Saturday, November 30, 2013

इंडियन आयल ने खोला लुधियाना में दूसरा आटो एलपीजी सैंटर

लुधियाना के लोगों से किया और बेहतर सेवा का वायदा 
लुधियाना: 30 नवंबर2013: (पंजाब स्क्रीन): इंडियन आयल  ने लुधियाना में अपना  दूसरा आटो एलपीजी  सैंटर खोल कर लुधियाना निवासियों को एक नया तोहफा है। कम्पनी का पहला आयूटलेट फिरोज़पुर में खोला था जबकि दूसरा केंद्र अब गिल रोड पर खोला गया है।  शुभ अवसर पर कम्पनी  राज्य स्तरीय कार्यालय के एग्ज़ेकुटिव डायरेकटर सुदेब गुप्ता भी विशेष तौर पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि कम्पनी ने यह केंद्र लुधियाना के अत्याधिक लोगों तक यह सुविधा पहुँचाने के लिए खोला है। इस मौके पर स्थानीय केंद्र  संचालक आशीष गर्ग ने कम्पनी का धन्यवाद किया और लोगों से बेहतर सेवाएं देने का वायदा भी किया।  

'लव यू सोणिये' रिलीज होगी 6 दिसंबर को

Sat, Nov 30, 2013 at 4:24 PM
करणवीर बोहरा, तीजे सिद्धू व रघु राम पहली बार किसी पंजाबी फिल्म में
लुधियाना, 30 नवंबर 2013, (स्पेक्ट्रम न्यूज//पंजाब स्क्रीन): : करणवीर बोहरा, तीजे सिद्धू, रघु राम और उपासना सिंह जैसे नेशनल टीवी स्टार्स वाली रोमांटिक-कॉमेडी फिल्म 'लव यू सोणिये" 6 दिसंबर, 2013 को रिलीज के लिए तैयार है। इसमें बिग बॉस फेम विंदु दारा सिंह एवं शिवेंद्र महल भी नजर आएंगे। कॉलेज की कहानी पर आधारित जवां दिलों की इस मजेदार फिल्म का निर्माण करणवीर बोहरा व तीजे सिद्धू के हाल ही में लांच हुए बैनर, फायरबर्ड प्रोडक्शंस के तले हुआ है।
'लव यू सोणिये" में कई चीजें एकदम पहली बार हो रही हैं, जैसे कि इसका ओवरसीज डिस्ट्रीब्यूशन 'बीफोरयू" ने संभाला है, जो किसी पंजाबी फिल्म के लिए पहली बार ऐसा कर रही है। पीवीआर सिनेमाज के पास राष्ट्रीय वितरण के लिए जाने वाली यह पहली पंजाबी फिल्म है। करणवीर और तीजे ने इसके साथ ही अपनी खुद की म्यूजिक कंपनी 'मैट्रिक्स म्यूजिक' भी शुरू की है। दोनों पति-पत्नी फिल्म के लीड आर्टिस्ट हैं। पंजाबी सिनेमा की दुनिया में ऐसा पहली बार हुआ है कि रियल लाइफ की कोई जोड़ी रील लाइफ में भी पति-पत्नी की भूमिका निभा रही है।
फिल्म के मुख्य कलाकार करणवीर बोहरा ने बताया, 'लव यू सोणिये" एक मजेदार, रोमांटिक व जोश से भरपूर कॉमेडी मूवी है। पूरे परिवार के लिए यह एक अच्छी एंटरटेनर है। हमने इस मूवी की भाषा इतनी सरल रखी है कि पंजाबी न जानने वाले दर्शक भी इसे आसानी से समझ सकेंगे। हमें विश्वास है कि दर्शक यह फिल्म देखने के बाद सिनेमा हॉल से मुस्कराते हुए ही निकलेंगे। फिल्म का संदेश है- परिवार को प्राथमिकता दो, तभी प्रेम में कामयाबी मिलेगी।:
करणवीर टीवी सीरियल 'सौभाग्यवती भव" के विराज के रूप में लोकप्रिय रहे हैं। वे अत्यधिक सराहे गये हालिया रियलिटी शो 'झलक दिखला जा" सीजन-6 के स्टार डांसर भी हैं। करणवीर की लाइफ पार्टनर एवं चैनल वी की पूर्व वीजे व एक्टर तीजे सिद्धू ने बताया कि 'लव यू सोणिये" के जरिये 14 नये कलाकार पंजाबी सिनेमा में कदम रख रहे हैं। तीजे सिद्धू ने एकता कपूर
के पहले सीरियल 'किन्ना सोना तैनू रब ने बनाया" (2012) की जस्सी के रूप में लोकप्रियता हासिल की थी।
'लव यू सोणिये' से रोडीज-फेम रघु राम भी पंजाबी फिल्मों में पहली बार कदम रख रहे हैं। फिल्म में वे करणवीर के भाई का किरदार निभा रहे हैं। फिल्म के बारे में वे कहते हैं कि 'लव यू सोणिये" एक रोमांटिक व कॉमेडी से भरपूर एक बेहद मजेदार फिल्म है और मैं देखना चाहता हूं कि लोग मुझे एक अभिनेता के रूप में किस तरह देखते हैं। करणवीर व तीजे के अलावा 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिलÓ-फेम 'बुआ" उपासना सिंह व विंदू दारा सिंह भी फिल्म के मुख्य आकर्षण हैं।
'लव यू सोणिये" में संगीत दिया है इश्क बैक्टर, श्री डी और हैरी आनंद ने, जबकि इसके गीत लिखे हैं कुमार ने। फिल्म का निर्देशन साहिल कोहली ने किया है। करणवीर का कहना है कि बॉलीवुड एक्टर्स और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के म्यूजिक कम्पोजर्स के चलते उन्हें उम्मीद है कि पंजाबी सिनेमा को यह फिल्म एक नया आयाम दे पायेगी।

Friday, November 29, 2013

भक्ति योग वेदांत सम्मेलन का तीसरा दिन

Fri, Nov 29, 2013 at 3:48 PM
झूठा मनुष्य पानी के बुलबुले समान है: स्वामी परमानंद गिरी
लुधियाना, 29 नवम्बर (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): श्री नव दुर्गा मंदिर, सराभा नगर में अखण्ड परम धाम सेवा समिति द्वारा जारी विशाल भक्ति योग वेदांत सम्मेलन के तीसरे दिन प्रवचन करते हुए युग पुरुष श्री स्वामी परमानंद गिरि जी महाराज ने कहा कि आत्म ज्ञान की प्राप्ति गुरु बिना असम्भव है। गुरु ही मनुष्य का हाथ पकडक़र परमात्मा से मिलन का रास्ता बताता है। यह संसार सपना है, लेकिन यहां सभी सपनों को हकीकत में बदलने वाला ही मनुष्य है। मनुष्य अपने हाथों से मेहनत करे, क्योंकि हाथ पर हाथ धरे बैठा मनुष्य जानवर तुल्य है। उन्होंने कहा कि किसी को वचन दो तो उसे निभाना भी चाहिए। झूठा मनुष्य पानी के बुलबुले समान है, उसका कोई वजूद नहीं होता।
गुरु जी ने आगे बताया कि इंसान का इंसान से प्यार होना चाहिए ताकि एक निरोल समाज की स्थापना हो सके। लड़ाई-झगड़ों और विश्व के कई हिस्सों में चल रहे खौफ से किसी एक को विजय तो मिल सकती है, लेकिन भला किसी का नहीं हो सकता। इसलिए देश वासियो संभलो। देश का भविष्य आपकी सोच पर निर्भर करता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को आज के समय में आत्म निर्भर बनना चाहिए विशेषकर लड़कियों को। उन्होंने भ्रूण हत्या को रोक कर कहा कि समाज में से बालिकाओं का अस्तित्व मिट जायेगा तो वर्तमान कैसा होगा यह किसी ने सोचा भी न होगा।

Wednesday, November 27, 2013

दिल्ली में शिअद चारों सीटों पर करेगा विजय हासिल- सुखबीर बादल

Wed, Nov 27, 2013 at 8:00 PM
तस्करों की गिरफ्तारी के बारे में कांग्रेस के साथ कोई बहस नहीं चाहता
कहा - कांग्रेस पार्टी को नशीले पदार्थों के तस्करों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का करना चाहिए समर्थन
अमृतसर (गजिंदर सिंह किंग) - अमृतसर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे शिरोमणि अकाली दल के प्रधान और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा, कि शिरोमणि अकाली दल दिल्ली में चारों सीटों पर विजय हासिल करेगा। 
  शिरोमणि अकाली दल के प्रधान और पंजाब के उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कहा, कि कांग्रेस पार्टी को पंजाब सरकार की ओर से नशीले पदार्थों के तस्करों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई का समर्थन करना चाहिए। लेकिन कांग्रेसी इसका विरोध करते हुए नुकताचीनी करने में जुटे हुए हैं। कांग्रेस पार्टी की ओर से बिक्रम सिंह मजीठिया और अन्य मंत्रियों की ओर से बिट्टू औलख के साथ स्टेज सांझा करने पर इस्तीफा मांगे जाने के बारे में सुखबीर बादल ने कहा, कि वह कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी प्रकार की बहस नहीं करना चाहते। इसके अलावा उन्होंने दावा किया, कि शिरोमणि अकाली दल दिल्ली में चारों सीटों पर विजय हासिल करेगा। वह आज अमृतसर में आयोजित एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे।

भारत विविध विश्वासों का इन्द्रधनुष है

27-नवंबर-2013 20:15 IST
जहां फिल्मों के लिए अपार सम्भावनाएं हैं 
44वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के दौरान मीडिया के साथ विचार-विमर्श में मनकामना फिल्म के निर्देशक पाचो वेलेज ने कहा कि भारत विविध विश्वासों और रंगों वाला देश है, इसलिए फिल्मों के माध्यम से यहां अनेक कहानियां सुनाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि उनकी फिल्म मनकामना अत्याधुनिक केबल कार के माध्यम से नेपाल के गोरखा जिले में त्रिशुली की विशाल वादियों में से एक में ले जाती है। वहां का प्रसिद्ध मनकामना मंदिर दुनिया भर से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। 

इसी चर्चा के दौरान चीनी फिल्म चिमारास के निर्देशक मीका मट्टिसा ने कहा कि उनकी फिल्म चीन की आधुनिकता के महत्वपूर्ण प्रश्न को लेकर ऐसी स्थिति पर गौर करती है, जहां उसकी महत्वाकांक्षाओं का परंपरागत पहचान के साथ टकराव हो रहा है। उन्होंने बताया कि उनकी फिल्म उभरते फोटोग्राफर और स्थापित समकालीन कलाकार की कहानी है। (PIB)
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वि‍.कासोटि‍या/आरके/सीडीएस – 7167

NYFF51: Stephanie Spray & Pacho Velez | "Manakamana" Red Carpet

29-09-2013 पर प्रकाशित
Stephanie Spray & Pacho Velez, directors of Manakamana, discussed the film on the red carpet of its Premiere at the Opening Weekend of the 51st New York Film Festival. Interviewer: Mark Stefanik More information on NYFF51: http://filmlinc.com/nyff

NYFF51: "Manakamana" Q&A

29-09-2013 पर प्रकाशित
Stephanie Spray & Pacho Velez, discussed their new film "Manakamana" at a press conference during the 51st New York Film Festival.



डिजिटल पुस्‍तकालयों पर अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन

27-नवंबर-2013 19:31 IST
‘आईसीडीएल’ का शुभारंभ किया उपराष्‍ट्रपति ने 
उपराष्‍ट्रपति मोहम्‍मद हामिद अंसारी ने कहा है कि इस विषय पर आम सहमति है कि ज्ञान 21वीं सदी में एक प्रमुख प्रबल शक्ति होगा। उन्‍होंने कहा कि मानव क्षमताओं में वृद्धि के लिए देश के नागरिकों को सशक्‍त और समर्थ बनाने में ज्ञान निर्माण और उपयोग की कुशलता सहायक साबित होगी। श्री अंसारी ने कहा कि वैश्विक प्रतिस्‍पर्धा के अलावा राष्‍ट्रों के सामाजिक आर्थिक विकास को गति और स्‍थायित्‍व प्रदान करने में भी ज्ञान की प्रमुख भूमिका होगी। 
ऊर्जा और संसाधन संस्‍थान (टेरी) द्वारा विजन 2020 ‘पूर्व अनुभवों के आधार पर नए लक्ष्‍यों का निर्धारण’ नामक विषय पर डिजिटल पुस्‍तकालयों पर अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन (आईसीडीएल) का शुभारंभ करते हुए श्री अंसारी ने कहा कि इन उद्देश्‍यों को समाज के विभिन्‍न तबकों के बीच ज्ञान प्रदान करने और व्‍यापक रूप से प्रसारित करने की आवश्‍यकता है। इस मामले में डिजिटल पुस्‍तकालय एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। ये पुस्‍तकालय लोगों को अधिक उपयुक्‍त और प्रभावी ढंग से ज्ञान प्रदान करने और ज्ञान बांटने के अलावा उनकी बौद्धिक क्षमता को भी बढ़ाने में उपयोगी साबित होंगे। 

श्री अंसारी ने कहा कि मानव समाज में पुस्‍तकालयों की महत्‍ता को रोमन नागरिक सिसिरोव के इस कथन से बेहतर ढंग से समझा जा सकता है कि ‘एक घर में पुस्‍तकालय का निर्माण उस घर को आत्‍मा प्रदान करना है’। बौद्धिक क्षमता के माध्‍यम से न सिर्फ एक राष्‍ट्र बल्कि मानवता को भी आसानी से समृद्ध बनाया जा सकता है। इतिहास के हर दौर में सभ्‍यताओं ने पुस्‍तकों में निहित जानकारी, पांडुलिपियों और दुर्लभ दस्‍तावेजों को सहेजने के लिए पुस्‍तकालयों का निर्माण किया। आधुनिक युग में पुस्‍तकालय अत्‍यधिक व्‍यापक संस्‍थान बन चुके हैं और पुस्‍तकालयों ने मानव सभ्‍यता के उच्‍चतम मूल्‍यांकन में बेहद महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। 

उपराष्‍ट्रपति ने कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के विकास ने दुनिया के हर क्षेत्र में पुस्‍तकालयों की प्रणालियों में भी परिवर्तन किया है। उभरती हुई तकनीकों ने मौजूदा आंकड़ों को उपयोगी डिजि‍टल प्रारूप में परिवर्तित करने की सुविधा भी प्रदान की है। सूचना के निरंतर विकास से डिजिटल पुस्‍तकालय विभिन्‍न डिजिटल प्रारूपों में सूचनाओं को प्रदान करने के प्रमुख माध्‍यम बन चुके हैं। उन्‍होंने कहा कि सभी जानते हैं कि एक डिजिटल पुस्‍तकालय एक कम्‍प्‍यूटरीकृत प्रणाली है, जिसके माध्‍यम से उपयोगकर्ताओं को इलेक्‍ट्रॉनिक प्रारूप में एक संगठित तरीके से और व्‍यापक रूप में सूचनाओं का विस्‍तृत प्रवाह प्राप्‍त करने में मदद मिलती है। श्री अंसारी ने कहा कि इसके माध्‍यम से 24 घंटे सूचनाओं को आसानी से प्राप्‍त भी किया जा सकता है। अपने संबोधन के समापन पर उन्‍होंने सम्‍मेलन की सफलता की कामना करते हुए डॉ. पचौरी को भी धन्‍यवाद दिया। 
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वि‍.कासोटि‍या/एसएस/आरके-7165

Tuesday, November 26, 2013

प्रापर्टी टैक्स: सियासी दल कर रहे हैं राजनीति और पार्षद बने हैं जन सहारा

पार्षद जयप्रकाश ने भी करायी प्रापर्टी टैक्स कैम्प की सफल शुरूआत

लुधियाना : 26 नवंबर 2013: (रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): कांग्रेस, कम्युनिस्ट और अन्य विपक्षी दलों के तीखे विरोध का  कोई असर नहीं हुआ और कई प्रदर्शनों व मार्चों के बावजूद प्रापर्टी टैक्स की कुलेकशन का काम जोर शोर से जारी है। अंतिम तारीख  नवंबर को नज़दीक देखते हुए इस मकसद के कैम्प भी जगह जगह लगाये जा रहे हैं। जहाँ और भाजपा पार्षद इस टैक्स अभियान को सफल  बनाने में जुटे हैं वहीँ कांग्रेस समर्थक पार्षद भी आम जनता के साथ सीधे सीधे जुड़े होने के कारण इस टैक्स के लिए रहे कैम्पों को सफल बनाने में  सक्रिय हैं। इतनी सरगर्म सियासी हिमायत के बावजूद सरकारी विभाग अपनी ढिलमुल नीती छोड़ने को तैयार नहीं हुए। बहुत बड़ी आबादी वाले इन इलाकों में कैम्प तो घोषित कर दिया गया और टीम भी पहुँच गयी लेकिन इस मकसद के लिए भरे वाले फ़ार्म दोपहर होते होते करीब तीन घंटों में ही समाप्त हो गए। लोग टैक्स  फ़ार्म खत्म।
इस हालत में निराश और नाराज़ हुए लोगों को अपने प्रभाव और प्रेम से मनाया पार्षद जय प्रकाश ने।  उन्होंने खुद इस कैम्प में मौजूद रह कर जहां डयूटी पर पहुंचे स्टाफ सदस्यों का ध्यान रखा वहीँ हर किसी को हौंसला दे कर लोगों का भी पूरा पूरा ध्यान रखा।  उन्होंने कहा कि चाहे रात के आठ बजें या फिर कल की बजाये परसों का दिन भी लगाना पड़े पर वह इस इलाके के लोगों का यह काम भी रुकने नहीं देंगें।
  इस टैक्स को अदा करने के मामले में असेसमेंट आज इस कैम्प में भी एक पहेली बनी रही। लोग समझ नहीं पा रहे थे कि उन्होने विभाग को कितनी रकम अदा  करनी है। हड़बड़ाहट में कई लोग अधिक रकम भी जमा करवा बैठे। ज़यादा रकम दे बैठने का गम तो लोगों को था ही पर उन्हें सदमा लगने  अहसास हुआ जब उन्हें  किसी ने यह कह दिया कि अब उन्हें इतनी ही रकम हर साल अदा करनी पड़ेगी। इसी बीच लोग इस बहस में भी उलझे दिखाई दिए कि यह टैक्स वास्तव में कौन लगवा रहा है---दिल्ली में बैठी कांग्रेस नेतृत्व  यूपीए सरकार  की अकाली-भाजपा सरकार----?

Saturday, November 23, 2013

कमांडरों के संयुक्‍त सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री का भाषण

22-नवंबर-2013 20:27 IST
प्राणों की आहूति देने वालों को श्रद्धांजलि अर्पि‍त 
हमारी सशस्‍त्र सेनाओं के वरिष्‍ठतम नेतृत्‍व के इस सम्‍मेलन में एक बार फिर बोलते हुए मुझे बेहद खुशी हो रही हैं। हमारी सेनाओं में शामिल पुरूष और महिलाएं सुरक्षा के काफी कठिन माहौल में काम करते हैं, लेकिन उन्‍हें हमेशा आदर्श पेशेवराना अंदाज, साहस और प्रतिबद्धता के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उनका मार्गदर्शक होने के नाते आप लोगों ने हमारी सेनाओं का विश्‍वास और गौरव बढ़ाने में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैं आप सभी को और आपकी सेवाओं के लिए धन्‍यवाद देना चाहता हूं। 

सबसे पहले मैं अपने देश के लिए प्राणों की आहूति देने वालों को श्रद्धांजलि अर्पि‍त करना चाहता हूं। हम खासतौर से बेहद पीड़ा और दु:ख के साथ उन सैनिकों को याद करते है जो मुम्‍बई में पनडुब्‍बी दुर्घटना में मारे गये और हमारे वो सैनिक जो अपनी सीमाओं की रक्षा करने और आतंकवाद का मुकाबला करते हुए शहीद हो गए। हम अपने उन पायलटों और वायु सैनिकों का भी स्‍मरण करते हैं जिन्‍होंने उत्‍तराखंड में लोगों की जान बचाने के लिए अपने प्राण न्‍यौछावर कर दिए, हम उनके प्रति‍ कृतज्ञ है। साथ ही हम उन अनेक सैनिकों को भी याद करते हैं जिनके वीरतापूर्ण कारनामों की सार्वजनिक रूप से चर्चा नहीं हुई, लेकिन जिन्‍हें असह्य और प्रतिकूल माहौल में जोखिम उठाना पड़ा। उन्‍होंने भी देश की सेवा की। 

मित्रों मैं नहीं चाहता कि मेरा आज का भाषण रक्षा के क्षेत्र में हमारी पिछले वर्षों की उप‍लब्धियों की व्‍याख्‍या बने। उन सभी के बारे में आप सभी लोग पहले से ही जानते है। इसके बजाय मैं अपने आस-पास के माहौल पर ध्‍यान केन्द्रित करूंगा और मैं समझता हूं कि हमें सुनिश्चित करना होगा कि हमारी सशस्‍त्र सेनाएं इससे निपटने में पूरी तरह सक्षम हों। अपने पड़ोसियों के साथ सुरक्षा की अनोखी चुनौतियों की चर्चा करने से पहले मैं कुछ सामान्‍य बिंदुओं पर प्रकाश डालना चाहता हूं। 

सबसे पहले अगर आप पिछले दशक के वैश्विक सामरिक माहौल को देखें तो आप इस बात को नजरंदाज नहीं कर सकते कि जैसे-जैसे आर्थिक पेंडुलम पश्चिम से पूर्व की तरफ बढ़ रहा है वैसे-वैसे सामरिक महत्‍व की चीजों पर भी ध्‍यान केन्द्रित हो रहा है जैसा कि हमारे पूर्व के समुद्रों में बढ़ते विवाद और इस क्षेत्र में अमरीका द्वारा उससे संबंधित ''केंद्र बिन्‍दु'' या ''पुन:संतुलन'' का उदाहरण है। यह अनिश्चितता के साथ विकास है। हम अभी तक नहीं जानते कि ये आर्थिक और सामरिक संक्रमण शांतिपूर्ण होगा अथवा नहीं, लेकिन इस चुनौती का यहां मौजूद श्रोताओं को सामना करना होगा। 

दूसरा वैश्वीकरण एक ऐसा विषय है जिसका हमें हर क्षेत्र में सामना करना होगा। लेकिन यह नई अथवा शीत युद्ध के बाद की घटना नहीं है। हमें प्‍लीनी और रोमन साम्राज्‍य को याद करने की जरूरत है और यह सच्‍चाई है कि पूर्व से सिल्‍क और मसालों का आयात करने के लिए रोम के सम्राट के हाथ खाली हो गए थे। आज वैश्वीकरण की गति इंटरनेट सहित प्रौद्योगिकी से चलती है। 

हालांकि वैश्वीकरण ने आर्थिक और व्‍यापारिक मोर्चों पर देशों और नागरिकों के बीच आपस में निर्भरता को बढ़ा दिया है, उसने सुरक्षा के क्षेत्र में कड़ी प्रतिस्‍पर्धा और प्रतिद्वंद्विता पैदा की है। इन परस्‍पर विरोधी स्‍वरों का प्रबंधन, जिसे अमरीकी राष्‍ट्रीय सुरक्षा एजेंसी द्वारा बनाई गई, वैश्विक निगरानी कार्यविधि द्वारा उजागर किया गया है, हमारी शासन नीति के लिए अनिवार्य है। निश्चित रूप से हमारा उद्देश्‍य ठोस राष्‍ट्रीय क्षमता हासिल करना होना चाहिए, अथवा शब्‍दकोष में जिसे व्‍यापक राष्‍ट्रीय ताकत के रूप में परिभाषित किया गया है। यह आर्थिक, प्रौद्योगिकीय और औद्योगिक कौशल का मिश्रण है। 

तीसरा, आजादी के बाद पहले छ: दशकों में देश को अपनी क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता की रक्षा के लिए अनेक चुनौतियों का सामना करना पड़ा और देश तथा उसकी सेना हर मौके पर खरी उतरी। लोग भारतीय सेना की देशभक्ति और उसके पेशेवराना अंदाज का लोहा मानते हैं, लेकिन भारतीय सेना को आगे क्‍या करना है? हम शांति के रास्‍ते के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन यदि सेना को किसी खतरे अथवा चुनौती का सामना करना पड़ता है तो वह भारतीय हितों की रक्षा करने में सक्षम होनी चाहिए। 

अब हम अपने पड़ोसियों की स्थिति पर आते हैं, इसमें कोई संदेह नहीं कि हमें लगातार चुनौतियों को सामना करना पड़ेगा। पश्चिम एशिया में जारी उथल-पुथल ने न केवल हमारी ऊर्जा सुरक्षा और जीविका तथा 70 लाख भारतीय की सुरक्षा को प्रभावित किया है बल्कि कट्टरपंथ, आतंकवाद, हथियारों के प्रसार और सांप्रदायिक विवाद के लिए संकट बन गया है जो हमारे समुद्रों को छू सकता है। एशिया प्रशांत क्षेत्र जिसके साथ हमारे संबंध हर क्षेत्र में बढ़ रहे है, समान रूप से महत्‍वपूर्ण है। 

हमारे उच्‍च रक्षा संगठनों को इन विशेष घटनाक्रमों की तरफ खासतौर से ध्‍यान देना चाहिए। साथ ही हमारी सामरिक सीमाओं में वस्‍तुओं, ऊर्जा और खनिजों के वैश्विक समुद्री व्‍यापार, विश्‍वभर में पहले प्रवासी भारतीयों के कल्‍याण और भारत की राजधानी में बढ़ते वैश्विक पदचिन्‍हों की रक्षा करने की जरूरत है। जैसे-जैसे हमारी क्षमता बढ़ती जाएगी, हमारे सामने प्राकृतिक आपदाओं अथवा विवाद और अस्थिरता के क्षेत्रों में मदद का आह्वान बढ़ता जाएगा। इन स्थितियों से कैसे निपटा जाएगा यह कार्य आपके सामने है। मैं आपके सामने अपने कुछ विचार रखना चाहता हूं। 

मैं रक्षा मंत्रालय और सशस्‍त्र सेनाओं के साथ-साथ डीआरडीओ से आग्रह करता हूं कि वे इन अनुभवों को जोड़े और हमारी सरकार की पहल वाली विविध कार्यबल की रिपोर्टों की समीक्षा करे ताकि सैनिक सामानों के उत्‍पादन में स्‍वदेशी क्षमता का उच्‍च सूचकांक हासिल किया जा सके। काफी लंबे समय से हम निजी बनाम सार्वजनिक क्षेत्र के फायदे-नुकसान पर बहस कर रहे हैं। यह अधिक उपयोगी होगा यदि हम अपने सार्वजनिक क्षेत्र, निजी उद्यमों, अनुसंधान प्रयोगशालाओं को पूरी ताकत देने के लिए औसत राष्‍ट्रीय क्षमता के संदर्भ में विचार करें ताकि उत्‍पादन, अनुसंधान और विकास के लिए सृजनात्‍मक और प्रभावी स्‍वदेशी आधार बनाए जा सके। हमें घरेलू रक्षा औद्योगिक आधार तैयार करने के लिए अनुकूल अंतर्राष्‍ट्रीय माहौल का लाभ उठाना होगा। 

हमें उच्‍च रक्षा प्रबंधन के लिए सही ढांचा स्‍थापित करने के लिए तत्‍काल और ठोस प्रगति करने तथा निर्णय लेने में उचित नागरिक-सैनिक संतुलन बनाने की जरूरत है जो हमारे जटिल सुरक्षा माहौल की मांग है। एक बार फिर मैं आप लोगों को इस बात के लिए प्रोत्‍साहित करता हूं कि इसे सर्वोच्‍च पेशेवर महत्‍व दें, अलग-अलग सेवाओं के बीच वर्तमान मतभेदों को दूर करते हुए सामंजस्‍य स्‍थापित करे और भविष्‍य के लिए एक खाका तैयार करें। मैं आपको आश्‍वासन देना चाहता हूं कि राजनीतिक नेतृत्‍व द्वारा आपकी सिफारिशों पर सावधानीपूर्वक विचार किया जाएगा। 

दोनों मुद्दे जो मैंने अभी उठाएं वे हमारे समक्ष मंडरा रहे गंभीर संकट को देखते हुए प्रासंगिक है। सैनिक उपकरणों और सेनाओं में हमारा निवेश हमारे राष्‍ट्रीय संसाधनों से मेले खाता हुआ होना चाहिए। अधिकतर पिछले दशकों के दौरान, हमें 8 प्रतिशत की दर से औसत वार्षिक वृद्धि का लाभ मिला, लेकिन पिछले दो वर्षों में विकास की गति धीमी हुई है और हमें घटती-बढ़ती विनिमय दर और व्‍यापार के क्षेत्र में अड़चनों की संभावना सहित अनिश्चित अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक माहौल का सामना करना पड़ रहा है। इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि हम अपनी वर्तमान आर्थिक मंदी से उभर जाएंगे, लेकिन हमें अपनी रक्षा प्राप्ति योजनाओं में सावधानी बरतनी होगी तथा अपनी चादर के अनुसार ही अपने पैर पसारने होंगे। हमें अपने विरोधियों की क्षमताओं को भी ध्‍यान में रखना होगा, हमें सीमित संसाधन उपलब्‍धता को ध्‍यान में रखते हुए दीर्घकालिक लाभ योजना बनानी होगी। यह एक ऐसा कार्य है जिसे प्रा‍थमिकता के आधार पर करना होगा। 

हमारी सशस्‍त्र सेना के दिल में लोग बसते है। यह हमारी सेना की विशिष्‍ट मूल्‍य व्‍यवस्‍था है जो उसके मानवीय संसाधन को सुसंगति प्रदान करता है। जिस वैश्वीकरण और लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं का मैंने पहले जिक्र किया उसका हमारे अपने लोगों पर काफी प्रभाव पड़ा है। सेना भी इससे अछूती नहीं है, वरिष्‍ठ मार्गदर्शक होने के नाते वर्दी में अपने पुरूषों और महिलाओं के जीवन और कल्‍याण की जिम्‍मेदारी आपकी है। कंमाडर होने के नाते आपको र्इमानदारी से लेकर अलंघनीय सिद्धांतों का आत्‍मविश्‍लेषण करना होगा। उदाहरण प्रस्‍तुत करना होगा। मैं आप लोगों से आग्रह करूंगा कि उस पुरानी कहावत की तरफ गौर जिसमें किसी भी सेना के लिए मानव संसाधनों का प्रबंधन सर्वोच्‍च है। भारतीय सेना का उत्‍कृष्‍ट नाम है और आप लोगों से बेहतर कोई नहीं जानता कि किस तरह इसे चमकाया जा सकता है। 

हाल के समय में हमारे देश में नागरिक-सैनिक संबंधों की प्रकृति के बारे में चिंताएं उठाई गई है। मैं स्‍पष्‍ट तौर पर बता देना चाहता हूं कि भारत के राजनीतिक नेतृत्‍व को अपनी सेना और लोकतांत्रिक ढांचे के भीतर उसके संस्‍थागत खरेपन पर पूरा भरोसा है। हमारी सेना की अराजनीतिक प्रकृति और उसका पेशेवराना अंदाज दुनिया के लिए ईर्ष्‍या पैदा करती है और इसने भारतीय लोकतांत्रिक अनुभव विकसित किया है। हमारे लोकतंत्र और संस्‍थानों ने किसी भी मुद्दे से निपटने में अपनी क्षमता साबित की है। 

मित्रों, मैं जानता हूं कि आप मेरी इस बात से सहमत होंगे कि हमारे देश की वास्‍तविक क्षमता राष्‍ट्रीय प्रयोजन की उत्‍तम उद्देश्‍यों से मिलती है। हमें अपनी अर्थव्‍यवस्‍था को उच्‍च विकास के रास्‍ते पर ले जाना होगा। हमें अपना औद्योगिक और विनिर्माण आधार विकसित करने की जरूरत है। हमें भारत में अविष्‍कारों की ताकत बढ़ानी होगी ताकि हम अपने सामने खड़ी चुनौतियों के नए समाधान ढूंढ सके। हमें अपने आर्थिक विकास को सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से अधिक समग्र, क्षेत्रीय दृष्टि से संतुलित और पर्यावरण की दृष्टि से टिकाऊ बनाना होगा। इन सबसे ऊपर हमें अपने मूल्‍यों को मजबूत बनाने की जरूरत है जो हमें लोकतंत्र, कानून के शासन व्‍यक्तिगत आजादी, सामाजिक और धार्मिक सौहार्द और वैश्विक शांति की परिभाषा देते हैं। 

मैं जानता हूं कि हमारी सशस्‍त्र सेनाएं इसी सिद्धांत के अनुरूप आचरण कर रही हैं और शेष दुनिया के लिए उदाहरण प्रस्‍तुत किया है। उनके पास जर्बदस्‍त ताकत है लेकिन उन्‍होंने परिपक्‍वता और जिम्‍मेदारी के साथ इसका उपयोग किया है। वे कठिन से कठिन मिशन के लिए तैयार है, लेकिन शांति के लिए प्रतिबद्ध हैं। उन्‍होंने देश की रक्षा के लिए तूफानों, कड़ाके की ठंड और तपती गर्मी का बहादूरी से मुकाबला किया है, इसलिए भारत अपने सपनों को हकीकत में बदल सकता है। आने वाले हफ्तों और महीनों में हमारी सुरक्षा चुनौतियां कठिन बनी रहेंगी लेकिन हमारा संकल्‍प अडिग रहेगा। मुझे विश्‍वास है कि हमारी सशस्‍त्र सेनाएं झंडे और देश के प्रति अपनी सामूहिक जिम्‍मेदारी उत्‍साह और जोश से निभाएंगी, जो उनका पर्याय बन चुका है। मैं आपके प्रयासों में आप सभी की सफलता की कामना करता हूं। 

धन्‍यवाद, जय हिन्‍द 
***
वीके/केपी/एलडी-7101

Thursday, November 21, 2013

44वें आईएफएफआई में भारतीय पेनोरमा खंड का उद्घाटन

21-नवंबर-2013 17:16 IST
उद्धघाटन किया वयोवृद्ध फ़िल्म अभिनेता  मनोज कुमार ने 
30  नवंबर तक जारी रहने वाले इस यादगारी अवसर पर फ़िल्मी दूँ इया कि जानी मानी हस्ती मनोज कुमार, केंद्रीय सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री (स्वतंत्र कार्यभार) मनीष तिवाड़ी, जाने माने निर्माता निर्देशक सुभाष घई और प्रसिद्ध अदाकार मनोज बाजपेयी एक साथ 
पणजी (गोवा):  21 नवंबर 2013 :(पीआईबी): वयोवृद्ध फि‍ल्‍म अभि‍नेता और नि‍र्देशक मनोज कुमार ने सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष ति‍वारी, सूचना प्रसारण मंत्रालय में सचि‍व श्री बि‍मल जुल्‍का और श्री प्रेम चोपड़ा, श्री सुभाष घई और श्री मनोज बाजपेयी जैसी फि‍ल्‍मी हस्‍ति‍यों की मौजूदगी में आज 44वें भारत के अंतर्राष्‍ट्रीय फि‍ल्‍म समारोह(आईएफएफआई) के भारतीय पेनोरमा खंड का उद्घाटन कि‍या। इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री मनोज कुमार ने बीते दि‍नों की फि‍ल्‍मों और फि‍ल्‍म-नि‍र्माण को याद कि‍या। उन्‍होंने सुझाव दि‍या कि‍ मंत्रालय को एक ऐसे पुरस्‍कार की स्‍थापना करनी चाहि‍ए जि‍ससे हॉलीवुड तक बराबरी करना चाहे। 

उपस्‍थि‍त गणमान्‍य व्‍यक्‍ति‍यों को संबोधि‍त करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष ति‍वारी ने कहा कि‍उनका मंत्रालय अगले वर्ष से राजनीति‍क सि‍नेमा पर एक वि‍शेष खंड शुरू करना चाहता है। श्री ति‍वारी ने कहा कि‍ भारत में फि‍ल्‍म उद्योग ने स्‍वयं को फायदेमंद स्‍थि‍ति‍तक पहुंचा दि‍या है। उन्‍होंने कहा कि‍आज सि‍र्फ भारतीय सि‍नेमा की यात्रा के ऐति‍हासि‍क दस्‍तावेज की ही जरूरत नहीं है बल्‍कि‍ऐसी गाथा की जरूरत है जो राजस्‍व कमाने का अपने कि‍स्‍म का ही मॉडल हो। भारतीय सि‍नेमा ने सि‍ने प्रेमि‍यों के दि‍लोदि‍माग पर बहुत महत्‍वपूर्ण छाप छोड़ी है। 

इस खंड में 26फीचर फि‍ल्‍में और 16 गैर-फीचर फि‍ल्‍में हैं। प्रख्‍यात फि‍ल्‍म-नि‍र्माता और संपादक बी लेनि‍न की अध्‍यक्षता वाली फीचर फि‍ल्‍मों की ज्‍यूरी ने के आर मनोज की 'कन्‍याका टॉकीज़' को पेनोरमा की आरंभि‍क फि‍ल्‍म के रूप में चुना हैं। अन्‍य फि‍ल्‍मों में सि‍द्धार्थ शि‍वा की '101 चोडीएंगल', अंजन दास की 'अजाना बतास' और नागराज मंजुल की 'फैनड्राई' शामि‍ल हैं। गैर-फीचर फि‍ल्‍मों की ज्‍यूरी की अध्‍यक्षता प्रति‍ष्‍ठि‍त नि‍र्देशक राजा सेन ने की। इस श्रेणी में प्रांति‍क नारायण बासु की 'मकारा', बाबू कामब्राथ की 'बि‍हाइंड द मि‍स्‍ट' और राजा शबीर खान की 'शेफर्डस ऑफ पैराडाइज' शामि‍ल हैं। इस खंड की आरंभि‍क फि‍ल्‍म कमल स्‍वरूप की 'रंगभूमि‍' होगी। 
वि‍.कासोटि‍या/एएम/आरके/एम–7077

Wednesday, November 20, 2013

श्री अकाल तख्त साहिब से गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी तक शानदार मार्च

Tue, Nov 19, 2013 at 11:19 AM
हरिद्धार जाने वाली संगत गुरुद्वारा पाउंटा साहिब में इकट्ठी होगी  
अमृतसर: 19 नवंबर 2013:(गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन): उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी विवाद पर सिख संगठन एकजुट होने लगे हैं। सिखों की सर्वोच्च अदालत श्री अकाल तख्त साहिब से पंथक सेवा दल के मुखिया बाबा बलजीत सिंह दादूवाल के नेतृत्व में गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी तक के लिए मार्च शुरू किया गया। उन्होंने कहा, कि हरिद्धार जाने वाली संगत गुरुद्वारा पाउंटा साहिब में इकट्ठी होगी, वहां से जत्थे गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी के लिए रवाना होंगे।    
   उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में हर की पौरी में स्थित श्री गुरू नानक देव जी के गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी को 1984 में सिख विरोधी लहर के दौरान तोड़-फोड़ कर दिया गया था,उस को फिर से स्थापित करने और वहा श्री गुरू नानक देव जी के प्रकाश पर्व मनाने के लिए सिखों की सर्वोच्च अदालत श्री अकाल तख्त साहिब से पंथक सेवा दल के मुखिया बाबा बलजीत सिंह दादूवाल के नेतृत्व में गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी तक के लिए मार्च शुरू किया गया। इस मौके पर पंथक सेवा दल के मुखिया बाबा बलजीत सिंह दादूवाल ने कहा है, कि वर्तमान पंथक हालात को देखते हुए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह को सरबत खालसा तुरंत बुलाया जाना चाहिए। दादूवाल ने कहा, कि गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी के मामले में उत्तराखंड की सरकार की नीयत ठीक नहीं है। बीते वर्ष गंगा स्नान के नाम पर सिखों को हरिद्वार से बाहर ही रोक लिया था। बार-बार अनुरोध करने पर भी प्रशासन ने गुरुद्वारा साहिब के स्थान पर गुरु पर्व मनाने की आज्ञा नहीं दी है। इस संदर्भ में उत्तरांचल की राज्यपाल मारगेट्र अल्वा को भी एक ज्ञापन सौंप चुके हैं। उन्होंने कहा, कि हरिद्धार जाने वाली संगत गुरुद्वारा पाउंटा साहिब में इकट्ठी होगी, वहां से जत्थे गुरुद्वारा ज्ञान गोदड़ी के लिए रवाना होंगे। दादूवाल ने कहा, कि वर्तमान समय सिखों की धार्मिक व राजनीतिक तौर पर नेतृत्व करने वाली सिख लीडरशिप असफल हो गई है। प्रदेश में अकाली दल की सरकार है। फिर भी हालात कमजोर होते जा रहे हैं।

Tuesday, November 19, 2013

खेती का काम मौत को बुलावा देने से कम नहीं

 Tue, Nov 19, 2013 at 3:56 PMKanhaiya Jha
(Research Scholar)
Makhanlal Chaturvedi National Journalism and Communication University, Bhopal, Madhya Pradesh
+919958806745, (Delhi) +918962166336 (Bhopal)
Email : kanhaiya@journalist.com
            Facebook : https://www.facebook.com/kanhaiya.jha.5076 
90 के दशक के अंत में तथा सन 2000 के आसपास किसानों द्वारा आत्महत्या करने के मामले सामने आये. एक अनुमान के अनुसार सन 1995 से 2011 तक के बीच लगभग 3 लाख किसानों ने आत्महत्या की. ये मामले मुख्यतः कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब, तथा आंध्र प्रदेश से रिपोर्ट किये गए. किसानों की दुर्दशा की यह कहानी भी एक युवा पत्रकार पी.साईनाथ के अथक प्रयासों के कारण ही सामने आ पायी, जिसके लिए उन्होनें पांच प्रदेशों में लगभग एक लाख किलोमीटर की यात्रा की, जिसमें 5000 किलोमीटर की पदयात्रा भी शामिल है. इन रिपोर्ट्स को अखबारों में प्रकाशित कराने के लिए भी उन्हें काफी जद्दोजहद करनी पड़ी.



भारतवर्ष में कृषि मानसून की अनियमितता से हमेशा ही प्रभावित होती रही है. बाढ़ अथवा सूखा, दोनों ही दशाओं में किसान नुक्सान उठाता था. परंतू गाँव के एक स्वायत्त इकाई होने से वे सभी दुष्प्रभावों को झेल पाते थे. ब्रिटिश शासन काल में ऊंची जाती वाले शासन एवं किसानों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाते थे तथा पैसा उधार देते थे. बीच की जाती वाले खेती करते थे तथा नीची जाती वाले खेती के लिए अनेक प्रकार की सेवाएं देते थे. किसान खेती के लिए बीज, खाद आदि का प्रबंध आपसी लेन-देन से कर लेते थे. इस स्वायत्त व्यवस्था का बाहरी बाज़ार आदि से कोई  सम्बन्ध नहीं था. परिवार की आवश्यकता से अधिक अनाज को शहर में आढतियों के माध्यम से बेच दिया जाता था. साठ के दशक तक यह जीवंत व्यवस्था कायम रही, यद्यपि सन 1950 से बाज़ार सहायता के रूप में आने वाले अमरीकन गेहूं का दुष्प्रभाव किसानों पर पड़ रहा था.  



सन 1995 में खाद्य सुरक्षा के लिए सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (FCI) की स्थापना की, जिससे किसानों का पारंपरिक आढती बाज़ार ख़त्म हो गया. जमींदारी प्रथा समाप्त होने से निचली जातिओं को जमीन मिली जिससे वे भी अपने पुश्तैनी काम को छोड़ खेती करने लगे. इससे खेती के अनेक प्रकार के सहायक कामों के लिए कारीगर एवं मजदूरों की समस्या हो गयी. ग्रामीण युवाओं के शहरी जिंदगी के प्रति आकर्षण ने संयुक्त परिवारों में टूटन पैदा की. इन सब कारणों से सदियों से चली आ रही खेती की स्वायत्त व्यवस्था धराशायी हो गयी.



सन सत्तर की HYV (High Yield Variety) हरित क्रान्ति ने किसान को बाज़ार की शरण में  ला खड़ा किया. इस खेती में रासायनिक खाद तथा कीटनाशकों का काफी प्रयोग होता था. साथ ही यह खेती केवल बारिश के भरोसे नहीं चलाई जा सकती थी. उसी समय बैंकों के राष्ट्रीयकरण से किसानों को कम ब्याज दर पर क़र्ज़ भी दिया जाने लगा, जिससे छोटी जोत के किसान जो अधिकाँश में निचली जातिओं से थे, खेती से ऐशो-आराम के सपने देखने लगे परन्तु ऐसा हुआ नहीं. किसानों के इन कर्जों को सरकारों को अनेक बार माफ़ करना पड़ा. 



सन 1991 से नव-उदारवाद का दौर शुरू हुआ, जिसने खेती की अनिश्चितता को कई गुना बढ़ा दिया. आज़ादी के बाद से पूरे देश में किसानों को सभी फसलों के उन्नत बीज भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) उपलब्ध कराती रही थी. देश के पेटेंट क़ानून से भी उसे निजी क्षेत्र के विरुद्ध सुरक्षा मिली हुई थी. अब यह सब तेज़ी से बदलने वाला था. संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था गेट (General Agreement on Tariffs &Trade, GATT) ने केवल निजी क्षेत्र के वैज्ञानिकों द्वारा पेटेंट कराये गए बीजों के चलन को ही मान्यता दी. इस अंतर्राष्ट्रीय समझौते ट्रिप्स (Trade Related Intellectual Property Rights, TRIPS) के अंतर्गत किसान केवल पेटेंट किये बीजों का ही प्रयोग कर सकते थे. कर्नाटक में किसानों ने आन्दोलन कर इन समझौतों का विरोध किया, क्योंकि यह उनके बीज उत्पादन तथा दोबारा उपयोग के मौलिक अधिकार का हनन था. परंतू सभी विरोधों को दरकिनार करते हुए सरकार ने बीज उत्पादन के निजी क्षेत्र में शत-प्रतिशत विदेशी निवेश को स्वीकृति दे दी. 



विज्ञान एवं तकनीकी के किसी भी क्षेत्र में रिसर्च संस्थाओं को सक्षम होने में बहुत समय लगता है तथा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर स्पर्धा करने में तो सदियाँ भी लग सकती हैं. रिसर्च के लिए प्रयोगशालाएं बनाने में धन भी बहुत लगता है. देश के निजी क्षेत्र ने तो अभी इस दिशा में कोई काम किया ही नहीं था. इस प्रकार अमरीकी बड़ी बीज कंपनियों (MNC's) के लिए देश के बीज बाज़ार पर वर्चस्व बनाने का यह एक सुनहरा मौक़ा हो गया. देश की निजी क्षेत्र की कंपनियों ने MNC's के लाईसेन्स के अंतर्गत माल बेचना शुरू किया. साथ ही ICAR के सेवानिवृत वैज्ञानिकों के माध्यम से देशी रिसर्च से भी लाभ कमाया. आज देश के बीज बाज़ार पर अधिकाँश रूप से निजी क्षेत्र का अधिकार है. साथ ही राज्यों द्वारा स्थापित बीज वितरण संस्थान करीब-करीब बाज़ार से बाहर हैं.



किसानों की आत्महत्या के अधिकाँश मामले महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के कपास की खेती करने वाले किसानों के हैं. कपास की खेती के Bt Cotton बीज के व्यापार में निजी क्षेत्र की बीज कंपनी Mahyco का वर्चस्व है. सन 2007 में किये गए एक अनुमान से एक हज़ार करोड़ का यह विश्व का सबसे बड़ा बाज़ार है. देसी कंपनी Mahyco का अमरीकन कम्पनी मोनसैंटो से लाइसेंस अनुबंध है. इन्होनें बाज़ार पर कब्ज़ा करने के लिए 20 अन्य कम्पनिओं को बिक्री मूल्य के लगभग 60 प्रतिशत रायल्टी भुगतान पर अपना माल बेचने के लिए अनुबंधित किया हुआ है. इन बीजों को बाज़ार में बेचने से पहले सरकारी संस्था GEAC (Genetic Engineering Approval Committee) से अनुमति लेनी होती है, जिसमें 2 से 4 वर्ष भी लग सकते हैं. लाभ के लालच में कुछ कम्पनियां बिना अनुमति लिए भी बाज़ार में अपने बीज बेचती हैं.



फिर किसानों को ये महंगे बीज हर साल खरीदने होते हैं. रुपये के अवमूल्यन से भी बीज, खाद, कीटनाशक आदि के दामों में वृद्धि होती है. देश में अधिकाँश किसान निचली जातियों से हैं और छोटी जोत के हैं. संयुक्त परिवार टूटने से तथा अन्य किसानों से आपसी लेन-देन ख़त्म होने से परिवार के मुखिया पर ही सारी जिम्मेवारी होती है. इन परिस्तिथियों में खेती जैसे जोखिम भरे काम में हाथ डालना मौत को बुलावा देने से कम नहीं.

Thursday, November 14, 2013

ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों की बस्ती

   यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती         सोनू यादव का अंतिम संस्कार 
--सोनू यादव का अंतिम संस्कार
बाल दिवस अर्थात  चाचा नेहरू का जन्म दिन। स्व्तंत्रता के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री का जन्म दिन। ख़ुशी का दिन। उत्साह का दिन। बच्चों से नए वायदे करने का दिन और पुराने वायदे पूरे करने का दिन। लेकिन इस दिन से एक दिन पूर्व रोज़ी रोटी के दुःख में अपना घर परिवार छोड़ कर लुधियाना में आया सोनू यादव इसी शहर के एक श्मशान घाट में हमेशां के लिए आग में राख हो गया।  न उसके जीवन काल में ही उसे कोई सुख मिला था और न ही उसके मरने के बाद उसके परिवार को कोई दिलासा देने आया। राजनीतिक दलों, समाजिक संगठनों और ट्रेड यूनियनों से भरे हुए इस शहर में कोई उसका हाल पूछने नहीं आया। गौरतलब है कि रविवार दस नवंबर 2013 को उसके फेक्ट्री मालिक ने उसे पीट पीट कर मार डाला था। पुलिस ने दफा 302/34 आईपीसी के अंतर्गत मामला भी दर्ज किया, एक दिन की देरी से अख़बारों में खबरें भी छपीं लेकिन सोनू का अंतिम संस्कार करते समय या तो उसका परिवार था या फिर उसके मज़दूर साथी। अंतिम संस्कार देर शाम को अँधेरा होने पर हुआ शायद उस वक़त सूर्य भी अस्त हो चुका था।   याद आ रही है जनाब साहिर लुधियानवी साहिब की पंक्तियाँ:
जहाँ इक खिलौना हैं, इन्सां की हस्ती

ये बस्ती हैं मुर्दा परस्तों की बस्ती

यहाँ पर तो जीवन से है मौत सस्ती 
ये दुनियाँ अगर मिल भी जाये तो क्या हैं.....---!

Wednesday, November 13, 2013

बच्चों के साथ साथ बड़ों ने भी याद किया चाचा नेहरू को

बाल दिवस के अवसर पर फेंसी ड्रेस मुकाबला         Wed, Nov 13, 2013 at 4:16 PM
लुधियाना: 13 नवंबर 2013: (रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): समाजिक और राजनीतिक तब्दीलियों के बावजूद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के चाचा नेहरू नाम का रूप अभी भी लोगों में लोकप्रिय है। चाचा नेहरू को समर्पित बाल दिवस का अवसर आते ही  जोश और उत्साह हर और नज़र आने लगता है।  हर तरफ पूरे उत्साह और जोशो खरोश से कार्यक्रम होते हैं। इन कार्यक्रमों में पंडित नेहरू के राजनीतिक विरोधी भी शामिल होने में कभी गुरेज़ नहीं करते। इस लोकप्रिय बाल दिवस के शुभ अवसर पर होम एंड हेवन नरसरी स्कूल मॉडल टाऊन लुधियाना की तरफ से भी एक विशेष कार्यक्रम स्कूल के परिसर में ही आयोजित किया गया। स्कूल की प्रिंसिपल इंद्रजीत पाल कौर ने बताया कि इस मौके बाल दिवस को लेकर शानदार कर्यक्रम हुए। इन छोटे छोटे बच्चों में फेंसी ड्रेस मुकाबिले भी करवाये गए।बच्चों ने भावपूर्ण कवितायेँ भी सुनायीं और गीत संगीत भी हुआ। चाचा नेहरू का जन्म दिन मनाने के लिए बच्चों को मिठाई और चाकलेट भी बांटे गए। फेंसी ड्रेस मुकाबिले में साहिबप्रीत सिंह ने प्रथम स्थान, परमजीत सिंह ने दूसरा स्थान और शुभनीत कौर ने तीसरा स्थान प्राप्त किया। एक अन्य बच्ची नवकिरण कौर को उत्साह वर्धक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। बहुत से बच्चों ने भाग लिया। इस मौके पर मौजूद बड़ों ने भी बच्चों की प्रशंसा की। 


ਬੱਚਿਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਵੱਡਿਆਂ ਨੇ ਵੀ ਯਾਦ ਕੀਤਾ ਚਾਚਾ ਨਹਿਰੂ ਨੂੰ 

ईचक दाना बीचक दाना दाने ऊपर दाना ईचक दाना

नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुठ्ठी में क्या है क्या है

बच्चों के साथ साथ बड़ों ने भी याद किया चाचा नेहरू को 


नन्हे मुन्ने बच्चे तेरी मुठ्ठी में क्या है क्या है



Tuesday, November 12, 2013

पंजाब के क्रिकेटरों से पीसीए कर रहा है भेदभाव - नवजोत सिद्धू

कहा - पीसीए स्वार्थी हो सिमटा मोहाली तक,                    Tue, Nov 12, 2013 at 9:43 PM
पंजाब सरकार को क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं, 
इसी लिए लाहौर की तरह पंजाब में नहीं मिल रहे पेसर
सचिन तेंदूलकर जैसा क्रिकेटर अगले पांच सौ वर्षों तक पैदा नहीं होगा

सीट स्वैपिंग पर बोले सिद्धू - 

पार्टियां जो भी फैसला ले सिद्धू की अमृतसर से स्वैपिंग किसी भी सूरत में नहीं होगी - सिद्धू
अमृतसर: 12 नवंबर 2013: (गजिंदर सिंह किंग) - पंजाब के क्रिकेटरों के साथ पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन स्वार्थी हो भेदभाव कर रही है और पंजाब सरकार को क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं है। यही कारण है, कि पंजाब में कभी क्रिकेट की नर्सरी रहे पंजाब में आज कोई नामवर क्रिकेटर नहीं मिल रहा। यह आरोप लगाया है, अमृतसर से भाजपा के सांसद नवजोत सिंह सिद्धू ने। वह आज अमृतसर में एयरपोर्टस अथारिटी आफ इंडिया की ओर से आयोजित क्रिकेट टूरनामेंट के फाइनल मुकाबले में हिस्सा लेने के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। इस टूरनामेंट में ईस्ट जोन ने सेंटर जोन को सात विकेटों से हरा कर चैंपियनशिप हासिल की।
अमृतसर से भाजपा के सांसद नवजोत सिंह सिद्धू पिछले कुछ समय से सक्रिय राजनीति से दूर हैं। लेकिन जब भी उन्हें मौका मिलता है, वह राजनीति के मैदान में अपने चौके-छक्के जड़ते रहते हैं। आज अमृतसर में आयोजित एयरपोर्टस अथारिटी आफ इंडिया की ओर से आयोजित क्रिकेट टूरनामेंट के फाइल मैच में हिस्सा लेने पहुंचे, तो उन्होंने अपने चिर-परिचित अंदाज में राजनैतिक रनों की बौछार कर दी। पाकिस्तानी पंजाब के लौहार जिले से फास्ट बालरों की धड़ाधड़ क्रिकेट में आमद और अमृतसर से पेसरों की किल्लत के बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने पहले तो सवाल को टालने के लिए हरविंदर सिंह का नाम लिया, लेकिन इसके तुरंत बाद इसके लिए उन्होंने पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, कि पीसीए इस समय सिर्फ मोहाली तक ही सीमित हो गई है। सिर्फ मोहाली में ही क्रिकेट मैच कराए जा रहे हैं। वह मोहाली से बाहर नहीं निकलना चाहती। यही कारण है, कि पंजाब में अब युवा क्रिकेटरों की कमी महसूस की जा रही है। उन्होंने कहा, कि इसके लिए सिर्फ पीसीए का स्वार्थ जिम्मेदार है। इसके अलावा उन्होंने पंजाब सरकार पर भी फायर करते हुए क्रिकेट की बदहाली का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, कि पंजाब सरकार को क्रिकेट से कोई लेना-देना नहीं है। जब राज्य सरकार की ओर से क्रिकेट को कोई सहयोग नहीं मिल रहा है, तो ऐसे में युवा क्रिकेटरों का मोह भंग होना स्वाभाविक है।
     सचिन तेंदूलकर के बारे में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, कि वह क्रिकेट का युग पुरुष है और ऐसे युग पुरुष अगले पांच सौ वर्षों तक देखने को नहीं मिलेंगे। उन्होंने कहा, कि तेंदूलकर के राज्य सभा मैंबर बनने से राज्य सभा की शोभा बढ़ी है। सिद्धू ने कहा, कि महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल जैसे नेता आजादी से पहले युवाओं के रोल माडल थे, लेकिन आज के युग में युवाओं के रोल माडल महेंदर सिंह धोनी और सचिन तेंदूलकर हैं।
     आगामी लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा और शिअद के बीच अमृतसर और लुधियाना की सीट की अदला-बदली की चर्चाओं के बारे में नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, कि सीट स्वैपिंग का फैसला पार्टियों ने करना है। लेकिन वह दावे के साथ इतना जरूर कहेंगे, कि सीट स्वैपिंग के बावजूद नवजोत सिंह सिद्धू की अमृतसर से स्वैपिंग किसी भी कीमत पर नहीं होगी।

Monday, November 11, 2013

आया था रोज़ी रोटी कमाने लेकिन जान से भी हाथ धो बैठा

वेतन मांगने पर हुई पिटाई से गई जान:मामला दर्ज           Update:11 Nov 2013 at 11:00
तस्वीर में ऊपर वारदात  के बाद फैक्ट्री का बंद दरवाज़ा और दूसरी तरफ सदमे की हालत में मृतक नवयुवक  सोनू की मामी दीपा और  नीचे मीडिया को जानकारी देते हुए सोनू का मामा सिकंदर यादव और साथ ही आप देख रहे हैं मृतक सोनू का चेहरा (Photo:Rector Kathuria)
लुधियाना : 11 नवंबर 2013: (रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): रविवार को लोग काम से छुट्टी करके आराम करते हैं या फिर मौज मस्ती लेकिन सोनू नाम का एक नवयुवक काम की जगह पर हुई वहिशियाना पिटाई के कारण जान से हाथ धो बैठा। उसका कसूर केवल यह था कि उसने छुट्टी का दिन होने के कारण काम भी किया था और काम के बाद अपनी तीन महीने की तनखाह भी मांग ली थी। ये पैसे उसने अपने घर जाकर अपने माँ बाप को देने थे और बताना था कि अब मैं कमाने लायक हो गया हूँ इसलिए अब रोटी की  चिंता मत करें।   रोज़ी रोटी की तलाश  उसे बिहार से उठा कर पंजाब ले आई थी।  लुधियाना की एक फेक्ट्री में वह दिन भर काम करता और रात को अपने मामा के यहाँ चला जाता। जब पिटाई होने की खबर उसकें साथियों ने उसके मामा मामी को जा कर दी तो वे दोनों भी उसे छुड़ाने के लिए वहाँ फेक्ट्री में चले गए। वहाँ जा कर देखा कि फेक्ट्री का मालिक और कुछ और लोग उसे बेतहाशा पीटे जा रहे हैं। छुड़वाने की कोशिश करने पर उन लोगों ने मामा मामी कि भी पिटाई कर दी। मामी चोट और सदमे से बुरी हालत में है।  वह मुआवज़ा नहीं मौत के बदले मौत मांग रही है।
इसी बीच पुलिस ने इस सारे मामले  की पुष्टि करते हुए बताया कि दस नवंबर को ही दफा 302/34 के अंतर्गत फैक्ट्री मालिक  सिंह और मारपीट में  साथ वाले लोगों के खिलाफ मुकदमा  नंबर 169  दर्ज कर लिया गया था।

सचिन के बिना क्रिकेट, क्रिकेट नहीं - अमृता राव

Mon, Nov 11, 2013 at 2:18 PM
अभी भी कायम है सचिन का जलवा-लगातार कर रहा है दिलों पर राज
अमृतसर: 11 नवंबर 2013: (गजिंदर सिंह किंग//पंजाब स्क्रीन): सचिन के बिना क्रिकेट, क्रिकेट नहीं रहेगा। यह कहना है, बालीवुड की अभिनेत्री अमृता राव का। वह आज अमृतसर में एक पेंटस कंपनी के शोरूम का उद्घाटन करने के लिए पहुंची थी। उन्होंने बताया, कि अब जल्द ही दर्शक उन्हें सन्नी देओल अभिनीत फिल्म सिंह साहब द ग्रेट में देखेंगे।
   सचिन तेंदूलकर के बिना क्रिकेट की कल्पना करने का मतलब ही नहीं है। सचिन के बिना क्रिकेट, क्रिकेट नहीं रहेगा। यह कहना है, बालीवुड की अभिनेत्री अमृता राव का। वह आज अमृतसर में एक पेंटस कंपनी के शोरूम का उद्घाटन करने के लिए पहुंची थी। इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा, कि वह आज बहुत थोड़े समय के लिए अमृतसर आई हैं। इसलिए वह सचखंड श्री हरमंदिर साहिब के दर्शन करने के लिए नहीं जा सकती। लेकिन वह जल्द ही अमृतसर आएंगी और आस्था के केंद्र में नतमस्तक होंगी। अमृता राव ने बताया, कि वह अब तक कई फिल्मों कई अहम भूमिकाएं निभा चुकी हैं। उन्होंने बताया, कि अब जल्द ही दर्शक उन्हें सन्नी देओल अभिनीत फिल्म सिंह साहब द ग्रेट में देखेंगे।

Sunday, November 10, 2013

आकाशवाणी लुधियाना के एमएफ गोल्ड स्टुडियो में काम शुरू

10-नवंबर-2013 20:54 IST
केंद्रीय सूचना/प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने किया उद्घाटन

लुधियाना: 10 नवंबर 2013: केन्द्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने आज लुधियाना में बीएसएनएल भवन में आकाशवाणी के एफएम गोल्डस स्टुडियो और विभिन्नल स्थानीय कार्यक्रमों का उद्घाटन किया। इस अवसर पर फतेहगढ़ साहिब से संसद सदस्य‍ श्री सुखदेव सिंह लिबरा भी मौजूद थे। 



लुधियाना का एमएफ गोल्ड स्टुडियो जिले की जरूरतों के मुताबिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने में मददगार होगा। स्थामनीय मुद्दों पर ध्या न केन्द्रित करते हुए इस चैनल से हर रोज दो घंटे प्रात: 9.00 बजे से 10.00 बजे तक और शाम को 6.00 बजे से 07.00 बजे तक कार्यक्रम प्रसारित किए जाएंगे।

इस अवसर पर आकाशवाणी के महानिदेशक श्री आर वेंकटेश्व्र, मुख्य इंजीनियर श्री आर के बुद्धिराजा और अपर महानिदेशक श्रीमती विजय लक्ष्मी् छाबड़ा भी मौजूद थीं। (PIB)
वीके/डीके/राजीव-6920


FM Gold studio in Ludhiana

बीजेपी के 11 दागी उम्मीदवारों की सूची


 
 
Causes
 
 
 
A message from the campaign

AAM AADMI PARTY


दिल्ली विधान सभा चुनावो के लिए बीजेपी ने कुल 58 उम्मीदवारों की घोषणा की है. इन 58 उम्मीदवारों में 11 ऐसे लोग है जिन पर आपराधिक मुकद्दमे चल रहे है. इन 11 उम्मीदवार को बीजेपी ने 2008 के चुनाव में भी टिकेट दिया था. 
दागी उम्मीदवारों की सूचि इस प्रकार है:
1. मोहन सिंह बिष्ट (करावल नगर)
2. नरेश गौर (बाबरपुर)
3. करन सिंह तंवर (दिल्ली कैंट)
4. जय भगवन अगरवाल (रोहिणी)
5. नकुल भरद्वाज (पटपटगंज)
6.कुलवंत राणा (रिठाला)
7. साहब सिंह चौहान (गोंडा)
8. सुरेंदर पाल रटावल (करोल बाघ)
9. मनोज कुमार (मुंडका)
10 श्याम लाल गर्ग (शकूर बस्ती)
11. रमेश बिधुदी (तुगलकाबाद)
इस रिपोर्ट में सिर्फ उन्ही उम्मीदवारों की जांच की गयी है जिन्हें बीजेपी ने 2008 के चुनावो में टिकेट दिया था. नए उम्मीदवारों की जानकारी नामांकन दाखिल होने के बाद ही मिल पायेगी. इन 11 दागी उम्मीदवारों की यह जानकारी 2008 के चुनावो के दौरान एफिडेविट में दिए गए विवरण से ली गयी है. इन उम्मीदवारों पर 2008 के बाद के आपराधिक मुकद्दमे या किसी मुकद्दमे में बरी होने की सूचना नए नामांकन पत्र से मिल पायेगी. दिल्ली में 9 नवम्बर से नामांकन शुरू हो गए है और नामांकन की अंतिम तिथि 16 नवम्बर है.
बीजेपी के अध्यक्ष बनते ही राजनाथ सिंह ने कहा था की ऐसे किसी आदमी को टिकेट नहीं मिलेगा जिस पर आपराधिक मुकद्दमे चल रहे है, लेकिन दिल्ली में ही पार्टी ने अपने अध्यक्ष की बात को अनसुना करते हुए 11 दागी उम्मीदवारों को खड़ा किया है. बीजेपी ने दिल्ली में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तो बदल दिया लेकिन आपराधिक छवि वाले उम्मीदवारों को वो नहीं बदल पायी. डॉ हर्षवर्धन को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार बना कर बीजेपी अपने आप को साफ़ सुथरी साबित करना चाह रही है, लेकिन इन 11 उम्मीदवारों को देख कर बीजेपी कि साफ़ दिखने की कोशिश नाकाम नज़र आती है.
न केवल दिल्ली बीजेपी की सूचि में अपराधियों का बोलबाला है, परिवारवाद का भी बीजेपी की सूचि में अच्छा खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है. बीजेपी ने 4 ऐसे उम्मीदवार खड़े किये है जिनके पिता बीजेपी के उम्मीदवार रह चुके है. ये चार उम्मीदवार साहिब सिंह वर्मा, विजय कुमार मल्होत्रा, ओ पी बब्बर और श्रीलाल प्रधान के पुत्र है. कांग्रेस पर वंशवादी राजनीति करने का आरोप लगाने वाली बीजेपी दिल्ली के चुनावो में अपने ही आरोपों में फंसती नज़र आ रही है.
दिल्ली चुनावो के लिए कांग्रेस ने अभी तक उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है. नए राजनातिक विकल्प के रूप में उभरी आम आदमी पार्टी ने 70 सीटो में से 68 सीटो पर उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है और आम आदमी पार्टी के किसी उम्मीदवार पर कोई आपराधिक मुकद्दमा नहीं है.
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