Friday, January 24, 2014

दल खालसा ने किया अमृतसर में रोष प्रदर्शन

Fri, Jan 24, 2014 at 7:55 PM
सिक्खों के साथ हमेशां भेदभाव का आरोप दोहराया 
अमृतसर: 24 जनवरी 2014: (गजिंदर  सिंह किंग/पंजाब स्क्रीन):
दल खालसा की ओर से आज अमृतसर में रोष प्रदर्शन किया गया और इस दौरान 26 जनवरी 1950 में जारी भारतीय संविधान में सिखों की उपेक्षा किए जाने का आरोप लगाया गया। इस मौके पर दल खालसा की ओर से एक रोष मार्च भी निकाला गया और भंडारी पुल पर रोष प्रदर्शन भी किया गया। 
   दल खालसा की ओर से आज अमृतसर में भारतीय संविधान में सिखों की उपेक्षा किए जाने के आरोप लगाते हुए रोष मार्च और प्रदर्शन किया गया। इस दौरान दल खालसा के कार्यकर्ताओं ने संविधान में सिखों के अस्तित्व को स्वीकार न किए जाने, पंजाब के पानी की लूट करना, सिख पर्सनल ला न बनाए जाना और सिखों को स्व-निर्णय की छूट न दिए जाने का विरोध किया। दल खालसा के प्रवक्ता कंवरपाल सिंह ने कहा कि जब तक सिखों की यह चारों मांगे पूरी नहीं की जाती, तब तक देश के सिख 26 जनवरी और 15 अगस्त जैसे आजादी के कार्यकर्मों में हिस्सा नहीं ले सकते। उधर, इस मौके पर दमदमी टकसाल के मुखी भाई हरनाम सिंह खालसा भी पहुंचे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 1947 से पहले देश की आजादी के लिए और आजादी के बाद देश की सीमा की सुरक्षा के लिए सिखों ने काफी बलिदान दिया है। लेकिन सिखों के साथ हमेशा ही भेदभाव किया गया। उन्होंने कहा कि नवंबर 1984 में सिखों का सरेआम कत्लेआम किया गया। इतना ही नहीं, इसके बाद भी कई तरह से सिखों को प्रताड़ित किया गया। उन्होंने बताया कि सिख कौम को अलग धर्म के रूप में पहचान देने के लिए धारा 25 के तहत कई बार मांग की गई। लेकिन जैन और बौद्ध धर्म को तो अलग धर्म के रूप में मान्यता दे दी गई। परंतु सिखों की मांग को आज तक दरकिनार किया जा रहा है। 

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