Wednesday, August 21, 2013

पंजाबी साहित्य सभा समराला की मासिक बैठक

'वीहवीं सदी दा पंजवां दहाका' का विमोचन
समराला (लुधियाना):(पंजाब स्क्रीन ब्यूरो): कई दशक पूर्व अक्सर बड़े बजुर्ग कहा करते थे कि दोराहा के साथ पड़ता रामपुर कोई जादू भरी भूमी है शायद तभी वहां पैदा होने वाले शायरों और लेखकों की संख्या बहुत अधिक है। इस भूमी का यह जादू आसपास के क्षेत्रों दोराहा, नीलों, कटानी और समराला जैसे इलाकों में भी कई बार दिखा।  इस इलाके से गुजरती नहर का जादू उअर इस नहर के  पेड़ों को छू कर आती हवा अचानक ही किसी और दुनिया में ले जाते हैं और इंसान के हाथ कागज़ और कलम की तलाश में खुद-बी-खुद उठ जाते हैं।  यह सारा सिलसिला फिर बार फिर ताज़ा  हुआ समराला में जहाँ एक साहित्यक आयोजन था। पंजाबी साहित्य सभा समराला की मासिक बैठक सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में मंगलवार को हुई। जिसकी अध्यक्षता मंडल में सभा के अध्यक्ष बिहारी लाल सद्दी, नेशनल अवार्डी शमशेर सिंह नागरा, प्रो हमदर्दवीर नौशहरवी, गुरदयाल दलाल व प्रेम सागर शर्मा ने की। इस दौरान जगदीश नीलों की लिखी पुस्तक 'वीहवीं सदी दा पंजवां दहाका' का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक के विमोचन पर सभी ने प्रसन्नता व्यक्त की। 
पुस्तक की सामग्री पर विस्तृत चर्चा हुई  हुए मास्टर मेघदास ने कहा कि वास्तव में यह पुस्तक एक दस्तावेज है जो 1950 से 1960 तक के दहाके में ग्रामीण लोगों की दशा व विकास की ओर बढ़ने की प्रक्रिया को बहुत ही सादगी और बारीकी से दर्शाती है। इस मौके पर मैनेजर करम चंद, मास्टर प्रेम सागर शर्मा, मास्टर शमशेर सिंह नागरा, बिहारी लाल सदी, ने भी पुस्तक के संदर्भ में अपने विचार व प्रभाव व्यक्त किए और इस पुस्तक के मकसद को समझने-समझाने में रचनात्मिक योगदान दिया। 
साहित्य रचने से सबंधित कलमकार एकत्र हों और साहित्य के रस की बरसात न हो यह कैसे सम्भव है? इस लिए इस मासिक बैठक का दूसरा दौर रचनाएं पढ़ने व उन पर उनके प्रतिक्रया पेश करने का था। जिसका आरभ कवि गुरनाम सिंह ने कविता सुनाकर किया। इसके बाद सुखदेव कलेर, आखिरी सांस तक क्रांति से रहे इंकलाबी शायर लाल सिंह दिल को भी याद किया गया। जसवीर सिंह समराला ने भी अपनी कविता पेश की। इस दौरान मैनेजर करम चंद ने कविता, हरबंस मालवा ने गीत, लखविंदरपाल सिंह ने कविता, सूरीया कात वर्मा ने मिनी कहानी, संतोख सिंह कोटाला ने कविता, मास्टर मेघदास ने मिनी कहानी, दीप दिलबर ने गीत, प्रेम सागर शर्मा ने उर्दू के शेयर, करमजीत बासी ने कविता, लील दयालपुरी ने गीत, हरबंस माछीवाड़ा ने गजल, जगदीश नीलों ने गजल, गुरदयाल दलाल ने गजल व बिहारी लाल सदी ने साहिर लुधियानवी द्वारा लिखी उर्दू की नजम पेश की। इस समय इंद्रजीत कंग, गुरबिंदर सिंह, दर्शन सिंह कंग, जसप्रीत सिंह, सुखविंदर, संदीप तिवारी, मा. जतिंदर, मा. राम रतन, अवतार सिंह समराला, सोहनजरीत सिंह, टी लोचन निरजन सूखम, जसविंदर सचदेवा व गुरजीत भी मौजूद थे। कुल मिलाकर यह एक यादगारी आयोजन बना। 

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