Friday, August 16, 2013

मैं इसे एक राष्ट्र कैसे मानूं ?

लगता है हमारा राष्ट्र दूसरा है और सोनी सोरी का दूसरा ! 
अब जब कल स्वतन्त्रता दिवस पर सरकारी डयूटी करके थके मांदे सरकारी मुलाजिम कल फिर ड्यूटी देने के  लिए आज कर रहे होंगें  तो गांधीवादी नेता हिमांशु कुमार अर्थात Himanshu Kumar ने फिर कुछ कड़वे सत्य सामने रख कर उनके दिलो-दिमाग को आंदोलित कर दिया है। हिमांशु लिखते हैं :सोनी को थाने में पीटते समय और बिजली के झटके देते समय एसपी अंकित गर्ग सोनी से यही तो जिद कर रहा था कि सोनी एक झूठा कबूलनामा लिख कर दे दे जिसमे वो यह लिखे कि अरुंधती राय , स्वामी अग्निवेश , कविता श्रीवास्तव , नंदिनी सुंदर , हिमांशु कुमार, मनीष कुंजाम और उसका वकील सब नक्सली हैं !
ताकि इन सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को एक झटके में जेल में डाला जा सके ! 
सरकार मानती है कि ये सामजिक कार्यकर्ता छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की ज़मीनों पर कंपनियों का कब्ज़ा नहीं होने दे रहे हैं ! इसलिये एक बार अगर इन सामजिक कार्यकर्ताओं को झूठे मामलों में जेल में डाल दिया जाए तो छत्तीसगढ़ में आदिवासियों पर सरकारी फौजों के हमलों पर आवाज़ उठाने वाला कोई नहीं बचेगा ! फिर आराम से बस्तर की आदिवासियों की ज़मीने कंपनियों को बेच कर पैसा कमा सकेंगे !
67 वें स्वतन्त्रता दिवस पर एक दुसरे को थोक के भाव आज़ादी की बधाईयाँ दे रहे लोगों की इस में कड़वे सत्य को देख कर  हो रहे हिमांशु समाज के सभी वर्गों से---गुहार लगाते हुए कहते है---पुकारते हैं--झंक्झौरते हैं--:
कोई तो बचाओ इस लड़की को ! संसद , सुप्रीम कोर्ट , टीवी और अखबारों के दफ्तर हमारे सामने हैं ! और हमारे वख्त में ही एक जिंदा इंसान को तिल तिल कर हमें चिढा चिढा कर मारा जा रहा है ! और सारा देश लोकतन्त्र का जश्न मनाते हुए ये सब देख रहा है !
हिमांशु चेतावनी भी देते हैं--:शरीर के एक हिस्से की तकलीफ अगर दूसरे हिस्से को नहीं हो रही है तो ये शरीर के बीमार होने का लक्षण है !एक सभ्य समाज ऐसे थोड़े ही होते हैं ! मैं इसे एक राष्ट्र कैसे मानूं ? लगता है हमारा राष्ट्र दूसरा है और सोनी सोरी का दूसरा ! नक्सलियों से लड़ कर अपने स्कूल पर फहराए गये काले झंडे को उतार कर तिरंगा फहराने वाली उस आदिवासी लड़की को जेल में नंगा किया जा रहा है और उसे नंगा करने वाले पन्द्रह अगस्त को हमें लोकतन्त्र का उपदेश देंगे !

सोनी सोरी की कहानी सुनो

लोकतंत्र पर आए दिन जगह जगह पर दिए जाते खोखले उपदेशो से बुरी तरह आहत हुए हिमांशु कुमार की आवाज़ क्या अनसुनी रहेगी ? काले झंडे को उतार कर तिरंगा फहराने वाली उस आदिवासी लड़की की बेबसी किसी को नजर नहीं आएगी? क्या इस आदिवासी अध्यापिका को हर द्रोपदी की तरह नंगा किया जाता रहेगा ? क्या किसी कृष्ण तक नहीं पहुँच प् रही इस अबला की पुकार ? हम देवी के 9 रूपों की पूजा करने वाले एक धार्मिक देश में ही रहते हैं या कहीं और? क्या यह समाज पूरी तरह कौरव प्रधान हो गया है?--यहाँ सत्य की आवाज़ सुनने वाले अब नहीं रहे क्या? नक्सलियों से लड़ कर अपने स्कूल पर फहराए गये काले झंडे को उतार कर तिरंगा फहराने वाली उस आदिवासी लड़की का आखिर कसूर क्या है ? स्वतन्त्रता दिवस के मौके पर आखिर कोई तो बताये !           ----रेक्टर कथूरिया 


सोनी सोरी की कहानी सुनो                        सोनी सोरी को दी जा रही हैं एक्सपायरी दवाएं


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