Saturday, December 28, 2013

साहिर के कालेज में हुआ सांस्कृतिक शाम का आयोजन

आयोजन किया स्टेट बैंक आफ पटियाला के ज़ोनल कार्यालय ने
लुधियाना: 28 दिसंबर 2013: (रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):  
स्टेट बैंक आफ पटियाला के मुलाज़िमों ने लुधियाना में एक शानदार सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करके साबित कर दिया कि वे केवल हिसाब किताब में ही नहीं गीत संगीत की कला में भी पारंगत हैं---वे लोगों के दिलों तक इस तरह पहुंचना भी जानते हैं---इस कार्यक्रम  लिए स्थान भी वह चुना गया जिसकी फ़िज़ा में  लेने वाले शायर साहिर लुधियानवी ने कभी कहा था---
जेलों के बिना जब दुनिया की सरकार चलाई जायेगी 
वोह सुबह कभी तो आयेगी--वोह सुबह कभी तो आयेगी-- अपने ही इस इसका जवाब  हुए साहिर ने यह भी कहा--
उस सुबह को हम ही लाएंगे-वो सुबह हमीं आयेगी---
बस यह एक नयी शुरूआत थी उस सुबह को लाने की---प्रयास था रोज़मर्रा की हिसाब  वाली जेल  मुक्त कर गीत संगीत के इस उन्मुक्त पर्यावरण में  कुछ साँस खुलकर लेने का---वास्तव में सारा सारा दिन गिनती मिनती , हिसाब किताब और देर शाम तक बस यही सिलसिला----बैंक की नौकरी जितनी आसान और मज़ेदार लगती है उतनी होती नहीं---कितना कर्ज़ दिया---कितना वापिस लिया---बस इस चक्र में खुद का ख्याल तक भी भूल जाता है। इस सिस्टम में कला की बात बेमानी लगती है---लेकिन इन बैंक कर्मियों ने कला को भी विकसित किया---कलाकारों को भी सहेजा और सांस्कृतिक धरोहर को भी और अमीर बना दिया---  इसका पता चला-- 28 दिसंबर 2013 को जब स्टेट बैंक आफ पटियाला के ज़ोनल कार्यालय स्टाफ ने लुधियाना के एससीडी गवर्नमेंट कालेज के साहिर आडिटोरियम में  शानदार कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
इस मौके पर जहाँ सरस्वती वंदना ने लोगों को रणजीत सिंह और  साथियों ने याद दिलाया कि ज़िंदगी केवल संगीत से नहीं संघर्ष से चलती है और संघर्ष का रूप उन्होंने गतके का कमाल दिखा कर दिखाया। जब मंच पर गतका शुरू हुआ तो सब देखते ही रह गए।  यह था साहिब श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के पावन खालसे की एक झलक दिखाता नज़ारा----       
इस अवसर पर बैंक कर्मियों के जुझारू नेता नरेश गौड़ ने मीडिया को भी इसकी जानकारी दी। -
 स्टेट बैंक आफ पटियाला के सांस्कृतिक कार्यक्रम पर कामरेड नरेश गौड़ 
बाईट: नरेश गौड़:
गौरतलब है कि कामरेड नरेश गौड़ बैंक मुलाज़िम नेता और स्टेट बैंक आफ पटियाला की ज़ोनल वेलफेयर कमेटी के सचिव भी हैं 
कुल मिलाकर स्टेट बैंक आफ पटियाला के इतिहास में यह आयोजन एक नया मील पत्थर बना और सांस्कृतिक जगत के लिए यह एक अच्छी शुरूआत रही----रेकटर कथूरिया

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