Thursday, January 31, 2013

महात्‍मा गांधी:शहादत की वर्षगांठ


31-जनवरी-2013 15:11 IST
''फेथ एंड फ्रीडम: गांधी इन हिस्‍ट्री''  का विमोचन
हमेशा ही विशेषज्ञों और सामान्‍य पाठकों के बीच रुचिकर और उपयुक्‍त रहा है-उपराष्‍ट्रपति
उपराष्‍ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने 30 जनवरी 2013 को प्रो. मुशीरूल हसन द्वारा लिखी गई पुस्‍तक ''फेथ एंड फ्रीडम: गांधी इन हिस्‍ट्री'' का विमोचन नई दिल्ली में किया। इस अवसर अपने विचार व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति। पत्र सूचना कार्यालय के छायाकार ने उन यादगारी पलों को हमेशां के लिए अपने कैमरे से संजो लिया। (PIB photo)

उपराष्‍ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने 30 जनवरी 2013 को प्रो. मुशीरूल हसन द्वारा लिखी गई पुस्‍तक ''फेथ एंड फ्रीडम: गांधी इन हिस्‍ट्री'' का विमोचन नई दिल्ली में किया। पत्र सूचना कार्यालय के छायाकार ने उन यादगारी पलों को हमेशां के लिए अपने कैमरे से संजो कर रख लिया। (PIB photo)
उपराष्‍ट्रपति श्री एम. हामिद अंसारी ने कहा कि गांधी जी पर शैक्षणिक कार्य हमेशा ही विशेषज्ञों और सामान्‍य पाठकों के बीच रुचिकर और उपयुक्‍त रहा है। उनकी शहादत की वर्षगांठ पर इस कार्य का विमोचन अपने आप में गौरव प्रदान करता है। उन्‍होंने प्रो. मुशीरूल हसन द्वारा लिखी गई पुस्‍तक ''फेद एंड फ्रीडम: गांधी इन हिस्‍ट्री'' का विमोचन करने के बाद संबोधन में कहा कि गांधी जी पर लिखे सभी लेख इंसान, शिक्षक, समाज सुधारक, जन-नेता, सांप्रदायिक सद्भाव के उपदेशक, शक्तिशाली साम्राज्य के प्रतिवादी, नए तरह के राजनीतिक सक्रियतावाद के निर्माता अपने देश तथा नागरिकों की महान आत्‍माओं के कुछ पहलुओं पर आधारित है। प्रो. मुशीरूल हसन की पुस्‍तक पारंपरिक जीवनी और मानक इतिहास से परे है। यह पुस्‍तक विषयों के माध्‍यम से इतिहास के अनुसार चलती है। यह पुस्‍तक महात्‍मा गांधी के जीवन के उन पहलुओं तथा उनके द्वारा किए गए कार्य पर प्रकाश डालती है, जो हमें पता है परंतु उनका पर्याप्‍त विश्‍लेषण नहीं हो पाया है। 
उन्‍होंने बताया कि प्रो. मुशीरूल हसन का ध्‍यान गांधी जी के विचार तथा कार्य के दो विशिष्‍ट पहलुओं के विश्‍लेषण पर केंद्रित है। पहला उनकी ''काँग्रेसी मुसलमानों के साथ जटिल तथा अस्थिर संबंध जोकि एक अपेक्षाकृत अज्ञात प्रजाति और जिन कारणों से उन्‍होंने लीग के दावे यानी पाकिस्‍तान का चयन किया'' और दूसरा ''गांधी जी का दक्षिण एशिया में स्‍पष्‍टता और समझदारी से इस्‍लाम और मुस्लिम समुदाय की समझ की व्‍याख्‍या करना' (PIB)
***गांधी जी पर शैक्षणिक कार्य 

देश सर्वोपरि है//राजीव गुप्ता

Wed, Jan 30, 2013 at 11:44 AM
ऐसी विषम परिस्थिति में हिन्दू-आतंकवाद का नाम क्यों ?
देश सर्वोपरि है. विश्व - पटल पर भारत का परचम लहराने वाले स्वामी विवेकानन्द का 150वाँ जन्मदिन, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और रामकृष्ण मिशन के साथ-साथ भारत सरकार भी मना रही है. परन्तु जिस तरह जयपुर के कांग्रेस-चिन्तन शिविर से भारत के गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने  "हिन्दू-आतंकवाद" नाम का चुनावी शिगूफा  छेड़ा, सारा देश सकते में आ गया. गृहमंत्री के इस दुर्भाग्यपूर्ण बयान से देश स्तब्ध है.  मात्र सत्ता पाने के लिए विश्व समुदाय के सामने पूरे देश को कलंकित करना कहां तक उचित है ? आतंकवाद को भगवे रंग में रंगकर पहले पी. चिदम्बरम ने भगवा-आतंकवाद का नाम लेकर संघ पर प्रहार  किया, जब इतने से भी इन सत्ता-लोलुप नेताओं का पेट नहीं भरा तो आतंकवाद का वर्गीकरण कर पुन: संघ के साथ -साथ करोड़ो हिन्दुओ पर प्रहार कर दिया.  हमारा आपस मे वैचारिक मतभेद हो सकता है. वैचारिक मतभेद ही लोकतंत्र को और अधिक मजबूत करता है.  मात्र इन वैचारिक मतभेदों को कारण गृहमंत्री को देश की छवि धूमिल करना कहां तक उचित है ? गृह मंत्री के ऐसे बयान से क्या यह मान लिया  की स्वामी विवेकानंद की 150 जयन्ती मनाना सरकारी  ढोंग से अधिक कुछ नहीं है ? क्योंकि गृहमंत्री के बयान से देश की छवि को गहरा धक्का लगा है.

अब पाकिस्तान के आतंकी गृह मंत्री के बयान से प्रसन्न होकर विश्व समुदाय से भारत को "आतंकवादी देश" घोषित करने की मांग कर रहे है.  अभी तक भारत ने पाकिस्तान को 'आतंकवाद' के विषय पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग - थलग किया हुआ था. परन्तु अब पाकिस्तान विश्व समुदाय के समक्ष यह  बात पूरे जोर - शोर से उठायेगा कि  भारत में जितने भी आतंकवादी हमले हुए है, उसे भारत ने खुद करवाएँ  है, इसकी पुष्टि खुद वहाँ के गृहमंत्री ने की है. पाकिस्तान की करतूतो की वजह से सीमा पर बढ़ा तनाव अभी कम भी नहीं हुआ है, ऐसी विषम परिस्थिति में शिंदे ने हिन्दू - आतंकवाद का नाम क्यों लिया ?  कल तक कांग्रेस ने सुशील कुमार शिंदे के इस बयान को उनके मुंह से गलती से निकलने  की बात कह थी रही थी, परन्तु कांग्रेस के नेता, भारत के विदेश मंत्री जैसे सरीखे लोग तथाकथित "तथ्यों के आधार" पर गृहमंत्री का बचाव करने में कोइ कसर नहीं छोड़ रहे है. अगर गृहमंत्री के तथ्य सही है,  तो उन्हें  दोषियो पर  कार्यवाही करने से रोका किसने है ? सुशील कुमार शिंदे को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे कांग्रेस पार्टी के नहीं 'देश' के गृहमंत्री है.

कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्त्ता अपना विवेक खो बैठे हैं, परिणामतः बार - बार एक देशभक्त संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ  के ऊपर अपने शब्दों के माध्यम से कुठाराघात करते रहते है .इनकी आखों पर राजनीति की ऐसी परत चढी है कि समाज को बांटने के लिए संघ को कभी "भगवा आतंकवाद" से संबोधित करते है तो कभी "फासिस्ट-संगठन" की संज्ञा देते हैं .कांग्रेस के नेता हिटलर के प्रचार मंत्री गोयबेल्स के दोनों सिद्धांतो पर चलते है .मसलन एक – किसी भी झूठ को सौ बार बोलने से वह सच हो जाता है. दो – यदि झूठ ही बोलना है, तो सौ गुना बड़ा बोलो .इससे सबको लगेगा कि बात भले ही पूरी सच न हो; पर कुछ है जरूर . इसी सिद्धांतों पर चलते हुए कांग्रेसी हर उस व्यक्ति की आड़ में संघ को बदनाम करने कोशिश करते है, जो देशहित की बात करता है.

इसकी आड़ में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लपेटने के चक्कर में हैं, जिसकी देशभक्ति तथा सेवा भावना पर विरोधी भी संदेह नहीं करते .भारत में स्वाधीनता के बाद भी अंग्रेजी कानून और उसकी मानसिकता बदस्तूर जारी है . इसीलिए कांग्रेसी नेता आतंकवाद को मजहबों में बांटकर इस्लामी, ईसाई आतंकवाद के सामने ‘भगवा आतंक’ का शिगूफा कांग्रेसी नेता छेड़ कर देश की जनता को भ्रमित करने नाकाम कोशिश करते है .

जो सभ्यता पूरे विश्व के कल्याण का उदघोष करती हो और उस सभ्यता का जोरदार समर्थन करने वाले लोगों को बदनाम करने की साजिश वर्तमान सरकार की नियत को दर्शाता है . भारतीय चिंतन में ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ की भावना और भोजन से पूर्व जीव-जंतुओं के लिए भी अंश निकालने का प्रावधान है. ‘अतिथि देवो भव’ का सूत्र तो अब शासन ने भी अपना लिया है.

खुद कमाओ खुद खाओ यह प्रकृति है , दूसरा कमाए तुम छीन कर खाओ यह विकृति है और खुद कमाओ दूसरे को खिलाओ यह भारतीय संस्कृति है .परन्तु तथाकथित वैश्वीकरण अर्थात ग्लोब्लाईजेशन के इस दौर में अपने को अधिक आधुनिक कहलाने की होड़ के चक्कर में व्यक्ति जब अपनी  पहचान,  अपने राष्ट्रीय स्वाभिमान, अपने मूल्यों तथा  अपनी संस्कृति से समझौता करने को आतुर हो तो ऐसे विकट समय में अपने देश की ध्वजा-पताका थामे अगर कोई भारत में भारतीयता की बात करता हो तो उसे बदनाम करने के लए तरह - तरह के हथकंडे अपनाये जाते है .क्या स्वतंत्र भारत में भारतीयता की बात करना गुनाह है ?

आज भारत अनेक आतंरिक कलहों से जूझ रहा है .देश में कही नक्सलवाद , आतंकवाद अपने चरम पर है तो असम समेत अनेक राज्यो मे साम्प्रदायिक दंगे हो रहे है. बंग्लादेशी घुसपैठ सबको विदित ही है .कृषि - प्रधान कहलाने वाले देश में  कृषक आत्महत्या को मजबूर हो रहा है . राजनैतिक पार्टियाँ बस अपने स्वार्थ-पूर्ति में ही लगी रहती है कोई पार्टी जाति के नाम पर वोट मांगती है तो कोई किसी विशेष समुदाय को लाभ पहुचाने के लिए उन्हें कोटे के लोटे से अफीम चटाने का काम करती है . राजनेताओं पर राजनीति का ऐसा खुमार चढ़ा है कि वे अपनी सस्ती राजनीति चमकाने के चक्कर में देश की अखंडता के साथ खिलवाड़ करने से भी बाज नहीं आते . जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी दिल्ली में खुले आम देश की अखंडता को चुनौती देकर चले जाते है और किसी के कानो पर जूं तक नहीं रेंगती .  आज भ्रष्टाचार का हर तरफ बोलबाला है, परन्तु बावजूद इसके, सरकार को इस समस्या से ज्यादा चिंता इस बात की है, कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले के पीछे कही संघ तो नहीं है . क्या संघ के लोग इस देश के नागरिक नहीं है ? क्या संघ के लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठा सकते ? संघ अछूत  है क्या ? किसी प्रसिद्ध चिन्तक ने कहा है  कि जो कौमें अपने पूर्वजों को भुला देती है, वो ज्यादा दिन तक नहीं चलती है .
-राजीव गुप्ता                                              देश सर्वोपरि है//राजीव गुप्ता

Wednesday, January 30, 2013

बात मीडिया की दुनिया में तेज़ी से हुए विकास की

30-जनवरी-2013 13:01 IST
बदलती तकनीकों के साथ नियम भी बदलने चाहिए: श्री मनीष तिवारी
सूचना और प्रसारण मंत्री श्री मनीष तिवारी ने कहा कि मीडिया की दुनिया में तेज़ी से हुए विकास से कई बदलाव आए हैं जिसमें बदलती तकनीकों के साथ नियमों में भी उसी गति से परिवर्तन होना चाहिए। इन बदलती परिस्थितियों में समान गति बनाए रखने के लिए एक सक्षम कानूनी माहौल बनना चाहिए। मीडिया और मनोरंजन जगत के बदलते स्‍वरूप ने इसे, हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के तेज़ी से बढ़ते हुए क्षेत्रों में से एक बना दिया । यह उन नीतियों से संभव हो पाया है जिसमें कारोबार मॉडल के लिए निवेश, निरंतरता को प्रोत्‍साहन मिला है तथा उद्यमिता और नवाचार को बढ़ावा दिया गया। यह ज़रूरी था कि उद्योग विशेषकर प्रसारण क्षेत्र ने बदलती परिस्थितियों के साथ मेल बिठाया तथा उसे अपनाया। श्री तिवारी कल बीईएस एक्‍सपो 2013 में बोल रहे थे। 

श्री तिवारी ने कहा कि उद्योग के नए स्‍वरूप ने 'समावेशी विकास ' की धारणा को सुदृढ़ किया है। 'समावेशी विकास' विश्‍वास का एक रूप है- यह एक विकासात्‍मक मॉडल था जिसमें सामाजिक विकास कार्यक्रमों और नीतियों के प्रभावी कार्यान्‍वयन से प्रत्‍येक हितधारक और प्राप्‍तकर्ता की चिंताओं को सम्मिलित किया गया था। मीडिया को लोकतांत्रिक रूप देने के मुद्दे पर श्री तिवारी ने कहा कि देश और बड़ी संख्‍या में लोगों की सामाजिक प्रकृति पर इस प्रक्रिया के निहितार्थों को समझना ज़रूरी था। 

उन्‍होंने कहा कि बदलते परिस्थितियों में प्रसारण हमेशा संचार का एक शक्तिशाली माध्‍यम रहेगा। बीईएस एक्‍सपो 2013 जैसे सम्‍मेलन भविष्‍य की ज़रूरतों और प्रारूप को ध्‍यान में रखते हुए नीति निर्माण में बदलाव लाने तथा आत्‍म निरीक्षण करने का अवसर प्रदान करते हैं। 

इससे पहले सार्वजनिक सूचना अवसंरचना और नावाचार के लिए प्रधानमंत्री के सलाहकार श्री सैम पित्रोदा ने कहा कि प्रौद्योगिकी ने लोगों के जीवन में कई बडे़ बदलाव किए हैं। श्री पित्रोदा ने राष्‍ट्रीय ज्ञान नेटवर्क और सार्वजनिक ढ़ांचागत व्‍यवस्‍था को मज़बूत करने में सर‍कार द्वारा किए जा रहे प्रयासों की भी जानकारी दी। सूचना और प्रसारण सचिव श्री उदय कुमार वर्मा ने भी हाल ही में हुए नीतिगत प्रयासों से इस क्षेत्र में हुए बदलावों पर प्रकाश डाला। (PIB) 
 बात मीडिया की दुनिया में तेज़ी से हुए विकास की 
मीणा/प्रियंका/तारा- 360

Saturday, January 26, 2013

64वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर

25-जनवरी-2013 19:43 IST
भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी का राष्ट्र के नाम संदेश
भारत में पिछले छह दशकों के दौरान,छह सदियों से अधिक बदलाव
64वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर राष्‍ट्र के नाम संदेश का मूल पाठ इस प्रकार है:-
मेरे प्यारे देशवासियो :
चौंसठवें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं भारत में और विदेशों में बसे आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं। मैं अपनी सशस्त्र सेनाओं, अर्ध सैनिक बलों और आंतरिक सुरक्षा बलों को विशेष बधाई देता हूं।
भारत में पिछले छह दशकों के दौरान, पिछली छह सदियों से अधिक बदलाव आया है। यह न तो अचानक हुआ है और न ही दैवयोग से; इतिहास की गति में बदलाव तब आता है जब उसे स्वप्न का स्पर्श मिलता है। उपनिवेशवाद की राख से एक नए भारत के सृजन का महान सपना 1947 में ऐतिहासिक उत्कर्ष पर पहुंचा, और इससे अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह हुई कि स्वतंत्रता से राष्ट्र-निर्माण की नाटकीय कथा की शुरुआत हुई। इसकी आधारशिला, 26 जनवरी, 1950 को अंगीकृत हमारे संविधान के द्वारा रखी गई थी, जिसे हम प्रतिवर्ष गणतंत्र दिवस के रूप में मनाते हैं। इसका प्रेरक सिद्धांत था, राज्य और नागरिक के बीच एक सहमति अर्थात न्याय, स्वतंत्रता तथा समानता के द्वारा पोषित सशक्त सार्वजनिक-निजी भागीदारी।
भारत ने अंग्रेजों से स्वतंत्रता इसलिए नहीं ली थी कि वह भारतीयों को आजादी से वंचित रखे। संविधान दूसरी आजादी का प्रतीक था और यह आजादी थी लिंग, जाति, समुदाय की गैर-बराबरी की घुटन से और उन दूसरी प्रकार की बेड़ियों से, जो हमें बहुत समय से जकड़े हुए थी।

इसने ऐसे क्रांतिकारी उद्विकास को प्रेरणा दी जिसने भारतीय समाज को आधुनिकता के मार्ग पर आगे बढ़ाया : समाज में क्रमिक उद्विकास के द्वारा बदलाव आया, क्योंकि हिंसक क्रांति भारतीय परिपाटी नहीं है। जटिल सामाजिक ताने-बाने में बदलाव पर अभी कार्य जारी है, और इसको कानून में समय-समय पर आने वाले सुधारों और जनमत की शक्ति से प्रेरणा मिलती रही है।

पिछले छह दशकों में ऐसा बहुत कुछ हुआ है जिस पर हम गर्व कर सकते हैं। हमारी आर्थिक विकास दर तीन गुना से अधिक हो गई है। साक्षरता की दर में चार गुना से अधिक वृद्धि हुई है। खाद्यान्न में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के बाद अब हम खाद्यान्न के निर्यातक हैं। गरीबी की मात्रा में काफी कमी लाई गई है।  हमारी एक अन्य महत्त्वपूर्ण उपलब्धि लैंगिक समानता की दिशा में हमारा प्रयास है।

ऐसा किसी ने नहीं कहा कि यह कार्य आसान होगा। 1955 में अधिनियमित हिंदू संहिता विधेयक, जैसी पहली बड़ी कोशिश में जो समस्याएं आई थी, उनकी अलग कहानी है। यह महत्त्वपूर्ण कानून जवाहर लाल नेहरू तथा बाबा साहेब अंबेडकर जैसे नेताओं की अविचल प्रतिबद्धता से ही पारित हो पाया था। जवाहरलाल नेहरू ने बाद में इसे अपने जीवन की संभवत: सबसे बड़ी उपलब्धि बताया था। अब समय आ गया है कि हर-एक भारतीय महिला के लिए लैंगिक समानता सुनिश्चित की जाए। हम न तो इस राष्ट्रीय दायित्व से बच सकते हैं और न ही इसे छोड़ सकते हैं क्योंकि इसे नजरअंदाज करने की बहुत भारी कीमत चुकानी होगी। निहित स्वार्थ आसानी से हार नहीं मानते। इस राष्ट्रीय लक्ष्य को पूरा करने के लिए सिविल समाज तथा सरकार को मिल-जुलकर प्रयास करने होंगे।

प्यारे देशवासियो :
मैं आपको ऐसे समय पर संबोधित कर रहा हूं जब एक बहुत व्यापक त्रासदी ने हमारे प्रमाद को झकझोर डाला है। एक नव-युवती के नृशंस बलात्कार और हत्या ने, एक ऐसी महिला जो कि उदीयमान भारत की आकांक्षाओं का प्रतीक थी, हमारे हृदयों को रिक्तता से तथा हमारे मनों को क्षोभ से भर दिया है। हमने एक जान से कहीं अधिक कुछ खोया है; हमने एक सपना खो दिया है। यदि आज हमारे युवा क्षुब्ध हैं तो क्या हम अपने युवाओं को दोष दे सकते हैं?

देश का एक कानून है। परंतु उससे ऊंचा भी एक कानून है। महिला की पवित्रता भारतीय सभ्यता नामक समग्र दर्शन का नीति निर्देशक सिद्धांत है। वेद कहते हैं कि माता एक से अधिक हो सकती हैं; जन्मदात्री, गुरुपत्नी, राजा की पत्नी, पुजारी की पत्नी, हमें दूध पिलाने वाली और हमारी मातृभूमि। मां हमें बुराई और दमन से बचाती है, हमारे लिए जीवन और समृद्धि का प्रतीक है। जब हम किसी महिला के साथ पाशविकता करते हैं तो अपनी सभ्यता की आत्मा को लहुलुहान कर डालते हैं।

देश को अपनी नैतिक दिशा को फिर से निर्धारित करने का समय आ गया है। निराशावादिता को बढ़ावा देने के लिए कोई अवसर नहीं दिया जाना चाहिए क्योंकि निराशावाद नैतिकता को अनदेखा करता है। हमें अपनी अंतरात्मा में गहराई से झांकना होगा और यह पता लगाना होगा कि हमसे कहां चूक हुई है। समस्याओं का समाधान विचार-विमर्श तथा नजरियों में तालमेल से ढूंढ़ना होगा। लोगों को यह विश्वास होना चाहिए कि शासन भलाई का एक माध्यम है और इसके लिए हमें सुशासन सुनिश्चित करना होगा।

प्यारे देशवासियो :
हम दूसरे पीढ़ीगत बदलाव के मुहाने पर हैं; गांवों और कस्बों में फैले हुए युवा इस बदलाव के अग्रेता हैं। आने वाला समय उनका है। वे आज अस्तित्व संबंधी बहुत सी शंकाओं से ग्रस्त हैं। क्या तंत्र योग्यता को समुचित सम्मान देता है। क्या समर्थवान लालच में पड़कर अपना धर्म भूल चुके हैं। क्या सार्वजनिक जीवन में नैतिकता पर भ्रष्टाचार हावी हो गया है। क्या हमारी विधायिका उदीयमान भारत का प्रतिनिधित्व करती है या फिर इसमें आमूल-चूल सुधारों की जरूरत है। इन शंकाओं को दूर करना होगा। चुने हुए प्रतिनिधियों को जनता का विश्वास फिर से जीतना होगा। युवाओं की आशंका और उनकी बेचैनी को, तेजी से, गरिमापूर्ण तथा व्यवस्थित ढंग से बदलाव के कार्य पर लगाना होगा।

युवा खाली पेट सपना नहीं देख सकते। उनके पास अपनी और राष्ट्र की महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए रोजगार होना चाहिए। यह सच है कि हमने 1947 के बाद एक लम्बा रास्ता तय किया है, जब हमारे प्रथम बजट का राजस्व मात्र 171 करोड़ रुपये था। आज केन्द्र सरकार के संसाधन उस बूंद की तुलना में एक महासागर के समान हैं। परंतु हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कहीं आर्थिक विकास से प्राप्त लाभ पर, पिरामिड के शिखर पर बैठे भाग्यशाली लोगों का ही एकाधिकार न हो जाए। धन के सृजन का बुनियादी उद्देश्य हमारी बढ़ती जनसंख्या से भुखमरी, निर्धनता और अल्प आजीविका की बुराई को जड़ से खत्म करना होना चाहिए।

प्यारे देशवासियो :
पिछला वर्ष हम सभी के लिए परीक्षा का वर्ष रहा है। आर्थिक सुधारों के पथ पर अग्रसर होते हुए, हमें बाजार-आधारित अर्थव्यवस्थाओं की वर्तमान समस्याओं के प्रति जागरूक रहना होगा। बहुत से धनी राष्ट्र अब सामाजिक दायित्व रहित अधिकार की संस्कृति के जाल में फंस गए हैं; हमें इस जाल से बचना होगा। हमारी नीतियों के परिणाम हमारे गांवों, खेतों, फैक्ट्रियों तथा स्कूलों और अस्पतालों में दिखाई देने चाहिए।

आंकड़ों का उन लोगों के लिए कोई अर्थ नहीं होता जिन्हें उनसे लाभ नहीं पहुंचता। हमें तत्काल काम में लगना होगा अन्यथा, वर्तमान में जिन अशांत इलाकों का प्राय: ‘नक्सलवादी’ हिंसा के रूप में उल्लेख किया जाता है उनमें और अधिक खतरनाक ढंग से विस्तार हो सकता है।

प्यारे देशवासियो :
अभी पिछले दिनों, नियंत्रण रेखा पर हमारे सैनिकों पर गंभीर नृशंसता के मामले सामने आए हैं। पड़ोसियों में मतभेद हो सकते हैं; सीमाओं पर तनाव एक सामान्य स्थिति हो सकती है। परंतु राज्य से इतर तत्त्वों के माध्यम से प्रायोजित आतंकवाद समूचे राष्ट्र के लिए भारी चिंता का विषय है। सीमा पर शांति में हमारा विश्वास है और हम सदैव दोस्ती की उम्मीद में हाथ बढ़ाने के लिए तैयार हैं। परंतु इस हाथ को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।
प्यारे देशवासियो :
भारत की सबसे अजेय सम्पत्ति है उसका खुद में विश्वास। हमारे लिए प्रत्येक चुनौती, अभूतपूर्व आर्थिक विकास और सामाजिक स्थिरता हासिल करने के हमारे सकंल्प को मजबूत बनाने का अवसर बन जाती है। इस संकल्प को, खासकर बेहतर और व्यापक शिक्षा पर भारी निवेश के द्वारा, मजबूत बनाना होगा। शिक्षा ऐसी सीढ़ी है, जो सबसे निचले पायदान पर मौजूद व्यक्तियों को व्यावसायिक और सामाजिक प्रतिष्ठा के शिखर पर पहुँचा सकती है। शिक्षा ऐसा मंत्र है जो हमारे आर्थिक भाग्य को बदल सकता है और ऐसी दरारों को पाट सकता है जो समाज में असमानता पैदा करती हैं। अभी तक शिक्षा की यह सीढ़ी, अपेक्षित स्तर तक, उन लोगों तक नहीं पहुंची है जिनको इसकी सबसे अधिक जरूरत है। भारत द्वारा वर्तमान वंचितों को, आर्थिक विकास के बहुत से उपादानों में बदल कर अपनी विकास दर को दोगुना किया जा सकता है।

हमारे चौंसठवें गणतंत्र दिवस के अवसर पर यद्यपि चिंता का कोई कारण हो सकता है परंतु हताशा का कोई नहीं। यदि भारत में छह दशकों में पिछली छह सदियों के मुकाबले अधिक बदलाव आया है तो मैं आपसे वायदा करता हूं कि इसमें अगले दस वर्षों में, पिछले साठ वर्षों से ज्यादा बदलाव आएगा। भारत की शाश्वत जिजीविषा जागृत है।

अंग्रेजों को भी यह लगा था कि वे एक ऐसा देश छोड़कर जा रहे हैं जो उससे बहुत अलग है जिस पर उन्होंने आधिपत्य किया था। राष्‍ट्रपति भवन स्थित जयपुर स्तंभ की आधारशिला पर एक शिलालेख है :-

‘‘विचारों में आस्था... शब्दों में प्रज्ञा...
 कर्म में पराक्रम...
 जीवन में सेवा...
 अत: भारत महान बने’’
भारत की भावना प्रस्तर में उत्कीर्ण है।

जय हिंद!

                             ****       64वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर
मीणा/वि. कासोटिया/कविता/सुनील-327

Thursday, January 24, 2013

लगभग 7.56 मिलियन लोगों को रोजगार

24-जनवरी-2013 13:08 IST
विशेष लेख:राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि करता रेशम उद्योग
वस्त्र
रेशम भारतीयों की जिंदगी और संस्कृति में घुला-मिला है। रेशम उत्पादन में भारत का समृद्ध और व्यापक इतिहास रहा है और रेशम के व्यापार का इतिहास 15वीं सदी से चला आ रहा है। रेशम के व्यापार के लिए प्रचलित सभी पांचों प्रकार के रेशम- मल्बेरी, उष्णकटिबंधीय तसार, शाहबलूत तसार, इरी और मुगा भारत की विशिष्टता है। इनमें से सुनहरा मुगा भारत की अनूठी विशिष्टता है। भारत के परंपरागत और सांस्कृतिक घरेलू बाजार और रेशम वस्त्रों की उत्कृष्ट विविधता की वजह से भारत रेशम उद्योग में अग्रणी स्थान रखता है।
  पिछले छह दशकों में भारतीय रेशम उद्योग ने प्रभावी वृद्धि दर्ज की है। केन्द्रीय और राज्य की एजेंसियों द्वारा कार्यान्वित योजनाओं और हजारों समर्पित लोगों के अथक प्रयास इस संदर्भ में काफी मददगार रहे हैं।  उदाहरण के लिए मल्टीवोल्टीन संकर की प्राचीन परंपरा का स्थान मल्टीवोल्टीन एक्सबाइवोल्टीन और बाइवोल्टीन संकर रेशम ने ले लिया है। रेशम उद्योग ने कच्चे रेशम के उत्पादन में तीव्र विकास किया है।
राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में रेशम उद्योग
  रेशम उद्योग भारत के ग्रामीण और कस्बों के क्षेत्रों में लगभग 7.56 मिलियन लोगों को रोजगार प्रदान करता है। इनमें से अधिकतर कामगर समाज के आर्थिक रुप से पिछड़े वर्ग से संबंध रखते हैं जिसमें महिलाएं भी शामिल हैं। इसके ज़रिए मुख्य तौर पर लाभ से वंचित समूह यानि महिलाओं, अजा, अजजा और अल्पसंख्यकों और अन्य सीमांत समूहों को रोजगार और आय कमाने का मौका मिलता है। इसके अलावा रेशम उद्योग से संबंधित 60 प्रतिशत गतिविधियां ग्रामीण  महिलाओँ द्वारा सुचारू की जाती हैं। लगभग 7.56 मिलियन लोग रेशम उद्योग और इसकी विभिन्न गतिविधियों में संलग्न हैं।
भारतीय रेशम
  विश्व में रेशम उत्पादन के 14.57 प्रतिशत भाग के साथ भारत दुनिया में चीन के बाद दूसरा सबसे बडा रेशम उत्पपपपादक है। वर्ष 2011-12 के दौरान भारत ने लगभग 23230 एम. टन का उत्पादन किया है जिसमें 18395 एम. टन मल्बेरी रेशम और 4835 एम. टन वान्या रेशम शेमिल है। कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और जम्मू-कश्मीर में मल्बेरी रेशम का मुख्य तौर पर उत्पादन किया जाता है। भारत दुनिया में कच्चे रेशम का सबसे बडा उपभोक्ता है। कच्चे रेशम का उपभोग (लगभग 28,733 एमटी) इसके उत्पादन से धिक होता है इसलिए अतिरिक्त मांग जो कि लगभग 5,700 एमटी रेशम की है, की पूर्ति मुख्य तौर पर चीन से आयात द्वारा की जाती है।
  इरी, तसार और मुगा रेशम की अन्य प्रजातियां हैं जिनका उत्पादन भारत में किया जाता है। इन्हें समग्र तौर पर वान्या रेशम (अथवा जंगली रेशम) कहा जाता है क्योंकि ये मुख्य तौर पर वन के उत्पाद होते हैं। तसार रेशम प्रमुख रुप से झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, मध्यप्रदेश और ओडिशा में उत्पादित किया जाता है इसके अलावा महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के कुछ भागों में छोटे स्तर पर इसका उत्पादन होता है। उप हिमालयी राज्यों जैसे मणिपुर, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, असम और मेघालय में शाहबलूत तसार का उत्पादन किया जाता है। इरी रेशम गैर-मल्बेरी रेशम उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ है और मुख्य तौर पर पूर्वोत्तर राज्यों के पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है इसके अलावा बिहार, पं. बंगाल और ओडिशा राज्यों में भी यह पाया जाता है। सुनहले रेशम के नाम से जाने जाना वाला मुगा रेशम विशिष्ट तौर पर असम में पाया जाता है और ब्रह्मपुत्र घाटी में यह फैला हुआ है।
निर्यात
  2010-11 के दौरान निर्यात आय में 2009-10 के मुकाबले मामूली रुप से एक प्रतिशत की कमी हुई। हालांकि 2011-12 के दौरान अनंतिम निर्यात आय ने 2010-11 के मुकाबले 20.21 प्रतिशत की कमी दर्शाई। वैश्विक मंदी, आर्थिक संकट और डॉलर के मुकाबले बारतीय रुपए में गिरावट के कारण तथा उच्च उत्पादन लाग और चीन से कडी प्रतिस्पर्धा की वजह से पिछले तीन वर्षों के दौरान निर्यात आय प्रभावित हुआ है।
अनुसंधान औऱ विकास
  केन्द्रीय रेशम बोर्ड का देश भर में क्षेत्रीय रेशम उत्पादन अनुसंधान स्टेशनों और अनुसंधान केन्द्रों के साथ नेटवर्क है जिससे इस उद्योग को समर्थन के लिए आवश्यक अनुसंधान और विकास मुहैया किया जा सके। उत्पादन को बढ़ाने के लिए केन्द्रीय रेशम बोर्ड के अनुसंधान और विकास संस्थानों द्वारा विकसित तकनीकों को किसानों के बीच लोकप्रिय बनाया जा रहा है। कच्चे रेशम का उत्पादन 87.84 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (2007-08) से 90.90 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (2011-12) हो गया है।
बीज सहयोग
  गुणवत्ता पूर्ण रेशम कीट बीज के उत्पादन के अलावा मूल बीज सामग्री की आपूर्ति करना सीएसबी का उत्तरदायित्व है। इस कार्यक्रम के तहत किसानों को तकनीकी और कार्य स्तर पर प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराया जाता है। राज्यों को मूल बीज आपूर्ति करने वाले मूल बीज फार्मों की श्रृंखला सीएसबी के पास है। इसका व्यवसायिक बीज उत्पादन केन्द्र किसानों को व्यापारिक रेशम कीट बीज की आपूर्ति करने में राज्यों के प्रयासों को आगे बढ़ाता है।
केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा कार्यान्वित रेशम उत्पादन विकास कार्यक्रम
  केन्द्रीय रेशम बोर्ड वर्तमान में उत्प्रेरक विकास कार्यक्रमों को लागू कर रहा है जिसके तहत रेशम उत्पदान के विकास के लिए बहुत सी केन्द्र प्रायोजित योजनाओं को राज्य सरकार के सहयोग से चलाया जा रहा है। उत्प्रेरक विकास कार्यक्रम के तहत सरकार ने ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना अवधि के दौरान 821.74 करोड़ रुपए का व्यय किया है। इस कार्यक्रम के तहत कृषि अवसंरचना का विकास, गुणवत्ता आधारित कीटों और धागों की खरीद आदि शामिल है।
  मुख्य तौर पर तीन क्षेत्रों बीज, कीट तथा इसके बाद के क्षेत्रों के लिए सीडीपी वर्तमान में विभिन्न पैकेजों को कार्यान्वति कर रही है ताकि किसानों, कीट पालकों और बुनकरों सभछी को ग्यारहवीं योजना के लक्ष्य और उद्देश्य का लाभ प्राप्त हो सके।
संकुल विकास कार्यक्रम
  केन्द्रीय रेशम बोर्ड ने राज्यों के समन्वय के साथ 45 पूर्व-कीट और 5 बाद के मॉडल रेशम उत्पादक संकुलों का सह-आयोजन किया है। इसका उद्देश्य संकुल आधार पर रेशम उत्पादन को बढ़ावा देना है। इसका प्रमुख लक्ष्य एक सिलसिलेवार रुप में नवीनतम प्रैद्योगिकी का हस्तांतरण है।
  ग्यारहवीं योजना अवधि (मार्च-2012 तक) के दौरान सीएसबी ने उत्प्रेरक विकास कार्यक्रमों के तहत 16 राज्यों के लिए 52.11 करोड़रुपएकी राशि जारी की। इस कार्यक्रम के क्रियान्वयन से नई तकनीकों को अपनाने में तेजी के साथ ही किसानों के ज्ञान, फसल स्थितरता, उत्पादन और उत्पादकता तथा किसानों के आय स्तर में भी तेजी आई।
रेशम का निशान (सिल्क मार्क)
रेशम मूल्य-श्रृंखला के उपभोक्ताओं और हितधारकों के हितों की रक्षा के लिए वस्त्र मंत्रालय ने जून-2004 में "सिल्क मार्क" की एक विशिष्ट पहल की। सिल्क मार्क का लेबल इस बात की पुष्टि करता है कि जिस उत्पाद पर यह निशान लगा है वह असली रेशम का बना है जिसे वस्त्र मंत्रालयत के केन्द्रीय रेशम बोर्ड द्वारा संवर्धित सिल्क मार्क ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया द्वारा प्रस्तुत किया गया है। यह रेशम के मूल, मध्यवर्ती अथवा पूरे हो चुके उत्पादों पर लगाया जा सकता है जिसमें धागे, साडी , कपड़े, कालीन आदि शामिल है।
  इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं और इसके विशेषज्ञों के हितों की रक्षा करना है। जून-2004 में इसकी शुरुआत के बाद से 2150 से भी अधिक सदस्य इस संगठन में शामिल हुए हैं जिसमें से 1800 से अधिक अधिकृत उपयोगकर्ता हैं। लगभग 1.60 करोड़ रेशम निशान वाले उत्पाद उपभोक्तोँ के लाभ के लिए बाजार में पहुंच चुके हैं। उपभोक्ताओं के बीच अपनी पहचान बनाने के सात ही यह रेशम उद्योग में भी अपना भरोसा जगा रहा है। "सिल्क मार्क" को प्रोत्साहन देने के लिए लगातार चलाई जा रही गतिविधियों की वजह से  भारतीय रेशम उपभोक्ता अच्छी चीज के लिए और अधिक खोज करने लगे हैं जिससे असली रेशम उत्पादों की मांग आऩे वाले दिनों में बढ़ने वाली है। इसके अलावा सिल्क मार्क ऑर्गेनाइजेशन द्वारा देश भर में उपभोक्ताओं और व्यापारियों के लिए जागरुकता कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है।          (पसूका फीचर)
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* वस्त्र मंत्रालय के केन्द्रीय रेशम बोर्ड से प्राप्त जानकारी के आधार पर
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मीणा/विजयलक्ष्मी-24


खत्‍म होते कश्‍मीरी रेशम उद्योग का पुनर्रूद्धार

पोल भाषा में रामायण का अनुवाद प्रकाशित

रामायण और महाभारत की तुलना किसी भी रचना से नहीं 
                                       © Photo: SXC.hu

भारत के प्रेम का संदेश निरंतर  फ़ैल रहा है। एक तरफ रूस के  स्तास नामिन भारत पर मोहित हैं तो दूसरी तरफ पोलैण्ड  के यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की भी भारत को बहुत प्यार करते हैं। इतना प्यार करते हैं कि बड़ी आसानी से हम कह सकते हैं कि वे भारत के पीछे पाग़ल हैं। रेडियो रूस के मुताबिक पोलैण्ड के प्रसिद्ध भारतविद् यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की की कोशिशों से अब 'रामायण' का अनुवाद पोल भाषा में भी उपलब्ध है। हालाँकि रामायण के कुछ अंशों का अनुवाद 1816 में ही पोल भाषा में हो गया था और बीसवीं शताब्दी तक लगातार रामायण का अनुवाद करने के अनेक प्रयत्न किए जाते रहे।
यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने दर्जनों किताबों में प्रकाशित उन सभी अनुवादों को इकट्ठा करके उन्हें एक निश्चित क्रम दे दिया ताकि पोलैण्ड के आम पाठक पूरी रामायण पढ़ सकें। यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने बताया --मैं इस महाकाव्य को ऐसा रूप देना चाहता था कि आम पाठक भी उसे सहजता से समझ सके। ख़ासकर बच्चे भी उसे आसानी से पढ़ सकें और महान भारतीय मिथक परम्परा को जान सकें।

यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की भारत को इतना प्यार करते हैं कि बड़ी आसानी से हम कह सकते हैं कि वे भारत के पीछे पाग़ल हैं। 15 साल पहले जब उन्होंने दर्शनशास्त्र में एम०ए० किया था तो उनका यह पाग़लपन शुरू हुआ था।

इण्डो-एशियन न्यूज सर्विस से बात करते हुए यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने कहा -- रामायण और महाभारत -- ये दो ऐसे अनूठे महाकाव्य हैं, जिनकी तुलना दुनिया की किसी भी रचना से नहीं की जा सकती है। यहाँ तक कि प्रसिद्ध यूनानी महाकाव्य भी इनके सामने फीके पड़ जाते हैं।

पोलैण्ड में भारत की राजदूत मोनिका मेहता ने कहा -- यानुस क्रीज़ीज़ोव्स्की ने पोलैण्डवासियों के मन में भारत के प्रति प्यार और दिलचस्पी जगाने के लिए बहुत कुछ किया है। इसलिए उनसे मिलकर उनके प्रति मन में आदर पैदा होता है। हमें गर्व है कि हमारे साथ पोलैण्ड में इतना बेशक़ीमती रत्न सहयोग कर रहा है।
(रेडियो रूस से साभार)

ग्रीन हाट-2013 ‘’जीवन से प्रकृति का संबंध’’

23-जनवरी-2013 18:28 IST
जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना जरूरी 
कहा पर्यावरण और वन मंत्री श्रीमती जयंती नटराजन
पर्यावरण और वन मंत्री श्रीमती जयंती नटराजन ने कहा है कि देश की जैव-‍विविधता और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना बहुत जरूरी है। आज यहां ‘’ग्रीन हाट’’ पर विभिन्‍न स्‍टालों का दौरा करने के बाद उन्‍होंने कहा कि यह हमारा कर्तव्‍य है और अत्‍यंत आवश्यक है कि देश की जैव विविधता की रक्षा की जाए और उसे बढ़ावा दिया जाए। श्रीमती जयंती नटराजन ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा करना बहुत जरूरी है और ग्रीन हाट आयोजित करना इसका एक तरीका हो सकता है। उन्‍होंने कहा कि इस तरह के हाट हमारी जैव विविधता को आकर्षित करने का प्रयास है। उन्‍होंने इस कार्यक्रम से जुड़े ग्रामीण कलाकारों, सामुदायिक स्‍व– सहायता समूहों और एनजीओ को आश्‍वासन दिया कि उनका मंत्रालय इस तरह की पहल को प्रोत्‍साहित करना जारी रखेगा। 

श्रीमती नटराजन ने हाट में विभिन्‍न स्टालों का दौरा किया और कार्यक्रम से जुड़े लोगों के साथ बातचीत की। ग्रीन हाट एक पखवाड़े तक चलने वाला कार्यक्रम है। पर्यावरण और वन मंत्रालय की पहल पर यह कार्यक्रम शहरों की ऐसी आबादी के बीच जैव विविध धरोहर के बारे जागरूकता पैदा करने के उद्देश्‍य से शुरू किया गया है जो देश के घने जंगलों से दूर रहती है। 

इस वर्ष ग्रीन हाट में अनेक हर्बल उत्‍पाद, बांस से बने सामान, धान की सौ से अधिक स्‍थानीय किस्‍मों और खाने के अनेक व्‍यंजनों को शामिल किया गया है। ग्रीन हाट की जैव विविध उत्‍पादों के लिए बाजार सम्‍पर्क प्रदान करने में महत्‍वपूर्ण भूमिका है। यह सुदूरवर्ती इलाकों में समुदायों के जीवीकोपार्जन का जरिया है। 

दिल्‍ली हाट में 16-31 जनवरी तक चलने वाले ग्रीन हाट में दस राज्‍य और 55 संगठन भाग ले रहे हैं। (PIB)                              
ग्रीन हाट-2013 ‘’जीवन से प्रकृति का संबंध’’       
वि कासोटिया/कविता/निर्मल-295

Monday, January 21, 2013

स्तास नामिन और "दस अवतार"


भारतीय संस्कृति और कला से मोहित हैं-स्तास नामिन
                                                           कोलाज व्यास आफ रशिया 
कई दशक पूर्व जाने माने भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी शख्सीयत राज कपूर साहिब की एक फिल्म का एक गीत बहुत लोक प्रिय हुआ था 
मेरा जूता है जापानी 
ये पतलून इंगलिस्तानी 
सर पे लाल टोपी रूसी 
फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी 
फिल्म श्री420 के इस गीत को लिखा था शैलेन्द्र ने और संगीत दिया था शंकर-जयकिशन ने।  गीत संगीत की दुनिया में एक यादगारी छाप छोड़ने वाले जनाब मुकेश साहिब की आवाज़ में जब गीत  दुनिया के सामने आया तो सबके दिल में उतर गया।  आज भी लोग इसे  गुनगुनाते अक्सर सुने जा सकते हैं। इस गीत की  भावना को इतनी मुद्दत के बाद याद दिलाया है रेडियो रूस ने अपनी एक खबर में। खबर है स्तास नामिन और "दस अवतार" की।  रेडियो रूस के मुताबिक स्तास नामिन-एक प्रसिद्ध रूसी रॉक संगीतकार, कलाकार, फोटोग्राफर और थिएटर तथा फिल्म निर्देशक हैं। उन्होंने भारतीय विषय पर एक नाटक तैयार करने का संकल्प किया है। स्तास नामिन का कहना है कि वह भारतीय संस्कृति और कला से मोहित हैं। स्तास नामिन ने कहा-

आप यह सुकर हैरान होंगे कि मुझे भारत से प्यार विगत शताब्दी के आठवें दशक में तब हुआ जब मैंने "बीटल्स" का संगीत सुना। बाद में मैं प्रामाणिक भारतीय कला के संपर्क में आया। तब हमारे देश में भारत से कई संगीत कलाकार आए थे। भारत के परंपरागत वाद्ययंत्रों की सुंदरता और विशिष्टता ने मेरा मन मोह लिया। मैं उन भारतीय संगीत कलाकारों से मिला और भारतीय वाद्ययंत्रों के बारे में जानकारी हासिल की। सितार का तो में दीवाना हो गया और मैंने संकल्प किया कि भारत जाकर सितार वादन की शिक्षा पाऊँगा।

भारत जाने से पहले स्तास नामिन और उसकी संगीत मंडली ने लगभग आधी दुनिया की यात्राएँ कीं और अपने कई दिलचस्प कार्यक्रम प्रस्तुत किए। उन्होंने अस्सी के दशक में मास्को में आयोजित नशीले पदार्थों के विरुद्ध एक बड़े अंतर्राष्ट्रीय रॉक संगीत त्योहार में भाग लिया था। उसके बाद उन्होंने विभिन्न देशों के संगीतकारों के साथ मिलकर ब्रिटेन के कई नगरों में अपने संगीत कार्यक्रम प्रस्तुत किए। वह कुछ समय के लिए अमरीका में भी रहे। वहाँ वह संगीत संस्कृति का ज्ञान हासिल करने के प्रयास करते रहे। वहाँ ही उन्होंने सितार ख़रीदा और भारतीय संगीतकारों से सितार वादन सीखना शुरू किया। उसके बाद उन्होंने सितार के साथ अपने संगीत कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू किया और इस साल उन्होंने भारत का दर्शन भी किया। वहाँ उन्होंने भारत के बारे में कुछ दस्तावेज़ी फिल्में बनाईं। उनमें से एक फिल्म वाराणसी और वहाँ आनेवाले तीर्थयात्रियों के बारे में है। स्तास नामिन की यह फिल्म हाल ही में मास्को स्थित भारत के सांस्कृतिक केंद्र में दिखाई गई जो दर्शकों को बहुत पसंद आई। इस फ़िलाम के लिए संगीत भी स्तास नामिन ने स्वयं ही रचा है।

मास्को में स्तास नामिन का अपना एक थीएटर भी है। इस थीएटर में रूसी चैम्बर संगीत, रॉक ओपेरा और संगीत नाटक प्रस्तुत किए जाते हैं। ऐसा लगता है कि यह रूसी फिल्म निर्माता और संगीतकार अपने थिएटर को एक नया रंग देना चाहते हैं। स्तास नामिन ने बताया कि अपने थीएटर में एक भारतीय महाकाव्य पर आधारित संगीत नाटक प्रस्तुत करने की उनकी योजना है। उन्होंने कहा-

हमारे नए संगीत नाटक का नाम होगा- "दस अवतार"। यह भगवान विष्णु के विभिन्न अवतार धारण करने की कहानी होगी जिसका वर्णन प्राचीन पुराणों में किया गया है। यह एक संगीत और नृत्य प्रस्तुति होगी। इसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य होगा। हम रूसी दर्शकों को भारतीय महाकाव्य की विलक्षण झलकियाँ दिखानी चाहते हैं ताकि दर्शक अद्वितीय भारतीय कला और संस्कृति की मूल परंपराओं को अच्छी तरह से समझ सकें।

स्तास नामिन के संगीत नाटक "दस अवतार" में भाग लेने के लिए भारतीय संगीत कलाकारों को आमंत्रित किया गया है और इसमें भारतीय शास्त्रीय नृत्य रूसी कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा। उम्मीद है कि यह संगीत नाटक अगले वर्ष के पूर्वार्ध में प्रस्तुत किया जाएगा।(
रेडियो रूस से साभार)
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Saturday, January 19, 2013

स्वामी विवेकानंद जी की 150वीं वर्षगांठ के समारोह

18-जनवरी-2013 14:52 IST
राष्ट्रपति ने किया रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का उद्घाटन
भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज 18 जनवरी 2013 को कोलकाता में स्वामी विवेकानंद के जन्मस्थल पर स्वामीजी की 150वीं वर्षगांठ के समारोह के तहत रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन का उद्घाटन किया। 

इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि स्वामी विवेकानंद के संदेश और उनकी सीख उस समय, आज और जब तक मानव सभ्यता है, तब तक हर दौर में प्रासंगिक है। उन्होंने स्वामीजी को बंगाल का महान सपूत और महान दूरदर्शी बताया। उन्होंने कहा कि सुप्रसिद्ध इतिहासकार अल बशम ने विवेकानंद को एक ऐसी हस्ती के रुप में वर्णित किया था जो सदियों में एक बार पैदा होती हैं।

उन्होंने कहा कि यह बहुत विस्मयकारी है कि अपने छोटे से समय में उन्होंने ऐसे समाज को बदल दिया जो स्वंय में भरोसा खो चुका था। उन्होंने अपने दर्शन से सभी को झकझोर कर रख दिया और एक विचलित राष्ट्र के भरोसे को वापस लौटाया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में जब हमारे लोगों का आत्मबल काफी कमजोर था और बहुत से भारतीय आदर्शों के लिए पश्चिम की ओर देखते थे ऐसे में स्वामी विवेकानंद ने उनके भीतर स्वंय पर भरोसा और गर्व के भाव को जगाया।

राष्ट्रपति ने भारत के प्रथम प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री जवाहरलाल नेहरु को उद्धरित करते हुए कहा – "भारत के इतिहास में जड और भारतीय गौरव पर पूरे गर्व को समाहित करते हुए जीवन की समस्याओं के प्रति विवेकानंद का दृष्टिकोण आधुनिक था, एक तरह से यह भारत के इतिहास और वर्तमान के बीच सेतु के रुप में था। " (PIB) 
 स्वामी विवेकानंद जी की 150वीं वर्षगांठ के समारोह
मीणा /विजयलक्ष्मी/ - 246

Friday, January 18, 2013

सहयोग करें सफलता आपके कदम चूमेंगी-भावना त्यागी

भारत को ब्रह्माण्ड़ गुरु की गरिमा वापस दिलाने का प्रयास 
दामिनी की जान हम नहीं बचा पाए उसके बाद इस तरह की घटनायों की मुक्कमल रोकथाम भी नहीं कर पाए लेकिन इस के बावजूद महिला सम्मान को लेकर एक आन्दोलन अवश्य खड़ा हुआ जो लगातार मजबूत हो रहा है। जहाँ एक और महिलायों और उनकी पौशाक को लेकर बहुत ज़िम्मेदार समझे जाने वाले लोग तरह तरह की बातें कर रहे हैं वहीँ इस नाज़ुक समय में महिलायों के समान को लेकर एक विशेष आयोजन भी हो रहा है। महिला रत्नों के सम्मान में आप अपने क्षेत्र की महिलायों के नामांकन भी भेज सकते हैं साथ ही आलेख, सुझाव, सहयोग और विज्ञापन भी। इस विशेष आयोजन में कर्मठसत्यानिष्ठ,  कर्तव्यनिष्ठ,  संघर्षशीलप्रतिभाशालीसमाजसेवीराष्ट्रहित  में कार्य करने वाली सभी कार्यक्षेत्रों की महिलाओ का सम्मान किया जायेगा। आयोजकों का कहना है कि विश्व सभ्यता की रक्षासुरक्षा एवं वसुधैव कुटुम्बकम् की संस्कृति के विकास व विस्तार हेतु संकल्प के साथ इस हाभियान मे सहयोग करों सफलता आपके कदम चूमेंगी। आपका छोटा सा प्रयास भारत को विश्वगुरु ही नही वरन्
ब्रह्माण्ड़ गुरु की प्राचीन गरिमा वापस दिलाएगा। सम्पर्क   : भावना त्यागी भारतीय (011 22528272, 9013666652) और भू त्यागी भारतीय (विश्व चिंतक) (09999466822, 9013666651) आप अपने सुझाव यहाँ भी भेज सकते हैं जिन्हें आयोजकों तक पहुंचा दिया जायेगा।-- रेक्टर कथूरिया 
*महिला रत्नों का सम्मान                                         *सभी कार्यक्षेत्रों की महिलाओ का सम्मान


*महाभियान मे सहयोग करों--भावना त्यागी भारतीय



नामांकन आमन्त्रण महिला और मीडिया 2013 FFF.pdf
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Monday, January 14, 2013

माउस से एक ही “क्लिक” करने से पूरी सभ्यता का विनाश?

साइबर युद्ध का ख़तरा-अमरीका के लिए सबसे बड़ा ख़तरा चीन से
वर्ष 2013 में दुनिया भर में साइबर हमलों की संख्या में बड़ी तेज़गति से वृद्धि होगी। कुछ ख़ास ठिकानों पर ऐसे हमले किए जाएंगे और सरकारी एजेंसियों पर विशाल पैमाने के हमले भी होंगे। यह निष्कर्ष एंटीवायरस निगम "कैसपेर्स्की लैब" के विशेषज्ञों ने निकाला है। अमरीकी खुफिया सेवाओं ने भविष्यवाणी की है कि आनेवाले 20 वर्षों में वैश्विक साइबर युद्ध शुरू हो जाएगा।

"कैसपेर्स्की लैब" के विश्लेषकों के मुताबिक, अगले साल कई सरकारी संस्थानों और व्यापार के विभिन्न क्षेत्रों की निजी कंपनियों की गोपनीय जानकारी की चोरी बड़े पैमाने पर होने लगेगी। सामाजिक सेवाओं और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचों पर साइबर हमले अक्सर होने की सम्भावना है।

गूगल और फेसबुक जैसी बड़ी बड़ी नेटवर्क कंपनियों के पास भारी मात्रा में ऑनलाइन जानकारी हासल करने की क्षमता होगी। इसके अलावा, संचार प्रौद्योगिकी के विकास की तेज़गति की बदौलत देशों की सरकारों का अपने नागरिकों पर असीम नियंत्रण हो जाएगा। लेकिन इन देशों के नागरिकों के पास भी अपनी सरकारों को चुनौतियाँ देने के कई अवसर मौजूद होंगे।

वर्तमान में, सूचना प्रौद्योगिकी हमारे समाज के सूचना क्षेत्र के विकास के संदर्भ में एक बड़ा ख़तरा बनती जा रही है। इस संबंध में रूस के सूचना सुरक्षा संघ के अध्यक्ष गेन्नादी येमेलियानोव ने रेडियो रूस को बताया –

ऐसा ख़तरा इसलिए बढ़ता जाएगा क्योंकि इस ख़तरे का एक टाइमबम फिट कर दिया जा चुका है। यदि हम समय पर पर्याप्त सुरक्षा उपाये नहीं करेंगे तो यह बम ज़रूर फटेगा और बड़े विनाश का कारण बनेगा। जब हम सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग के इतने ज्यादा आदी हो जाएंगे कि इसके बिना जीवन ही असंभव हो जाएगा तब पूरी दुनिया के लिए बहुत-सी मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। ज़रा सोचिए, इस सूचना प्रौद्योगिकी ने अचानक ही काम करना बंद कर दिया है। अब आप क्या करेंगे? पूरा जीवन ठप्प। आप ज़रा कल्पना कीजिए कि सभी स्थानों पर बिजली गुल हो गई है। सारा काम ठप्प। वित्तीय और आर्थिक कारणों से भी ऐसा ख़तरा पैदा हो सकता है। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी को अच्छी तरह से समझने वाले एक बहुत अच्छे दिमाग़ की ही ज़रूरत होगी।

अमरीकी खुफिया सेवाओं ने अपने देश की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद को एक रिपोर्ट भेजी है जिसमें अमरीका के लिए मौजूदा साइबर हमलों के ख़तरों की समीक्षा की गई है। इसमें कहा गया है कि इस क्षेत्र में अमरीका के लिए सबसे बड़ा ख़तरा चीन से ही पैदा होगा। लॉस एंजिल्स टाइम्स में छपी इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि रूस, फ्रांस, इज़राइल और दुनिया के कुछ अन्य देश भी साइबर जासूसी करते हैं लेकिन वे उतना विश्वासघात नहीं करेंगे जितना कि चीन कर सकता है। कम से कम रूस ऐसा नहीं कर रहा है। वह अपने व्यापारियों के लाभ के लिए अमरीकी कंपनियों की जानकारियां चुराने की कोशिशें नहीं कर रहा है।

इस बीच, दिसंबर माह की शुरूआत में साइबर रक्षा पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय मंच साइबर सुरक्षा एशिया- 2012 के भागीदार इस बात पर सहमत हुए थे कि सूचना प्रौद्योगिकी की दुनिया की मुख्य समस्या यह है कि दुनिया की सरकारें अभी तक यह तय नहीं कर पाई हैः साइबर-आतंकवाद क्या चीज़ है? कुछ देशों की सरकारें साइबर युद्ध के लिए सबसे प्रभावकारी मालवेयर का विकास कर रही हैं। लेकिन कोई भी सरकार यह गारंटी नहीं दे सकती हैं कि ये मालवेयर और वायरस आतंकवादियों के लिए भी उपलब्ध नहीं हो सकेंगे। यदि ऐसा हुआ तो आतंकवादी गिरोह इन मालवेयरों और वायरसों का खूब इस्तेमाल करेंगे। इसलिए कहा जा सकता है कि आज भी दुनिया के कई देशों के लिए अपने ही साइबर संजाल में फंसने का बड़ा भारी ख़तरा बना हुआ है। माउस से एक ही “क्लिक” करने से पूरी सभ्यता का विनाश हो सकता है। (
रेडियो रूस से साभार)
13.12.2012, 16:32         
साइबर युद्ध का ख़तरा

Saturday, January 12, 2013

आज के दौर मे विवेकानन्द की प्रासंगिकता//राजीव गुप्ता

Fri, Jan 11, 2013 at 11:03 PM
खेलकूद और संगीत गायन मे भी प्रखर एवम सिद्धहस्त थे नरेन्द्र
तस्वीर ओशो टीचिंग से साभार 
11 सितम्बर, 1893 ई. को शिकागो के विश्व धर्म सम्मेलन मे भारत का परचम लहराने वाले स्वामी विवेकानन्द का जन्म 12 जनवरी, 1863 ई. मे कलकत्ते (कोलकाता) के शिमलापल्ली नामक मोहल्ले के निवासी श्री विश्वनाथ दत्त और भुवनेश्वरी देवी के घर हुआ. बचपन का इनका नाम नरेन्द्रनाथ दत्त था तथा ये अपने माता-पिता की छठ्वी संतान थे. बच्चो की प्राथमिक पाठशाला माता की गोद ही होती है और उस पाठशाला मे अध्यापन उसकी माता द्वारा ही किया जाता है. माता की उस शिक्षा का प्रभाव बच्चे के मस्तिष्क पर अजीवन रहता है. इस बात को नरेन्द्रनाथ की माँ भलिभाँति जानतीं थी. अत: उन्होने नरेन्द्रनाथ को सुसंस्कारित करने मे कोई कसर नही छोडी. वे नरेन्द्रनाथ को बाल्यवस्था से ही रामायण और महाभारत की कथाये सुनाया करती थी. अगर कोई साधु उनके द्वार पर भिक्षा माँगने आ जाता तो नरेन्द्रनाथ की माँ नरेन्द्रनाथ को साथ मे लेकर उस साधु का यथोचित सेवा-सत्कार कर अपने सामर्थ्यानुसार उन्हे भिक्षा देती थी. माँ के इस कृत्य ने नरेन्द्रनाथ के मन पर अमिट छाप छोडी. पढाई मे प्रखर होने के साथ – साथ ये खेलकूद और संगीत गायन मे भी प्रखर एवम सिद्धहस्त थे. गायन कला के चलते ही नवम्बर, 1881 को सुरेन्द्र नाथ मित्र के घर पर इनकी भेंट स्वामी रामकृष्ण परमहंस से हुई. नरेन्द्रनाथ की गायन कला से प्रभावित होकर स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने इन्हे दक्षिणेश्वर आने का निमंत्रण दिया और कालांतर मे नरेन्द्रनाथ उनके शिष्य बने. परंतु स्वामी रामकृष्ण परमहंस को नरेन्द्रनाथ ने अपना गुरु तब तक नही माना जब तक उन्होने उनकी उत्कंठा के चलते उनका भगवान से साक्षात्कार नही करवा दिया.  
नारी चिंतन
न्यूयार्क मे भाषण देते हुए स्वामी विवेकानन्द ने एक बार कहा था कि जबतक वहाँ का समाज स्त्री-पुरुष के भेद को भुलाकर प्रत्येक मानव मे मानवता का दर्शन नही करता और यह नही सोचता कि स्त्री-पुरुष दोनो एक-दूसरे के पूरक और सहयोगी है तबतक वहाँ की स्त्रियो का वास्तविक रूप से उत्थान नही हो सकता. मात्र बौद्धिक और अक्षर ज्ञान से ही मानव का कल्याण संभव नही है. अपितु मानव – कल्याण हेतु बौद्धिक और अक्षर ज्ञान के साथ – साथ उसकी अध्यात्मकिता और नीतिमत्ता की उन्नति भी अत्यंत आवश्यक है. भारत की नारियाँ भले ही बौद्धिक और अक्षर ज्ञान के स्तर पर अमेरिका की नारियो से पीछे हो परंतु वे सदैव अपने शील की रक्षा के साथ-साथ एक चरित्रवान जीवनायपन करते हुए अपने पवित्र आचार-विचार और हृदय की पवित्रता के माध्यम से अध्यात्म के सहारे मानव-कल्याण के पथ पर अग्रेसित होती है. स्वामी जी ने अपने भाषण मे वहाँ के प्रेमाचार के विषय पर कहा कि अगर वे विवाहेच्छुक होते तो अमेरिका के अन्य नवयुवको की भाँति सैकडो बार प्रेमाचार के आडम्बर की अपेक्षा बिना किसी आडम्बर के किसी एक के प्रियपात्र बन चुके होते है. अमेरिका मे बढते तलाको की संख्या पर चिंतित होकर उन्होने वहाँ बताया कि भारतीय समाज मे यह सर्व-शिक्षा दी जाती है कि प्रत्येक स्त्री-पुरुष अपने पति-पत्नी के अलावा अन्य सभी को मातृवत-पुत्रवत की नजर से देखे. अमेरिका मे स्त्री भोगवादी मानसिकता के केन्द्र-बिन्दु मे वास करती है परंतु भारत मे स्त्री सदैव से पूज्या रही है. इसी भारतीय-चिंतन के चलते भारत मे तलाको की संख्या अमेरिका के अपेक्षाकृत नगण्य है. 
  व्यक्तित्व विकास

राजीव गुप्ता-9811558925
व्यक्तित्व विकास की शिक्षा पर स्वामी जी का मानना था कि व्यक्ति का व्यक्तित्व असरदार होना चाहिये. व्यक्ति जिसके भी सम्पर्क मे आये उस पर उसके ग़ुणो की, उसकी बुद्धि की तथा उसके आचरण का जबरदस्त हो यह हर व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिये क्योंकि व्यक्ति के व्यक्तित्व का स्थान दो-तिहाई भाग मे होता है और मात्र एक-तिहाई भाग मे ही बुद्धि और उसके कहे हुए शब्द का स्थान रहता है. हमारा कर्म हमारे व्यक्तित्व का बाह्य अभिव्यक्ति मात्र ही है. अत: हमारी सम्पूर्ण शिक्षा और सारे अध्ययनो का एकमेव लक्ष्य हमारे व्यक्तित्व को गढते हुए उसे और अनवरत निखारना ही है. व्यक्तित्व की महत्ता हम इसी बात से लगा सकते है कि व्यक्ति का व्यक्तित्व जिस पर भी पडता है उसे कार्यशील बना देता है. व्यक्तित्व पर एक उदाहरण देते हुए स्वामी जी ने यहाँ तक कहा कि दार्शनिक मात्र बुद्धि पर असर करता है अपितु एक धर्मसंस्थापको का असर सम्पूर्ण समाज पर पडता है जिससे सारा देश तक हिल जाता है. मनुष्य को पूर्णता को प्राप्त होना ही उसके जीवन उद्देश्य होना चाहिये. मनुष्य मे अच्छी – बुरी स्वभाविकत: दोनो वृत्तियाँ होती है. समयानुसार व्यक्ति द्वारा उसके अन्दर की बुराईयो को कम करने की कोशिश करना ही उसे पूर्णता की ओर अग्रसित करता है.
शिक्षा
शिकागो से भारत वापस लौटने पर स्वामी विवेकानन्द ने शिक्षा पर अधिक ध्यान दिया. स्वामी विवेकानन्द ने एक सभा मे शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षा का आधार धर्म होना चाहिये और उसका केन्द्र बिन्दु “चरित्र-निर्माण” ही होना चाहिये. धर्म से उनका तात्पर्य मात्र पूजा-पद्धति ही नही था अपितु “जीवन जीने की कला” था जिसकी पुष्टि उन्होने विचार-शक्ति का महत्व, कर्म का परिणाम और भाग्य के निर्माण इत्यादि जैसे विभिन्न विषयो पर अपने विचार रखकर किया. स्वामी विवेकानन्द का मानना था कि हम जैसे सोचते है वैसे ही बन जाते है क्योंकि विचार सजीव होते है परिणामत: वाणी की अपेक्षाकृत उनका अधिकतम प्रभाव सदैव हमारे जीवन पर पडता रहता है. अत: हमे अपने विचारो के प्रति बहुत सावधान रहना चाहिये.

स्वामी विवेकानन्द शिक्षा हेतु किसी भी प्रकार के दंड देने के विरुद्ध थे क्योंकि उनका मानना था कि जिस प्रकार प्रताडित करके गधे को घोडा नही बनाया जा सकता उसी प्रकार किसी भी प्रकार की प्रताडना से हम उसे अक्षर ज्ञान तो दे सकते है पर हम उसे शिक्षित नही बना सकते. इसलिये उन्होने शिक्षित बनाने हेतु ठोक-प्रणाली का खुलकर विरोध किया और उनका मानना था कि  शिक्षा के माध्यम से मानसिक बल, चरित्र-निर्माण और बुद्धि का विकास होता है, इतना ही नही “मन की एकाग्रता” ही शिक्षा का सार है और शिक्षा के माध्यम से मिले सारे प्रशिक्षणो का उद्देश्य व्यक्ति-विकास ही है.

किसी भी देश की उन्नति मे वहाँ के शिक्षित-प्रतिशत की भूमिका बहुत महत्त्वपूर्ण होती है. क्योंकि देश की उन्नति का अनुपात और जन-समुदाय के शिक्षित का अनुपात सदैव परस्पर निर्भर होते है. भारतवर्ष के पिछडेपन का एक प्रमुख कारण यह भी है कि कुछ चन्द लोगो ने शिक्षा पर अपना आधिपत्य जमा रखा है. गाँवो मे शिक्षा-रूपी दीपक का प्रकाश अभी भी धूमिल ही है. अत: यदि किसी अभाववश विद्यालय मे विद्यार्थी न पहुँच पाये तो विद्यालय को स्वयम उन अभावाग्रस्त विद्यार्थियो के पास पहुँचकर उनकी मातृभाषा मे ही उन्हे शिक्षा देनी चाहिये. इसके साथ- साथ शिक्षा मे संस्कृत जैसी उत्कृष्ट भाषा का स्थान विशिष्ट होना चाहिये. संस्कृत भाषा मात्र वेदो-उपनिषदो की भाषा बनकर न रहकर जाय अत: इसके प्रचार-प्रसार की नितांत आवश्यकता है क्योंकि शिक्षा पर केवल ब्राह्मण विशेष का अधिकार न होकर अपितु सभी सभी लोगो का समान अधिकार है. शिक्षा का अंतिम लक्ष्य यही है कि वह व्यक्ति को स्वामी बनाये परिणामत: वह सदैव एक स्वामी की तरह कार्य करे न कि किसी भी प्रकार के गुलाम की तरह.
-राजीव गुप्ता (9811558925
आज के दौर मे विवेकानन्द की प्रासंगिकता//राजीव गुप्ता

Thursday, January 10, 2013

पत्रकार सम्‍मेलन में गृह मंत्री का वक्‍तव्‍य

10-जनवरी-2013 19:11 IST
लातेहर जिले में माओवादियों के गढ़ों में बड़े पैमाने पर अभियान चलाए
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री सुशील कुमार शिंदे ने दिसम्बर-2012 के लिए गृह मन्त्रालय का रिपोर्ट कार्ड एक पत्रकार सम्मेलन में 10 जनवरी-2013 को नई दिल्ली में प्रस्तुत किया। उनके साथ नजर आ रही हैं पत्र सूचना कार्यालय की प्रिसिपल डायरेक्टर जनरल (एम एंड सी) सुश्री नीलम कपूर (फोटो:पी आई बी)
सेना और सुरक्षा बलों ने दिसम्‍बर, 2012 में संयुक्‍त अभियानों में जम्‍मू एवं कश्‍मीर में सक्रिय 14 आतंकवादियों (8 विदेशी आतंकवादियों सहित) का खात्‍मा किया जिससे आतंकवादियों को काफी नुकसान हुआ। इसमें सुरक्षा बलों के विरुद्ध विभिन्‍न हमलों में शामिल नौ उग्रवादी (2 स्‍थानीय उग्रवादी तथा 7 विदेशी उग्रवादी) शामिल थे जो श्रीनगर सिटी में हमले की योजना बना रहे थे। मारे गए दो उग्रवादी (पम्‍पोरी में सेना के काफिले पर हमले में शामिल एक विदेशी आतंकवादी सहित) होटल सिल्‍वर स्‍टार गोलीबारी में शामिल थे। मारे गए उग्रवादियों में दिल्‍ली उच्‍च न्‍यायालय विस्‍फोट मामले में वांछित हिजबुल मुजाहिद्दीन का एक स्‍थानीय कमांडर भी शामिल था।

2.   दिसम्‍बर 2012 माह के दौरान राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी ने वर्ष 2006 में मालेगांव में, फरवरी, 2007 में समझौता एक्‍सप्रेस में और मई 2007 में मक्‍का मस्जिद, हैदराबाद में तथा सितम्‍बर 2008 में मालेगांव में बम विस्‍फोट की घटनाओं में शामिल चार अभियुक्‍तों को गिरफ्तार किया। इन चार अभियुक्‍तों में से राजेन्‍द्र चौधरी, धन सिंह और मनोहर मालेगांव में बम रखने में शामिल थे; राजेन्‍द्र चौधरी और तेजराम ने हैदराबाद में मक्‍का मस्जिद में बम रखे थे तथा धन सिंह मालेगांव में बम विस्‍फोट में शामिल था।

    पूछताछ के दौरान इन अभियुक्‍तों ने पता न लगे तीन सनसनीखेज पुराने अपराधों अर्थात् (i) उज्‍जैन के नरवर पुलिस थाने में एक महिला नन (लीना) पर गोली चलाकर उसे घायल करने,  (ii) 9 जनवरी, 2004 को जम्‍मू में एक मस्जिद पर ग्रेनेड फेंकने, जिसमें दो व्‍यक्तियों की मृत्‍यु हो गई तथा 15 अन्‍य घायल हो गए,  (iii) फरवरी 2005 में नई दिल्‍ली में ‘’एस. ए. आर गिलानी’’ (संसद हमला मामले में वरी अभियुक्‍त) पर गोली चलाने, (iv) उज्‍जैन (मध्‍य प्रदेश) में एक पठान मुजीव लाला की हत्‍या करने तथा  (v) रमेश निनामा (इंदौर के पियर सिंह निनामा की हत्‍या के मामले में एक प्रमुख गवाह) की हत्‍या करने में अपनी भूमिकाएं स्‍वीकार कर लीं।

3.   केन्‍द्रीय लोक निर्माण विभाग, भोपाल द्वारा केन्‍द्रीय पुलिस प्रशिक्षण अकादमी, भोपाल का निर्माण किए जाने के लिए 7 दिसम्‍बर, 2012 को 281 करोड़ रुपये की राशि की स्‍वीकृति जारी की गई है। यह अकादमी सीधी भर्ती से नियुक्‍त होने वाले राज्‍यों के पुलिस उपाधीक्षकों तथा अपर पुलिस अधीक्षकों को बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करेगी तथा हमारे मित्र देशों की प्रशिक्षण आवश्‍यकताओं का निराकरण करेगी।
4.   दिनांक 4 दिसम्‍बर, 2012 को बंगलादेश सरकार के गृह मंत्री डॉ. मुहीउद्दीन खान आलमगीर ने मुझसे मुलाकात की तथा सुरक्षा, सीमा प्रबंधन, आतंकवाद के खतरे का निवारण करने के लिए पार‍स्‍परिक सहयोग आदि से संबंधित द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की। सीमा पार से चलने वाली अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण लगाने के लिए दोनों देशों के बीच हस्‍ताक्षरित समन्वित सीमा प्रबंधन योजना (सी बी एम पी) पर सहयोग बढ़ाने पर हमारी सहमति हुई, हमने सुरक्षा संबंधी मामलों पर सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए नोडल पॉइंट्स के कार्य संचालन की समीक्षा की तथा हमने जीरो लाइन के 150 गज के भीतर विकास कार्य की अनुमति देने पर सहमति व्‍यक्‍त की। हम संशोधित यात्रा करार और प्रत्‍यर्पण संधि को अंतिम रूप देने तथा उस पर जनवरी 2013 में हस्‍ताक्षर करने के लिए सहमत हो गए। गृह मंत्री स्‍तर की अगली वार्ता 28 से 30 जनवरी, 2013 के दौरान ढाका में आयोजित की जाएगी।

5.   12 दिसम्‍बर, 2012 को नाईजीरिया के माननीय मिनिस्‍टर ऑफ इंटीरियर श्री अब्‍बा मोरो ने मुझसे मुलाकात की और आप्रवासन तथा वीजा संबंधी मुद्दों पर चर्चा की।
6.   दिनांक 14 दिसम्‍बर, 2012 से 16 दिसम्‍बर, 2012 तक पाकिस्‍तान के इंटीरियर मिनिस्‍टर श्री रहमान मलिक द्विपक्षीय वार्ता के लिए भारत दौरे पर आए। आतंकवाद को पाकिस्‍तान के निरंतर सहयोग और पाक अधिकृत कश्‍मीर में आतंकवादी शिविरों के संचालन, मुंबई आतंकवादी हमले के प्रमुख मास्‍टर माइंड व्‍यक्तियों के अभियोजन तथा विचारण, मुंबई आतंकी हमले के षड़यंत्रकारियों तथा 1993 के मुंबई बम विस्‍फोटों के भगोड़ों को कानून के अंतर्गत सजा दिलाने, नियंत्रण रेखा तथा अंतर्राष्‍ट्रीय सीमाओं के पार से गोलीबारी, आतंकवाद के वित्तपोषण, जाली भारतीय करेंसी नोट, पाकिस्‍तान में मछुआरों तथा सिविलियन कैदियों और भारत के युद्ध बंदियों की रिहाई, वीजा और कंसूलर मुद्दों, स्‍वापक तथा मादक द्रव्‍यों की तस्‍करी तथा भारत और पाकिस्‍तान के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर करने और उसका अनुसमर्थन करने तथा एम एल ए टी एवं प्रत्‍यर्पण संधि आदि मुद्दों पर चर्चा की गई।

7.   8 सितम्‍बर, 2012 को भारत तथा पाकिस्‍तान सरकारों के बीच हस्‍ताक्षरित नए वीजा करार को भारत के माननीय गृह मंत्री तथा पाकिस्‍तान के माननीय इंटीरियर मिनिस्‍टर द्वारा 14 दिसम्‍बर, 2012 को नई दिल्‍ली में क्रियाशील बनाया गया।

8.   19 दिसम्‍बर, 2012 को संयुक्‍त राष्‍ट्र शरणार्थी उच्‍चायुक्‍त श्री एन्‍टोनिओ गुटरेस ने मुझसे मुलाकात की और शरणार्थियों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की।

आंतरिक सुरक्षा
9.   26/11 के मुंबई आतंकी हमले के मामले में पाकिस्‍तान में गिरफ्तार अभियुक्‍त के विचारण के संबंध में पाकिस्‍तान के न्‍यायिक आयोग के दूसरे प्रस्‍तावित दौरे के संशोधित विचारार्थ विषयों को अंतिम रूप देने के लिए चार सदस्‍यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 20 से 26 दिसम्‍बर, 2012 तक पाकिस्‍तान का दौरा किया।
10.  20 दिसम्‍बर, 2012 को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) संशोधन विधेयक, 2011 राज्‍य सभा द्वारा पारित किया गया। यह विधेयक लोक सभा द्वारा 30/11/2012 को पहले ही पारित कर दिया गया था।

11.   राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा जांच के दौरान इकट्ठे किए गए साक्ष्‍यों की स्‍वतंत्र रूप से समीक्षा करने तथा इन मामलों में निर्धारित समय के भीतर आरोप पत्र दायर करने की सिफारिश करने के प्रयोजन से विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के अंतर्गत गठित ‘’प्राधिकरण’’ का 31 दिसम्‍बर, 2013 तक विस्‍तार किया गया है।

कश्‍मीर संबंधी मामले
12.  परियोजना मूल्‍यांकन समिति की 13वीं बैठक 19 दिसम्‍बर, 2012 को आयोजित हुई जिसमें विशेष उद्योग पहल योजना के अंतर्गत 25 उम्‍मीदवारों को प्रशिक्षित करने के लिए बजाज अलियांज तथा 50 उम्‍मीदवारों को प्रशिक्षित करने के लिए आइकॉन सेंट्रल लेबोरेट्रीज के प्रस्‍तावों को अनुमोदित किया गया।

पूर्वोत्‍तर
13.  कार्रवाई स्‍थगन के बारे में कुकी नेशनल आर्गेनाइजेशन (के एन ओ), यूनाइटेड पीपल्‍स फ्रंट (यू पी एफ) तथा मणिपुर के अम्‍ब्रेला संगठनों के साथ नई दिल्‍ली में 5 दिसम्‍बर, 2012 को त्रिपक्षीय बैठकें आयोजित की गईं। यू पी एफ के साथ कार्रवाई स्‍थगन करार को नौ माह तक बढ़ा दिया गया है किंतु कुकी नेशनल आर्गेनाइजेशन (के एन ओ) के साथ कार्रवाई स्‍थगन का और विस्‍तार किए जाने के बारे में कोई समझौता नहीं हो सका।

14.  उग्रवाद पर प्रभावी नियंत्रण के भाग के रूप में पूर्वोत्‍तर में भूमिगत संगठनों की गतिविधियों की समीक्षा की गई तथा हिन्‍नीवट्रेप नेशनल काउंसिल (एच एन एल सी), यूनाटेड लिब्रेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्‍फा) तथा नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एन डी एफ बी) को विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम के अंतर्गत विधिविरुद्ध संगम (2 वर्ष तक) घोषित करने संबंधी अधिसूचनाएं जारी की गईं।

केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बल
15.  भूमि के अधिग्रहण के लिए केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों को 25 करोड़ रु. की राशि स्‍वीकृत की गई है तथा कार्यालय/रिहायशी भवनों के निर्माण के लिए भी उनको 357 करोड़ रु. की राशि स्‍वीकृत की गई है।

आपदा प्रबंधन
16.  देश के विभिन्‍न भागों में कार्रवाई करने तथा राहत गतिविधियां चलाने के लिए नौकाओं, वाहनों तथा अपेक्षित उपकरणों सहित राष्‍ट्रीय आपदा कार्रवाई बल के 614 कार्मिक तैनात किए गए। राष्‍ट्रीय आपदा कार्रवाई बल के कार्मिकों ने राज्‍य सरकारों के प्राधिकारियों के समन्‍वय से कार्य किए तथा 16 लोगों की जान बचाई और 18 शव निकाले।

नक्‍सल प्रबंधन
17.  विशेष रैली आयोजित करके वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में रिक्तियों को भरने के लिए केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों में कांस्‍टेबलों की भर्ती के मुद्दे पर
चर्चा करने के लिए गृह सचिव ने 4 दिसम्‍बर, 2012 को केन्‍द्रीय सशस्‍त्र पुलिस बलों के महानिदेशकों के साथ एक बैठक की अध्‍यक्षता की।

18.  10 अक्‍तूबर, 2012 को केन्‍द्रीय रिजर्व पुलिस बल के एक सेवानिवृत्त महानिदेशक श्री के. विजय कुमार को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा और विकास संबंधी मामलों पर सलाह देने के लिए वरिष्‍ठ सुरक्षा सलाहकार नियुक्‍त किया गया है।

19.  सुरक्षा बलों ने झारखंड के लातेहर जिले में माओवादियों के गढ़ों में बड़े पैमाने पर अभियान चलाए हैं। यह लड़ाई बहुत कठिन होने की संभावना है क्‍योंकि माओवादी इस क्षेत्र में दशकों से जमे हुए हैं तथा इस भू-भाग से परिचित हैं। इस क्षेत्र में हाल ही में हुई गोलीबारी से दस सुरक्षा कार्मिक शहीद हो गए तथा कुछ घायल हो गए। आसूचना संबंधी जानकारी से यह पता चला है कि माओवादियों को भी बहुत क्षति पहुंची है। यह अभियान इस क्षेत्र से माओवादियों का सफाया होने तक जारी रहेंगे।

विदेशी विषयक
20.  माह के दौरान पैराग्‍वे (चैक रिपब्लिक); नैरोबी (कीनिया) तथा मपुतो (मोजाम्बिक) में स्थित भारतीय दूतावासों में आई वी एफ आर टी के अंतर्गत इंटीग्रेटिड ऑनलाइन वीजा एप्‍लीकेशन प्रणाली शुरू की गई है। यह सुविधा अब विदेशों में स्थित 101 भारतीय मिशनों में उपलब्‍ध है।

21.  विदेशी छात्रों के कल्‍याण के बारे में तथा उनकी गतिविधियों/निष्‍पादन और सामान्‍य आचरण पर नजर रखने के लिए आई वी एफ आर टी के अंतर्गत विदेशी छात्र सूचना प्रणाली (एफ एस आई एस) विकसित की गई है ताकि संबंधित शैक्षणिक संस्‍थानों द्वारा विदेशी छात्रों के विवरण को ऑनलाइन भरने में सुविधा हो सके। यह मॉड्यूल प्रयोग के तौर पर एफ आर आर ओ चैन्‍नई में शुरू किया गया है।

संघ राज्‍य क्षेत्र
22.  यौन उत्‍पीड़न मामलों में 30 दिन के भीतर त्‍वरित न्‍याय तथा निवारक दंड की व्‍यवस्‍था करने के लिए दंड कानूनों में संभावित संशोधनों की जांच करने के लिए सरकार ने 24 दिसम्‍बर, 2012 को न्‍यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) जे. एस. वर्मा समिति का गठन किया।

23.  दिल्‍ली में हाल ही में घटित सामूहिक बलात्‍कार की दु:खद घटना के बारे में सरकार ने 26 दिसम्‍बर, 2012 को न्‍यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) उषा मेहरा जांच आयोग का भी गठन किया।

24.  कल मैंने दिल्‍ली में कानून एवं व्‍यवस्‍था की स्थिति की दिल्‍ली पुलिस के साथ समीक्षा की। हमने इस बारे में निम्‍नलिखित निर्णय लिए हैं :-
क) दिल्‍ली पुलिस के कार्मिकों द्वारा रात्रि में मोटरसाइकिल पर गश्‍त लगाना;

ख) प्रत्‍येक पुलिस थाने में महिला हेल्‍प डैस्‍क-पुलिस थाना क्षेत्र में सभी स्‍कूलों और कॉलेजों में महिला हेल्‍प डैस्‍क का सैल नंबर तथा टेलीफोन नंबर अधिसूचित किया जाना होगा; और

ग) सिविल रक्षा कार्मिकों, होमगार्ड, भूतपूर्व सैनिकों तथा महिला गैर सरकारी संगठनों को शामिल करके प्रत्‍येक पुलिस थाने में समितियों का गठन किया जाए ताकि जनता, विशेष रूप से महिलाओं से संबंधित मुद्दों को बातचीत के दौरान पुलिस अधिकारियों के समक्ष लाया जा सके।

राज्‍य विधायन
25.  भारत के राष्‍ट्रपति ने दिसम्‍बर, 2012 में असम राज्‍य सतर्कता आयोग विधेयक, 2010; राजस्‍थान विशेष न्‍यायालय विधेयक, 2012;  उत्तर प्रदेश

राजस्‍व संहिता विधेयक, 2006 तथा भारतीय स्‍टाम्‍प (पश्चिम बंगाल संशोधन) विधेयक, 2012 को मंजूरी प्रदान की।

हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र को विशेष दर्जा
26.  हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र, जिसमें गुलबर्गा, बिदर, रायचूर, कोपल और यादगीर जिले शामिल हैं तथा कर्नाटक राज्‍य में बेल्‍लारी जिला अतिरिक्‍त रूप से शामिल है, को विशेष दर्जा प्रदान करने के लिए एक नया अनुच्‍छेद 371 (ञ)
अंत:स्‍थापित करने के लिए संसद के दोनों सदनों द्वारा संविधान (संशोधन) विधेयक, 2012 पारित कर दिया गया है।

सीमा प्रबंधन
27.  दिसम्‍बर, 2012 माह के दौरान भारत बंगलादेश सीमा के 40 किलोमीटर भाग पर तेज रोशनी करने का कार्य पूरा कर लिया गया।

28.  तटीय सुरक्षा के अंतर्गत 131 तटीय पुलिस थानों में से 116 के लिए भूमि के निर्धारण को अंतिम रूप दे दिया गया है तथा दिसम्‍बर 2012 तक 74 मामलों में भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। तटीय राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा 60 में से 27 घाटों के लिए भूमि का निर्धारण कर लिया गया है।

29.  सरकार ने भारत-चीन सीमा पर भारत-तिब्‍बत सीमा पुलिस की कुल 804 किलोमीटर लम्‍बी 27 प्राथमिकता सड़कें स्‍वीकृत की हैं जिनमें से दिसम्‍बर 2012 तक 562 किलोमीटर लम्‍बी सड़कों का फॉर्मेशन कार्य तथा 241 किलोमीटर लम्‍बी सड़कों के समतलीकरण का कार्य पूरा कर लिया गया है।  (PIB) पत्रकार सम्‍मेलन में गृह मंत्री का वक्‍तव्‍य
वि.कासोटिया / श्‍याम – 139