Tuesday, September 03, 2013

लुधियाना में लाल झंडे को समर्पित किसानों का धरना

सरकार की किसान विरोधी आर्थिक नीतियों का किया पर्दाफाश 
लुधियाना: 2 सितम्बर 2013: (रेक्टर कथूरिया//पंजाब स्क्रीन): सर चकरा देने वाली इस भीषण गर्मी में धरने पर बैठने को मजबूर हुए ये लोग वास्तव में वे लोग थे जिन्हें अन्नदाता कहा जाता है…कह ही नहीं जाता वे हैं भी.…. पर इनकी वास्तविक हालत यह कि किसी को कीटनाशक पीकर कर अपनी जीवन लीला समाप्त करनी पड़ती है और किसी को रेल के नेचे आ कर या फिर फंदा लगा कर। कर्ज़ के बोझ और करों की मार से दबे ये किसान इस देश की अर्थ व्यवस्था और महंगाई के मारे हुए हैं।  ये वे लोग हैं जो हर बार अपनी फसल को अपनी सन्तान की तरह पालते हैं लेकिन फसल तैयार होते ही उसे बाज़ार लूट कर ले जाता है। जीवन की यह चिंतनीय हालत इन्हें एक बार फिर सरकार के सामने धरना लगाने के लिए ले आई है। 
सोमवार दो सितम्बर 2013 को सर्वहिंद किसान सभा ने लुधियाना के मिनी सचिवालय के समक्ष धरना दिया। लाल झंडे को समर्पित इन किसानों ने एक बार फिर संघर्ष की आवाज़ बुलंद की है। इस मौके पर सभा के वक्ताओं ने मांगों की चर्चा भी की और समस्यायों की भी। पंजाब किसान सभा के उपाध्यक्ष करतार सिंह बुआनी ने निजीकरण, उदारीकरण और निगमीकरण की नीती का विवरण बताते हुए सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने अपनी इन्हीं जन विरोधी और किसान विरोधी नीतियों के अंतर्गत ग्राम विकास, कृषि और सिंचाई जैसे महत्वपूर्ण किसानी क्षेत्रों में सरकारी निवेश पूरी तरह से समाप्त कर दिया है। उन्होंने चेताया कि सरकार इतनी ढीठ हो गई है कि कृषि आयोग की सिफारिशों को  भी लागू नहीं कर रही। सभी प्राकृतिक साधन बड़ी कम्पनियों और निगमों को लुटे जा रहे हैं। छोटे और मझले उद्दोग बंद हो रहे हैं परिणाम स्वरूप युवा पड़ी बेरोजगार हो गई है। इस बेकारी की सबसे अधिक मार देहात के नौजवानों पर पड़ी है। 
इस मौके पर जिला प्रधान सुरिंदर जलालदीवाल, महासचिव अमनदीप सिंह, सरपंच गुरनाम सिंह, जंग सिंह, परमजीत सिंह आदि ने कहा कि डीजल, खाद-बीज, मजदूरी आदि का मूल्य बढ़ने के कारण किसानों को फसलों का भी उचित समर्थन मूल्य मिलना चाहिए। इसके बिना उनका वित्तीय संतुलन डगमगाया हुआ है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से निर्धारित सभी फसलों का समर्थन मूल्य कम ही नहीं बल्कि काफी कम है। ऐसे में जरूरत है कि सरकार सभी फसलों का वर्तमान मूल्यांकन करे, ताकि किसानों को होने वाले घाटे की भरपाई हो सके। वक्ताओं ने कहा कि गांव के किसान गरीबी के बोझ तले दब रहे हैं, जिससे वे जमीन बेचकर विदेश में मजदूरी करने को मजबूर हो रहे हैं। गांव में लोगों का जीवन स्तर गिरता जा रहा है। सरकार को ग्रामीणों के गिरते जीवन स्तर पर भी ध्यान देना चाहिए, ताकि गांव का विकास हो। धरने में प्यारा सिंह मान, भरपूर सिंह, खुशहाल सिंह व रामचन्द्र आदि शामिल थे।

No comments: