Tuesday, October 22, 2013

कभी व्रत नहीं रखा लेकिन 18 वर्षों से कर रही है पति के साथ साधना

हिमांशु कुमार की पत्नी वीणा की गौरवगाथा     --करवाचौथ पर विशेष 
फेसबुक: 22 अक्टूबर 2013: (रेक्टर कथूरिया): इस बार भी करवा चौथ के अवसर पर  सब कुछ पहले की तरह ही था। बाज़ारों में रौनक---मन्दिरों में अधिक भीड़---और मठाई की ज़ोरदार बिक्री। करवा चौथ का दिन और फिर शाम---इस बार भी ज़्यादातर सामग्री पूरी तरह 
से पारम्परिक थी--- इस बार विरोध के स्वर पहले से अधिक थे पर एक स्वर बिलकुल अलग सा था---और वह स्वर है निडरता से सच को सच कहने वाले हिमांशु कुमार का। आम जनता के जाने माने स्नेही मित्र Himanshu Kumar  लिखते हैं---मेरी पत्नी वीणा ने कभी करवा चौथ का व्रत नहीं रखा, कभी मांग नहीं भरी..…शादी के बाद अपना सरनेम नहीं बदला. लेकिन वीणा बस्तर में अट्ठारह साल तक सरकारी हिंसा के शिकार आदिवासियों की सेवा चुपचाप करती रही. बलात्कार पीड़ित लड़कियों के लिए आश्रम में सुरक्षित आवास की व्यवस्था करना, पुलिस द्वारा जिन आदिवासियों के घर जला दिए जाते थे , उन महिलाओं , बुजुर्गों और बच्चों के लिए कपडे, कम्बल, बिस्तर, अनाज खरीद कर उनके घर तक पहुँचाना. सुरक्षा बलों की हमारे आश्रम में बार बार रेड होने पर उनको दहाड़ कर आश्रम से बाहर भगाने का काम करना. आश्रम में रोज़ ही सैंकडों लोगों का भोजन बनता था. जिनमे प्रशिक्षण के लिए आये आदिवासी, पीड़ित लोग , कार्यकर्त्ता , बाहर से आये अतिथी शामिल होते थे. इस सब की कुशलता से व्यवस्था करना. बड़ी बड़ी रैलियों में परदे के पीछे से सारी तैयारियां, आसपास किसी भी आदिवासी को बीमार होने पर या प्रसव के लिए महिलाओं को अस्पताल भेजने के लिए आश्रम की मिनी बस को को तुरंत तैयार कर अस्पताल पहुँचाने का काम वीणा करती रही. उसने मुझे इन सब कामों से मुक्त रखा . और वीणा के दम पर मैं घर के बाहर नेतागिरी करता रहा. आज भी कर रहा हूँ.
करवा चौथ का व्रत तो असल में वीणा के लिए मुझे रखना चाहिए

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