Thursday, November 07, 2013

छठ पूजा पर हर तरफ उत्साह और रौनक

लुधियाना का शेरपुर लग रहा था मिनी बिहार का एक नज़ारा 
Rajesh Mishraलुधियाना: 7 नवंबर 2013: (पंजाब स्क्रीन): छठ पूजा के अवसर पर आज कल लुधियाना का शेरपुर इलाका एक तरह से बिहार का ही दृश्य प्रस्तुत कर रहा है। हर तरफ छठ के त्यौहार की रौनक---हर तरफ खरीदो फरोख्त और छठ का उत्साह। लुधियाना के शेरपुर का इलाका एक तरह से मिनी बिहार ही बना हुआ है। इन बाज़ारों में भी  दुनिया कि सबसे बड़ी हकीकत पूरी तरह से नज़र आ रही थी कि दुनिया में बार दो ही गुट हैं---एक अमीरों का--दूसरा गरीबों का। छठ के इस अवसर पर भी बाज़ारों में अगर भरी पूरी टोकरियाँ और झोले उठाये लोग नज़र आ रहे थे वहीँ कुछ ऐसे बेबस और मजबूर भी थे जिनके पास पूजा तो दूर खाने तक को कुछ न था। वे पूजा का सामान जुटाने के लिए भीख मांग रहे थे लेकिन बहुत ही अदब और सलीके के साथ। मीडिया के लोग भी इस रौनक को अपने कैमरों में कैद करने में जुटे थे।
बाज़ारों में हर तरह का फल-फ्रूट हर तरह का बरतन, हर तरह के कपड़े और बहुत से दुसरे सामान बहुत ही करीने से सजा कर रखे गए थे। पान के पत्ते पांच रूपये में सात और उसके साथ सुपारी के दाने पांच रूपये के चार।  कई लोग महंगे भाव पर भी बेच रहे थे। बरतन की दुकानों पर काफी भीड़ थी। बरतनों पर बरतन खरीदने वालों का नाम मुफ्त में उकरने की सुविधा भी दुकानदार प्रदान कर रहे थे। बरतनों में गोल सूप सबसे अधिक बिका रहा था। अदरक और हल्दी भी उत्साह से खरीदी जा रही थी।  पान के पत्ते और सुपारी भी खूब बिक रही थी। लोग श्रद्धा से सब खरीद रहे थे--सूर्य भगवान की कृपा का पात्र बनने के लिए। यह सारा सामान उन्होंने पूजा अर्चना में ही इस्तेमाल करना था। पूरी पूरी रात पूजा अर्चना के लिए ठंडे ठंडे पानी में हाथ जोड़ कर खड़े रहना और वह भी तीन दिन के लम्बे उपवास के चलते--यह सब आसान नहीं होता।  अगर यह कहा जाये कि आस्था और आत्मिक बल के बिना यह सम्भव ही नहीं  तो यह गलत नहीं होगा। सूर्य भगवान की पूजा करते करते ये लोग एक तरह से वनस्पति का भी धन्यवाद करते हैं---कम से कम एक रात के लिए वनस्पति की तरह ही खुले आकाश के नीचे पानी के अंदर एक तरह से वनस्पति बन कर ही खड़े रहना। यह धन्यवाद शायद होता है---उन्हें जीवन भर ऊर्जा देने के लिए---फल-और अनाज व्यक्ति को जीवन भर ऊर्जा देते हैं लेकिन खुद अपने जीवन का बहुत सा हिस्सा खुले आकाश में पानी के अंदर रह कर गुज़रते हैं---हर मौसम की मार सहते हुए  हुए--- और सर्दी गर्मी कि मार सह कर भी  मुस्कराते हुए---महक बांटते हुए----मिलजुल कर रहते हुए---और दूसरों कि भलाई के लिए अपने जीवन और सुक्ख आराम की क़ुरबानी देते हुए। यह त्यौहार हमें पेड़ पौदों से बहुत कुछ सीखने की प्रेरणा भी देता है। गुरबाणी भी कहती है :
''ਫ਼ਰੀਦਾ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਕਰਿ ਚਾਕਰੀ ਦਿਲ ਦੀ ਲਾਹਿ ਭਠਾਂਦਿ॥ 
ਦਰਵੇਸਾਂ ਨੂੰ ਲੋੜੀਏ ਰੁੱਖਾਂ ਦੀ ਜੀਰਾਂਦ॥'' 
फरीदा साहिब दी कर चाकरी दिल दी लाहि भठांदि  
दरवेसां नूं लोड़ीऐ रुखां दी जीरांद 
इस त्यौहार को मनाने और मतदातायों को लुभाने के लिए राजनीतिक लोगों ने भी बहुत से प्रबंध व्यापक स्तर पर किये हुए थे। भक्ति मार्ग में भगवान कहते हैं--जे तू मेरा हो रहें तां सब जग तेरा होए! बस उसी बात को सत्य साबित करता हाय यह त्यौहार! जैसे छठपूजा करने वाले प्रकृतिके बनाये पेड़ पौदों के होकर रहते हैं केवल एक रात के लिए ही सही उसका फल भी उन्हें तुरंत मिलता है। सत्ता पर बैठे लोग भी इन आम मेहनतकश लोगों से आ कर घुलमिल जाते हैं।  इनका दुःख सुख सुनते हैं। चंडीगढ़ रोड पर वर्धमान मिल के सामने  ग्लाडा ग्राऊंड पर बहुत बड़ा टेंट लगाया जा रहा था। पूछने पर पता चला कि वहाँ पंजाब भाजपा के प्रधान कमल शर्मा के स्वागत की तैयारियां जोरों पर हो रहीं थीं। इसी तरह ग्यासपुरा इलाके के भी कई क्षेत्रों मै इस शुभ अवसर पर छठ पूजा के प्रबंध व्यापक स्तर पर किये गए थे। शिरोमणि अकाली दल (लेबर विंग) के राष्ट्रीय महासचिव राजेश मिश्रा देर रात तक अपने वार्ड में छठ पूजा का प्रबंध करने में जुटे रहे। इसी तरह कई अन्य इलाकों में भी यही उत्साह देखा गया।  कुल मिला कर कहा जा सकता है कि अब पंजाब के त्योहारों में एक और त्योहार छठ पूजा भी पूरी तरह से शामिल हो गया है। अब देखना है कि पंजाब के लोग इसके रंग में कितनी जल्दी रंगते हैं। --रेकटर कथूरिया (पंजाब स्क्रीन)

नीचे दिए गए लिंक्स भी देखें:

छठ पूजा:शारदा सिन्हा का भजन


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