहिक जप शुरू हो गया,
जिसमें बापू के भक्तों ने निर्जल उपवास रखकर अपने सद्गुरु के उत्तम स्वास्थ्य व
शीघ्र ही सत्य की विजय हो ऐसा शुभ संकल्प कर जप प्रारंभ किया। बताया गया है कि
सामूहिक जप, ध्यान, कीर्तन, प्रार्थना व हवन आदि से करनेवालों को तो फायदा होता ही
है पर साथ ही वातावरण में भी पवित्रता फैलती है। भगवद्भक्तों के शुभ संकल्प से
सर्वत्र मंगलकारी वातावरण बनता है । यही कारण है कि प्राचीनकाल में जप-तप, ध्यान
एवं यज्ञादिक अनुष्ठानों के प्रभाव से लोगों के जीवन सुखमय व्यतीत होते थे।
बापूजी ने उसी दिव्य वैदिक परम्परा को पुनर्जीवित कर हमें एक नयी राह दिखाई है, जो
सर्वमंगलकारी है।
सुबह
के सामूहिक जप के बाद 11 बजे से 108 कुण्डी रूद्रयज्ञ
प्रारंभ हुआ, जिसमें भक्तों की भारी उपस्थिति थी। सबने बड़े ही उत्साह व भाव के
साथ बाबा बोलेनाथ का सुमिरन व पूजन किया ।
यज्ञ कार्य दोपहर 3-30 बजे संपन्न हुआ । इसके बाद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शाम 6 बजे से शुरू
हुआ रात्रि के चारों पहरों में 108 पार्थिव शिवलिंगों का अभिषेक व पूजन का
कार्यक्रम । प्रथम, दूसरे, तीसरे व चौथे प्रहरों में क्रमशः दूध, दही, घी व शहद
से शिवलिंग का अभिषेक कर भक्त अभिभूत हुए।
आश्रम
प्रवक्ता ने बताया कि संत आसारामजी बापू महाशिवरात्रि पर्व की महिमा बताते हुए
संदेश देते हैं कि ‘‘महाशिवरात्रि जागरण, साधना, भजन करने की रात्रि है । ‘शिव’ का तात्पर्य
है ‘कल्याण’ अर्थात् यह रात्रि
बड़ी कल्याणकारी है। इस रात्रि में किया जानेवाला जागरण, व्रत-उपवास, साधन-भजन, अर्थसहित शांत
जप-ध्यान अत्यंत फलदायी माना जाता है।’’
महाशिवरात्रि
का तात्त्विक रहस्य समझाते हुए बापू कहते हैं कि ‘‘महाशिवरात्रि पर्व यह
संदेश देता है कि जैसे शिवजी हिमशिखर पर रहते हैं, माने समता की शीतलता पर विराजते
हैं,
ऐसे
ही आप भी साधना की ऊँचाई पर विराजमान होओ तथा सुख-दुःख के भोगी मत बनो । सुख को
बाँटकर उसका उपयोग करो, दुःख का भी उपयोग करो। शिवजी कहते हैं कि ‘मैं बड़े-बड़े तपों
से,
बड़े-बड़े
यज्ञों से,
बड़े-बड़े
दानों से,
बड़े-बड़े
व्रतों से इतना संतुष्ट नहीं होता हूँ जितना शिवरात्रि के दिन उपवास करने से होता
हूँ ।’ शिवरात्रि को उपवास करने से सौ यज्ञों से भी अधिक पुण्य होता है ।’’
व्यवस्थापकों के अनुसार संत आसारामजी बापू के इस संदेश
को जीवन में चरितार्थ करने हेतु उपरोक्त पुण्यदायी कार्यक्रम का आयोजन किया गया,
जिसमें भक्तों ने व्रत, उपवास और कइयों ने निर्जल उपवास कर भरपूर लाभ
लिया व अपने सद्गुरु के शीघ्र दर्शन हेतु शुभ संकल्प किये।
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