Saturday, August 31, 2013

आई एन एस विक्रांत:

30-अगस्त-2013 15:54 IST
देश में निर्मित भारत का पहला विमान वाहक जहाज
जहाज रानी//विशेष लेख                                                      --एल. सी. पोन्‍नुमन*
     देश में बने सबसे पहले विमान वाहक जहाज (प्रोजेक्‍ट-71) का कोचीन शिपियार्ड लिमिटेड में जलावतरण किया गया। इसका नाम आईएनएस विक्रांत रखा गया। इसके साथ ही भारत विमान वाहक जहाज के डिजाइन और निर्माण करने वाले विश्‍व के प्रमुख देशों के क्‍लब में शामिल हो गया। इस जहाज का निर्माण 28 फरवरी 2009 को शुरू हुआ। चार वर्षों के अंदर विमान वाहक जहाज का जलावतरण एक सराहनीय उपलब्धि है। आईएनएस विक्रांत देश की सबसे अधिक प्रतिष्ठित और सबसे बड़ी युद्धपोत परियोजना बन गई है।

     जहाजों का निर्माण करने वाले देश के प्रमुख यार्ड कोचीन शिपियार्ड लिमिटेड को भारतीय नौसेना के लिए देश के अंदर विमान वाहक जहाज बनाने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है। विमान वाहक जहाज का मूल डिजाइन भारतीय नौसेना डिजाइन निदेशालय ने तैयार किया। इस डिजाइन का और विस्‍तृत रूप बाद में कोचीन शिपियार्ड लिमिटेड ने तैयार किया।
    
     निदेशालय ने युद्धपोतों के 17 से अधिक डिजाइन तैयार किये हैं, जिनके आधार पर देश के अंदर लगभग 90 जहाज बनाए गए हैं। लगभग 40 हजार टन के जहाज विक्रांत का डिजाइन तैयार करना इस निदेशालय की परिपक्‍व क्षमता का सबूत है। यह डिजाइनरों के लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि है, विशेष रूप से इसलिए कि यह दुनिया का इतने बड़े आकार का पहला विमान वाहक जहाज है, जिसमें गैस टर्बाइन प्रणोदन (प्रोपलशन) जैसे कुछ खास फीचर हैं।

परियोजना के चरण-1 की समाप्ति पर जलावतरण के अवसर पर बताया गया कि डिजाइन के अनुसार विमान वाहक जहाज की लंबाई 260 मीटर है और अधिकतम चौड़ाई 60 मीटर है। जहाज के उतरने वाली मुख्‍य पट्टी तैयार है। 80 प्रतिशत से अधिक ढांचा भी तैयार है, जिसमें लगभग 2300 कक्ष हैं। 75 प्रतिशत से अधिक ढांचा खड़ा कर लिया गया है। प्रमुख मशीनें लगा दी गईं हैं, जैसे 80 मेगावाट बिजली बनाने वाले एल एम 2500 के दो गैस टर्बाइन, लगभग 24 मेगावाट बिजली बनाने वाले डीजल आलटरनेटर और मुख्‍य गियर बॉक्‍स भी लगा दिये गये हैं। विक्रांत को नावों के पुल के जरिए एरनाकुलम चैनल में उतारा गया। इसके बाद दूसरे चरण की फिटिंग्‍ज लगाई जानी हैं।

     विमान वाहक जहाज एक छोटा सा तैरता हुआ शहर है, जिसके उड़न क्षेत्र का आकार फुटबॉल के दो मैदानों के बराबर है। इसकी केबल तारों की लंबाई 2700 किलोमीटर है। अगर इस तार को लंबाई में खोलकर बिछाया जाए, तो यह तार कोच्चि से दिल्‍ली तक पहुंच जाएगी। जहाज में 1600 कर्मचारी काम करेंगे।

     आईएनएस विक्रांत से रूस के मिग 29के विमान और नौसेना के एलसीए लड़ाकू विमान का संचालन किया जा सकेगा। हेलीकॉप्‍टरों में कामोव 31 और देश में निर्मित एएलएच हेलीकॉप्‍टर भी शामिल होंगे। यह जहाज आधुनिक सीडी बैंड अर्ली एयर वार्निंग रडार और अन्‍य उपकरणों की मदद से अपने आस-पास की काफी बड़ी वायु सीमा के बारे में जानकारी प्राप्‍त कर सकता है। जहाज की रक्षा के लिए सतह से आकाश तक मार करने वाली मिसाइलें तैनात होंगी। ये सभी अस्‍त्र प्रणालियां देश में विकसित युद्ध प्रबंधन प्रणाली के जरिए समन्वित होंगी।

     जहाज के लिए इस्‍पात भारतीय इस्‍पात प्राधिकरण लिमिटेड के राऊरकेला, बोकारो और भिलाई संयंत्रों से प्राप्‍त किया गया है। मेन स्विच बोर्ड, स्‍टेयरिंग गियर आदि लार्सेन एंड टुब्रों के मुंबई और तालेगांव संयंत्रों में बनाए गए हैं। एयर कंडिशनिंग और रे‍फ्रिजरेशन प्रणालियां पुणे में किर्लोसकर संयंत्रों में विकसित की गईं हैं। पंपों की आपूर्ति बेस्‍ट और क्रॉमपोटन, चेन्‍नई से की गई है। भेल ने एकीकृत प्‍लेटफॉर्म प्रबंधन प्रणाली की आपूर्ति की है और विशाल गियर बॉक्‍स गुजरात में एलेकॉन में बना है। बिजली के केबल कोलकाता के निक्‍को उद्योग से प्राप्‍त किये गये हैं।

     विमान वाहक जहाज के जलावतरण से आईएनएस विक्रांत का पहला चरण पूरा हुआ है, जिसके अंतर्गत स्‍की–जम्‍प सहित लगभग 75 प्रतिशत ढांचा तैयार हुआ है। अब विक्रांत का दूसरा चरण शुरू होगा, जिसके अंतर्गत विभिन्‍न अस्‍त्रों और सैंसरों, प्रणोदन प्रणाली और विमान परिसर के समन्‍वयन का काम रूस की कंपनी मैसर्ज एनडीबी की सहायता से होगा। इसके बाद जहाज के बहुत सारे परीक्षण होंगे और 2016-17 के आस-पास इसे भारतीय नौसेना को सौंपा जाएगा।

     जहाज का डिजाइन इस प्रकार का बनाया गया है कि यह परमाणु, जैविक और रासायनिक हथियारों के हमलों की स्थिति में अप्रभावित रहेगा।

इस परियोजना का निर्माण कई प्रकार की चुनौ‍तियों से घिरा हुआ था। विशेष स्‍टील के निर्माण से लेकर विशाल उपकरणों के ढांचों को तैयार करना और जहाज में लगाना बहुत बड़ी चुनौती थी। इन चुनौतियों का कोचीन शिपियार्ड लिमिटेड के कुशल और दक्ष विशेषज्ञों ने मुकाबला किया। शिपियार्ड ने वेल्डिंग के लिए विशेष प्रणाली विकसित की। उत्‍पादन कार्यों में तेजी लाने के लिए यार्ड ने यथासंभव पहले से ही विभिन्‍न ब्‍लॉकों की एसेंबली और इनकी फिटिंग का काम पूरा करने की तकनीकें विकसित कीं।    

     कोचीन शिपियार्ड भारत का सबसे श्रेष्‍ठ शिपियार्ड है। अपनी स्‍थापना से लेकर अब तक शिपियार्ड 90 से अधिक जहाजों का निर्माण करके इनकी आपूर्ति कर चुका है। देश का बना सबसे बड़ा जहाज कोचीन शिपियार्ड ने बनाया है। पिछले एक दशक में इस कंपनी ने अन्‍य देशों के लिए भी जहाज बनाए हैं और चालीस से अधिक जहाजों का निर्यात किया है।

नौसेना डिजाइन निदेशालय के डिजाइन के अनुसार देश में ही बनाया गया विमान वाहक जहाज आईएनएस विक्रांत भारतीय नौसेना की सबसे अधिक प्रतिष्ठित युद्धपोत परियोजना है। भारतीय नौसेना अब औरों से खरीदने वाली नौसेना नहीं है, बल्कि स्‍वयं निर्माण करने वाली नौसेना बन गई है।
(पत्र सूचना कार्यालय विशेष लेख)
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*मीडिया एवं संचार अधिकारी, पत्र सूचना कार्यालय, कोचीन।
यह लेख कोचीन शिपियार्ड लिमिटेड, कोच्चि, से प्राप्‍त जानकारी पर आधारित है।

इ.अहमद/राजगोपाल/सोनिका-178
पूरी सूची-30.8.2013

Friday, August 30, 2013

INDIA: खाद्य सुरक्षा कानून: आधी थाली भरी या आधी थाली खाली

Fri, Aug 30, 2013 at 7:01 AM
An Article by the Asian Human Rights Commission                           *--प्रशान्त कुमार दूबे
तमाम अटकलों को दरकिनार करते हुए अंततः खाद्य सुरक्षा बिल लोकसभा में पास हो ही गया | खाद्य सुरक्षा को कानूनी अधिकार बनाने की दिशा में एक कदम और आगे की ओर बढ़ा | विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने सरकार को इस बिल को लाने के लिए बधाई देते हुए कहा कि यह हमारी मजबूरी है कि हमें इस कमजोर, आधे-अधूरे बिल का समर्थन करना पड़ रहा है | सरकार ने हमारे सुझावों को तवज्जो ही नहीं दी है | ज्ञात हो कि इस महत्त्वपूर्ण बिल के सम्बन्ध में 318 प्रस्ताव आये और जिसमें से सरकार के भी 11 प्रस्ताव सम्मिलित थे | सरकार के सभी प्रस्तावों को छोड़कर बाकी सब प्रस्ताव एक-एक करके गिर गए | एक और तो विपक्ष यह कहने से बाज नहीं आया कि सरकार ने चुनावी दांव खेला है तो वहीँ सरकार ने कहा कि हमने तो केवल अपना चुनावी वायदा पूरा किया है | हमने तो भूखे लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाई |
यह कानून इस दौर में आया है जबकि दुनिया की 27 प्रतिशत कुपोषित जनता भारत में है | 42 करोड़ लोग रोजाना भूखे पेट सोते हैं| 47 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं| 5 वर्ष तक की उम्र के 70 फीसदी बच्चे खून की कमी से ग्रसित हैं| इस विपरीत दौर में जहाँ 1972 में प्रति व्यक्ति अनाज उपभोग 15.3 किलोग्राम था, जो कि अब घटकर 12.2 किलोग्राम प्रतिमाह हो गई है| देश में 415 लाख टन अनाज सुरक्षित रखे जाने की क्षमता है जबकि 190 लाख टन अनाज पन्नियों के नीचे पड़ा है| अतः यह तो बहुत जरुरी था कि यह कानून आये और इसीलिये किसी भी राजनैतिक दल ने इस बिल के लिए औपचारिक रूप से इसका विरोध नहीं किया था| लेकिन सरकार को इस पर आ रही रुकावटों के चलते अध्यादेश लाना पडा था | हालाँकि इस बिल को लेकर अभी भी कई पेंच हैं, जिन पर कोई भी बात नहीं हुई है |
इस बिल की खूबी यह है कि इसमें राशन व्यवस्था का विस्तार तो हुआ है| इसमें सभी तबकों की गर्भवती महिलाओं को 6 माह तक प्रति माह 1000 रूपये के मातृत्व लाभ की बात कही गई है| इसमें से बच्चों के निवाले के सन्दर्भ में ठेकेदारों को भी दूर रखा गया है| गरमा पके भोजन पर बात की है | खाद्य सुरक्षा योजनाओं में अगले 3 साल तक नकद हस्तान्तरण पर भी रोक लगी है | राज्यों को इसके लिए आवश्यक प्रावधान के लिए अब 6 माह की अपेक्षा अब 1 साल का समय दिया है | पहले से ही बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों का कोटा नहीं काटा जाएगा | जिन मोटे अनाजों के रकबे में पिछले छह दशकों में पैंतालीस फीसद की कमी दर्ज की गई थी, उन मोटे अनाजों को भी इसमें शामिल किया गया है, जो कि एक बेहतर कदम है | इससे मोटे अनाजों को उगाने में किसान भी रूचि दिखाएँगे |
पर एसा नहीं कि इस बिल में सभी कुछ शामिल है | इसमें से सार्वभौमिकीकरण का मुद्दा गायब है, अभी भी यह शहरी क्षेत्र की 50 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र की 75 फीसदी जनता को ही कवर करता है| इसके साथ-साथ यह भी तय नहीं है कि किसे इसमें शामिल किया गया है और किसे नहीं| सरकार को चाहिए था कि वह इसमें या तो सभी को शामिल करती नहीं तो यह स्पष्ट करती कि किन समूहों को इसमें से बाहर किया जा रहा है | यहाँ अभी तक दुविधा की स्थिति बनी हुई है | इसी सरकार के कार्यकाल में प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह ने हंगामा रिपोर्ट जारी करते हुए कुपोषण को राष्ट्रीय शर्म बताया था | पर अफ़सोस कि इसी सरकार ने लोगों को कुपोषण से जूझने के लिए आवश्यक दालों और तेल का प्रावधान इसमें नहीं किया है| ज्ञात हो कि 318 प्रस्तावों में से सबसे ज्यादा इसी विषय पर प्रस्ताव आये थे | इंडियन कौंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च के प्रावधानों के अनुसार प्रति माह प्रति व्यक्ति 14 किलो की न्यूनतम जरुरत को किनारे करते हुए केवल 5 किलो का प्रावधान किया गया है | यह कानून केवल वितरण की बात करता है, यानी उत्पादन और भंडारण को लेकर विस्तृत बात इसमें नहीं है | इसके अलावा बेघर व्यक्तियों के भोजन के लिए भी कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है|
भोजन का अधिकार अभियान की कविता श्रीवास्तव ने इस बिल का स्वागत करते हुए कहा कि हमें ख़ुशी है कि आज संसद ने रोटी के सवाल को महत्वपूर्ण समझा है| संसद ने महिलाओं की खाद्य सुरक्षा को केंद्र में रखकर बात की | संसद ने बच्चों की भूख और कुपोषण को भी तरजीह दी | कविता कहती हैं कि हमें लगा कि देश के आम आदमी की भूख अब संसद के लिए मायने रखने लगी है | उन्होंने कहा कि निश्चित रूप से इस बिल में अभी बहुत ही खामियां हैं लेकिन सरकार एक कदम आगे तो आई है | उन्होंने कहा कि भोजन के अधिकार को कानूनी मान्यता देने के लिए ही 2001 से माननीय उच्चतम न्यायालय में रिट पिटीशन(196/2001) के जरिये मांग की थी, लेकिन सरकार ने इस कानून को बनाने में 12 साल लगा दिए | उन्होंने कहा कि दुःख इस बात का भी है कि छत्तीसगढ़ में एक सशक्त कानून बन जाने के बावजूद भी सरकार ने उससे सीख नहीं ली | छतीसगढ़ में आज राशन व्यवस्था का लीकेज 10 फीसदी से भी कम रह गया है जबकि दूसरी ओर देश भर में यह लीकेज 49 फीसदी तक है |
विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा ने सदन में कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने खाद्य सुरक्षा कानून बनाकर एक बेहतर उदाहरण पेश किया है, लेकिन सरकार ने उससे कोई सीख नहीं ली !!! भाजपा ने बार-बार इस मॉडल की बात करके यह बताने की कोशिश की, कि भाजपा ने इस कानून के सन्दर्भ में अगुआई की है| भाजपा ने इस बिल के सार्वभौमिकीकरण के सम्बन्ध में प्रस्ताव भी दिया, जो कि खारिज हो गया | लेकिन इस बात का उसके पास कोई जवाब नहीं था कि यदि छत्तीसगढ़ का बिल इतना ही बेहतर है तो फिर भाजपा शासित अन्य राज्य सरकारों (गुजरात और मध्यप्रदेश) ने यह क्यों नहीं अपनाया !! इसके अलावा छत्तीसगढ़ ने भी अभी तक खाद्य सुरक्षा कानून का सार्वभौमिकीकरण क्यों नहीं किया ?
भोजन का अधिकार अभियान यह भी कहता है कि सरकार यह बात बार-बार प्रचारित कर रही है कि इसमें लगभग 1.25 लाख करोड़ की जरुरत होगी, जो कि एक बड़ी रकम है | जबकि सरकार वर्तमान में ही खाद्य सब्सिडी पर 90 करोड़ के आसपास खर्च कर रही है, इसलिए अतिरिक्त राशि का बिगुल नहीं बजाना नहीं चाहिए क्यूंकि केवल 35,000 करोड ही अतिरिक्त खर्च करने होंगे| जबकि यही सरकार बड़ी-बड़ी कंपनियों को हर साल करोड़ों रुपयों की छूट करों के रूप में दे रही है| तो फिर आम जनों के प्रति सरकार की संवैधानिक जवाबदेही पर इतनी हाय तौबा नहीं मचनी चाहिए|
मुलायम सिंह ने सदन में चर्चा के दौरान यह भी कहा कि सरकार को पहले राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात करनी थी, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया | लगभग सभी विपक्षी दलों ने यही कहा | यहाँ सवाल यह है कि जब यह बिल संसद की स्टेंडिंग कमेटी के पास था, और जिस कमेटी में लगभग हर बड़े दल का प्रतिनिधि था, तब इन दलों ने आम आदमी के प्रति अपनी प्रतिबध्दता क्यों नहीं प्रदर्शित की !! जबकि वहां पर पूरा मौक़ा था | राज्यों पर बोझ पढ़ना एक जरुरी विषय हो सकता है, और शायद आगे चलकर इस पर और स्पष्टता आएगी | एक महत्त्वपूर्ण बात यह भी है कि किसानों को आश्वासन दिया कि खाद्य सुरक्षा कानून लागू होने के बाद भी उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) मिलना जारी रहेगा। मंडियों में जो भी अनाज आएगा, उसकी खरीद की जाएगी। वैसे तो यह विधेयक ज्यादा से ज्यादा वितरण की बात करता है, यह कहीं भी उत्पादन और भंडारण की बात नहीं करता है | इसके पीछे सूचना के अधिकार से मिली यह जानकारी महत्वपूर्ण है कि जबकि पिछले तीन सालों में 17,546 टन अनाज केवल सरकारी खाद्य भंडारों में ही सड़ गया है | हालांकि केन्द्रीय मंत्री थामस ने कहा कि भंडारण क्षमता 5.50 करोड़ टन से बढ़कर 7.5 करोड टन हो गई जो 2014-15 तक 8.5 करोड़ टन हो जाएगी।
यह कानून सरकार के लिए एक गेमचेंजर कानून हो सकता था लेकिन सरकार ने यह मौक़ा गंवा दिया है | यह बिल शहरी क्षेत्र की आधी और ग्रामीण क्षेत्र की एक चौथाई आबादी को कोई भी खाद्य सुरक्षा प्रदान नहीं करता है | बेघरों के सम्बन्ध में भी कोई भी प्रावधान न कर सरकार ने गांधी के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचने के सपने को भी चकनाचूर कर दिया है | आज राष्ट्रपति ने इस विधेयक पर हस्ताक्षर कर दिए हैं | अब देखना यह होगा कि राज्यसभा में इस बिल का पहुँचना केवल रस्मअदायगी होगी या फिर वहां पर भी कोई बहस होगी | आज सरकार ने थाली भरी होने का सुनहरा ख्वाब तो दिखा दिया है लेकिन दरसल में थाली तो आधी ही भरी है, आधी थाली तो अभी भी खाली ही है | खुशी है तो बस इस बात की कि संसद ने आम आदमी की भूख को तवज्जो देकर उस पर सार्थक बहस की है|--*प्रशांत कुमार दुबे
*About the Author: Mr. Prashant Kumar Dubey is a Rights Activist working with Vikas Samvad, AHRC's partner organisation in Bophal, Madhya Pradesh. He can be contacted at prashantd1977@gmail.com

Thursday, August 29, 2013

दूध में मिलावट

28-अगस्त-2013 19:45 IST
68.4 प्रतिशत नमूने नॉन-कंफर्मिंग अर्थात अवैध पाए गए
Courtesy photo
नई दिल्ली: 28 अगस्त 2013:(पीआईबी//पंजाब स्क्रीन):भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसए) द्वारा देशभर में दूध की गुणवत्ता का पता लगाने के लिए किए गए राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार 68.4 प्रतिशत नमूने खाद्य सुरक्षा और मानक विनियम, 2011 के अनुसार नॉन-कंफर्मिंग अर्थात अवैध पाए गए हैं। नॉन कंफर्मिंग नमूनों का रिकार्ड राज्यों द्वारा रखा जाता है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा केंद्रीकृत रूप में इस बारे में कोई आंकड़े नहीं रखे जाते हैं। यह प्राधिकरण खाद्य वस्तुओं के विनिर्माण, भंडारण, वितरण, बिक्री और आयात को विनियमित करने तथा मानव उपभोग के लिए सुरक्षित एवं संपूर्ण भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित करने के प्रयोजन के लिए एक नोडल एजेंसी है।
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम-2006 के कार्यान्वयन का दायित्व राज्यों/संघ शासित प्रदेशों का है। राज्यों के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों द्वारा दूध सहित खाद्य वस्तुओं के बेेतरतीब नमूने निर्दिष्ट खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं के पास विश्लेषण के लिए भेजे जाते हैं। 12वीं पंचवर्षीय योजना में राज्य स्तर पर खाद्य नियामक प्रणाली के लिए 1500 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है। 

यह जानकारी कल राज्यसभा में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री श्री गुलाम नबी आजाद ने एक लिखित उत्तर में दी। (PIB)

वि.कासोटिया/प्रदीप/देवेश/संगीता/बेसरा/राजीव-5885

Wednesday, August 28, 2013

459 सीनियर सैकेण्डरी स्कूल प्रिसिपलों से वचिंत

Wed, Aug 28, 2013 at 6:05 PM
एक-एक प्रिसिंपल को 4-4 स्कूलों का प्रबंध देकर समय निकाला जा रहा है
चंडीगढ़ : 28 अगस्त 2013: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): गवर्नमेंट स्कूल हेडमास्टर ऐसोसिएशन ने सरकार के पक्षपाती व्यवहार से तंग आकर अब लोकतंत्र के चौथे स्तभं प्रैस के समक्ष अपना दुःख रखा है। नियमों की आड़ में हो रही धाधली के विरोध में सरकार की बदनीति को लोगों तक पहुंचाने के लिए अब संगठन ने प्रैस का सहारा लिया है। पिछले पांच वर्षों से अपनी तरक्कीयों के संबंध में सरकार को 500 से अधिक मांग पत्र दे चुके हेडमास्टारों ने बताया कि तरक्की के संबंध में गलत नीति होने के कारण 459 सीनियर सैकेण्डरी स्कूल प्रिसिपलों से वचिंत हैं और एक-एक प्रिसिंपल को 4-4 स्कूलों को प्रबंध देकर समय निकाला जा रहा है। यहां पर यह जिक्र योग है कि इन स्कूलों में पढऩे वाले अढ़ाई लाख छात्रों का भविश्य खतरे में है।
गौरतलब है कि वर्ष 1997-98 और 2005 में सरकार तजुर्बे में छूट देकर प्रिसिंपल लगा चुकी है, गवर्नमेंट स्कूल हेडमास्टर एसोसिएषन ने मांग की थी कि सरकार के पत्र नं. २१२२-ष्ठस्त्रस्-६३/३८११८ दिनांक 27/11/1964 के अनुसार लोकहित में नियमों में ढील देकर प्रिसिंपल की तरक्कीयां की जायें। इस उपरान्त सिविल रिट पटीशन 6444 ऑफ 2009 में मानयोग पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से सरकार को तुजुर्बे में ढील देने के लिए दिषा निर्देष भी दिये गये थे। परन्तु सरकार ने इसकी तरफ कोई ध्यान नही दिया।
वास्तव में 2004 के एक्ट में हेडमास्टर और लेक्चरार से पी.ई.एस. ग्रुप-ए की तरक्कीयों के लिए 7 साल का तुजुर्बा रखा गया है जो कि मुख्याध्यापकों के लिए बिल्कुल तर्कहीन शर्त  है। क्योंकि मुख्याध्यापक लगने के लिए लैक्चरर और अध्यापक के लिए 7 साल का तुजुर्बा जरूरी है। नियमों की कमजोरी के कारण गैर प्रबंधकीय तुजुर्बे वाले लैक्चररों को सीधा प्रिसिंपल और जिला शिक्षा अधिकारी, ए.डी.पी.आई. इत्यादि ऊंचे पदों पर लगा दिया जाता है। परन्तु मुख्याध्यापक पर और सात साल प्रबंधकीय तुजुर्बे की षर्त लगा दी गई है जो कि पी.पी.एस.सी. के नियमों के खिलाफ है और तर्क संगत नही है। क्योंकि पी.पी.एस.सी. पी.ई.एस. ग्रुप ए की भर्ती के लिए 3 साल के स्कूल प्रबंध का तुजुर्बा  लाजमी रखती है। जबकि लैक्चरर को कोई प्रबंधकीय तुजुर्बा नही होता। खुद सरकार ने एक जनहित याचिका न. 19400 आफ 2012  के उत्तर में माना है कि प्रिसिंपल का पद प्रषासकिय व प्रबंधकीय है और इस पद से जिला षिक्षा अधिकारी, ए.डी.पी.आई. और प्रिसिंपल डाईट के तौर पर विभाग में अहम प्रषासकिय कार्य सभालते है। परन्तु इस सटेटमेंट के बावजूद भी प्रषासकिय तुजुर्बे वाले मुख्याध्यापिकों को नजऱ अंदाज करके बिना प्रषासकिय तुजुर्बे वाले लेक्चररों को लगातार प्रिसिंपल की तरक्कीयां दी जा रही हैं।
एसोसिएषन सरकार से मांग करती है कि सीनियर सैकेण्डरी स्कूलो का प्रबंध योग्य हाथों में देने के लिए केन्द्र और दूसरों राज्यों की तरह लैक्चररों को पहले वाईस प्रिसिंपल की पोस्ट पर तैनात किया जाये ताकि वो भी प्रबंधन एवं वित्तीय डयूटियों के बारे में सरकारी नियमों से अवगत हो सकें और तुजुर्बा हासिल कर सकें। इसके उपरान्त पी.पी.एस.सी. के नियमों के अनुसार तीन साल के प्रबंधकीय तुजुर्बे के बाद ही पी.ई.एस. ग्रुप ए में तरक्कीयां की जायें।  प्रिसिपल की 459 असामियां जो कि मुख्याध्यापक के कोटे की हैं को तुरन्त भरा जाये, लेक्चरर से प्रिसिंपल बनाने के लिए निर्धारित 70 प्रतिषत कोटा खत्म किया जाये क्योंकि इस व्यवस्था में लेक्चरर के पास कोई भी प्रबंधकीय तुजुर्बा नहीं है। माननीय पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के डबल बेंच के निर्णय जो कि सिविल रिट पटीशन न. 9715 आफ 2005 दिनांक 18/10/2005 में दिये नियम 1941 सब नियम 3,4,5 अनुसार मुख्याध्यापक का कोटा सुरक्षित रखकर वर्श 2011 में मांगें गये प्रिसिंपल की तरक्की के केसों की डी.पी.सी. करवाई जाये। दिनांक 23/07/2013 को डी.पी.आई. (सैकेण्डरी षिक्षा) के दफतर के समक्ष एवं दिनांक 09/08/2013 को टीचर होम बठिंडा में उपरोक्त मांगों के संबंध में मुख्याध्यापकों द्वारा भारी मात्रा में एकत्रता की गई और सरकार से इन मांगों को मानने के लिए अनुरोध किया गया।


अमेरिका में लागत केवल 3 डालर और भारत में बिकता है 3-5 लाख रूपये में

हार्ट अटैक रोकने का आयुर्वैदिक इलाज केवल 21 दिन में ठीक
दोस्तो अमेरिका की बड़ी बड़ी कंपनिया जो दवाइया भारत मे बेच रही है ! वो अमेरिका मे 20 -20 साल से बंद है ! आपको जो अमेरिका की सबसे खतरनाक दवा दी जा रही है ! वो आज कल दिल के रोगी (heart patient) को सबसे दी जा रही है !! भगवान न करे कि आपको कभी जिंदगी मे heart attack आए !लेकिन अगर आ गया तो आप जाएँगे डाक्टर के पास !

और आपको मालूम ही है एक angioplasty आपरेशन आपका होता है ! angioplasty आपरेशन मे डाक्टर दिल की नली मे एक spring डालते हैं ! उसको stent कहते हैं ! और ये stent अमेरिका से आता है और इसका cost of production सिर्फ 3 डालर का है ! और यहाँ लाकर वो 3 से 5 लाख रुपए मे बेचते है और ऐसे लूटते हैं आपको !

और एक बार attack मे एक stent डालेंगे ! दूसरी बार दूसरा डालेंगे ! डाक्टर को commission है इसलिए वे बार बार कहता हैं angioplasty करवाओ angioplasty करवाओ !! इस लिए कभी मत करवाए !

तो फिर आप बोलेंगे हम क्या करे ????!

आप इसका आयुर्वेदिक इलाज करे बहुत बहुत ही सरल है ! पहले आप एक बात जान ली जिये ! angioplasty आपरेशन कभी किसी का सफल नहीं होता !! क्यूंकि डाक्टर जो spring दिल की नली मे डालता है !! वो spring बिलकुल pen के spring की तरह होता है ! और कुछ दिन बाद उस spring की दोनों side आगे और पीछे फिर blockage जमा होनी शुरू हो जाएगी ! और फिर दूसरा attack आता है ! और डाक्टर आपको फिर कहता है ! angioplasty आपरेशन करवाओ ! और इस तरह आपके लाखो रूपये लूटता है और आपकी ज़िंदगी इसी मे निकाल जाती है ! ! !

अब पढ़िये इसका आयुर्वेदिक इलाज !!
Courtesy Photo 
हमारे देश भारत मे 3000 साल एक बहुत बड़े ऋषि हुये थे उनका नाम था महाऋषि वागवट जी !! में
उन्होने एक पुस्तक लिखी थी जिसका नाम है अष्टांग हृदयम!! और इस पुस्तक मे उन्होने ने बीमारियो को ठीक करने के लिए 7000 सूत्र लिखे थे ! ये उनमे से ही एक सूत्र है !!

वागवट जी लिखते है कि कभी भी हरद्य को घात हो रहा है ! मतलब दिल की नलियो मे blockage होना शुरू हो रहा है ! तो इसका मतलब है कि रकत (blood) मे acidity(अमलता ) बढ़ी हुई है !

अमलता आप समझते है ! जिसको अँग्रेजी मे कहते है acidity !!

अमलता दो तरह की होती है !
एक होती है पेट कि अमलता ! और एक होती है रक्त (blood) की अमलता !!
आपके पेट मे अमलता जब बढ़ती है ! तो आप कहेंगे पेट मे जलन सी हो रही है !! खट्टी खट्टी डकार आ रही है ! मुंह से पानी निकाल रहा है ! और अगर ये अमलता (acidity)और बढ़ जाये ! तो hyperacidity होगी ! और यही पेट की अमलता बढ़ते-बढ़ते जब रक्त मे आती है तो रक्त अमलता(blood acidity) होती !!

और जब blood मे acidity बढ़ती है तो ये अमलीय रकत (blood) दिल की नलियो मे से निकल नहीं पाता ! और नलिया मे blockage कर देता है ! तभी heart attack होता है !! इसके बिना heart attack नहीं होता !! और ये आयुर्वेद का सबसे बढ़ा सच है जिसको कोई डाक्टर आपको बताता नहीं ! क्यूंकि इसका इलाज सबसे सरल है !!

इलाज क्या है ??
वागबट जी लिखते है कि जब रकत (blood) मे अमलता (acidty) बढ़ गई है ! तो आप ऐसी चीजों का उपयोग करो जो छारीय है !

आप जानते है दो तरह की चीजे होती है !

अमलीय और छारीय !!
(acid and alkaline )

अब अमल और छार को मिला दो तो क्या होता है ! ?????
((acid and alkaline को मिला दो तो क्या होता है )?????

neutral होता है सब जानते है !!
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तो वागबट जी लिखते है ! कि रक्त कि अमलता बढ़ी हुई है तो छारीय(alkaline) चीजे खाओ ! तो रकत की अमलता (acidity) neutral हो जाएगी !!! और रक्त मे अमलता neutral हो गई ! तो heart attack की जिंदगी मे कभी संभावना ही नहीं !! ये है सारी कहानी !!

अब आप पूछोगे जी ऐसे कौन सी चीजे है जो छारीय है और हम खाये ?????

आपके रसोई घर मे सुबह से शाम तक ऐसी बहुत सी चीजे है जो छारीय है ! जिनहे आप खाये तो कभी heart attack न आए ! और अगर आ गया है ! तो दुबारा न आए !!
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सबसे ज्यादा आपके घर मे छारीय चीज है वह है लोकी !! जिसे दुदी भी कहते है !! english मे इसे कहते है bottle gourd !!! जिसे आप सब्जी के रूप मे खाते है ! इससे ज्यादा कोई छारीय चीज ही नहीं है ! तो आप रोज लोकी का रस निकाल-निकाल कर पियो !! या कच्ची लोकी खायो !!

स्वामी रामदेव जी को आपने कई बार कहते सुना होगा लोकी का जूस पीयों- लोकी का जूस पीयों !
3 लाख से ज्यादा लोगो को उन्होने ठीक कर दिया लोकी का जूस पिला पिला कर !! और उसमे हजारो डाक्टर है ! जिनको खुद heart attack होने वाला था !! वो वहाँ जाते है लोकी का रस पी पी कर आते है !! 3 महीने 4 महीने लोकी का रस पीकर वापिस आते है आकर फिर clinic पर बैठ जाते है !

वो बताते नहीं हम कहाँ गए थे ! वो कहते है हम न्योर्क गए थे हम जर्मनी गए थे आपरेशन करवाने ! वो राम देव जी के यहाँ गए थे ! और 3 महीने लोकी का रस पीकर आए है ! आकर फिर clinic मे आपरेशन करने लग गए है ! और वो इतने हरामखोर है आपको नहीं बताते कि आप भी लोकी का रस पियो !!


तो मित्रो जो ये रामदेव जी बताते है वे भी वागवट जी के आधार पर ही बताते है !! वागवतट जी कहते है रकत की अमलता कम करने की सबे ज्यादा ताकत लोकी मे ही है ! तो आप लोकी के रस का सेवन करे !!

कितना करे ?????????
रोज 200 से 300 मिलीग्राम पियो !!

कब पिये ??

सुबह खाली पेट (toilet जाने के बाद ) पी सकते है !!
या नाश्ते के आधे घंटे के बाद पी सकते है !!
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इस लोकी के रस को आप और ज्यादा छारीय बना सकते है ! इसमे 7 से 10 पत्ते के तुलसी के डाल लो
तुलसी बहुत छारीय है !! इसके साथ आप पुदीने से 7 से 10 पत्ते मिला सकते है ! पुदीना बहुत छारीय है ! इसके साथ आप काला नमक या सेंधा नमक जरूर डाले ! ये भी बहुत छारीय है !!
लेकिन याद रखे नमक काला या सेंधा ही डाले ! वो दूसरा आयोडीन युक्त नमक कभी न डाले !! ये आओडीन युक्त नमक अम्लीय है !!!!

तो मित्रो आप इस लोकी के जूस का सेवन जरूर करे !! 2 से 3 महीने आपकी सारी heart की blockage ठीक कर देगा !! 21 वे दिन ही आपको बहुत ज्यादा असर दिखना शुरू हो जाएगा !!!
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कोई आपरेशन की आपको जरूरत नहीं पड़ेगी !! घर मे ही हमारे भारत के आयुर्वेद से इसका इलाज हो जाएगा !! और आपका अनमोल शरीर और लाखो रुपए आपरेशन के बच जाएँगे !!

और पैसे बच जाये ! तो किसी गौशाला मे दान कर दे ! डाक्टर को देने से अच्छा है !किसी गौशाला दान दे !! हमारी गौ माता बचेगी तो भारत बचेगा !!
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आपने पूरी post पढ़ी आपका बहुत बहुत धन्यवाद !!

इन बीमारियो के इलाज के लिए और अच्छी तरह समझने के लिए यहाँ
जरूर जरूर click करे !!
http://www.youtube.com/watch?v=C8NbDw4QGVM&feature=plcp 
वन्देमातरम !!
अमर शहीद Rajiv Dixit जी की जय !

आधार कार्ड बनाना:लोगों के लिए बना नई सर दर्द

दफ्तर खुलने से पहले ही एकत्र हो जाते हैं फ़ार्म
लुधियाना: (पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): आधार कार्ड का खुय्द अपना आधार कितना खोखला और अनियमित है इसका एक नया मामला सामने  आया है  जगराओं और आसपास के इलाकों की है जहाँ आधार कार्ड बनाने के लिए लगे कैंप में आये लोगों को बुरी तरह निराश करके वापिस भेज दिया जाता है। कहा जाता है यह की आज का कोटा पूरा हो चूका है इसलिए फिर किसी दिन आना। दिलचस्प बात यह की यह कोर जवाब उस समय सुबह सुबह ही दे दिया जाता है जब कैंप आफिस का ताल भी नहीं खुला होता। हैरानी की बात है कि ताला खुलने से पूर्व ही निश्चित कोटे के फ़ार्म किसने और कहाँ से पूरे कर लिए। सरकारी विज्ञापनों में आधार कार्ड बनाने के लिए प्रचारित की जाने वाली सुविधाएं और घोषनाएं एक मजाक बन कर रह गयी हैं। वास्तव में हर सरकारी काम की तरह आधार कार्ड बनवाना भी आम लोगों के लिए एक अच्छी खासी मुसीबत बन गयी है। लोग सुबह चार बजे से ही कार्ड बनवाने के लिए लाइन में लग जाते हैं, फिर भी उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। इसी बात को लेकर मंगलवार के दिन २७ अगस्त को लोग बड़ी संख्या में गुस्से में आ गए। वे अपनी दिहाड़ी तोड़ कर वहां आये थे और ऊपर से मिला कोर जवाब। भडके हुए इन लोगों को पुलिस ने मौके पर पहुंच कर शांत तो कराया पर इस गुस्से का कारण कौन दूर करेगा। कौन कराएगा इसकी जांच कि वास्तव में जान पहचान के लोगों से अग्रिम धन लेकर उनके फार्मों से ही कोटा पूरा कर लिया जाता है। 
 कोटा पूरा होने के बाद आम जनता के लिए एक कोर जवाब या ताल मटोल ही बाकि बचता है! जानकारी के अनुसार जगराओं के बीडीपीओ दफ्तर में लगे आधार कार्ड कैंप में मंगलवार को करीब सुबह छह बजे कुछ लोग कार्ड बनवाने पहुंचे। लेकिन सुबह सुबह वहां पहले से ही मौजूद एक व्यक्ति ने उन्हें यह कहकर वापस जाने को कहा कि आज केवल 70 कार्ड ही बनेंगे। उसने इसका कारण बी बताया कि आज केवल 70 कार्ड बनेंगे और उतने फार्म पहले से ही उनके पास आ चुके हैं इसलिए आप किसी और दिन आइएगा। सवाल उठता है क्या कोटे के निश्चित 70 फ़ार्म क्या घर घर जाकर आधी रात को एकत्र कर लिए गए थे? अगर नियम पहले आओ पहले पाओ का है तो यह नियम ताल खुले बिना पूरा ही कैसे हुआ? यह सारा ड्रामा देख कर वहां मौजूद लोग गुस्से में आ गए और उक्त व्यक्ति से पूछने लगे कि वो कौन होता है आधार कार्ड के निवेदन पत्र लेने वाला, जबकि दफ्तर में अभी ताला लगा है। इसका कोई ठोस जवाब न था और न ही मिला। 
यह बुरी हालत केवल एक कैंप की नहीं बल्कि कई स्थानों की है। गांव शेरपुरा के पूर्व फौजी जगजीत सिंह, गुरदित सिंह व बेअंत कौर ने भी इस बारे में कहा कि वह और उनके साथ दर्जनों लोग पिछले तीन दिनों से कार्ड न बनने कारण लौट रहे हैं। आज भी वह सुबह करीब पांच बजे से आए थे लेकिन उसने पहले ही वह व्यक्ति करीब 70 फार्म लिए हुए था। जबकि कार्ड बनने का काम सुबह नौ बजे से होता है। इसके बाद कर्मचारी के आते ही कार्ड न बनने से परेशान लोगों ने उसके साथ बहस शुरू कर दी। इसके बाद मामला बढ़ते देख पुलिस को भी सूचना दी गई। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंच कर लोगों को शांत कराया तथा कार्ड बनवाने का काम शुरू कराया।
लोग जब उठते हैं तो फिर कुछ किये बिना बैठने का नाम भी नहीं लेते। यहाँ भी कुछ ऐसे ही हुआ। लोग जब कुछ ज्यादा ही गुस्से में आये तो उन्होंने ढूँढ निकला। मिलने पर आधार कार्ड कैंप के प्रमिंदर सिंह ने बताया कि एक दिन में करीब 70 कार्ड बनाने की प्रक्रिया मुकम्मल होती है। इसलिए जो भी पहले 70 लोग आते हैं उनका ही फार्म लिया जाता है। अब देखना है यह है कि इस सरे सिस्टम को पारदर्शी और सुविधाजनक कैसे है?  

आधार कार्ड से सबंधित कुछ अन्य खबरें 

Tuesday, August 27, 2013

बंदर कहना महँगा पड़ा ...

Mani Ram Sharma         Tue, Aug 27, 2013 at 5:42 PM
वहां गरिमा और सम्मान-----------यहाँ अपमान और तिरस्कार 
ओंटारियो की एक कृषि फर्म को अपने एक कर्मचारी को बंदर कहना महँगा पडा जबकि वहां के मानवाधिकार ट्रिब्यूनल ने चर्चित प्रकरण एड्रिअन मोंरोसे बनाम डबल डायमंड एकड़ लिमिटेड  में (2013 एच आर टी ओ 1273) दोषी पर भारी जुर्माना लगाया| किंग्सविले की एक टमाटर उत्पादक कंपनी डबल डायमंड एकड़ लिमिटेड  को मानवाधिकार ट्रिब्यूनल ओंटारियो (कनाडा)  ने शिकायतकर्ता एड्रिअन मोंरोसे को बकाया वेतन और गरिमा हनन के लिए कुल 23,500 पौंड क्षतिपूर्ति देने के आदेश दिया है| 
तथ्य इस प्रकार हैं कि शिकायतकर्ता ने प्रतिवादी संस्थान में प्रवासी मौसमी कृषि मजदूर के रूप में दिनांक 9.1.09 से कार्य प्रारंभ किया था| शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी संस्थान के एक कर्मचारी करिरो ने चिल्लाते हुए मुझे कहा कि तुम पेड़ शाखा पर बंदर जैसे लगते हो और वह चला गया| मौसमी मजदूरों के करार के अनुसार उनके वेतन का पच्चीस प्रतिशत वेतन उन्हें बाद में भेजे जाने के लिए काटा जाता है किन्तु उसे समय पर भुगतान नहीं किया गया| आवेदक –शिकायतकर्ता-एड्रिअन मोंरोसे के अनुसार उसने यह मामला प्रतिवादी के समक्ष माह जनवरी व फरवरी 2009 में उठाया था| किन्तु उसकी  शिकायत के फलस्वरूप बदले की भावना से उसे नौकरी से ही निकाल दिया जिससे वह 5500 पौंड मजदूरी से वंचित हो गया| मामला जब ट्रिब्यूनल के सामने निर्णय हेतु आया तो ट्रिब्यूनल का यह विचार रहा कि क्षतिपूर्ति के उचित मूल्याङ्कन के लिए बदले की भावना से प्रेरित कार्यवाही से उसकी गरिमा, भावना और स्व-सम्मान को पहुंची ठेस के लिए प्रार्थी क्षतिपूर्ति का पात्र है| प्रार्थी  ने अपने देश वापिस भेज दिए जाने सहित मजदूरी के नुक्सान आदि इन सबके लिए कुल 30000 पौंड के हर्जाने की मांग की है| ओंटारियो मानवाधिकार संहिता की धारा 46.3 के अनुसार किसी संगठन के कर्मचारियों, अधिकारियों या एजेंटों द्वारा भेदभाव पूर्ण आचरण करने पर संस्था का प्रतिनिधित्मक दायित्व है तदनुसार करेरो और मस्टरोनारडी के कृत्यों के लिए डबल डायमंड एकड़ लिमिटेड जिम्मेदार है|  ट्रिब्यूनल ने आवेदक को 15000 पौंड का हर्जाना बदले के भावना से हुए मानवाधिकार हनन के लिए स्वीकृत किया और मजदूरी के नुक्सान की भरपाई के लिए 5000 पौंड मय ब्याज के देने के आदेश दिए| आवेदक ने यह भी मांग की कि प्रत्यर्थी अपने यहाँ मानवाधिकार नीति को लागू करने के लिए ओंटारियो मानवाधिकार आयोग से अनुमोदन करवाकर एक निश्चित प्रक्रिया लागू करे| इस पर ट्रिब्यूनल ने आदेश दिया कि प्रत्यर्थी 120 दिन के भीतर मानवाधिकार कानून विशेषज्ञ की सहायता से एक व्यापक मानवाधिकार और भेदभाव विरोधी नीति विकसित करे और प्रत्यर्थी के सभी अधिकारी–कर्मचारी जिन पर किसी भी प्रकार के पर्यवेक्षण का दयित्व हो वे मानवाधिकार के विषय में 101 मानवाधिकारों के विषय में 120  दिन के भीतर ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त करें |
वहीं भारतीय परिपेक्ष्य में मानवाधिकारों पर नजर डालें तो स्थिति अत्यंत दुखद कहानी कहती है| ओड़िसा में जुलाई 2008 में संजय दास को पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुए गिरफ्तार कर लिया था अत: पुलिस की इस अनुचित कार्यवाही से व्यथित होकर पीड़ित ने वर्ष 2009 में उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की| खेद का विषय है कि इस याचिका पर उच्च न्यायालय ने 4 वर्ष बाद अब वर्ष  2013 में सरकार से जवाबी हलफनामा दायर करने को कहा है|  प्रकरण में जवाब देते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक ने कहा है कि अब दोषी की पहचान करना कठिन है| वास्तव में देखा जाए तो भारत भूमि के अधिकाँश लोगों, चाहे वे कोई भी पद धारण करते हों, के चिंतन से लोकतंत्र का मूल दर्शन ही गायब है| विधायिकाएं आधे-अधूरे और जनविरोधी कानून बनाती हैं, न्यायपालिका उन्हें लागू करते हुए और भोंथरा बना देती परिणामत: पुलिस का मनोबल और दुस्साहस-दोनों इस वातावरण में मुक्त रूप से पनपते  रहते  है|   पुलिस द्वारा न केवल आम नागरिक के साथ अभद्र व्यवहार करने और सरे आम गाली गलोज करने के  मामले मानवाधिकार तंत्र के सक्रिय या निष्क्रिय सहयोग और सानिद्य में जारी हैं बल्कि हिंसा तक  निस्संकोच की जाती है| देश की सवा अरब की आबादी  में ढूंढने से भी उदाहरण मिलना मुश्किल है जहां किसी व्यक्ति को अपशब्दों के लिए या मानव गरिमा हनन के लिए दण्डित किया गया हो|

एक बार जब भारत ने मानवाधिकार संधि का अनुमोदन कर दिया तो उसके बाद सम्पूर्ण देश में मानवाधिकार की रक्षा करना, प्रोन्नति करना और उसका उल्लंघन रोकना सरकार का दायित्व हो जाता है – ऐसा उल्लंघन चाहे किसी सरकारी सेवक द्वारा किया जा रहा हो या या किसी नीजि व्यक्ति द्वारा| सरकार मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में ऐसा कोई भेदभाव नहीं बरत सकती किन्तु भारत के मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम की धारा 12 में मात्र लोक सेवकों द्वारा मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में ही आयोग द्वारा जांच का प्रावधान रखा गया है और इस प्रकार नीजि व्यक्तियों को मानवाधिकार उल्लंघन की खुली छूट दे दी गयी है कि उनके विरुद्ध शिकायतों पर आयोग कोई कार्यवाही नहीं करेगा| वहीं ओंटारियो राज्य ने अपने लिए एक विस्तृत और व्यापक मानवाधिकार संहिता बना रखी है| संहिता की धारा 29 में व्यापक प्रावधान है और यह कहा गया है कि आयोग का कार्य मानवाधिकारों (न केवल रक्षा करना बल्कि) के सम्मान को आगे बढ़ाना और प्रोन्नत करना आयोग का कार्य है तथा इसमें नीजि या सरकारी उल्लंघन के मध्य किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया गया है| मानवाधिकार ट्रिब्यूनल ओंटारियो न केवल अपने मुख्यालय पर बल्कि कैम्प लगाकर घटना स्थल के नजदीक सुनवाई का अवसर देता है ताकि पीड़ित पक्ष अपना दावा आसानी से प्रभावी ढंग प्रस्तुत कर सके| उक्त मामले से यह भी स्पष्ट है वर्ष 2009  के मामल में ओंटारियो के ट्रिब्यूनल ने अपना निर्णय सुना दिया है जबकि समान अवधि के मामले में ओड़िसा उच्च न्यायालय ने अभी सरकार से जवाब ही मांगा है, निर्णय  में लगने वाले समय और मिलने वाली राहत के विषय में कोई सुन्दर पूर्वानुमान  नहीं लगाया  जा सकता| उल्लेखनीय है कि भारत जब मानवप्राणी  के रूप में प्राप्त अधिकारों के विषय में कनाडा से इतना पीछे है तो नागरिक के तौर पर उपलब्ध मूल अधिकारों के विषय में अभी चर्चा करना ही अपरिपक्व होगा, चाहे कागजी तौर पर वे संविधान में सम्मिलित हों| यह भी ध्यान देने योग्य है कि ब्रिटिश संसद के नियंत्रण से कनाडा वर्ष 1982 में ही, अर्थात भारत से 35 वर्ष बाद, पूरी तरह से मुक्त हुआ है| अब देश की जनता कर्णधारों से जवाब मांगती है कि इस अवधि में इन्होंने आम भारतीय के लिए अब तक क्या किया और भविष्य में जो करने जा रहे हैं उसकी रूप रेखा क्या है|  

रसोई गैस सब्‍सि‍डी:देश के 20 जिलों में आधार कार्ड अनिवार्य

27-अगस्त-2013 19:58 IST
प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण जि‍लों में आधार अनि‍वार्य 
2.4 मि‍लि‍यन उपभोक्‍ताओं को सब्‍सि‍डी उनके बैंक खातों में 
रसोई गैस के लि‍ए प्रत्‍यक्ष लाभ हस्‍तांतरण योजना देश के 20 जि‍लों में शुरू की गई है। कुल 7.3 मि‍लि‍यन उपभोक्‍ता इसके दायरे में है। बैंक खातों में नकद सब्‍सि‍डी के हस्‍तांतरण के लि‍ए उपभोक्‍ता के पास आधार संख्‍या होनी चाहि‍ए जो उसके बैंक खाते से जुड़ी होनी चाहि‍ए। इसके लि‍ए योजना जारी करने के समय से 3 महीने की अवधि‍ नि‍र्धारि‍त की गई है।
उपरोक्‍त 20 जि‍लों में अब तक 3.5 मि‍लि‍यन उपभोक्‍ताओं ने अपनी आधार संख्‍याओं को रसोई गैस उपभोक्‍ता संख्‍याओं और अपने बैंक खातों से जोड़ दि‍या है। इन 20 जि‍लों में 2.4 मि‍लि‍यन उपभोक्‍ताओं को अपने बैंक खातों के जरि‍ए सीधी सब्‍सि‍डी प्राप्‍त हो रही है। बहरहाल, बाजार मूल्‍य पर रसोई गैस सि‍लेंडर प्राप्‍त करने के लि‍ए आधार संख्‍या की आवश्‍यकता नहीं है।
प्रथम चरण के 20 जि‍लों का ब्‍यौरा इस प्रकार है:-
क्रम संख्‍या
राज्‍यों के नाम
जि‍लों के नाम
1.       
आंध्र प्रदेश
अनंतपुर
2.
चि‍त्‍तूर
3.
पूर्वी गोदावरी
4.
हैदराबाद
5.
रंगारेड्डी
6.
दमन और दीव
दीव
7.
गोवा
उत्‍तरी गोवा
8.
हि‍माचल प्रदेश
बि‍लासपुर
9.
हमीरपुर
10.
मंडी
11.
उना
12.
कर्नाटक
मैसूर
13.
तुमकुर
14.
केरल
पथनमथि‍ट्टा
15.
व्‍यानाड़
16.
महाराष्‍ट्र
वर्धा
17.
पुदूचेरी
पुदूचेरी
18.
पंजाब
नवांशहर
19.
मध्‍य प्रदेश
पूर्वी नि‍माड़(खंडवा)
20.
हरदा
PIB  
वि‍.कासोटि‍या/पांडे/अंबुज-5880

पंजाब: अभी भी नहीं बने सभी के आधार कार्ड 
कहीं जाली आधार कार्डों का आधार तो नहीं बन रहा-चोरी हुआ डाटा ?
सरकारी सब्सिडी के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं-राजीव शुक्ल 

मेरा गोविन्दा....//बोधिसत्व कस्तूरिया

जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर 
मित्र बोधिसत्व कस्तूरिया की एक काव्य रचना 
मेरा छोटा सा प्यारा सा लाला,
मेरा गोविन्दा श्याम  गोपाला !!
बॄज मण्डल मे बाजे -बधाई,
इसकी प्यारी छवि सबको भाई,
नाचे बॄज के गोपी औ ग्वाला !!मेरा गोविन्दा....
जसुमति का है ये तो कन्हाई,
इसको नज़र किसी ने लगाई,
कर डारूंगी उसका मुँह काला !!मेरा गोविन्दा......
नन्द बाबा का है ये खिलोना,
मेरा छौना है सबसे सलोना,
बडे नाज़ों से इसको है पाला !!मेरा गोविन्दा...
..


शायर से डाक सम्पर्क:बोधिसत्व कस्तूरिया 202 नीरव निकुन्ज सिकन्दरा आगरा 282007 

योग वेदान्त सेवा समिति ने निकाला रोष मार्च

संत आसा राम  के खिलाफ किए जा रहे दुष्प्रचार का किया डट कर विरोध 
प्रदर्शनकारियों ने तीखे तेवरों में सौंपा जिला प्रशासन को ज्ञापन  
लुधियाना 26 अगस्त 2013:(*जितेन्द्र सचदेवा/पंजाब स्क्रीन): योग वेदान्त सेवा समिति के नेतृत्व में हजारों साधको ने परम पूज्नीय संत श्री आसा राम जी के विरुद्ध षडंयत्र के तहत किए जा रहे दुष्प्रचार के विरोध में जगरांवपुल स्थित दुर्गा माता मन्दिर से मिनी सचिवालय तक हरि बोल-हरि बोल का जाप करते हुए रोष मार्च कर जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। प्रर्दशनकारी हाथों में संतो का अपमान नहीं सहेगा हिन्दोस्तान,षडयंत्रकारियो पर त्वतरित कारवाई,संत का निंदक महा हत्यारा, सांच को आंच नहीं , झूठ के पैर नहीं, षडयंत्रकारियों से सावधान की तखतियां उठाए रोष प्रकट कर रहे थे। योग वेदान्त समिति की लुधियाना इकाई ने जिला प्रशासन को सौंपे ज्ञापन में बाबू आसा राम जी के खिलाफ बिना आरोप सिद्ध हुए प्रसारित हो रहे बेबुनियाद समाचारों के प्रसारण पर रोक लगाने की मांग की। योग वेदान्त सेवा समिति लुधियाना के अध्यक्ष जतिन्द्र सचदेवा,उपाध्यक्ष रमेश शर्मा व वरिष्ठ सदस्यों सुरिन्द्र कपूर, विजय सूद, मंगत राय, शीतल महिन्द्रा,चेतन वर्मा, राजेश सचदेवा,शशी ओझा, महिन्द्रपाल गुप्ता, एस के नैय्यर, भारत भूषण, रोशन लाल, रमन वर्मा, मोहन लाल शर्मा ने कहा कि परम पूज्नीय संत श्री आसा राम जी के विरुद्ध षडंयत्र के तहत कुप्रचार होने के चलते हजारों साधकों की धार्मिक भावनाओ को ठेस पंहुच रही है। वहीं भारतीय संस्कृति के आधार स्तम्भ माने जाने वाले इस महान संत के खिलाफ कुप्रचार व मनघड़न्त समाचारों के प्रसारण से बापू जी ने विश्वास व अटूट श्रद्धा रखने वाले हजारों साधकों व श्रद्धालुओं की धार्मिक भावनाए आहत हुई है। और उनका सामाजिक जीवन भी तनावग्रस्त हो रहा है। रोष मार्च को सफल बनाने में सुरिन्द्र कौशल, प्रेम शर्मा,सुभाष अरोड़ा, अमन खुराना, देसराज गोगना,सुरिन्द्र नागपाल, साहू, सुरिन्द्र वासन, सुरिन्द्र बांसल, पिताम्बर गर्ग, त्रिपाठी जी, अश्वनी शर्मा, पप्पी भाई, के एन मंडल, गौरव, बहन हेमलता, सरोज, कविता, नारी उत्थान प्रचार मंडल की अध्यक्ष रेखा शर्मा, अनिता नागपाल सहित लुधियाना,जगराओं, फिल्लौर, खन्ना व मलेरकोटला से हजारों साधको,विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के स्वयं सेवको ने भी विशेष योगदान दिया।

*जतिन्द्र सचदेवा  योग वेदान्त सेवा समिति लुधियाना के अध्यक्ष हैं और उनका मोबाईल नम्बर है: 98150-83004

स्वामी विवेकानंद अवार्ड ऑफ एक्सीलैंस-2013 अब लुधियाना में

प्रतिभाशाली शख्सीयतों का चयन पूरा
8 सिंतबर को लुधियाना के पीएयू आडिटोरियम में सम्मान समारोह
 प्रोग्राम के बारे में जानकारी देते हुए डी.जी.एम एस.एस भल्ला व संजीव राणा
लुधियाना:26 अगस्त 2013: (विशाल/पंजाब स्क्रीन):  स्वामी विवेकानंद अवार्ड ऑफ एक्सीलैंस-2013 की तरफ से लुधियाना की प्रतिभाशाली शख्सियतों को  पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के व्हीट आडिटोरियम में 8 सिंतबर को शाम 5 बजे कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया जाएगा। यह जानकारी सैंट्रल बैंक ऑफ इंडिया लुधियाना रिजन के डी.जी.एम एस.एस भल्ला व स्वामी विवेकानंद अवार्ड ऑफ एक्सीलैंस-2013 के प्रोजैक्ट हैड व प्रणय मीडिया के संजीव राणा ने दी। उन्होंने बताया कि प्रणय मीडिया व सेंट्रल बैंक आफ इंडिया मिलकर इस अवार्ड सेरामनी का आयोजन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ज्यूरी द्वारा लगभग 1 महीने की खोज के बाद नामों को फाइनल किया गया है। इससे पहले चंडीगढ़, अमृतसर, जालंधर, होशियारपुर व पटियाला में उक्त अवार्ड से शख्सियतों को सम्मानित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि 8 श्रेणियों पर्यावरण, उद्योग, लिटरेचर एंड एजुकेशन, मैडीकल एंड हैल्थ, सोशल सर्विस, खेल, डिफेंस व स्पेशल अवार्ड शामिल है। उन्होंने बताया कि इस अवार्ड के माध्यम से उन छिपे हुए चेहरों को भी समाज के सामने लाया जाता है जो प्रसिद्धि से दूर रहकर समाज सेवा को समर्पित हैं और उनके कार्य समाज के लिए प्रेरणादायक हैं। चूंकि वर्ष 2013  को स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंति के तौर पर मनाया जा रहा है। इसलिए यह सारा कार्यक्रम देश के इस महान सपूत को ही समर्पित है।


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Monday, August 26, 2013

पंजाब: अभी भी नहीं बने सभी के आधार कार्ड

कहीं जाली आधार कार्डों का आधार तो नहीं बन रहा-चोरी हुआ डाटा ?
सरकारी सब्सिडी के लिए आधार कार्ड अनिवार्य नहीं-राजीव शुक्ल 
आधार कार्ड बनाने का प्रचार भी जोरशोर से चला और इसका तथाकथित अभियान भी।  पर यह रहा पूरी तरह से नाकाम ही क्यूंकि इस सारे अभियान का परिणाम यह हुआ कि बहुत से लोग इस कार्ड को अभी भी नहीं बनवा पाए। कुछ "नासमझ" लोगों को यह लगा कि क्या फर्क पड़ने वाला है। कुछ ज्यादा ":अक्लमंद" लोगों को लगा की हम कोई मुजरिम थोड़े हैं कि अपनी पुतलियों की तस्वीरें भी खिंचवा कर दें और उँगलियों के निशान भी! उन्ह्वें शक था कि हर काम में किसी न किसी निर्दोष को यूं ही फंसा देने वाला यह सिस्टम कहीं हमें भी न फंसा दे। इसी बीच कुछ शातिर किस्म के लोग इसके कैंप लगवा कर इन कार्डों को  बनवाने का पुण्य भी अर्जित करते रहे और साथ ही साथ प्रति कार्ड दो दो सो रूपये कमाने का कारोबार करते भी बताये गए।  अगर कोई इनके पास जाता तो कार्ड की औपचारिकता झट से पूरी हो जाती और अगर कोई सीधा किसी सरकारी कार्यालय में जाता तो उसे हजारों झंझट और वह फिर लौट आता इन्हीं लोगों के पास।  आखिरकार हुआ यह कि समय निकल गया और बहुत से लोग अभी भी इन आधार कार्डों के बिना रह गये।  उन्हें अपना आधार खिसकता तब महसूस जब सरकार ने एक बयान के जरिये एक ऐलान जारी किया कि अब नया गैस सिलेण्डर इस आधार कार्ड के बिना बुक ही नहीं होगा। 
इस बयान के अनुसार एक सितंबर, 2013 से गैस सिलेंडर को मिलने वाली सब्सिडी, पेंशन खाताधारक के खाते में सीधी जाएगी। बस इस बयान के आते ही पूरे पंजाब में हलचल मच गई। गौरतलब है कि अभी बहुत से लोग ऐसे हैं, जिनके आधार कार्ड लाख चाहने के बावजूद भी नहीं बने हैं। पंजाब भर में बहुत से लोग ऐसे भी होंगें जिन्होंने आधार कार्ड बनने के लिए तो दिए हैं और दस माह बीतने के बावजूद उन्हें आधार कार्ड नहीं मिले। कई इसे हैं जो केवल कम्प्यूटे से निउक्लि पर्ची पर संतोष करके बैठे हैं। 
दोराहा में रामगढि़या विश्वकर्मा फ्रंट पंजाब के प्रांतीय सेक्रेटरी बरजिंदर सिंह जंडू व बलविंदर सिंह मठारू ने इस सरे मामले पर घन निराश व्यक्त करते हुए कहा कि आधार कार्ड के लिए जब भी इंटरनेट के उपर दिए गए नंबरों पर फोन करते हैं तो जवाब में उन्हें कोई ठोस उत्तर नहीं मिलता। दूसरी ओर आधार कार्ड की वेबसाइट पर दिए नंबरों पर जब संपर्क करते हैं तो वहां कोई फोन नहीं उठाता। बहुत से आधार कार्डो का जब स्टेटस चेक किया जाता है तो उनका स्टेटस आता है कि आपकी इनरोलमेंट असफल हो गई है, कृपया दोबारा इनरोल करवाएं। लोग हैरान हैं कि आखिर इतना डाटा कहां गया। जिन लोगों ने अपना कामकाज छोड़कर आधार कार्ड बनवाने के लिए जद्दोजहद की, उन्हें दोबारा से लाइनों में लगाना होगा।
इसी तरह लुधियाना के अहाता शेरगंज इलाके के कुछ लोगों ने बताया की सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बावजूद उनके कार्ड नहीं बने। अधिकारी कहते हैं की उनके कम्प्यूटर से डाटा चोरी हो गया।  अब स्वकाल उठता है की डाटा चोरी कैसे हुआ और उसका पता क्यूं नहीं लगाया गया। कहीं एस तो नहीं की वही डाटा किसी समाज विरोधी या आतंकी सन्गठन के हाथ लगा गया हो और उस डाटा के आधार पर कई लोगों के जाली आधार कार्ड तैयार हो जायें! अब देखना यह भी है कि इस तरह की चोरी और कहाँ कहाँ हुई?  
इसी बीच शुक्रवार को ही सरकार ने साफ तौर पर ख दिया था कि सरकारी सब्सिडी का फायदा लेने के लिए आधार कार्ड को अभी तक अनिवार्य नहीं बनाया गया है, फिर चाहे मामला एलपीजी का हो या कुछ भी और। संसदीय कार्य राज्यमंत्री राजीव शुक्ला ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि वह पहले ही संसद में साफ कर चुके हैं कि सब्सिडी वाली किसी भी सरकारी योजना के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं बनाया गया है। इसे पूरी तरह से स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि अगर कोई केंद्रीय उद्यम ऐसा कर रहा है तो उसमें सुधार किया जाएगा। उम्मीद है कि सरकार का सपष्टीकरण आने के बाद लोग राहत की सांस लेंगें और इस आधार कार्ड को बनाने बनवाने के मांमले में पारदर्शिता भी आएगी और तेज़ी भी। 
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रसोई गैस सब्‍सि‍डी:देश के 20 जिलों में आधार कार्ड अनिवार्य 

रविवार को रेलवे स्टेशन पर स्मोकिंग करते 13 काबू

तम्बाकू नोशी के खिलाफ सरकार के साथ समाज भी आगे आये
जालंधर: 25 अगस्त 2013: (पंजाब स्क्रीन): नियम कानून बन जाने के बावजूद बहुत से लोग अभी भी स्वास्थ्य की दुश्मन सिगरेट बीड़ी को छोड़ने के लिए तैयार नहीं दिखते हैं। बहुत बार तम्बाकू विरोधियों और तम्बाकू समर्थकों के दरम्यान मारपीट भी हुई और खूनखराबा भी लेकिन इस लत में सुधार आता नजर नहीं आता। गौरतलब है कि जालंधर का रेलवे स्टेशन वही रेलवे स्टेशन है जहाँ 1980 के दशक में दो नम्बर प्लेटफार्म पर एक दिन बाद दोपहर के वक्त एक निहंग ने सिगरेट पीकर धुयाँ मूंह पर फेंकने वाले किसी युवक की कुर्पान से हत्या भी कर दी थी। अगर वहां सुरक्षा जवान तैनात होते हो और बात को बिगड़ने से पूर्व हो रोक लेते पर ऐसा नहीं हो सका। इस वारदात के बाद भी इस तरह के झगड़ों की कई वारदातें अलग अलग स्थानों पर हुईं जिनके मूल में सिगरेटनोशी और सिगरेट पीकर धुयाँ दूसरों के मूंह पर फेंकने के मामले ही ज्यादा थे। बात भावनायों और धर्म से जुडी थी इसलिए बिगडती चली गई। 
                                    File: Courtesy Photo
सेहत और जिंदगी को तबाह कर देने वाली तम्बाकू नोशी की हकीकत पहचान कर इसे छोड़ने की बजाये कुछ शरारती तत्वों ने इसे हिन्दू सिख समस्या बना दिया हालांकि बहुत से हिन्दू भी हैं जो सिगरेट बीड़ी को छूते तक नहीं और बहुत से सिख घरों के लड़के भी हैं जो इसे छुप-छुपा कर पीने से गुरेज़ नहीं करते। अब तम्बाकू के साथ या तम्बाकू की बजाये चरस/गांजे से भरी सिगरेटें इस बुरी आदत का विकराल रूप बन कर सामने आई हैं। एक एक सिगरते 25 से 50 रुपयों तक बिकती है। जरा अनुमान लगायें कि इतनी महंगी सिगरेट पीना और फिर इसे पीकर यहाँ वहां बेहोशों की तरह लेटे रहना-क्या यही है ज़िन्दगी? जो पीता होगा उसके तन में क्या बचता होगा और उसकी जेब भी क्या बचता होगा?  
ऐसे बहुत से कारण थे और बहुत बार मांग भी उठ चुकी थी और आखिर इस आदत को दूर करने कराने के लिए सरकार को कानून बनाना पड़ा।  गौरतलब है कि दुनिया के कई अन्य देशों में इस तरह का कानून पहले से ही मौजूद है।  धीमी गति ही सही लेकिन इस कानून की पालना के प्रयास अक्सर होते रहते हैं।  अगर इस तरह के मामलों पर नियमित नजर रखी जाये तो सफलता जल्द मिल सकती है पर एक्शन लिया जाता है कभी-कभार छापा मारने की तरह।   
इसी तरह की एक कारवाई की खबर आई है जालंधर से जहाँ सिटी स्टेशन पर 25 अगस्त रविवार के दिन आरपीएफ ने 13 लोगों को बीड़ी सिगरेट पीते हुए काबू कर लिया। थोड़ी सी हील हुज्जत और जुर्माना वसूलने के बाद इन्हें छोड़ दिया गया। आरपीएफ के इंचार्ज एके शर्मा ने मीडिया को बताया कि रविवार को स्टेशन परिसर में चेकिंग की गई तो विभिन्न जगहों पर लोग बीड़ी सिगरेट पीते पाए गए। उनके अनुसार बाद में इन सभी लोगों से 100-100 रुपये जुर्माना वसूलने के बाद चेतावनी देकर छोड़ दिया गया। कितना अच्छा हो अगर इसे छुड़ाने के लिए कोई कारगर सज़ा का प्रावधान रखा जाये और इन लोगों को कुछ मिनटों की एक छोटी सी क्लास में बैठा कर तम्बाकू नोशी से होने वाली
बरबादियों पर एक फिल्म दिखाई जाये। इनके दिल और दिमाग को पूरी तरह से तम्बाकू नोशी के खिलाफ तैयार करके इन्हें ठीक रास्ते पर लाया जाए…क्या ख्याल है आपका ? आपके विचारों की इंतज़ार बनी रहेगी।   -रेक्टर कथूरिया