Friday, December 06, 2013

लुधियाना में बैंक मुलाज़िमों का जबरदस्त प्रदर्शन

Fri, Dec 6, 2013 at 3:19 PM
18 दिसंबर को होगी देश भर में हड़ताल 
लुधियाना: 6 दिसंबर 2013:  (रेकटर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन):  युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स ने 18 दिसंबर 2013 को एक दिवसय देशव्यापी हड़्ताल पर जाने का निर्णय लिया है । सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक कर्मचारी तथा आफिसर्स निम्नलिखित मांगों को लेकर हड़ताल पर रहेंगे तांकि इस संघर्ष को और तेज़ किया।  इस बात का ऐलान आज यहां बाद दोपहर बहुत ही जोशो खरोश से किया गया। हर तरफ बैंक मुलाज़िमों की भीड़ थी।  लगता था जैसे संघर्ष  का सागर लहरा रहा हो। बैंक कर्मचारियों के नेतायों और वक्ताओं ने 
 जहाँ वेतन में शीघ्र संशोधन पर जोर दिया वहीँ बैंकिंग क्षेत्र में अनावश्यक सुधारों पर रोक लगाने कि आवाज़ भी बुलंद की। 
अपनी इन मांगों को लेकर  संघर्ष के लिए तैयार नज़र आ रहे युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स की और से बहुत से रोष प्रोग्राम निर्धारित किये गये हैं। इन्हीं प्रोग्रामों की कड़ी में  युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स की लुधियाना इकाई ने आज स्टेट बैंक आफ पटियाला, आंचलिक कार्यालय, मिल्लर गंज, लुधियाना के सामने जोरदार प्रदर्शन किया । कामरेड सुदेश कुमार, चेयरमैन, पंजाब बैंक इम्प्लाईज फैडरेशन, कामरेड नरेश गौड़, कन्वीनर, युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स, कामरेड राकेश खन्ना, सचिव, ए.बी.ओ.ए (लुधियाना इकाई), कामरेड चरंजीव जोशी एवं कामरेड गुरमीत सिंह, ए.आई.बी.ओ.ए ने बैंक कर्मचारियों को संबोधित किया ।

कर्मचारियों एंव अधिकारियों को संबोधित करते हुए फोरम के नेताओं ने कहा कि बैंकिंग क्षेत्र में कर्मचारियों एंव अधिकारियों के वेतन संबंधी मुद्दे इंडियन बैंक्स एसोसिएशन एवं बैंक कर्मचारियों तथा अधिकारियों की ट्रेड यूनियनों की आपसी बातचीत के द्वारा तय किये जाते हैं । नौवां द्विपक्षीय समझौता 31.10.2012 को समाप्त हो गया है । इसलिए .1.11.2012  से नया समझौता लागु होना था । इस परिपेक्ष्य में युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स ने कर्मचारियों तथा अधिकारियों की मांगों से संबंधित पत्र  इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को 30.10.2012  को दे दिया था । युनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स ने इंडियन बैंक्स एसोसिएशन को निवेदन किया था कि मांगों और समझौतों के बारे में शीघ्र से शीघ्र फैसला लिया जाये । तेजी से और निरंकुश बढ़्ती कीमतों ने कर्मचारियों के वेतन पर विपरीत असर डाला है, इसलिए वेतन संशोधन और भी जरुरी हो गया है। उपभोक्ता मुल्य सूचकांक में नबंवर 2007 के बाद 2400 अंकों की बढ़ोतरी हुई है । लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इंडियन बैंक्स एसोसिएशन द्वारा पिछले एक साल में समझौते के प्रयासों में लगातार देरी की जा रही है।

भारत के बैंकों में लोगों के कड़े परिश्रम से की गई बचत की राशि आज लगभग 75 लाख करोड़ की है। इसलिए बैंकिंग संस्थाओं का सही ढ़ंग से नियमन होना चाहिए । इन्हीं स्थापित मानकों और सार्वजनिक क्षेत्र के अंतर्गत  होने के कारण हमारा बैंकिंग तंत्र वैश्विक संकट से बचा रहा । अमेरिका और यूरोप सहित दुनिया के अनेक देशों में उदारीकरण और विनियमन की नीतियों के कारण कई बैंक डूब गये । इन सब से सबक लेने के बजाय सरकार बैंकिंग सुधारों के नाम पर बैंकिंग क्षेत्र में उदारीकरण और विनियमन के लिए लगातार विभिन्न कदम उठा रही है । हाल ही में रिजर्व बैंक ने सुझाव दिया कि अंतराष्ट्रीय स्तर के बैंक बनाने के लिए बैंकों का आपस में विलय किया जा सकता है । हमारे बैंक आर्थिक विकास के लिए हैं, इसलिए यह कदम पूरी तरह गैरजरुरी है । सुधारों के नाम पर बैंकों में नियमित रुप से किये जाने वाले कार्यों को अनुबंध के तहत आऊटसोर्स किया जा रहा है । आऊटसोर्सिंग के कारण ए.टी.एम पर होने वाली परेशानियों को हम रोजाना देखते हैं।




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